Nation Republic News

Nation Republic News नेशन रिपब्लिक न्यूज़ में आपका स्वागत है। पेज को लाइक करे और हमेशा ताजा खबरों के साथ अपडेट रहे ,,,,,,,,,,,
(15)

प्रकृति-राग के कवि और एकल साहित्यिक-कार्यशाला थे आचार्य कलक्टर सिंह केसरी /जयंती पर साहित्य सम्मेलन में आयोजित हुआ कवि-स...
05/06/2024

प्रकृति-राग के कवि और एकल साहित्यिक-कार्यशाला थे आचार्य कलक्टर सिंह केसरी /
जयंती पर साहित्य सम्मेलन में आयोजित हुआ कवि-सम्मेलन, दी गयी श्रद्धांजलि ।

पटना, ५ जून। प्रकृति के मुग्धकारी रूप और सुषमा को काव्य में पिरोनेवाले कृतात्मा कवि कलक्टर सिंह 'केसरी' पिछली पीढ़ी के एक ऐसे कवि और विद्वान आचार्य थे, जिन्हें 'प्रकृति-राग' का अमर गायक माना जाता है। आधुनिक हिन्दी के काव्य-इतिहास में केसरी जी छायावाद और उत्तर-छायावाद के मिलन-बिन्दु हैं और उनकी मनोहारी काव्य में, इन दोनों ही युगों की मधुरतम झंकार सुनाई देती है। वे एक सम्मोहक कवि ही नही, एक महान शिक्षाविद, साहित्यिक और सांस्कृतिक महोत्सवों के यशस्वी संयोजक-आयोजक और स्वयं में साहित्यिक कार्यशाला थे।
यह बातें बुधवार को बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में आयोजित जयंती-समारोह और कवि-सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। उन्होंने कहा कि केसरी जी समस्तीपुर महाविद्यालय के संस्थापक प्राचार्य और विश्वविद्यालय सेवा आयोग के सदस्य और फिर अध्यक्ष के रूप में अपनी प्रशासकीय निपुणता का भी परितोषप्रद परिचय दिया। बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन' के भी दो बार अध्यक्ष निर्वाचित हुए। वे सच्चे अर्थों में हिन्दी साहित्य के विशाल मंदिर के दिप्तिमान 'स्वर्ण-कलश' थे, जिन पर बिहार को सदा गौरव रहेगा।
आरंभ में अतिथियों का स्वागत करते हुए, सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा शंकर प्रसाद ने कहा कि केसरी जी की कविताओं से हम जैसे लोगों को साहित्य का संस्कार प्राप्त हुआ है। उनकी कोमलकांत रचनाएँ मन को स्पर्श करती हैं। उनका साहित्यिक व्यक्तित्व बहुत विराट था।
वरिष्ठ साहित्यकार और भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी बच्चा ठाकुर, सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा मधु वर्मा, ई आनन्द किशोर मिश्र,अवध बिहारी सिंह और कृष्ण रंजन सिंह ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
इस अवसर पर आयोजित कवि-सम्मेलन का आरंभ चंदा मिश्र ने वाणी-वंदना से किया। वरिष्ठ कवि प्रो सुनील कुमार उपाध्याय, कुमार अनुपम, कुमारी लता प्रासर, डा नीतू चौहान, जय प्रकाश पुजारी, ई अशोक कुमार, डा सुषमा कुमारी, नीता सहाय, कमल किशोर 'कमल' , डा समरेंद्र नारायण आर्य आदि कवियों और कवयित्रियों ने अपनी सुमधुर रचनाओं से, विश्व-पर्यावरण-दिवस पर, प्रकृति-राग के इस महान कवि को काव्यांजलि अर्पित की। मंच का संचालन कवि ब्रह्मानन्द पाण्डेय ने किया।
डा चंद्र शेखर आज़ाद, डा पंकज कुमार सिंह, प्रो राम ईश्वर पण्डित, मो फ़हीम, प्रेम प्रकाश, नन्दन कुमार मीत, रमेश सिंह, सिकंदरे आज़म, दिगम्बर जायसवाल, राहूल कुमार आदि काव्य-प्रेमी श्रोता उपस्थित थे।

साहित्य को साधने में अपना सारा प्राण लगाने वाले लेखक हैं श्रीकांत व्यास/ व्यक्तित्व और कृतित्व पर केंद्रित पुस्तक का साह...
02/06/2024

साहित्य को साधने में अपना सारा प्राण लगाने वाले लेखक हैं श्रीकांत व्यास/
व्यक्तित्व और कृतित्व पर केंद्रित पुस्तक का साहित्य सम्मेलन में हुआ लोकार्पण, आयोजित हुई लघुकथा-गोष्ठी ।

पटना, २ जून। परिपक्व हो रही पीढ़ी में, जिन लेखकों ने अपनी कठोर साधना से पाठकों का ध्यान अपनी ओर खींचा है, उनमें श्रीकांत व्यास एक उल्लेखनीय नाम है। साधना में कोई बाधा न पड़े, इसलिए व्यास जी ने विवाह तक नहीं किया। लगभग ३० वर्ष के अपने साहित्यिक-जीवन में, कथा-साहित्य, नाट्य-साहित्य और व्यंग्य-साहित्य में इन्होंने एक सार्थक स्थान बनाया है।
यह बातें रविवार को साहित्य सम्मेलन में आयोजित, श्री व्यास की ५० पूर्ति पर, उन पर केंद्रित पुस्तक 'समकालीन साहित्यकारों की दृष्टि में श्रीकांत व्यास' के लोकार्पण-समारोह एवं लघुकथा-गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। उन्होंने कहा कि व्यास जी एक भोले लेखक हैं। इनके मन में जो भी विचार आते हैं, उनमे कुछ भी लपेटे विना, उसी रूप में व्यक्त करते चलते हैं। इसलिए भले ही इनकी रचनाओं में चिकनाई नहीं मिले और खुरदरापन दिखाई दे, किंतु ये खरी-खरी और सीधी-सीधी बात कहते हैं। ऐसे लेखकों को उनका मूल्य देर से किंतु पर्याप्त मिलता है।
समारोह का उद्घाटन करते हुए राज्य उपभोक्ता संरक्षण आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति संजय कुमार ने कहा कि लोकार्पित पुस्तक से लेखक श्रीकांत व्यास के व्यापक साहित्यिक अवदान का पता चलता है। इस तरह की पुस्तकें समकालीन साहित्यकारों के अवदानों से समाज को परिचित कराती हैं, जो अत्यंत आवश्यक है।
दूरदर्शन बिहार के कार्यक्रम-प्रमुख डा राज कुमार नाहर ने कहा कि पुस्तक के संपादक बलराम प्रसाद सिंह साधुवाद के पत्र हैं, जिन्होंने श्रम पूर्वक विभिन्न साहित्यकारों से संस्मरणात्मक आलेख प्राप्त किया। श्री व्यास के पचास वर्ष पूरे होने पर दिया गया एक बड़ा उपहार है।
आरंभ में अतिथियों का स्वागत करते हुए, सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा शंकर प्रसाद ने कहा कि व्यास जी एक घुम्मकड़ लेखक हैं। नगर में प्रायः ही पदयात्रा करते दिख जाते हैं। लगातार लिख रहे हैं। इनकी अनेक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।
श्री व्यास ने कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए पुस्तक के संपादक और उन २१ साहित्यकारों के प्रति आभार प्रकट किया, जिनके आलेख इस पुस्तक में संकलित हुए हैं।
भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी और वरिष्ठ लेखक बच्चा ठाकुर, सम्मेलन की उपाध्यक्ष डा मधु वर्मा, लोकार्पित पुस्तक के संपादक बलराम प्रसाद सिंह, डा ध्रुव कुमार, बाँके बिहारी साव, चंदा मिश्र आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए और श्री व्यास के दीर्घायुष्य की कामना की।
इस अवसर पर आयोजित लघुकथा-गोष्ठी में डा शंकर प्रसाद ने 'वह कौन था?' शीर्षक से, विभा रानी श्रीवास्तव ने 'दुर्वह' , कुमार अनुपम ने 'चार घंटे', डा पुष्पा जमुआर ने 'कट-पेस्ट', सिद्धेश्वर ने 'मेरा हाथ मत काटो', श्याम बिहारी प्रभाकर ने 'छल', जय प्रकाश पुजारी ने 'प्रजातंत्र',राम गोविन्द यादव ने 'चुनाव', डा सुषमा कुमारी ने 'दौलत', डा विद्या चौधरी ने 'संवेदन हीनता', अशोक कुमार सिंह ने 'कथा', नीता सहाय ने 'प्यार और नफ़रत', डा पंकज वासिनी ने 'रूदन' , लता प्रासर ने 'पौध' तथा अरविन्द अकेला ने 'ठेंगा' शीर्षक से लघुकथा का पाठ किया। मंच का संचालन ब्रह्मानन्द पाण्डेय ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन प्रो सुशील कुमार झा ने किया।
सम्मेलन के भावन अभिरक्षक डा नागेश्वर प्रसाद यादव, वीरेन्द्र भारद्वाज, ई अवध बिहारी सिंह, राम किशोर सिंह 'विरागी', विजय कुमार दिवाकर, सुजाता मिश्र, सरिता मण्डल, डा कुंदन लोहानी, डा चंद्रशेखर आज़ाद समेत बड़ी संख्या में प्रबुद्धजन उपस्थित थे।

सितम्बर में आहूत होगा साहित्य सम्मेलन का भव्य शताब्दी-समारोह /दिया जाएगा अंतर्राष्ट्रीय स्वरूप, भारत के ही नहीं विदेशों ...
27/05/2024

सितम्बर में आहूत होगा साहित्य सम्मेलन का भव्य शताब्दी-समारोह /
दिया जाएगा अंतर्राष्ट्रीय स्वरूप, भारत के ही नहीं विदेशों के हिन्दी-सेवी भी लेंगे भाग,
दो दिनों का होगा उत्सव, उद्घाटन हेतु राष्ट्रपति को आमंत्रण ।

पटना, कोरोना के कारण टल गए बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन का शताब्दी-समारोह इस वर्ष के सितम्बर माह में भव्य रूप में आयोजित किया जाएगा। इसे अंतर्रष्ट्रीय स्वरूप देने के लिए, भारतवर्ष के मनीषी विद्वानों और विदुषियों के अतिरिक्त विदेशों में हिन्दी की मूल्यवान सेवा कर रहे मनीषियों को भी आमंत्रित किया जाएगा। समारोह के उद्घाटन हेतु भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को आमंत्रण दिया जा रहा है।
यह निर्णय रविवार की संध्या, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन सभागार में सम्पन्न हुई सम्मेलन की कार्य-समिति की बैठक में लिया गया। सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ की अध्यक्षता में संपन्न हुई बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि शताब्दी-समारोह के साथ ही सम्मेलन का ४३वाँ महाधिवेशन भी आयोजित होगा। दो दिनों के इस भव्य समारोह में, 'एक राष्ट्र:एक राष्ट्राभाषा' सहित समस्त भारतीय भाषाओं के हित-रक्षण के उपायों पर भी चिंतन किया जाएगा।
डा सुलभ के अनुसार, बैठक में उपस्थित सम्मेलन की स्वागत-समिति के अध्यक्ष और पूर्व सांसद डा रवीन्द्र किशोर सिन्हा ने अवगत कराया कि इस प्रसंग में भारत की माननीया राष्ट्रपति जी से उनकी वार्ता हो चुकी है और उनका मौखिक आश्वासन भी प्राप्त है। औपचारिक तिथि के निर्धारण हेतु जून के तीसरे सप्ताह में उनसे सम्मेलन का एक शिष्ट-मण्डल भेंट करेगा और सितम्बर में कोई तिथि निश्चित करने का अनुरोध करेगा। दुर्गापूजा के पूर्व किसी तिथि में यह उत्सव किया जाना उचित होगा। सर्व सम्मति से इस प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया।
डा सुलभ ने बताया कि इस समारोह में २१ अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के हिन्दी-सेवियों को 'साहित्य सम्मेलन शताब्दी-सम्मान' से अलंकृत किया जाएगा।
बैठक में भारतीय प्रशासनिक सेवा से अवकाश प्राप्त अधिकारी और सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा उपेन्द्रनाथ पाण्डेय, डा शंकर प्रसाद, डा मधु वर्मा, डा कल्याणी कुसुम सिंह, सम्मेलन के प्रधानमंत्री डा शिववंश पाण्डेय, डा पूनम आनन्द, डा पुष्पा जमुआर, डा ध्रुव कुमार, प्रो सुशील कुमार झा, ई अशोक कुमार, कृष्ण रंजन सिंह, सागरिका राय, कुमार अनुपम, डा नागेश्वर प्रसाद यादव, अंबरीष कांत, श्याम बिहारी प्रभाकर, बाँके बिहारी साव, जय प्रकाश पुजारी, प्रवीर कुमार पंकज, डा मनोज गोवर्द्धनपुरी, नीरव समदर्शी, बिंदेश्वर प्रसाद गुप्त, रोहित कुमार, विशेष आमंत्रित सदस्या डा सुमेधा पाठक, डा विद्या चौधरी, डा प्रतिभा रानी, रौली कुमारी तथा ज्योति श्रीवास्तव ने अपने विचार रखे।

साधक-साधिकाओं ने कहा - 'हर कामना पूरी करते हैं सदगुरुदेव' !महात्मा सुशील के महानिर्वाण की स्मृति में आयोजित हुआ पुण्योत्...
25/05/2024

साधक-साधिकाओं ने कहा - 'हर कामना पूरी करते हैं सदगुरुदेव' !
महात्मा सुशील के महानिर्वाण की स्मृति में आयोजित हुआ पुण्योत्सव, साधकों ने सुनाई अनुभूतियाँ ।

पटना, २५ मई। साधक-साधिकाओं की छोटी से छोटी इच्छा को भी सदगुरुदेव पूरी करते हैं। जो भी पूरे मन से प्रार्थना करता है, सदगुरु अवश्य ही सुनते हैं। सभी संकटों से रक्षा कर कष्टों का हरण करते हैं। निष्ठापूर्वक नियमित आंतरिक साधना करने वाले साधकों का हर शुभ संकल्प पूरा होता है।
इसी तरह के मिलते-जुलते उद्गार अनेक साधक-साधिकाओं ने अपनी अनुभूतियाँ सुनाते हुए व्यक्त किए। ये सब साधकगण, सूक्ष्म आंतरिक साधना पद्धति 'इस्सयोग' के प्रवर्त्तक और ब्रह्मलीन सदगुरुदेव महात्मा सुशील कुमार के महानिर्वाण की स्मृति में गत संध्या कंकड़बाग स्थित 'गुरुधाम' में आयोजित पुण्योत्सव में अपनी श्रद्धांजलि दे रहे थे।
संस्था की अध्यक्ष और ब्रह्मनिष्ठ सदगुरुमाता माँ विजया जी की दिव्य उपस्थिति में संध्या पौने सात बजे से भजन-संकीर्तन से आरंभ हुए इस पुण्योत्सव में जगत कल्याण हेतु 'ब्रह्माण्ड-साधना' और सर्वधर्म प्रार्थना भी संपन्न हुई। बेगूसराय की साधिका ऋतुबाला, बिहारशरीफ़ के साधक कुमार अमित, पटना की गीता देवी, नालंदा की राधिका, सहरसा की रेखा देवी तथा पटना की आकृति ने अपने उद्गार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन संस्था के संयुक्त सचिव डा अनिल सुलभ ने किया।
इस अवसर पर संस्था के संयुक्त सचिव ई उमेश कुमार, शिवम् झा, लक्ष्मी प्रसाद साहू, श्रीप्रकाश सिंह, सरोज गुटगुटिया, डा जेठानंद सोलंकी,किरण प्रसाद, माया साहू, अनिल कुमार, आनन्द किशोर खरे, प्रभात झा, रविकान्त, राजेश वर्णवाल, मंजू देवी, कमला सोलंकी, ममता जमुआर, सिद्धार्थ, रोहित, सिमरन कुमारी, सुरेंद्र प्रसाद और रागिनी प्रकाश समेत सैकड़ों की संख्या में इस्सयोगी उपस्थित थे।

पूर्व राज्यपाल ने साहित्य सम्मेलन के 'श्याम बिहारी अलंकरण-कक्ष' का किया लोकार्पण /कहा- गुणवत्तापूर्ण मूल्यवान जीवन के आद...
19/05/2024

पूर्व राज्यपाल ने साहित्य सम्मेलन के 'श्याम बिहारी अलंकरण-कक्ष' का किया लोकार्पण /
कहा- गुणवत्तापूर्ण मूल्यवान जीवन के आदर्श उदाहरण हैं कवि श्याम बिहारी प्रभाकर, आयोजित हुई कवि-गोष्ठी ।

पटना, १९ मई। सिक्किम के पूर्व राज्यपाल गंगा प्रसाद द्वारा रविवार को, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन सभागार का नव-विकसित अलंकरण-कक्ष लोकार्पित हुआ। इस अलंकरण-कक्ष को, ९२वें वर्षीय कवि और रंगकर्मी श्याम बिहारी प्रभाकर के सम्मान में समर्पित किया गया है। अपने लोकार्पण उद्गार में पूर्व राज्यपाल ने श्री प्रभाकर को 'गुणवत्तापूर्ण मूल्यवान जीवन का आदर्श उदाहरण बताया।
श्री प्रसाद ने कहा कि उसी व्यक्ति को संसार स्मरण रखता है, जिसका जीवन लोक-मंगलकारी होता है। जिसके जीवन से शिक्षा मिलती हो, जो अनुकरणीय हो, उसकी आयु चाहे जितनी हो, उसके यश की आयु बहुत लम्बी होती है। यह अत्यंत प्रसन्नता-दायक है कि प्रभाकर जी की लौकिक आयु भी लम्बी है और कामना करता हूँ कि इनकी यशो आयु भी बहुत लम्बी हो! इस अवसर पर पूर्व राज्यपाल ने श्री प्रभाकर को अंग-वस्त्रम प्रदानकर सम्मनित भी किया।
समारोह के विशिष्ट अतिथि और वरिष्ठ साहित्यकार भगवती प्रसाद द्विवेदी ने कहा कि प्रभाकर जी का जीवन जिजीविषा और जिवटता का उदाहरण है। एक कलाकार और कवि के रूप में इनकी पर्याप्त ख्याति है। इनका एकल अभिनय आज भी मर्म को स्पर्श करता है। इनकी कविता का मूल-स्वर मानवतावादी है।
अपने अध्यक्षीय उद्गार में सम्मेलन-अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कहा कि प्रभाकर जी दोष-रहित सार्थक जीवन के सुंदर उदाहरण हैं। स्वस्थ और सुदीर्घ जीवन की प्राप्ति किस प्रकार की जा सकती है, यह प्रभाकर जी के जीवनादर्श से सीखा जा सकता है। ३३ वर्ष पूर्व मैंने जिस प्रभाकर जी को देखा था, उसमें आज भी रंच मात्र का परिवर्तन दिखाई देता है। इनके जीवन का प्रत्येक पक्ष अनुशासित, सकारात्मक और कल्याणकारी है। सभी प्रकार के व्यसनों से दूर प्रभाकर जी सादगी,सदाचार और शुचिता के मूर्तमान रूप हैं। ९२ वर्ष की आयु में भी इनकी कर्मठता चकित करती है। एक कवि और रंगकर्मी के रूप में इन्हें आदरणीय स्थान प्राप्त है। साहित्य सम्मेलन ने इनके जीवन-काल में ही सम्मेलन का अलंकरण-कक्ष इनके नाम से समर्पित कर एक वयोवृद्ध कवि-रंगकर्मी के प्रति सम्मान प्रकट किया है।
वरिष्ठ कवि बाबूलाल मधुकर, सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा शंकर प्रसाद, डा मधु वर्मा, बच्चा ठाकुर, डा अशोक प्रियदर्शी, रेखा मोदी, विनोद कुमार गुप्ता, डा मेहता नगेंद्र सिंह, डा आर के अरुण, डा श्रीकांत शर्मा, के बी राय, डा नागेश्वर प्रसाद यादव, सुनीता विकास तथा पी एन दूबे ने भी अपने विचार व्यक्त किए तथा श्री प्रभाकर के शतायु होने की मंगल कामना की।
इस अवसर पर आयोजित कवि-सम्मेलन में, वरिष्ठ कवि मधुरेश नारायण, डा पुष्पा जमुआर, डा अर्चना त्रिपाठी, मधुरानी लाल, डा ओम् प्रकाश जमुआर, कुमार अनुपम, जय प्रकाश पुजारी, डा शालिनी पाण्डेय, सिद्धेश्वर, नीता सहाय, डा मनोज गोवर्द्धनपुरी, प्रियंका कुमारी, लता प्रासर, सुधा पाण्डेय, अश्विनी कुमार, शुभ चंद्र सिन्हा, कमल किशोर 'कमल', डा प्रतिभा रानी, इंदु उपाध्याय, सदानन्द प्रसाद, ई अशोक कुमार, राजप्रिया रानी, कमल दास राय, शशिकांत राय, सुनीता रंजन, बिंदेश्वर प्रसाद गुप्ता आदि कवियों और कवयित्रियों ने अपनी मधुर काव्य-रचनाओं से उत्सव में रस और उल्लास का सृजन किया। मंच का संचालन कवि ब्रह्मानन्द पाण्डेय ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन कृष्ण रंजन सिंह ने किया।
सम्मेलन के अर्थ मंत्री प्रो सुशील कुमार झा, ई अवध बिहारी सिंह, बाँके बिहारी साव, श्रीकांत व्यास, शंकर शरण मधुकर, निर्मला गुप्ता, मीरा देवी, प्रेमलता सिंह राजपुत, नम्रता प्रसाद, अर्जुन प्रसाद गुप्ता, अशोक गुप्ता, डा रमाकान्त पाण्डेय, मंजू गुप्ता, प्रेमानंद प्रसाद, डा चंद्रशेखर आज़ाद, आदि प्रबुद्धजन समारोह में उपस्थित थे।

मुट्ठी बांधे आता है मानव, खोले हाथ जाता है : माँ विजया /इस्सयोग भवन में संपन्न हुआ दशम मूर्ति-प्राण- प्रतिष्ठा समारोह/ ह...
18/05/2024

मुट्ठी बांधे आता है मानव, खोले हाथ जाता है : माँ विजया /
इस्सयोग भवन में संपन्न हुआ दशम मूर्ति-प्राण- प्रतिष्ठा समारोह/
हज़ारों की संख्या में इस्सयोगी साधक-साधिकाओं ने लिया भाग, हुआ महाभिषेक।

पटना, १८ मई। गोला रोड स्थित 'इस्सयोग भवन' के ऊपरी तल पर प्रतिस्थापित, सूक्ष्म साधना पद्धति 'इस्सयोग' के प्रवर्त्तक और 'अन्तर्राष्ट्रीय इस्सयोग समाज' के संस्थापक, महात्मा सुशील कुमार एवं माँ विजया जी की मूर्तियों की प्राण-प्रतिष्ठा का १०वाँ स्थापना-दिवस समारोह शनिवार को, संस्था की अध्यक्ष सदगुरुमाता माँ विजया जी की दिव्य उपस्थिति में, पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया गया।
उत्सव का आरंभ प्रातः १० बजे, ११ बार 'ओमकार' के सामूहिक उच्चारण के साथ हुआ। श्रीमाँ के निदेशानुसार संस्था के संयुक्त सचिव डा अनिल सुलभ ने मंगल-दीप प्रज्ज्वलित किया। इसके पूर्व संस्था के संयुक्त सचिव ई उमेश कुमार, शिवम् झा, कपिलेश्वर मंडल, माया साहू,मंजू देवी एवं काव्या सिंह ने मूर्तियों का क्रमशः दूध, दधी, मधु, चंदन और गंगा-जल से महाभिषेक किया। इंग्लैंड के इस्सयोगी डा जेठानंद सोलंकी, प्रभात झा, लक्ष्मी प्रसाद साहू, गायत्री राय, ममता जमुआर और सुनैना देवी ने मूर्तियों का वस्त्राभूषण एवं ऋंगार से अलंकरण किया। माल्यार्पण दीनानाथ शास्त्री और श्रीप्रकाश सिंह ने तथा नैवेद्य-अर्पण वरिष्ठ साधिका सरोज गुटगुटिया और मीरा देवी ने किया।
नैवेद्य-अर्पण के पश्चात सदगुरु के आह्वान हेतु, बीस मिनट की सामूहिक 'आह्वान-साधना' की गयी और उसके पश्चात माताजी का 'पाद-प्रच्छालन' कर सदगुरु-गुरुमाँ के आरती गान से आरती उतारी गयी। मध्याह्न १२ बजे से अखंड कीर्तन-भजन आरंभ हुआ, जिसका समापन इस्सयोगी गायक वीरेंद्र राय द्वारा 'गायत्री' और 'महामृत्युंजय' मंत्रों का सांगितिक-गायन से हुआ।
इस अवसर पर अपने आशीर्वचन में सदगुरुमाता माँ विजया जी ने कहा कि प्रत्येक मनुष्य इस संसार में मुट्ठी बाँधे आता है और खोले हाथ जाता है। जब वह आता है तो उसके हाथों में 'साँसों की आयु' होती है, जो धीरे-धीरे हाथों से निकलता रहता है। उसकी मुट्ठी में 'इच्छा-शक्ति', 'क्रिया शक्ति' और 'ज्ञान शक्ति' भी सूक्ष्म रूप में होती है, किंतु इसका विकास उसके कर्म और प्रारब्ध के अनुसार होता है। इसलिए प्रत्येक साधक को पूरी श्राद्धा और समर्पण के साथ नियमित साधना करनी चाहिए। इस्सयोग की सूक्ष्म साधना से सभी कर्म-भोग कटते हैं और आध्यात्मिक शक्तियाँ प्राप्त होती हैं। माताजी के आशीर्वचन के पश्चात भगवान सदाशिव की आरती और महाप्रसाद के साथ यह दिव्योत्सव संपन्न हुआ।
इस अवसर पर राधे श्याम पाण्डेय, रामचंद्र तिवारी, आनन्द किशोर खरे, अरविन्द साहू, धर्मेंद्र साहू, प्रभात झा, दुष्यंत यादव, विजय रंजन,मंजिता अंजलि, किरण झा, कविता पूर्वे, किरण प्रसाद, सतीश चौरसिया, रविकान्त समेत हज़ारों की संख्या में इस्सयोगी उपस्थित थे।

युग की चेतना को दिशा देने वाले साहित्यकार थे महावीर प्रसाद द्विवेदी /१६०वीं जयंती पर साहित्य सम्मेलन में दी गई श्रद्धांज...
09/05/2024

युग की चेतना को दिशा देने वाले साहित्यकार थे महावीर प्रसाद द्विवेदी /
१६०वीं जयंती पर साहित्य सम्मेलन में दी गई श्रद्धांजलि, महाकवि काशीनाथ पाण्डेय स्मृति प्रतियोगिता का हुआ आयोजन, डा रवीन्द्र राजहंस को भी किया गया स्मरण।

पटना, १५ मई। अपने युग की साहित्यिक और सांस्कृतिक चेतना को दिशा और दृष्टि प्रदान करने वाले युग-प्रवर्त्तक साहित्यकार थे महावीर प्रसाद द्विवेदी। हिन्दी भाषा और साहित्य के महान उन्नायकों में उन्हें आदर के साथ स्मरण किया जाता है। उनके विपुल साहित्यिक अवदान के कारण ही, उनके साधना-काल को, हिन्दी साहित्य के इतिहास में 'द्विवेदी-युग' के रूप में जाना जाता है। वे एक महान स्वतंत्रता-सेनानी, कवि, पत्रकार और समालोचक थे।
बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में आचार्य द्विवेदी की १६०वीं जयन्ती पर आयोजित समारोह की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने यह बातें कहीं। डा सुलभ ने कहा कि, आधुनिक हिन्दी को, यदि भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने अंगुली पकड़ कर चलना सिखाया तो यह कहा जा सकता है कि द्विवेदी जी के काल में वह जवान हुई। आधुनिक हिन्दी, जिसे खड़ी बोली भी कहा गया, को गढ़ने में असंदिग्ध रूप से आचार्य द्विवेदी का अद्वितीय अवदान है।
सम्मेलन में महाकवि काशीनाथ पाण्डेय और डा रवीन्द्र राजहंस को भी स्मृति-दिवस पर श्रद्धापूर्वक स्मरण किया गया। समारोह के उद्घाटन कर्त्ता और पूर्व केंद्रीय मंत्री डा सी पी ठाकुर ने महाकवि को बिहार की साहित्यिक धरोहर बताते हुए कहा कि पाण्डेय जी ने हिन्दी काव्य में अनेकानेक भाषाओं के शब्दों से समृद्ध किया।
डा राजहंस को स्मरण करते हुए उन्होंने कहा कि, रवीन्द्र जी अंग्रेज़ी के प्राध्यापक किंतु हिन्दी के सेवक थे। उन्होंने अपनी काव्य-रचनाओं से वयंग्य-साहित्य को समृद्ध किया। भारत सरकार ने उन्हें पद्म-अलंकरण से विभूषित किया। जयप्रकाश-आंदोलन में वे अपनी कविता के साथ उतरे थे।
सम्मेलन की उपाध्यक्ष डा मधु वर्मा, प्रो सुशील कुमार झा, दीपक ठाकुर, अविनय काशीनाथ पाण्डेय, ई अवध बिहारी सिंह आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
इस अवसर पर सम्मेलन द्वारा आयोजित 'महाकवि काशीनाथ स्मृति गायन, व्याख्यान एवं काव्य-पाठ प्रतियोगिता' के सफल छात्र-छात्राओं को पदक और प्रमाण-पत्र देकर पुरस्कृत किया गया। अधिक पदक जीतने के कारण इस वर्ष का 'सकल विजेता हस्तांतरणीय स्मृतिका' पाटलिपुत्र विश्व विद्यालय को दिया गया। प्रतियोगिता में, पटना विश्व विद्यालय और पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के साथ अनेक विद्यालयों के ७४ छात्र-छात्राओं ने अपनी प्रतिभागिता दी। सभी प्रतिभागियों को प्रतिभागिता-प्रमाणपत्र दिए गए।
इस अवसर पर आयोजित कवि-सम्मेलन का आरंभ डा पल्लवी विश्वास की वाणी-वंदना से हुआ। वरिष्ठ कवि बच्चा ठाकुर, डा पूनम आनन्द, जय प्रकाश पुजारी, विभा रानी श्रीवास्तव, ई अशोक कुमार, डा मनोज गोवर्द्धनपुरी, डा प्रतिभा रानी, मीरा श्रीवास्तव, नीता सहाय, रेणु मिश्रा , शंकर शरण मधुकर, लता प्रासर, सुनीता रंजन, राजदेव सिंह आदि कवियों और कवयित्रियों ने अपनी मधुर रचनाओं से आयोजन को रस और रंग प्रदान किया। मंच का संचालन सम्मेलन की कलामंत्री डा पल्लवी विश्वास तथा कवि ब्रह्मानन्द पाण्डेय ने संयुक्त रूप से किया।
प्रतियोगिताओं में प्रथम तीन स्थान प्राप्त करने वालों के नाम इस प्रकार हैं;-
व्याख्यान (वरिष्ठ श्रेणी): - सत्य प्रकाश ध्रुव (ए एन कौलेज, पटना), शालिनी सिंह (पटना महिला महाविद्यालय) तथा ऋतिका कुमारी (जे डी वोमेंस कौलेज) व्याख्यान (कनिष्ठ श्रेणी): अलिशबा और इच्छा ((सेंट कैरेंस कौलेजिएट), काव्य-पाठ (वरिष्ठ श्रेणी): शालिनी सिंह (पटना महिला महाविद्यालय), विकी कुमार (ए बी सी कौलेज ऑफ एडुकेशन), ऋतुवाला साक्षी (कालेज ऑफ कौमर्स), काव्य-पाठ (कनिष्ठ श्रेणी): अंश राज, जय जय श्री,और आराध्या शर्मा, काव्य-पाठ (स्वतंत्र श्रेणी) : शिवम् , रीति कुमारी और अनाहिता कांति, गीत-ग़ज़ल-गायन(वरिष्ठ श्रेणी): शशि भूषण कुमार, शालिनी सिंह और आर्या कुमारी, गीत ग़ज़ल-गायन (कनिष्ठ श्रेणी); काशिका पाण्डेय,प्राची कुमारी और मानसी कुमारी, गायन (स्वतंत्र श्रेणी); शिवानी ।
विशेष सहभागिता के लिए गार्गी पाठशाला की शिक्षिका नम्रता कुमारी, संत कैरेंस कौलेजिएट की शिक्षिका मीनाक्षी सिंह, सेंट डौमिनीक सेवियोज की शिक्षिका संजू चौधरी, फ़ाउंडेशन अकादमी के शिक्षक आयुर्मान यास्क, पटना महिला महाविद्यालय की प्राध्यापिका डा मंजुला सुशीला तथा कौलेज ऑफ कौमर्स के प्राध्यापक डा मनोज गुप्त को सम्मानित किया गया।

विशेष बच्चों में कौशल-विकास हेतु प्रेम और निरन्तर प्रेरणा परमावश्यक/हेल्थ इंस्टिच्युट में आयोजित ३दिवसीय वैज्ञानिक-कार्य...
05/05/2024

विशेष बच्चों में कौशल-विकास हेतु प्रेम और निरन्तर प्रेरणा परमावश्यक/
हेल्थ इंस्टिच्युट में आयोजित ३दिवसीय वैज्ञानिक-कार्यशाला का हुआ समापन, प्रतिभागियों को मिले प्रमाण-पत्र ।

पटना, ५ मई। विशेष आवश्यकता वाले वच्चों और व्यक्तियों में निजी-कौशल के साथ-साथ सामाजिक-कौशल के विकास हेतु आवश्यक है कि उन्हें मानसिक-बल प्रदान किया जाए। उनके साथ प्रेम और सम्मान पूर्वक व्यवहार हो।उन्हें निरन्तर प्रेरणा दी जाए तथा उनसे जुड़ा और जोड़ा जाए। किसी भी व्यक्ति का जीवन, भले वह दिव्यांग हो अथवा सामान्य, तभी सार्थक और मूल्यवान हो सकता है, जब उसमें सामाजिक-दृष्टि विकसित हो। मानसिक रूप से असक्षम दिव्यांगों के लिए यह अवश्य कठिन है, किंतु अन्य प्रकार की शारीरिक चुनौतियों का सामना कर रहे दिव्यांग इस हेतु सक्षम बनाए जा सकते हैं।
भारतीय पुनर्वास परिषद, भारत सरकार के सौजन्य से, इंडियन इंस्टिच्युट औफ़ हेल्थ एडुकेशन ऐंड रिसर्च, बेउर में, "विशेष बच्चों में निजी और सामाजिक कौशल विकास" विषय पर आयोजित तीन दिवसीय वैज्ञानिक-कार्यशाला के समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुए, संस्थान के निदेशक-प्रमुख डा अनिल सुलभ ने रविवार को यह बातें कही।
समारोह के मुख्य अतिथि और पटना उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि विशेष बच्चों में, सामान्य जीवन जीने योग्य कौशल और उनके सामाजिक-सरोकार बढ़ाने के कौशल के विकास में विशेष शिक्षाकों की भूमिका सबसे बड़ी है। सबसे पहली आवश्यकता यह है कि विशेष-शिक्षकों को अधिकाधिक सक्षम बनाया जाए। ये शिक्षक ही बार-बार समझाकर विशेष बच्चों को अपना जीवन जीना और अन्य लोगों के साथ संबंध विकसित करना सिखा सकते हैं। अन्य बच्चों और समाज के अन्य लोगों के साथ वे कैसे घुल-मिल सकते हैं, इसके लिए उन्हें तैयार कर सकते हैं। न्यायमूर्ति प्रसाद ने प्रतिभागी पुनर्वासकर्मियों को प्रशिक्षण के प्रमाण-पत्र भी प्रदान किए।
सुप्रसिद्ध नैदानिक मनोवैज्ञानिक डा नीरज कुमार वेदपुरिया, वाक्-श्रवण-विशेषज्ञ डा ज्ञानेन्दु कुमार, मनोवैज्ञानिक सामाजिक कार्यकर्ता निशान्त कुमार, विशेष संसाधन शिक्षक प्रेमलाल राय, सुनील कुमार यादव तथा रजनीकांत ने आज के सत्र में अपने वैज्ञानिक-पत्र प्रस्तुत किए। मंच का संचालन कार्यशाला के समन्वयक प्रो कपिल मुनि दूबे ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन देवराज ने किया।

विशेष आवश्यकता वाले वच्चों में सामाजिक कौशल के विकास पर बल देना आवश्यक/हेल्थ इंस्टिच्युट में तीन दिवसीय वैज्ञानिक-कार्यश...
03/05/2024

विशेष आवश्यकता वाले वच्चों में सामाजिक कौशल के विकास पर बल देना आवश्यक/
हेल्थ इंस्टिच्युट में तीन दिवसीय वैज्ञानिक-कार्यशाला में विशेषज्ञों ने प्रस्तुत किए वैज्ञानिक पत्र ।

पटना, ३ मई। विशेष आवश्यकता वाले वच्चों और व्यक्तियों में निजी-कौशल के साथ-साथ सामाजिक-कौशल के विकास पर भी बल दिया जाना चाहिए। उनमें यह भावना विकसित की जानी चाहिए कि वे किस प्रकार अपने जैसे व्यक्तियों तथा समाज के अन्य लोगों के विकास में अपना योगदान दे सकते हैं। सामाजिक-विकास के अभाव में किसी के निजी विकास का कोई अर्थ और मूल्य नहीं हो सकता है।
इस प्रकार के विचार, भारतीय पुनर्वास परिषद के सौजन्य से, इंडियन इंस्टिच्युट औफ़ हेल्थ एडुकेशन ऐंड रिसर्च, बेउर में, शुक्रवार को आरंभ हुए, तीन दिवसीय सतत पुनर्वास शिक्षा कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने व्यक्त किए। "विशेष बच्चों में निजी और सामाजिक कौशल विकास" विषय पर आयोजित इस कार्यशाला में अपना विज्ञानिक पत्र प्रस्तुत करती हुई 'आर्मी आशा स्पेशल स्कूल' की प्राचार्या और विशेष शिक्षिका कल्पना झा ने कहा कि विशेष बच्चों को सक्षम बनाने और उनमें कौशल विकास के लिए हमें विशेष चेष्टा करनी चाहिए। विशेष आवश्यकता वाले लोगों के साथ हमारा व्यवहार सद्भावपूर्ण और सहयोगात्मक होना चाहिए।
सुप्रसिद्ध नैदानिक मनोवैज्ञानिक डा नीरज कुमार वेदपुरिया ने कहा कि हर व्यक्ति को, अपना जीवन जीने के लिए कुछ मूलभूत आवश्यकता होती है। उन्हीं में कुछ मनोवैज्ञानिक बिंदु भी होते हैं। व्यक्ति की मानसिक अवस्था का उसके कार्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है। एक प्रसन्न व्यक्ति किसी भी कार्य को निपुणता से करता है। सामाजिक सहयोग उसे बल प्रदान करते हैं।
उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता करते हुए, संस्थान के निदेशक-प्रमुख डा अनिल सुलभ ने कहा कि, आज के युवाओं को यह समझना होगा कि केवल निजी विकास की कामना स्थायी लाभ नही दे सकती। सामाजिक विकास के अभाव में किसी व्यक्ति या कुछ व्यक्तियों के विकास से किसी का हित नहीं हो सकता। ताड़ और खजूर जैसे वृक्षों को सामाजिक मूल्य नहीं मिलते। निजी जीवन में सफल वही व्यक्ति सम्मान पाता है, जो समाज के लिए कल्याणकारी हो।
वरिष्ठ औडियोलौजिस्ट डा ज्ञानेन्दु कुमार तथा कार्यशाला के समन्वयक प्रो कपिल मुनि दूबे ने भी अपने वैज्ञानिक-पत्र प्रस्तुत किए। मंच का संचालन प्रो मधुमाला ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन प्रो जया कुमारी ने किया। इस अवसर पर, प्रो संजीत कुमार, प्रो देवराज, डा आदित्य ओझा, विशेष शिक्षक रजनीकान्त समेत, उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड आदि राज्यों से बड़ी संख्या में प्रतिभागी 'पुनर्वास-विशेषज्ञ' एवं संस्थान के छात्रगण उपस्थित थे।

लेखक जियालाल आर्य की लेखन-शैली मोहित करती है : नंद किशोर यादव /साहित्य सम्मेलन में श्री आर्य के उपन्यास 'सफ़ेद चादर' का ...
28/04/2024

लेखक जियालाल आर्य की लेखन-शैली मोहित करती है : नंद किशोर यादव /
साहित्य सम्मेलन में श्री आर्य के उपन्यास 'सफ़ेद चादर' का हुआ लोकार्पण, हुई लघुकथा-गोष्ठी।

पटना, २८ अप्रैल। वरिष्ठ लेखक श्री जियालाल आर्य की लेखन शैली मोहित करती है। उनका उपन्यास 'सफ़ेद चादर' एक ऐसी रचना है, जिसे पढ़ना आरंभ करने के बाद समाप्त किए बिना छोड़ने का मन नहीं करता। समाज को केंद्र में रखकर अनेक उपन्यास लिखे गए हैं, किंतु श्री आर्य का यह उपन्यास हिन्दी साहित्य में विशेष महत्त्व रखता है।
यह बातें रविवार को, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में, बिहार के पूर्व गृह सचिव और वरिष्ठ लेखक जियालाल आर्य के उपन्यास 'सफ़ेद चादर' का लोकार्पण करते हुए, बिहार विधान सभा के अध्यक्ष नंद किशोर यादव ने कही। श्री यादव ने कहा कि पुस्तक के लेखक भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी के रूप में, समाज के विभिन्न स्तरों से जुड़े रहे हैं। इनके सामाजिक सरोकारों और अनुभवों से इनकी लेखनी समृद्ध हुई है।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कहा कि, लोकार्पित पुस्तक के लेखक एक संवेदनशील और गहन सामाजिक-दृष्टि रखने वाले रचनाकार हैं। 'सफ़ेद चादर' में इनकी लोक-चेतना और जीवन के अनेक मूल्यों को अभिव्यक्ति मिली है। यह एक मर्म-स्पर्शी और हिन्दी उपन्यास में विशेष स्थ्स्स्न रखने वाली अत्यंत मूल्यवान कृति है, जिसमें आंचलिकता और ग्राम्य-जीवन के विविध पहलुओं के साथ जीवन-संघर्ष, जिजीविषा और जीवटता को शक्ति मिली है। कथा-नायिका के माध्यम से लेखक ने यह सिद्ध किया है कि जीवन और समाज के प्रति आस्था रखने वाले लोग कभी पराजित नही होते। वे समाज के होते हैं और समाज उनका हो जाता है।
समारोह के मुख्यअतिथि और राज्य उपभोक्ता संरक्षण आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति संजय कुमार ने कहा कि लोकार्पित पुस्तक के लेखक अपनी प्रशासनिक सेवा की भाँति साहित्य-सेवा में भी प्रशंसनीय प्रतिष्ठा अर्जित की है। लोकार्पित पुस्तक से हिन्दी के पाठक अवश्य ही लाभान्वित होंग़े।
पुस्तक के लेखक जियालाल आर्य ने कृतज्ञता-ज्ञापित करते हुए, कहा कि, यह पुस्तक एक सच्ची कहानी पर आधारित है। इस कथा की नायिका की संघर्ष-गाथा और उनके त्याग-बलिदान का मैं साक्षी रहा हूँ। यह एक भारतीय गाँव की कहानी है, जिसके अनेक पात्र अब भी जीवित हैं। कथा-नायिका के महान संघर्ष और उनकी समाज-सेवा ने मुझे इसे उपन्यास का रूप देने के लिए प्रेरित किया। यह संघर्षरत लोगों के लिए प्रेरणादायक सत्य-कथा है।
समारोह के विशिष्ट अतिथि और दूरदर्शन, बिहार के कार्यक्रम-प्रमुख डा राज कुमार नाहर, सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा शंकर प्रसाद, डा मधु वर्मा, डा ध्रुव कुमार तथा डा मनोज गोवर्द्धनपुरी ने भी अपने विचार व्यक्त किए । मंच का संचालन ब्रह्मानन्द पाण्डेय ने तथा धन्यवाद ज्ञापन सम्मेलन के प्रबंध मंत्री कृष्ण रंजन सिंह ने किया।
इस अवसर पर, आयोजित लघुकथा-गोष्ठी में, डा शंकर प्रसाद ने 'रंग' शीर्षक से, कुमार अनुपम ने 'थप्पड़', डा पुष्पा जमुआर ने 'नज़रिए की बात', मीना कुमारी परिहार ने 'अक़्ल पर पत्थर', प्रभा कुमारी ने 'जाड़े की रात', प्रियंका ने 'हिन्दी का महत्त्व', बिंदेश्वर प्रसाद गुप्त ने 'दंश' तथा डा मनोज गोवर्द्धनपुरी ने 'सुख का अनुभव' शीर्षक से अपनी लघुकथा का पाठ किया।
समारोह में, डा शालिनी पाण्डेय, नीता सहाय, नरेंद्र कुमार झा, डा चंद्रशेखर आज़ाद, डा कुंडन लोहानी, आनन्द शर्मा, अधिवक्ता दीपक कुमार, सच्चिदानन्द शर्मा, कवि पंकज वसंत, भास्कर त्रिपाठी समेत बड़ी संख्या में सुधीजन और साहित्यकार उपस्थित थे।

परम वैज्ञानिक थी महात्मा सुशील की आध्यात्मिक दृष्टि : बड़े भैया 'इस्सयोग'-प्रवर्त्तक के दो दिवसीय महानिर्वाण महोत्सव का ...
24/04/2024

परम वैज्ञानिक थी महात्मा सुशील की आध्यात्मिक दृष्टि : बड़े भैया
'इस्सयोग'-प्रवर्त्तक के दो दिवसीय महानिर्वाण महोत्सव का हुआ समापन, हुआ हवन-यज्ञ, अमेरिका और थाईलैंड की दो इस्सयोगी बालिकाओं को दिया गया 'महात्मा सुशील माँ विजया पुरस्कार'

पटना, २४ अप्रैल। गुरुदेव की वाणी में अद्भुत शक्ति थी। वे वैज्ञानिक दृष्टि से अध्यात्म की व्याख्या करते थे। वे कहा करते थे कि हर एक व्यक्ति ऊर्जा की घनीभूत इकाई है। संपूर्ण ब्रह्माण्ड ही विराट ऊर्जा का पूँज है। वही परमात्मा है। परम वैज्ञानिक थी ब्रह्मलीन सदगुरुदेव की आध्यात्मिक दृष्टि, जो आधुनिक संसार को आकर्षित करती है। आज दुनिया के वैज्ञानिक भी वही बात कहने लगे हैं, जो हज़ारों वर्ष पूर्व हमारे संत-ऋषि कह चुके, जो हमारे सदगुरु कहा करते थे।
यह बातें बुधवार को, बी-१०८, कंकड़बाग हाउसिंग कौलोनी स्थित गुरुधाम में, 'अन्तर्राष्ट्रीय इस्सयोग समाज' के तत्त्वावधान में, 'इस्सयोग' के प्रवर्त्तक और अन्तर्राष्ट्रीय इस्सयोग समाज के संस्थापक ब्रह्मलीन सद्ग़ुरुदेव महात्मा सुशील कुमार के २२वें महानिर्वाण महोत्सव में अपना उद्गार व्यक्त करते हुए, संस्था के उपाध्यक्ष पूज्य बड़े भैया श्रीश्री संजय कुमार ने कही। उन्होंने कहा कि परमात्मा कुछ चुने हुए लोगों को किसी सक्षम सदगुरु का सान्निध्य प्रदान करते हैं। हम सभी सौभाग्यशाली है, जिन्हें सदगुरु एवं सदगुरुमाँ का दिव्य-सान्निध्य प्राप्त हुआ है। दो दिनों के इस उत्सव में अद्भुत दिव्यता व्याप्त थी। मौसम को भी अनुकूल होना पड़ा। यह इस्सयोगियों की आत्म-शक्ति का परिचायक है।
अपने आशीर्वचन में संस्था की अध्यक्ष एवं ब्रहनिष्ठ सदगुरुमाता माँ विजया जी ने कहा कि परमात्मा और सदगुरु की दृष्टि से कोई भी ओझल नहीं है। सब पर उनकी दृष्टि होती है। हमारा कुछ भी उनसे छुपा नहीं होता। इसलिए हमारा मन शुद्ध रूप से सदगुरु परमात्मा में लगा होना चाहिए। माताजी ने कहा कि मन्दिर अथवा मूर्ति चेतन नहीं होते, हमारा मन चेतन होता है। हम चेतन हैं। एक श्रद्धालु जिस भाव से किसी मूर्ति के समक्ष खड़ा होकर प्रार्थना करता है, उसी अनुरूप उसे प्राप्ति होती है।
उन्होंने कहा कि सुख और दुःख और कुछ नहीं, मन की अवस्थाएँ हैं। एक ही बात से कोई व्यक्ति दुखी तो कोई प्रसन्न हो सकता है, और,किसी पर उसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता। 'इस्सयोग' की साधना एक साधक को मन पर अधिकार करने की शक्तियाँ प्रदान करती है। इसलिए प्रत्येक साधक को प्रतिदिन कमसेकम एक घंटे की सूक्ष्म आंतरिक साधना श्रद्धापूर्वक अवश्य करनी चाहिए। सदगुरुदेव ने 'इस्सयोग'के रूप में जो वरदान दिया है, उसके प्रसार का समय आ चुका है।
इसके पूर्व माताजी के निर्देश पर पूज्य बड़े भैया ने अमेरिका की इस्सयोगी बालिका सुभी राज तथा थाईलैंड की इस्सयोगी बालिका आकर्षा पाण्डेय को, उसकी विशेष प्रतिभा के लिए, इस वर्ष का 'महात्मा सुशील कुमार माँ विजया प्रोत्साहन पुरस्कार' प्रदान किया।
यह जानकारी देते हुए, संस्था के संयुक्त सचिव डा अनिल सुलभ ने बताया कि , कल दूसरे पहर के पश्चात आरंभ हुई २२ घंटे की अखंड-साधना और भजन-संकीर्तन का आज प्रातः साढ़े नौ बजे समापन हुआ। साढ़े दस बजे से १२ बजे तक हवन-यज्ञ कर सदगुरुदेव को तर्पण दिया गया। यज्ञ-प्रसाद के पश्चात १२ इस्सयोगियों ने अपने उद्गार व्यक्त किए, जिनमें रौबिन समुंदर (मौरिशस), अजीत कुमार (अमेरिका),सूर्य भूषण (दुबई), रेणु धिमिरे (नेपाल), डा जेठानंद सोलंकी ( लंदन), सुनील कुमार झा (काठमांडू), अजय कुमार पाण्डेय (थाईलैंड), स्नेहा पांडु (बैंगलुरु), सौरभ कुमार, शालिनी कुमारी और सुनिता कुमारी (बिहार) तथा रेणु कुमारी (दिल्ली) के नाम सम्मिलित हैं। उद्गार-कार्यक्रम का संचालन संस्था के सचिव कुमार सहाय वर्मा ने किया।
संध्या में संस्था के संयुक्त सचिव संदीप गुप्ता और बहन संगीता झा के निर्देशन में, सदगुरुदेव पर तैयार एक सुंदर लघु-चलचित्र का प्रदर्शन किया गया, जिसमें गुरदेव के सत्संग के दृश्य भी समाहित किए गए थे। संध्या-सत्संग एवं जगत-कल्याण के निमित्त की गयी ब्रह्माण्ड-साधना के साथ दो दिवसीय यह महोत्सव संपन्न हो गया।
इस अवसर पर, इस्सयोगी साधिका और सांसद रमा देवी, संस्था के संयुक्त सचिव ई उमेश कुमार, रेणु गुप्ता, सरोज गुटगुटिया, नीना दूबे गुप्ता, शिवम् झा, लक्ष्मी प्रसाद साहू, काव्या सिंह झा, दीनानाथ शास्त्री, माया साहू, डा द्राशनिका पटेल, ई वीरा राम, वंदना वर्मा, नितिन साहू,योगेन्द्र प्रसाद, सुशील प्रजापति, श्रीप्रकाश सिंह, कपिलेश्वर मंडल, विजय रंजन, रजिया समुंदर, डा मनोज राज, प्रभात झा, रवि मूलचंद आदि बड़ी संख्या में संस्था के अधिकारी एवं स्वयंसेवक सक्रिए रहे।

इस्सयोग' के प्रवर्त्तक महात्मा सुशील का द्विदिवसीय महानिर्वाण महोत्सव हुआ आरंभमाँ विजया ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया उद्घा...
23/04/2024

इस्सयोग' के प्रवर्त्तक महात्मा सुशील का द्विदिवसीय महानिर्वाण महोत्सव हुआ आरंभ
माँ विजया ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया उद्घाटन, देश-विदेश से सात हज़ार से अधिक इस्सयोगी ले रहे हैं भाग

पटना, २३ अप्रैल। हज़ारों मुख से एक स्वर में हुए गगन-भेदी जयघोष के साथ, अन्तर्राष्ट्रीय इस्सयोग समाज के संस्थापक एवं सूक्ष्म आध्यात्मिक साधना पद्धति 'इस्सयोग' के प्रवर्त्तक ब्रह्मलीन सदगुरुदेव महात्मा सुशील कुमार का दो दिवसीय २२वाँ महानिर्वाण महोत्सव, मंगलवार को तीसरे पहर से आरंभ हो गया। कंकड़बाग हाउसिंग कौलोनी स्थित संस्था के मुख्यालय और 'गुरुधाम' में अपराह्न दो बजकर बीस मिनट पर संस्था की अध्यक्ष सद्गुरुमाता माँ विजया जी के निर्देश पर संस्था के उपाध्यक्ष पूज्य बड़े भैया श्रीश्री संजय कुमार ने मंगल दीप प्रज्ज्वलित कर महोत्सव का उद्घाटन किया। संस्था के सचिव के एस वर्मा तथा संदीप गुप्ता ने सद्ग़ुरु एवं गुरुमाँ की मूर्तियों पर माल्यार्पण किया। वरिष्ठ इस्सयोगी लक्ष्मी प्रसाद साहू 'मामाजी' ने दोनों मूर्तियों पर रेशमी चादर अर्पण किया। इस अवसर पर संस्था की त्रैमासिक पत्रिका 'इस्सयोग संदेश' के महानिर्वाण-महोत्सव विशेषांक का लोकार्पण नीना एस गुप्ता द्वारा किया गया।
आधे घंटे की सामूहिक 'आह्वान साधना' के पश्चात सवा तीन बजे से २२घंटे की अखंड सामूहिक साधना और संकीर्तन आरंभ हुआ, जिसका समापन बुधवार को पूर्वाहन सवा नौ बजे होगा। पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ, समर्पण के भाव से हज़ारों साधक-साधिकाएँ अपने परम आराध्य ब्रह्मलीन सदगुरुदेव के चरणों में अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं।।
संस्था के संयुक्त सचिव डा अनिल सुलभ के अनुसार, आज आरंभ हुए दो दिनों के इस सबसे बड़े उत्सव में संस्था के संयुक्त सचिव उमेश कुमार, संगीता झा, रेणु गुप्ता, शिवम् झा, काव्या सिंह झा, डा द्रासनिका पटेल, सरोज गुटगुटिया, डा जेठानंद सोलंकी, वंदना वर्मा, दीनानाथ शास्त्री, डा मनोज राज, माया साहू, डा रौबिन समुंदर , ममता जमुआर, कपिलेश्वर मंडल, अजीत पटनायक, रवींद्र कुमार, अजय पाण्डेय, डा मनोज धमीजा, नितिन साहू, सुशील प्रजापति, हरि पंडा, सुषमा मूलचंद, आर सी तिवारी, सुरेश बलेचा, डा गीतारानी जेना, संगीता ठाकुर, योगेन्द्र प्रसाद, संतोष कुमार तथा विनोद तकियावाला समेत अमेरिका, इंगलैड, औस्ट्रेलिया, सिंगापुर, थाईलैंड, नेपाल तथा दुबई समेत दुनिया भर से सात हज़ार से अधिक साधकगण भाग ले रहे हैं।

Address

Patna
800023

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Nation Republic News posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Contact The Business

Send a message to Nation Republic News:

Videos

Share


Other Media/News Companies in Patna

Show All

You may also like