Shankhnaad Media Nahan H.P.

Shankhnaad Media Nahan H.P. Dr.Shrikant Akela, Editor Shankhnaad Media Nahan
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आधी आबादी का सम्मान एवं उनके हक की चिंता करना हमेशा हमारी सरकार की प्राथमिकता रही है। हम महिलाओं के लिए कई लाभकारी योजना...
03/07/2024

आधी आबादी का सम्मान एवं उनके हक की चिंता करना हमेशा हमारी सरकार की प्राथमिकता रही है। हम महिलाओं के लिए कई लाभकारी योजनाएं चला रहे हैं और जरूरत के मुताबिक उन्हें हर क्षेत्र में विशेष अवसर भी प्रदान कर रहे हैं। हमारा मानना है कि नारीशक्ति का सशक्त होना देवभूमि के समृद्ध होने की गारंटी होगा।

- मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू

 #हाथरस घटना के कुछ बिंदुओं पर जरा ध्यान दें.....              जो स्वघोषित बाबा हिंदू धर्म को मानता ही नहीं था उसका सत्स...
03/07/2024

#हाथरस घटना के कुछ बिंदुओं पर जरा ध्यान दें.....
जो स्वघोषित बाबा हिंदू धर्म को मानता ही नहीं था उसका सत्संग कैसा.......पाखंड से हिंदू धर्म को न जोड़े............ पाखंड लोग करते हैं धर्म कभी पाखंड नहीं करता................
अपूज्या यत्र पूज्यन्ते पूज्यानाम् च निरादरः ।
त्रीणि तत्र प्रविशन्ति,दुर्भिक्षं,मरणं भयम् ॥
( पद्मपुराणम् / खण्ड ६)
अर्थात-
जहां पर अयोग्यों को पूजा जाता है और विद्वानों का निरादर किया जाता है|वहां तीन चीजें प्रवेश कर जाती है-१.भुखमरी २. मृत्यु ३. भय |
आज हाथरस में इन अयोग्य माडर्न भेष भूषा वाले के चक्कर में इतनी संख्या में श्रद्धालु महिला एवं बच्चों की जो दुर्घटना हुई वह ठीक नहीं है।⤵️

🙏हाथरस के जिस सभा में सैकड़ों लोगों की जान गई उस बाबा को हिंदू धर्म से नहीं जोड़ें। इसके अनुयायी हर धर्म के थे। इसके कारण असली साधु संत बदनाम हो रहे हैं।

1. यह सफ़ेद कोट पेंट, टाई पहनता था। यह जूता पहनकर प्रवचन देता था। हिंदू धर्म में ऐसा कहां होता है?

2. इस बाबा को कितने वेद पुराण का ज्ञान है? यह किस परंपरा से है? इसके गुरु कौन हैं?

3. यह अपनी सभाओं में पानी देकर लोगों पर ढोंग करता था। इसके अंदर हिंदू साधु संतों वाले कोई गुण नहीं हैं।

4. इसे तत्काल गिरफ्तार करना चाहिए। यह सब जानकारी आने के। बाद इसे साधु संत और बाबा बताना भी पाप ही है।

इसके ढोंग के कारण सैकड़ों लोगों की जान चली गई।

हाथरस मामले पर जो लोग बार बार सत्संग बोल रहे हैं वे जान लें की सत्संग भगवान का होता है, और हाथरस में जो बाबा था वो भगवान को नहीं मानता, वो मानवता और सत्य का पुजारी है, इसलिए कृपया अपने मित्रो को बताइए की हाथरस में भगवान का नही इंसान का सत्संग चल रहा था, एक बार फिर हिन्दू देवी देवताओं को बदनाम करने की साजिश है

प्रचलित नाम : नारायण साकार विश्व हरी
उर्फ : भोले बाबा
असली नाम : सूरज पाल

भगवा से चिढ़ है भगवा वस्त्र नही पहनते, सूट बूट पहनते हैं, भगवान की पूजा नही करते, भगवान नही मानते

फिर सत्संग कैसा? इन्हे हिन्दू बाबा क्यों बताया जा रहा है? क्योंकि हिंदू संतो को बदनाम करना है,,
प्रभु सभी को अपने श्री चरणों मे स्थान,,प्रदान करे,,,
साभार.. 🙏🙏

दिल छुने वाली कहानी...एक बार की बात है एक जंगल में सेबका एक बड़ा पेड़ था| एक बच्चा रोज उस पेड़पर खेलने आया करता था| वह क...
03/07/2024

दिल छुने वाली कहानी...

एक बार की बात है एक जंगल में सेब
का एक बड़ा पेड़ था| एक बच्चा रोज उस पेड़
पर खेलने आया करता था|

वह कभी पेड़ की
डाली से लटकता कभी फल
तोड़ता कभी उछल कूद करता था, सेब
का पेड़ भी उस बच्चे से काफ़ी खुश रहता
था| कई साल इस तरह बीत गये|

अचानक एक दिन
बच्चा कहीं चला गया और फिर लौट के नहीं
आया, पेड़ ने उसका काफ़ी इंतज़ार किया पर
वहनहीं आया| अब तो पेड़ उदासहो गया ।

काफ़ी साल बाद वह बच्चा फिर से पेड़ के
पास आया पर वह अब कुछ बड़ा हो गया था|

पेड़
उसे देखकर काफ़ी खुश हुआ और उसे अपने साथ
खेलने के लिए कहा| पर बच्चा उदास होते हुए
बोला कि अब वह बड़ा हो गया है अब वह उसके
साथ नहीं खेल सकता| बच्चा बोला की अब
मुझे खिलोने से खेलना अच्छा लगता है पर
मेरे पास खिलोने खरीदने के लिए पैसे नहीं
है| पेड़ बोला उदास ना हो तुम मेरे फल तोड़
लो और उन्हें बेच कर खिलोने खरीद लो|

बच्चा खुशी खुशी फल तोड़ के ले गया लेकिन
वह फिर बहुत दिनों तक वापस नहीं आया| पेड़
बहुत दुखी हुआ| अचानक बहुत दिनों बाद
बच्चा जो अब जवान हो गया था वापस आया,
पेड़ बहुत खुश हुआ और उसे अपने साथ खेलने
के लिए कहा पर लड़के
ने कहा कि वह पेड़ के साथ नहीं खेल सकता
अब मुझे कुछ पैसे चाहिए क्यूंकी मुझे अपने
बच्चों के लिए घर बनाना है|

पेड़ बोला मेरी
शाखाएँ बहुत मजबूत हैं
तुम इन्हें काट कर ले जाओ और अपना घर
बना लो| अब लड़के ने खुशी खुशी सारी
शाखाएँ काट डालीं और लेकर चला गया|
वह फिर कभी वापस नहीं आया|

बहुत दिनों बात जब वह वापिस आया तो बूढ़ा
हो चुका था पेड़ बोला मेरे साथ खेलो पर वह
बोला की अब में बूढ़ा हो गया हूँ अब नहीं
खेल सकता| पेड़ उदास होते हुए
बोला की अब मेरे पास ना फल हैं और
ना ही लकड़ी अब में तुम्हारी मदद
भी नहीं कर सकता| बूढ़ा बोला की अब उसे
कोई सहायता नहीं चाहिए बस एक
जगह चाहिए जहाँ वह बाकी जिंदगी आराम से
गुजर सके| पेड़ ने उसे अपने जड़ मे पनाह दी
और बूढ़ा हमेशा वहीं रहने लगा|

मित्रों इसी पेड़ की तरह हमारे माता पिता
भी होते हैं, जब हम छोटे होते हैं तो उनके
साथ खेलकर बड़े होते हैं और बड़े होकर
उन्हें छोड़ कर चले जाते हैं और तभी वापस
आते हैं ,जब हमें कोई ज़रूरत होती है|
धीरे धीरे ऐसे ही जीवन बीत जाता है|

हमें पेड रूपी माता पिता की सेवा करनी चाहिए
नाकी सिर्फ़ उनसे फ़ायदा लेना चाहिए।

सोलन     उप-चुनावों के लिए पोस्टल बैलेट के माध्यम से 359 मतदाताओं ने घर से किया मतदाननिर्वाचन अधिकारी एवं उपमण्डलाधिकारी...
03/07/2024

सोलन

उप-चुनावों के लिए पोस्टल बैलेट के माध्यम से 359 मतदाताओं ने घर से किया मतदान

निर्वाचन अधिकारी एवं उपमण्डलाधिकारी (ना.) नालागढ़ दिव्यांशु सिंगल ने बताया कि 51-नालागढ़ विधानसभा क्षेत्र में उप-चुनाव के लिए पोस्टल बैलेट के माध्यम से मतदान प्रक्रिया पूर्ण करवा दी गई है।
दिव्यांशु सिंगल ने बताया कि नालागढ़ विधानसभा क्षेत्र के उप-चुनाव में कुल 359 मतदाताओं ने पोस्टल बैलेट के माध्यम से घर से ही मतदान किया। इनमें 85 वर्ष से अधिक आयुवर्ग के 257 मतदाताओं तथा 102 दिव्यांग मतदाताओं ने पोस्टल बैलेट के माध्यम से मतदान किया। उन्होंने बताया कि इन सभी मतदाताओं के लिए 14 पोलिंग टीमें गठित की गई थीं, और इन मतदान दलों द्वारा घर-घर जाकर मतदान प्रक्रिया पूर्ण करवाई गई। 0.

03/07/2024

सोलन

सोलन ज़िला में राष्ट्रीय लोक अदालत 14 सितम्बर को

ज़िला विधिक सेवा प्राधिकरण सोलन की सचिव आकांक्षा डोगरा ने आज यहां बताया कि सोलन ज़िला के विभिन्न न्यायालय परिसरों में 14 सितम्बर, 2024 को राष्ट्रीय लोक अदालत आयोजित की जाएगी।
उन्होंने बताया कि 14 सितम्बर, 2024 को ज़िला एवं सत्र न्यायालय सोलन परिसर तथा कण्डाघाट, अर्की, कसौली और नालागढ़ न्यायालय परिसर में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जाएगा।
आकांक्षा डोगरा ने कहा कि लोक अदालत में विभिन्न मामलों का निपटारा समझौते के आधार पर किया जाएगा। लोक अदालत में आपराधिक कंपाउंडेबल अपराध, चेक बाऊंस मामले, मोटर व्हीकल चालान के मामले, धन वसूली के मामले इत्यादि पर सुनवाई कर निपटारा किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त लोक अदालत में सड़क दुर्घटना क्लेम के मामले, श्रम विवाद, बिजली और पानी के बिल, वैवाहिक विवाद, भूमि अधिग्रहण, वेतन, भत्तों और सेवानिवृति से सम्बन्धित मामलों की सुनवाई कर निपटारा किया जाएगा।
ज़िला विधिक सेवा प्राधिकरण सोलन की सचिव ने कहा कि जो मामले अब तक न्यायालय में दायर नहीं हुए हैं, ऐसे मामलों का भी लोक अदालत में निपटारा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि लोक अदालत में समय व धन की बचत होती है। लोक अदालत में न्यायालय शुल्क नहीं लगता और पुराने मुकदमे का न्यायालय शुल्क वापिस हो जाता है। लोक अदालत में किसी पक्ष को सजा नहीं होती।
उन्होंने कहा कि कोई भी इच्छुक व्यक्ति अपने मामलों के निपटारे के लिए 14 सितम्बर, 2024 से पूर्व ज़िला विधिक सेवा प्राधिकरण कार्यालय सोलन व ज़िला के सभी न्यायालयों में सादे कागज़ पर आवेदन कर सकता है। जिस अदालत में मामला विचारधीन है उस अदालत में भी आवेदन दिया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि अधिक जानकारी के लिए दूरभाष नम्बर 01792-220713 पर सम्पर्क किया जा सकता है।0.

03/07/2024
बरसात के मौसम में अपनी कार या मोटर साईकिल धीरे चलाएं। आपके पास दो गाड़ियां हो सकती हैं, लेकिन हर बच्चे के पास दो वर्दिया...
03/07/2024

बरसात के मौसम में अपनी कार या मोटर साईकिल धीरे चलाएं। आपके पास दो गाड़ियां हो सकती हैं, लेकिन हर बच्चे के पास दो वर्दियां हों ये ज़रूरी नहीं।

लोकसभा चुनाव के दौरान सराहनीय कार्य के लिए नाचन निर्वाचन क्षेत्र से 11 बीएलओ को किया गया सम्मानितकाम के प्रति लग्न ,निष्...
03/07/2024

लोकसभा चुनाव के दौरान सराहनीय कार्य के लिए नाचन निर्वाचन क्षेत्र से 11 बीएलओ को किया गया सम्मानित

काम के प्रति लग्न ,निष्पक्षता ,हम सभी के लिए प्रेरणा के स्रोत- एसडीएम गोहर

3 जुलाई 2024 गोहर;
लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर नाचन निर्वाचन क्षेत्र में व्यवस्थित व संपूर्ण तरीके से चुनाव संपन्न करवाने हेतु ड्यूटी में कार्य कर रहे कर्मठ ,निष्पक्ष कर्मचारियों को प्रशस्ति पत्र भेंट कर उनका आभार व्यक्त किया जा रहा है इसी कढी़ में आज लोकसभा चुनाव के दौरान नाचन निर्वाचन क्षेत्र से ड्यूटी में कार्यरत 11 बीएलओ को चुनावों के दौरान कर्मठता व निष्पक्षता से किए हुए कार्यों के लिए सहायक निर्वाचन अधिकारी नाचन व एसडीएम गोहर लक्ष्मण सिंह कनेट द्वारा प्रशस्ति पत्र भेंट कर उनका आभार जताया ।

इस बारे में जानकारी देते हुए एसडीएम गोहर ने कहा कि लोकसभा चुनाव को संपूर्ण तरीके से संपन्न करवाने हेतु ड्यूटी में कार्यरत अधिकारी व कर्मचारियों को जिन्होंने उन्हें दिए गए हुए कार्यों को बखूबी से निभाया है उन्हें सहायक निर्वाचन अधिकारी नाचन द्वारा सम्मानित किया जाएगा।
इसी कढी़ में नाचन निर्वाचन क्षेत्र के 126 पोलिंग बूथ में कार्यरत बीएलओ में से 11 बीएलओ ( माया देवी आंगनवाड़ी वर्कर पोलिंग बूथ सलवाहन -1, चंद्र मोहन पंचायत सेक्रेटरी पोलिंग बूथ ढाबन-1 , कमलेश कुमार पंचायत सेक्रेटरी पोलिंग बूथ दुगरांई -2, विमला कुमारी आंगनवाड़ी वर्कर पोलिंग बूथ 30-भौर-1, मनीराम पीईटी पोलिंग बूथ 31-भौर -2, शशि कुमारी आंगनवाड़ी वर्कर पोलिंग बूथ महादेव -2, विनीता कुमारी आंगनवाड़ी वर्कर पोलिंग बूथ 46-हरवानी ,अंजुला कुमारी आंगनवाड़ी वर्कर पोलिंग बूथ 50-पलौहटा, नागेंद्र कुमार पीईटी पोलिंग बूथ 51-पलौहटा-2, आरती देवी आंगनवाड़ी वर्कर पोलिंग बूथ 63- फगवांओ, हुकम चंद जेबीटी पोलिंग बूथ 95- शिल्हणु ) से उनके पोलिंग बूथ में किए गए सराहनीय कार्यों के लिए सम्मानित कर उनका आभार जताया गया ।
उन्होंने कहा कि बीएलओ को सम्मानित करने के लिए पांच पैरामीटर निश्चित किए गए थे। इन्हीं पांच पैरामीटर के आधार पर सभी 126 बीएलओ का आकंलन किया गया। पांच पैरामीटर - पोलिंग बूथ में सबसे ज्यादा वोटिंग परसेंटेज , पोलिंग बूथ में नए वोटर को जोड़़ना ,पोलिंग डे पर वोटिंग करने आ रहे वॉटर के लिए उचित व्यवस्था उपलब्ध करना , पोलिंग बूथ पर वोटिंग करवाने जा रही पार्टी के लिए खाने-पीने व रहने के लिए उचित प्रबंध करवाना तथा सभी सेक्टर ऑफिसर के अंतर्गत आने वाले बीएलओ को उनके कार्यों के लिए आकंलन करना जैसे पैरामीटर बीएलओ के लिए रखे गए थे जिसमें उन बीएलओ के द्वारा इन मापदंडों में उच्च अंक प्राप्त किए हैं उन्हें उनके कार्यों के लिए सम्मानित किया गया
इसी के तहत लोकसभा चुनावों में नाचन निर्वाचन क्षेत्र से प्रवीण कुमार जूनियर असिस्टेंट बीडीओ ऑफिस उन्हें "सर्वश्रेष्ठ कर्मचारी" तौर पर नवाजा गया है तथा नोडल ऑफिसर में वेद प्रकाश असिस्टेंट प्रोफेसर बॉटनी महाविद्यालय बासा को "मोस्ट डायनामिक नाॅडल ऑफिसर" के पद से नवाजा गया है।
बैठक में बीएलओ के कार्य जैसे मतदाता सूची का संरक्षण, वोटर मतदाता सूची को अपडेट करना ,18 वर्ष के नए मतदाताओं को सूची में शामिल करना , अपात्र मतदाता जैसे किसी की मृत्यु तथा स्थानांतरण, दोहरी पंजीकरण ,लड़कियों के शादी के बाद उसका मतदाता सूची से नाम हटाना आदि कार्यों पर विस्तृत से चर्चा की गई।
उन्होंने कहा कि इस बार लोकसभा चुनावों में नाचन निर्वाचन क्षेत्र से 77.64 प्रतिशत वोटिंग रही जो हिमाचल प्रदेश के 68 विधानसभा क्षेत्रों में सबसे अधिक मत प्रतिशतता निर्वाचन क्षेत्रों में से एक रही है इसलिए सर्वश्रेष्ठ कार्यों के लिए बीएलओ एवं अधिकारी व कर्मचारी को प्रशस्ति पत्र भेंट किए गए ताकि भविष्य में भी वह और भी बेहतर तरीके से ऐसा ही काम करते रहेंगे इसके लिए वह हम सभी अधिकारी व कर्मचारी वर्ग के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं ।

03/07/2024

"15 मंत्र, जो हर 'हिंदू' को सीखने ही चाहिए।"।

*1. श्री महादेव जी*
*ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्*
*उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्!।

*(2). श्री गणेश जी*
*वक्रतुंड महाकाय, सूर्य कोटि समप्रभ*
*निर्विघ्नम कुरू मे देव, सर्वकार्येषु सर्वदा!!

*(3). श्री हरी विष्णु जी*
*मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।*
*मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः,मङ्गलाय तनो हरिः।

*(4). श्री ब्रह्मा जी*
*ॐ नमस्ते परमं ब्रह्मा नमस्ते परमात्ने।*
*निर्गुणाय नमस्तुभ्यं सदुयाय नमो नम:।।*

*(5). श्री कृष्ण जी*
*वसुदेवसुतं देवं कंसचाणूरमर्दनम्। देवकी परमानन्दं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम।।*

*(6). श्री राम जी*
*श्री रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे रघुनाथाय नाथाय सीताया पतये नमः !*

*(7). मां दुर्गा जी*
*ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु‍ते*।

*(8). मां महालक्ष्मी जी*
*ॐ सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो, धन धान्यः सुतान्वितः मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशयः ॐ ।।*

*(9). मां सरस्वती*
*ॐ सरस्वति नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि।
*विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा।।*

*(10). मां महाकाली*
*ॐ क्रीं क्रीं क्रीं हली ह्रीं खं स्फोटय क्रीं क्रीं क्रीं फट !!*

*(11). श्री हनुमान जी*
*मनोजवं मारुततुल्यवेगं, जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठ।*
*वातात्मजं वानरयूथ मुख्यं, श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये॥*

*(12). श्री शनिदेव जी*
*ॐ नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम।छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम् । *

*(13). श्री कार्तिकेय*
*ॐ शारवाना-भावाया नम: ज्ञानशक्तिधरा स्कंदा* *वल्लीईकल्याणा सुंदरा, देवसेना मन: कांता कार्तिकेया नामोस्तुते*।

*(14). काल भैरव*
*ॐ ह्रीं वां बटुकाये क्षौं क्षौं आपदुद्धाराणाये कुरु कुरु बटुकाये ह्रीं बटुकाये स्वाहा*।

*(15). गायत्री मंत्र*
*ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यम् भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ॥*

हाथरस के जिस सभा में सैकड़ों लोगों की जान गई उस बाबा को हिंदू धर्म से नहीं जोड़ें। इसके अनुयायी हर धर्म के थे। इसके कारण...
03/07/2024

हाथरस के जिस सभा में सैकड़ों लोगों की जान गई उस बाबा को हिंदू धर्म से नहीं जोड़ें। इसके अनुयायी हर धर्म के थे। इसके कारण असली साधु संत बदनाम हो रहे हैं।

1. यह सफ़ेद कोट पेंट, टाई पहनता था। यह जूता पहनकर प्रवचन देता था। हिंदू धर्म में ऐसा कहां होता है?

2. इस बाबा को कितने वेद पुराण का ज्ञान है? यह किस परंपरा से है? इसके गुरु कौन हैं?

3. यह अपनी सभाओं में पानी देकर लोगों पर ढोंग करता था। इसके अंदर हिंदू साधु संतों वाले कोई गुण नहीं हैं।

4. इसे तत्काल गिरफ्तार करना चाहिए। यह सब जानकारी आने के। बाद इसे साधु संत और बाबा बताना भी पाप ही है।

इसके ढोंग के कारण सैकड़ों लोगों की जान चली गई।

हाथरस मामले पर जो लोग बार बार सत्संग बोल रहे हैं वे जान लें की सत्संग भगवान का होता है, और हाथरस में जो बाबा था वो भगवान को नहीं मानता, वो मानवता और सत्य का पुजारी है, इसलिए कृपया अपने मित्रो को बताइए की हाथरस में भगवान का नही इंसान का सत्संग चल रहा था, एक बार फिर हिन्दू देवी देवताओं को बदनाम करने की साजिश है

प्रचलित नाम : नारायण साकार विश्व हरी
उर्फ : भोले बाबा
असली नाम : सूरज पाल

भगवा से चिढ़ है भगवा वस्त्र नही पहनते, सूट बूट पहनते हैं, भगवान की पूजा नही करते, भगवान नही मानते

फिर सत्संग कैसा? इन्हे हिन्दू बाबा क्यों बताया जा रहा है? क्योंकि हिंदू संतो को बदनाम करना है

हाथरस मामले पर जो लोग बार बार सत्संग बोल रहे हैं वे जान लें की सत्संग भगवान का होता है, और हाथरस में जो बाबा था वो भगवान...
03/07/2024

हाथरस मामले पर जो लोग बार बार सत्संग बोल रहे हैं वे जान लें की सत्संग भगवान का होता है, और हाथरस में जो बाबा था वो भगवान को नहीं मानता, वो मानवता और सत्य का पुजारी है, बोले तो जय भीम वाले, अखिलेश यादव जी इनके यहां ढोक लगाने जाते थे, इसलिए कृपया अपने मित्रो को बताइए की हाथरस में भगवान का नही इंसान का सत्संग चल रहा था, एक बार फिर हिन्दू देवी देवताओं को बदनाम करने की साजिश है

प्रचलित नाम : नारायण साकार विश्व हरी
उर्फ : भोले बाबा
असली नाम : सूरज पाल

भगवा से चिढ़ है भगवा वस्त्र नही पहनते, सूट बूट पहनते हैं, भगवान की पूजा नही करते, भगवान नही मानते

फिर सत्संग कैसा? इन्हे हिन्दू बाबा क्यों बताया जा रहा है?. क्योंकि हिंदू संतो को बदनाम करना है।

.            "रिश्तों की नियति"         एक स्त्री थी जिसे 20 साल तक संतान नहीं हुई। कर्म संजोग से 20 वर्ष के बाद वो गर्भ...
03/07/2024

. "रिश्तों की नियति"

एक स्त्री थी जिसे 20 साल तक संतान नहीं हुई। कर्म संजोग से 20 वर्ष के बाद वो गर्भवती हुई और उसे पुत्र संतान की प्राप्ति हुई किन्तु दुर्भाग्यवश 20 दिन में वो संतान मृत्यु को प्राप्त हो गयी। वो स्त्री हद से ज्यादा रोई और उस मृत बच्चे का शव लेकर एक सिद्ध महात्मा के पास गई। महात्मा से रोकर कहने लगी मुझे मेरा बच्चा बस एक बार जीवित करके दीजिये, मात्र एक बार मैं उसके मुख से "माँ" शब्द सुनना चाहती हूँ। स्त्री के बहुत जिद करने पर महात्मा ने 2 मिनट के लिए उस बच्चे की आत्मा को बुलाया। तब उस स्त्री ने उस आत्मा से कहा तुम मुझे क्यों छोड़कर चले गए ? मैं तुमसे सिर्फ एक बार "माँ"' शब्द सुनना चाहती हूँ।
उस आत्मा ने कहा कौन माँ ? कैसी माँ ! मैं तो तुमसे कर्मों का हिसाब-किताब करने आया था। स्त्री ने पूछा कैसा हिसाब ! आत्मा ने बताया पिछले जन्म में तुम मेरी सौतन थी, मेरे आँखों के सामने मेरे पति को ले गई; मैं बहुत रोई तुमसे अपना पति माँगा पर तुमने एक न सुनी। तब मैं रो रही थी और आज तुम रो रही हो ! तब मेरा पति गया था, आज तुमने अपनी सन्तान खोई है। बस मेरा तुम्हारे साथ जो कर्मों का हिसाब था वो मैंने पूरा किया और मर गया। ‘श्रीजी की चरण सेवा’ की सभी धार्मिक, आध्यात्मिक एवं धारावाहिक पोस्टों के लिये हमारे फेसबुक पेज ‘श्रीजी की चरण सेवा’ को फॉलो तथा लाईक करें और अपने सभी भगवत्प्रेमी मित्रों को भी आमंत्रित करें। इतना कहकर आत्मा चली गयी। उस स्त्री को झटका लगा। उसे महात्मा ने समझाया देखो मैने कहा था न कि ये सब रिश्तेदार माँ, पिता, भाई, बहन सब कर्मों के कारण जुड़े हुए हैं। हम सब कर्मो का हिसाब करने आये हैं। यही हमारे रिश्तों की नियति है, इसलिए बस अच्छे कर्म करो ताकि हमे बाद में भुगतना ना पड़े। वो स्त्री समझ गयी और अपने घर लौट गयी। अतः हमेशा अच्छे कर्म करने चाहिए।


"जय जय श्री राधे

03/07/2024
चातुर्मास विशेष.....चातुर्मास में वर्ष के चार महीने आते हैं सावन, भादों, क्वार, कार्तिक। (श्रावण, भाद्र, अश्विन, कार्तिक...
03/07/2024

चातुर्मास विशेष.....

चातुर्मास में वर्ष के चार महीने आते हैं
सावन, भादों, क्वार, कार्तिक।
(श्रावण, भाद्र, अश्विन, कार्तिक-मास)

इस वर्ष श्रावण अधिक (पुरुषोत्तम मास) होने के कारण चातुर्मास चार की जगह पांच मास का मान्य होगा।

चातुर्मास से जुड़ी पौराणिक कथा...

शास्त्रों के अनुसार राजा बलि ने तीनों लोकों पर अधिकार कर लिया। घबराए इंद्रदेव व अन्य सभी देवताओं ने जब भगवान विष्णु से सहायता मांगी तो श्री हरि ने वामन अवतार लिया और राजा बलि से दान मांगने पहुंच गए। वामन भगवान ने दान में तीन पग भूमि मांगी। दो पग में भगवान ने धरती और आकाश नाप लिया और तीसरा पग कहां रखे जब यह पूछा तो बलि ने कहा कि उनके सिर पर रख दें। इस तरह बलि से तीनों लोकों को मुक्त करके श्री नारायण ने देवराज इंद्र का भय दूर किया। लेकिन राजा बलि की दानशीलता और भक्ति भाव देखकर भगवान विष्णु ने बलि से वर मांगने के लिए कहा। बलि ने भगवान से कहा कि आप मेरे साथ पाताल चलें और हमेशा वहीं निवास करें। भगवान विष्णु ने अपने भक्त बलि की इच्छा पूरी की और पाताल चले गए। इससे सभी देवी-देवता और देवी लक्ष्मी चिंतित हो उठी। देवी लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को पाताल लोक से मुक्त कराने लिए एक युक्ति सोची और एक गरीब स्त्री बनकर राजा बलि के पास पहुँच गईं। इन्होंने राजा बलि को अपना भाई मानते हुए राखी बांधी और बदले में भगवान विष्णु को पाताल से मुक्त करने का वचन मांग लिया। भगवान विष्णु अपने भक्त को निराश नहीं करना चाहते थे इसलिए बलि को वरदान दिया कि वह साल आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी तक पाताल लोक में निवास करेंगे, इसलिए इन चार महीनों में भगवान विष्णु योगनिद्रा में रहते हैं।

चातुर्मास के नियम एवं फल

एक दण्डी तथा त्रिदंडी सभी के लिए ही चातुर्मास व्रत करणीय है अर्थात एक दंडी -ज्ञानीगण तथा त्रिदंडी भक्त गण दोनों ही चातुर्मास व्रत का पालन करते हैं। श्री शंकर मठ के अनुयायियों में भी चातुर्मास व्रत की व्यवस्था है।

मनुष्य एक हजार अश्वमेध यज्ञ करके मनुष्य जिस फल को पाता है, वही चातुर्मास्य व्रत (29 जून से 23 नवंबर) के अनुष्ठान से प्राप्त कर लेता है।
आषाढ़ के शुक्ल पक्ष में एकादशी के दिन उपवास करके मनुष्य भक्तिपूर्वक चातुर्मास्य व्रत प्रारंभ करे।

इन चार महीनों में ब्रह्मचर्य का पालन, त्याग, पत्तल पर भोजन, उपवास, मौन, जप, ध्यान, स्नान, दान, पुण्य आदि विशेष लाभप्रद होते हैं।

व्रतों में सबसे उत्तम व्रत है – ब्रह्मचर्य का पालन। विशेषतः चतुर्मास में यह व्रत संसार में अधिक गुणकारक है। जो चतुर्मास में अपने प्रिय भोगों का श्रद्धा एवं प्रयत्नपूर्वक त्याग करता है, उसकी त्यागी हुई वे वस्तुएँ उसे अक्षय रूप में प्राप्त होती हैं।

चतुर्मास में गुड़ का त्याग करने से मनुष्य को मधुरता की प्राप्ति होती है।
ताम्बूल का त्याग करने से मनुष्य भोग-सामग्री से सम्पन्न होता है और उसका कंठ सुरीला होता है।
दही छोड़ने वाले मनुष्य को गोलोक मिलता है। नमक छोड़ने वाले के सभी पूर्तकर्म (परोपकार एवं धर्म सम्बन्धी कार्य) सफल होते हैं।

जो मौनव्रत धारण करता है उसकी आज्ञा का कोई उल्लंघन नहीं करता।
चतुर्मास में काले एवं नीले रंग के वस्त्र त्याग देने चाहिए। कुसुम्भ (लाल) रंग व केसर का भी त्याग कर देना चाहिए।
आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी 29 जून को श्रीहरि के योगनिद्रा में प्रवृत्त हो जाने पर मनुष्य चार मास अर्थात् कार्तिक की पूर्णिमा 27 नवंबर तक भूमि पर शयन करे। ऐसा करने वाला मनुष्य बहुत से धन से युक्त होता और विमान प्राप्त करता है।

जो भगवान जनार्दन के शयन करने पर शहद का सेवन करता है, उसे महान पाप लगता है। चतुर्मास में अनार, नींबू, नारियल तथा मिर्च, उड़द और चने का भी त्याग करे।

चातुर्मास्य में परनिंदा का विशेष रूप से त्याग करे। परनिंदा को सुनने वाला भी पापी होता है।

चतुर्मास में ताँबे के पात्र में भोजन विशेष रूप से त्याज्य है। काँसे के बर्तनों का त्याग करके मनुष्य अन्यान्य धातुओं के पात्रों का उपयोग करे। अगर कोई धातुपात्रों का भी त्याग करके पलाशपत्र, मदारपत्र या वटपत्र की पत्तल में भोजन करे तो इसका अनुपम फल बताया गया है।

अन्य किसी प्रकार का पात्र न मिलने पर मिट्टी का पात्र ही उत्तम है अथवा स्वयं ही पलाश के पत्ते लाकर उनकी पत्तल बनाये और उससे भोजन-पात्र का कार्य ले। पलाश के पत्तों से बनी पत्तल में किया गया भोजन चान्द्रायण व्रत एवं एकादशी व्रत के समान पुण्य प्रदान करने वाला माना गया है।

प्रतिदिन एक समय भोजन करने वाला पुरुष अग्निष्टोम यज्ञ के फल का भागी होता है।

पंचगव्य सेवन करने वाले मनुष्य को चान्द्रायण व्रत का फल मिलता है।
यदि धीर पुरुष चतुर्मास में नित्य परिमित अन्न का भोजन करता है तो उसके सब पातकों का नाश हो जाता है और वह वैकुण्ठ धाम को पाता है।
चतुर्मास में केवल एक ही अन्न का भोजन करने वाला मनुष्य रोगी नहीं होता।

जो मनुष्य चतुर्मास में केवल फल खाकर रहता है, उसके सहस्रों पाप तत्काल विलीन हो जाते हैं।
जो चतुर्मास में भगवान विष्णु के आगे खड़ा होकर 'पुरुष सूक्त' का पाठ करता है, उसकी बुद्धि बढ़ती है)। कैसा भी दबू विद्यार्थी हो बुद्धिमान बनेगा चतुर्मास सब गुणों से युक्त समय है। इसमें धर्मयुक्त श्रद्धा से शुभ कर्मों का अनुष्ठान करना चाहिए।

देवशयनी एकादशी 29 जून से देवउठनी एकादशी 23 नवम्बर तक उक्त धर्मों का साधन एवं नियम महान फल देने वाला है।

चतुर्मास में भगवान नारायण योगनिद्रा में शयन करते हैं, इसलिए चार मास शादी-विवाह और सकाम यज्ञ नहीं होते। ये मास तपस्या करने के हैं।
चतुर्मास में योगाभ्यास करने वाला मनुष्य ब्रह्मपद को प्राप्त होता है।
'नमो नारायणाय' का जप करने से सौ गुने फल की प्राप्ति होती है।

यदि मनुष्य चतुर्मास में भक्तिपूर्वक योग के अभ्यास में तत्पर न हुआ तो निःसंदेह उसके हाथ से अमृत का कलश गिर गया।

जो मनुष्य नियम, व्रत अथवा जप के बिना चौमासा बिताता है वह मूर्ख है।
चतुर्मास में विशेष रूप से जल की शुद्धि होती है। उस समय तीर्थ और नदी आदि में स्नान करने का विशेष महत्त्व है।
नदियों के संगम में स्नान के पश्चात् पितरों एवं देवताओं का तर्पण करके जप, होम आदि करने से अनंत फल की प्राप्ति होती है। जो मनुष्य जल में तिल और आँवले का मिश्रण अथवा बिल्वपत्र डालकर ॐ नमः शिवाय का चार-पाँच बार जप करके उस जल से स्नान करता है, उसे नित्य महान पुण्य प्राप्त होता है।

चतुर्मास में अन्न, जल, गौ का दान, प्रतिदिन वेदपाठ और हवन – ये सब महान फल देने वाले हैं।

सद्धर्म, सत्कथा, सत्पुरुषों की सेवा, संतों के दर्शन, भगवान विष्णु का पूजन आदि सत्कर्मों में संलग्न रहना और दान में अनुराग होना – ये सब बातें चतुर्मास में दुर्लभ बतायी गयी हैं।

चतुर्मास में दूध, दही, घी एवं मट्ठे का दान महाफल देने वाला होता है।
जो चतुर्मास में भगवान की प्रीति के लिए विद्या, गौ व भूमि का दान करता है, वह अपने पूर्वजों का उद्धार कर देता है।

विशेषतः चतुर्मास में अग्नि में आहूति, भगवद् भक्त एवं पवित्र ब्राह्मणों को दान और गौओं की भलीभाँति सेवा, पूजा करनी चाहिए।

चतुर्मास में जो स्नान, दान, जप, होम, स्वाध्याय और देवपूजन किया जाता है, वह सब अक्षय हो जाता है।

जो एक अथवा दोनों समय पुराण सुनता है, वह पापों से मुक्त होकर भगवान विष्णु के धाम को जाता है।
जो भगवान के शयन करने पर विशेषतः उनके नाम का कीर्तन और जप करता है, उसे कोटि गुना फल मिलता है।

(पद्म पुराण के उत्तर खंड, स्कंद पुराण के ब्राह्म खंड एवं नागर खंड उत्तरार्ध से संकलित)

उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक सत्संग कार्यक्रम के समापन के दौरान हुई भगदड़ में कई लोगों के मारे जाने की खबर बेहद दुखद है।...
03/07/2024

उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक सत्संग कार्यक्रम के समापन के दौरान हुई भगदड़ में कई लोगों के मारे जाने की खबर बेहद दुखद है।
सभी पीड़ित परिवारों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं तथा सभी घायलों के जल्द से जल्द स्वस्थ होने की कामना करता हूं।
भगवान जगन्नाथ महाप्रभु से प्रार्थना है दिवंगत आत्माओं को अपने श्री चरणों में स्थान दें और उनके परिवार जनों को इस घड़ी में सहनशक्ति प्रदान करें।
हरि ॐ शांति 🙏

 #मैथिली_ठाकुरछोटी उम्र में बड़ी उपलब्धियां है मिथिला की मैथिली के। मैथिली साधारण लड़की नहीं है. वो 23 साल की उम्र में अब...
03/07/2024

#मैथिली_ठाकुर
छोटी उम्र में बड़ी उपलब्धियां है मिथिला की मैथिली के।
मैथिली साधारण लड़की नहीं है. वो 23 साल की उम्र में अब तक सात सौ से ज्यादा लाइव शो और रियलिटी शो "राइजिंग स्टार" के पहले सीजन की रनर अप रह चुकीं हैं. मैथली अपने दो भाइयों से बड़ी हैं. वो गाती हैं. मैथिली के मझले भाई ऋषभ ठाकुर को तबले पर थाप देना पसंद है.शास्त्रीय संगीत, मिथिला और अन्य लोकभाषाओं की जानी-मानी गायिका मैथिली ठाकुर देश की पहली पंक्ति के शास्त्री toय गायक की टोली में शामिल हो गयी है. आकाशवाणी ने मैथिली ठाकुर के साथ ऐसा अनुबंध किया हैं जिसके तहत मैथिली के द्वारा गाये हुए शास्त्रीय संगीत को 99 साल तक प्रसारित किया जायेगा. यह एक कीर्तिमान है कि इतनी कम उम्र की किसी भी गयिका से आकाशवाणी की ओर से आजतक ऐसा कोई अनुबंध नहीं हुआ था.अपनी गायकी के लिए मशहूर मैथिली ठाकुर का जन्म 25 जुलाई 2000 को बिहार के मधुबनी में हुआ. मैथिली बचपन से ही संगीत के वातावरण में पली बड़ी हैं. इनके पिता का नाम रमेश ठाकुर है. जो संगीत के टीचर हैं और इनकी माता का नाम पूजा ठाकुर हैं. इनके परिवार में मैथिली के अलावा एक बड़ा भाई रिषभ ठाकुर व छोटा भाई अयाची ठाकुर हैं. मैथिली की प्रारंभिक शिक्षा बाल भवन इंटरनेशनल स्कूल से पूरी हुई. अभी मैथिली 23 साल की हैं और दिल्ली के कॉलेज आत्माराम सनातन धर्मं कॉलेज से अपनी पढाई पूरी कर रही हैं.संगीत इन्हें अपने परिवार की ओर से विरासत में मिला हैं. मैथिली को बचपन से ही संगीत का शौक था और उन्होंने गायन शुरू कर दिया था. जब मैथिली 4 वर्ष की थी तभी इनके दादाजी ने इन्हें संगीत सिखाना शुरू कर दिया था. इनके छोटे भाई अयाची भी साथ में संगीत सीख रहे हैं. परिवार में मैथिली को प्यार से सब तन्नु, आयाची को हब्बू और सबसे बड़े भाई रिषभ को सन्नी बुलाते हैं. मैथिली को संगीत में पुर्या धनाश्री राग सबसे ज्यादा प्रिय हैं.मैथिली ने पहली बार वर्ष 2011 में लिटिल चैंप्स का ऑडिशन दिया था परन्तु वह रिजेक्ट हो गई थी. जिसके बाद कई शोज के लिए ऑडिशन दिए, पर टॉप 20 तक आकर रिजेक्ट हो जाती थी. इन्होने 6 बार रिजेक्शन का सामना करना पड़ा पर हार नहीं मानी. इन्होने वर्ष 2015 आई जीनियस यंग सिंगिंग स्टार सीजन 2 का खिताब जीता था. जिसके बाद इन्होने इंडियन आइडल जूनियर 2 में भी टॉप 20 में जगह बनाई थी. वर्ष 2017 में मैथिली ने राइजिंग स्टार नामक सिंगिंग रियलिटी शो में चयन हुआ था. उस शो में अपने अच्छे प्रस्तुति के लिए इन्हें 94 प्रतिशत स्कोर प्राप्त हुए थे. इन्होने अपनी प्रस्तुति के दौरान भोर भये गाने का गायन किया था. इसके साथ ही मैथिली 5 बार की दिल्ली राज्य की शास्त्रीय संगीत प्रतियोगिता की विजेता रह चुकी हैं. मैथिली ठाकुर ने 2016 में 11वीं की पढ़ाई के साथ थारपा नामक एलबम से अपने संगीत करियर की शुरुआत की हैं. मैथिली बॉलीवुड में सफल प्लेबैक सिंगर बनाना चाहती हैं.मैथिली के पिता रमेश ठाकुर मूलत: बिहार के मधुबनी के रहने वाले हैं। 20 साल पहले वो बिहार से दिल्ली पहुंचे। मैथिली अभी भी बिहार जाती रहती हैं। वहां उनके दादा रहते हैं। मैथिली के पिता रमेश ठाकुर ने बताया कि दिल्ली में रहकर बच्चों को संगीत की शिक्षा दी है। बहुत ही कम लोगों को पता है कि मैथिली के बचपन का नाम तन्नू था। बाद में लोगों ने प्यार से मैथली बुलाना शुरू कर दिया। इसका श्रेय उनके दादा शोभासिन्धु ठाकुर को जाता है क्योंकि वो बिहार के मिथिला क्षेत्र से हैं।मैथिली दिल्ली के द्वारका में रहती हैं। मैथिली के पिता रमेश ठाकुर खुद भी दिल्ली में संगीत प्रशिक्षण केंद्र चलाते हैं। गांव से शुरू हुआ मैथिली का सफर आज देश-दुनिया तक पहुंच गया है।

© अनूप नारायण सिंह ( साभार )

शिवलिंग पर बने त्रिपुण्ड् की तीन  रेखाओं का रहस्य ...... 👉प्राय: साधु-सन्तों और विभिन्न पंथों के अनुयायियों के माथे पर अ...
03/07/2024

शिवलिंग पर बने त्रिपुण्ड् की तीन रेखाओं का रहस्य ......

👉प्राय: साधु-सन्तों और विभिन्न पंथों के अनुयायियों के माथे पर अलग- अलग तरह के तिलक दिखाई देते हैं । तिलक विभिन्न सम्प्रदाय, अखाड़ों और पंथों की पहचान होते हैं । हिन्दू धर्म में संतों के जितने मत, पंथ और सम्प्रदाय है उन सबके तिलक भी अलग-अलग हैं । अपने-अपने इष्ट के अनुसार लोग तरह-तरह के तिलक लगाते हैं ।

👉शैव परम्परा का तिलक कहलाता है त्रिपुण्ड्र.....
👉भगवान शिव के मस्तक पर और शिवलिंग पर सफेद चंदन या भस्म से लगाई गई तीन आड़ी रेखाएं त्रिपुण्ड कहलाती हैं । ये भगवान शिव के श्रृंगार का हिस्सा हैं । शैव परम्परा में शैव संन्यासी ललाट पर चंदन या भस्म से तीन आड़ी रेखा त्रिपुण्ड् बनाते हैं ।

👉बीच की तीन अंगुलियों से भस्म लेकर भक्तिपूर्वक ललाट में त्रिपुण्ड लगाना चाहिए । ललाट से लेकर नेत्रपर्यन्त और मस्तक से लेकर भौंहों (भ्रकुटी) तक त्रिपुण्ड् लगाया जाता है

👉भस्म मध्याह्न से पहले जल मिला कर, मध्याह्न में चंदन मिलाकर और सायंकाल सूखी भस्म ही त्रिपुण्ड् रूप में लगानी चाहिए ।

त्रिपुण्ड् की तीन आड़ी रेखाओं का रहस्य .......

👉त्रिपुण्ड् की तीनों रेखाओं में से प्रत्येक के नौ-नौ देवता हैं, जो सभी अंगों में स्थित हैं ।

1-👉 पहली रेखा—गार्हपत्य अग्नि, प्रणव का प्रथम अक्षर अकार, रजोगुण, पृथ्वी, धर्म, क्रियाशक्ति, ऋग्वेद, प्रात:कालीन हवन और महादेव—ये त्रिपुण्ड्र की प्रथम रेखा के नौ देवता हैं ।

2--👉 दूसरी रेखा— दक्षिणाग्नि, प्रणव का दूसरा अक्षर उकार, सत्वगुण, आकाश, अन्तरात्मा, इच्छाशक्ति, यजुर्वेद, मध्याह्न के हवन और महेश्वर—ये दूसरी रेखा के नौ देवता हैं ।

3--👉 तीसरी रेखा—आहवनीय अग्नि, प्रणव का तीसरा अक्षर मकार, तमोगुण, स्वर्गलोक, परमात्मा, ज्ञानशक्ति, सामवेद, तीसरे हवन और शिव—ये तीसरी रेखा के नौ देवता हैं ।

👉शरीर के बत्तीस, सोलह, आठ या पांच स्थानों पर त्रिपुण्ड लगाया जाता है

👉त्रिपुण्ड लगाने के बत्तीस स्थान.....

मस्तक, ललाट, दोनों कान, दोनों नेत्र, दोनों नाक, मुख, कण्ठ, दोनों हाथ, दोनों कोहनी, दोनों कलाई, हृदय, दोनों पार्श्व भाग, नाभि, दोनों अण्डकोष, दोनों उरु, दोनों गुल्फ, दोनों घुटने, दोनों पिंडली और दोनों पैर ।

👉त्रिपुण्ड् लगाने के सोलह स्थान....

मस्तक, ललाट, कण्ठ, दोनों कंधों, दोनों भुजाओं, दोनों कोहनी, दोनों कलाई, हृदय, नाभि, दोनों पसलियों, तथा पृष्ठभाग में ।

👉त्रिपुण्ड् लगाने के आठ स्थान.......

गुह्य स्थान, ललाट, दोनों कान, दोनों कंधे, हृदय, और नाभि ।

👉त्रिपुण्ड लगाने के पांच स्थान......

मस्तक, दोनों भुजायें, हृदय और नाभि।

इन सम्पूर्ण अंगों में स्थान देवता बताये गये हैं उनका नाम लेकर त्रिपुण्ड् धारण करना चाहिए ।

👉त्रिपुण्ड धारण करने का फल.......

👉इस प्रकार जो कोई भी मनुष्य भस्म का त्रिपुण्ड करता है वह छोटे-बड़े सभी पापों से मुक्त होकर परम पवित्र हो जाता है ।

👉उसे सब तीर्थों में स्नान का फल मिल जाता है । त्रिपुण्ड भोग और मोक्ष को देने वाला है ।

👉वह सभी रुद्र-मन्त्रों को जपने का अधिकारी होता है ।
वह सब भोगों को भोगता है और मृत्यु के बाद शिव-सायुज्य मुक्ति प्राप्त करता है ।
उसे पुनर्जन्म नहीं लेना पड़ता है ।

👉गौरीशंकर तिलक.....

👉कुछ शिव-भक्त शिवजी का त्रिपुण्ड लगाकर उसके बीच में माता गौरी के लिए रोली का बिन्दु लगाते हैं । इसे वे गौरीशंकर का स्वरूप मानते हैं ।

👉गौरीशंकर के उपासकों में भी कोई पहले बिन्दु लगाकर फिर त्रिपुण्ड लगाते हैं तो कुछ पहले त्रिपुण्ड लगाकर फिर बिन्दु लगाते हैं ।

👉जो केवल भगवती के उपासक हैं वे केवल लाल बिन्दु का ही तिलक लगाते हैं ।

👉शैव परम्परा में अघोरी, कापालिक, तान्त्रिक जैसे पंथ बदल जाने पर तिलक लगाने का तरीका भी बदल जाता है ।
( Saabhaar post: Rishi kandwal)

02/07/2024

बरसात में बिजली विभाग ने दिया आमजन को संदेश
इन बातों का रखें विशेष ख्याल।

*बिजली जाते ही फ़ोन ना करे, कृपया 10 मिनट तक इंतजार करे*
*बारिश का मौसम चल रहा है बिजली जनित हादसे से बचने हेतु निम्न सावधानियां बरतें* 1.. बिजली के खंभों को छुने से बचे।
2.. बिजली के खंभों से अपने मवेशियों को ना बांधे।
3.. यथासंभव बिजली लाइनों के नीचे कोई भी प्रोग्राम ना करे।
4.. नए भवनों से बिजली लाइनों की उचित दूरी बनाए रखें।
5.. खेत की मेड़ पर यदि बिजली खंभा लगा है तो उचित दूरी रख कर ही जुताई करे ।
6.. बिजली खंभे पर यदि स्पार्किंग हो रही हैं तो तुरंत अपने फीडर इंचार्ज (लाइनमैन), संबंधित सब स्टेशन पर सूचना देवे ।
7.. यदि बारिश में खंभे पर तेज स्पार्क हो रहा हो और आस पास पानी भरा हुआ है तो उस रास्ते
से या पानी में जाने से बचे व
दूसरों को भी सावधान करें ।
8.. यदि बिजली के तार किसी पेड़ के निकट से गुजर रहे हो तो किसी भी स्थिति में उस पर चढ़ने से बचे।
9.. ट्रांसफार्मर, लाइनो पर डंडे से या किसी और चीज से कुंडी नहीं डाले, हेवी लाइनों पर रिसाव होने से व ग्राउंड होने से
बड़ा हादसा हो सकता है ।
10.. किसी भी बड़े वाहन की छत पर यात्रा न करे ।
11.. यदि बारिश की वजह से कोई लाइन ढीली पड़ गई हो या सड़क के उपर से नीची हो तो तुरंत अपने फीडर इंचार्ज (लाइनमैन), जेईएन या फिर सब स्टेशन पर सूचना देवे ताकि समय पर सुधार हों सके ।
12.. बिजली खंभों को चार दिवारी या बाउंट्रिवाल में अतिक्रमण ना करें, हादसा होने पर भारी नुकसान हो
सकता है।
13.. घर में उपकरण अच्छी क्वालिटी के ही उपयोग करें ।
14.. घर के अंदर बिजली फिटिंग में अर्थिंग जरूर कराएं व अपने
उपकरण को उससे जोड़े रखे।
15.. अपने सभी स्विच, एमसीबी, इएलसीबी उच्च कोटि की ही काम में लावे व लगावें ।
16.. बगैर जानकारी के किसी भी उपकरण को छुने या खोलने से बचे ।
17.. यदि कोई व्यक्ति बिजली के गिरफ्त मे हो तो तुरंत उसे बचाने हेतु निम्न कार्य करे — सबसे पहले अपने आपको किसी सुखी जगह पर होना सुनिश्चित करें, फिर अपने जूते, जो भीगे ना हो, कोई भी धातु लगे ना हो, वह पहने, फिर किसी इंसुलेटेड डंडे (प्लास्टिक, लकड़ी जो सुखा हों) से व्यक्ति को छुड़ाने का प्रयास करे,
यदि शोक घर के अंदर लगा है तो तुरंत मेन स्विच ऑफ करे ।
व्यक्ति को नजदीकी अस्पताल ले जाए।
बारिश के इस मौसम में यदि बिजली गुल होती हैं तो हंगामा ना करे शांत रहे, ये सोचिए कि आप बारिश में भीगने से भी डरते हो, उन विपरित परिस्थितियों में भी कोई आपके लिए किसी खंभे पर या सब स्टेशन पर बिजली तारों से जूझ रहा होता है,
*इस जानकारी को सभी को शेयर करें और बिजली हादसे से बचे व बचाएं। मकसद आपका स्वस्थ जीवन*
🙏

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Yashwant Vihar Shimla Road Nahan Distt. Sirmour
Nahan
173001

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