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18/12/2023
बड़े भाई राम सिंह मियाँ जी को कुल्लू और लाहौल स्पीति जिलों के ए.पी.एम.सी. के नये चेयरमैन बनने पर हार्दिक शुभकामनाएँ।
03/08/2023

बड़े भाई राम सिंह मियाँ जी को कुल्लू और लाहौल स्पीति जिलों के ए.पी.एम.सी. के नये चेयरमैन बनने पर हार्दिक शुभकामनाएँ।

06/08/2023 को ग्राम पंचायत बखनाओ में ग्राम सभा का होना तय हुआ है। आप सभी ग्रामवासियों से निवेदन है की आप सभी जायदा से जा...
03/08/2023

06/08/2023 को ग्राम पंचायत बखनाओ में ग्राम सभा का होना तय हुआ है। आप सभी ग्रामवासियों से निवेदन है की आप सभी जायदा से जायदा संख्या में 06/08/2023 को 11:00 बजे ग्राम पंचायत बखनाओ के कार्यालय में आए। और अपने मुद्दों के उप्पर चर्चा करें।

मिलिए सिरमौर जिला के पहले रेडियो कलाकार से, ‘लागा ढोलो रा ढमाका, मेरा हिमाचालो बड़ा बांका’ को गाने के बाद ठाकुर किशन सिंह...
02/08/2023

मिलिए सिरमौर जिला के पहले रेडियो कलाकार से, ‘लागा ढोलो रा ढमाका, मेरा हिमाचालो बड़ा बांका’ को गाने के बाद ठाकुर किशन सिंह में मुड़ कर नहीं देखा, महेंद्र कपूर को भी सिखाया लोकगीत गाना

बात साल 1955 की है, शिमला में आकाशवाणी केंद्र का प्रसारण शुरू हुआ। इसी दौरान ठाकुर किशन सिंह ने ‘लागा ढोलो रा ढमाका, मेरा हिमाचालो बड़ा बांका’ सुनाया तो उनकी मखमली एवं मधुर आवाज का हिमाचल प्रदेश दीवाना हो गया। उसके बाद शुरू हुआ लोकगायन का सिलसिला उनके जीवन के आख़िरी दिनों तक चलता रहा। ठाकुर किशन सिंह सिरमौर जिला से आकाशवाणी के पहले कलाकार थे और उन्हें आकाशवाणी शिमला से उच्च श्रेणी के कलाकार का दर्जा प्राप्त था। उन्होंने आकाशवाणी के साथ- साथ दूरदर्शन पर भी अपनी गायन कला की ढेरों प्रस्तुतियां दीं, लेकिन गाने की ललक इतनी कि अपने किसी भी फैन के अनुरोध पर बाज़ार और बस में सफर करते हुए गाने शुरू हो जाते थे। उनकी आवाज में ऐसा जादू था कि सारा पहाड़ उनकी आवाज का मुरीद था। सिरमौर के लोकगीतों को देश- दुनिया में पहचान दिलवाने वाले किशन सिंह ठाकुर के लोकगीतों को उनके चाहने वाले बड़े शौक से सुनते हैं और सिरमौर के लोकगीतों के संरक्षण में जुटी लोकगायकों की युवा पीढ़ी उनके गाये लोकगीतों को गाने में अपनी शान समझती है।

महेंद्र कपूर को सिखाया और गवाया
ठाकुर किशन ठाकुर ने हिंदी सिनेमा के मशहूर गायक महेंद्र कपूर को ‘लागा ढोलो रा ढमाका, मेरा हिमाचालो बड़ा बांका’ गीत सिखाया था और उनसे गवाया भी था। उनके गाये लोकगीतों में ‘ मीठे बागो रे केले रति रामा’, ‘तेरे मुहों रा तिला हाय रे बेसो सुबदा’, चल पंछिया ऊँची नीची धारा रे’, ‘म्हारे हिमाचल देखणा सारा रे’, ‘लछ्मनिये रांडे’, और चूड़ी रे कांडे जैसे लोकगीत आज भी लोगों की जुबां पर है और बेहद पसंद किये जाते हैं।

गायन के साथ संगीत में महारत
17 नवम्बर 1917 को सिरमौर जिला के पझौता क्षेत्र के कोटला बागी गांव में ठाकुर लच्छमी सिंह और माता रत्ना देवी के घर पैदा हुए किशन की आठवीं तक की पढ़ाई सोलन के चायल से हुई। उसके बाद उन्होंने कोटला स्थित नरसिंह मंदिर के महात्मा बैरागी जी से संगीत की तालीम हासिल की और गायन के साथ तबला, ढोलक और हारमोनियम बजाना सीखा। पझौता आन्दोलन के दौरान क्रांतिकारियों के लिए वह देशभक्ति से ओत- प्रोत जोशीले गीत गाते थे। वह जहां भी गायन में भाग लेते, महफ़िल लूट लेते थे। उनके गाये कई अमर लोकगीत आज भी बड़े चाव से लोग सुनते और गुनगुनाते हैं।

लोकगायकी के साथ सरपंची
लोकगायक होने के साथ ठाकुर किशन सिंह समाजसेवा से गहरे जुड़े हुए थे। वे इतने लोकप्रिय थे कि पझौता क्षेत्र में साया सनौरा पंचायत के 35 सालों तक सरपंच रहे। उनकी गिनती समर्पित राजनेता के तौर पर होती थी। जहां वे अपनी पंचायत के कामों को लेकर हमेशा आगे रहते थे, वहीँ अपनी गायिकी और रियाज को लेकर भी हमेशा गंभीर रहते थे और अपने गायन के शौक को पूरा करने के लिए वक्त निकाल ही लिया करते थे।

मौत वाले रोज भी गीत किया रिकॉर्ड
21 अप्रैल 1997 को ठाकुर किशन सिंह अपने लोकगीत ‘चल पंछिया ऊँची नीची धारा रे’ गीत की रिकार्डिंग करवा कर घर लौट रहे थे कि घर से कुछ ही दूरी पर उन्हें हार्ट अटैक हुआ और सिरमौरी गीतों की सदाबहार आवाज हमसे सदा के लिए बिछुड़ गई। उनकी मौत के बाद उनका गाया ‘चल पंछिया ऊँची नीची धारा रे’ बेहद लोकप्रिय हुआ। ठाकुर किशन सिंह को गुजरे लंबा अर्सा हो चुका, लेकिन उस महान गायक के गाये लोकगीत आज भी मनोरंजन कर रहे हैं।

#हिमाचलप्रदेश

02/08/2023

नहीं किया था.स्कूल की छुट्टियों का कामl लड़के ने , बचने के लिए रचा किडनैपिंग का किया ड्रामा, ऐसे हुआ पर्दाफाश

बिलासपुर में पंजाब सीमा से सटी ग्राम पंचायत कौड़ावाली के गांव जज्जर में पुलिस ने किडनैपिंग केस को दो घंटे में सुलझा लिया है। पूछताछ में पता चला है कि बच्चे ने स्कूल की छुट्टियों का काम नहीं किया था, जिस कारण उसने यह सारी झूठी कहानी बनाई थी। पुलिस ने भी जब सीसीटीवी कैमरे देखे तो पाया कि कैमरे में प्रिंस अकेला पैदल चल रहा था।
प्रिंस को देखकर लग रहा था कि वह जरा भी डरा नहीं हुआ था, जिससे पुलिस को कुछ शक हुआ। पुलिस ने जब प्यार से प्रिंस से पूछताछ की तो उसने बताया कि उसने स्कूल की छुट्टियों का काम नहीं किया था, इसलिए उसने यह सारी झूठी कहानी बनाई। प्रिंस ने छुट्टियां अपनी मासी के घर स्केड़ी में बिताई थीं। एसएचओ बलबीर सिंह ने बताया कि बच्चे ने किडनैप करने की झूठी कहानी बनाई थी, जिस पर से पर्दा उठ गया है। पिछले दिन ही प्रिंस के परिवार ने थाना में बाइक सवारों द्वारा प्रिंस के अपहरण करने की शिकायत दर्ज करवाई थी।

01/08/2023

बारिश की सामान्य होती स्थिति एवं अधिकतर सड़क मार्गों के बहाल होने के दृष्टिगत रोहडू एवं डोडरा क्वार उपमंडलों के सभी सरकारी स्कूल, 2 अगस्त, 2023 से खोल दिये जाएंगे ।
अभिभावक , स्कूल प्रबंधन एवं अध्यापक तदानुसार तैयारी करें।
निजी स्कूल प्रबंधन अपने स्तर पर स्कूल खोलने बारे निर्णय करें।

1976 में कुछ ऐसा दिखता था आनी का शमशर गांव,यह छायाचित्र 1 यूरोपीय पर्यटक द्वारा खींचा गया है जब वह अपने आनी प्रवास पर आय...
01/08/2023

1976 में कुछ ऐसा दिखता था आनी का शमशर गांव,यह छायाचित्र 1 यूरोपीय पर्यटक द्वारा खींचा गया है जब वह अपने आनी प्रवास पर आया था ।

 #पहाड़ी परंपरागत_महलउत्तराखंड के जिला अल्मोड़ा के रानीखेत से कुछ दूर पागसा गाँव में स्थित यहतीन मंजिला पारम्परिक मकान ज...
01/08/2023

#पहाड़ी परंपरागत_महल
उत्तराखंड के जिला अल्मोड़ा के रानीखेत से कुछ दूर पागसा गाँव में स्थित यह
तीन मंजिला पारम्परिक मकान जिसकी सुन्दरता देखते ही बनती है।
पहाड़ में परंपरागत बने मकानों में स्थानीय रूप से उपलब्ध पत्थर, मिट्टी,
लकड़ी का प्रयोग होता रहा। पत्थर से बना मकान जिस पर मिट्टी के बने गारे
से पत्थर की चिनाई की जाती थी। स्थानीय रूप से उपलब्ध मजबूत लकड़ी से
दरवाजा व छाजा तथा खिड़की बनती थी, जिसमें सुन्दर नक्काशी की जाती
थी। घर की छत में मोटी गोल बल्ली या 'बांसे डलते, तो धुरी में मोटा चौकोर
पाल पड़ता जिसे 'भराणा' कहा जाता। धुरी में भराणा डाल छत की दोनों
ढलानों में बांसे रख इनके ऊपर बल्लियां रखी जातीं। बल्लियों के ऊपर 'दादर'
या फाड़ी हुई लकड़ियां बिछाई जातीं या तख्ते चिरवा के लगा दिये जाते। इनके
ऊपर चिकनी मिट्टी के गारे से पंक्तिवार पाथर बिछे होते। दो पाथर के जोड़ के
ऊपर गारे से एक कम चौड़ा पाथर रखा जाता हैं। घर के कमरों में चिकनी मिट्टी
और भूसी मिला कर फर्श बिछाया जाता है। जिसे पाल भी कहा जाता है|
दीवारों में एक फ़ीट की ऊंचाई तक गेरू का लेपन कर बिस्वार से तीन या पांच
की धारा में 'वसुधारा'डाली जाती है। गेरू और बिस्वार से ही ऐपण पड़ते है।
अलग अलग धार्मिक आयोजनों व कर्मकांडों में इनका स्वरुप भिन्न होता है।
हर घर के भीतरी कक्ष में पुर्व या उत्तर दिशा के कोने में पूजा के लिए मिट्टी की
वेदी बनती जो 'द्याप्ता ठ्या' कहलाती है। बाखली में मकान एक बराबर
ऊंचाई के तथा दो मंजिला या तीन मंजिला होते थे।
पहली मंजिल में छाजे या छज्जे के आगे पत्थरों की सबेली करीब एक फुट
आगे को निकली रहती जो झाप कहलाती। ऊपरी दूसरी मंजिल में दोनों तरफ
ढालदार छत होती जिसे पटाल या स्लेट से छाया जाता।नीचे का भाग गोठ
कहा जाता जिसमें पालतू पशु रहते तो ऊपरी मंजिल में परिवार। दो मंजिले के
आगे वाले हिस्से को चाख कहते हैं जो बैठक का कमरा होता है। इसमें 'छाज'
या छज्जा होता है। सभी घरों के आगे पटाल बिछा पटांगण(आंगन) होता है
जिसके आगे करीब एक हाथ चौड़ी दीवार होती है जो बैठने के भी काम आती
है।
पहाड़ की संस्कृति, रहन-सहन, भेष-भूसा, खान-पान, सामाजिक जीवन में
लोकोक्तियां, मुहावरे, किस्से-कहानियां, प्रतीक तथा बिम्ब ऐसे हैं जो पहाड़ में
जिये और पहाड़ को जाने बिना समझ पाना नामुमकिन है।

01/08/2023

*सब्जी ही नहीं, औषधि भी है लिंगुड*

ग्रामीण क्षेत्रों में सब्जी का लुत्फ उठा रहे लोग, स्वादिष्ट होने के साथ पोषण तत्त्व भरपूर मात्रा में
बीआर चौहान-यशवंतनगर
ग्रामीण क्षेत्रों में इन दिनों लोग लिंगुड़ की सब्जी का लुत्फ उठा रहे हैं। लिंगुड़ का उगाया नहीं जाता बल्कि यह बूटी विशेषकर नमी वाले क्षेत्रों, जंगलों अथवा खड्डों के किनारे स्वत: ही उगती है। लिंगुड़ पूर्ण रूप से प्राकृतिक एवं जैविक है जोकि पौष्टिक होने के साथ-साथ औषधीय गुणों से भरपूर है। वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्र के लोगों ने इसे अपनी अतिरिक्त आय का साधन भी बना दिया है। लोग सारा दिन जंगल अथवा खड्डों से लिंगुड़ को चुनकर लाते हैं और गुच्छियां बनाकर बाजार में बेचने लगे हैं। पहाड़ों में प्राकृतिक रूप से उगने वाली इस सब्जी को यहां के लोग दशकों से खाते आ रहे हैं। लिंगुड़ जहां रसायनों से दूर प्रकृति के आगोश में स्वत: ही पैदा होता है।
आयुर्वेद विशेषज्ञ डा. जोशी ने बताया कि लिंगुड़ में विटामिन ए, विटामिन बी कॉप्लेक्स, पोटाशियम, कॉपर, आयरन, फैटी एसिड, सोडियम, फास्फोरस, मैगनीशियम, कैरोटिन और मिनरल्स भरपूर मात्रा में मौजूद हैं। काफी कम लोग जानते हैं कि यह सब्जी कई औषधीय गुणों से भी भरपूर है। बता दें कि हिमालयन जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (आइएचबीटी) पालमपुर में कुछ साल पहले शुरू हुए लुंगड़ू अथवा लिंगुड़ के प्रारंभिक शोधों में यह बात सामने आई है। इसकी चर्चा बाकायदा संस्थान की राष्ट्रीय संगोष्ठी में भी हुई। लिंगुड़ में आयरन व मैगनिशयम प्रचुर मात्रा में पाए जाने से इसे कुपोषण से निपटने का एक अच्छा स्रोत माना गया है। लिंगुड़ की सब्जी पहाड़ों में जून से सितंबर माह तक पाई जाती है। (एचडीएम)

सैंज घाटी कोठी बनोगी के आराध्य देवता पण्डीर ऋषि आज पजेंई (जिला मण्डी) के लिए हारगी को अपने हारियानों संग देहुरी से रवाना...
31/07/2023

सैंज घाटी कोठी बनोगी के आराध्य देवता पण्डीर ऋषि आज पजेंई (जिला मण्डी) के लिए हारगी को अपने हारियानों संग देहुरी से रवाना हो गए हैं।
जानकारों के मुताबिक पंजाई के आराध्यदेव पुंडरीक ऋषि और बनोगी के आराध्यदेव पंडीर ऋषि का ऐतिहासिक देव मिलन (हारगी) पहली बार सन् 1580 में शुरू हुआ था। उस समय इनका मिलन नदी के आर-पार से होता था। कारण यह था कि उस वक्त अपनी-अपनी रियासतों के लिए लड़ायी हुआ करती थी। आने जाने के रास्ते नहीं थे जिस कारण देव मिलन को रवाना होने पर साथ में भाले, बरछी, नंगी तलवारें ,और भगदे तोड़े (मौशाल) व तोड़ बंधी बंदूकें लेकर चलते थे।
बताते है कि यह दो भाई पण्डीर और पुण्डरीक ऋषि झालरु नामक स्थान से जुदा हुए थे। उस वक्त पुण्डरीक ऋषि ने वहां से पत्थर की खंभानूमा शिला फेंकी जो बालीचौकी के पीछे फड़रणी गांव में ओड़े (देव निशान) के रूप में अभी भी मौजूद है। दूसरी शिला वहां से मैहरा नामक स्थान को फैंकी जो सैंज घाटी के सुचैहण नामक स्थान के साथ लगता ईलाका है और यह ईलाका पण्डीर ऋषि ने संभाला।
पण्डीर ऋषि झालरु से जिला कुल्लू के सैंज घाटी में बनोगी नामक स्थान में विराजमान हुए। यह देव मिलन 12 साल से पहले नहीं होता है इस बार यह देव मिलन 14 साल के बाद हो रहा है।

31/07/2023

शिमला। शिमला में एक होटल के कमरे में पुलिस द्वारा ली गई तलाशी के दौरान पंजाब के 3 और शिमला जिला के रोहड़ू का एक युवक को चिट्टे के साथ गिरफ्तार किया गया है। सदर थाना पुलिस की टीम द्वारा गश्त के दौरान यह कार्रवाई अमल में लाई गई है। पुलिस टीम ने गुप्त सूचना के आधार पर राम बाजार स्थित होटल सिद्धार्थ के रूम नंबर-207 की तलाशी ली तो पुलिस ने यहां पर मलकीत सिंह (38) पुत्र गुरमुख सिंह निवासी मकान नंबर 463, तहसील पट्टी जिला तरणतारण पंजाब, शिवा कुमार (33) पुत्र सर्वा कुमार मकान नंबर 185/5 नजदीक ओल्ड बस स्टैंड पट्टी तरणतारण, विजय कुमार (44) पुत्र जोगिंद्र सिंह निवासी वार्ड-9 चौकी गाजीवाला तहसील पट्टी तरनतारण और बलवीर सिंह (42) पुत्र स्वर्गीय कमल चंद निवासी गांव व तहसील टिक्कर रोहड़ू को 4.11 ग्राम चिट्टा के साथ गिरफ्तार किया है। पुलिस अधीक्षक शिमला संजीव गांधी ने मामले की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि आरोपियों के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट के तहत मामला दर्ज कर चिट्टे की आपूर्ति के बारे में पूछताछ की जा रही है।

31/07/2023

*मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू आज करेंगे कुल्लू का दौरा*

ुमुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू 31 जुलाई , सोमवार शाम को कुल्लू पहुंचेंगे। जारी हुए शेड्यूल के मुताबिक 31 जुलाई को मुख्यमंत्री शिमला से सवा तीन बजे हेलिकॉप्टर में कुल्लू के लिए उड़ान भरेंगे और भुंतर एयरपोर्ट पर पौने चार बजे शाम को सीएम का चौपर लैंड करेगा। इसके बाद भुंतर एयरपोर्ट से वाया रोड मुख्यमंत्री सर्किट हाउस कुल्लू पहुंचेंगे। वहीं, रात को उनका ठहरने का प्रोग्राम जारी हुआ है। इसके बाद पहली अगस्त को मुख्यमंत्री कुल्लू सर्किट हाउस से साढ़े आठ बजे भुंतर एयरपोर्ट की तरफ जाएंगे।
यहां पर पौने नौ बजे केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू रिसीव करेंगे। इसके बाद केंद्रीय मंत्री के साथ मुख्यमंत्री जिला कुल्लू में बीते दिनों भारी बारिश से प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण करेंगे। बता दें कि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी हिमाचल में भारी बारिश के कारण तबाह हुई फोरलेन का जायजा लेने के लिए आ पहली अगस्त को आ रहे हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए सीएम कुल्लू पहुंच रहे हैं।

सजा दो 13 पंचायतों को गुलशन सा मेरे महादेव आ रहे हैं......अगस्त 2023 से शुरू होंगे जत्राला मेले 🙌❤️
30/07/2023

सजा दो 13 पंचायतों को गुलशन सा मेरे महादेव आ रहे हैं......
अगस्त 2023 से शुरू होंगे जत्राला मेले 🙌❤️

आनी। तहसील आनी के ओलवा गांव में कल रात को हुकमचंद की गौशाला को भालू ने उखाड़ दिया। गनीमत रही कि भालुओं गौशाला के अंदर प्...
30/07/2023

आनी। तहसील आनी के ओलवा गांव में कल रात को हुकमचंद की गौशाला को भालू ने उखाड़ दिया। गनीमत रही कि भालुओं गौशाला के अंदर प्रवेश नहीं कर पाया। पशुधन सुरक्षित है। जानकारी देते हुए विपन कुमार ने बताया कि ये रात का मामला है भालुओं ने गाये बाले कमरे में अचानक से हमला किया और छत को उखाड़ दिया। गनीमत रही कि पशुधन सुरक्षित हैं । जैसे ही भालूँ ने छत से चादर उखड़ना शुरू किया और आवाज सुनाई पड़ी उसके बाद भालुओ को भगाने के किये शोर डाला और बो भाग गया नही तो बो पशु को भी नुकसान पहुंचाता। आप को बताते चले कि ये ओलवा गांव का कोई पहला मामला नही है। इससे पहले भी कई गौशाला को हानि पहुंचाई है। वन विभाग को भी जानकारी दी गई पर कोई एक्शन आजतक नही हुआ। 4 दिन पहले दिन दहाड़े गांव में 3 भालुओ को शाम के 6 बजे के करीब देखा गए। अब वन विभाग के अधिकारी या तो किसी जानी नुकसान के इंतज़ार में है तब ये एक्शन में आएंगे।

Good morning ji Aaj gas ke gadi kothi ja rhi hai office lane line no 01904292151
30/07/2023

Good morning ji Aaj gas ke gadi kothi ja rhi hai office lane line no 01904292151

*जामुन एक ऐसा वृक्ष जिसके अंग अंग में औषधि है।*🍇🍇अगर जामुन की मोटी लकड़ी का टुकडा पानी की टंकी में रख दे तो टंकी में शैवा...
30/07/2023

*जामुन एक ऐसा वृक्ष जिसके अंग अंग में औषधि है।*🍇

🍇अगर जामुन की मोटी लकड़ी का टुकडा पानी की टंकी में रख दे तो टंकी में शैवाल, हरी काई नहीं जमेगी और पानी सड़ेगा भी नहीं।

🍇जामुन की इस खुबी के कारण इसका इस्तेमाल नाव बनाने में बड़ा पैमाने पर होता है।

🍇पहले के जमाने में गांवो में जब कुंए की खुदाई होती तो उसके तलहटी में जामून की लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है जिसे जमोट कहते है।

🍇दिल्ली की निजामुद्दीन बावड़ी का हाल ही में हुए जीर्णोद्धार से ज्ञात हुआ 700 सालों के बाद भी गाद या अन्य अवरोधों की वजह से यहाँ जल के स्तोत्र बंद नहीं हुए हैं।

🍇भारतीय पुरातत्व विभाग के प्रमुख के.एन. श्रीवास्तव के अनुसार इस बावड़ी की अनोखी बात यह है कि आज भी यहाँ लकड़ी की वो तख्ती साबुत है जिसके ऊपर यह बावड़ी बनी थी। श्रीवास्तव जी के अनुसार उत्तर भारत के अधिकतर कुँओं व बावड़ियों की तली में जामुन की लकड़ी का इस्तेमाल आधार के रूप में किया जाता था।

🍇स्वास्थ्य की दृष्टि से विटामिन सी और आयरन से भरपूर जामुन शरीर में न केवल हीमोग्लोबिन की मात्रा को बढ़ाता। पेट दर्द, डायबिटीज, गठिया, पेचिस, पाचन संबंधी कई अन्य समस्याओं को ठीक करने में अत्यंत उपयोगी है।

🍇एक रिसर्च के मुताबिक, जामुन के पत्तियों में एंटी डायबिटिक गुण पाए जाते हैं, जो रक्त शुगर को नियंत्रित करने करती है। ऐसे में जामुन की पत्तियों से तैयार चाय का सेवन करने से डायबिटीज के मरीजों को काफी लाभ मिलेगा।

🍇सबसे पहले आप एक कप पानी लें। अब इस पानी को तपेली में डालकर अच्छे से उबाल लें। इसके बाद इसमें जामुन की कुछ पत्तियों को धो कर डाल दें। अगर आपके पास जामुन की पत्तियों का पाउडर है, तो आप इस पाउडर को 1 चम्मच पानी में डालकर उबाल सकते हैं। जब पानी अच्छे से उबल जाए, तो इसे कप में छान लें। अब इसमें आप शहद या फिर नींबू के रस की कुछ बूंदे मिक्स करके पी सकते हैं।

🍇जामुन की पत्तियों में एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं. इसका सेवन मसूड़ों से निकलने वाले खून को रोकने में और संक्रमण को फैलने से रोकता है। जामुन की पत्तियों को सुखाकर टूथ पाउडर के रूप में प्रयोग कर सकते हैं. इसमें एस्ट्रिंजेंट गुण होते हैं जो मुंह के छालों को ठीक करने में मदद करते हैं। मुंह के छालों में जामुन की छाल के काढ़ा का इस्तेमाल करने से फायदा मिलता है। जामुन में मौजूद आयरन खून को शुद्ध करने में मदद करता है।

🍇जामुन की लकड़ी न केवल एक अच्छी दातुन है अपितु पानी चखने वाले (जलसूंघा) भी पानी सूंघने के लिए जामुन की लकड़ी का इस्तेमाल करते।

☘️ भारतीय आयुर्वेदः ☘️
🙏🏻

पिछले कल भारी बारिश के कारण बहुत नुकसान हुए है और आगे और भी होने बाला है जमीन और पानी का रिसाब बहुत होने के कारण बहुत मु...
29/07/2023

पिछले कल भारी बारिश के कारण बहुत नुकसान हुए है और आगे और भी होने बाला है जमीन और पानी का रिसाब बहुत होने के कारण बहुत मुसीबत है ग्रामीण। आपको बता दे की राइबाग गांव में भी कुछ इस हालत देखने को मिले है। यहां पर भी Bhagban dass son of jaber Rajesh sanjeev के घर के लिए खतरा बन गया है। इनका मकान में भी बहुत दरारें आ गई है ।

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