Kavita Bauddh

Kavita Bauddh I do not care whether I am able to organize the society or not,

But I feel relieved that I am trying every day.

03/01/2024
20/07/2023

वाह रे #मोदी तूझे तो डूबकर मर जाना चाहिए 😡
मणिपुर के हालात शायद दिखे नहीं इस के चमचे को ?

#मणिपुर

20/07/2023

ब्राह्मणतंत्र का नंगा नाच
#मणिपुर में
महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाया गया !

18/07/2023

बाबा का सिंदूर वाला बयान पर भड़की #ब्राह्मण महिला ने किया ये ऐलान !

18/07/2023

08/07/2023

हमारी घर की महिलाये जरूर अध्ययन करे इनके बारे मे । जय भीम जय ज्योतिबा फुले जय रामास्वामी पेरियार जी #मोबाइल

महिलाओं की आवाज़ को सशक्त बनाना सावित्री नामा महिला सशक्तिकरण और शिक्षा में एक प्रतिष्ठित शख्सियत सावित्री बाई फुले के ल...
05/07/2023

महिलाओं की आवाज़ को सशक्त बनाना सावित्री नामा महिला सशक्तिकरण और शिक्षा में एक प्रतिष्ठित शख्सियत सावित्री बाई फुले के लचीलेपन और ताकत का जश्न मनाएं। उनकी प्रेरणादायक यात्रा शिक्षा और लैंगिक समानता की परिवर्तनकारी शक्ति का एक प्रमाण है !

03/07/2023

क्या समान नागरिक संहिता में जातियां खत्म करने का प्रावधान है ?
कोई इसके ड्राफ्ट को सार्वजनिक तो करे !

09/06/2023

इंसान का धर्म है❓
सच बोलना और मानवता की रक्षा करना!!
मूल कर्तव्य,
भाग :- 4क, अनुच्छेद :- 51A

05/06/2023

जिस दिन महिलाओं में देवी आना बंद हो जाएगी ??

#सचसेपरिचय #महिलाओं #देवी

ईश्वर के बारे में अगर जानकारी चाहिए तो, जिसने बलात्कार होने से पहले भगवान को चीख चीखकर पुकारा था।उस लड़की से पूछो..अश्वि...
04/06/2023

ईश्वर के बारे में अगर जानकारी चाहिए तो, जिसने बलात्कार होने से पहले भगवान को चीख चीखकर पुकारा था।
उस लड़की से पूछो..

अश्विनी अंबेडकर

गोरखनाथ मूलतः बौद्ध मतावलंबी थे. उनके गुरु या पिता मक्षेन्द्रनाथ भी प्रारम्भ में बौद्ध थे. कहा जाता है कि बौद्ध मत के प्...
04/06/2023

गोरखनाथ मूलतः बौद्ध मतावलंबी थे. उनके गुरु या पिता मक्षेन्द्रनाथ भी प्रारम्भ में बौद्ध थे. कहा जाता है कि बौद्ध मत के प्रभाव से गो-रक्षा के लिए काम करने के कारण, गोरख नाम से जाने गये.

वैदिक धर्म में गायों की सर्वाधिक बलि दी जाती थी और गौ मांस खाया जाता था. तराई में लोहे के हल के आविष्कार के फलस्वरूप खेती किसानी के लिए बैलों की जरूरत थी. इसलिए बुध्द ने पशुवध के विरुद्ध अभियान चलाया जो खेतिहरों को भाया.

बुध्द के जन्मस्थल नेपाल के लोग, बुध्द के अनुयाई बने. वे ही आगे चलकर गोरखनाथ के अनुयाई हुये और गोरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हुये. इसी कारण उन्हें गोरखा कहा गया. ब्रिटिश अखबार 'द होमवर्ड मेल, अगस्त 20, 1894' के अनुसार, मेहतर जाति के लोग संत गाज़ी मियां को अपना संरक्षक मानते थे. जो पंच पियारा समुदाय के थे तथा गजनी के रहने वाले महमूद के भतीजे थे. उन्होंने गोरखनाथ से प्रभावित होकर गायों का संरक्षण किया था. इस प्रकार मेहतर जाति के लोग भी गोरखनाथ से प्रभावित थे.

बौद्ध धर्म से प्रभावित होने का दूसरा प्रमाण यह है कि गोरखनाथ के विचारों में मध्यम मार्ग साफ दिखाई देता है--

षांये भी मरिये अणसाये भी मरिये,
गोरषं कहै पूजा संजमि ही तरिये
मधि निरंतर कीजै बांस,
निहचल मनुवा थिर होई सांस.

(अधिक खाने से भी मरो, न खाने से भी मरो. गोरख कहते हैं कि हे पुत्रों संयम से ही तरो. निरंतर मध्यम मार्ग में ही वास करना चाहिए. मध्यम मार्ग का अनुसरण करने से मन निश्चल और श्वास स्थिर हो जाता है)

बुध्द के विचारों का प्रभाव गैर सनातनी लोगों पर पड़ा था. इसलिए संतो और नाथों की वाणियों में बौद्धों का प्रभाव दिखाई देता है. गोरखनाथ का कार्यकाल 11वीं सदी या 12वीं सदी के अंत से पूर्व का माना जाता है.

गोरखनाथ ने अपने नाथ पंथ से जिस दर्शन को स्थापित किया वह हिंदू धर्म से भिन्न, जोगी या योगी दर्शन था. वह हिंदू मुस्लिम विभाजन के खिलाफ था और बहुत हद तक सूफीवाद के करीब था.

(पृष्ठ -: 77-78, पुस्तक-: कबीर हैं कि मरते नहीं)

काहे को कीजै पांडे छूत विचार।छूत ही ते उपजा सब संसार ।।हमरे कैसे लोहू तुम्हारे कैसे दूध।तुम कैसे बाह्मन पांडे, हम कैसे स...
04/06/2023

काहे को कीजै पांडे छूत विचार।
छूत ही ते उपजा सब संसार ।।
हमरे कैसे लोहू तुम्हारे कैसे दूध।
तुम कैसे बाह्मन पांडे, हम कैसे सूद।।

संत #कबीर

बौद्ध श्यामलतारा की पूजा धारी देवी के रूप में......‘‘उत्तराखंड का सांस्कृतिक इतिहास’’ यह पुस्तक डा0 शिव प्रसाद नैथानी जी...
04/06/2023

बौद्ध श्यामलतारा की पूजा धारी देवी के रूप में......
‘‘उत्तराखंड का सांस्कृतिक इतिहास’’ यह पुस्तक डा0 शिव प्रसाद नैथानी जी की लिखी हुई है. यह किताब दो भागों में है. यह द्वितीय भाग है. इसके पेज संख्या 464 से आगे परिशिष्ट पृष्ठ संख्या 8 पर धारी देवी की फोटो दी गयी है. ऊपर शीर्षक दिया गया है- धारी देवी जो मूलतः बौद्ध श्यामलतारा थी.
उत्तराखंड समग्र ज्ञानकोश जो कि प्रो0 डी0डी0 शर्मा की लिखी हुई पुस्तक है. इसमें धारी देवी के बारे में लिखा है कि 1894 में अलकनन्दा की बाढ़ के समय यह मूर्ति कालीमठ चमोली से बहकर यहाँ आयी और नदी के रेत में दबी पड़ी मिली. नदी के तटवर्ती गाँव के कुंजू धुनार (केवट) ने रेत से इसे बाहर निकाला था और नदी के तट पर स्थापित किया था.
धारी देवी का मंदिर पौड़ी गढ़वाल में श्रीनगर (गढ़वाल) से 14 किलोमीटर दूर कलियासौड़ बस अड्डे के नीचे अलकनन्दा नदी के दक्षिणी तट पर स्थिति है. इस धड़ विहीन मूर्ति के संदर्भ में कई हास्यास्पद मनगढंत कहानियाँ गढ़ी गयी हैं.
उन मनगढंत कहानियों पर न जाते हुए हम डा0 शिव प्रसाद जी की मान्यता के आधार पर व प्रो0 डी0डी0 शर्मा द्वारा दिए 1894 के बाढ़ के संदर्भ के आधार पर कह सकते हैं कि यह बौद्ध श्यामलतारा ही है. श्यामलतारा बौद्ध प्रचार के लिए यहाँ आयी और उसको नदी में बहा दिया गया.
राहुल सांकृत्यायन का मत- चमोली का जो बधाण परगना है जिसे केदारखंड पुराण में बौद्धांचल कहा गया है प्रमाणित करता है कि श्यामलतारा बधाण आयी हो या बधाण की ही प्रभावशाली बौद्ध प्रचारक रही हो.
राहुल सांकृत्यायन का एक और वक्तव्य- ’‘उस समय के अविशिष्ट जो कि विशिष्ट न थे, वे लोग बौद्ध धर्म के अनुयायी होते थे.’’ पुष्टि करता है कि उत्तराखंड के मूलनिवासी बौद्ध धर्म के अनुयायी थे. कुंजू धुनार भी बौद्ध धर्म का अनुयायी था जो कि श्यामलतारा को भली-भाँति पहचानता रहा हो. रेत में दबा सिर या सिर मूर्ति श्यामलतारा की पहचान कर उसे किनारे लाया हो.
आज कुंजू केवट के वंशज इस मंदिर के बाहर बैठे रहते हैं .

 #केदारनाथ मंदिर वास्तव में नाथ पंथी भिछु केदार का समाधि था।तस्वीरों में शेर और  #बुद्ध मुर्ति कला देख सकते हैं 👇👇
03/06/2023

#केदारनाथ मंदिर वास्तव में नाथ पंथी भिछु केदार का समाधि था।
तस्वीरों में शेर और #बुद्ध मुर्ति कला देख सकते हैं 👇👇

 #बुद्ध का धम्म दो भागों में विभक्त है-1-थेरवाद  2- महायानमहायान के 3 भाग हुये1-मन्त्रया 2-तंत्रयान3-वज्रयानवज्रयान फिर ...
02/06/2023

#बुद्ध का धम्म दो भागों में विभक्त है-
1-थेरवाद 2- महायान
महायान के 3 भाग हुये
1-मन्त्रया
2-तंत्रयान
3-वज्रयान
वज्रयान फिर 2 भागों में विभक्त हो गया
1- सहजयान
2-सिद्धयान

सिद्धों की संख्या 84 है मचिन्द्रनाथ को नाथ प्रथा के संस्थापक माना जाता है I

मचिन्द्रनाथ बौद्ध धर्म के वज्रयान शाखा के योगी में से एक थे। वो गोरखनाथ के गुरु थे जिनके साथ उन्होंने हठयोग विद्यालय की स्थापना की। नाथ परंपरा बौद्ध धर्म से संबंधित है I

पीर का विकास स्थविर से हुआ है,थेर से हुआ है। नाथ लोग भी थेर थे। इसलिए गोरख नाथ के गुरु मत्स्येंद्र नाथ को पीर कहा जाता है। गोरख नाथ के शिष्य गोगा जी को जाहर पीर कहा जाता है। नाथ पंथ के महान थेर रतन नाथ को पीर रतन नाथ कहा जाता है।

भरथरी का विकास भर थारू से ही हुआ है, वही भरथरी जो नाथ पंथी थे और गोरखनाथ के शिष्य थे, ये परवर्ती बौद्धों की परंपरा थी I

भर थारू मूल रूप से भरों की शाखा है और ये भर लोग पहले से ही बौद्ध थे,भरहुत में " भर " का योग देखते हैं I

थारू भी स्थविर का संक्षिप्त रूप है,जो बौद्धों से जुड़ा है I

माला और मंत्र फेरने की परंपरा बज्रयान आर्य महासांघिक संघ से शुरू हुआ था,
जिसका प्रभाव वर्तमान पुरोहित परंपरा में देखने को मिलता है।

यदि किसी स्त्री पर कभी माता आई हो तो उसे चिड़ियाघर ले जाकर शेर के पिंजरे में छोड़ दो,यदि माता आई होगी तो वह शेर पर सवार ...
01/06/2023

यदि किसी स्त्री पर कभी माता आई हो तो उसे चिड़ियाघर ले जाकर शेर के पिंजरे में छोड़ दो,

यदि माता आई होगी तो वह शेर पर सवार हो जाएगी, और अगर नहीं आई होगी तो शेर का शिकार हो जाएगी..🤷🤷🤷

दिमाग की बत्ती जलाओ
जागो और जगाओ..!!✍️
फोटो सिर्फ चार ही है वैसे 🙄🙄

01/06/2023

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