507 Head

507 Head 507 हैड

ग्राम 507 हैड बीकानेर जिले की छतरगढ़ तहसील में राजस्थान के उत्तर पश्चिमी भाग में स्थित है। यह जिला मुख्यालय से 100 किमी दूर स्थित है। यह गांव ग्राम पंचायत 1 KM के अंतर्गत आता है। गांव के नजदीक इंदिरा गांधी नहर भी बहती है।

आप सभी को गर्व, सम्मान और इस अविश्वसनीय राष्ट्र का हिस्सा होने की खुशी से भरे दिन गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। जय...
26/01/2024

आप सभी को गर्व, सम्मान और इस अविश्वसनीय राष्ट्र का हिस्सा होने की खुशी से भरे दिन गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। जय हिन्द!🇮🇳
जय जवान, जय किसान ✊

24/10/2023

ग्राम पंचायत 1 KM के चक 3 KM में पिछले 2-3 दिनों से सरकारी फार्म की बुआई की जा रही है। क्या किसी के पास कोई जानकारी है?

खेत की सुबह 🌄🌱आप भी हमें इस प्रकार की आकर्षित फोटो भेज सकते हैं हम इस पेज पर आपके द्वारा भेजी गईं फोटो को शेयर करेंगे।Ca...
12/09/2023

खेत की सुबह 🌄🌱

आप भी हमें इस प्रकार की आकर्षित फोटो भेज सकते हैं हम इस पेज पर आपके द्वारा भेजी गईं फोटो को शेयर करेंगे।
Capture by: Naresh

सारे जहां से अच्छा, हिन्दोस्तां हमारा....❤️🇮🇳सभी देशवासियों को राष्ट्रीय गौरव महापर्व 77वें स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक श...
15/08/2023

सारे जहां से अच्छा, हिन्दोस्तां हमारा....❤️🇮🇳
सभी देशवासियों को राष्ट्रीय गौरव महापर्व 77वें स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
जय जवान जय किसान ✊

05/06/2023

फर्क पड़ता है लेकिन कोशिश करने से

ग्रीन नहीं ये एनर्जी 🌡️🔥
25/05/2023

ग्रीन नहीं ये एनर्जी 🌡️🔥

30/03/2023

ई धरती रो रूतबो ऊंचो,
आ बात कवै कूंचो कूंचो।
रंग रंगीलो सबसे प्यारो-न्यारो
" #राजस्थान_दिवस" री घणी-घणी बधाई!

25/03/2023

राजस्थान में बेमौसम बारिश और ओले ने किसानों की फसलों को तबाह कर दिया है…यह वीडियो लूणकरणसर क्षेत्र का है….उम्मीद है सरकार अन्नदाता के इस दर्द को देख रही होगी…
Government of Rajasthan CMO Rajasthan Ashok Gehlot

शहीदों की चिताओ पर लगेंगे हर बरस मेले....वतन पर मरने वालो का यही बाकी निशान होगा। #शहीददिवस पर महान क्रांतिकारियों को नम...
23/03/2023

शहीदों की चिताओ पर लगेंगे हर बरस मेले....
वतन पर मरने वालो का यही बाकी निशान होगा।

#शहीददिवस पर महान क्रांतिकारियों को नमन।

17/03/2023

में 19 नए ज़िलों की घोषणा 📣
अनुपगढ
ब्यावर
बालोतरा
डीग
डीडवाना
दूदू
गंगापुर सीटी
जयपुर उत्तर
जयपुर दक्षिण
जोधपुर पूर्व
जोधपुर पश्चिम
केकड़ी
कोटपुतली
बहरोड़
खैरथल
फलोदी
सलुंबर
सांचोर
शाहपुरा
नीम का थाना

3 नए संभाग 👇
बांसवाड़ा
पाली
सीकर

इंसानों द्वारा अपने फायदे के लिए रेगिस्तान के इस इकलौते पेड़ के साथ छेड़छाड़ से न केवल इसके अस्तित्व पर खतरा मंडलाने लगा है...
11/03/2023

इंसानों द्वारा अपने फायदे के लिए रेगिस्तान के इस इकलौते पेड़ के साथ छेड़छाड़ से न केवल इसके अस्तित्व पर खतरा मंडलाने लगा है बल्कि जैव विविधता पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ने लगा है

रोही अर्थात रेगिस्तान के जंगल में पनपने के कारण ही इस वृक्ष का नाम रोहिड़ा रहा होगा। रोहिड़ा थार का रेगिस्तानी वृक्ष है। शुष्क और अर्ध शुष्क जलवायु क्षेत्र में इसका जीवन पनपता है। स्थानीय स्तर पर प्रचलित नाम रोहिड़ा तथा वनस्पतिक नाम टेकोमेला उण्डुलता है।
थार रेगिस्तान के बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानरे, जोधपुर, नागौर, जालौर, सिरोही, पाली, चूरू, सीकर और झुंझुनू जिले रोहिड़ा वृक्ष के ठाए ठिकाने हैं।
थार रेगिस्तान के पाकिस्तान क्षेत्र के अलावा शुष्क, अर्ध शुष्कीय जल वायु वाले मैदानी और पहाड़ी क्षेत्र में भी पाया जाता है।
रोहिड़ा की गणना उन वृक्षों में की जाती है जो पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अरब के रेगिस्तान में भी इस प्रजाति के पौधे पाए जाते हैं। इस वृक्ष की सूखा सहन करने की अपार क्षमता है। रेगिस्तान की भीषण गर्मी में यह 43 डिग्री से 48 और कई बार 50 डिग्री तक के तापमान को झेलते हुए हरा भरा रहता है।
रोहिड़ा की खास बात इसके सुंदर और आकर्षक फूल होते हैं। कुछ पौधों के वर्ष में एक बार जबकि अधिकांश के साल में दो बार फूल आते हैं। दिसंबर अंत से जनवरी के बीच तथा मार्च और अप्रैल में पीले, नारंगी तथा लाल रंग के फूलों से रेगिस्तान में रंग भर देता है बल्कि यूँ कहा जाये कि रेगिस्तान का श्रृंगार कर देता है। हालांकि रोहिड़ा के फूल खुशबू रहित होते हैं लेकिन देखने में काफी सुंदर और आकर्षक होते हैं। 31 अक्टूबर 1983 को इसे राजस्थान का राज्य पुष्प घोषित किया गया है।

रेगिस्तान में दूर-दूर तक पसरी रंगहीन रेत के धोरों से सटे मैदानी इलाकों में जनवरी से अप्रैल माह तक रंगों की बौछार कर देने वाला यह वृक्ष प्रकृति की ओर से जीव-जगत को दिया गया अनुपम उपहार है। जैव विविधता को बनाए रखने में रोहिड़ा का रेगिस्तान में खास अहमियत है। गंधहीन होने के बावजूद इसमें फूलों के आने पर मधुमक्खियां, तितलियां और असंख्य रसभक्षी कीट व तरह-तरह के पक्षी रस चूसने के लिए इसके चारों तरफ मंडराते रहते हैं। वहीं चारे के रूप में फूलों का सेवन बकरी भी बड़े चाव से करती है। गंधहीन होने के कारण रेगिस्तान में रहने वाले पूजा-पाठ में इसके फूलों का उपयोग नहीं करते हैं।

रोहिड़ा की लकड़ी कठोर और काफी मजबूत होती है जिसका उपयोग दरवाजों, खिड़कियों, चारपाई के पायों, फर्नीचर एवं कृषि औजारों के लिए किया जाता है। इसकी लकड़ी पर नक्काशी का काम भी होता है। पुराने महलों, हवेलियों में रोहिड़े की लकड़ी की कलात्मक वस्तुएं देखने को मिलती हैं। इसीलिए इस वृक्ष को बोल-चाल की भाषा में रेगिस्तान का शीशम भी कहा जाता है।

रोहिड़ा औषधीय उपयोग में भी महत्वपूर्ण है। रोहिड़ा का वृक्ष और फूल जहां मनुष्य और पशु पक्षियों के लिए लाभकारी है वहीं दूसरी ओर भौगोलिक रूप से भी यह अत्यंत लाभकारी सिद्ध होता है। यह रेगिस्तानी पौधा है, इस कारण इसकी जड़ें गहराई के साथ-साथ जमीन के ऊपरी भागों में जाल बिछा कर भोजन पानी ग्रहण करती है। यह न केवल रेगिस्तान की मिट्टी को बांध कर रखती है बल्कि इसके प्रसार को भी रोकती है।

लेकिन इंसानों द्वारा अपने फायदे के लिए रेगिस्तान के इस इकलौते पेड़ के साथ छेड़छाड़ से न केवल इसके अस्तित्व पर खतरा मंडलाने लगा है बल्कि जैव विविधता पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ने लगा है। वृक्षों की कटाई एवं खेती के आधुनिकीकरण, ट्रैक्टर से खेती का बढ़ता चलन और सामुदायिक चारागाहों की राज व समाज द्वारा अनदेखी के चलते रोहिड़ा वृक्ष की संख्या में धीरे-धीरे कमी होती जा रही है।

चारागाहों में पशुओं की खुली व बारहोमास चराई के कारण नए अंकुरित पौधों को पशु खा लेते हैं, वहीं ट्रेक्टर से खेती के कारण नए अंकुरिक पौधे जड़ से उखड़ जाते हैं। यही कारण है कि नव अंकुरित एवं युवा पौधों की संख्या बहुत कम देखने को मिलती है। इसके बीज सफेद झिल्ली जैसे पंख लिए होते हैं जो हवा के साथ एक स्थान से दूसरे स्थान पर अपने वंश को फैलाने की अपार क्षमता रखते हैं लेकिन कुदरत के साथ मानवीय अलगाव इनको पनपने में बाधा बन गया है।

जरूरत है इस वृक्ष के सुरक्षा व संरक्षण की और इसके वंशवृद्धि चक्र को बनाए रखने की ताकि न सिर्फ रेगिस्तान का प्राकृतिक संतुलन बना रहे बल्कि आने पीढ़ी भी इसका भरपूर लाभ उठा सके। जिन जिलों में इस वृक्ष की बहुलता दिखती है, वहां बड़ी संख्या में औरण, गौचर व अन्य किस्मों की शामलाती भूमियों में इस वृक्ष को लगाने का प्रयास करने की आवश्यकता है। इसके लिए केवल सरकार पर निर्भर नहीं रहा जा सकता है बल्कि समाज को भी आगे बढ़कर अपना अमूल्य योगदान देने की ज़रूरत है।

होली गा सारा न राम-राम 🙏🌈🌅
07/03/2023

होली गा सारा न राम-राम 🙏🌈🌅

होलिका दहन🔥
06/03/2023

होलिका दहन🔥

होली की हार्दिक शुभकामनाएं! 🌈खेतों की खुशबू और रंगों से सजा होली का त्योहार आपके जीवन में सुख-समृद्धि और खुशियां लेकर आए...
06/03/2023

होली की हार्दिक शुभकामनाएं! 🌈
खेतों की खुशबू और रंगों से सजा होली का त्योहार आपके जीवन में सुख-समृद्धि और खुशियां लेकर आए।

अबकी बार गर्मी सारे रिकॉर्ड तोड़ देगी!लगातार इस विकास की अंधाधुध दौड़ में हमने प्रकृति का बहुत नुक़सान किया है और कर रहे...
03/03/2023

अबकी बार गर्मी सारे रिकॉर्ड तोड़ देगी!
लगातार इस विकास की अंधाधुध दौड़ में हमने प्रकृति का बहुत नुक़सान किया है और कर रहे हैं।
मौसम विभाग ने #राजस्थान के 9 जिलों में गर्मी का रेड अलर्ट जारी किया हैं।
वर्ष 2017 में #बाड़मेर में पारा 44 डिग्री था अबकी बार पूरे प्रदेश में ऐसे हालात होंगे।
अगर अधिक गर्मी होगी तो इसका सबसे बड़ा नुकसान #किसान को होगा।
क्योंकि बिजली की सप्लाई तो अबकी बार सर्दियों में भी पूरी नहीं हुई तो गर्मी में तो खपत भी अधिक होती है तो किसानों को कुओं की बिजली समय पर पूरी बिजली मिलना मुश्किल हैं। और नहरों से सिंचाई पानी की वैसे ही कमी है। अब तो हर बारी के लिए किसानों को आंदोलन करना पड़ता है और सरकारों को याद दिलाना होता है कि हमारे खेतों में पानी चाहिए।

आजकल आंदोलन, विरोध प्रदर्शन आम बात हो गए हैं।
लोगों में राजनीति इतनी हावी हो गई हैं कि लोग अपने हक ही भूल गए हैं।
गांवों के लोग जिस प्रकार से मिलजुल कर रहना पसंद करते थे आज उतनी ही एक दूसरे के प्रति नफरत ले कर घूम रहे हैं।
हमारा क्षेत्र शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण सब में पीछे हैं लेकिन इन मुद्दों पर कोई बात नहीं करना चाहता क्यों? आखिर कब तक हम अपनी बर्बादी अपने हाथों से लिखेंगे!
अगर #जलवायु_परिवर्तन के नुकसानों से बचना हैं तो पर्यावरण को बचाना होगा।

02/03/2023
16/02/2023

आखिर क्यों बेबस है लोग?
एक समय था जब लगभग लोगों में शिक्षा की कमी थी लेकिन वे अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाने से नही कतराते थे, और एक आज का समय है लोग अन्याय के खिलाफ बोलने से भी घबराते हैं। आखिर क्यों?

जंगल कट रहा है लेकिन सारे पेड़ कुल्हाड़ी को वोट दे रहे हैं। क्योंकि पेड़ सोच रहे हैं कि कुल्हाड़ी में लगी लकड़ी उनके समाज की है।

दुखद घटना घेघड़ा झील में चल रही पेड़ों की कटाई के दौरान काम कर रहे मजदूर के ट्रैक्टर मशीन की चपेट में आने से दोनो पैर कट...
16/02/2023

दुखद घटना
घेघड़ा झील में चल रही पेड़ों की कटाई के दौरान काम कर रहे मजदूर के ट्रैक्टर मशीन की चपेट में आने से दोनो पैर कटे।

कब तक पर्यावरण के प्रति लापरवाह रहोगे?सरकार 507 हेड जैसी झीलों को बचाने के लिए योजना निकाल रही है बजट 2023-24 में वित्त ...
14/02/2023

कब तक पर्यावरण के प्रति लापरवाह रहोगे?
सरकार 507 हेड जैसी झीलों को बचाने के लिए योजना निकाल रही है बजट 2023-24 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आर्द्रभूमि की रक्षा के लिए 'अमृत धरोहर' नामक एक विशेष योजना की घोषणा की है। इस योजना का उद्देश्य स्थानीय समुदायों की मदद से सतत पारिस्थितिकी तंत्र का विकास करना है।
लेकिन जब स्थानीय लोग ही #पर्यावरण के प्रति लापरवाह है तो सरकार कुछ नहीं कर सकती है।

अभी कुछ दिन पहले दैनिक भास्कर की न्यूज़ के अनुसार अबकी बार गर्मीयों में तापमान पिछले वर्ष के मुकाबले और अधिक होगा।
वर्ष 2021 की रिपोर्ट के अनुसार बीकानेर में सिर्फ 4.8% वन क्षेत्र है।
सबसे गर्म जिला चूरू है यहाँ गर्मियों में सड़के पिघलने लगती है। क्योंकि चूरू जिले का भौगोलिक वातावरण इसके लिए जिम्मेदार है इस जिले में कम मात्रा में वनस्पति क्षेत्र है।

2016 में इसरो द्वारा लाए गए भारत के मरुस्थलीकरण और भूमि क्षरण एटलस के अनुसार, गुजरात, राजस्थान और दिल्ली में उनके कुल क्षेत्रफल का 50% से अधिक भूमि मरुस्थलीकरण के खतरे में हैं।
इसलिए पोरबंदर से पानीपत तक भारत में 'हरित दीवार' ( ) की योजना बनाई जा रही है जो अरावली पहाड़ी श्रृंखला के साथ वनीकरण के माध्यम से बंजर भूमि को खत्म करने में मदद करेगी।
यह हरित दीवार (Green Wall) 1400 किलोमीटर लम्बी और 5 किलोमीटर चौड़ी होगी।
इस दीवार का उद्देश्य भूमि मरुस्थलीकरण को रोकना और थार रेगिस्तान को पूर्व की ओर विस्तार कम करना है। यह पश्चिमी भारत और पाकिस्तान के #रेगिस्तान से आने वाली धूल के लिए एक अवरोधक के रूप में भी काम करेगी।
इसके अनुसार #मरुस्थलीकरण को सिर्फ घने पेड़ों के द्वारा ही रोका जा सकता। क्या हमारे क्षेत्र में इतने पेड़ लगाए जा रहे है कि मरुस्थलीकरण रोका जा सके? तो इसका जवाब है नहीं।
पिछले कुछ समय से हमारे क्षेत्र में पेड़ लगाए कम काटे ज्यादा जा रहे है अगर यूँ ही चलता रहा तो एक दिन इसके परिणाम जरूर भुगतने होंगे।
#झील_में_लगे_पेड़ों_को_बचाओं #झीलबचाओ

11/02/2023

जिस प्रकार से जलाशयों के नाम पर अंधाधुंध पेड़ों की कटाई चल रही हैं इससे लाखों वन्यजीव खतरे में हैं प्रत्येक व्यक्ति का जीवन इससे प्रभावित होगा।
अगर आज इसके खिलाफ हम आवाज़ नहीं उठा सकते तो आने वाले समय में इससे भी भयंकर प्रोजेक्ट आएंगे। और उनसे मानस जीवन खतरे में होगा।
प्रकृति अपने नुकसान का बदला जरूर लेगी।
यह सब जानते हुए भी हम चुप हैं तो हमसे बड़ा अपराधी कोई नहीं है।
आज के समय में लोगों में संवेदनशीलता खत्म हो गई हैं। हमारे देवी-देवताओं ने जीवों की रक्षा के लिए अपने प्राण तक न्यौछावर कर दिए थे और आप आज बिल्कुल चुप हैं क्यों?
किसी के कुछ मजबूरी नहीं है सब ढोंग हैं जो लोग मजबूरी का ढोंग कर रहे हैं वो चुनाव के समय सबसे आगे नजर आएंगे।
जय किसान🌾✊
#झील_में_लगे_पेड़ों_को_बचाओं #झीलबचाओ
Ashok Gehlot Rajasthan Forest Department Ministry of Environment, Forest & Climate Change, Government of India UN Environment Programme in Asia Pacific ETV Bharat Rajasthan The New Indian Express Arjun Ram Meghwal Biharilal Bishnoi Government of Rajasthan

स्थानीय लोगों को इस झील में रिजर्वायर बनने से सिर्फ झूठे लाभ बताए हुए जिस कारण ये सब असमंझ में है कि क्या करें?आप सभी से...
08/02/2023

स्थानीय लोगों को इस झील में रिजर्वायर बनने से सिर्फ झूठे लाभ बताए हुए जिस कारण ये सब असमंझ में है कि क्या करें?

आप सभी से यही अपील है कि कल कैप्टन चंद्र चौधरी स्टेडियम 507 हेड पर आयोजित सभा में पधारे इसमें हम इसके लाभ व हानि के बारे में चर्चा करेंगे और आगामी रणनीति तय करेंगे।

ये झीलें स्थानीय क्षेत्र के लिए बहुत उपयोगी हैं। अगर 507 हैड झील कटती हैं और रिजर्वायर बनता हैं तो इसके परिणाम हमें अगले 5-10 सालों में भुगतने होंगे।
यहां रहने वाले जीव-जंतुओं का पलायन शुरु हो गया है।
पहले गादड़ को झील में बोलते हुए सुना था लेकिन आज घरों के बिच पहुंच गए हैं। जंगली बिल्ली भी घरों में आना शुरु हो गई। अब इनके लिए खेत ही जंगल है।
कभी सोचा हैं ये सब जीव कहां जायेंगे? क्यों सोचोगे इनसे हमें क्या मतलब?
लेकिन एक बात हमेशा याद रखना प्रकृति अपने नुकसान का बदला जरूर लेगी।
थोडा सा समय बिता है प्रकृति के कहर को गए हुए - COVID19
समय है संभल जाओ, अभी भी बहुत कुछ किया जा सकता है। अगर एक बार मौका निकल गया तो सिवाय पछतावे के कुछ नहीं रहेगा।
जय किसान🌾✊
#झील_में_लगे_पेड़ों_को_बचाओं #झीलबचाओ

🌳"जन जन की यही पुकार अब झील बचाओ यार"🌳आज 507 हैड पर झील को बचाने के लिए आयोजित सभा में अपना किमती समय देने के लिए आप सभी...
07/02/2023

🌳"जन जन की यही पुकार अब झील बचाओ यार"🌳
आज 507 हैड पर झील को बचाने के लिए आयोजित सभा में अपना किमती समय देने के लिए आप सभी लोगों का आभार 🙏🌱
507 हैड पर बनने जा रहे रिजर्वायर को अन्यत्र जगह पर स्थानांतरित करने की माँग को लेकर 9 फरवरी गुरुवार को 507 हैड पर सर्व-समाज की महा पंचायत में आप सभी सादर आमंत्रित हैं।
ये लड़ाई नस्ल और फसल बचाने की है।
जय किसान🌾✊
#झील_में_लगे_पेड़ों_को_बचाओं #झीलबचाओ

Rajasthan Forest Department Ashok Gehlot Government of Rajasthan PMO India Arjun Ram Meghwal Dainik Jagran Dainik Bhaskar NDTV India Ravish Kumar The New Indian Express Ministry of Environment, Forest & Climate Change, Government of India UN Environment Programme in Asia Pacific Bikaner Patrika Humara Bikaner ETV Bharat Rajasthan ZEE Rajasthan News

07/02/2023

विशेष सूचना
आज 507 हैड पर एक 3 बजे मीटिंग रखी गई जिसमे घेघड़ा झील में हो रही पेड़ो की कटाई को रोकने के लिए आगे की रणनीति तय की जाएगी साथियों जितना हो सके ज्यादा से ज्यादा संख्या में 507 हैड पर पधारे
हमारा मकसद इस क्षेत्र को पर्यावरण के नुकसान से बचाना है।

05/02/2023

हजारों पेड़ों को रोज खा रही ये मशीन...😱
आमजनता को पर्यावरण संरक्षण के लिए अपने कर्तव्य को समझना होगा। अन्यथा इस क्षेत्र में पर्यावरण का बहुत बड़ा नुकसान होगा जिसकी भरपाई करना नामुमकिन होगा।

क्या सरकारी नियमों के साथ रिजर्ववायर के लिए झील में पेड़ों की कटाई हो रही हैं?जानिए इस विडियो के माध्यम सेविवेकशील विचार...
05/02/2023

क्या सरकारी नियमों के साथ रिजर्ववायर के लिए झील में पेड़ों की कटाई हो रही हैं?
जानिए इस विडियो के माध्यम से
विवेकशील विचार मंच

वन विभाग की बाड़ को चट कर रहे वन विभाग के ही कर्मचारी!जलजीवन मिशन के अंतर्गत IGNP पर लाखों क्यूसेक पेयजल भंडारण हेतु नि.....

हरित प्रणाम, आर्द्रभूमि या नम भूमि जिसे अंग्रेज़ी में   कहा जाता है पर्यावरण संरक्षण के लिहाज़ से बड़ी महत्वपूर्ण है इसी...
05/02/2023

हरित प्रणाम, आर्द्रभूमि या नम भूमि जिसे अंग्रेज़ी में कहा जाता है पर्यावरण संरक्षण के लिहाज़ से बड़ी महत्वपूर्ण है इसी पर आज Shyam Sunder Jyani जी का आलेख मुंबई से प्रकाशित होने वाली 30 Stades पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

इस आलेख में हमारी RD 507 Head और RD 750 झीलों की भी चर्चा हुई है जो कुछ दिन के लिए है क्योंकि यहां सैकड़ों हजारों पेड़ों को काट कर रिजर्वायर के लिए पक्का किया जाना है।

हमारे अपने संभाग में बड़ौपल झील व लूनकरणसर झील अतिक्रमण और प्रदूषण का शिकार है तो 507 हैड व 750 हैड स्थित झीलों के किनारे खड़े लाखों वृक्षों को काटकर इन झीलों को पक्का कर पेयजल हेतु प्रयोग करने का फ़रमान जारी हो चुका है ऐसा करने से प्रतिवर्ष यहाँ आने वाले लाखों #परिंदों का ठिकाना तो छिन्न -भिन्न होगा ही साथ ही आने वाले वर्षों में स्थानीय पर्यावरण पर भी इसका नकारात्मक असर पड़ेगा।
ऐसे में ज़रूरी है कि आगे आइए और कुछ नहीं कर सकते तो.. हमारी इन प्राकृतिक धरोहरों की रक्षा, रख -रखाव व महत्व पर बात तो करें क्योंकि जब बात निकलेगी तो दूर तलक भी जा सकती है ।

30 Stades पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। जिसका लिंक आप सबके साथ साझा 👇🏻 कर रहा हूँ।

Wetlands are home to 40 percent of the world’s plant and animal species. Acting as natural sponges, they help in flood prevention and also filter pollutants from water

Address

507 HEAD 1KM
Bikaner
334021

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when 507 Head posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Contact The Business

Send a message to 507 Head:

Videos

Share


Other Media/News Companies in Bikaner

Show All

You may also like