भारतीय स्वाधीनता संग्राम का एक महत्वपूर्ण अंग था बौद्धिक गुलामी के खिलाफ संघर्ष. सस्ता साहित्य मण्डल की स्थापना इसी संघर्ष की प्रक्रिया में सन् 1925 में महात्मा गांधी के आशीर्वाद और जमनालाल बजाज तथा घनश्याम दास बिड़ला की प्रेरणा और श्री जीतमल लूणिया के अथक प्रयास से अजमेर में की गई थी. सन् 1934 में इसे दिल्ली लाया गया. तब से यह कनॉट प्लेस स्थित कार्यालय में हिंदी पाठकों की सेवा में कार्यरत है. यह स
ोसाइटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट 1860 के अंतर्गत रजिस्टर्ड एक संस्था है, जिसका उद्देश्य श्रेष्ठ साहित्य को कम से कम मूल्य पर पाठकों को उपलब्ध कराना है. मण्डल द्वारा प्रकाशित पहली पुस्तक महात्मा गांधी द्वारा लिखित ‘दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह का इतिहास’ है.
अपनी स्थापना से लेकर अब तक मण्डल हजार से अधिक पुस्तकें प्रकाशित कर चुका है जिसमें से अधिकांश अब तक उपलब्ध हैं. इतिहास, संस्कृति, धर्म, दर्शन, नीति, आचार, कथा-साहित्य, कविता, निबंध, नाटक, आत्म- कथा, जीवनी, आलोचना, बाल साहित्य, दलित साहित्य, लोक साहित्य, विज्ञान साहित्य, स्वास्थ्य, प्राकृतिक चिकित्सा, योग, विज्ञापन, मीडिया से संबंधित पुस्तकें प्रकाशित करके मण्डल हर उम्र के पाठकों को दुनिया भर के प्राचीन और आधुनिक ज्ञान-विज्ञान से जुड़ने का अवसर प्रदान करता रहा है.
मण्डल के लेखकों में महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, सर्वश्री चक्रवर्ती राजगोपालाचार्य, आचार्य बिनोवा भावे, काकासाहब कालेलकर, साने गुरू जी, घनश्याम दास बिड़ला, हरिभाऊ उपाध्याय, वियोगी हरि, वासुदेवशरण अग्रवाल, इंद्र विद्यावाचस्पति, रवीन्द्रनाथ टैगोर, प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, रामचंद्र शुक्ल, श्यामसुन्दर दास, पद्मा सचदेव, राजी सेठ, रस्किन बॉण्ड, टॉल्सटॉय, खलील जिब्रान, स्टीफन ज्विग, तुर्गनेव, क्रोपाटकिन, हेरियट बीचर स्टो आदि जाने-माने देशी-विदेशी लेखक शामिल हैं.