Shwetwarna

Shwetwarna Contact information, map and directions, contact form, opening hours, services, ratings, photos, videos and announcements from Shwetwarna, Publisher, Delhi.
(2)

यह सुखद संयोग ही है कि इस विचित्र परिस्थिति में कविवर श्री विजय बागरी जी जैसे रचनाकार अपनी समृद्ध काव्य क्षमता के साथ का...
31/03/2024

यह सुखद संयोग ही है कि इस विचित्र परिस्थिति में कविवर श्री विजय बागरी जी जैसे रचनाकार अपनी समृद्ध काव्य क्षमता के साथ काव्य साधना में तल्लीन हैं। स्वभाव से सहज, संवेदनशील, विनम्र, जिज्ञासु, भाषाविद और ग्रामीण परवेश में रचे-बसे श्री विजय बागरी एक असाधारण स्पृहणीय विशिष्ट व्यक्तित्त्व संपन्न रचनाकार हैं। उनकी रचनाओं में उनके ये उल्लेख्य गुण सहज रूप में प्रतिष्ठित और अभिव्यक्त हुए हैं। विजय बागरी के जिन काव्य संग्रहों का प्रकाशन पूर्व में हुआ है, उनकी प्रतिष्ठा राष्ट्रीय स्तर पर सहृदय पाठकों और नीर-क्षीर विवेकी विद्वज्जनों में प्रखर प्रशंसा के साथ हुई है।

साहित्य-जगत में इस कृति का अवतरण एक ऐतिहासिक घटना जैसा है। इसकी छंदयोजना की बहुलता और प्रामाणिकता उल्लेख्य है।

कविता मानवीय भावनाओं, संवेदनाओं को जागृत करने वाली संजीवनी है। चाहे वह जिस भी रूप में लिखी गयी हो उसके अन्दर जीवन सदैव व...
31/03/2024

कविता मानवीय भावनाओं, संवेदनाओं को जागृत करने वाली संजीवनी है। चाहे वह जिस भी रूप में लिखी गयी हो उसके अन्दर जीवन सदैव विद्यमान रहता है। जीवन के भाव रूपी सागर में हम कभी गहराते हैं तो कभी उतराते हैं और हमारे विचार इस ज्वार-भाटा के बीच हमें डूबने नहीं देते। इन विचारों से कभी जीवन की प्रेरणा प्राप्त होती है तो कभी उथल-पुथल
के बीच भाव आर्द्र भी हो जाते हैं। कवयित्री का यही यथार्थ कविताओं में मुखर हुआ है। ‘ख़ामोशी अच्छी नहीं लगती’ की कविताएँ अभिधा, लक्षणा और व्यंजना के माध्यम से कभी भावों की स्थावर और जंगम तो कभी सुदृढ़ और अनगढ़ तस्वीरें सामने प्रस्तुत करती हैं।
कवयित्री का विस्तृत विचार लोक स्व से लोक की यात्रा करता है। जहाँ यादों की दुनिया, ख़्वाहिश, विश्वास हार और जीत के पलड़ों पर दोलन करते नज़र आते हैं।

- शारदा सुमन
सह निदेशक-कविताकोश

लघुकथाओं का सबसे सशक्त पक्ष उनका समाज को शिक्षित और जागरूक करने की क्षमता है। इस लघुकथा संकलन का उद्देश्य ही इसका शीर्षक...
30/03/2024

लघुकथाओं का सबसे सशक्त पक्ष उनका समाज को शिक्षित और जागरूक करने की क्षमता है। इस लघुकथा संकलन का उद्देश्य ही इसका शीर्षक भी है। संग्रह में शामिल लघुकथाएँ हमारे देश की संविधान की भावना के भी अनुरूप हैं, जिसमें हमारे पूर्वजों ने भारत के विकास की बुनियाद वैज्ञानिक सोच और दृष्टिकोण को माना है।

‘अक्षर-अक्षर हव्य’ के दोहों के माध्यम से आज के यथार्थ की अभिव्यक्ति करने वाली रचनाकार अनामिका के सात सौ से अधिक दोहे, एक...
30/03/2024

‘अक्षर-अक्षर हव्य’ के दोहों के माध्यम से आज के यथार्थ की अभिव्यक्ति करने वाली रचनाकार अनामिका के सात सौ से अधिक दोहे, एक भरा-पूरा संसार है जिसमें स्त्री, किसान, किन्नर, भ्रूण हत्या, लैंगिक विभेद, शिक्षा, शीत , वेदना, क्षमा, पावस, माँ, रिश्ते , ग्रीष्म, जीवन, सामाजिक विद्वेष, संयम, प्रकृति, पर्व ,धर्मान्धता, संविधान, समष्टि की शुभता की कामना, कलुषता का दंश , गाँव, प्रेम, आर्थिक असमानता, रोज़गार और देशप्रेम जैसे विषयों के अलावा सामाजिक सद्भाव, विसंगतियों, और सत्ता प्रतिष्ठानों के अमानवीय कृत्यों पर विचारोत्तेजक दोहे हैं।

समकालीन हिन्दी के समृद्ध ग़ज़लकारों में एक प्रतिनिधि नाम डॉ. भावना का है। अगर स्त्री ग़ज़लकारों की बात करें तो उनका कोई ...
29/03/2024

समकालीन हिन्दी के समृद्ध ग़ज़लकारों में एक प्रतिनिधि नाम डॉ. भावना का है। अगर स्त्री ग़ज़लकारों की बात करें तो उनका कोई सानी या प्रतिद्वंद्वी भी नज़र नहीं आता। वह एक ऐसी ग़ज़लकार हैं, जो लगातार लिख रही हैं या यों कहें कि उन्होंने अपने आप को ग़ज़ल के लिए समर्पित कर दिया है। डॉ. भावना की साहित्य साधना पर पहले भी एक किताब प्रकाशित है। पत्रिकाओं ने उन पर विशेषांक निकाले हैं। इसी कड़ी में ‘डॉ. भावना का ग़ज़ल साहित्य चिंतन और दृष्टि’ नामक एक और किताब का प्रकाशन इस बात की निशानदेही करती है कि उनकी ग़ज़लों में बहुत कुछ ऐसा है जिसका मूल्यांकन अभी भी शेष है। इस आलोचनात्मक कृति में देश के जाने-माने ग़ज़ल आलोचकों ने उनकी ग़ज़ल की कृतियों पर अपने विचार रखे हैं और उनके साहित्य को इस समय की महत्त्वपूर्ण उपलब्धि के तौर पर देखा है। उनकी उपलब्धि का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि दुर्गा पूजा के ठीक पहले दिन उन पर एक और किताब जम्मू सेंट्रल यूनिवर्सिटी के प्राध्यापक डॉ. विनय कुमार शुक्ल ने ‘डॉ भावना की प्रतिनिधि ग़ज़लें’ का संपादन किया है। जब कोई लेखक यहाँ तक पहुँच जाए कि उसकी कृति की अलग-अलग समीक्षा होने लगे तो वास्तव में यह उनकी बढ़ती हुई ख्याति का प्रमाण है। ज़ाहिर है डॉ. भावना अन्य विधाओं में लिखते हुए भी एक ख़ालिस ग़ज़लकार बनकर हमारे सामने आई हैं।

श्वेतवर्णा परिवार की ओर से पंकज पाण्डेय को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं!
29/03/2024

श्वेतवर्णा परिवार की ओर से पंकज पाण्डेय को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं!

‘निर्मला’ प्रेमचन्द द्वारा रचित सामाजिक उपन्यास है। यह भारत की उन मध्यवर्गीय युवतियों की कहानी है जो दहेज के अभाव में कि...
28/03/2024

‘निर्मला’ प्रेमचन्द द्वारा रचित सामाजिक उपन्यास है। यह भारत की उन मध्यवर्गीय युवतियों की कहानी है जो दहेज के अभाव में किसी बूढ़े, अपाहिज, रोगी, शराबी आदि कुपात्रों के गले मढ़ दी जाती थी। उपन्यास के परिवेश से पता चलता है कि उस समय हमारा समाज अंधविश्वासों तथा विकृत परंपरागत रूढ़ियों के दवाब में ग्रस्त था। दहेज की प्रथा इनमें सबसे भयानक और अनिष्टकारी थी, जो कमोबेश आज भी है। प्रेमचन्द ने दहेज प्रथा से उत्पन्न नारी जीवन के अभिशापों का चित्रण निर्मला में बखूबी किया है।

‘निरुपमा’ उपन्यास की कहानी निरुपमा और कृष्ण कुमार के चारों ओर ही घूमती है। 1936 में प्रकाशित यह उपन्यास भले ही कृष्णकुमा...
28/03/2024

‘निरुपमा’ उपन्यास की कहानी निरुपमा और कृष्ण कुमार के चारों ओर ही घूमती है। 1936 में प्रकाशित यह उपन्यास भले ही कृष्णकुमार और निरुपमा के प्रेम के इर्द गिर्द लिखा गया हो लेकिन ये अपने वक़्त के समाज का दस्तावेजीकरण भी करता है। साहित्य अपने समय के समाज का प्रतिबिम्ब होता है और जब हम किसी साहित्य को पढ़ते हैं तो उस समय के समाज, उनके आचार-विचार इत्यादि से भी रूबरू होते हैं। ये उपन्यास भी उस दौर के समाज को पाठक के सम्मुख लाता है। यह उपन्यास धर्म के उन ठेकेदारों का पर्दाफ़ाश करता है, जो गरीब आदमी को तो उनके हिसाब से न चलने पर प्रताड़ित करता है, लेकिन जब अमीर आदमी वही काम करता है तो धर्म की परिभाषा बदलकर अमीरों के अनुरूप गढ़ देता है।

‘वक्त का तकाजा है’ मानवीय संवेदनाओं से लबरेज गजलों का एक अनुपम संग्रह है, जिसके रचनाकार नंदीलाल ‘निराश’ जी हैं। प्रस्तुत...
27/03/2024

‘वक्त का तकाजा है’ मानवीय संवेदनाओं से लबरेज गजलों का एक अनुपम संग्रह है, जिसके रचनाकार नंदीलाल ‘निराश’ जी हैं। प्रस्तुत संग्रह में जीवन और जगत के बहुतेरे रंग बिखरे पड़े हैं। सामाजिक विसंगतियों की बखिया उधेड़ती इस पुस्तक में न केवल देश और समाज के बहुतेरे चित्र हैं अपितु प्रेम और सौंदर्य का भी बड़ा व्यापक चित्रण हुआ है। आज मानवता का अवमूल्यन हो रहा है, संवेदनाएँ दरक रही हैं। कदम-कदम पर मनुष्य अपने ही हाथों से मनुष्यता का गला घोंट रहा है।’ प्रस्तुत संग्रह की गजलें इसी गुम हो चुकी आदमियत की टोह लेती हैं।
राम नाथ ‘बेखबर’

इम्कान | अभिषेक कुमार शुक्ल ‘शुभम’
27/03/2024

इम्कान | अभिषेक कुमार शुक्ल ‘शुभम’

खिली-खिली है नागफनी | ईश्वर करुण
26/03/2024

खिली-खिली है नागफनी | ईश्वर करुण

‘हिन्दी ग़ज़ल की शक्ति और संचेतना’ ज्ञान प्रकाश विवेक जी के आलोचनात्मक लेखों का संग्रह है, जो हिन्दी ग़ज़ल की विकास यात्...
26/03/2024

‘हिन्दी ग़ज़ल की शक्ति और संचेतना’ ज्ञान प्रकाश विवेक जी के आलोचनात्मक लेखों का संग्रह है, जो हिन्दी ग़ज़ल की विकास यात्रा को समझने के लिए एक ज़रूरी पुस्तक के रूप में हमारे सामने है। वे कहते हैं- “हिन्दी ग़ज़ल की शैली और स्वरूप के अध्यन से इस बात का शिद्धत से अहसास होता है कि हिन्दी ग़ज़ल बेशक उर्दू ग़ज़ल से अवतरित हुई हो, लेकिन रफ़्ता-रफ़्ता इस विधा में अपना मिज़ाज, महुावरा, भाषा विकसित किया है। हिन्दी ग़ज़ल का उर्दू ग़ज़ल से भिन्न स्वरूप है।
हिन्दी ग़ज़ल के पक्ष में सबसे बड़ी बात यह कही जा सकती है कि पचास वर्षों के कालखण्ड में इस विधा में अपना विशिष्ट स्वभाव और शैली
विकसित की है। यहाँ तक कि शिल्प और संरचना की दृष्टि से भी हिन्दी
ग़ज़ल, निरंतर परिपक्व और विवेकशील विधा का रूप धारण कर रही है।

राम नाथ 'बेख़बर' द्वारा रचित कुछ पंक्तियाँ।
25/03/2024

राम नाथ 'बेख़बर' द्वारा रचित कुछ पंक्तियाँ।

कुछ पंक्तियाँ, जिन्हें 'भाऊराव महंत' ने लिखा है।
25/03/2024

कुछ पंक्तियाँ, जिन्हें 'भाऊराव महंत' ने लिखा है।

'किरण सिंह' द्वारा लिखी गई खूबसूरत पंक्तियाँ।
25/03/2024

'किरण सिंह' द्वारा लिखी गई खूबसूरत पंक्तियाँ।

रंगों का त्योहार, हर्ष का उत्सव, ख़ुशियों से भरा हो आपका जीवन।श्वेतवर्णा परिवार की ओर से आप सभी को होली की हार्दिक शुभकाम...
25/03/2024

रंगों का त्योहार, हर्ष का उत्सव, ख़ुशियों से भरा हो आपका जीवन।
श्वेतवर्णा परिवार की ओर से आप सभी को होली की हार्दिक शुभकामनाएँ।

कुछ और पंक्तियाँ, Rahul Shivay द्वारा।
24/03/2024

कुछ और पंक्तियाँ, Rahul Shivay द्वारा।

कुछ और पंक्तियाँ, जय चक्रवर्ती द्वारा।
24/03/2024

कुछ और पंक्तियाँ, जय चक्रवर्ती द्वारा।

कुछ और पंक्तियाँ, जो दिनेश शुक्ल द्वारा लिखी गई हैं।
24/03/2024

कुछ और पंक्तियाँ, जो दिनेश शुक्ल द्वारा लिखी गई हैं।

Rahul Shivay की ओर से कुछ पंक्तियाँ।
23/03/2024

Rahul Shivay की ओर से कुछ पंक्तियाँ।

कुछ पंक्तियाँ, जिन्हें धर्मेन्द्र कुमार 'सज्जन' ने लिखा है।
23/03/2024

कुछ पंक्तियाँ, जिन्हें धर्मेन्द्र कुमार 'सज्जन' ने लिखा है।

अमर पंकज द्वारा लिखी गई कुछ पंक्तियाँ
23/03/2024

अमर पंकज द्वारा लिखी गई कुछ पंक्तियाँ

गरिमा सक्सेना द्वारा लिखी गई कुछ पंक्तियाँ
22/03/2024

गरिमा सक्सेना द्वारा लिखी गई कुछ पंक्तियाँ

जीवन का उल्लास अक्सर गीतों में छलकता है। गीत पूर्वांचल के प्रत्येक विधि-विधान की जान हैं। मौलिक लेखिका किरण सिंह ने इस प...
22/03/2024

जीवन का उल्लास अक्सर गीतों में छलकता है। गीत पूर्वांचल के प्रत्येक विधि-विधान की जान हैं। मौलिक लेखिका किरण सिंह ने इस पुस्तक में विवाह, जनेऊ की अनेक विधियों के समय गाने वाले गीत इकट्ठे किये हैं। साथ ही तिलक वगैरह के आधुनिक गीत लिखकर कुरीति पर कुठाराघात भी किया है। किरण सिंह ने अपने समाज की स्त्रियों को यह एक नायाब तोहफा दिया है।

– ऊषा किरण खान

चेहरे का जयपुर हो जाना | गरिमा सक्सेना
21/03/2024

चेहरे का जयपुर हो जाना | गरिमा सक्सेना

इम्कान | अभिषेक कुमार शुक्ल 'शुभम्'
21/03/2024

इम्कान | अभिषेक कुमार शुक्ल 'शुभम्'

बिहार में ग़ज़ल लिखने वालों की भी लंबी क़तार है। बहुत ऐसे नाम हैं जिन्होंने अपनी पहचान राष्ट्रीय स्तर पर बनाई है। पत्र/पत्...
20/03/2024

बिहार में ग़ज़ल लिखने वालों की भी लंबी क़तार है। बहुत ऐसे नाम हैं जिन्होंने अपनी पहचान राष्ट्रीय स्तर पर बनाई है। पत्र/पत्रिकाओं से लेकर मंचों पर भी इनकी ग़ज़लें खूब पढ़ी और सराही जाती हैं। बिहार की ग़ज़लों में आंतरिक आवेग के साथ परिवर्तन की छटपटाहट है। जनमानस की पीड़ा से लेकर आतंकवाद और बाजारवाद के विरुद्ध आवाजें हैं। बिहार के ग़ज़लकारों ने खामोशी की चादर से लिपटे लोगों को अपनी आवाज़ देते हुए उनके आंतरिक कोलाहल को प्रत्यक्ष करने का प्रयास किया है। ऐसे ही विशिष्ट ग़ज़लकारों के ग़ज़लों का संग्रह है ‘ग़ज़लें बिहार की’।

श्वेतवर्णा परिवार की ओर से मनोज अहसास को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं!
20/03/2024

श्वेतवर्णा परिवार की ओर से मनोज अहसास को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं!

श्री राघव शुक्ल के गीतों को पढ़ने, आस्वाद लेने की पहली और जरूरी योग्यता है पाठक का भावुक होना। आध्यात्म इनका परम् बोध है...
19/03/2024

श्री राघव शुक्ल के गीतों को पढ़ने, आस्वाद लेने की पहली और जरूरी योग्यता है पाठक का भावुक होना। आध्यात्म इनका परम् बोध है तो प्रेम इनका यज्ञ। इन गीतों को लिखते हुए राघव जी की कलम अतीन्द्रिय हो गई है। वे जब प्रेम का स्वाद चखते हैं तो भोग्य नहीं आराध्य बन जाते हैं।

‘पंच पल्लव’ शब्द का अर्थ-आम, जामुन, कैंथ, बिजौरा तथा बेल के कोमल नवीन पत्ते। देखा जाए तो लोक-जीवन के साथ अध्यात्म में पा...
19/03/2024

‘पंच पल्लव’ शब्द का अर्थ-आम, जामुन, कैंथ, बिजौरा तथा बेल के कोमल नवीन पत्ते। देखा जाए तो लोक-जीवन के साथ अध्यात्म में पाँच संख्या की बड़ी महत्ता है। प्रकृति-संरचना में पाँच को अनेक रूपों में निरूपित किया गया है। मैं समझता हूँ कवि की सतेज और सतर्क दृष्टि प्राकृतिक ‘रचना-कलश’ से अनभिज्ञ नहीं है। क्रमशः पाँच पल्लवों में विभक्त पुस्तक का नाम ‘पंच पल्लव’ रखना कवि की बाह्याभ्यंतर शुचिता को प्रकट करता है। सनातन संस्कृति की आस्था की दिव्यानुभूति कराता है तथा कृति में निबद्ध रचनात्मकता का बोध कराने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पल्लव के लिए कवि का आशय आस्था जनित पूजा हेतु लोक प्रचलित पद्धति के अनुसार आम्र के पवित्र पाँच पल्लवों से भी हो सकता है।

Address

Delhi

Opening Hours

Monday 9am - 5pm
Tuesday 9am - 5pm
Wednesday 9am - 5pm
Thursday 9am - 5pm
Friday 9am - 5pm
Saturday 9am - 5pm

Telephone

+918447540078

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Shwetwarna posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Contact The Business

Send a message to Shwetwarna:

Videos

Share

Category



You may also like