groundreportindia.org

groundreportindia.org ISSN 1839-6232
https://www.groundreportindia.org More than 200,000 subscribers through various media systems.

ISSN 1839-6232

"Peace, Harmony, Social Sustainability And Environment"

​Circulated to one million people in around 100 countries.

16/08/2024

ग्रामीण व कस्बाई क्षेत्रों के छात्रों, सरकारी इंटर कॉलेजों के छात्रों, पिछड़े क्षेत्रों के छात्रों, गैर-हाई-फाई स्कूलों के छात्रों को यदि अवसर मिलें, अच्छा स्टडी मैटीरियल सहजता व सरलता से उपलब्ध हो, तो देश के IIT, AIIMS इत्यादि जैसे अनेक प्रकार के संस्थानों, तथा UPSC जैसी प्रतियोगी-छटनी परीक्षाओं में वास्तविक अर्थों में प्रतिस्पर्धा शुरू हो सकती है।
इस संदर्भ में कुछ प्रयासों के लिए योजनाओं पर चर्चा प्रारंभ की जा चुकी है। देश के गंभीर व ईमानदार भाव वाले शिक्षकों से जुड़ने का काम करना है। देश के उच्च संस्थानों के शिक्षकों को जोड़ने का काम शुरू हो चुका है।
इसके लिए कुछ सामाजिक प्रतिबद्ध लोग आगे आ रहे हैं, और इस संदर्भ में ई-प्लेटफार्म तैयार करने के लिए प्रतिवर्ष एक-डेढ़ करोड़ रुपए के आर्थिक सहयोग की प्रतिबद्धता स्वीकार करने की इच्छा व्यक्त कर रहे हैं।
जब तक देश के बच्चों को अवसर नहीं उपलब्ध होंगे, तब तक देश को प्रगति/उन्नति के पथ पर अग्रसर किया ही नहीं जा सकता है। देश के बच्चों को किताबें रटाकर रोबोट बनाने से प्रगति/उन्नति के पथ पर नहीं अग्रसर किया जा सकता है।
कोचिंग्स, महंगे स्कूलों की मोनोपोली व इनके द्वारा शिक्षा व्यवस्था पर स्थापित हिडेन-नियंत्रण से बाहर आए बिना देश के बच्चों को अवसर नहीं उपलब्ध कराए जा सकते हैं।
आपकी समझ, ईमानदारी, विचारशीलता, सामाजिक-प्रतिबद्धता, सामाजिक-जवाबदेही के स्तर के आधार पर इन प्रयासों में आपके गंभीर व प्रतिबद्ध सहयोग की अपेक्षा रहेगी।
_____
विवेक उमराव

इनसे मित्रता बहुत अच्छी जम गई है। इनको व इनके दोनों बच्चों को मिस करूंगा।
13/08/2024

इनसे मित्रता बहुत अच्छी जम गई है। इनको व इनके दोनों बच्चों को मिस करूंगा।

12/08/2024

कैनबरा में रहते हुए लगभग दो सालों में मैंने अपने खर्चे से 700 से अधिक लोगों को उनके स्वास्थ्य को बेहतर करने, व्याधियों को ठीक करने के संदर्भ में सुझाव दिए। इनमें से अपवाद छोड़ लगभग प्रत्येक व्यक्ति से डेढ़ से दो घंटे बात की। कुछ लोगों तो ऐसे भी रहे जिनसे हर महीने कई बार बात की, उनके प्रश्नों को समाधानित करने का प्रयास किया। सभी को लाभ मिला, बहुत लोग पूरी तरह से स्वस्थ हुए।
इन लोगों में से एलोपैथ, होमियोपैथ, आयुर्वेद, नेचुरोपैथ के चिकित्सक गण भी रहे।
—————
चंद अपवाद लोगों (ये लोग अपनी जीवन शैली में बदलाव नहीं कर पाए) को छोड़ सभी को लाभ मिला। जबकि मैंने किसी को कोई किसी भी प्रकार की एलोपैथ/होमियोपैथ/आयुर्वेद/यूनानी/अरबी दवा नहीं बताई, आयुर्वेद का कोई भष्म, द्रव, जड़ी-बूटी नहीं बताई, किसी को जल-नेति, सूत्र-नेति, भाप-स्नान, कटि-स्नान, ठंडी-गर्म पट्टी इत्यादि-इत्यादि कुछ भी नहीं बताया। मैंने किसी को यह तक नहीं बताया कि अलाना-फलाना योग कीजिए।
—————
कालस्ट्राल, ट्राइग्लिराइड, डायबिटीज, एसिडिटी, एलर्जी, बीपी, यूरिक एसिड, किडनी-स्टोन, जोड़ों में दर्द, फैटी-लिवर (फाइब्रोसिस) इत्यादि व्याधियों से ग्रस्त सैकड़ों लोग या तो पूरी तरह से ठीक हो चुके हैं या ठीक होने की ओर आगे बढ़ रहे हैं। इनमें से बहुत लोग तो पंद्रह बीस पच्चीस सालों से बहुत परेशान रहे हैं। ठीक होने या आराम पाने के बाद लोग जब अंदर के भावों के साथ धन्यवाद ज्ञापन करते हैं, तब मुझे जो संतुष्टि मिलती है उसको शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकता।
लेकिन बहुत अच्छा तब लगता है जब ऐसे लोग मिलते हैं, जो मुझे बताते हैं कि भले ही मुझसे उनकी कभी सीधी बात नहीं हुई, लेकिन मेरी पोस्टों को पढ़कर अनुसरण करते हैं और उनका हाई-कॉलस्ट्राल, हाई-ट्राइग्लिसराइड इत्यादि-इत्यादि बिना किसी दवा के ठीक हो गया।
—————
शरीर की अनेक ऐसी व्याधियां हैं (विभिन्न जानलेवा बीमारियों का आधार होती हैं, कैंसर इत्यादि का आधार होती हैं), जिनके लिए लोगबाग आजीवन दवाएं खाते हैं, लेकिन कभी ठीक नहीं हो पाते हैं, दवाओं से नियंत्रण बना रह सकता है, बहुत लोगों को दवाओं की डोज बढ़ानी भी पड़ जाती है। जबकि जीवन-शैली में बदलाव करके इन व्याधियों से मुक्त हुआ जा सकता है।
___
विवेक

27/07/2024

मुझे नहीं मालूम कि मेरी मृत्यु के पहले तक मेरे द्वारा देखे जा रहे कई दशक पुराने सपने पूरे होंगे या नहीं, लेकिन भारत में रहते हुए प्रयास करना चाहता हूं। इन पुराने सपनों को आपके साथ साझा कर रहा हूं।
~ कई लाख करोड़ रुपए के सालाना टर्नओवर वाले सोशल कार्पोरेट की स्थापना। (यह सबसे पुराना सपना है, जिसकी नींव मेरे चेतन में 1995 में पड़ी थी, यह सपना मजबूत हुआ 2006 में। 2016/2017 में ऐसा लगा कि इस ओर दो-चार कदम चल सकते हैं। अब यह देखना है कि मृत्यु तक कितना आगे बढ़ा जा सकता है।
~ एक जिला जो वास्तव में कूड़ा प्रबंधन का माडल हो। (दिखावटी नहीं)
~ एक जिला जो पेयजल स्वावलंबी हो।
(भूजल का प्रयोग किए बिना। भूजल पेयजल नहीं होता है। भूजल को पेयजल मानना मिथक है, इस मिथक को स्थापित करने के पीछे का आर्गनाइज्ड कारण लोगों को पानी जैसे अति-महत्वपूर्ण मुद्दे से ध्यान भटकाना भी हो सकता है।)
~ एक जिला जो ऊर्जा स्वावलंबी हो।
_____
देखना है कि मृत्यु तक इनमें से कितने सपने पूरे होने की ओर बढ़ पाते हैं, या चार कदम भी नहीं बढ़ पाते हैं।
__
विवेक

25/07/2024

भारत आने के बाद पहली बार आज आने वाली किताब के कुछ पन्ने लिखे। कल रात में लगभग दस बजे सोया, फिर रात में लगभग एक बजे नींद खुल गई, सोचा क्या किया जाए, अपने आप इच्छा हुई कि क्यों न किताब के कुछ पन्ने ही लिख लिए जाएं। सो रात में एक बजे से चार साढ़े-चार बजे तक किताब के ड्राफ्ट के कुछ पन्ने लिखे। फिर घंटे भर के लिए सो गया।
इस तरह भारत में आने के बाद आज पहली बार आने वाली किताब के ड्राफ्ट में कुछ पन्ने जोड़े गए।
_____
विवेक

कैनबरा में स्वास्थ्य के संदर्भ में दिनचर्या थी —सुबह लगभग दो से ढाई बजे तक जागना।सुबह तीन बजे से आठ/नौ बजे तक लगातार साइ...
23/07/2024

कैनबरा में स्वास्थ्य के संदर्भ में दिनचर्या थी —
सुबह लगभग दो से ढाई बजे तक जागना।
सुबह तीन बजे से आठ/नौ बजे तक लगातार साइकिलिंग, 15 किलो के डंबल, दंड-बैठक तथा फंक्शनल-एक्सरसाइज करना।
नौ से दस या साढ़े-नौ से साढ़े-दस या दस से ग्यारह तक 24 घंटे में लिए जाने वाले एकमात्र मील का समय था। शेष 23 घंटे केवल सादे पानी पर रहता था।
सुबह के व्यायाम के अतिरिक्त दिन भर में कम से कम दस से पंद्रह किलोमीटर पैदल भी चलता था।
मिनरल्स विटामिन्स इत्यादि की आपूर्ति के लिए क्या-क्या खाना है, किस क्रम में खाना है, यह सब व्यवस्थित था। खाद्य वस्तुएं, पानी व वायु इत्यादि प्राकृतिक स्तर पर शुद्ध।
—————
भारत में स्वास्थ्य के संदर्भ में दिनचर्या —
कैनबरा के माइनस तापमान से भारत की अत्यधिक गर्मी में यकायक पहुंचने के कारण 24 घंटे में लिए जाने वाले एकमात्र मील को सुबह की बजाय शाम को लेना शुरू किया। लेकिन अभी तक समय का रूटीन व्यवस्थित नहीं हो पाया क्योंकि अभी तक बिहार में अपने स्थाई कैंपस तक पहुंच ही नहीं पाया हूं। कभी दोपहर चार बजे से मील शुरू हो जाता है, कभी रात में नौ बजे शुरू होता है। किसी दिन टुकड़ों-टुकड़ों में मील तीन घंटे चलता है तो किसी दिन आधा घंटे में ही हो जाता है।
मील की टाइमिंग व्यवस्थित नहीं हो पाने के साथ-साथ, मिनरल्स व विटामिन्स इत्यादि की आपूर्ति बहुत ही अधिक अव्यवस्थित है। खाद्य वस्तुएं, पानी व वायु इत्यादि प्रदूषित है ही।
अब रही बात व्यायाम की, तो व्यवस्थित व्यायाम शुरू हो ही नहीं पाया है, किसी दिन होता है, किसी दिन नहीं होता है, किसी दिन आधा-अधूरा होता है।
व्यायाम का आप्टिमम लाभ प्राप्त करने के लिए लगभग 17-18 घंटे की फास्टिंग के बाद व्यायाम शुरू करता आया हूं, फास्टिंग में रहते हुए ही व्यायाम करता आया हूं। इसलिए दोपहर में बारह-एक बजे व्यायाम शुरू करके शाम पांच-छः बजे तक व्यायाम करना, फिर 24 घंटे का एकमात्र मील लेना। यह एक भी दिन हो ही नहीं पाया। व्यवहारिक ही नहीं है।
———
प्रोस-कान्स :
———
सुबह लगभग आठ/नौ बजे एकमात्र मील लेने के नियम में —
सुबह दो से ढाई बजे जागना फिर तीन बजे से आठ/नौ बजे तक लगातार एक्सरसाइज करना, फिर दस बजे तक 24 घंटे का एकमात्र मील लेना, फिर पूरा दिन कामकाज के लिए खाली मिल जाता है।
लेकिन इसमें सबसे बड़ी समस्या यह आती है कि चूंकि मील लेने के पहले पांच घंटे जमकर व्यायाम किया गया होता है, फिर मील के बाद पूरा दिन कुछ न कुछ शारीरिक सक्रियता बनी रहती है। तो सुबह शौच नहीं आती है, शौच मील के बाद आती है, जो मील के बाद पंद्रह से एक घंटे बाद की कोई भी टाइमिंग हो सकती है। (यह कैनबरा का एक साल का अनुभव रहा है)।
चूंकि केवल एक मील ही लेता हूं, इसलिए मील बड़ा होता है, इसलिए छोटी आंत कुछ घंटों के लिए उभरी हुई दीखती है। विसरल फैट नगण्य होने के कारण मील के बाद कुछ घंटो का यह उभार स्पष्ट दिखाई देता है।
—————
शाम को एकमात्र मील लेने के नियम में —
दोपहर लगभग बारह/एक बजे व्यायाम शुरू करके शाम को पांच/छः तक व्यायाम करना। छः/सात बजे मील लेना। मील के बाद लगभग चार घंटे तक शारीरिक रूप से सक्रिय रहना, फिर सोना। पूरा दिन लाक हो जाता है, व्यवहारिक नहीं।
चूंकि शाम को मील लिया जाता है, फिर रात में सोना होता है तो सुबह जागने के बाद शौच आती है। मील के कारण छोटी आंत में आया उभार सुबह जागने तक समाप्त हो चुका होता है।
शाम के एक मील की टाइमिंग निश्चित करना संभव नहीं, क्योंकि भारत में अधिकतर लोगों का शाम के भोजन का रूटीन बहुत ही अधिक अनिश्चित रहता है।
—————
मैंने कुछ दिन पहले इस संदर्भ में विचार करना शुरू किया कि स्वास्थ्य के संदर्भ में 24 घंटे का एकमात्र मील सुबह या शाम में किस समय लेना बेहतर व व्यवहारिक रहेगा। मैं अभी तक यह तय नहीं पाया हूं कि भारत में 24 घंटे में एकमात्र मील सुबह लिया जाए या शाम को लिया जाए। लेकिन झुकाव सुबह के मील की ओर है, इसलिए संभव है कि 24 घंटे का एकमात्र मील शाम की बजाय सुबह लेना शुरू कर दूं, जैसा कि कैनबरा में करता था।
_____
विवेक

फोटो में कई मित्र ऐसे हैं जिन्होंने कई तालाबों को पुनर्जीवित किया है। संघर्ष करके करोड़ों की लागत की अच्छी सड़कें बनवाईं...
19/07/2024

फोटो में कई मित्र ऐसे हैं जिन्होंने कई तालाबों को पुनर्जीवित किया है। संघर्ष करके करोड़ों की लागत की अच्छी सड़कें बनवाईं हैं। सामाजिक व जीवन मूल्यों को जीने का प्रयास करते हैं।
एक अच्छा विद्यालय स्थापित करने की योजना बन रही है। एक दो साथी जमीन देने को तैयार हैं। यह मेरा सौभाग्य है कि विद्यालय स्थापित करने की योजना में मुझे भी पथबंधु के रूप में स्वीकार कर रहे हैं। विद्यालय स्थापित करने व प्रतिष्ठित करने में आपके सहयोग की अपेक्षा रहेगी।
कुर्ता पायजामा पहने मित्र निसार जी हैं, काशी के रहने वाले हैं, लेकिन गोरखपुर में सरकार के साथ प्रबंधक स्तर पर काम करते हैं, गोरखपुर से चलकर हम लोगों से मुलाकात करने आए, हम सभी से इनकी पहली मुलाकात थी। कई प्रकार के स्वादिष्ट फल लाए (अमरूद भी लाए)।
_____
विवेक

बचपन में आम के पेड़ों पर चढ़ना उतरना होता था, खेल खेलता था। तब से अब आज आम के पेड़ पर चढ़ा (बिना किसी का सहयोग लिए चढ़ा)...
18/07/2024

बचपन में आम के पेड़ों पर चढ़ना उतरना होता था, खेल खेलता था। तब से अब आज आम के पेड़ पर चढ़ा (बिना किसी का सहयोग लिए चढ़ा)। देशी आम का यह पेड़ ऐसी प्रजाति का है जो अगस्त तक फल देता है। अभी इस पेड़ के आम कच्चे हैं, पके नहीं हैं।
देवब्रत भाई ने नियम बना रखा है कि उनके बाग में पेड़ से आम तोड़े नहीं जाएंगे, जो अपने आप गिरेंगे वही खाए जाएंगे।
इनके बाग के लगभग हर एक पेड़ पर हजारों आम लगे हुए हैं।
_____
विवेक

बांसगांव (गोराखपुर) आने के अगली सुबह से ही मैं दो दिन सादे पानी पर रहा। उसके बाद देवब्रत भाई ने कुछ स्थानीय मित्रों के ल...
17/07/2024

बांसगांव (गोराखपुर) आने के अगली सुबह से ही मैं दो दिन सादे पानी पर रहा। उसके बाद देवब्रत भाई ने कुछ स्थानीय मित्रों के लिए देशी भोज का आयोजन किया। लगभग बीस लोगों ने भोज का आनंद लिया।
लिट्टी व देशी घी,
चोखा,
परवल का चोखा,
दाल,
खीर,
रबड़ी-खोया।
देवब्रत भाई के घर में चार गाएं हैं, कुछ दिनों में गायों की संख्या बढ़ने वाली है।
_____
विवेक

हम इनके दद्दू हैं, हमारी बिटिया हैं, नाम संस्कृति है, जैसा नाम है वैसा ही इनका व्यक्तित्व है। बहुत ही अधिक हसमुख, ऊर्जाव...
12/07/2024

हम इनके दद्दू हैं, हमारी बिटिया हैं, नाम संस्कृति है, जैसा नाम है वैसा ही इनका व्यक्तित्व है। बहुत ही अधिक हसमुख, ऊर्जावान, परिश्रमी, तेज-दिमाग हैं। उम्र महज आठ वर्ष। मुझसे तीन दिन छोटे भाई की सुपुत्री हैै।
संस्कृति का घर गांव में है लेकिन घर में इतनी सुविधाएं हैं जो बड़े शहरों में रहने वाले बहुत लोगों के घरों में नहीं होंगी। घर में एसी है, फ्रिज है, कूलर है, मिक्सर है, ओवन है, माइक्रोवेव है, आटोमैटिक वाशिंग मशीन है, पानी की टंकियां हैं। स्मार्ट टीवी है। इंटरनेट है। घर में कई बाथरूम हैं। वेस्टर्न व इंडियन दोनों तरह के कमोड हैं। जनरेटर है।
दूध दही पनीर इत्यादि के लिए भैंस है। घर की चहारदीवारी के अंदर कई प्रकार के पेड़ पौधे हैं।
छोटा भाई मेहनती है, बहुत अच्छी आय है, जितना मेट्रो शहरों में रहने वाले हाई-पेड प्रोफेशनल कमाते हैं, उनसे अधिक ग्रामीण इलाके में रहते हुए कमा लेता है।
_______
उम्र महज आठ वर्ष है लेकिन संस्कृति ने मुझसे कुछ बातें ऐसी कहीं कि मैं दंग रह गया। कहती है दद्दू मुझे समझ नहीं आता कि लोग शहर में क्यों रहना चाहते हैं, मुझे शहर पसंद नहीं आता, लोग छोटे-छोटे घरों में रहते हैं किच-किच में रहते हैं। जैसे स्कूल शहरों में हैं, वैसा ही स्कूल मेरा है। बड़ा घर है, पेड़ पौधे हैं, जैसे मर्जी वैसे खेलो कूदो, घूमो-फिरो। पानी बरसने पर कीचड़ नहीं। अच्छी हवा चलती है, घुटन नहीं होती है। और भी बहुत बताने के बाद कहती है, दद्दू मुझे शहर की तुलना में गांव बहुत अधिक अच्छा लगता है।
मुझे नहीं पता कि संस्कृति की बात के जवाब में मैंने जो कहा उसे वह समझ पाई या नहीं, लेकिन मैंने जो कहा वह निम्न है —
बिटिया विकास के नाम पर हमने गांवों को छोटे शहर के रूप में बदलने का प्रयास किया है, जबकि हमें शहरों को बड़े गांवों के रूप में बदलने का प्रयास करना चाहिए था। दूरदृष्टि के अभाव में हमसे यहीं बहुत बड़ी चूक हो गई, यह चूक इतनी बड़ी रही कि अब इस मानसिकता से वापस लौटना असंभव सा है।
_______
संस्कृति के पास एक-दो दिन रहने के बाद जब मैं वापस लौट रहा था तब मैंने संस्कृति को हजार रुपए देने चाहे तो उसने साफ मना कर दिया, बोली दद्दू पैसे नहीं चाहिए, पैसों का मैं क्या करूंगी। मैंने कहा कि चाकलेट आइसक्रीम इत्यादि कुछ खा लेना, बोली यह सब तो मैं खाती ही रहती हूं, मन भरा रहता है इन सबसे। मुझे आप पैसे नहीं दीजिए, आप घूमते रहते हैं, तो आपको बच्चों के लिए अच्छी किताबें मिलतीं होंगी, आप लेखक हैं, आपको पता भी होगा कि बच्चों के लिए कौन सी किताबें बढ़िया हैं, तो आप मुझे पैसे नहीं दीजिए किताबें दीजिए।
छोटे भाई को बच्चों में अच्छे संस्कार व समझ का भ्रूण विकसित करने के लिए बहुत-बहुत बधाई, ढेरों शुभकामनाएं।
_____
विवेक
संस्कृति का दद्दू

प्रोफेसर एच.सी वर्मा जी आईआईटी कानपुर में भौतिकी के प्रोफेसर रहे, इसके पहले पटना साइंस कालेज में भौतिकी के प्रोफेसर रहे ...
09/07/2024

प्रोफेसर एच.सी वर्मा जी आईआईटी कानपुर में भौतिकी के प्रोफेसर रहे, इसके पहले पटना साइंस कालेज में भौतिकी के प्रोफेसर रहे थे। आईआईटी प्रवेश परीक्षा जेईई के अध्यक्ष भी रहे। समाज में योगदान करने के लिए समय के पहले आईआईटी से सेवानिवृत्ति ली (वीआरएस)। भारत सरकार से पद्मश्री सम्मान प्राप्त हैं।
पिछली बार लगभग दस साल पहले लंबे समय के लिए भारत से ऑस्ट्रेलिया जाने के पहले प्रोफेसर एच.सी.वर्मा जी के आईआईटी वाले सरकारी निवास, डुपलेक्स घर व प्रस्तावित आश्रम तीनों स्थानों में गया था।
लगभग दस साल पहले प्रस्तावित आश्रम में दो भवनों का निर्माण कार्य जारी था। एक गाय थी। पेड़-पौधों के नाम पर लगभग कुछ नहीं था। अभी कुछ दिन पहले प्रोफेसर साहब ने मुझे डिनर पर आमंत्रित किया। महज दस वर्षों में शून्य से इतना सुंदर आश्रम विकसित हो सकता है, यह देखकर मैं दंग रह गया।
आमों से लदे हुए पेड़। बेल लदे हुए पेड़। करौंदे व नींबू से लदे हुए पेड़। अनेक प्रकार की सब्जियां आश्रम में उगाईं जातीं हैं। कई गाएं। पूरा आश्रम अपने आप में विज्ञान की प्रयोगशाला है। ऊर्जा व पानी की अच्छी व्यवस्था।
प्रोफेसर साहब ने राष्ट्रीय स्तर पर विज्ञान के प्रति आम लोगों को जागरूक करने, शिक्षकों का प्रशिक्षण, वैज्ञानिक शोधार्थी लोगों का सहयोग, बच्चों के अंदर से विज्ञान का भय निकालने व विज्ञान के प्रति समझ विकसित करने इत्यादि-इत्यादि के अभियान के प्रति स्वयं को समर्पित कर रखा है।
आश्रम में पहुंचते-पहुंचते शाम हो चुकी थी। साथियों का लखनऊ में काम होने की वजह से रात में ही लखनऊ आना पड़ा, इसलिए कैंपस की फोटो नहीं ले पाया। अगली बार जब जाऊंगा तब कुछ दिन वहां रुकूंगा और अच्छी फोटो व वीडियो बनाऊंगा। प्रतिवर्ष कुछ दिन इस आश्रम के कामकाजों में योगदान करूंगा।
_____
विवेक उमराव

लखनऊ में नाना जी का लगभग चालीस हजार वर्ग फुट (40000 वर्ग फुट) क्षेत्रफल का फार्महाउस है। इस लगभग चालीस हजार वर्गफुट क्षे...
05/07/2024

लखनऊ में नाना जी का लगभग चालीस हजार वर्ग फुट (40000 वर्ग फुट) क्षेत्रफल का फार्महाउस है। इस लगभग चालीस हजार वर्गफुट क्षेत्रफल को दो भागों में बाटा गया है, इसमें लगभग तीस हजार वर्गफुट में आम का बाग है, तथा लगभग दस हजार वर्गफुट में घर बना हुआ है। मुख्य घर लखनऊ में गोमती नगर में है।
आज फार्महाउस में मामा जी से मिलने गया। मामा-मामी दोनों सरकारी नौकरी करते हैं। घर में जितने भी आम पड़े थे, चार-पांच छोड़ बाकी सब एक बोरे में भरकर साथ ले आया हूं, अब दो तीन दिन मैं और सहवासी लोग प्रतिदिन कई-कई किलो आम खाएंगे। एक वैराइटी आम की ऐसी है जिसके आमों की संख्या कम है लेकिन बहुत स्वादिष्ट, इसलिए हम लोगों में झगड़ा होने की संभावना है।
घर में अमरूद, बेल, आम, अमरख इत्यादि अनेक प्रकार के फलों के पेड़ हैं। अमरूद तो पेड़ पर लदे हुए थे, मैंने खूब अमरूद तोड़े और अपने साथ बांध लाया हूं। अमरूद व अमरूद की चटनी मुझे बहुत पसंद है। सिलबट्टा का इंतजाम यदि हो पाया तो अमरूद की चटनी खूब खाई जाएगी।
_____
विवेक उमराव

04/07/2024

आज से कुछ दिन लखनऊ में हूं। कल बुधवार से रविवार तक केवल पानी पर 90 घंटे (नब्बे घंटे) से अधिक समयावधि के लिए उपवास पर हूं। यदि आप लखनऊ में हैं और मिलना चाहते हैं तो अपना पता, संपर्क नंबर व परिचय दीजिए। संभव हो पाया तो आपके पास आने की कोशिश करूंगा। मेरे साथ मेरे एक मित्र होंगे।
आपको जैसी सुविधा हो वैसी जानकारी देने की कृपा कीजिएगा।
_____
विवेक

कानपुर वाली बड़की दीदी के यहां भी जाना हुआ। दीदी-जीजा के साथ घंटो लंबी गपशप हुई। शाम को स्वादिष्ट तरोई, पनीर की सब्जियों...
04/07/2024

कानपुर वाली बड़की दीदी के यहां भी जाना हुआ। दीदी-जीजा के साथ घंटो लंबी गपशप हुई। शाम को स्वादिष्ट तरोई, पनीर की सब्जियों, कई प्रकार के अचार, खीर, पूरी, कचौरी, आम, अनार इत्यादि का आनंद लिया।
कानपुर जैसे बड़े शहर में दीदी का 4000 वर्गफुट क्षेत्रफल का घर बड़े घरों की श्रेणी में रखा जा सकता है। दीदी के घर की सबसे खूबसूरत बात यह है कि कई प्रकार के फलों के पेड़ भी हैं। फोटो में जितने पेड़ दिख रहे हैं, वह कुल पेड़ों की संख्या के आधे से भी कम हैं, लेकिन फोटो में कवर नहीं हो पाए।
एक खूबसूरत लान भी निकाला गया है जिसमें बहुत ही अधिक मुलायम घास है। खाना खाकर इस लान में टहलने का अपना अलग ही आनंद है।
दीदी की बिटिया मतलब मेरी भांजी बहुप्रतिष्ठित एमएनसी कंपनी में अच्छे पद पर काम करती है, अच्छा वेतन पाती है। दीदी का बेटा मतलब मेरा भांजा सरकारी बैंक में अधिकारी है। शाम को जब भांजा अपने आफिस से काम करके वापस आया तब उसके साथ चुहुलबाजी भी हुई। भांजा-बहू से भी मुलाकात व गपशप हुई।
_____
विवेक उमराव

हमारे जीजा जी को महंगी गाड़ियों का बहुत शौक है, जबकि खुद गाड़ी कभी नहीं चलाते हैं, मौज ड्राइवरों की रहती है। अनेक बढ़िया...
29/06/2024

हमारे जीजा जी को महंगी गाड़ियों का बहुत शौक है, जबकि खुद गाड़ी कभी नहीं चलाते हैं, मौज ड्राइवरों की रहती है। अनेक बढ़िया गाड़ियों के मालिक हैं। गाड़ियों का शौक इतना है कि इनके इलाके में जिस माडल की लगभग दो साल की वेटिंग थी, उसको दूसरे राज्य में जाकर खरीदा।
चर्चा के दौरान यह तय हुआ कि जब कभी हम लोगों के पास समय होगा, तब इस गाड़ी में भारत भ्रमण के लिए निकला जाएगा।
(एक फोटो में बड़का भांजा भी साथ में है)
___
विवेक उमराव

24/06/2024

पहला महीना वेतन 10 हजार यदि काम पसंद आया तो एक महीने बाद से वेतन 15 हजार महीना।
घर के सदस्य की तरह रहना। रहने के लिए अच्छा कमरा, बिस्तर व अच्छा खाना।
———
काम —
घर की साफ-सफाई, खाना बनाना, बर्तन धोना, अतिथियों का सत्कार करना, वाशिंग मशीन में कपड़े धोना इत्यादि।
स्थान — लखनऊ, उत्तरप्रदेश।
———
यदि आपकी दृष्टि में कोई पुरुष जो आलसी नहीं हो, ईमानदार हो, विश्वसनीय हो। तो मध्यस्थ बनने की कृपा कीजिए।
_____
विवेक उमराव

लगभग दो हफ्ते ग्रेटर-नोएडा में छोटे भाई के यहां रहने व प्रेमपूर्ण पारिवारिक वातावरण का आनंद लेने के बाद, अब एक दूसरे शहर...
20/06/2024

लगभग दो हफ्ते ग्रेटर-नोएडा में छोटे भाई के यहां रहने व प्रेमपूर्ण पारिवारिक वातावरण का आनंद लेने के बाद, अब एक दूसरे शहर में दूसरे छोटे भाई के यहां पहुंच चुका हूं। हम दोनों एक ही कमरे में, किंग साइज बेड पर एक साथ सो रहे हैं।
छोटा भाई फक्कड़ है लेकिन शौकीन है। छोटे भाई जिस घर में रहते हैं वह दो-तीन मंजिला शानदार विला है, घर का अपना स्वीमिंग-पूल है, आधुनिक लिफ्ट है। छत पर असली घास वाला लान भी है, कई फुट गहरी मिट्टी पड़ी हुई है। अनेक कमरे हैं, हर कमरे में एसी लगा हुआ है, अटैच शानदार बाथरूम है। कई रसोईघर हैं। कई कमरों में टीवी लगी हुई हैं। घर के अंदर पोर्टिको के नीचे कई बड़ी कारें सरलता से खड़ी हो जाती हैं। घर तीन-सितारा, पांच-सितारा होटल का अहसास कराता है।
—————
मामला यहां फस रहा है कि छोटे भाई की जिद है कि मैं कम से कम एक साल इनके साथ रहूं। फसने का मामला कुछ निम्न है ———
छोटे भाई का कहना है कि आपके लिए सारा इंतजाम रहेगा, आप जो चाहें वह भोजन, तेजगति का वाई-फाई इंटरनेट, चलने के लिए अलग से एक शानदार कार, ड्राइवर, कार का ईंधन इत्यादि का पूरा व बढ़िया इंतजाम रहेगा। लिखाई-पढ़ाई व किताब लेखन के लिए कल ही शानदार कुर्सी मेज घर पर डिलीवर करवाई।
भाई की मैनूफैक्चरिंग कंपनी है। फैक्ट्री में भी लिखाई-पढ़ाई व किताब लेखन के लिए शानदार कुर्सी मेज का इंतजाम, आराम करने के लिए बिस्तर, तेज गति का इंटरनेट, किचेन व खानसामा इत्यादि का इंतजाम करने जा रहे हैं, ताकि यदि घर में रहते ऊब जाऊं तो फैक्ट्री में रहकर उबाऊपन कम कर सकता हूं।
_____
विवेक
जून 2024

भारत के कई प्रतिष्ठित राष्ट्रीय हिंदी दैनिक अखबारों में काम कर चुके तथा पंचायती राज व ग्रामीण विकास के लिए काम कर रहे, प...
18/06/2024

भारत के कई प्रतिष्ठित राष्ट्रीय हिंदी दैनिक अखबारों में काम कर चुके तथा पंचायती राज व ग्रामीण विकास के लिए काम कर रहे, पंचायत-खबर के संपादक संतोष सिंह उर्फ मगरुंआ भाई जी के साथ कई घंटे रहना हुआ। दिल्ली की सड़कों पर यहां वहां घूमते रहे।
पूर्व सांसद व चौथी दुनिया के संपादक संतोष भारतीय जी के साथ परिचय संवाद हुआ।
फोटो में बीच में संतोष भारतीय हैं, एक तरफ मैं व दूसरी तरफ गमछाधारी संतोष सिंह भाई।
_____
विवेक

मित्र महोदय टाइम्स आफ इंडिया ग्रुप में संपादक हैं, स्वास्थ्य व शिक्षा मुद्दों पर प्रतिबद्ध हैं। लगभग 4 घंटे इन मित्र महो...
13/06/2024

मित्र महोदय टाइम्स आफ इंडिया ग्रुप में संपादक हैं, स्वास्थ्य व शिक्षा मुद्दों पर प्रतिबद्ध हैं। लगभग 4 घंटे इन मित्र महोदय के साथ उनके घर व कार्यालय में रहा।
चूंकि मैं 24 घंटे में सिर्फ एक बार ही आहार लेता हूं, इसके अलावा सिर्फ सादा पानी व सेंधा नमक लेता हूं। इसलिए भाभी जी ने मेरे साथ चबेना बांध दिया, ताकि जब मेरे खाने का समय हो तब मैं खा सकूं।
ग्रेटर नोएडा में मैं जहां रुका हुआ हूं, वहां से इनके दिल्ली वाले घर की दूरी लगभग 60 किलोमीटर है। मेरा कोई बहाना काम नहीं आया, इन्होंने मेरे निवास से अपने घर तक ऊबर कैब बुक की, और फिर शाम को ऊबर कैब ने मुझे मेरे निवास तक छोड़ा।
मैंने यह वायदा किया कि मैं हेल्थ पर किताब पूरी करने के बाद, इनके घर में कुछ दिन साथ रहने आऊंगा।
मित्र महोदय व इनकी पत्नी दोनों लोग ही बहुत ही अधिक मिलनसार, सहृदय व बिना ढोंग के साफ हृदय के मनुष्य हैं। घर में गमलों में जैविक सब्जियां उगाते हैं। पूरा दिन इन लोगों के सानिध्य में बहुत ही खूबसूरत गुजरा। खूबसूरत दिन के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।
_____
विवेक उमराव

11/06/2024

निम्न चार विषयों पर चार किताबें दिसंबर 2024 तक पूरी करने की प्रतिबद्धता है। 2025 की शुरुआत में प्रकाशन होकर आप लोगों के हाथों में किताब आ जाने की संभावना है।
स्वास्थ्य
भारत का आर्थिक विकास
सामाजिक न्याय
पानी
_____
विवेक उमराव

पर्यावरण व पानी के मुद्दों पर देश भर के राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय जरनल/अखबारों में इनके लंबे लेख प्रकाशित होते रहते हैं। ...
09/06/2024

पर्यावरण व पानी के मुद्दों पर देश भर के राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय जरनल/अखबारों में इनके लंबे लेख प्रकाशित होते रहते हैं। अनेकों किताबें लिख चुके हैं। भारत सरकार के प्रतिष्ठान "नेशनल बुक ट्रस्ट" में संपादक रह चुके पंकज चतुर्वेदी दादा के घर में उनसे कई घंटे लंबी चर्चा हुई।
मैंने प्रतिवर्ष कम से कम दो सप्ताह इनके साथ रहकर पर्यावरण, पानी व किताब प्रकाशन मुद्दों पर इनके कामों में सहयोग करने का वायदा किया है। इनके कामों पर चर्चा आने वाले लेखों पर।
_____
विवेक उमराव
Pankaj Chaturvedi दा

थोड़ा कम लगभग एक दशक बाद इस हफ्ता भारत पहुंच चुका हूं। भारत में भी पहले दिन से रूटीन लगभग वैसा ही है जैसा कैनबरा में था।...
09/06/2024

थोड़ा कम लगभग एक दशक बाद इस हफ्ता भारत पहुंच चुका हूं। भारत में भी पहले दिन से रूटीन लगभग वैसा ही है जैसा कैनबरा में था। रोज सुबह लगभग 3 बजे जागता हूं। जिन मित्र महोदय के यहां हूं, उनका घर एक 25 फ्लोर के टावर में है। मित्र महोदय की जीवनसाथी छोटे बच्चों के लिए एक स्कूल संचालित करतीं हैं। मित्र महोदय स्नातक परास्नातक छात्रों को सरकारी नौकरियों की कंपटीशन की तैयारी करवाते हैं।
मैं रोज सुबह लगभग 4 बजे से 8 बजे तक। 25 फ्लोर का चढ़ना फिर उतरना, फिर चढ़ना फिर उतरना, फिर चढ़ना फिर उतरना, ऐसे करते हुए एक बार में बिना रुके हुए लगभग 300 फ्लोर चढ़ता हूं व 300 फ्लोर उतरता हूं। यह करते हुए 15-20 किलोमीटर की दूरी भी तय करता हूं। इसके अलावा दिन में कहीं भी जाना होता है तो प्रत्येक बार 18 फ्लोर चढ़ता उतरता हूं क्योंकि मित्र का घर जमीन से 18वें माले पर है, मैं लिफ्ट का प्रयोग नहीं करता हूं।
मित्र महोदय, उनकी जीवनसाथी, उनकी माता, उनका बच्चा मुझे बहुत प्रेम से अपने घर में रख रहे हैं। प्रतिदिन स्वादिष्ट व्यंजन बना कर खिला रहे हैं।
(फोटो में मित्र महोदय हैं, उनके मित्र महोदय हैं (यह महोदय कई करोड़ रुपए के टर्नओवर की फैक्ट्री के मालिक हैं, जीरो से करोड़ों रुपए का कामकाज खड़ा किया है, अभी उम्र 40 वर्ष भी नहीं है)।)
_____
विवेक

04/06/2024

दिसंबर 2020 से तीन वर्षों तक औसतन प्रतिदिन 7 से 8 घंटे विश्व की नामचीन यूनिवर्सिटियों में होने वाले वैज्ञानिक शोधों का अध्ययन किया, अब भी औसतन कई घंटे प्रतिदिन अध्ययन करता हूं। कई-कई सौ पृष्ठों के लंबे-लंबे कई सौ वैज्ञानिक शोधों का अध्ययन कर चुका हूं, अब भी करता हूं। शारीरिक स्वास्थ्य के संदर्भ में वैज्ञानिक समझ विकसित व परिष्कृत करने के लिए बहुत ही अधिक परिश्रम किया है व करता रहता हूं, ताकि सैकड़ों लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में अपना सक्रिय सहयोग कर पाऊं।
स्वास्थ्य के संदर्भ में लोगों को सलाहें देने के लिए प्रतिदिन कई घंटे बिना कोई फीस लिए हुए लोगों से चर्चा करता हूं। कई सौ लोगों का स्वास्थ्य बेहतर कर चुका हूं, इनमें से बहुत लोग तो बहुत ही अधिक बीमार शरीर की स्थिति वाले रहे हैं।
—————
24 घंटे में औसतन 5 घंटे सोता हूं, अपवाद छोड़ शायद ही कभी 6 घंटे या अधिक सोता होऊं।
24 घंटे में केवल एक बार ही आहार लेता हूं, इसके अलावा किसी प्रकार का कोई स्नैक्स नहीं, कोई नास्ता नहीं, कोई लंच/डिनर नहीं, चाय/काफी नहीं, सिगरेट नहीं पीता, दारू/बियर नहीं पीता।
औसतन एक आम व्यक्ति नास्ता, लंच, डिनर, स्नैक्स, चाय/काफी, दारू/बियर इत्यादि में ही प्रतिदिन का लगभग 2−4 घंटे का प्रयोग करता है (पकाने या बनाने में नहीं, केवल ग्रहण करने की प्रक्रिया में)। मैं प्रतिदिन का औसतन 3 घंटे का समय यहां बचाता हूं।
औसतन लगभग 5 घंटे सोता हूं, जबकि औसतन एक आम व्यक्ति 8−10 घंटे सोता है। मैं प्रतिदिन का औसतन 3−5 घंटे का समय यहां बचाता हूं।
एक भी ऐसा मित्र नहीं है जिसके साथ बैठकर फालतू में गप्पबाजी करने में समय बर्बाद करता होऊं।
शरीर इतना फिट है कि भोजन करने के तुरंत बाद कम से कम घंटा भर पैदल चलता हूं। भोजन के बाद आलस्य नहीं आता। दिन में उनींदापन नहीं रहता। फुर्ती व ताजगी से काम करता हूं। काम करने की दक्षता बहुत बेहतर है।
—————
एक छोटी सी लेकिन गंभीर बात यह है कि मैं प्रतिदिन के 24 घंटे में लगभग 5−6 घंटे का समय तो भोजन व सोने से ही बचा लेता हूं। इस समय का प्रयोग यदि मैं एक्सरसाइज करने, डंबल करने, पैदल चलने, साइकिलिंग करने इत्यादि में करता हूं तो किसकी भैंस खोलता हूं।
लेकिन यह छोटी सी तर्कसंगत बात भी नीच, टुच्ची, धूर्त, मनोवैज्ञानिक बीमार, छिछली मानसिकता वाले, घटिया सोच वाले लोगों की समझ में बिलकुल भी नहीं आने वाली। नीचता व धूर्तता से परे इनकी कल्पनाशक्ति विचारशक्ति काम ही नहीं करती है।

फालतू में प्रतिदिन अनेक घंटे बर्बाद करेंगे, लेकिन यदि कोई व्यक्ति फालतू समय नहीं खर्च करके जवाबदेही महसूस करते हुए समय का कुशलता से प्रबंधन करते हुए शारीरिक स्वास्थ्य के लिए कुछ घंटे का समय निकालता है तो इन जैसे लोगों को लगता है कि अगला पलाल है। इनकी नीच मानसिकता इनको अच्छा सीखने व करने से प्रतिबंधित करती है, इसलिए अपनी नीचता को ही गौरव मानकर जीते हैं।
यह बिलकुल उसी तरह की बात है कि क्लाईमेट-चेंज, पर्यावरण पर फर्जी ज्ञान बघारेंगे लेकिन इस संदर्भ में जीवन में एक भी गंभीर काम/प्रयास निरंतरता से नहीं किए होंगे। उल्टे जो लोग गंभीर प्रयास करते हैं उनकी खिल्ली उड़ाएंगे, मीनमेख निकालेंगे। नीचता की कोई सीमा नहीं इन जैसी मानसिकता वालों की।
___
विवेक

31/05/2024

मुझे बहुत लोगों ने सुझाव दिया कि मैं अपना यूट्यूब चैनल ऐसे चलाऊं, वैसे चलाऊं। मैंने अपने जीवन में कभी भी पैसा, शक्ति, भोकाल व अहंकार इत्यादि की प्राथमिकता के लिए कभी न तो कार्य किया, न प्राथमिकता रखी, न ही कोई छुपा हुआ एजेंडा रखा। जब तक जीवन है तब तक जीवन-मूल्यों के आधार पर जीते रहना चाहता हूं। ढोंग नहीं करना चाहता, मैनीपुलेशन नहीं करना चाहता।
मेरा यूट्यूब चैनल आम लोगों से आर्थिक-विकास, सामाजिकता, उन्नति व सामाजिक समाधान इत्यादि मुद्दों पर उनकी अपनी जो समझ, सोच व कल्पना होगी उस आधार पर चर्चा करने के आधार पर होगा। आम लोगों द्वारा जमीन पर किए जा रहे जमीनी कार्यों के आधार पर होगा।
बिना दिखावा, बिना ढोंग, बिना फरेब के आम आदमी की मौलिकता के आधार पर होगा। कांटछांट इत्यादि भी नगण्य रहेगी।
आम लोगों से आर्थिक-विकास, सामाजिकता, उन्नति व सामाजिक समाधान इत्यादि मुद्दों पर छोटी-छोटी से लेकर बड़ी-बड़ी बातों पर चर्चा की जाएगी। अधिकतर ग्रामीण व मजदूर परिवेश के लोगों से चर्चा पर आधारित रहेगी।
अब रही बार पाठकों की तो जिन लोगों को देखना होगा देखेंगे, जिनको नहीं देखना होगा नहीं देखेंगे। कोई मुजरा थोड़ी ना है कि पाठकों को खुश करने के लिए उनकी पसंद के ठुमके लगाए जाएंगे।
आज गूगल मीट होनी है *पंचायत स्वायत्त शासन* पर —
भारत समय अनुसार सुबह 7:00 बजे से
गूगल मीटिंग कोड:
sfi-mwfj-emq
_____
विवेक उमराव

30/05/2024

*पंचायत स्वायत्त-शासन*
विषय पर शनिवार मतलब कल 1 जून को भारत समय अनुसार सुबह 7:00 बजे गूगल मीट होनी है। आप सादर व सप्रेम आमंत्रित हैं। आशा है कि आप भूल नहीं गए होंगे।
गूगल-मीट का कोड निम्न है।
sfi-mwfj-emq
कुछ महीने बाद भारत में 7 दिनों की एक गोष्ठी भी आयोजित की जाएगी, जिसमें देश के कई राज्यों से जमीन पर काम करने वाले विशेषज्ञों को आमंत्रित करके उनके साथ पंचायत स्वायत्त-शासन विषय पर व्यवहारिक चर्चा होगी। अतिथियों की अधिकतम संख्या 20 होगी। गोष्ठी में आने वाले अतिथियों को रहने खाने का खर्च नहीं देना होगा, भाग लेने की कोई फीस नहीं होगी। हां यदि कोई स्वेच्छा से आर्थिक सहयोग करना चाहे तो सहयोग का स्वागत रहेगा।
*सात (7) दिनों की इस गोष्ठी का आयोजन होने की बड़ी संभावना मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ जिले के सुरम्य प्राकृतिक वातावरण व आदिवासी क्षेत्र में है। पक्की व बेहतर जानकारी आयोजन के लगभग दो महीने पहले प्रस्तुत की जाएगी।*
_____
विवेक उमराव

28/05/2024

भारत में बहुत गर्मी पड़ रही है, पिछले आठ-दस वर्षों में मेरा कैनबरा की ठंड में शरीर जैसा ढल गया है, उसके अनुसार भारत में जनवरी महीने की सर्दी भी मेरे शरीर के लिए गर्मी का मौसम ही है। इसलिए भारत आने के पहले एहतियातन कुछ बदलाव शुरू किए हैं ताकि जब भारत पहुंचू तब कुछ महीनों बाद खून की जांच के द्वारा यह देख सकूं कि बेहतर क्या रहेगा। गर्मी को देखते हुए अभी जो बदलाव किए हैं, वह निम्न हैं। यदि कुछ महीने बाद खून की जांच में परिणाम खराब नहीं आएंगे तो बदलाव स्थाई रहेंगे, नहीं तो बदलाव वापस।
मैं अब सुबह की बजाय शाम को भोजन करना शुरू कर चुका हूं। चूंकि 24 घंटे में केवल एक बार ही खाता हूं, इसलिए अधिक मात्रा में खाता हूं, दिन में बहुत गर्मी पड़ने के कारण अधिक मात्रा में भोजन करने के कारण दिन में मजा नहीं आएगा। इसलिए शरीर को तैयार करने के लिए भारत पहुंचने के पहले ही सुबह की बजाय शाम को भोजन करना शुरू किया है, शाम को गर्म कुछ कम रहती है। भोजन के बाद लगभग दो घंटे पैदल चलूंगा। भोजन करने के लगभग चार-पांच घंटे बाद सोऊंगा।
सुबह तीन-चार घंटे का व्यायाम जारी रहेगा। पूरा दिन केवल सादा पानी पिऊंगा। सादे पानी के अलावा कुछ भी खाना या पीना का काम केवल शाम को होगा।
—————
केवल सादे पानी पर नियतकालिक उपवास की अवधि अब स्थाई तौर पर 75 घंटे की बजाय 90 घंटे हुआ करेगी। यह अब जारी रहेगा चाहे 24 घंटे में एक बार भोजन सुबह किया जाए या शाम को किया जाए।
_____
विवेक उमराव

26/05/2024

*पंचायत स्वायत्त-शासन*
विषय पर शनिवार 1 जून को भारत समय अनुसार सुबह 7:00 बजे गूगल मीट होनी है। आप सादर व सप्रेम आमंत्रित हैं।
गूगल-मीट का कोड निम्न है।
sfi-mwfj-emq
कुछ महीने बाद भारत में 7 दिनों की एक गोष्ठी भी आयोजित की जाएगी, जिसमें देश के कई राज्यों से जमीन पर काम करने वाले विशेषज्ञों को आमंत्रित करके उनके साथ पंचायत स्वायत्त-शासन विषय पर व्यवहारिक चर्चा होगी। अतिथियों की अधिकतम संख्या 20 होगी। गोष्ठी में आने वाले अतिथियों को रहने खाने का खर्च नहीं देना होगा, भाग लेने की कोई फीस नहीं होगी। हां यदि कोई स्वेच्छा से आर्थिक सहयोग करना चाहे तो सहयोग का स्वागत रहेगा।
_____
विवेक उमराव

22/05/2024

अमूमन हम लोग जो रूटीन में स्थापित है या प्रतिष्ठित है, उसे ही सही मानकर चलते हैं। इसी प्रकार का एक मामला है − पानी बचाने का। मैं अपने बचपन से देख रहा हूं कि पानी बचाने की बात की जाती है, प्रचार किया जाता है। जब तक मुझे पानी, विकास, आर्थिक-विकास, स्वास्थ्य इत्यादि के संदर्भ में गहरी समझ नहीं थी, इनकी संपूरक-पारस्परिकता की समझ नहीं थी। तब तक मैं भी मानता था कि पानी बचाना ही एकमात्र तरीका है।
लेकिन जब मेरी समझ बढ़ी, तब मैंने इस विचार पर पहुंचा कि पानी बचाना अच्छी बात है, किसी भी वस्तु का दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए सो पानी का भी नहीं किया जाना चाहिए।
लेकिन यदि हम वास्तव में ईमानदार व गंभीर हैं अपने व अपनी अगली पीढ़ी के जीवन के लिए, यदि हम वास्तव में ईमानदार व गंभीर हैं पर्यावरण व क्लाईमेट के लिए तो हमें सर्वोच्च प्राथमिकता पानी के उत्पादन को देना चाहिए उसके बाद दूसरी प्राथमिकता पानी बचाने को। पानी बचाने के नारों के चक्कर में हम इस मानसिकता में रहते हैं कि पानी का उत्पादन नहीं किया जा सकता है। जबकि प्रकृति ने ऐसी व्यवस्थाएं दी हैं कि हम पानी का उत्पादन कर सकते हैं।
पेड़, जंगल, मिट्टी, वर्षा-जल, नदी, झील, पोखर इत्यादि को संपूरक-पारस्परिकता के साथ जानने समझने पहचानने के द्वारा ही पानी के उत्पादन की ओर बढ़ा जा सकता है। इसके लिए हमें वास्तविक अर्थों में बिना ढोंगबाजी के, बिना किसी निहित-स्वार्थ या स्वकेंद्रित एजेंडे के इन तत्वों को जानना समझना होगा।
पानी बचाए जाने से अधिक पानी का उत्पादन करना महत्वपूर्ण है। इसी द्वारा पानी समाधान की ओर चला जा सकता है।
_____
विवेक उमराव

यदि आप बनारस में रहते हों तो BHU के हृदय विभाग में जाकर प्रोफेसर डा० ओमशंकर जी (Om Shankar) द्वारा चलाए जा रहे पब्लिक-हे...
21/05/2024

यदि आप बनारस में रहते हों तो BHU के हृदय विभाग में जाकर प्रोफेसर डा० ओमशंकर जी (Om Shankar) द्वारा चलाए जा रहे पब्लिक-हेल्थ-सिस्टम को जवाबदेह बनाने के संघर्ष में अपना समर्थन/भागीदारी सुनिश्चित कीजिए। यदि आप बनारस में नहीं रहते हों, तो सोशल मीडिया के माध्यम से या मीडिया के माध्यम से इनके द्वारा चलाए जा रहे पब्लिक-हेल्थ-सिस्टम को जवाबदेह बनाने के संघर्ष में अपना समर्थन/भागीदारी सुनिश्चित कीजिए।
प्रोफेसर डा० ओमशंकर जी, भारत देश के चुनिंदा हृदय विशेषज्ञों में आते हैं। बहुत ही अधिक विद्वान हैं, चिकित्सा क्षेत्र में पीएचडी से भी ऊंची डिग्री प्राप्त किए हुए हैं, वह भी तब जब पूरे भारत में 10-20 सीटें हुआ करतीं थीं।
भारत देश के उन चुनिंदा व्यक्तित्वों में से आते हैं, जो भारत में पब्लिक-हेल्थ-सिस्टम को आम लोगों के प्रति जवाबदेह बनाने की प्रबल इच्छा रखते हैं। इस संदर्भ में जमीन पर उतर कर संघर्ष करते रहते हैं।
10 दिन से अधिक गुजर चुके हैं, आमरण-उपवास पर हैं। पानी छोड़कर कुछ भी नहीं खा पी रहे हैं। 10 दिन से अधिक समय से आमरण उपवास पर रहने के बावजूद, मरीजों की देखभाल कर रहे हैं। आमरण-उपवास कर रहे हैं, इसलिए घर नहीं जा रहे हैं, इसलिए मरीजों की देखभाल करने की अवधि सामान्य दिनों की तुलना में बढ़ा दी है, और वास्तव में प्रतिदिन बीस घंटे या अधिक मरीजों की सेवा में तत्पर हैं।
___
विवेक

Address

Canberra, ACT

Telephone

+61401422095

Website

https://groups.google.com/a/groundreportmedia.com/g/groundreportindia/, https://groups

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when groundreportindia.org posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Contact The Business

Send a message to groundreportindia.org:

Videos

Share


Other News & Media Websites in Canberra

Show All