एक सरकारी स्कूल की छात्रा ने इतनी बड़ी बात बोल दी कि आप सोच भी नही सकते एक बार जरूर देखें वीडियो🙏
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जय जवान 🙏🙇
रणभूत देवता: युद्ध में मरे वीर योद्धा भी देव रूप में पूजे तथा नचाए जाते है। बहुत पहले कैत्यूरों और राणा वीरों का घमासान युद्ध हुआ था। आज भी उन वीरों की आत्मा उनके वंशजों के सिर पर आ जाती है। भंडारी जाति पर कैंत्यूर वीर और रावत जाति पर राणारौत वीर आता है।
आज भी दोनों जातियों के नृत्य में रणकौशल देखने योग्य होता है। रौतेली, भंजी, पोखिरिगाल, कुमयां भूत और सुरजू कुंवर ऐसे वीर नृत्य धार्मिक नृत्यों में आते हैं
ये परम्परा आज भी उत्तराखंड के गांधी स्वर्गीय इन्द्रमणि बडोनी जी के पैतृक अखोडी में आज भी मनाई जाती है और मनाई जाती रहेगी
टिहरी गढ़वाल के 11 गांव हिंन्दौ #अखोडी़ मे।।
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देवभूमि उत्तराखंड में आज भी लोग अपनी पौराणिक ,पारंपरिक संस्कृति विरासत को संजोए रखने के लिए कटिबद्ध रहते हैं । इसलिए तो देवभूमि उत्तराखंड की महीमा कुछ अलग है,
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"देवभूमि के दर्शन किसी जन्नत से कम नहीं एक बार वीडियो जरूर देखें पसंद आए तो वीडियो को शेयर करें पेज को लाइक जरूर करें।। "धन्यवाद"
"डाली डाली फूलों की तुझको बुलाए रे मुसाफिर मेरे उत्तराखंड में"
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त्रियुगी नारायण
रुद्रप्रयाग में स्थित ‘त्रियुगी नारायण’ यात्रा की एक पवित्र जगह है, माना जाता है कि सतयुग में जब भगवान शिव ने माता पार्वती से विवाह किया था तब यह ‘हिमवत’ की राजधानी था। रोचक तथ्य यह है कि जिस हवन कुण्ड की अग्नि को साक्षी मानकर विवाह हुआ था वह अभी भी प्रज्वलित है। मान्यता के आधार पर इस हवन कुण्ड की राख, भक्तों के वैवाहिक जीवन को सुखी रहने का आशीर्वाद देती है।