हम सब मिथिलावासी

हम सब मिथिलावासी अपन संस्कृति अपन संस्कार
अपन बोली अपन लिपि
मिठगर बोली अपन पहचान
जतय भेटैय माछ ,पान और मखान
(2)

06/06/2024

मिथिला केर पाबैन #बरसाइत केर समस्त मिथिलानी क बहुत बहुत शुभकामना

जेठ मासक अमावस्या तिथि के मनाओल जाइवला
पर्व बरिसाइत कें अपन मिथिला में बहुत प्रधानता देल गेल अछि। ई पावनि पति कें दीर्घायुक कामना संतान प्राप्ति आ समस्त परिवारक कल्याणार्थ राखल जाइत छैक ! बरसाइत के नाम सँ प्रसिद्ध और सावित्री केर पतिव्रत आ धर्म-परायणता सँ प्रेरित इ पाबनि नवविवाहिता मैथिल स्त्री के लेल बहुत महत्वपूर्ण पाबनि मानल जाइत अछि । पति के दीर्घायु के लेल स्त्रीगण पूर्ण निष्ठा पूर्वक संपूर्ण विधि - विधान सँ बरक गाछ तर बैसि नाग-नागिनक पूजन करैत छथि। प्रसाद स्वरूप केराक पात पर फल- फूल , आम , पाँच प्रकारक फल , पचमेर मधूर, पंचमेवा, धानक लाबा, दूध, ओंकरी (फूलल बदाम अर्थात चना किंवा मूंग के अंकुरी)
आदि रहैत अछि।
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ताहि समय में भार सांठबाक बड प्रचलन रहैक पावनिक विध केर जावंतो सामान, रंग-बिरंगक फल जेना - घौंरक - घौंर केरा, कटहर, लीची आदि मौसमी फल, रंग-बिरंगक मधुर जेना - खाजा, लड्डू, पेरा, बालुशाही, रामभोग आदि,
कस्तारा - कस्तारा दही, चंगेरा - चंगेरा चूड़ा, पूरी-पकवान आदि रहैत छैक।

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समस्त परिवार लेल वस्त्र, लहठी आदि,
पवनैतिन लेल वस्त्र, आभूषण, लहठी, श्रृंगारक सभटा सामान संगे छाता, चप्पल, आसन आदि,
गौरी बना क, बिषहरा बना क आओर विधि केर सभटा वस्तु नव विवाहिता कें सासुर सँ पठाओल जाईत छलैक ।।

परंच आब समय बदलि रहल छैक भार-दोरक महत्व नहिं रहलैक तें आब विधि क सभ समानक संग पवनैतिन लेल वस्त्र, आभूषण, छाता, चप्पल आदि जरूर पठाबी।

पूजन सामाग्री –
1. बियैन-7 टा
2. डाली -7 टा
3. बोहनी-1
4. अहिवातक पातिल
5. उड़ीदक बड़ 14
6. सुतरी
7. सरवा -२
8. माटिक बिसहरा (नाग-नागीन) - पांच गोट
9. केरा क पात
10. लावा
11. एकटा सरवा में दही
12. अंकुरी खेरही किंवा बदाम केर
14. लाल कपड़ा
15. कनिया -पुतरा
16. साजी
17 अरवा चाउर
18. एक जोड़ जनेउ आ गोटा सुपारी
19. फल ,फूल ,पंचमधुर, पंचमेवा
20. कांच हरदि ,दूबि ,कुसुमक फूल, धनियां, गंगाजल
21. बिन्नी के पोटरी

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पूजन विधि - -

दू चारि दिन पहिनहिं पाँच गोट नाग-नागिन, हाथी आदि बना ओकरा रंगि-ढ्योरि क तैयार कए राखी।
ई काज नइहर सासुर दुनू ठाम होयत ।हाथी जँ विवाह वला हो त नव बनेबाक कोनो बेगरता नहिं छैक ।
नाग - नागिन सात गोट सेहो बनाओल जा सकैछ जाहि में पाँच गोट नागिन आ दू गोट नाग रहत ।
डाली-पाती सेहो पहिनहिं अना क राखि ली।
एक दिन पहिने पवनैतिन नहा धो क पवित्र भ अमनियाँ भोजन करतीह।
पावनि दिन पोखरि में नेहेबा काल ध्यान देबाक छैन्ह जे नाभि पानि में नहिं डुबौतीह। तें लोटा लए नहायब उचित छैक ।आई-काल्हि पोखरिक उठाव भेने एहन बातक कोनो औचित्य नहिं रहैक परंच जँ बाथटब क उपयोग करथि त ध्यान देथि। संध्या काल पाँच - सात अइहब मिलि ब्राह्मण गोसाउनिक गीत गाबि गौड़ी बनबैथि ।गौड़ी बनेबाक लेल सामग्री रहत - दूबि ,कांच हरदि ,धनिया, कुसुमक फूल, गंगाजल " एकटा अहिबाती तेल - सेनूर कए, नव वस्त्र पहिरि खौंइछ लए सभटा सामग्री के सिलौट पर पीसि क गौड़ी बनौतीह ,जकरा रंगल - ढौरल सरवा पर एकटा सिक्का पर गौरी राखि पान क पात स झापि ,पान क पातक ऊपर सिंदूरक गद्दी राखि ललका कपड़ा सँ झाँपि भगवती लग राखि देथिन्ह
एम्हर सभ अहिबाती के तेल सेनूर कए हाथ में सुपारी देथिन्ह।

उड़दि दालि के फुला के किंवा उड़िदक घाठि फेनि क १४ टा बड़ पकाओल जायत ,जकरा सेरेलाक बाद सुतरी में माला गांथल जायत (बिना सुइया के) बड़क माला बना के बोहनी के मुँह पर बांधल जायत I
केरा के पात पर सिन्दूर आ काजर सँ बिष-विषहारा लिखल जाएत I
रातिये खन अंकुरी आ पिठार फूलय लेल दए देथिन्ह I

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पूजन विधि - -

अहिबाती सखी सभ ब्राह्मण गोसाउनिक गीत गबैत रहतीह ताबत नव कनियाँ (पवनैतिन) नहा धो क सासुर स आयल नव वस्त्र धारण कए लहठी पहिरि श्रृंगार कए भगवती क प्रणाम कए ,हाथ में साजी (जाही में कनिया पुतरा रहत ),आ माथ पर बोहनी (जाही में लाबा भरल रहत आ जकरा मुँह पर बड़क गुथलाहा माला पहाराओल रहत रहत )लय के भगवती कें गोर लागी सब संगी बहिनपाक संगे बटगबनी गबैत बड़क गाछ तर जेतीह। ओहि ठाम पहिनहिं कियो अहिबाती किंवा कुमारि कन्या ठांव कए अरिपन देने रहथिन्ह।
पवनैतिन गंगाजल सँ सिक्त कए सभ सखी संग शुभे-शुभे करैत आसन लगा बैसि जेतीह।
गाछ तर बैसलाक बाद बोहनी में राखल लाबा केराक पात किंवा कोनो डाली में उझिलि देथिन्ह आ ओही बोहनी में जल भरि देथिन्ह।
गाछक तअर में जे अरिपन देल छैक ताहि पर बीच में केराक पात ओछा देथिन्ह। बामा भागक अरिपन के ऊपर 7 टा बिअनि रहत ,आ सात टा डाली में फुलायल अंकुरी ,फल ,मिठाई आदि राखल रहत।
आगू में अहिवात जरा क ओकर झपना सँ ओकरा कनेक तिरछिया के झांपि देथिन्ह ।धूप-दीप, धूमन गुग्गुल आदि जरा लेतीह।
एक टा डाली में चाउर ,सुपारी, जनऊ,पैसा फल -मिठाई राखल रहत जे पूजा के बाद पंडिताईन कें देल जाइत छैक ।
आम क पात पर 60(साइठ )ठाम अंकुरी आ फल -मिठाई के नवेद्य लगौतीह।
एकटा बियनि पर आ एक टा आम पर पांच ठाम सिन्दूर लगा बड़क गाछक जड़ि में ‍‌‍‍राखि देथिन्ह।
बीच वला भागक अरिपन पर विष-विषहारा लिखल पात राखि ओही पर माटिक नाग - नागिन नइहर सासुर दुनू ठामक राखि देथिन्ह ।
पवनैतिन एक टा बड़क पात केश में खोसि लेतीह जकरा कथा के बीच-बीच में खोंटैत फकरा पढ़तीह (बर लिय, मर दिय)
सबटा ओरियाओन भेलाक बाद पवनैतिन सभ सँ पहिने बामा भाग में (नइहर, सासूर दुनू ठामक ) गौरी क पूजा-अर्चना करतीह। गौरीक लेल आगु में नवेद्य, पंचमेर मधुर, पंचमेवा, केरा आदि अनेक तरहक फल, पान सुपारी, फूल, बेलपत्र, दूबि आ सिन्दूर लय श्रद्धापूर्वक गौरीक गीतक संग पूजा करतीह।

तदुपरांत बीचला भाग में बिन्नी पढ़ैत नाग-नागिनक पूजा-अर्चना करैत बिषहरा कें दूध-लाबा, श्री खण्ड चानन, फूल बेलपत्र आदि अर्पित करैत बिषहरा क गीत गबैत मिनती आदि गाबि बिषहरा क पूजा-अर्चना संपन्न करतीह ।

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बिषहरा क पूजाक बाद दहिना भाग में सावित्री क पूजा-अर्चना कए सदा सुहागिन रहबाक आशीष लेतीह।
सभ सँ बाद में अलग सँ जे छोटका अरिपन अछि ओहि पर सोमाधोबिन केर पूजा कए आशीष लेतीह ।सभ टा पूजा-अर्चना संपन्न भेलाक बाद
हाथ में बीनी क पोटरी लय जांघ तर बोहनी राखि कथा सुनतीह ।

कथा सुनलाक बाद पवनैतिन आंचरक खूंट पर गाछ तरक रखलाहा आम आ एक टा सिन्दूर क गद्दी लए टोकरीक सूत किंवा मौली धागा लए गाछ के चारू कात पांच बेर प्रदक्षिणा करतीह।
ओकरा बाद गाछ तर जे छाड़ल लिखल बियनि अछि ताहि सँ गाछ के तीन बेर होंकैत गला मिलतीह।
आब कनियाँ - पुतरा कें पवनैतिन क हाथे विधि पूर्वक विवाह संपन्न कराओल जाएत । सिंदूरदान पुतराक हाथे पवनैतिन करौतीह ।
ओकरा बाद सभ देव-देवी, बिषहरा कें स्मरण करैत नैवेद्य उत्सर्जित करतीह। पुनः विषहरा के दूध लाबा चढौतीह।
बोहनी में बांधल सबटा बड़ के वामा हाथक अंगूठा आ अनामिका क सहारा सँ तोरी कें एक बेर आगु आ एक बेर पाछु फेकैत फकरा पढ़तीह - वर लिय कहैत पाछू दिस आ मर दिय कहैत आगू में फेकतीह।
ई सभटा विधि संपन्न भेलाक बाद पवनैतिन खौंइछ में आम, फल, मधुर आदि लए संग में पूजा केनिहारि दोसर पवनैतिन संग खौंइछ क सभ सामग्री बदलि भैया लगौतीह ।
संजोगवश जँ दोसर पवनैतिन नहिं रहतैक त बड़क गाछ संग सेहो भैया लगाओल जा सकैछ।

ओकरा बाद माथ पर फेर बोहनी उठेती ,हाथ में साजी लेती आ सखी सभक संग बटगबनी गबैत आंगन में भगवती घर आबि मिनती गबैत, भगवती कें प्रणाम करतीह ।
गाछ तर राखल डाली सेहो उठा के भगवती घर में राखी।
भगवती कें प्रणाम केलाक बाद 7 टा अहिवाती के डाली आओर अंकुरी दए प्रणाम कए आशीष लेतीह संगहि सब पैघ जन के सेहो प्रणाम कए आशीष लेतीह।
एम्हर माए पितियानि भरिगाम में सभ कें हकार दए बजा सभ कें तेल - सेनूर आ अंकुरी देथिन्ह ।

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" कथा "

सोमा धोबिन आ नाग-नागिनक कथा - - -

एक टा गाम में एकटा ब्राह्मण अपना कनियाँ और सात टा पुत्र संगे खुशी खुशी रहैत छलाह। हुनका आंगनक भनसा घरक चिनवार लग एक टा नाग-नागिन अपन बिल बना क रहैत छल। ब्राह्मणक कनिया घर में बीहरि देखि प्रतिदिन भात पसेला क बाद ओ गरम माँर ओहि बीहरि में ढारि दैत छलईथ जाहि सं साँप क सबटा पोआ(बच्चा ) सब मरि जाईत छल I निरंतर अपन पोआ सब के मरला सं क्रोधित भय नाग –नागिन एक दिन ब्राह्मण के श्राप देलखिन जे “जेना अहाँ हमार बच्चा सब के मारलउ तहिना अहाँ के वंश के सबटा बच्चा सब साँप के कटला से मरि जायत “I समयांतराल में ब्राह्मण के बड़का बेटा के हर्षो- उल्लास सं विवाह भेलनि Iविवाहोपरांत ब्राह्मण बेटा कनियाँ के द्विरागमन करा अपना घर दिश बिदा भेला I रास्ता में किछु देर क वास्ते सुस्तेवा लेल एक टा वट वृक्ष क नीचा में दुनू बर कनियाँ बैसलाह Iओहि गाछ के जड़ि में एकटा धोधैर छल जाहि में नाग-नागिन रहैत छल I नाग-नागिन धोधैर सं निकलि दुनू बर कनियाँ के डैस लेलखिन जाहि सं दुनू के मृत्यु भय गेल I ब्राह्मण क घर में दुःख के पहाङ टूटि परल I अहिना क कय ब्राहमण के छ्हो पुत्र के एक एक करि कय कसर्प-दोष सं मृत्यु भय गेलनि I ब्राह्मण –ब्राह्मणी चिंतित रहए लगला आ अपन छोटका बेटा के हमेशा अपना आँखि के सामने रखैत छलैथ I बेटा के हमेशा झापि-तोपि के रखैत छलैथ कि कतहुँ साँप –बिच्छु ने काटि लई I ब्राह्मण क बेटा जखन पैघ भेला त धनोपार्जन हेतु घर से बाहर जेबा लेल जिद करय लगला I पहिने त हुनकर माता-पिता हुनका बाहर भेजवा लेल तैयार नई होईत छला ,फेर एही शर्त पर राजी भेला कि हमेशा अपना संगे एकटा छाता और जूता रखता I शर्त मानी ब्राह्मण बेटा घर सं बिदा भेला I जाईत-जाईत एकटा गाम लग पहुचला, गाम के

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बाहर एकटा धार छल ,ब्राह्मण बेटा जूता पहिर लेलथि आ धार के पार करअ लगला I तखने गाम के किछु लङकी सभहक झुण्ड सेहो धार पार करैत छल Iसब सखि सब ब्राह्मण के बेटा के जुत्ता पहिर पानि में जाईत देखि ठठहा के हंसअ लगली आ कह लगली कि – “हे देखू सखि सब केहन बुरबक छै ई ब्राह्मण बेटा पानि में जूता पहिरने अईछ “I ओहि झुण्ड में एकटा सामा धोबिन के बेटी सेहो छल से सखि सबके अपन तर्क देलखिन जे –हे सखि नई बुझलौं ,ब्राह्मण बेटा पानी में जूता एही दुआरे पहिरने ऐछ जाहि सं पनि में रहै बला साँप –कीङा ओकरा पैर मे नइ काटि लइ” I ब्राह्मण बेटा ओहि लङकी के तर्क सुनि चकित भेला I धार पार कय सब गोटा आगु बढ़ल ,धुप बेसी छल मुदा ब्राह्मण बेटा छाता अपना कांख तर दबने रहल, सब सखि सब मुँह झाँपी मुस्कुरैत रहलि आ सोचैत छलि ,जे एतेक धुप छै आ ई मानुष छत्ता कांख तर दबेने ऐछ Iबर रौउद छल आ गाम क उबर-खाबङ मैइटक रस्ता ,सब गोटा चलैत-चलैत थाईक गेल I रस्ता कात में एकटा बरका विशाल बङ क गाछ छल जकरा देख सब गोटा ओहि छाया में विश्राम करवा हेतु गाछ तर बैस रहल I ब्राह्मण बेटा जखने गाछ तर बैसला अपन कांख तर दबैल छत्ता खोइल ताइन लेलइथ I सब सखि सब फेर जोर सं हंस लागलि आ कह लागलि जे – “देखिअऊ इ मानुष के धुप छल त छत्ता कांख तर देवेने छल आ जखन गाछ तक छाया में बैसल ऐछ त छत्ता तनने ऐछ “I सोमा धोबिन क बेटी जे ब्राह्मण बेटा के बार ध्यान सं देख रहल छालैथ,फेर अपन तर्क देलखिन जे –“ हे सखि सब अहाँ सब फेर नई बुझलौं ,इ ब्राह्मण बेटा गाछ पर रहै बला साँप-कीङा सं अपना क बचबै लेल गाछ तर छत्ता तनने ऐछ “I ब्राह्मण क बेटा जे बरि काल सं सोमा बेटी के तर्क सुनैत छला ,ओकर बात सं ततेक प्रभावित भेला कि सोचलैथ कि अगर विवाह करब त एही चतुर कन्या सं करब Iब्राह्मण बेटा गाम क धोबिन लग गेला आ धोबिन सोमा सं कहलखिन जे हम आहाँ क चतुर बेटी सं विवाह कर चाहैत छी I सोमा धोबिन तैयार भय गेलि आ खुशी –खुशी दुनू के विवाह कय देलखिन I जखन विदागरी क समय आयल त सामा धोबिन कहलखिन जे –“हे बेटी हम त गरीब छी ,हमरा लग धन –दौलत किछु नहि अछि, अहाँ के हम विदागरी में कि दिय ?” सोमा क बेटी ताहि पर उत्तर में कहलखिन जे –“हे माय अहाँ हमरा किछु नय मात्र कनी धान क लाबा ,कनी दूध ,बोहनी आ एक ता बियन दिय आ आशीर्वाद दिय जे हम अपना पति आ हुनकर वंश वृद्धि में सहायक होइयन I” सोमा धोभिन सब चीज जे हुनकर बेटी कहलकैन ओरिआन कय क देलखिन आ आशीर्वाद दय दुनू बर कनियाँ के बिदा केलखिन Iब्राह्मण बेटा अपना कनियाँ क लय अपना गाम दिश चल लगला I चलैत-चलैत जखन दुनू गोटा थाईक गेला त विश्राम करवा लेल एक टा बङ गाछ के नीचा में रुकि गेला I सोमा धोबिन क बेटी अपन माय क देल सबटा समान गाछ के निचा में राखि अपना वर संगे आराम करय लगलि I ओही बङ के जइङ में एकटा नाग अपना नागिन बिल में संगे रहैत छल Iगाछ के जैङ लग दूध, लाबा आ बोहनी में राखल पानि देखि नाग कय भूख और प्यास जागृत भय गेल आ नाग अपना बिल सं निकलि बाहर जेवाक लेल व्यग्र भ गेला I नागिन बार बार मना कर लागलैथ किन्तु नाग नइ मानलैथ आ बाहर आबि जहिना बोहनी में राखल पानी के पिबा लेल ओहि में मुहँ देलखिन, धोबिन बेटी नाग समेत बोहनी के हाथ सं पकङि अपना जाँघ तर में दाबि क राखि लेलैथ I नाग कतबो प्रयास केलैथ निकलि न हि पेलैथI जखन बरि काल बितला क बादो नाग घुरि क नहीं अयलाह त नागिन बाहर निकललि आ देखलथिन्ह जे नाग के त एकटा नव कनियाँ पकङने अछि I नागिन सोमा बेटी सँ कहथिन्ह जे हमर "वर" दिअ ! सोमा बेटी नइ मानलथिन्ह कहथिन्ह जे पहिने अहाँ हमर "मर" दिअ!
नागिन के निरंतर अनुनय –विनय क बाद धोबिन बेटी एकटा शर्त राखलखिन जे –“हे नागिन हम अहाँ के पति नाग राज के तखने छोङबनि जखन अहाँ हमरा पति आ हुनकर वंश के सर्प-दोष सं मुक्त करब संगहि हुनकर छबो भाई के जे मरि गेल छैथ के पुनः जीवित करब “ I नागिन विवश छलि धोबिन बेटी के शर्त मानवा लेल I नागिन स्वर्ग सं अमृत अनलेइथ आ ब्राह्मण के सबटा पुत्र ,पुत्रवधु के जीवित कय सर्प –दोष सं मुक्त कय सब के आशीर्वाद देलखिन I तखन जा क धोबिन बेटी नाग के छोङलखिन और अपन करनी लेल क्षमा माँगी नाग –नागिन के प्रणाम केलैथ I तखन नाग नागिन ब्राह्मण के सबटा पुत्र आ पुत्रबधु सबके आशीर्वाद दैत कहलखिन –“जेष्ठ मॉस के अमावश्या दिन विवाहित कनियाँ सब ज्यों बङ के गाछ के पूजा करति आ बिष-विषहारा के दूध लाबा चढ़ा हुनकर पूजा करती तँ हुनकर सब के सुहाग अखण्ड रहतेंन “I

नाग –नागिन सं आशीर्वाद लय ब्राह्मण क सातों पुत्र आ सातों कनिया जखन अपना घर पहूँचला त ब्राह्मण –ब्राह्मणिक खुशीक कोनो पारावार नहिं छल। सोमा धोबिनक बेटी अपन चतुरता सँ छबो दियादिनी क सोहाग बचौलक आ ब्राम्हणक उजरल घर बसौलक। बाद सब गोटा प्रसन्ता पूर्वक रहए लगलाह I

हम सब मिथिलावासी(ham sab mithilawasi)
हम सब मिथिलावासी

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19/05/2024

साल २०२४-२५ केर पंचाग आईब गेल य
जाहि महानुभाव क चाही
कॉमेंट देल ह्वाटसप लिंक जुइड ल सकैत छी

 #चंपारण मटन : एकरा हंडी मटन सेहो कहल जाइत अछि | ई मिथिलाक चंपारण क्षेत्र के प्रसिद्ध व्यंजन अछि | एकरा माटिक बर्तन मे स...
19/05/2024

#चंपारण मटन : एकरा हंडी मटन सेहो कहल जाइत अछि | ई मिथिलाक चंपारण क्षेत्र के प्रसिद्ध व्यंजन अछि | एकरा माटिक बर्तन मे सील क कम आंच पर कतेको घंटा धरि पकाओल जाइत अछि । चंपारण मटन अपन मजबूत मसाला के लेल प्रसिद्ध अछि आ मिथिला केर एकटा खास पहचान बनि रहल अछि। ई व्यंजन भारत मे नहि विदेश मे सेहो मिथिलाक प्रतिनिधित्व करैत अछि । एकरऽ उत्कृष्ट स्वाद आर बढ़इत लोकप्रियता के कारण आब एकरा बड़ऽ शहरऽ मे बनाबल जा रहलऽ छै आ एकरा बड़ऽ फाइव स्टार होटलऽ के मेनू मे सेहाे शामिल करलऽ जा रहलऽ छै ।मुदा पैघ शहर मे बनेबाक प्रक्रिया मे असली स्वाद जे चंपारणक माटि आ ओतय पारंपरिक तरीका सँ भेटैत अछि से नहि भेटैत अछि।माटिक बर्तन मे धीरे-२ पका क स्थानीय मसाला आ विशेष तकनीक स तैयार मटन चंपारण मे बेसी नीक होइत अछि।अतःअसली आ पारंपरिक चंपारण मटन के स्वाद लेबय लेल मिथिला के चंपारण भ आबि सेहे नीक रहत
अहाँसब कहियो एकर स्वाद लेलौं हैं की?

18/05/2024

जानकी नवमी केर अवसर पर हमर घर भेल #जानकी_पुजन सह #सुंदर_कांड केर किछू दृश्य

16/05/2024
जगत जननी मां जानकी के चरण वंदन करैत आहाँ सब गोटे के मिथिलाक धिया, जनकनंदिनी, सीता जी केँ प्राकट्योत्सव पर्व जानकी नवमी क...
16/05/2024

जगत जननी मां जानकी के चरण वंदन करैत आहाँ सब गोटे के मिथिलाक धिया, जनकनंदिनी, सीता जी केँ प्राकट्योत्सव पर्व जानकी नवमी केँ हार्दिक शुभकामना और बधाई । 🙏 #जानकी_नवमी

14/05/2024

जानकी नवमी कैहिया
१६ मई या १७ मई

मैथिली फिल्म  #मिलन और  #स्लहेश केर अपार सफलता क बाद अपने सबहक समक्ष  फिल्म  #विद्यापति आईब रहल य। जे ७ जुन केर अपने सबह...
02/05/2024

मैथिली फिल्म #मिलन और #स्लहेश केर अपार सफलता क बाद अपने सबहक समक्ष फिल्म #विद्यापति आईब रहल य। जे ७ जुन केर अपने सबहक बिच मिथिला केर विभिन्न सिनेमा घर पर रिलिज हो़यत। अपने समस्त मिथिला वासी सं आग्रह प्रोत्साहन जरुर दी

हनुमान जंयतोत्सव केर समस्त सनातनी संग मैथिल बंधूं केंं हार्दिक शुभकामना
23/04/2024

हनुमान जंयतोत्सव केर समस्त सनातनी संग मैथिल बंधूं केंं हार्दिक शुभकामना

17/04/2024

जाहि हर्ष और उल्लास केर संग हम सब आइ रामनवमी मना रहल छी
आग्रह अहि हर्ष उल्लास संग जानकी नवमी से हो मनायब
🙏🙏🌹🌹🌹जय श्री राम🌹🌹🌹🙏🙏

बिहार के सबसे बड़े ज़मींदार, ी के संस्थापक भूमिहार कुलभूषण शिक्षाविद दानवीर बाबू  #लंगट_सिंह जी के पुण्यतिथि पर उन्हें श...
16/04/2024

बिहार के सबसे बड़े ज़मींदार, ी के संस्थापक भूमिहार कुलभूषण शिक्षाविद दानवीर बाबू #लंगट_सिंह जी के पुण्यतिथि पर उन्हें शत-शत नमन !!
💐🙏🏻💐

आपने लंगट सिंह कॉलेज, मुज़फ़्फ़रपुर का नाम सुना होगा। इसके संस्थापक थे लंगट सिंह। सन 1899 में इस कॉलेज की नींव उन्होंने रखी मगर तब इसका नाम 'भूमिहार ब्राह्मण कॉलेजियट स्कूल' था।

चौंकाने वाली बात यह कि जिस जमाने में राजा जमींदार लोग शिक्षण संस्थान बनवाते थे, उस समय लंगट सिंह नामक मुज़फ़्फ़रपुर के धरहरा ग्राम में जन्मे तथा रेलवे कुली की नौकरी कर रहे 49 वर्षीय व्यक्ति ने इस कॉलेज की स्थापना की। इतना ही नहीं, BHU की स्थापना में उन दिनों 1,00,000 रुपये की मदद दी। वहां ये महाराजाधिराज रामेश्वर सिंह के बुलावे पर गए थे।

मात्र कक्षा 4 तक पढ़ाई करनेवाले इन महापुरुष ने उच्च शिक्षा प्राप्त करने वालों के लिए इतना कुछ किया।

ये किसान परिवार में जन्म लिए थे। अल्प शिक्षा के बाद दरभंगा समस्तीपुर रेल लाइन पर टेलीफोन सेक्शन में काम करने लगे। शरीर से हृष्टपुष्ट और सुंदर इन आर्यपुत्र ने ग्रीयर विल्सन नामक अंग्रेज इंजीनियर को अपनी मेहनत और मितभाषिता से मोह लिया। इस कारण उनकी कृपादृष्टि बन गई। उनकी पत्नी ने भी इन्हें मदद की और रेलवे-टेलीफोन की ठेकेदारी मिल गई। लगभग साढ़े 7 वर्ष की इस नौकरी में वे कमाई की ऊंचाई पर थे।

जब दरभंगा नरेश उन्हें बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना से पूर्व होनेवाली मीटिंग में लेकर गए तब लंगट सिंह की पहचान एक छोटी मोटी हस्ती के रूप में थी। बैठक के समय जब विश्वविद्यालय निर्माण हेतु चंदे की बात चलने लगी तब महामना पंडित मदन मोहन मालवीय प्रभृति विद्वानों और कुछ समर्थवान लक्ष्मीपुत्रों के सामने उन्होंने एक लाख रुपये दान देने का प्रस्ताव रखा। उस समय उस सभा में उपस्थित सभी विद्वतजनों की आंखें फटी रह गई थी।

सन 1899 में जब मुज़फ़्फ़रपुर में भूमिहार ब्राह्मण महासभा की बैठक इनके नेतृत्व में चल रही थी तब इन्होंने भूमिहार ब्राह्मण कॉलेजियट के लिए 13 एकड़ जमीन और आर्थिक सहायता देने का भी वचन दिया।

ऐसी विभूतियों की चर्चा कम ही होती है। बिहार इन्हें सिर्फ कॉलेज के नाम से ही जानता है। इनकी जीवनी प्रथम बार रामवृक्ष बेनीपुरी ने लिखा। इस लंगट सिंह कॉलेज में कभी रामधारी सिंह दिनकर व्याख्याता के पद पर नौकरी करते थे।
महान विभूति को बारंबार आभार
#साभार ❤️🙏🙏

 #चैती_नवरात्री ,  #बेलनौती  #नवरात्री  #चैती  #सरोज_कुमार_झा मुरलीचंदवा, उदाकिशुनगंज, मधेपुरा
15/04/2024

#चैती_नवरात्री , #बेलनौती #नवरात्री #चैती #सरोज_कुमार_झा

मुरलीचंदवा, उदाकिशुनगंज, मधेपुरा

14/04/2024

#बिहार लोक आस्था का महापर्व #चैती #छठ । #मधुबनी में छठ घाट पर अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित करते छठ व्रती । िथिलावासी_चैती_छठ #चैती_छठ_2024

दरभंगा में ईद के मौके पर एक विशेष समुदाय के लोगों के द्वारा दरभंगा महाराज  रमेश्वर सिंह की प्रतिमा के साथ अभद्र व्यवहार ...
14/04/2024

दरभंगा में ईद के मौके पर एक विशेष समुदाय के लोगों के द्वारा दरभंगा महाराज रमेश्वर सिंह की प्रतिमा के साथ अभद्र व्यवहार करने के वायरल तस्वीर का मामला सामने आया है. सोशल मीडिया पर एक तस्वीर सामने आया है कि एक लड़का महाराज रमेश्वर सिंह की प्रतिमा के ऊपर चढ़ गये और महाराज की प्रतिमा के दोनों कंधे पर पांव रख कर उनके सिर पर बैठ गया. बताया जा रहा है कि जब इसकी तस्वीर कुछ लड़के ले रहे थे तभी दूसरे पक्ष की नजर इस पर पड़ी. इसके बाद उन्होंने उन लड़कों को वहां से भगा दिया.
दरअसल ईद के मौके पर लोगो की भारी भीड़ दरभंगा राज परिसर में उमड़ी थी. इसी भीड़ में से कुछ लड़के राज परिसर के चौरंगी यानि रामेश्वर प्लेस पर पहुंच गए, इधर कुछ लड़के दरभंगा महाराज की प्रतिमा के साथ मोबाइल से सेल्फी ले रहे थे इस दौरान ही एक लड़के ने ऐसी हरकत की. विदित हो कि महाराज रमेश्वर सिंह भारत धर्म महामंडल के अध्यक्ष थे और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के संरक्षक रहे. दरभंगा मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के निर्माण में तथा मिथिला राज्य के मांग रखने वाले ये पहले व्यक्ति थे. इन्होंने मिथिला में कई कल कारखाना लगवाए जिसमें लोहट चीनी मिल , जुट मिल आदि प्रमुख हैं. बिहार के निर्माण में भी इनका अहम योगदान रहा. राजनगर के महल एवं मंदिर का निर्माण उन्होंने करवाये. दरभंगा मे श्यामा मंदिर उन्हीं के चिता पर स्थापित है. सनातन धर्म के ध्वजवाहक राजर्षि महाराज की मूर्ति के साथ इस तरह की बदतमीजी और लापरवाही चिंताजनक है.

दरभंगा राज परिसर के अंदर श्यामा माई मंदिर में विशेष समुदाय के लोग तालाब में वोटिंग का आंनद ले रहे थे. उस दौरान ये बात फैल गई की वोटिंग के दौरान कुछ लोग अभद्रता कर रहे हैं. तब दूसरे पक्ष के लोगों ने आपत्ति जताई और तत्काल तालाब में वोटिंग को रुकवा दिया

इधर इस तरह की घटना होने और माहौल तनावपूर्ण होने की सूचना पुलिस को मिली तो तुरंत भारी संख्या में पुलिस मौके पर पहुंच गई. इसके साथ ही सिटी एसपी शुभम आर्य, एसडीएम विकास कुमार और एसडीपीओ अमित कुमार भी मौके पर पहुंचे और स्थिति सामान्य करवाया. इसके बाद फिर से वहां बोटिंग चालू किया गया. इसके साथ ही आला अधिकारियों ने मंदिर प्रशासन के साथ बैठक भी की.

जय छठी मैया। आई   #खरना  अई सब गोटे प्रणाम करु 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏   िथिलावासी_चैती_छठ #चैती_छठ_2024
13/04/2024

जय छठी मैया। आई #खरना अई सब गोटे प्रणाम करु 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏



िथिलावासी_चैती_छठ
#चैती_छठ_2024

शुभ प्रभातमिथिला वासी परिवार क तरफ जुड़-शीतल और मैथली नव वर्ष क हार्दिक शुभ कामनाग्लोवल वार्मिंग स बचबाक अछि त मनाउ जुईड...
13/04/2024

शुभ प्रभात
मिथिला वासी परिवार क तरफ जुड़-शीतल और मैथली नव वर्ष क हार्दिक शुभ कामना
ग्लोवल वार्मिंग स बचबाक अछि त मनाउ जुईड़-शीतल
मिथिला क प्रकृतिपूजक संस्कृति क अद्भुत पर्व अछि जुड़-शीतल। एहि पर्व क संबंध मे अयोध्‍या प्रसाद ‘बहार’ अपन पुस्‍तक रियाज-ए-तिरहुत म किछु एहने वाक्‍य लिखने छथि। मुदा ग्लोवल वार्मिंग क एहि दौर मे एहि पर्व क वैज्ञानिक उपयोगिता आ सार्थकता बढि गेल अछि। हम पश्चिम देश क नकल करैत अर्थ-आवर क नाम पर ओहि जगह क बत्ती सेहो बंद करि दैत छी, जतए बिजली कखनो- काल क अबैत अछि। की पश्चिम समाज कखनो भनसाघर स निकलैत ऊर्जा पर गौर करैत अछि। की ओ कखनो भनसा घर कए आराम देबाक कोशिश करैत अछि। नहि। मुदा मिथिला मे एकटा पुरान परंपरा अछि जे हमरा एहन करबाक प्रेरणा दैईत अछि। जुईड-शीतल मिथिला क एकटा एहने लोकपर्व थीक। आइ बहुत लोक अई पर्व क संबंध म नहि जानैत अछि, मिथिला म आब सेहो इ पर्व सिमटैत जा रहल अछि। अखबार आ पत्रिका मे सेहो अई पर्व क संबंध म कोनो जानकारी लगभग नैहिऐ दैईत अछि। हुनकर सेहो मजबूरी अछि। जुड-शीतल कोनो ब्रांड नहि बनि सकल अछि। इ पर्व न कोनो पैघ नेता मना रहल अछि आ न कोनो कलाकार या खिलाड़ी। फेर कोना लिखल या देखाउल जाएत। एहन मे एहि पर्व क बारे मे बतेबा लेल नहि त अखबार मे जगह अछि आ नहि चैनल मे समय। मुदा एहि पर्व क रोचकता आ वैज्ञानिकता एकरा मरबा स बचेने अछि। अगर एहि पर्व कए मिथिलाक आन पर्व जेनां छठि आ सामा जेकां प्रचारित कैल जाए, त एहि अद्भूत पर्व पर पूरा विश्व आकर्षित भ सकैत अछि। मूलरूप स इ पर्व सूचिता अर्थात साफ-सफाई स संबंध रखैत अछि, मुदा एकर मुख्‍य कारक ग्‍लोवल वार्मिन स बचब अछि। दू दिवसीय एहि पर्व क पहिल दिन सतुआइन आ दोसर दिन कए धुरखेल कहल जाइत अछि।
सतुआइन (14 अप्रैल) : जेना कि नाम सॅ पता चलैत अछि जे एकर संबंध सत्तू स अछि। सतुआइन क दिन लोक सत्तू आ बेसन स बनल
व्यंजन ग्रहण करैत छथि। एकर पाछु तर्क इ देल जाइत अछि जे सतुआइन क अगिला दिन चूंकि चूल्हा नहि जरैत अछि, ताहि लेल सतुआइन क दिन बनल भोजन लोक अगिला दिन सेहो खाइत अछि। एहन मे सत्तू आ बेसन क व्यंजन कए गर्मी क मौसम मे खराब हेबाक आशंका कम होइत अछि। ताहि लेल एकर प्रयोग कैल जाइत अछि। सतुआइन दिन भोर मे जेठ (घर मे सबस पैघ) छोट क माथ पर एक चूडूक पाइन रखैत अछि, मानल जाइत अछि जे एहन करबा स पूरा गर्मी क मौसम मे माथ ठंडा रहैत अछि। सतुआइन क दिन गाछ मे पाइन देब अनिवार्य होइत अछि। छोट स ल कए पैघ तक। उच्‍च स ल कए नीच तक। एक लोटा स ल कए एक बालटी तक पाइन सब कोनो न कोनो गाछ मे जरूर दैत अछि। ओना अनिवार्यता कायम करबा लेल एहि काज कए पुण्‍य स जोडि देल गेल अछि आ कहल जाइत अछि जे एहि दिन गाछ मे जल डालला स पुण्‍य होइत अछि।
#सरोज_कुमार _झा
िथिलावासी
धुरखेल (15 अप्रैल) : मिथिला मे एहि दिनक बड महत्‍व अछि। साल मे इ एक दिन एहन अछि जहिया चूल्‍हाक मरम्‍मत होइत अछि आ ओकर कोनो प्रकारक प्रयोग नहि कैल जाइत अछि। एहि दिन लोक बसिया भोजन करैत अछि आ भोर स ओहि सब स्थान कए विशेष तौर पर सफाई करैत अछि जाहि ठाम पाइन जमा होइत अछि। जेना तालाब, कुआं, मटका, संप, टंकी आदि। परंपरा क अनुसार एहि स्थान क सफाई क दौरान लोक अपना मे विनोदपूर्ण क्रिया करैत अछि। जेना एक-दोसर क ऊपर पाइन फेंक दैत अछि या फेर पोखरी या ईनार स निकलल थाल एक-दोसर पर फेंक देल जाइत अछि। एहि सफाई स जतए पोखरी आ इनार मे नव जल क आगमन होइत अछि ओतहि समाज क सब वर्ग आ जाति क बीच मेल-मिलाप बढैत अछि। छठि जेका जुड-शीतल मे सेहो कोनो जाति या धर्म क बंधन नहि होइत अछि। लोक मिलजुल कए सार्वजनिक आ निजी जलसंग्रहण स्थल क सफाई करैत छथि। थोडे काल त इ पर्व होली जेका भ जाइत अछि फर्क केवल एतबा होइत अछि जे एहि मे पाइन आ थाल मात्र स एक-दोसर कए पोतल जाइत अछि जखन कि होली मे रंगक प्रयोग होइत अछि। शहर मे लोक आब संप, वाटर फिल्टर आ कूलर कए साफ करि एहि पर्व कए मनेबाक नव शुरूआत केलथि अछि। एहि दिन जतए पहिने माटीक चूल्‍हा क मरम्मत होइत छल, ओतहि आइ लोक गैस चूल्‍हा क ऑवर व्लाइलिंग करवा लैत छथि। पोखरी स लकए भनसा घर तक क सफाई क बाद लोग बासी (एक दिन पुरान भोजन) भोजन करैत छथि। मिथिला मे दुपहरिया बाद बहुत ठाम आसमान पतंग स भरि जाइत अछि। मिथिला क कईटा शहर आ गाम मे जुड-शीतलक मेला प्रसिद्ध रहल अछि। एहि पर्व कए बचेबाक जरुरत अछि, एकरा पसारबाक जरुरत अछि, किया कि इ समाज कए धर्म आ जाति क बंधन स मुक्त करैत अछि। अगर पश्चिम क सोच स चलबा लेल शपथ ल चुकल छी तखनो हम इ जरूर कहब जे ग्लोवल वार्मिंग स बचबाक अछि त मनाउ जुईड़-शीतल।
#सरोज_कुमार_झा
िथिलावासी

नहाय खाय केर संगहोयत चैती छठ महापर्व शुरू  अपने सभ गोटे क चैती छठ केर हार्दिक शुभकामनायें...   िथिलावासी_चैती_छठचैती छठ ...
12/04/2024

नहाय खाय केर संगहोयत चैती छठ महापर्व शुरू

अपने सभ गोटे क चैती छठ केर हार्दिक शुभकामनायें...

िथिलावासी_चैती_छठ
चैती छठ 2024

12 अप्रैल 2024 : नहाय खाय छठ
13 अप्रैल 2024 : खरणा छठ
14 अप्रैल 2024 : चैती छठ * मुख्य दिन पहला अर्घ्य (संध्य अरग)
15 अप्रैल 2024: पारण छठ पूजा/ प्रातः अर्घ

11/04/2024

वासंती नव दुर्गा मंदिर, नवानी में मैया के संध्याक आरती के लाईव दर्शन करू 🚩🙏
सबगोटे स' आग्रह अछि, एहि पोस्ट के ज्यादा से ज्यादा शेयर करि । उद्देश्य एक्के टा अछि, गांव स बाहर रहनिहार ग्रामीण सब के गाम के पुजा देखैत और गाम आबैय के प्रयास करैथ ।
अपने समस्त भक्त जन के वासंती नव दुर्गा पुजा समिति, नवानी और समस्त ग्रामीण के तरफ स हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन करैत छी ।

दुर्गा महारानी की जय हो 🙏🙏
जय माँ दुर्गा 🚩🙏🙏

कतेक गोटे क बुझल य मिथिला सहरसा स्थित   #उग्रतारा_स्थान म भगवती कें  #माछ भोग लगाओल जाईत य।   नवका नवका कंठीधारी सब अपन ...
10/04/2024

कतेक गोटे क बुझल य मिथिला सहरसा स्थित #उग्रतारा_स्थान म भगवती कें #माछ भोग लगाओल जाईत य।
नवका नवका कंठीधारी सब अपन अपन ज्ञान अपने पास राखब

#सहरसा #मिथिला #दशहरा #मैथली

समस्त मिथिलावासी क *हम सब मिथिलावासी* सोशल मिडियासमूह क तरफ सॅ भारतीय नव वर्ष और चैती नवरात्रा केर हार्दिकशुभकामना । मा ...
09/04/2024

समस्त मिथिलावासी क *हम सब मिथिलावासी* सोशल मिडिया
समूह क तरफ सॅ भारतीय नव वर्ष और चैती नवरात्रा केर हार्दिक
शुभकामना । मा जगदम्बा सब गोटे पर अपन कृपा बना क राखैत ।
धन्यवाद

नव कुंज सॅ नव किसलय तक,
अंधियारा सॅ अरुणोदय तक ।
जय हो जय केर आलंबन आँहा के ,
हे सत्य शक्ति अभिनन्दन अहा के ।
शुभ चैत्र मास् शुभ प्रतिपदा ,
शुभ सम्वत् "सौम्य "शुभंकर हुऐ ,
हो नव संवत्सर मंगलमय ,
उत्सव आनंद निरंतर रहे ।

अही शुभ कामना क संग आबैय वला वर्ष "सौम्य " सम्वत् २०८१ केर
हार्दिक शुभकामना ।

स रो ज हम सब मिथिलावासी हम सब मिथिलावासी(ham sab mithilawasi) Mangnu Kumar Jha विनय कुमार झा Subodh Mishra

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