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NayaIndia नया इंडियाः बेबाक और बेधड़क।मौजूदा वक़्त में नया इंडिया हिंदी पत्रकारिता का बेमिसाल दीया! Nobody understands and covers Indian politics like Naya India.

Naya India presents a fresh and refreshing approach to Hindi journalism with its frank, hard-hitting opinions and unique ideas about the stories that matter most in India. With its frank, fearless analysis and unabashed news and views on Indian politics, it is quite a hit among the Hindi elite class and decision makers like politicians, bureaucrats, and academicians. We do not have any attachment

or enmity with anyone. In the politics of saffron, red, green, or blue, Naya India stands above all presenting in depth, non partisan news and analysis above malice. In its 13th year now, NAYA INDIA has created a niche among the Hindi readers with an intellect essence which they had been missing.

✍🏻जैसे-जैसे जश्न का दिन नज़दीक आता जा रहा था, मुझे समझ आने लगा कि 6 दिसंबर 1992 क्यों और कैसे हुआ होगा? मैंने बाईस जनवरी ...
29/01/2024

✍🏻जैसे-जैसे जश्न का दिन नज़दीक आता जा रहा था, मुझे समझ आने लगा कि 6 दिसंबर 1992 क्यों और कैसे हुआ होगा? मैंने बाईस जनवरी को आस्था की ताकत देखी, विश्वास का जोश देखा और देखी एक व्यक्ति और उसके आन्दोलन के प्रति अंधभक्ति।

मगर नए भारत में यह सब बदल गया है। अब आपको नख से शिख तक अपनी आस्था पहननी पड़ती है, अब आस्था आपकी बोली में झलकनी चाहिए, आपके चाल में दिखनी चाहिए। जब आप सरयू के किनारे से लाइव टीवी शो करें, तब आपको अपनी आस्था में सराबोर दिखना चाहिए ताकि किसी दर्शक को तनिक भी संदेह न रह जाए कि आपकी आस्था क्या है। आप जब दूसरों का अभिवादन करें तो उसमें आपकी आस्था झलकनी चाहिए। आपकी कमीज़ के रंग से आपकी आस्था दिखनी चाहिए। मगर 22 जनवरी को आडम्बर भी था। बहुत ज्यादा था। और पूरा कार्यक्रम भगवान से ज्यादा एक व्यक्ति पर केन्द्रित था।

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उत्तर पूर्वी राज्यों में कांग्रेस की बेहद ख़स्ता हालत है। कभी उत्तर पूर्वी राज्यों में से ज्यादातर में कांग्रेस की सरकार...
27/01/2024

उत्तर पूर्वी राज्यों में कांग्रेस की बेहद ख़स्ता हालत है। कभी उत्तर पूर्वी राज्यों में से ज्यादातर में कांग्रेस की सरकार हुआ करती थी। आज एक भी राज्य में कांग्रेस सत्ता में नहीं है। ‌ हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में मिजोरम में कांग्रेस को सिर्फ दो सीटें ही मिली हैं। लोकसभा के पिछले दो चुनाव में कांग्रेस का पूरी तरह सफाया हो गया। सात उत्तर पूर्वी राज्यों लोकसभा की कुल 25 सीटें हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को असम की सिर्फ एक सीट मिली थी। 2014 के लोकसभा चुनाव में भी लगभग यही हाल था।

ईरान बेरहम, दुस्साहसी हो रहा है। इजराइल-हमास युद्ध का फायदा उठाकर वहां के अयातुल्ला, पूरे इलाके में एक व्यापक लड़ाई छेड़ना...
19/01/2024

ईरान बेरहम, दुस्साहसी हो रहा है। इजराइल-हमास युद्ध का फायदा उठाकर वहां के अयातुल्ला, पूरे इलाके में एक व्यापक लड़ाई छेड़ना चाहते हैं – मगर एक व्यापक लड़ाई छेड़े बगैर। आंतरिक उथलपुथल के एक लम्बे दौर के बाद ईरान दुनिया को फिर अपनी ताकत दिखा रहा है।

ईरान अपने आप को युद्ध में धकेल रहा है और पश्चिम और उसके साथियों के कोप का भाजन बन रहा है। ईरान ने जिस ढंग से ‘एक्सिस ऑफ़ रेजिस्टेंस’ को एक्टिवेट किया है, उससे ऐसा लगता है कि जल्द ही वह अकेला पड़ जायेगा ।

🤓पढ़िए श्रुति व्यास का विश्लेषण @ link in bio

शशि थरूर ने इकोनॉमी क्लास में बैठने को वालों कैटल क्लास यानी मवेशी क्लास का नागरिक बताया था लेकिन क्या सिर्फ इकोनॉमी क्ल...
19/01/2024

शशि थरूर ने इकोनॉमी क्लास में बैठने को वालों कैटल क्लास यानी मवेशी क्लास का नागरिक बताया था लेकिन क्या सिर्फ इकोनॉमी क्लास वाले ही भेड़-बकरी हैं? क्या 12 घंटे या 17 घंटे की देरी बिजनेस क्लास वालों को नहीं भुगतनी पड़ रही है? क्या उनका विमान डायवर्ट नहीं हो रहा है? क्या बिजनेस क्लास वाले हवाईअड्डे पर बैठ कर झक्ख नहीं मार रहे हैं या घंटों एयरोब्रिज पर अटके नहीं रह रहे हैं? सबकी हालत और हैसियत एक जैसी है। एक बार जहाज में बैठने के बाद सबकी स्थिति एक जैसी हो जाती है। सब एयरलाइन कंपनी के रहमोकरम पर होते हैं। वहां किसी को अपना गुस्सा जाहिर करने की इजाजत भी नहीं होती है। वह चुपचाप असहाय होकर बैठा रहे अगर उसने गलती से गुस्सा जाहिर कर दिया तो उसको नो फ्लाई लिस्ट में डाल दिया जाएगा।

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अभी तो बस हाथ में आया, बल्कि किसी से छीना हुआ चेक भुनाना ही उन की संपूर्ण दृष्टि है। समाज-हित में दूरदर्शिता से उन का शा...
19/01/2024

अभी तो बस हाथ में आया, बल्कि किसी से छीना हुआ चेक भुनाना ही उन की संपूर्ण दृष्टि है। समाज-हित में दूरदर्शिता से उन का शायद ही कभी संबंध रहा है। वे मंदिर को पार्टी का व्यापार बनाकर मुनाफे की जुगत में हैं। आगे अयोध्या की गरिमा और सुरक्षा का भी क्या होगा? यह पहले की तरह उन के रडार से बाहर है। लुई पंद्रहवें की तरह, ‘मेरे बाद कुछ हो, मेरी बला से!‘ ही उन की मानसिकता लगती है।

🤓पढ़िए शंकर शरण का बेबाक लेख @ link in bio

क्या ड्रैगन हांफ रहा है?चीन की घटती और बढ़ाती आबादी सरकार के लिए चिंता का विषय है क्योंकि काम करने वालों की संख्या कम होत...
19/01/2024

क्या ड्रैगन हांफ रहा है?

चीन की घटती और बढ़ाती आबादी सरकार के लिए चिंता का विषय है क्योंकि काम करने वालों की संख्या कम होती जा रही है। और कामकाजी लोग ही अर्थव्यवस्था का ईंधन हैं। यह जनसांख्यिकीय संकट, जिसके इतनी जल्द उभरने की अपेक्षा नहीं था, देश की पहले से ही कमज़ोर और धन की कमी से जूझ रही स्वास्थ्य और पेंशन व्यवस्था पर जबरदस्त दबाव डाल रहा है।

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राम सबके हैं। राम की व्यापकता भौगोलिक सीमाओं से परे है। राम के यहां कोई भेद नहीं है। वह राम जब सदियों की प्रतीक्षा के बा...
19/01/2024

राम सबके हैं। राम की व्यापकता भौगोलिक सीमाओं से परे है। राम के यहां कोई भेद नहीं है। वह राम जब सदियों की प्रतीक्षा के बाद अपने घर आ रहे हैं, उनका खुले मन से स्वागत होना चाहिए।

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राहुल गांधी की यात्रा से सभी विपक्षी दलों को फायदा मिलेगा। इसलिए क्योंकि जब डर कामाहौल हटेगा तो उसका सभी विरोधी नेताओं क...
17/01/2024

राहुल गांधी की यात्रा से सभी विपक्षी दलों को फायदा मिलेगा। इसलिए क्योंकि जब डर कामाहौल हटेगा तो उसका सभी विरोधी नेताओं को फायदा है। और डर एक ऐसी चीज है जब हटेगीतो जैसे अब कुछ ही दिनों बाद वसंत आने वाला है। कोहरा एकदम से छंट जाएगा।वैसे ही डर की ठिठुरन भी सूरज के तेज निकलने से एकदम से गायब हो जाएगी।और जैसे सूर्य के ताप का फायदा सबको मिलता है वैसे ही राहुल की इस न्यायभारत जोड़ो यात्रा का फायदा सभी विपक्षी दलों को मिलेगा। बशर्त की वेऐन वक्त वे मायावती वाली राजनीति न कर लें।

🤓पढ़िए शकील अख़्तर का लेख @ link in bio

इजराइल-हमास युद्ध को शुरु हुए सौ दिन पूरे हो गए हैं।इजराइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने ‘पूर्ण विजय’ तक लड़ाई जारी रखने का ...
17/01/2024

इजराइल-हमास युद्ध को शुरु हुए सौ दिन पूरे हो गए हैं।इजराइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने ‘पूर्ण विजय’ तक लड़ाई जारी रखने का ऐलान किया है। वे इन तथ्यों के बावजूद यह रवैया त्यागने को तैयार नहीं हैं कि युद्ध का नतीजा अनिश्चित है औरगाजा में मौतें बढ़ रही हैं। साथ ही यह डर भी बढ़ रहा है कि लड़ाई एक व्यापक क्षेत्रीय युद्ध का स्वरुप ले सकती है।

कुल मिलाकर इजराइल में अफरातफरी का माहौल है। पूरे क्षेत्र में इजराइल की बेजा हरकतों के चलते अशांति है और इजराइल की स्वयं की सुरक्षा भी खतरे में है। बीबी पिछले साल न्यायिक कानूनों संबधी विवादों के चलते पहले ही अपनी विरासत पर कालिख पोत चुके थे और इस युद्ध से बची खुची कसर भी पूरी हो गई। यहूदियों के लिए बेंजामिन नेतन्याहू का नेतृत्व बहुत नुकसानदेह साबित हो रहा है। इसने एक नयी यहूदी-विरोधी विचारधारा को जन्म दे दिया है।

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विलियम लाई चिंग-टी ताईवान के नए राष्ट्रपति चुने गए हैं। चीन से ताईवान की आजादी की पक्षधर उनकी डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पा...
16/01/2024

विलियम लाई चिंग-टी ताईवान के नए राष्ट्रपति चुने गए हैं। चीन से ताईवान की आजादी की पक्षधर उनकी डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (डीपीपी) ने तीसरी बार जीत हासिल की है। जहां एक ओर ताईवान खुशी में झूम रहा है जश्न मना रहा है, वहीं चीन में शी जिन पिंग शायद लाल-पीले हो रहे होंगे, गुस्से से उबल रहे होंगे।

आखिकार, ताईवान का अपनी मातृभूमि का हिस्सा बनाना शी जिनपिंग का पुराना सपना है। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ताइवान को अपने देश का पवित्र, खोया हुआ इलाका मानती है। कुछ सप्ताह पहले शी ने ताइवान के चीन में विलय को ‘ऐतिहासिक अवश्यंभाविता’ बताया था।लेकिन डीपीपी और लाई चिंग-टी की वापसी से यह ‘अवश्यंभाविता’ हवा-हवाई नजर आ रही है। यह एक निर्णायक चुनाव था जिसमें ताईवानी मतदाताओं ने जाहिर तौर पर चीन की उस धमकी को नजरअंदाज कर दिया जिसमें डीपीपी को पृथकतावादी बताया गया था। चीन ने कहा था कि डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी को वोट देने का मतलब है युद्ध के लिए वोट देना। जनता ने अपनी राय जाहिर कर दी है।

🤓पढ़िए श्रुति व्यास का लेख .sv at link in bio

कांग्रेस और उसके अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का रोल अहम है। खड़गे की कमान में विपक्षी एलायंस में संजीदगी से सीट बंटवारे प...
15/01/2024

कांग्रेस और उसके अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का रोल अहम है। खड़गे की कमान में विपक्षी एलायंस में संजीदगी से सीट बंटवारे पर बात हो रही है। उनके कारण जहां कांग्रेस में समझदारी बनी है वही प्रदेश कांग्रेस नेताओं के किंतु-परंतु खत्म हुए हैं। उधर दूसरी पार्टियों के नेता भरोसे में हैं। कांग्रेस की सभी पार्टियों से प्रदेशवार बात हो रही है। कांग्रेस में अहमद पटेल की मृत्यु के बाद जो संकट था वह खत्म होता लगता है। हकीकत है कि अहमद पटेल के बाद राहुल गांधी, सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा और पार्टी मुख्यालय एआईसीसी में राजनीतिक नेटवर्किंग, मेलजोल, संपर्क-संबधों का ढर्रा बुरी तरह बिखरा। वैक्यूम बना। इसलिए भी क्योंकि राहुल गांधी अपनी धुन में अकेले और दो-तीन विश्वस्तों (जो बदलते रहे हैं) की नौकरशाही एप्रोच की राजनीति के अभ्यस्त हैं वही सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा की अपनी सीमाएं हैं।

🤓पढ़िए हरि शंकर व्यास का लेख @ link in bio

उत्सव विशाल पैमाने पर है। हर तरफ उसी की गूंज देखी-सुनी, व दिखायी-दर्शायी जा रही है। अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठ...
14/01/2024

उत्सव विशाल पैमाने पर है। हर तरफ उसी की गूंज देखी-सुनी, व दिखायी-दर्शायी जा रही है। अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के साथ-साथ ही सभी राममंदिरों में रामलला पुन: विराजमान हो, ऐसा रचनात्मक कार्यक्रम भी जगह-जगह चलरहा है। आमजन की आशा भी है कि आस्थावान, राममय देश में रामराज्य आगे लोकतंत्र का संबल होगा। सवाल है क्या जनता के रामराज्य के सपने को विशाल जनमत के बावजूद सरकार समझती है?

रामराज्य से मेरा तात्पर्य हिंदू राज से नहीं है। रामराज्य से मेरा तात्पर्य दिव्य राज, द किंगडम ऑफ गॉड से है। मेरे लिए राम और रहीम एक ही देवता हैं। मैं किसी अन्य ईश्वर को नहीं, बल्कि एक सत्य और नीतिपरायणता के ईश्वर को स्वीकार करता हूं। चाहे मेरी कल्पना के राम इस धरती पर कभी रहे हों या नहीं, रामराज्य का प्राचीन आदर्श निस्संदेह सच्चे लोकतंत्र में से एक है।

🤓पढ़िए संदीप जोशी का लेख @ link in bio

दक्षिण अफ्रीका पहला देश है जिसने आईसीजे में इजराइल के खिलाफ प्रकरण दायर किया है।प्रकरण में कहा गया है कि सात अक्टूबर को ...
12/01/2024

दक्षिण अफ्रीका पहला देश है जिसने आईसीजे में इजराइल के खिलाफ प्रकरण दायर किया है।प्रकरण में कहा गया है कि सात अक्टूबर को हमास के हमले में इजराइलियों के मारे जाने का बदला लेने के लिए इजराइल की हुई सैन्य कार्यवाही में उसने लोगों का सामूहिक नरसंहार किया है। इजराइल द्वारा गाजा में अंधाधुध बमवर्षा की गयी और वहां पानी, भोजन सामग्री और दवाईयों की सप्लाई बलपूर्वक रोकी गयी।इजराइल की कार्यवाही में 7 अक्टूबर के बाद से अब तक 10,000 बच्चों सहित 23,000 से अधिक लोगमारे जा चुके हैं।

सवाल है भला दक्षिण अफ्रीका ने अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में गुहार क्यों लगाई?

🤓पढ़िए श्रुति व्यास का लेख @ link in bio

कांग्रेस और दूसरी विपक्षी पार्टियां धीरे धीरे सदमे से उबर रही हैं। हिंदी भाषी तीन राज्यों में कांग्रेस की करारी हार ने स...
12/01/2024

कांग्रेस और दूसरी विपक्षी पार्टियां धीरे धीरे सदमे से उबर रही हैं। हिंदी भाषी तीन राज्यों में कांग्रेस की करारी हार ने सिर्फ कांग्रेस का मनोबल नहीं तोड़ा था, बल्कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के दूसरे घटक दलों का भी हौसला टूट गया था। तीन राज्यों में कांग्रेस की हार के बाद कई राज्यों में प्रादेशिक क्षत्रपों के तेवर बदल गए। कहीं कांग्रेस को आंख दिखाई जाने लगी तो कहीं कांग्रेस का स्वागत होने लगा। ऐसा होने के दो कारण हैं। या तो विपक्षी पार्टियों ने मान लिया है कि भाजपा से मुकाबला मुश्किल हो गया और अब उसे हराया नहीं जा सकता है। बिहार में नीतीश कुमार की पार्टी इस मानसिकता का प्रतिनिधित्व करती है। भले नीतीश का अंतिम फैसला कुछ भी हो लेकिन उनकी पार्टी के नेता मान रहे हैं कि भाजपा से लड़ने की बजाय उसके साथ चलना चाहिए। दूसरी ओर जिनको कांग्रेस की जरुरत महसूस होने लगी है उसमें समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव हैं तो आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल भी हैं। दोनों तालमेल के लिए तैयार दिख रहे हैं और सीट बंटवारे को लेकर हुई पहली बैठक से यह साफ भी हो गया है।

🤓पढ़िए अजीत द्विवेदी लेख @ link in bio

62 साल की एलिजाबेथ बोर्न को हटाकर, जिन्होंने इस बात को छिपाने का कोई प्रयास नहीं किया कि वे उन पर दबाव डाले जाने से नारा...
11/01/2024

62 साल की एलिजाबेथ बोर्न को हटाकर, जिन्होंने इस बात को छिपाने का कोई प्रयास नहीं किया कि वे उन पर दबाव डाले जाने से नाराज हैं, मैक्रों ने कठिनाई भरे अपने दूसरे कार्यकाल के अंतिम दौर को बेहतर बनाने का प्रयास किया है।34 वर्षीय अटल – जो देश के सबसे युवा और पहले खुले तौर पर समलैंगिक प्रधानमंत्री हैं – को नियुक्त कर मैक्रों यह उम्मीद कर रहे हैं कि उनके नंबर कुछ बढ़ जाएंगे। यह माना जाता है कि यह नया युवा प्रधानमंत्री पिछली अलोकप्रिय सरकार का सबसे लोकप्रिय राजनेता था। अटल को इसलिए चुना गया है ताकि उम्मीद की वापसी हो सके। अपनी पुस्तक ‘रेविल्यूशन’, जो उन्होंने अपने पहले राष्ट्रपति चुनाव अभियान के पहले लिखी थी, में मैक्रों ने लिखा था, “जो चीज़ फ्रांस को एक रखती है वह है व्यक्तियों के नस्लीय मूल और नियति की विविधता को स्वीकार और भाग्यवाद को नामंजूर करना”।

🤓पढ़िए श्रुति व्यास का लेख @ link in bio

समय बहुत कम बचा है। इसमें राहुल की यात्रा भी है। सीट शेयरिंग फाइनल और उसमें दिखे की सबकी कुर्बानी है जल्दी से जल्दी सबके...
11/01/2024

समय बहुत कम बचा है। इसमें राहुल की यात्रा भी है। सीट शेयरिंग फाइनल और उसमें दिखे की सबकी कुर्बानी है जल्दी से जल्दी सबके सामने लाना है। विपक्ष को भाजपा को देखना चाहिए और हो सके तो थोड़ा सीखना भी चाहिए कि किस तरह ठीक लोकसभा चुनाव से पहले वह राम मंदिर का उद्घाटन कर रही है। 22जनवरी के बाद मोदी इसी मुद्दे को लेकर चुनाव में जाएंगे।…लालू जी को फिर उस बात को जोर देकर दोहराना चाहिए जो उन्होंने विपक्षी एकता की मुंबई मीटिंग में कही थी कि हमारी सबकी भावना यह है कि दो सीटें चाहे कम मिल जाएं मगर इस बार मोदी को हराना है।

🤓पढ़िए शकील अख़्तर लेख @ link in bio

पांच साल के बाद एक बार फिर चुनाव आया है तो अर्थव्यवस्था से जुड़े मुद्दे नदारद हैं। सब कुछ अयोध्या के राममंदिर, जम्मू कश्...
11/01/2024

पांच साल के बाद एक बार फिर चुनाव आया है तो अर्थव्यवस्था से जुड़े मुद्दे नदारद हैं। सब कुछ अयोध्या के राममंदिर, जम्मू कश्मीर के अनुच्छेद 370, संशोधित नागरिकता कानून व राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर की संभावना, काशी की ज्ञानवापी मस्जिद व मथुरा के शाही ईदगाह के सर्वेक्षण और लक्षद्वीप बनाम मालदीव के विवाद पर केंद्रित दिख रहा है। इन घटनाओं के बीच अर्थव्यवस्था को लेकर बड़ी खबर आई कि चालू वित्त वर्ष यानी 2023-23 में देश का सकल घरेलू उत्पादन यानी जीडीपी 7.3 फीसदी की रफ्तार से बढ़ेगी।

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मीडियाकर्मियों के लिए भी सबसे घातक इलाका है। गाजा पर इजरायली हमले शुरू होने के बाद के तीन महीनों में वहां 79 पत्रकार जान...
10/01/2024

मीडियाकर्मियों के लिए भी सबसे घातक इलाका है। गाजा पर इजरायली हमले शुरू होने के बाद के तीन महीनों में वहां 79 पत्रकार जान गवां चुके हैं और सैकड़ों घायल हुए हैं।

गाजा में मारे गए पत्रकारों की संख्या द्वितीय विश्वयुद्ध में मृत पत्रकारों की संख्या (69) से अधिक हो गई है। वियतनाम युद्ध में 63 पत्रकारों ने जान गंवाई थी और सीपीजे के अनुसार, ईराक में 2003 से लेकर अब तक 283 पत्रकार मारे हैं जिनमें युद्ध के पहले माह – मार्च 2003 और अप्रैल 2003 के बीच – मारे गए 11 पत्रकार भी शामिल हैं।

इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि इजराइल-गाजा युद्ध अब तक के युद्धों में पत्रकारों, बच्चों, शिशुओं, महिलाओं, मानवता और सभ्यता के लिए सबसे घातक रहा है; और उसके प्रभावितों की संख्या भविष्य में और बढ़ेगी।

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वर्ष का यह वह समय है जब दुनिया भर में फिल्म पुरस्कारों की घोषणा होती है। सिनेमा दर्शक विजेताओं की सूची खंगालते होते है औ...
10/01/2024

वर्ष का यह वह समय है जब दुनिया भर में फिल्म पुरस्कारों की घोषणा होती है। सिनेमा दर्शक विजेताओं की सूची खंगालते होते है और नज़र रेड कार्पेट पर रहती है। वर्ष का पहला आयोजन – गोल्डन ग्लोब्स– नए साल के पहले रविवार को हुआ और पिछली गर्मियों का ‘बारबेनहाईमर‘ बुखार, पुरस्कारों के ताजा दौर में भी दिखा। कई अन्य शानदार फिल्मों जैसे ‘किलर्स ऑफ द फ्लावर मून’, ‘माइस्ट्रो’, ‘पुअर थिंग्स’, ‘एनाटामी ऑफ फॉल’, ‘मे दिसंबर’, ‘पास्ट लाईव्स’ के बावजूद ‘बार्बी’ एवं ‘ओपेनहाईमर’ के पुरस्कार हासिल करने के कयास लगाए जा रहे थे।

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कांग्रेस नेता राहुल गांधी 14 जनवरी से ‘भारत न्याय यात्रा’ पर निकलने वाले हैं। यह उनकी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ की दूसरी कड़ी ...
10/01/2024

कांग्रेस नेता राहुल गांधी 14 जनवरी से ‘भारत न्याय यात्रा’ पर निकलने वाले हैं। यह उनकी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ की दूसरी कड़ी है, जिसमें वे थोड़ी दूर पैदल चलेंगे और लंबी दूरी बस से तय करेंगे। हाइब्रीड मोड में होने वाली यह यात्रा मणिपुर से शुरू होगी और मुंबई में संपन्न होगी। मार्च के मध्य में जब उनकी यात्रा का समापन होगा तब तक लोकसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी होगी। जब इस यात्रा की घोषणा हुई तब ऐसा लगा था कि भाजपा इसे लेकर राहुल को निशाना बनाएगी। सोशल मीडिया में उनका मजाक उड़ाया जाएगा। इसे लेकर सवाल उठेगा कि जिस समय पूरे देश में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा हो रही होगी उस समय राहुल एक नई यात्रा पर निकलेंगे। राहुल की यात्रा को अयोध्या में होने वाले कार्यक्रम से ध्यान भटकाने साजिश करार दिया जाएगा। लेकिन आश्चर्यजनक तरीके से भाजपा इस मसले पर चुप रही है। छोटे-छोटे नेताओं या प्रवक्ताओं ने इस पर बयान दिया लेकिन बड़े नेता चुप रहे है और आईटी सेल ने भी इसका मुद्दा नहीं बनाया।

🤓 पढ़िए अजीत द्विवेदी लेख @ link in bio/ IG story

उफ! नरेश गोयल। इस चेहरे ने कई भारतीयों की याद करा दी। जैसे एक राजन पिल्लई था, ब्रिटैनिया बिस्कुट का मालिक। बेचारा तिहाड़...
08/01/2024

उफ! नरेश गोयल। इस चेहरे ने कई भारतीयों की याद करा दी। जैसे एक राजन पिल्लई था, ब्रिटैनिया बिस्कुट का मालिक। बेचारा तिहाड़ जेल में गर्मी से फड़फड़ाते हुए मरा। ऐसे ही आर्थर रोड जेल में एक हर्षद मेहता मरा। फिर याद हो आया कैफे कॉफी डे का मालिक वीजी सिद्धार्थ। इस अरबपति ने आत्महत्या की। और जितना सोचें नाम उभरेंगे। रामलिंगा राजू, केतन पारेख, वेणुगोपाल धूत, चंदा कोचर या भगोड़ा विजय माल्या, मेहुल चौकसी, नीरव मोदी और रेलीगेर के जेलों में सड़ रहे मालिकान मालविंदर सिंह, शिवेंदर सिंह जैसे कई अरबपति भारतीय। इन्हें आप चाहें तो भ्रष्ट या लूटने वाला मानें लेकिन ये सब मानव हैं! पृथ्वी का वह प्राणी है, जिसे बेसिक गरिमा, संवेदना, सहानुभूति और न्याय का हक इसलिए है क्योंकि जन्म मनुष्य योनि में हुआ है न कि पशु योनि में।

🤓पढ़िए हरि शंकर व्यास का बेबाक लेख @ link in bio

भारत में मैकॉले शब्द मानो गाली की तरह चलता है। यह दोहरी लज्जा की बात है। एक तो, स्वतंत्र होने के 76 वर्ष बाद, अपने कर्मो...
08/01/2024

भारत में मैकॉले शब्द मानो गाली की तरह चलता है। यह दोहरी लज्जा की बात है। एक तो, स्वतंत्र होने के 76 वर्ष बाद, अपने कर्मों के लिए, दो सदी पहले के विदेशी को कोसना। जिस चीज को हमारे शासक बदलना, या नया चलाना चाहते हैं, उसे एक झटके में करते रहते हैं। इसलिए दशकों से यहाँ जो भी चल रहा है, उस का संपूर्ण उत्तरदायित्व भारतीयों का है। दूसरी लज्जास्पद बात मैकॉले के बारे में भी झूठी बातें कह कर अपने को होशियार समझना है।

लॉर्ड बाबिंगटन मैकॉले (1800-1859) एक ब्रिटिश राजनीतिज्ञ, कवि और इतिहासकार थे। उन्होंने कानून की शिक्षा ली, किन्तु राजनीति में कदम रखा। पहले तो सांसद बने, किन्तु परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने पर इस्तीफा देकर ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए काम करना तय किया। तब 1834ई. में भारत आये और गवर्नर-जेनरल लॉर्ड बेंटिक के एक सहायक नियुक्त हुए। 1839 तक भारत में रहे। शिक्षा नीति में परिवर्तन करने, और नयी कानून संहिता, इंडियन पेनल कोड, बनाने में उन का बड़ा योगदान है।

🤓पढ़िए शंकर शरण का लेख @ link in bio

सवाल है पांचवी बार हुए इस ढकोसले में बांग्लादेश और उसके लोकतंत्र के लिए क्या निहितार्थ हैं?क्या बांग्लादेश में लोकतंत्र ...
08/01/2024

सवाल है पांचवी बार हुए इस ढकोसले में बांग्लादेश और उसके लोकतंत्र के लिए क्या निहितार्थ हैं?

क्या बांग्लादेश में लोकतंत्र नष्ट हो चुका है? इतने लंबे समय तक सत्ता में काबिज रहने से शेख हसीना न केवल दुनिया की सबसे अधिक अवधि तक शासन करने वाली महिला प्रधानमंत्री बन गईं हैं, वरन् उन पर बांग्लादेश में लोकतंत्र को समाप्त करने का भी तमंगा लग गया है। उन्होंने प्रेस को डरा दिया है और पुलिस, अदालत और न्यायपालिका को काबू में कर लिया है।यों उन्होंने अपने पिता की विरासत के इर्दगिर्द अपनी छवि गढ़ी है, जिनकी 1975 में हुए तख्तापलट में हत्या कर दी गई थी। अब राजधानी ढाका के हर हिस्से में उनका चेहरा नजर आता है। उन्होंने बीएनपी की नेता खालिदा जिया को आभाहीन बना दिया है। वे 2018 से अपने घर पर नजरबंद हैं। उनकी पार्टी के ज्यादातर नेताओं को या तो जेल में कैद कर दिया गया है, या उनकी हत्या कर दी गई है या उन्हें देश छोड़ने पर बाध्य कर दिया गया है। इसी का नतीजा है कि इस चुनाव में बीएनपी एकदम निष्क्रिय है।

🤓पढ़िए श्रुति व्यास का लेख @ link in bio

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लोकसभा चुनाव से पहले अपना बड़ा दांव चल दिया है। पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की ब...
07/01/2024

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लोकसभा चुनाव से पहले अपना बड़ा दांव चल दिया है। पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह की जगह जब नीतीश कुमार ने खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने का फैसला किया तो मीडिया में जो विमर्श बना वह एकतरफा था। हर जगह यह माना और कहा गया कि अब नीतीश कुमार ने फिर से भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए में लौटने का फैसला कर लिया है और इसलिए राजद समर्थक दिख रहे राष्ट्रीय अध्यक्ष को हटा दिया है। इस विश्लेषण में कुछ भी गलत नहीं है। लेकिन इस पूरे प्रयोग को दूसरे पहलुओं से भी देखने की जरुरत है। दूसरे पहलुओं में बिहार की जमीनी राजनीति में नीतीश की पार्टी की हैसियत, उनके वोट आधार और सामाजिक समीकरण पर खास तौर से ध्यान देने की जरुरत है। ध्यान रहे नीतीश की पार्टी पिछले 20 साल में सबसे कमजोर स्थिति में है। लगातार दो विधानसभा चुनावों में उनकी पार्टी की सीटें कम हुई हैं और कुछ घटनाएं ऐसी हुई हैं, जिनसे उनकी मानसिक सेहत को लेकर सवाल उठे हैं। तभी उन्होंने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में एक दांव से नया विमर्श गढ़ने और अपने समर्थक मतदाताओं को सकारात्मक संदेश देने का प्रयास किया है

🤓पढ़िए अजीत द्विवेदी का लेख @ link in bio/ IG story

यह साफ है कि कुछ राजनीतिक पार्टियों और सिविल सोसायटी के भी बहुत बड़े हिस्से में अडानी- हिंडनबर्ग मामले में सुप्रीम कोर्ट...
05/01/2024

यह साफ है कि कुछ राजनीतिक पार्टियों और सिविल सोसायटी के भी बहुत बड़े हिस्से में अडानी- हिंडनबर्ग मामले में सुप्रीम कोर्ट फैसले को सिर-आंखों पर लेने का भाव नहीं दिखा है। विचारणीय है कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है और इसका क्या समाधान है?

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पिछले तीन महीनों से हिज़बुल्लाह और इजराइल एक दूसरे पर ज्यादा और ज्यादा मिसाईलें दाग रहे हैं, हवाई हमले कर रहे हैं और तोप ...
05/01/2024

पिछले तीन महीनों से हिज़बुल्लाह और इजराइल एक दूसरे पर ज्यादा और ज्यादा मिसाईलें दाग रहे हैं, हवाई हमले कर रहे हैं और तोप के गोले छोड़ रहे हैं। लेकिन दोनों पक्षों ने अपनी कार्यवाही को एक सीमा के आगे नहीं बढ़ने दिया है। लेकिन 7 अक्टूबर के बाद से इजरायली जनता और नेताओं की यह धारणा बलवती होती जा रही है कि हिज़बुल्लाह द्वारा उत्पन्न खतरे से निपटना ही होगा। इस बीच हिज़बुल्लाह के नेता हसन नसरल्ला ने चेतावनी दी थी कि लेबनान की भूमि पर हुए किसी भी कत्ल का ‘मुंहतोड़ जवाब’ दिया जाएगा। हमास के नेता की हत्या के बाद बुधवार को उन्होंने कहा कि हिज़बुल्लाह ‘चुप नहीं बैठेगा’।हालांकि यह माना जा रहा है कि हिज़बुल्लाह तुरंत बदले की कोई बड़ी कार्यवाही नहीं करेगा और इजराइल के अधिकांश सैन्य संसाधनों के गाजा पर हमलों में खलास होने और नतीजे में पश्चिम एसिया कीअरब जनता में व्यापक आक्रोश उत्पन्न होने का इंतजार करेगा। वह अपने हथियारों के भंडार सुरक्षित रखना चाहेगा और लड़ाई का बोझ हमास और यमन के हूती लड़ाकों पर छोड़ देगा।

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इजराइल द्वारा बदला लेने के लिए अरौरी की हत्या के नतीजे में उसे दो मोर्चों पर युद्ध लड़ने पर बाध्य होना पड़ सकता है, जो इजर...
05/01/2024

इजराइल द्वारा बदला लेने के लिए अरौरी की हत्या के नतीजे में उसे दो मोर्चों पर युद्ध लड़ने पर बाध्य होना पड़ सकता है, जो इजराइल-हमास युद्ध प्रारंभ होने के बाद से ही अवश्यंभावी लग रहा था। और बीबी यह जानते थे।

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अपने नए साल के भाषण में यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमिर जेलेंस्की ने कसम खाई है कि 2024 में वे रूसी सेना पर कहर बरपाएंगे...
04/01/2024

अपने नए साल के भाषण में यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमिर जेलेंस्की ने कसम खाई है कि 2024 में वे रूसी सेना पर कहर बरपाएंगे। वे यह बात पूरे भरोसे से इसलिए कह पाए क्योंकि यूक्रेन आज पहले की तुलना में अधिक शक्तिशाली है। यह युद्ध अपने तीसरे कैलेंडर वर्ष में प्रवेश कर रहा है।

उधर नए साल के ठीक एक दिन पहले और बाद में भी गाजा पर इजराइली हमले जारी रहे। हवाई हमलों में कई प्रोफेसर मारे गए और गाजा के केन्द्रीय हिस्से को धूल में मिला दिया गया। बेंजामिन नेतन्याहू ने संकल्प लिया है कि यह युद्ध तब तक चलता रहेगा जब तक उसे जारी रखना जरूरी होगा।

दोनों युद्ध युद्धक्षेत्र में भी लड़े जा रहे हैं और डिजीटल दुनिया में भी।

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भारत में लोकतंत्र के लिए 2024 का साल परीक्षा वाला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार चुनाव जीत कर देश के पहल...
04/01/2024

भारत में लोकतंत्र के लिए 2024 का साल परीक्षा वाला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार चुनाव जीत कर देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के रिकॉर्ड की बराबरी करने के लिए चुनाव में उतरेंगे। दूसरी ओर विपक्ष की ओर से यह आशंका जताई जा रही है कि अगर मोदी तीसरी बार जीतते हैं तो लोकतंत्र खत्म हो जाएगा और फिर कभी चुनाव नहीं होंगे। कई विपक्षी पार्टियों के नेता दबी जुबान में यह बात कह रहे हैं और विपक्ष की एक मुखर आवाज बन कर उभरे पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक खुल कर कह रहे हैं। हालांकि उनकी यह आशंका निराधार है कि मोदी तीसरी बार जीते तो लोकतंत्र खत्म हो जाएगा या चुनाव नहीं होगा। मोदी चुनाव क्यों नहीं कराएंगे? चुनाव से तो उनको वैधता मिलती है। उनके एजेंडे को स्वीकार्यता मिलती है। उनको और ताकत मिलती है। वे दुनिया भर में सबसे बड़े लोकतंत्र के लोकप्रिय नेता के तौर पर सम्मान पाते हैं। सो, चुनाव नहीं होने की बातों का कोई मतलब नहीं है। चुनाव तो होते रहेंगे।

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पिछली रात दुनिया ने गुज़रे हुए कल के दुःख और आने वाले कल की आशा के मिलेजुले भाव के साथ नए साल में प्रवेश किया। उम्मीद है,...
01/01/2024

पिछली रात दुनिया ने गुज़रे हुए कल के दुःख और आने वाले कल की आशा के मिलेजुले भाव के साथ नए साल में प्रवेश किया। उम्मीद है, दुनिया को कि नया साल 2023 से बेहतर होगा! वह उसे बेहतर बनाने के लिए प्रयास करने को तत्पर भी है। युद्ध न हों, लोग सद्बुद्धि और कॉमन सेंस से काम लें, क्लाइमेट चेंज से होने वाला विनाश केवल एक दुस्वप्न बना रहे, न कि यथार्थ बने – और दुनिया को ऐसे नेता मिलें जिन्हें निरंकुश सत्ता की भूख न हो।

व्यक्तिगत तौर पर मेरे, आपके और मेरे-आपके जैसे बहुत से लोगों के न्यू ईयर संकल्पों की सूची में शामिल होगा अपना स्वास्थ्य बेहतर बनाना, ज्यादा फिट, समझदार और समृद्ध बनना, देना सीखना, धैर्यवान बनना और सबसे बढ़कर, ज्यादा खुश रहना। और इस सुबह हमने अपने कुछ पुराने न्यू ईयर संकल्प दोहराए होंगें, कुछ नए लिए होंगे, कुछ को नया कलेवर दिया होगा। इस प्रकार संकल्पों का नया चक्र शुरू हुआ होगा। संभावना यही है कि एक हफ्ते बाद हम में से ज्यादातर को यह याद भी नहीं रहेगा कि हमने क्या संकल्प लिया था। मगर यह परंपरा का तकाजा है कि न्यू ईयर पर नए संकल्प लिए जाएं और यह परंपरा निश्चित ही बेबीलोन की सभ्यता जितनी पुरानी है।

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