19/07/2024
प्रस्तुत हैं पुस्तक 'सोच में आसमान' से Surendra Sharma जी के चन्द शेर-
कमीज़ों पर पसीने के कई नक़्शे छपे होंगे,
रईसों के मकां श्रमिकों के खूं से तब बने होंगे।
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मैं उनके रूप को जी भर निहारूँगा,
भले हूँ आईना दिल तो मेरा भी है।
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ज़बां आवाज़ की मत बंद करिएगा,
परेशां तुमको ख़ामोशी भी कर देगी।
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किसी का हाल ए दिल मत पूछना ज़्यादा,
तेरे नीयत पे शक़ करने लगेंगे लोग।
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मेरे दिल का तेरे दिल से कोई तो ख़ास रिश्ता है,
उधर तुम याद करते हो, इधर ये भी मचलता है।
-सुरेन्द्र शर्मा ग़ज़लकार