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13/05/2024
13/05/2024
UP LOK SABHA ELECTION 2024 BJP सांसद सुब्रत पाठक ने लिखा चुनाव आयोग को पत्र, कहा- 'बाहर से आ रहे लोग, मुस्लिम कर रहे शिक...
11/05/2024

UP LOK SABHA ELECTION 2024
BJP सांसद सुब्रत पाठक ने लिखा चुनाव आयोग को पत्र, कहा- 'बाहर से आ रहे लोग, मुस्लिम कर रहे शिकायत'

चौथे चरण में कन्नौज लोकसभा सीट पर चुनाव होने हैं, जहां एक तरफ बीजेपी से सांसद सुब्रत पाठक हैं तो दूसरी तरफ से समाजवादी पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव खुद चुनाव लड़ रहे हैं. लेकिन कन्नौज सीट दिलचस्प बनती जा रही है. जहां एक तरफ इंडिया गठबंधन को लेकर राहुल गांधी और अखिलेश यादव ने कन्नौज में जनसभा कि तो दूसरी तरफ बीजेपी प्रत्याशी को लेकर उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम ने जनसभा कि वहीं सुब्रत पाठक से खास बात चीत करते हुए एक बार फिर सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव पर जमकर जुबानी हमला बोला है.

कन्नौज सांसद ने चुनाव आयोग में बाहरी लोगों के जनपद में रुकने को लेकर पत्र लिखा था. चुनाव आयोग में कि गई इस शिकायत को लेकर बताया कि कई मुस्लिम बाहुल क्षेत्रों से मेरे पास शिकायत आई थी और फोन भी आ रहे थे. मुस्लिम भाईयों ने बताया कि बहुत से बाहरी लोगों को उन्होंने देखा जिनको उन्होंने कभी नहीं देखा. ये संदिग्ध लोग हैं, ईद बकरी ईद पर भी नहीं देखा. ऐसे लोग दिख रहे हैं, यह जांच का विषय है कि रहा रोहगिया हैं, बंगालदेशी हैं, कौन लोग हैं.

राहुल गांधी पर क्या बोला

उन्होंने कहा कि यह स्लीपर सेल के लोग तो नहीं हैं क्योंकि मुस्लिम वोट गरीब वोट है. तीन तलाक से पीड़ित महिलाएं हैं वो बीजेपी को वोट कर रहे हैं. ऐसा तो नहीं है कि वह लोग दहशत में जी रहे है कि यह लोग भाजपा को वोट न डाल सके क्योंकि यह रहा समाजवादी शासन में हर जरिए में दो चार गुंडे खड़े कर दिए जाते थे. उनको ही ठेका दे दिया जाता था और इसकी अच्छी खासी रकम दी जाती थी.

राहुल गांधी के एक बयान कि बीजेपी का सुपड़ा साफ होगा और इंडिया गठबंधन का तूफान आएगा. इस पर सुब्रत पाठक ने कहा कि राहुल गांधी कन्नौज नहीं आए बल्कि इसलिए आए हैं कि राहुल गांधी को देखकर लोगों को हसीं आने लगती है. वो डबल कन्फ्यूज हैं, एक कन्फ्यूज तब हो गए जब उन्हें अखिलेश यादव मिल गए. यह डबल कन्फ्यूज है, ये लोग मोदी का कुछ नहीं बिगड़ सकते हैं और राहुल गांधी कितने बार लॉन्च हो चुके हैं. कन्नौज का माहौल इस बार फिर कन्नौज की जनता बताएगी. यहां पर एक ही माहौल हे कि नरेंद्र मोदी को देश कि जनता प्रधानमंत्री बनाने जा रही है.

राज कपूर के किस्से, शो मैन के जीवन से जुड़ी दिलचस्प कहानीअपने पे हंसकर, जग को हंसाया...बनके तमाशा, मेले में आया, हिंदू न...
08/05/2024

राज कपूर के किस्से, शो मैन के जीवन से जुड़ी दिलचस्प कहानी

अपने पे हंसकर, जग को हंसाया...बनके तमाशा, मेले में आया, हिंदू न मुस्लिम, पूर्व ना पश्चिम, मजहब है अपना हंसना हंसाना." ये लाइनें हैं उस शख्स की जिसे भारतीय फिल्म इतिहास का अब तक का सबसे बड़ा शो मैन कहा जाता है. राज कपूर बहुत से लोगों के लिए बहुत कुछ थे, निर्माता, निर्देशक, अभिनेता, संपादक, संगीतकार, कहानीकार, भारतीय फिल्म उद्योग की फर्स्ट फैमिली के कर्ता, प्रेमी, समाजवादी और ना जाने क्या क्या.

जब नेहरू ने रूस में सुनाया था 'आवारा हूं'

राज कपूर के बारे में एक कहानी कई बार सुनाई जाती है कि जब नेहरू रूस गए, तो सरकारी भोज के दौरान, नेहरू के बाद वहां के उस समय के प्रधानमंत्री निकोलाई बुल्गानिन के बोलने की बारी आई तो उन्होंने अपने मंत्रियों के साथ 'आवारा हूं' गाकर उन्हें चकित कर दिया. 1996 में जब राज कपूर के बेटे रणधीर कपूर और बेटी रितु नंदा चीन गए तो उन्हें देखते ही चीनी 'आवारा हूं' गुनगुनाने लगे. उन लोगों को ये नहीं पता था कि वो कौन थे, लेकिन वो ये गीत गाकर राज कपूर और भारत का सम्मान कर रहे थे. कहा तो ये भी जाता है कि आवारा माओ ज़ेडोंग की पसंदीदा फिल्मों में से एक थी.

राज कपूर की परवरिश में पिता का बहुत बड़ा हाथ था...

राज कपूर की परवरिश और उन्हें "द राज कपूर" बनाने में उनके पिता पृथ्वीराज कपूर का बहुत बड़ा हाथ था. जब राज कपूर ने उनके सामने फिल्मों में काम करने की इच्छा जताई थी, तो पृथ्वीराज कपूर ने राज कपूर को 1 रुपए महीने की नौकरी दी थी, और काम दिया था स्टूडियो में झाड़ू लगाने का. राज कपूर की बेटी रितु नंदा ने एक इंटरव्यू में बताया था कि, "उनके पिता राज कपूर के जीवन पर उनके दादा पृथ्वीराज की परवरिश का काफी प्रभाव था." रितु नंदा एक किस्सा याद करते हुए बताती हैं कि, "एक बार राज कपूर अपने पिता के साथ एक तालाब के किनारे पिकनिक पर गए थे, उस वक्त पृथ्वीराज ने उन्हें पानी में फेंक दिया, लेकिन राज कपूर को तैरना नहीं आता था, ये देख कर उनकी मां घबरा गई, और रोने लगी, तब पृथ्वीराज ने कहा कि, ये ऐसे ही तैरना सीखेगा, जिंदगी ऐसी ही है."

जब बारिश में पिता ने गाड़ी देने से किया था मना...

एक बार की बात है जब कपूर परिवार कोलकाता में रहता था, उस वक्त राज कपूर ट्रैम से स्कूल जाते थे. लेकिन एक दिन अचानक काफी तेज बारिश होने की वजह से स्कूल जाना मुश्किल लग रहा था, तब राज कपूर ने अपनी मां से स्कूल से गाड़ी से छुड़ाने के लिए कहा. लेकिन जब उनकी मां ने पृथ्वीराज कपूर ने पूछा तो उन्होंने मना कर दिया और ट्रैम से जाने को कहा. दरअसल उनका कहना था, कि जिंदगी इन्हीं कठिनाइयों से बनी है, और कठिनाइयों से निकलने के लिए आप जिन अनुभवों से गुजरते हैं, वो आगे जिंदगी में आपके काम आते हैं. ये सारी बात राज कपूर दरवाजे के पीछे से सुन रहे थे. राज कपूर ने फौरन अपना बस्ता उठाया, सिर पर पन्नी चढ़ाई और निकल गए. ये देखते ही पृथ्वीराज ने राज की मां से कहा था कि, "देखना एक दिन ये लड़का अपनी जिंदगी में बहुत आगे जाएगा."

हमेशा जमीन पर सोते थे राज कपूर

राज कपूर कभी बिस्तर पर नहीं सोते थे, वो हमेशा जमीन पर सोते थे. उनके परिवार पर लिखी एक किताब में इस बात का जिक्र है कि राज कपूर अगर होटल में जाते थे, वो वहां पर पड़े बेड का गद्दा खींच कर जमीन पर बिछा लेते थे. जिसके चलते एक बार तो वो मुसीबत में फंस गए. एक बार जब लंदन के मशहूर हिल्टन होटल में जब उन्होंने ये हरकत की तो होटल के प्रबंधकों ने उन्हें चेताया, और ऐसा करने के लिए मना भी किया, लेकिन जब वो नहीं मानें होटल वालों ने उनपर जुर्माना लगा दिया. राज कपूर पांच दिन उस होटल में रहे और उन्होंने रोज खुशी-खुशी पलंग का गद्दा जमीन पर खींचने के लिए जुर्माना दिया.

अमेठी और रायबरेली में कांग्रेस डटकर लड़ेगी चुनाव; गांधी परिवार का गढ़ बचाने के लिए भेजे गए बघेल और गहलोतअमेठी और रायबरेल...
07/05/2024

अमेठी और रायबरेली में कांग्रेस डटकर लड़ेगी चुनाव; गांधी परिवार का गढ़ बचाने के लिए भेजे गए बघेल और गहलोत

अमेठी और रायबरेली में कांग्रेस डटकर लड़ेगी चुनाव; गांधी परिवार का गढ़ बचाने के लिए भेजे गए बघेल और गहलोत
कांग्रेस ने भूपेश बघेल और अशोक गहलोत को रायबरेली और अमेठी सीट के लिए पर्यवेक्षक नियुक्त किया है।

कांग्रेस ने सोमवार को पूर्व मुख्यमंत्रियों भूपेश बघेल और अशोक गहलोत को क्रमशः रायबरेली और अमेठी संसदीय क्षेत्रों के लिए एआईसीसी के वरिष्ठ पर्यवेक्षक के तौर पर नियुक्त किया है। इसी के साथ गहलोत और बघेल को दोनों सीट पर पार्टी की जीत सुनिश्चित करने का टास्क सौंपा गया है।

प्रियंका गांधी सोमवार से खुद रायबरेली और अमेठी में कैंप करने जा रही हैं। प्रियंका के साथ गहलोत और बघेल की ड्यूटी लगाने से यह साफ हो गया है कि कांग्रेस रायबरेली ही नहीं, राहुल गांधी की छोड़ी हुई अमेठी सीट पर भी डटकर चुनाव लड़ेगी। अमेठी में कांग्रेस ने सोनिया के प्रतिनिधि रहे किशोरी लाल शर्मा को लड़ाया है, जबकि राहुल गांधी रायबरेली सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।

पार्टी की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने क्रमशः रायबरेली और अमेठी संसदीय क्षेत्रों के लिए एआईसीसी के वरिष्ठ पर्यवेक्षकों के रूप में भूपेश बघेल और अशोक गहलोत को नियुक्त करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। प्रियंका गांधी ने पहले ही प्रचार की कमान संभाल ली है और सोमवार से मतदान खत्म होने तक वह रायबरेली और अमेठी में ही डेरा जमाए रहेंगी।

पार्टी सूत्रों ने कहा कि प्रियंका गांधी सैकड़ों 'नुक्कड़ सभाएं', बैठकें और घर-घर अभियान कार्यक्रम आयोजित करेंगी। सूत्र ने कहा, "केंद्र रायबरेली होगा जहां वह एक गेस्ट हाउस में ठहरेंगी। बूथ प्रबंधन से लेकर आउटरीच तक, सब कुछ वह ही संभालेंगी।" सूत्रों ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों और दशकों से गांधी परिवार के साथ पारिवारिक संबंध रखने वाले लोगों तक पहुंच शुरू हो चुकी है।

उन्होंने कहा कि वह दोनों निर्वाचन क्षेत्रों में डिजिटल और सोशल मीडिया अभियान की भी निगरानी करेंगी। उन्होंने कहा कि दोनों निर्वाचन क्षेत्रों में सभी तक पहुंचने के लिए संगठन के विभिन्न स्तरों पर अभियान चलाया जाएगा। प्रियंका गांधी कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे, छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट जैसे शीर्ष नेताओं के अभियान की योजना और शेड्यूल का भी ध्यान रखेंगी।

सूत्रों ने कहा कि वह लगभग 250-300 गांवों को कवर करेंगी और दोनों निर्वाचन क्षेत्रों को समान समय देंगी। फिरोज गांधी ने रायबरेली में जो मजबूत नींव रखी, उसे बाद में उनकी पत्नी और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने मजबूत किया, उसके बाद गांधी परिवार के दोस्तों और सदस्यों ने 1967, 1971 और 1980 में यह सीट जीती।

अमेठी में मौजूदा भाजपा सांसद स्मृति ईरानी को टक्कर देने के लिए 25 साल बाद कोई गैर-गांधी परिवार का सदस्य मैदान में है। उल्लेखनीय है कि ईरानी ने 2019 में अमेठी में राहुल गांधी को 55,000 से अधिक वोटों से हराया था, जबकि रायबरेली में सोनिया गांधी ने भाजपा के दिनेश प्रताप सिंह को 1,67,000 से अधिक वोटों से हराया था। राहुल गांधी सिंह का मुकाबला करेंगे, जिन्हें भाजपा ने फिर से मैदान में उतारा है।

06/05/2024

PM मोदी और राहुल गांधी के चुनावी भाषणों के मामले पर EC ने कांग्रेस-बीजेपी को भेजा नोटिस, मांगा जवाब

बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियों ने एक दूसरे के वरिष्ठ नेताओं पर धर्म, जाति, समुदाय और भाषा के आधार पर नफरत और विभाजन पैदा करने के आरोप लगाए हैं. दोनों पार्टियों को 29 अप्रैल सुबह 11 बजे तक जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए गए हैं.

चुनाव आयोग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बयानों पर आपत्ति जताए जाने के बाद गुरुवार को संज्ञान लिया है. आयोग ने आचार संहिता के उल्लंघन के आरोप में बीजेपी और कांग्रेस को नोटिस भेजकर उनसे जवाब मांगा है.

बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियों ने एक दूसरे पर धर्म, जाति, समुदाय और भाषा के आधार पर नफरत और विभाजन पैदा करने के आरोप लगाए हैं. दोनों पार्टियों को 29 अप्रैल सुबह 11 बजे तक जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए गए हैं.

चुनाव आयोग ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 77 के तहत दोनों पार्टियों के अध्यक्षों को जवाब देने को कहा है. बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पीएम मोदी और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने राहुल गांधी पर आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप लगाया था.

दिल्ली कांग्रेस के भीतर घमासान, मोदी का 'शहजादा' वाला तंज... देखें 'चुनाव दिनभर'
आयोग का कहना है कि राजनीतिक दलों को अपने उम्मीदवारों विशेष रूप से स्टार प्रचारकों के व्यवहार की पूरी जिम्मेदारी लेनी होगी. उच्च पदों पर बैठे नेताओं के भाषणों के और भी गंभीर परिणाम हो सकते हैं.

आयोग के नोटिस पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया

चुनाव आयोग की ओर से कांग्रेस को भेजे गए नोटिस पर जयराम रमेश ने कहा कि हमने आयोग में शिकायत की थी. जिस तरह से बीजेपी धर्म का इस्तेमाल कर रही है, या यूं कहे कि दुरुपयोग कर रही है. वह काफी चिंताजनक है. हम इस नोटिस का जवाब देंगे.

शेर सिंह शाह का जन्म 16 सितम्बर 1912 को रुद्रप्रयाग जिले के गुप्तकाशी के पास नाला नामक एक छोटे से गांव में हुआ था। उनके ...
05/05/2024

शेर सिंह शाह का जन्म 16 सितम्बर 1912 को रुद्रप्रयाग जिले के गुप्तकाशी के पास नाला नामक एक छोटे से गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम पदम सिंह शाह और माता का नाम देवकी देवी था। उनके पिता नाला के एक गांव के किसान और नेता थे। शेर सिंह शाह ऊखी ब्लॉक के अपने छोटे से गांव में रहते थे और वहीं रहकर पढ़ाई करते थे। नाला श्री केदारनाथ मार्ग के पास स्थित है और वहां बहुत से लोग आते हैं। इस दौरान भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन जोरों पर था और जब शेर सिंह शाह 38 वर्ष के थे, तो गांव वालों ने उनसे अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई से संबंधित संदेश पहुंचाने के लिए कहा। जब वे युवा थे, तो वे बिना किसी की नजर में आए पत्र और भोजन पहुंचाने का काम करने में सक्षम थे। धार्मिक वार्तालाप के कारण उन्होंने नाला के ललितामाई मंदिर में शपथ ली कि मैं अपना पूरा जीवन अपने देश की सेवा में समर्पित करूंगा। वे गुप्तकाशी के पास लगने वाले साप्ताहिक बाजार में जाकर लोगों में गुप्त रूप से स्वतंत्रता संग्राम से संबंधित पर्चे बांटते थे, जिससे जनजागृति पैदा होती थी। वे लोगों से स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने की अपील करते थे। 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन ने पूरे देश में जोर पकड़ा। केदारनाथ घाटी और देश के कोने-कोने से लोग दृढ़ निश्चय और देशभक्ति की भावना के साथ इस आंदोलन में कूद पड़े। उस समय केदार घाटी से शेर सिंह शाह इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहे थे। शेर सिंह शाह की मुलाकात अनुशॉयप्रसाद बहुगुणा स्वतंत्रता सेनानी से हुई। उन्होंने अपने भाई के बेटे को गोद लेकर खुद को देश की सेवा में समर्पित कर दिया। कासरगोड, बरमवाड़ी प्लेस उनसे जुड़ा था, जहां उन्होंने पुरुषोत्तम भगवती और अन्य लोगों के साथ ब्रिटिश शासकों के खिलाफ लड़ाई लड़ी। वे छह महीने तक अपने गांव नाला गुप्तकाशी में नजरबंद रहे। वे बरेली जेल में रहे और जेल में रहते हुए उन्होंने अंग्रेजों को भारत से भगाने की पूरी कोशिश की। जेल में उनके साथ अमानवीय शारीरिक व्यवहार किया गया। लेकिन उनका स्वास्थ्य दिन-प्रतिदिन बिगड़ता गया और आखिरकार 12 फरवरी 1991 को उन्होंने अंतिम सांस ली।

वर्तमान बांग्लादेश के फ़रीदपुर में जन्मे मृणाल सेन, सत्यजीत रे के साथ, बंगाली में समानांतर सिनेमा के अग्रदूतों में से एक...
05/05/2024

वर्तमान बांग्लादेश के फ़रीदपुर में जन्मे मृणाल सेन, सत्यजीत रे के साथ, बंगाली में समानांतर सिनेमा के अग्रदूतों में से एक थे। भारत सरकार द्वारा प्रदान किए गए कम बजट पर बनी उनकी भुवन शोम ने भारत में नए सिनेमा (या समानांतर सिनेमा) की लहर की शुरुआत की। सेन एक स्व-घोषित "निजी मार्क्सवादी" थे, और उनकी कुछ फ़िल्में उनकी विचारधाराओं से प्रभावित थीं, जिससे उन्हें मार्क्सवादी कलाकार होने की प्रतिष्ठा मिली। अपनी फ़िल्मों में, उन्होंने न केवल कोलकाता को एक प्रेरणा के रूप में इस्तेमाल किया, बल्कि उन्होंने इसे मुख्य रूप से एक ऐसे चरित्र के रूप में चित्रित किया, जिसका अपना मूड था।

रघुवर दयाल श्रीवास्तव, पुत्र श्री दानिका प्रसाद, ग्राम रघुपुर/रुकुमद्दीनपुर, पी.एस. महाराजगंज, परगना गोपालपुर, तहसील सगड...
03/05/2024

रघुवर दयाल श्रीवास्तव, पुत्र श्री दानिका प्रसाद, ग्राम रघुपुर/रुकुमद्दीनपुर, पी.एस. महाराजगंज, परगना गोपालपुर, तहसील सगड़ी, जिला आजमगढ़ का जन्म 15 अगस्त 1911 को हुआ था। उन्होंने जिले के एक वरिष्ठ स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय श्री सीताराम अस्थाना के नेतृत्व में वर्ष 1930 में पुलिस लाइंस, आजमगढ़ में सत्याग्रह आंदोलन में भाग लिया था। उन्हें गिरफ्तार किया गया और धारा 447 आईपीसी और पुलिस अधिनियम 1922 की धारा 3 के तहत क्रमशः 3 महीने और 4 महीने की समवर्ती जेल की सजा सुनाई गई। उन्होंने जेल की पूरी सजा काटी और जेल में रहते हुए उन्होंने माफी मांगने या स्वतंत्रता संग्राम में अपनी भागीदारी छोड़ने के लिए शारीरिक यातना सहित दबाव में नहीं झुके। जेल से रिहा होने के बाद, श्री रघुवर दयाल श्रीवास्तव ने खुद को उस 'मध्यस्थ' प्रणाली को सुधारने के लिए समर्पित कर दिया जमींदारी प्रथा से होने वाली आय पर निर्भर अपने परिवार और रिश्तेदारों की वित्तीय आवश्यकताओं की अनदेखी करते हुए श्री रघुबर दयाल ने इस मुद्दे को उठाया और काश्तकारों के लिए राहत की मांग की।

अपनी जान और संपत्ति को जोखिम में डालकर उन्होंने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भी भाग लिया। जोखिम के बावजूद उन्होंने ब्रिटिश कानून प्रवर्तन अधिकारियों द्वारा क्रूरतापूर्वक निशाना बनाए जा रहे स्वतंत्रता सेनानियों को पूरा समर्थन दिया और उन्हें अपने घर पर शरण भी दी।

स्वतंत्रता संग्राम के इस अशांत दौर के दौरान जेल की अवधि और उनकी गतिविधियों ने उनके जीवन पर भारी असर डाला। श्री रघुबर दयाल का वर्ष 1949 में 38 वर्ष की अल्पायु में निधन हो गया।

03/05/2024

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संग्राम सिंह एक वीर स्वतंत्रता सेनानी और प्रतिष्ठित सैनिक थे, जिन्होंने अपना जीवन राष्ट्र की सेवा के लिए समर्पित कर दिया...
03/05/2024

संग्राम सिंह एक वीर स्वतंत्रता सेनानी और प्रतिष्ठित सैनिक थे, जिन्होंने अपना जीवन राष्ट्र की सेवा के लिए समर्पित कर दिया। उनका जन्म 1894 में उत्तराखंड राज्य के गुप्तकाशी ब्लॉक ऊखी के नाला गांव में हुआ था। संग्राम सिंह धनी राम के पुत्र थे। संग्राम सिंह ने कम उम्र से ही देशभक्ति की गहरी भावना और अपने देश की रक्षा करने की प्रबल इच्छा दिखाई। वह 1924 में भारतीय सेना में शामिल हुए, जहाँ उन्होंने बहुत सम्मान और समर्पण के साथ सेवा की। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान संग्राम सिंह ने एक सैनिक और एक स्वतंत्रता सेनानी दोनों के रूप में दोहरी भूमिका निभाई। उन्होंने भारत को ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से मुक्त कराने के उद्देश्य से विभिन्न आंदोलनों और पहलों में सक्रिय रूप से भाग लिया। वह एक प्रमुख नेता बन गए, जिन्होंने साथी सैनिकों और नागरिकों को स्वतंत्रता की लड़ाई में शामिल होने के लिए प्रेरित और संगठित किया। संग्राम सिंह का सैन्य करियर असाधारण उपलब्धियों और प्रशंसाओं से भरा रहा। उन्हें उनकी उत्कृष्ट सेवा के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिनमें प्रतिष्ठित 1939-45 स्टार मेडल, प्रतिष्ठित युद्ध पदक, भारत सेवा पदक और बर्मा स्टार क्वीन सी बैज शामिल हैं।

अपने सैन्य योगदान से परे, संग्राम सिंह ने सामाजिक उत्थान और अपने साथी देशवासियों के कल्याण के लिए भी अथक काम किया। वह समझते थे कि सच्ची आज़ादी के लिए न केवल राजनीतिक आज़ादी बल्कि राष्ट्र की सामाजिक-आर्थिक भलाई को भी संबोधित करना ज़रूरी है।

संग्राम सिंह का निधन 10 अप्रैल, 1951 को हुआ, और वे अपने पीछे बहादुरी, बलिदान और स्वतंत्रता और न्याय के आदर्शों के प्रति समर्पण की विरासत छोड़ गए।

27/02/2024

शिव पुराण माहात्म्य | अध्याय 2

26/02/2024

शिव पुराण माहात्म्य | अध्याय 1

आज Like & Comment नही रूकेHamare Prabhu Aaye Hain     🙏Jai Shree Ram🙏
22/01/2024

आज Like & Comment नही रूके
Hamare Prabhu Aaye Hain
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31/12/2023

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