16/04/2023
पुलवामा हमला : मोदी सरकार का असली चेहरा बेनकाब
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आपको भारत माता के वो 40 वीर जवान जरूर याद होंगे, जो 14 फरवरी 2019 को पुलवामा हमले में शहीद हो गए थे।
आपको यह भी याद होगा कि मोदी जी और भाजपा ने लोकसभा चुनाव में इन जवानों की शहादत के नाम पर खुलकर वोट मांगे थे। मोदी जी ने देश के युवाओं से भाजपा को वोट देने का वचन दिलाते हुए कहा था कि 'क्या आपका पहला वोट पुलवामा में शहीद हुए जवानों के लिए समर्पित हो सकता है क्या?'
पुलवामा की घटना हमारे देश के इतिहास में एक त्रासदी की तरह है। मगर अब उसके पीछे की जो सच्चाई जम्मू एवं कश्मीर के तत्कालीन राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने बताई है, उसे सुनकर हर भारतवासी को भाजपा से घिन आने लगेगी।
मलिक के मुताबिक, 14 फरवरी को जब लगभग 2,500 जवानों से भरे 78 वाहनों का काफिला जम्मू से श्रीनगर जा रहा था, उससे पहले CRPF ने गृह मंत्रालय से अनुरोध किया था कि उन्हें जवानों को ले जाने के लिए एयरक्राफ्ट की जरूरत है, लेकिन गृह मंत्रालय ने एयरक्राफ्ट देने से मना कर दिया। अमूमन इतनी बड़ी संख्या में जवान कभी सड़क मार्ग से नहीं जाते।
इसके अलावा जवानों को जिस रास्ते से होकर जाना था, उसकी सुरक्षा भी पुख्ता नहीं थी। इसकी जानकारी मलिक ने प्रधानमंत्री को दी थी, लेकिन प्रधानमंत्री ने मलिक की चिंता को नजरंदाज कर उन्हें दखल न देने के लिए कहा था।
सरकार और खुफिया तंत्र की लापरवाही के बाद 14 फरवरी को एक तरफ हमारे जवान शहीद हो रहे थे, उसी समय प्रधानमंत्री जिम कार्बेट पार्क में शूटिंग में व्यस्त थे। हमले के बाद जब राज्यपाल मलिक ने प्रधानमंत्री को उनकी गलती याद दिलाते हुए कहा कि यदि जवानों को एयरक्राफ्ट मिल जाता तो यह घटना नहीं होती। इस पर मोदी जी उन्हें चेतावनी देते हुए कहते हैं कि "आप अपना मुंह मत खोलिए, इसे अपने तक रखिए। आप इस मुद्दे को नहीं समझ रहे हैं, इस पर केवल मैं ही बोलूंगा।"
मलिक के मुताबिक, 300 किलो से ज्यादा विस्फोटक लेकर आतंकियों की गाड़ी 10-12 दिनों तक पुलवामा के गांवों में घूमती रही, लेकिन सुरक्षा अधिकारी सोते रहे।
दु:खद घटना के बाद प्रधानमंत्री मलिक को बार-बार चेतावनी देते रहे कि उन्हें कश्मीर पर कुछ भी नहीं बोलना है, केवल चुप रहना है। मोदी जी के इशारे पर देश के सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल भी मलिक पर मुंह न खोलने का दबाव लगातार बनाते रहे।
मलिक कहते हैं कि "इन सबके बाद हमें आभास हो गया था कि अब देश में चुनाव हैं और सरकार इस हमले को पाकिस्तान से जोड़कर लोकसभा चुनाव में वोट मांगना चाहती है और वही हुआ।"
मतलब... धर्म को बेचने वाले लोग, सेना के शौर्य को बेचते-बेचते कब जवानों की शहादत को बेचने लगे, यह देश की जनता भी नहीं समझ पाई।
राष्ट्रवाद की स्वघोषित मसीहा मोदी सरकार की सच्चाई जितनी घिनौनी है उससे अधिक खतरनाक। कुर्सी की खातिर एक सरकार आखिर कितना नीचे तक गिर सकती है, मोदी सरकार इसका पैमाना है।