10/12/2022
उत्तराखंड में हजारों परिवारों की आजीविका खच्चरों पर ही निर्भर है। मुख्यतया उनकी जरूरत ऐसे सैकड़ों दुर्गम गांवों में होती है, जहां खच्चर के बगैर जरूरी सामान पहुंचना ही मुश्किल हो जाए। दशकों पहले भारत और चीन के बीच युद्ध की बनती परिस्थितियों में स्थानीय लोगों ने सेना के लिए खच्चरों से राशन आदि ढोने का काम किया था। लेकिन सड़कों के विस्तार के साथ खच्चरों का काम कम होता गया।
लेकिन अज भी उत्तराखण्ड में इसका इस्तेमाल होता है और होता रहेगा भले यहाँ भी सड़को का जाल बिछ चुका है पर अभी भी सड़को से गाँव थोड़ी दूरी पे ही है जहाँ ये खच्चर राशन,रेत, बजरी, ईंट, इत्यादि समान गाँव दुकान घरों तक पहुंचाने का काम करते है और ये चार धाम यात्रा में भी इस्तेमाल होते है समान से लेकर यात्रियों तक पहुंचाने का काम करते है…..
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