MiRCHA NEWS

MiRCHA NEWS This channel has a wide area of the network throughout India and Gets the latest news from world,

31/03/2024
'डॉन' फिल्म से जुड़ी वो 5 बातें नहीं जानते होंगे आप, मनोज कुमार के एक सुझाव ने फ्लॉप फिल्म को बनाया सुपरहिट...Unknown Fa...
31/03/2024

'डॉन' फिल्म से जुड़ी वो 5 बातें नहीं जानते होंगे आप, मनोज कुमार के एक सुझाव ने फ्लॉप फिल्म को बनाया सुपरहिट...

Unknown Facts of DON:

आज आपको बताने जा रहे है फिल्म से जुड़े वो पांच फैक्ट, जिनको शायद ही कोई जानता होगा. 1978 में 'डॉन' फिल्म रिलीज हुई थी. ये उस साल की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्मों की लिस्ट में तीसरे नंबर पर थी. टॉप 3 में तीनों अमिताभ बच्चन की फिल्में थी. पहली नंबर पर 'मुकद्दर का सिकंदर', दूसरे नंबर पर 'त्रिशूल' थी।

'डॉन को पकड़ना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है' ये डायलॉग भला कोई कैसे भूल सकता है. 1978 में रिलीज हुई फिल्म 'डॉन' के इस डायलॉग ने अमिताभ बच्चन को हिट किया कि सालों बाद भी इस फिल्म की कहानी और गानों को लोग याद करते हैं. 'डॉन' हिंदी सिनेमा की क्लासिक और कल्ट फिल्मों में से एक है, जिसको शुरुआत में तो दर्शकों को बिल्कुल नहीं भाई लेकिन जब चली तो ऐसी चली की छप्पर फाड़ कमाई के साथ-साथ कई रिकॉर्ड्स तोड़ दिए. आज आपको बताएंगे फिल्म से जुड़े 5 वो फैक्ट, जिनको शायद ही कोई जानता होगा।

अपनी पहली फिल्म के फ्लॉप होने के बाद 12 लाख के कर्ज में डूबे प्रोड्यूसर नरीमन ईरानी को अमिताभ बच्चन, जीनत अमान और चंद्रा बारोट ने एक और फिल्म बनाने की सलाह दी. इन तीनों से उनकी मुलाकात फिल्म 'रोटी कपड़ा और मकान' की मेकिंग के दौरान हुई थी. नरीमन उस फिल्म के छायाकार थे और चंद्रा बारोट डायरेक्ट मनोज कुमार के असिस्टेंट डायरेक्टर थे. ये वो दौर था, जब अमिताभ बच्चन फिल्म 'जंजीर' के बाद सुर्खियों में छाए हुए थे. अमिताभ सहित सभी ने उन्हें भरोसा दिया कि वह फिल्म के लिए कोई पैसा नहीं लेंगे. अगर फिल्म हिट हुई तो अपनी फीस लेंगे वरना नहीं लेंगे. अपने दोस्तों की सलाह पर नरीमन फिल्म बनाने के लिए तैयार हुए. फिल्म के डायरेक्शन की जिम्मेदारी चंद्रा बारोट को दिया गया और फिल्म में मुख्य किरदार के लिए अमिताभ बच्चन, जीनत अमान ने हां कर दिया, लेकिन सबसे बड़ी मुश्किल फिल्म की कहानी को लेकर थी।

अमिताभ बच्चन ने प्रोड्यूसर नरीमन ईरानी को सलाह दी कि वह फिल्म की कहानी के लिए सलीम जावेद के पास जाए. नरीमन ने सलाह मानीं, लेकिन सलीम जावेद ने उन्हें इतनी महंगी कहानियां सुनाई. इत्तेफाक से नरीमन ईरानी की पत्नी सलमा ईरानी, वहीदा रहमान की हेयर ड्रेसर थीं. उन्होंने वहीदा रहमान के जरिए सलीम जावेद के पास अपने पति नरीमन ईरानी की सिफारिश भेजी. ऐसे में सलीम-जावेद की जोड़ी ने उनसे कहा कि हमारे पास एक ऐसी कहानी है, जिसे कोई खरीदने को तैयार नहीं है. देवानंद, जितेंद्र धर्मेंद्र और प्रकाश मेहरा जैसे बड़े नाम इस कहानी को नकार चुके हैं. तुम यह कहानी ले लो अगर फिल्म हिट रही तो पैसे दे देना और फिल्म फ्लॉप हुई तो कोई पैसा नहीं लेंगे. यह कहानी कोई और नहीं बल्कि फिल्म 'डॉन' की कहानी थी।

प्रोड्यूसर नरीमन ईरानी ने ये कहानी ले ली और अमिताभ बच्चन और चंद्रा बारोट को कहानी पसंद आई. इस फिल्म का नाम 'डॉन' क्यों पड़ा, इसके पीछे की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है. सलीम जावेद इस कहानी को 'डॉन' वाली कहानी कहा करते थे. चंद्रा बारोट को भी ये नाम पसंद आ रहा था. ये देखकर नरीमन ईरानी ने इस फिल्म को 'डॉन' नाम से रजिस्टर करा दिया, जबकि मनोज कुमार ने नरीमन को सलाह दी कि वह अपनी फिल्म का नाम मिस्टर डॉन रखें, क्योंकि उस वक्त मुंबई में डॉन नाम का एक अंडरवियर ब्रांड भी पॉपुलर था।

फिल्म की मूल कहानी में नरीमन ईरानी में खुद भी थोड़े बदलाव किए थे. फिल्म की कहानी को पूरा कर जब चंद्रा बारोट ने अपने गुरु मनोज कुमार को सुनाई तो उन्होंने चंद्रा को सलाह दी क्योंकि यह फिल्म एक एक्शन फिल्म है तो इसके सेकंड हाफ में कोई हल्का-फुल्का गाना होना ही चाहिए, ताकि दर्शक हल्के-फुल्के मनोरंजन का भी लुत्फ उठा सकें. मनोज कुमार की सलाह मानते हुए चंद्रा बारोट और नरीमन, कल्याणजी-आनंदजी मिले. फिल्म के वो ही म्यूजिक तैयार कर रहे थे. फिल्म मेकर्स की बातों को सुनकर उन्होंने वह गीत दिया जिसे 6 साल पहले देवानंद की फिल्म बनारसी बाबू के लिए तैयार किया गया था. ये गाना था 'खई के पान बनारस वाला' जिसे आज भी लोग बड़े शौक से सुनते हैं।

फिल्म की शूटिंग शुरू हुई, लेकिन बदकिस्मती देखिए, जिस प्रोड्यूसर की मदद के लिए ये फिल्म बनाई जा रही थी. वह फिल्म के पूरे होने से पहले ही दुनिया से चल बसे. दरअसल, एक दूसरे फिल्म की शूटिंग के चलते नरीमन ईरानी राजकमल स्टूडियो में थे, जहां एक हादसे के दौरान उनकी मौत हो गई. लेकिन तंगी की हालत में भी चंद्रा बारोट ने फिल्म को नहीं रोका और साढ़े तीन साल के बाद फिल्म को पूरा कर बिना प्रचार के रिलीज किया।

पहले हफ्ते फिल्म को अच्छा रिस्पॉस नहीं मिला, लेकिन दूसरे हफ्ते से इस फिल्म को दर्शक मिलने शुरू हो गए और यह फिल्म दर्शकों को खूब पसंद आने लगी. ये उस साल की तीसरी सबसे बड़ी हिट फिल्म बन गई और तब फिल्म ने कुल मिलाकर 7 करोड़ 20 लाख की कमाई की थी. फिल्म के गाने,
जिसका मुझे था इंतजार
खाई के पान बनारस वाला
मैं हु डॉन
ये मेरा दिल यार का दीवाना
ई है बंबई नगरिया
सुपरहिट रहे.

इस फिल्म को 3 फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिले थे. किशोर कुमार को बेस्ट मेल प्लेबैक सिंगर, आशा भोंसले को बेस्ट फिमेल प्लेबैक सिंगर और अमिताभ बच्चन को बेस्ट एक्टर का अवार्ड दिया गया था. अमिताभ को जब अवार्ड दिया जा रहा था तो उन्होंने फिल्म के प्रोड्यूसर नरीमन ईरानी की विधवा सलमा को स्टेज पर बुलाया और ये सम्मान दोस्त नरीमन और सलमा को समर्पित कर दिया था।

गाबा में ऑस्ट्रेलिया का घमंड तोड़ने वाले शेमार जोसेफ जंगल में लकड़ियाँ काटते थे। शमार जोसेफ के नाम की आज पूरी दुनिया में ...
31/01/2024

गाबा में ऑस्ट्रेलिया का घमंड तोड़ने वाले शेमार जोसेफ जंगल में लकड़ियाँ काटते थे। शमार जोसेफ के नाम की आज पूरी दुनिया में चर्चा में हो रही है। 24 साल के इस खिलाड़ी ने गाबा में ऑस्‍ट्रेलिया को दिन में तारे दिखा दिए। चोटिल होने के बाद जोसेफ ने गाबा में ऑस्‍ट्रेलिया की हार की कहानी लिखी। उन्‍होंने आखिरी पारी में 11.5 ओवर में 68 रन देकर सात विकेट लिए और वेस्‍टइंडीज को गाबा में 8 रन से जीत दिलाई। ये उनके करियर का दूसरा ही इंटरनेशनल मैच था और दूसरे ही मैच में उन्‍होंने वो कर दिखाया, जिसका सपना उन्‍होंने पेड़ काटते वक्‍त, मजूदरी करते वक्‍त और सिक्‍योरिटी गार्ड का काम करते हुए देखा था। एक ऐसे गांव जहां कुछ समय पहले तक न टीवी था, न ही फोन और न ही इंटरनेट, वहां से निकलकर उन्‍होंने दुनिया को अपना दम दिखा दिया।

जोसेफ गयाना के बाराकारा के रहने वाले हैं। उनके गांव की पॉपुलेशन मुश्किल से 350 है. 2018 तक उनके गांव में न तो मोबाइल था और न ही इंटरनेट कनेक्‍शन।।ब्‍लैक एंड व्‍हाइट टीवी भी मुश्किल से ही थी।।वो भी बाहरी दुनिया से कटे हुए थे, मगर इसके बाद एक हादसे ने उन्‍हें गांव छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया। दरअसल उनके गांव में जीवन यापन के लिए लोगों के पास लकड़ी काटने का ही विकल्‍प था। उनके पिता और भाई भी यही काम करते थे। वो भी अपने पिता के साथ यही काम करने लगे। एक दिन पेड़ उनके पास गिरा।।मौत को इतने करीब से देखने के बाद उन्‍होंने उस काम को और गांव छोड़ने का फैसला लिया। वो काम की तलाश में न्यू एम्स्टर्डम चले गए।उन्‍हें वहां से अपने घर आने के लिए जहाज से करीब दो दिन का वक्‍त लगता था।

न्‍यू एम्स्टर्डम में पहले तो उन्‍होंने मजदूरी की, मगर ऊंचाई के डर की वजह से वो उस काम को भी सही से नहीं कर पाए। इसके बाद उन्‍होंने वहां पर सिक्‍योरिटी गार्ड का काम किया और परिवार की आर्थिक मदद की, मगर गार्ड की नौकरी के चलते वो अपने खेलने के शौक को पूरा नहीं कर पाते थे। जब भी समय मिलता, वो गेंदबाजी की प्रैक्टिस करते। इसके बाद मंगेतर का सपोर्ट मिलने के बाद उन्‍होंने नौकरी छोड़ दी और पूरी तरह से क्रिकेटर बनने के अपने सपने को पूरा करने के लिए जुट गए। वो पिछले साल तक गार्ड की ही नौकरी कर रहे थे। पिछले साल ही उन्‍होंने फर्स्‍ट क्‍लास क्रिकेट में डेब्‍यू किया था। फर्स्‍ट क्‍लास क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन करके का इनाम उन्‍हें ऑस्‍ट्रेलिया में मिला। उन्‍हें इस सीरीज में डेब्‍यू का मौका मिला।

डेब्‍यू मैच में उन्‍होंने 36 रन बनाने के साथ ही पहली पारी में 5 विकेट लिए थे। वहीं दूसरे टेस्‍ट में कुल 8 विकेट लिए, जिसमें आखिरी पारी में 7 विकेट शामिल है। 7 विकेट लेकर उन्‍होंने ऑस्‍ट्रेलिया की दूसरी पारी को 207 रन पर ऑलआउट कर दिया था, जो 216 रन के टारगेट के जवाब में उतरी थी। उन्‍होंने अंगूठा चोटिल होने के बावजूद गेंदबाजी की और इतिहास रचा। दरअसल बीते दिन मिचेल स्‍टार्क की गेंद से वो चोटिल हो गए थे और मैदान से बाहर चले गए थे, मगर जब बात गेंदबाजी की आई तो उन्‍होंने कहर बरपा दिया। विंडीज पिछले 35 सालों में गाबा में टेस्‍ट जीतने वाले भारत के बाद दूसरी टीम है।
बेहद कठिन संघर्ष के बाद सफलता हासिल करने वाले वेस्टइंडीज के तेज गेंदबाज शमार जोसेफ को बधाई दीजिए। ❤️

इस समय विश्व की दो टीमें अपनी अपनी परंपराऐं निभाने में व्यस्त हैं। एक टीम आस्ट्रेलिया की है जो कभी न हार मानने वाली अपनी...
31/12/2023

इस समय विश्व की दो टीमें अपनी अपनी परंपराऐं निभाने में व्यस्त हैं। एक टीम आस्ट्रेलिया की है जो कभी न हार मानने वाली अपनी परंपरा का निर्वहन कर रही है तो दूसरी टीम पाकिस्तान की है जो अपनी कैच छोङने और हार के बाद अंपायरों पर बेईमानी करने की परंपपरा का निर्वहन कर रही है। दरअसल पाकिस्तान जब भी कोई नजदीकी मैच हारता है तो अक्सर ही उसमे विलेन अंपायर जरूर बनाए जाते हैं।पिछले साल टी20आई विश्वकप में जब मोहम्मद नवाज की गेंद को विराट कोहली द्वारा अंपायर से नोबाल मांगने पर अंपायर ने नोबाल दी तब मैच हारने के बाद अंपायर को विलेन बनाया गया था।

इस वर्ष पाकिस्तान और आस्ट्रेलिया के बीच टेस्ट सिरीज चल रही है और दूसरे टेस्ट मैच में पाकिस्तान की स्थिति बेहतर थी लेकिन खराब कैचिंग की वजह से वह मैच भी पाकिस्तान हार गया था। इस बीच इस हार के बाद पाकिस्तान ने अंपायरों पर अपनी परंपरा का निर्वहन करते हुए बेइमानी का आरोप लगा दिया है। दरअसल हुआ यह था कि मोहम्मद रिजवान जब बल्लेबाजी कर रहे थे तब पैट कमिंस की एक बाउंसर को डक करते समय जब गेंद नीची रह गयी और उनके ग्लब्स के बगल से गुजरी तब आस्ट्रेलियाई खिलाङियों की अपील पर आनफील्ड अंपायर ने आउट नही दिया लेकिन जब कमिंस ने डीआरएस लिया तो गेंद उनके ग्लब्स के कुछ हिस्सों को टच करती नजर आई लेकिन वहीं वह कुछ हाथ पर पहने भी थे जिससे स्पष्ट नही हो रहा था कि गेंद ग्लब्स को छुई है या नही फिर भी थर्ड अंपायर ने आउट करार दे दिया था। बस इतना ही हुआ और पाकिस्तानी अब अंपायर पर बेईमानी करने का आरोप लगाना चालू कर दिये हैं।

पाकिस्तान की कैच छोङने और अंपायर पर बेईमानी करने के आरोप लगाने की इस परंपरा का अंत निकट भविष्य में नही दिख रहा है। आस्ट्रेलियाई टीम भी अपनी कभी न हार मानने वाली परंपरा और किसी भी तरह आउट करने की परंपरा को निकट भविष्य में छोङती हुई नही प्रतीत हो रही है।

22/12/2023

एक फिल्म देखकर आप जान गए कि मर्द क्या है? एक फिल्म से साबित हो गया कि मर्द सोचता कैसे है? एक फिल्म क्या रिलीज हुई, हर आद...
15/12/2023

एक फिल्म देखकर आप जान गए कि मर्द क्या है? एक फिल्म से साबित हो गया कि मर्द सोचता कैसे है? एक फिल्म क्या रिलीज हुई, हर आदमी अपनी अपनी फिल्म रिलीज कर रहा अपने वाल से और बता रहा है कि मर्द को ऐसा नही होना चाहिए वैसा होना चाहिए। अल्फा बीटा गामा की जो कैटेगरी ट्रेंड में चल रही है उसे देखकर आप घबरा रहे है, कि बाकी के लड़के इससे सीखकर कही इसी को कॉपी न करने लगे। आपको पता है, मेजोरिटी ऐसे लड़को की है जो बस रणबीर जैसी बाइक लेना चाहते है, और जिस वक्त उनके दिल दिमाग में रणवीर को बाइक पर चलते हुए ये ख्वाहिश पनपती है, वो उसी पल उस ख्वाहिश को मार देते है क्युकी उन्हे पता है कि उनकी औकात क्या है। मेजोरिटी ऐसे लड़को की है जो जिस झुंड में बैठे, बैठने से पहले उसे उस झुंड में अपनी औकात पता चल जाती है। मर्द के अंदर ढेर सारे मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट है, जिसे ठीक करने के लिए साल में दस फिल्मे रिलीज की जाती है, बीस फिल्मे इसलिए रिलीज की जाती है जो हमे ये बताती है कि हमे अपनी मूंछों पर ताव देने के बजाय उसे गूंथ कर चोटी बना लेनी चाहिए, ताकि लैंगिक समानता के आंदोलन को बल मिल सके। अपना देश तो फिर भी कुछ गनीमत वाले स्टेज में है, पर वर्ल्ड सिनेमा में साल दर साल यही कोशिश की जाती रही है कि मर्द के लिए औरत की इज्जत करने का पहला स्टेज है औरत बन जाना, औरत की तरह दिखना। दीवारों कर पुते हुए इश्तिहारो से तो हम परेशान थे ही, पर धीरे धीरे फिल्मे भी हमे ये बताने लगी कि मर्द की मेजोरिटी वाला हिस्सा औरतों को खुश करने के काबिल ही नही है। और ये बात ऐसी नही है कि हमको नही पता थी, हमारी जिंदगी का एक हिस्सा तो इसी कोशिश में फना हो रहा है कि हमारी जिंदगी की कोई एक औरत हमसे खुश हो जाए, मुतमईन हो जाए, ये बिस्तर वाली बात ने हमारी हेडेक और बढ़ा दी। एक एक्स्ट्रा दबाव रहता है कि रबड़ के बेजान खिलौनों से बेहतर कैसे किया जाए।

इंस्टा या कोई सोशल मीडिया उठाओ एक पूरा सिलेबस पड़ा हुआ है हमारे लिए, कि हमे रिलेशनशिप में ये करना चाहिए, वो करना चाहिए। फिर कुछ दिन बाद सिलेबस चेंज हो जाता है, नया सिलेबस आता है, हम उसे भी रटकर फालो करने की कोशिश करते है, फिर भी कही न कही गलती हो जाती है।हर वक्त तलवार लटकती रहती है सर पर, कब कौन सी तख्ती हमारे गले में डाल दी जाए। हम रिलेशनशिप में एक एक नंबर के लिए एडिया घिसते रहते है कि चलो पास हो जायेंगे, फिर एक दिन पता चलता है कि साला माइनस मार्किंग हो रही थी। दस सही को एक गलत खा गया, फेल हो गए हम लोग।तमाम इवेंट्स होते है, तमाम ट्रेंड आते है, जो हमे ये बताते थे कि किस तरह हमे अपनी कुदरती बनावट पर अफसोस करना चाहिए, शर्मिंदा होना चाहिए। कुछ को अफसोस हुआ, कुछ शर्मिंदा भी हुए मर्द होने पर। हम लोगो को अफसोस नही है, हमे कोई शर्मिंदगी नही है न कभी होगी। किसी औरत के ब्लाउज पर हाथ नही डालना है, ये समझने के लिए हमे चोली पहनने की जरूरत नही है। एनिमल फिल्म का किरदार हमारे लिए बस एक किरदार है, कुछ बुरा है उसमे कुछ अच्छा है, कुछ कल्पना का सबसे निचला स्तर है।आपको क्या लगता है हम अंधे है? हमे नही मालूम कि वो जो कर रहा है वो हम नही कर पायेंगे? ऐसा नही है मालिक, हमे पता है नही कर सकते, हम कोशिश भी नही करेंगे जो हमारी औकात से बाहर हो। हमे हमारी औकात सर के बाल से लेकर पांव के अंगूठे तक आप लोग बता चुके हो।

हम थक चुके है, सच में थक चुके है। हमारे पूर्वजों ने जो किया हम उसे नही सही कर सकते, हम नही बन सकते है सफेद कागज, जिसपर कोई दाग न हो, जिससे कोई गलतियां ना हो। हमसे गलतियां होंगी, एक गली के दस लड़के नजर झुकाकर चलने वाले है, एक सीटी बजा रहा है उसके लिए हम दस लोग शर्मिंदा नही होने वाले है। हमको मत कंफ्यूज करो कि एक दिन आप बोलो की हम सारे मर्द कुत्ते है,और दूसरे दिन बताओ कि हम वफादार नही है। सुअर बोल दो हमे, क्लियर रहेगा। पर ऐसे कभी कुछ कभी कुछ का खेल मत खेलिए। एक फिल्म आई है, गालियां दीजिए डायरेक्टर को, गालियां दीजिए बनाने वाले को, मैं तो कहता हूं देखने वाले को भी दीजिए, पर ये हम हमारी आइडेंटिटी हर बार कैसे बीच में आ जाती है।

द्रौपदी के केश खींचने वाले हम ही थे, द्रौपदी के वस्त्र खींचने वाले भी हम थे, उस घटना पर ठहाके लगाने वाले भी हम ही थे, और उस घटना के दौरान हथेली में नाखून धंसाए मुठ्ठी भींचकर भी हम ही लोग बैठे थे। सौ हाथियों का बल होने पर भी दुशासन को रोक न पाने वाले मजबूर और बेबस मर्द भी हम ही है, और दुसाशन की छाती फाड़कर उसके रक्त से, द्रौपदी के केश धोने वाले भी हम लोग ही है। हम लोग मजबूत है, मजबूर है, कायर है, बहादुर है। सारे गुण अवगुण हमारे अंदर ही है, कौन कब बाहर आएगा हम नही डिसाइड कर पाते, चाह कर भी, कोई नही कर सकता, परिस्थिति फैसले करती है। बीवी को पीटने वाले भी हम है, बीवी से पिटने वाले भी हम है। बीयर बार में पैसे उड़ाने वाले भी हम है, और किसी गाढ़ी नाली में खुले मुंह घुस कर घर का खर्च छानने वाले भी हम ही है। हम ही वो लोग है जिसके रहते एक लड़की रात में अकेले सफर नही कर पाती है और हम ही वो लोग है जिसके होते हुए किसी रात में किसी लड़की के साथ कोई गलत नही कर सकता। हम फरिश्ता नही है, तो हम शैतान भी नही है। हम अगर कमजोर नही है तो हम इतने मजबूत भी नही है कि कोई हमारे साथ गलत न करे। हम इंसान है, जो सही भी हो सकता है, गलत भी हो सकता है। हम सफेद चादर नही है, हम मजदूर के कंधे पर रखा हुआ वो गमछा है जिसमे महीने भर की धूल और पसीना मिला हुआ है,दारू के छींटे भी है उस पर। हम मैले कुचैले लोग है, हमे धोइये,रगड़िए, साफ कीजिए, पर ब्लीच तो मत करिए कि हमारा रंग उड़ जाए, हमारे चीथड़े उड़ जाए। दस प्रोग्रेसिव फिल्मे हमे सुधार नही पाई तो एक प्रोब्लोमेटिक फिल्म बिगाड़ भी नही सकती।

GMA News

07/12/2023

India’s Largest Green Peas Processing Plant देखिए मटर (Green Peas) कैसे तैयार होती है फैक्ट्री में 😳

15 वर्षीय सचिन की नाक से बाउंसर लगने के बाद खून बह रहा था, फिर भी उन्होंने इमरान खान का डटकर सामना किया। भारतीय टीम 1989...
02/12/2023

15 वर्षीय सचिन की नाक से बाउंसर लगने के बाद खून बह रहा था, फिर भी उन्होंने इमरान खान का डटकर सामना किया। भारतीय टीम 1989-90 में पाकिस्तान के दौरे पर गई थी। वहां टीम इंडिया को 4 टेस्ट मैच और 4 वनडे मैच की सीरीज खेलनी थी। इसी दौरे पर सचिन तेंदुलकर ने भारत के लिए डेब्यू किया था। जब भारतीय टीम टेस्ट मैच खेलने सियालकोट पहुंची, तब विकेट पर एक से डेढ़ इंच घास छोड़ी गई थी। पाकिस्तानी कप्तान इमरान खान ने साफ कह दिया था कि अगर पिच की घास कटी तो गर्दन काट दी जाएगी। हमें हिंदुस्तानियों को किसी भी हाल में हराना है। इमरान खान एक अच्छे खिलाड़ी तो जरूर थे, लेकिन बड़बोले भी थे। वह अक्सर भारत के खिलाफ बयानबाजी करते थे।

उस दौर में इमरान खान कहा करते थे कि कश्मीर का फैसला क्रिकेट के मैदान पर हो जाए। दरअसल उन्हें पाकिस्तान की तेज गेंदबाजी पर काफी घमंड था। उन्हें लगता था कि किसी भी विकेट पर हम भारतीय बल्लेबाजी को तहस-नहस करने की क्षमता रखते हैं। नवजोत सिंह सिद्धू ने बताया कि सियालकोट टेस्ट से पहले सचिन का बल्ला नहीं चला था। पाकिस्तान में हर तरफ कहा जा रहा था कि भेड़िए के सामने बच्चे को छोड़ दिया गया है। सियालकोट टेस्ट मैच में भारतीय टीम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 324 रन बनाए थे, जिसके जवाब में पाकिस्तानी टीम 250 रन ही बना सकी थी। सचिन ने भारत के लिए पहली पारी में 35 रन बनाए थे। भारत को पहली पारी के आधार पर 74 रनों की बढ़त मिली थी।

सियालकोट टेस्ट के पांचवें दिन भारतीय टीम ने सिर्फ 38 रन पर 4 विकेट खो दिए थे। एक छोर पर खड़े नवजोत सिंह सिद्धू को लग रहा था कि हम लोग यह मैच हार चुके हैं। जल्दी ही सचिन भी आउट हो जाएंगे और फिर भारत चौथी पारी में गेंदबाजी के लिए उतरेगा। नवजोत सिंह सिद्धू कहते हैं कि सचिन जब बल्लेबाजी करने आए, तब गेंदबाजी के लिए सामने वकार यूनिस थे। वकार अपने समय के सबसे बेरहम तेज गेंदबाज थे। वकार ने दूसरी ही गेंद पर सचिन को बाउंसर मारी और सचिन ने हुक कर दिया। गेंद इनसाइड एज लेकर सचिन की नाक पर जा लगी। नवजोत सिंह सिद्धू यह देखकर सिहर गए। सचिन की नाक से खून की धार गिरने लगी। डॉक्टर मैदान पर आए, नाक से खून पोछा गया। सचिन को मैदान से बाहर जाने की सलाह दी गई, लेकिन 15 साल के सचिन ने दिलेरी से कहा मैं खेलेगा। नवजोत सिंह सिद्धू कहते हैं कि यह सुनकर मुझे यकीन नहीं हुआ। सचिन के नाक में खून सनी रूई लटक रही थी और वह बल्लेबाजी के लिए तैयार थे। सिद्धू ने कहा, फिर मैंने सोचा जब 15 साल का बच्चा अपने देश के लिए लड़ने का हौसला रखता है तो फिर मैं ऐसा क्यों नहीं कर सकता हूं।

सियालकोट टेस्ट के आखिरी दिन सचिन ने वसीम अकरम, वकार युनिस और इमरान खान का सीना ठोककर सामना किया। सचिन ने टीम इंडिया के लिए दूसरी पारी में 134 गेंद में 57 रनों की बेहतरीन पारी खेली। जब दूसरी पारी में भारत का स्कोर 7 विकेट के नुकसान पर 234 रन था, तब अंपायर ने ड्रॉ के तौर पर मैच खत्म होने की घोषणा की। सिद्धू ने दूसरी इनिंग में 234 गेंद पर 97 रन बनाए और मैन ऑफ द मैच चुने गए। इस पारी के बाद सचिन तेंदुलकर का नाम पूरे हिंदुस्तान में गर्व से लिया जाने लगा था। नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि समझ आ गया था, यह बच्चा आगे चलकर सबका बाप बनेगा। रिवर्स स्विंग लेती गेंद से टेस्ट के पांचवें दिन की विकेट पर पाकिस्तानी इतिहास के सर्वश्रेष्ठ तेज गेंदबाजी आक्रमण का सामना करने के लिए कलेजा चाहिए था। सचिन ने वह कर दिखाया। Chandan S को मेंशन कर नाक से खून गिरने के बावजूद पाकिस्तानी गेंदबाजों का घमंड तोड़ने के लिए सचिन की सराहना करें। जय हिंद। 🇮🇳

🍁 असम के तिनसुकिया में हो गई थी एक ट्रेन गुम। और कान खड़े हो गए थे अमेरिका, रूस और चीन की सुरक्षा एजेंसियों की। क्यों ? ...
02/12/2023

🍁 असम के तिनसुकिया में हो गई थी एक ट्रेन गुम। और कान खड़े हो गए थे अमेरिका, रूस और चीन की सुरक्षा एजेंसियों की। क्यों ? जानिए एक बड़ी रोचक कहानी को।

🍁 वो पूरी ट्रेन लगभग 43 वर्षों तक गायब रही।

🍁 और उसे ढूंढा अमेरिका से लेकर चीन की खुफिया एजेंसियों ने। जिसमें नासा भी शामिल था।

🍁असम के तिनसुकिया नामक स्थान से गायब हुई रहस्यमई ट्रेन वास्ते आपको पहले अमेरिका चलना होगा।

🍁 5 दिसंबर 2019 को अमेरिका की नासा के उपग्रहों ने भारत के ऊपर एक चित्र खींचा। उस वक्त वे एशिया अफ्रीका क्षेत्र में जंगल पर वन मानचित्र बनाने के काम पर थे।

Manoj Khandelwal

🍁 उपग्रह ने उनको भारत के असम से एक ट्रेन के रेक की कुछ अस्पष्ट, जंगलों में छिपी हुई और बहुत धुंधली अपरिचित तस्वीरें भेजी।

🍁 नासा की सुरक्षा एजेंसी ने जब इन फोटो का एनालिसिस किया तो उनको ये संदेह हुआ कि भारत ने असम में अरुणाचल बॉर्डर 'रेल मोबाइल' ICBM ( intercontinental ballistic missile)
वास्ते एक ट्रेन रेक को छुपा रखा है।

🍁 संदेह होने ही इन फोटो और संदेह को तत्काल पेंटागन हाउस भेज दिया गया।

🍁 अमेरिका की तमाम सुरक्षा एजेंसी के कान खड़े हो गए। और असम अरुणाचल बॉर्डर पर अपने जासूसी उपग्रहों को केंद्रित कर दिया।

🍁 पर अभी कई जबरदस्त और रोचक खेल शुरू होने बाकी थे।

🍁 पेंटागन हाउस में रूसी और चीनी डबल एजेंटों ने नासा द्वारा खोजी गई CBM Train' के बारे में रूस और चीन जासूसों को भी बता दिया।

🍁 अब फिर क्या था!! रूस और चीन ने भी अपने अपने उपग्रहों को असम अरुणाचल बॉर्डर पर केंद्रित कर दिया कि भारत किस देश वास्ते, किस प्रकार का मिसाइल, कहा छुपा कर रखा है? और उसका इरादा क्या है?

🍁 इधर भारत में ISRO, NTRO ने नोट किया कि इस क्षेत्र में अमेरिका, रूस, चीन के उपग्रहों की असामान्य गतिविधियां अचानक बढ़ गई है। और ये खबर उन्होंने भारतीय खुफिया एजेंसियों को भेज दी।

🍁 चूंकि मामला अंतर्राष्ट्रीय था, इसलिए NSA और RAW भी एक्शन में आ गए। रॉ ने रूस और चीन में उनके लिए काम कर रहे एजेंटों से पता लगा लिया कि असम और अरुणाचल बॉर्डर पर सीरेल मोबाइल' ICBM ( Intercontinental ballistic missile)
वास्ते एक ट्रेन रेक देखा गया है।

🍁 जैसे ही भारत सरकार को ये सूचना मिली, वे सदमे में रह गए। उनको बड़ा खतरा नजर आने लगा। क्यों की भारत ने कुछ भी ऐसा छिपाकर नहीं रखा था?

🍁 अब सबसे बड़ा सवाल ये उठा कि क्या किसी आतंकवादी संगठन या विदेशी शक्तियों ने यहां गुप्त अड्डा स्थापित कर लिया है?

🍁 सारे मुख्य सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया गया और मीटिंग शुरू हुई। जिसमें PMO , DIA (रक्षा खुफिया एजेंसी), NIA (राष्ट्रीय जांच एजेंसी), MOD (रक्षा मंत्रालय) और CCS (कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी) शामिल हो गये।

🍁 IHQ, सैन्य अंतरिक्ष कमान और SFC (रणनीतिक बल कमान) सभी ने असम अरुणाचल बॉर्डर पर किसी भी ट्रेन/रेक की नियुक्ति या छिपा कर रखने से इंकार कर दिया।

🍁 इन सुरक्षा एजेंसियों ने हवाई रेकी और स्वयं के उपग्रहों, IAF और ARC (विमानन अनुसंधान केंद्र) ने भी जांच की। उपग्रहों से ली गई तस्वीरों से पुष्टि हुई कि वाकई में यहां एक अच्छी तरह से छिपा हुआ ट्रैन रेक मौजूद है।

🍁 खबर की पुष्टि होते ही NSA (राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी) के कार्यालय से एक वरिष्ठ खुफिया अधिकारी को एक गुप्त ऑपरेशन वास्ते इस साइट पर भेजा गया।

🍁 स्थिति की गंभीरता देखते हुए मार्कोस और गरुड़ सहित एसएफ (special Forces) की एक ग्राउंड पार्टी को भी साथ देने वास्ते तैयारी पर रखा की पता नहीं कहा से मिसाइल आ जाए?

🍁 अब असली धमाका सामने आने वाला था।

🍁 तिनसुकिया स्वयं गुवाहाटी से लगभग 480 किलोमीटर उत्तर पूर्व और अरुणाचल सीमा से लगभग 80 किलोमीटर दूर है।

🍁 जब वरिष्ट सुरक्षा अधिकारी इसे पिन प्वाइंट करते हुए असम से तिनसुकिया से 40 किलोमीटर दूर एक छोटे से रेलवे स्टेशन पर पहुंचे। तो सच्चाई सामने आ गई।

🍁 हुआ यूं था कि 16 जून 1976 को सुबह 11:08 बजे एक ट्रेन असम के तिनसुकिया के एक छोटे से स्टेशन में पहुंचा।

🍁 1976 में ये एक सामान्य बात थी कि छोटे स्टेशन पर प्लेटफार्मों के साथ समान लोडिंग और अनलोडिंग वास्ते कोई जगह उपलब्ध नहीं होने पर इंजन से यात्री डब्बों को अलग करके मुख्य स्टेशन पर छोड़ देते थे। और मॉल डब्बों वाले रैक को दूर बने यार्ड में ले जाकर समान चढ़ाने या उतारने का काम होता था। उस दिन भी ऐसा ही हुआ था।

🍁 उसी दिन सुबह 11:31 बजे भारी बारिश हुई और पानी का सैलाब उफान पड़ा। बाढ़ आ गया। पूरा स्टेशन 5 से 6 फीट पानी में डूब गया।

🍁 सभी यात्री उतर चुके थे। स्टेशन और रेलवे ट्रैक पर पानी भरने के कारण वे उसमें फंसने लगे। स्थानीय ग्रामीणों की मदद से यात्रियों ने पैदल रेलवे ट्रैक के किनारे से सुरक्षित स्थानों पर चले गए।

🍁 कई दिनों बाद पानी का स्तर घटा। इस अवधि के दौरान स्टेशन मास्टर और कुछ कर्मचारी भी पोस्टिंग पर बाहर चले गए।

🍁 इस बीच लोग उस अलग किए गए रेक के बारे में भूल गए। क्योंकि यह मुख्य स्टेशन से लगभग 2 किलोमीटर दूर एक अलग थलग साइडिंग पर और सुनसान जगह पर था।

🍁 धीरे-धीरे झाड़ - झंखाड़ और जंगलों ने पूरे क्षेत्र पर कब्ज़ा कर लिया। इस साइडिंग, ट्रैन, रैक पर झाड़ियों, लताओं का कब्जा हो गया। साँपों, पक्षियों और जंगली जानवरों ने उसमें अपना घर बना लिया।

🍁 समय गुजरता गया। अधिकांश पुराने रेलवे कर्मचारी सेवानिवृत्त हो गए। अन्य का निधन हो गया। किसी को ट्रेन की याद नहीं रही।

🍁 इंजन ड्राइवर डैनियल स्मिथ सितंबर 1976 में ऑस्ट्रेलिया चले गए। और ट्रेन अनजान रूप से पड़ी रही।

🍁 और इस तरह 18 दिसंबर 2019 को मुख्य तिनसुकिया से लगभग 40 किमी दूर एक छोटे स्टेशन पर पड़ा हुआ पाया गया था।

🍁 और अब आप पूरी कहानी जान चुके की खोदा पहाड़, निकली चुहिया।

🍁 और इस खबर से अमेरिका, रूस, चीन और भारत सरकार का टेंशन दूर हुआ। अंत भला, तो सब भला।

🍁और यह है खोई हुई ट्रेन की कहानी। अविश्वसनीय, लेकिन बिल्कुल सच! ,

22/11/2023

हमास और इसराइल की जंग के बीच ये सवाल पैदा हो गया है कि कौन से देश या संगठन हमास के स्पॉन्सर हैं और इस बड़े इस्लामी संगठन के लिए पैसा कहां से आता है? आख़िर किसके बलबूते इस संगठन का लगभग दो दशकों से ग़ज़ा पर कंट्रोल कायम है? इस वीडियो में इन्हीं सवालों के जवाब. , ,

17/11/2023
17/11/2023

कप्तान रोहित शर्मा ने गेंद एक बार फिर मोहम्मद शमी को थमाई. न्यूज़ीलैंड के दोनों ओपनर्स को आउट कर चुके शमी ने इस ओवर की दूसरी ही गेंद पर केन विलियम्सन को चलता कर न केवल उनके कैच ड्रॉप की भरपाई की बल्कि दो गेंद बाद ही टॉम लैथम (वर्ल्ड कप में शमी के 50वें शिकार) को पविलियन लौटा कर टीम को बोनस भी दिया. अचानक पूरी भारतीय टीम में जान आ गई और न्यूज़ीलैंड की टीम अगले पांच (33 से लेकर 37वें) ओवरों में केवल 17 रन ही बना सकी. शमी की रफ़्तार यहीं नहीं रुकी. अब तक चार विकेट ले चुके शमी ने डेरेन मिचेल को भी आउट किया और फिर दो और विकेट लेकर इस मैच में रिकॉर्ड सात बल्लेबाज़ों को पविलियन लौटाया तो पूरा स्टेडियम मोहम्मद शमी के नाम से गूंजने लगा. , , , ,

16/11/2023
10/11/2023

, , , , , , , , , , , , ,

अगर पाकिस्तान 500 रन बनाता है और इंग्लैंड को 211 पर ऑलआउट कर देता है, तो सेमीफाइनल खेल सकता है। अगर पाक 450 बनाता है, तो...
10/11/2023

अगर पाकिस्तान 500 रन बनाता है और इंग्लैंड को 211 पर ऑलआउट कर देता है, तो सेमीफाइनल खेल सकता है। अगर पाक 450 बनाता है, तो इंग्लैंड को 162 पर निपटाना पड़ेगा। अगर पाकिस्तान 400 रन बनाता है, तो इंग्लैंड को 112 पर पैक करना पड़ेगा। अगर पाकिस्तान सिर्फ 300 रन बनाता है, तो इंग्लैंड के 10 बल्लेबाजों को 13 रन पर पवेलियन भेजना पड़ेगा। अगर इंग्लैंड पहले बल्लेबाजी करता है, तो पाकिस्तान को टारगेट किसी भी सूरत में 15 गेंद खेलकर टारगेट हासिल करना होगा।

क्या आपको लगता है कि बाबर आजम की कप्तानी में पाकिस्तानी बल्लेबाज इंग्लैंड के खिलाफ 500 रन का पहाड़ खड़ा कर सकते हैं? क्या कुदरत का निजाम पाकिस्तान पर मेहरबान होगा? क्या क्रिकेट के इतिहास में सबसे बड़ा रिकॉर्ड बन जाएगा? क्या पाकिस्तान आलोचकों को करारा जवाब दे पाएगा?| . .

01/11/2023

Address

16 A FILM CITY
Noida
201301

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when MiRCHA NEWS posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Videos

Share


Other Media/News Companies in Noida

Show All