05/06/2024
प्रकृति-राग के कवि और एकल साहित्यिक-कार्यशाला थे आचार्य कलक्टर सिंह केसरी /
जयंती पर साहित्य सम्मेलन में आयोजित हुआ कवि-सम्मेलन, दी गयी श्रद्धांजलि ।
पटना, ५ जून। प्रकृति के मुग्धकारी रूप और सुषमा को काव्य में पिरोनेवाले कृतात्मा कवि कलक्टर सिंह 'केसरी' पिछली पीढ़ी के एक ऐसे कवि और विद्वान आचार्य थे, जिन्हें 'प्रकृति-राग' का अमर गायक माना जाता है। आधुनिक हिन्दी के काव्य-इतिहास में केसरी जी छायावाद और उत्तर-छायावाद के मिलन-बिन्दु हैं और उनकी मनोहारी काव्य में, इन दोनों ही युगों की मधुरतम झंकार सुनाई देती है। वे एक सम्मोहक कवि ही नही, एक महान शिक्षाविद, साहित्यिक और सांस्कृतिक महोत्सवों के यशस्वी संयोजक-आयोजक और स्वयं में साहित्यिक कार्यशाला थे।
यह बातें बुधवार को बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में आयोजित जयंती-समारोह और कवि-सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। उन्होंने कहा कि केसरी जी समस्तीपुर महाविद्यालय के संस्थापक प्राचार्य और विश्वविद्यालय सेवा आयोग के सदस्य और फिर अध्यक्ष के रूप में अपनी प्रशासकीय निपुणता का भी परितोषप्रद परिचय दिया। बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन' के भी दो बार अध्यक्ष निर्वाचित हुए। वे सच्चे अर्थों में हिन्दी साहित्य के विशाल मंदिर के दिप्तिमान 'स्वर्ण-कलश' थे, जिन पर बिहार को सदा गौरव रहेगा।
आरंभ में अतिथियों का स्वागत करते हुए, सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा शंकर प्रसाद ने कहा कि केसरी जी की कविताओं से हम जैसे लोगों को साहित्य का संस्कार प्राप्त हुआ है। उनकी कोमलकांत रचनाएँ मन को स्पर्श करती हैं। उनका साहित्यिक व्यक्तित्व बहुत विराट था।
वरिष्ठ साहित्यकार और भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी बच्चा ठाकुर, सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा मधु वर्मा, ई आनन्द किशोर मिश्र,अवध बिहारी सिंह और कृष्ण रंजन सिंह ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
इस अवसर पर आयोजित कवि-सम्मेलन का आरंभ चंदा मिश्र ने वाणी-वंदना से किया। वरिष्ठ कवि प्रो सुनील कुमार उपाध्याय, कुमार अनुपम, कुमारी लता प्रासर, डा नीतू चौहान, जय प्रकाश पुजारी, ई अशोक कुमार, डा सुषमा कुमारी, नीता सहाय, कमल किशोर 'कमल' , डा समरेंद्र नारायण आर्य आदि कवियों और कवयित्रियों ने अपनी सुमधुर रचनाओं से, विश्व-पर्यावरण-दिवस पर, प्रकृति-राग के इस महान कवि को काव्यांजलि अर्पित की। मंच का संचालन कवि ब्रह्मानन्द पाण्डेय ने किया।
डा चंद्र शेखर आज़ाद, डा पंकज कुमार सिंह, प्रो राम ईश्वर पण्डित, मो फ़हीम, प्रेम प्रकाश, नन्दन कुमार मीत, रमेश सिंह, सिकंदरे आज़म, दिगम्बर जायसवाल, राहूल कुमार आदि काव्य-प्रेमी श्रोता उपस्थित थे।