04/05/2022
मंडी का हाल:इस बार मंडियों में पहुंचा मात्र 17% गेहूं, पीक आवक पर भाव हुआ 2300 रुपये प्रति क्विंटल
जिले की अनाज मंडियाें में पहुंचा केवल 45131 मीट्रिक टन गेहूं, पिछले साल आया था 273437 मीट्रिक टनकम पैदावार होने से इस बार गेहूं के दाम आसमान छू सकते हैं। मंडियाें में गत वर्ष से साढ़े 83 प्रतिशत गेहूं कम पहुंचा है। गेहूं का समर्थन मूल्य 2015 रुपये प्रति क्विंटल है लेकिन अभी से अनाज मंडियाें में गेहूं के भाव 2300 रुपये प्रति क्विंटल के पार पहुंच चुके हैं और आशंका जताई जा रही है कि अगले सप्ताह तक गेहूंं के दाम 2500 रुपये प्रति क्विंटल के पार हाे जाएंगे।
पिछले वर्षो में किसानाें काे मंडियाें में गेहूं डालने के लिए भी जगह नहीं मिलती थी। लेकिन इस बार भिवानी अनाज मंडी में ही गेहूं शेड से बाहर नहीं निकला। लाेहारू व बहल मंडियाें में ताे गेहूं का एक दाना भी नहीं पहुंचा। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है।
जिले में इस बार गेहूं की कितनी आवक कम हुई है। पिछले साल जिले की अनाज मंडियाें में 273437 मीट्रिक टन आवक हुई थी। लेकिन इस बार केवल 45131 मीट्रिक टन गेहूं की मंडियाें में पहुंचा है। यानी की 228306 मीट्रिक टन गेहूं मंडियाें में कम पहुंचा है।
जानिए... अनाज मंडी में कम आवक का कारण
• जिले में इस बार लगभग डेढ़ लाख एकड़ में गेहूं की बिजाई हुई थी। जाे गत वर्षाें से लगभग 60 हजार एकड़ भूमि में कम बिजाई हुई थी। इससे पैदावार भी कम हुई।
• माैसम के कारण इस बार गेहूं की प्रति एकड़ पैदावार 7 से 8 क्विंटल तक कम हुई है। जबकि पहले प्रति एकड़ भूमि में औसतन 22 क्विंटल गेहूं की पैदावार हाेती थी। जबकि इस बार औसतन 12 से 13 क्विंटल गेहूं की ही पैदावार हुई है।
• जिन ग्रामीण क्षेत्रे के नागरिकाें ने इस बार अपने खेताें में गेहूं की बजाए सरसाें की बिजाई की थी उन्हाेंने साथी किसानाें से खेत में ही घरेलू खर्च के लिए गेहूं की खरीद कर ली।
• लगभग 20 प्रतिशत किसानाें ने गेहूं के दाम में बढ़ाैती की आशंका के चलते अपने घर पर ही गेहूं का स्टाॅक कर लिया।
• इसके कारण सरकार के गाेदाम इस बार गेहूं से खाली रह गए। जबकि गत वर्षाें में एजेंसी काे गेहूं के चट्टे खाली जमीन पर तिरपाल के नीचे लगाने पड़ते थे।
जानिए... ये आ सकती हैं दिक्कतें
• गेहूं की कम पैदावार के कारण महंगे दामाें पर गेहूं खरीदना पड़ रहा है। जिन लाेगाें ने परिवार के हिसाब से सालभर का -अनाज अभी नहीं खरीदा ताे दाे महीने बाद उन्हें और भी अधिक भाव में गेहूं खरीदने काे मजबूर हाेना पड़ सकता है।
• गेहूं की कमी व भाव तेज हाेने के कारण पशुपालकाें काे भी पशुओं के लिए गेहूं खरीदना मुश्किल हाे जाएगा।
• श्रमिक आदि जाे लाेग प्रतिदिन बाजार से आटा खरीदते हैं उनके लिए आटा खरीदना और महंगा हाे जाएगा।
इस बार गेहूं की पैदावार कम हुई है। गत वर्ष जिले की अनाज मंडियाें में 273437 मीट्रिक टन गेहूं की आवक हुई थी, लेकिन इस बार केवल 45131 मीट्रिक टन गेहूं ही मंडियाें में पहुंचा है। जाे गेहूं मंडियाें में पहुंच रहा है सरकार उसकी खरीद कर रही है। अब मंडियाें में दाे-तीन ढेरी गेहूं ही पहुंच रहा है, जबकि दाे मंडियाें में इस बार गेहूं की आवक ही नहीं हुई है।''