छा गया छोरे, कसूत है यो छोरा 🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
#फ़िनलैंड में एक बार फिर भाई Neeraj Chopra ने अपने #भाले से सोने का #शिकार किया। बहुत बहुत #बधाई भाई। शेर की तरह इस #जगल के #राजा आप यूँ ही बने रहे। #NeerajChopra #goldmedal 🥇🇮🇳🥇#india #athelete #proudmoment #finland #sports
कलियुग बोल्या परीक्षित ताहीं, मेरा ओसरा आया।
अपने रहण की खातिर मन्नै इसा गजट बणाया॥
सोने कै काई ला दूंगा, आंच साच पै कर दूंगा -
वेद-शास्त्र उपनिषदां नै मैं सतयुग खातिर धर दूंगा।
असली माणस छोडूं कोन्या, सारे गुंडे भर दूंगा -
साच बोलणियां माणस की मैं रे-रे-माटी कर दूंगा।
धड़ तैं सीस कतर दूंगा, मेरे सिर पै छत्र-छाया।
अपने रहण की खातिर मन्नै इसा गजट बणाया॥
मेरे राज मैं मौज करैंगे ठग डाकू चोर लुटेरे -
ले-कै दें ना, कर-कै खां ना, ऐसे सेवक मेरे।
सही माणस कदे ना पावै, कर दूं ऊजड़-डेरे -
पापी माणस की अर्थी पै जावैंगे फूल बिखेरे॥
ऐसे चक्कर चालैं मेरे मैं कर दूं मन का चाहया।
अपने रहण की खातिर मन्नै इसा गजट बणाया॥
समद ऋषि जी ज्ञानी हो-गे जिसनै वेद विचारा।
वेदव्यास जी कळूकाल का हाल लिखण लागे सारा
ऑस्ट्रेलिया की बुवारा करणे की मशीन
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हरियाणा की ताई नीलकंठेश्वर पे 🤣🤣🤣
हरियाणा का मानस हवा बिना रह सके है पर स्वाद लिए बिना नहीं रह सकता। 🤣😛 #tai #haryana #travel #rishikesh #reels
Sacheen khatri Bhai ko Averest pe Fateh Karne pe badhai ho. Vill. Kharak jatan. Bhai Chd. Police m h.
मान गए भाई परवेज खान 🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
गोल्ड
कर कै खाले ले कै देदे उस तै कौण जबर हो सै
नुगरा माणस आंख बदलज्या समझणियां की मर हो सै
नुगरा कुत्ता रेतली धरती खुद इंसान डरै इस तै
सप्त ऋषि और धुरू भक्त का खुद ईमान डरै इस तै
रामायण महाभारत गीता बेद और पुराण डरै इस तै
और किस किस का जिक्र करूं खुद भगवान डरै इस तै
खानदान का बाळक हो उसनै जात जाण का डर हो सै
दुनिया मैं दो चीज बताई टोटा और साहूकारा
जिस माणस मैं टोटा आज्या भाई दे दे दुत्कारा
जिस धोरै दो आने होज्यां लागै सब नै प्यारा
एक बेल कै कई फल हों सैं कोए मीठा कोए खारा
भीड़ पड़ी मैं देख्या जा ना तै किसकै कौण बिसर हो सैं
एक पेड़ के सरवे पै बण्या करतब न्यारा-न्यारा
एक हिस्से की कलम बणै सै एक हिस्से का डारा
एक मिट्टी के दो बर्तन सैं एक नूण का खारा
एक बणै बेहू का भाण्डा एक बणै घी का बारा
टोटे के मैं बालक बिकज्यां यो पेट बिकाऊ घर हो सैं
आदम देह नै जन्म धार कै करकै खाणा चाहिए
जैसी पड
यो भारत खो दिया फर्क नै इसमैं कोए कोए माणस बाकी सै
घणे मित्र तै दगा कुमाल्यें, चीज ल्हुकमां प्यारे की ठाल्यें
बेटी बेच-बेच धन खाल्यें, मुश्किल रीत बरतणी न्या की सै
नहीं कुकर्म करणे तै डरते, दिन-रात नीत बदी पै धरते
शर्म ना बुआ बाहण की करते, या मेरी ताई दादी काकी सै
बन्दे जो अकलबन्द होंगे चातर, नहीं मारैंगे ईंट कै पात्थर
सोच ले मनुष दळण की खातर, सिर पै काल बली की चाकी सै
गुरू मानसिंह शुद्ध छन्द छाप तै, ‘लखमीचन्द’ रहो जिगर साफ तै
कळु का कुण्डा भरैगा पाप ते, ब्यास नै महाभारत मैं लिख राखी सै
लाख चौरासी जीया जून मैं नाचै दुनिया सारी
नाचण मैं के दोष बता या अकल की हुशियारी
सब तै पहलम विष्णु नाच्या पृथ्वी ऊपर आकै
फिर दूजे भस्मासुर नाच्या सारा नाच नचा कै
गौरां आगै शिवजी नाच्या ल्या पार्वती नै ब्याह कै
जल के ऊपर ब्रह्मा नाच्या कमल फूल के म्हा कै
ब्रह्मा जी नै नाच-नाच कै रची सृष्टि सारी
गोपनियां मैं कृष्ण नाच्या करकै भेष जनाना
विराट देश मैं अर्जुन नाच्या करया नाचना गाणा
इन्द्रपुरी मैं इन्द्र नाचै जब हो मींह बरसाणा
गढ़ माण्डव मैं मलके नाच्या करया नटां का बाणा
मलके नै भी नाच-नाच कै ब्याहल्यी राजदुलारी
पवन चलै जब दरख्त नाचैं पेड़ पात हालैं सैं
लोरी दे-दे माता नाचैं बच्चे नै पाळैं सैं
रण के म्हां तलवार नाचती किसे हाथ चालैं सैं
सिर के ऊपर काळ नाचता नहीं घाट घालै सै
काल बली नै नाच खा लिए ऋषि-मुनि-ब्रह्मचारी
बण मैं केहरी शेर नाचता और नाचे सै हाथी
रीछ और बंदर दो
देखे मर्द नकारे हों सैं गरज-गरज के प्यारे हों सैं
भीड़ पड़ी मैं न्यारे हों सैं तज के दीन ईमान नैं
जानकी छेड़ी दशकन्धर नै, गौतम कै गया के सोची इन्द्र नै
रामचन्द्र नै सीता ताहदी, गौरां शिवजी नै जड़ तै ठादी
हरिश्चन्द्र नै भी डायण बतादी के सोची अज्ञान नै
मर्द किस किस की ओड़ घालदे, डबो दरिया केसी झाल दे
निहालदे मेनपाल नै छोड़ी, जलग्यी घाल धर्म पै गोड़ी
अनसूइया का पति था कोढ़ी वा डाट बैठग्यी ध्यान नै
मर्द झूठी पटकैं सैं रीस, मिले जैसे कुब्जा से जगदीश
महतो नै शीश बुराई धरदी, गौतम नै होकै बेदर्दी
बिना खोट पात्थर की करदी खोकै बैठग्यी प्राण नै
कहै सैं जल शुद्ध पात्र मैं घलता ‘लखमीचन्द’ कवियों मैं रळता
मिलता जो कुछ करया हुआ सै, छन्द कांटे पै धरया हुआ सै
लय दारी मैं भरया हुआ सै, देखी तो मिजान नै
हो पिया भीड़ पड़ी मैं नार मर्द की खास दवाई हो,
मेल मैं टोटा के हो सै
टोटे नफे आंवते जाते, सदा नहीं एकसार कर्मफल पाते
उननै ना चाहते सिंगार जिनके, गात समाई हो,
मर्द का खोटा के हो सै
परण पै धड़ चाहिए ना सिर चाहिए, ऊत नै तै घर चाहिए ना जर चाहिए
बीर नै तै बर चाहिए होशियार, मेरी नणदी के भाई हो
अकलमंद छोटा के हो सै
पतिव्रता बीच स्वर्ग झुलादे, दुख बिपता की फांस खुलादे
भुलादे दरी दुत्तई पिलंग निवार, तकिया सोड़ रजाई हो
किनारी घोटा के हो सै
लखमीचन्द कहै मेरे रुख की, सजन वैं हों सैं लुगाई टुक की
जो दुख सुख की दो च्यार, पति नै ना हंस बतलाई हों
तै महरम लोटा के हो सै