श्री हित

श्री हित महाराज जी को निस्संदेह ज्ञान और प्रेम के श्री जी का आशीर्वाद प्राप्त है।
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Big shout out to my newest top fans! 💎ह.भ.प प्रा.चेतन सुरेश चौधरी
30/06/2023

Big shout out to my newest top fans! 💎

ह.भ.प प्रा.चेतन सुरेश चौधरी

08/06/2023

जय श्री राधे

21/05/2023

पूजा घर एवं हिन्दू धर्म की अति महत्वपूर्ण बातें

1. घर में सेवा पूजा करने वाले जन भगवान के एक से अधिक स्वरूप की सेवा पूजा कर सकते हैं ।

2. घर में दो शिवलिंग की पूजा ना करें तथा पूजा स्थान पर तीन गणेश जी नहीं रखें।

3. शालिग्राम जी की बटिया जितनी छोटी हो उतनी ज्यादा फलदायक है।

4. कुशा पवित्री के अभाव में स्वर्ण की अंगूठी धारण करके भी देव कार्य सम्पन्न किया जा सकता है।

5. मंगल कार्यो में कुमकुम का तिलक प्रशस्त माना जाता हैं।

6. पूजा में टूटे हुए अक्षत के टूकड़े नहीं चढ़ाना चाहिए।

7. पानी, दूध, दही, घी आदि में अंगुली नही डालना चाहिए। इन्हें लोटा, चम्मच आदि से लेना चाहिए क्योंकि नख स्पर्श से वस्तु अपवित्र हो जाती है अतः यह वस्तुएँ देव पूजा के योग्य नहीं रहती हैं।

8. तांबे के बरतन में दूध, दही या पंचामृत आदि नहीं डालना चाहिए क्योंकि वह मदिरा समान हो जाते हैं।

9. आचमन तीन बार करने का विधान हैं। इससे त्रिदेव ब्रह्मा-विष्णु-महेश प्रसन्न होते हैं।

10. दाहिने कान का स्पर्श करने पर भी आचमन के तुल्य माना जाता है।

11. कुशा के अग्रभाग से दवताओं पर जल नहीं छिड़के।

12. देवताओं को अंगूठे से नहीं मले।

13. चकले पर से चंदन कभी नहीं लगावें। उसे छोटी कटोरी या बांयी हथेली पर रखकर लगावें।

15. पुष्पों को बाल्टी, लोटा, जल में डालकर फिर निकालकर नहीं चढ़ाना चाहिए।

16. श्री भगवान के चरणों की चार बार, नाभि की दो बार, मुख की एक बार या तीन बार आरती उतारकर समस्त अंगों की सात बार आरती उतारें।

17. श्री भगवान की आरती समयानुसार जो घंटा, नगारा, झांझर, थाली, घड़ावल, शंख इत्यादि बजते हैं उनकी ध्वनि से आसपास के वायुमण्डल के कीटाणु नष्ट हो जाते हैं। नाद ब्रह्मा होता हैं। नाद के समय एक स्वर से जो प्रतिध्वनि होती हैं उसमे असीम शक्ति होती हैं।

18. लोहे के पात्र से श्री भगवान को नैवेद्य अपर्ण नहीं करें।

19. हवन में अग्नि प्रज्वलित होने पर ही आहुति दें।

20. समिधा अंगुठे से अधिक मोटी नहीं होनी चाहिए तथा दस अंगुल लम्बी होनी चाहिए।

21. छाल रहित या कीड़े लगी हुई समिधा यज्ञ-कार्य में वर्जित हैं।

22. पंखे आदि से कभी हवन की अग्नि प्रज्वलित नहीं करें।

23. मेरूहीन माला या मेरू का लंघन करके माला नहीं जपनी चाहिए।

24. माला, रूद्राक्ष, तुलसी एवं चंदन की उत्तम मानी गई हैं।

25. माला को अनामिका (तीसरी अंगुली) पर रखकर मध्यमा (दूसरी अंगुली) से चलाना चाहिए।

26.जप करते समय सिर पर हाथ या वस्त्र नहीं रखें।

27. तिलक कराते समय सिर पर हाथ या वस्त्र रखना चाहिए।

28. माला का पूजन करके ही जप करना चाहिए।

29. ब्राह्मण को या द्विजाती को स्नान करके तिलक अवश्य लगाना चाहिए।

30. जप करते हुए जल में स्थित व्यक्ति, दौड़ते हुए, शमशान से लौटते हुए व्यक्ति को नमस्कार करना वर्जित हैं।

31. बिना नमस्कार किए आशीर्वाद देना वर्जित हैं।

32. एक हाथ से प्रणाम नही करना चाहिए।

33. सोए हुए व्यक्ति का चरण स्पर्श नहीं करना चाहिए।

34. बड़ों को प्रणाम करते समय उनके दाहिने पैर पर दाहिने हाथ से और उनके बांये पैर को बांये हाथ से छूकर प्रणाम करें।

35. जप करते समय जीभ या होंठ को नहीं हिलाना चाहिए। इसे उपांशु जप कहते हैं। इसका फल सौगुणा फलदायक होता हैं।

36. जप करते समय दाहिने हाथ को कपड़े या गौमुखी से ढककर रखना चाहिए।

37. जप के बाद आसन के नीचे की भूमि को स्पर्श कर नेत्रों से लगाना चाहिए।

38. संक्रान्ति, द्वादशी, अमावस्या, पूर्णिमा, रविवार और सन्ध्या के समय तुलसी तोड़ना निषिद्ध हैं।

39. दीपक से दीपक को नही जलाना चाहिए।

40. यज्ञ, श्राद्ध आदि में काले तिल का प्रयोग करना चाहिए, सफेद तिल का नहीं।

41. शनिवार को पीपल पर जल चढ़ाना चाहिए। पीपल की सात परिक्रमा करनी चाहिए। परिक्रमा करना श्रेष्ठ है, किन्तु रविवार को परिक्रमा नहीं करनी चाहिए।

42. कूमड़ा-मतीरा-नारियल आदि को स्त्रियां नहीं तोड़े या चाकू आदि से नहीं काटें। यह उत्तम नही माना गया हैं।

43. भोजन प्रसाद को लाघंना नहीं चाहिए।

44. देव प्रतिमा देखकर अवश्य प्रणाम करें।

45. किसी को भी कोई वस्तु या दान-दक्षिणा दाहिने हाथ से देना चाहिए।

46. एकादशी, अमावस्या, कृृष्ण चतुर्दशी, पूर्णिमा व्रत तथा श्राद्ध के दिन क्षौर-कर्म (दाढ़ी) नहीं बनाना चाहिए ।

47. बिना यज्ञोपवित या शिखा बंधन के जो भी कार्य, कर्म किया जाता है, वह निष्फल हो जाता हैं।

48. यदि शिखा नहीं हो तो स्थान को स्पर्श कर लेना चाहिए।

49. शिवजी की जलहारी उत्तराभिमुख रखें ।

50. शंकर जी को बिल्वपत्र, विष्णु जी को तुलसी, गणेश जी को दूर्वा, लक्ष्मी जी को कमल प्रिय हैं।

51. शंकर जी को शिवरात्रि के सिवाय कुंुकुम नहीं चढ़ती।

52.शिवजी को कुंद, विष्णु जी को धतूरा, देवी जी को समर्पित

10/05/2023

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Shivani Consul

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09/05/2023

आपको सूचित किया जाता है कि हमारे यूट्यूब चैनल UP78TIMES को शिकायक्त करके बन्द करवा दिया गया है। अब हमने नया चैनल बनाया है, kthit के नाम से। कृपया हमारे चैनल
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05/05/2023

रैप संगीत इसके आस-पास भी नहीं है... यह बिल्कुल अविश्वसनीय👌 पूर्ण आनंद है... प्यारा 👌

26/04/2023

कहइ रीछपति सुनु हनुमाना। का चुप साधि रहेहु बलवाना॥
पवन तनय बल पवन समाना। बुधि बिबेक बिग्यान निधाना॥

अर्थ : ऋक्षपति जाम्बवान ने कहा कि हनुमान् ! सुनो । हे बलवान् ! तुमने चुप्पी क्यों साध रक्खी है ? हे पवन के पुत्र ! तुम्हें पवन के समान बल है। तुम बल विवेक और विज्ञान के निधान हो ।

व्याख्या : हनुमानजी को आज्ञा देने में अङ्गदजी को भी सङ्कोच है। अतः वयोवृद्ध जाम्बवानजी ने कहा कि वस्तुतः जो बलवान है वह तो चुप्पी साधे हुए है । चुप्पी साधने का करण क्या है ? हनुमान् जो ! तुम पवन के पुत्र हो । अतः तुम में पवन सा ही बल है । पवनदेव तो दिन रात समुद्र के आर पार जाया करते हैं । अतः तुम्हारे लिए समुद्रोल्लङ्घन खेल है और बुद्धि तुम्हारी संसार पारदर्शी है उभय लोकावगाहिनी है । तुम बुद्धि, विवेक और विज्ञान के निधान हो ।

कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं॥
राम काज लगि तव अवतारा। सुनतहिं भयउ पर्बताकारा॥

अर्थ : संसार में कौन ऐसा कार्य कठिन है जो तुमसे न हो सके । तुम्हारा तो अवतार रामकार्य के लिए है। यह सुनते ही हनुमानजी पर्वताकार हो गये ।

व्याख्या : जितने कार्य हैं उनकी सिद्धि तो बल और बुद्धि से ही होती है । सो परमेश्वर ने तुमको सबसे अधिक दिया है। तुम्हारे बल बुद्धि का पारावार नहीं है। अतः संसार में कोई ऐसा कार्य नहीं है जिसे तुम न कर सको। किं पुनः रामकार्य जिसके लिए तुम्हारा अवतार है । ऐसी कथा है कि भगवान् ने शङ्कर की आराधना करके उनसे वरदान मांगा था कि आप मेरे सेवक होकर मेरा कार्य साधन करें। तदनुसार साक्षात् रुद्र भगवान् हो हनुमान् रूप से अवतीर्णं हुए । अतः कहते हैं कि हम लोग तो कौतुक के लिए साथ हैं। रामकाज के लिए अवतार तो तुम्हारा ही है । सुनते हो हनुमानजी का आकार पर्वत सा हो गया ।

कनक बरन तन तेज बिराजा। मानहुँ अपर गिरिन्ह कर राजा॥
सिंहनाद करि बारहिं बारा। लीलहिं नाघउँ जलनिधि खारा॥

अर्थ : सोने के रंग के शरीर में तेज शोभायमान हुआ । मानो पर्वत के दूसरे राजा हैं। बार बार सिंहनाद करके कहा कि इस लवर्णासिंधु को तो खेल में ही डाक जाऊँगा ।

व्याख्या: हनुमान् जी का शरीर स्वभाव से ही सोने के रंग का है। सो जाम्बवानजी के कथन ने मानो मन्त्र का काम किया। उनके वचन से ऐसा उत्साह बढ़ा कि शरीर तेज से चमकने लगा । विशाल शरीर था ही। ऐसे मालूम होने लगे जैसे दूसरे सुमेरु हैं । जाम्बवानजी के इस कहने का कि चुप्पी क्यों साधे हो ? बार बार सिंहनाद करके उत्तर दिया। "कौन सो काज कठिन जगमाहीं । जो नहि होय तात तुम पाहीं" का उत्तर देते हैं कि इस खारे समुद्र को तो खेल में डाक जाऊँगा । खारे समुद्र से उत्तरोत्तर छः समुद्र एक से एक आयाम में दुगुने हैं। कहिये तो उन्हें डाक जाऊँ । इस खारे समुद्र में रक्खा ही क्या है ?

सहित सहाय रावनहि मारी। आनउँ इहाँ त्रिकूट उपारी॥
जामवंत मैं पूँछउँ तोही। उचित सिखावनु दीजहु मोही॥

अर्थ : सहाय के सहित रावण को मारकर यहाँ त्रिकूट पर्वत उखाड़ लाऊँ । जाम्बवान ! मैं तुमसे पूछता हूँ। मुझे उचित शिक्षा दीजिये ।

व्याख्या : यहाँ संशय को स्थान नहीं है । समुद्र पार करके सेना सहित रावण को मारकर यहाँ त्रिकूटाचल को जिस पर लङ्कापुरी वसी है उखाड़ लाऊँ । राम का कार्य ही पूरा कर दूँ । इस भांति : "राम काज लगि तव अवतारा" का उत्तर दिया । त्रिकूट उखाड़ लाने का भाव यह कि तब आप लोग खोज लें कि सीता कहाँ हैं ?
अब हनुमान् जी जाम्बवान से पूछते हैं कि आप सबसे वयोवृद्ध हैं । आप मुझे बतलाइये कि मैं क्या करूं ? रामजी का सब कार्य हो पूरा कर दूँ कि केवल आज्ञा मात्र का पालन करूँ । मेरे लिए क्या उचित होगा ?

#रामचरितमानस #किष्किंधाकाण्ड

24/04/2023

जो व्यक्ति सक्षम होते हुए भी अपमान को सह लेता है उसके हृदय में न बुझने वाला दावानल होता है, जिस दिन यह बाहर निकला, तुमको भस्म कर देगा। सहनशीलता को निर्बलता समझना तुम्हारी मूर्खता है, अब इतने पढ़े लिखे हो तो इससे आगे समझाना मेरी मूर्खता होगी। 🙄😐😑

14/04/2023

*पहले मिलते थे तो राम राम कहते थे और अब hi कहते है... अंतर सुनिए*

13/04/2023

परमपूज्य महाराज जी का आगमन

13/04/2023
ईमानदारी से जबाब दीजियेगा अन्यथा न ही दीजिये , अगर ऐसा पर्स आपको पड़ा मिल जाए और आपको आस पास कोई न हो तो क्या कीजियेगा ?
13/04/2023

ईमानदारी से जबाब दीजियेगा अन्यथा न ही दीजिये , अगर ऐसा पर्स आपको पड़ा मिल जाए और आपको आस पास कोई न हो तो क्या कीजियेगा ?

10/04/2023

केवल 50 सीसी घी में परमाणु विस्फोट की अनुभूति? आप खुद देखिये, और फिर विश्वास कीजिये !! इस हवन को 'प्रवर्ग्य हवन' कहा जाता है। आमतौर पर यह हवन मध्य रात्रि में किया जाता है। यह एक महत्वपूर्ण यज्ञ है जो पूरी तरह से वैदिक-शैली में वैदिक मंत्रों के गायन द्वारा किया जाता है। यह अभी आंध्र प्रदेश के पेद्दापुरम में पूरा हुआ था। आप इस वीडियो में जो देखेंगे, ये यज्ञ उसका एक छोटा सा हिस्सा है। यह यज्ञ केवल एक विशेषज्ञ वेद पंडित ही कर सकता है। आपको विश्वास नहीं होगा कि केवल 50 मिलीलीटर शुद्ध घी से परमाणु बम जैसा विस्फोट (मशरूम क्लाउड) हो सकता है! हमारे 'वेदों' में इतनी आकर्षक चीजें शामिल हैं कि जब तक आप उन्हें नहीं देखेंगे तब तक आपको विश्वास नहीं होगा!

10/04/2023

इस बच्चे को तरह अपने बच्चो को भी संस्कार सिखाओ। बहुत ही प्यारा वीडियो। शेयर जरूर करना।

पूज्य गुरुदेव के लिए राधा रानी से प्रार्थना करिए कि शीघ्रता से स्वस्थ होवे।
09/04/2023

पूज्य गुरुदेव के लिए राधा रानी से प्रार्थना करिए कि शीघ्रता से स्वस्थ होवे।

08/04/2023

जितना अधिक तुम समझोगे, तुम्हारे परिणाम उतने ही बेहतर होंगे; इसके विपरीत, आप जितना कम समझेंगे, आप उतने ही कम परिणाम प्राप्त करेंगे। यहाँ इस अवधारणा का एक उदाहरण दिया गया है:

तुलसीदास जी हनुमान चालीसा लिखते थे... लिखे पत्रों को रात में सँभाल कर रख देते थे... सुबह उठकर देखते तो उन में लिखा हुआ क...
07/04/2023

तुलसीदास जी हनुमान चालीसा लिखते थे... लिखे पत्रों को रात में सँभाल कर रख देते थे... सुबह उठकर देखते तो उन में लिखा हुआ कोई मिटा जाता था।

तुलसीदास जी ने हनुमान जी की आराधना की... हनुमान जी प्रकट हुए! तुलसीदास ने बताया कि मैं हनुमान चालीसा लिखता हूँ तो रात में कोई मिटा जाता है! हनुमान जी बोले वह तो मैं ही मिटा जाता हूँ।

हनुमान जी ने कहा अगर प्रशंसा ही लिखनी है तो मेरे प्रभु श्री राम की लिखो, मेरी नहीं! तुलसीदास जी को उस समय अयोध्याकांड का प्रथम दोहा सोच में आया उसे उन्होंने हनुमान चालीसा के प्रारंभ में लिख दिया..."श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मन मुकुरु सुधारि।
वरनउं रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि॥

तो हनुमान जी बोले मैं तो रघुवर नहीं हूँ... तुलसीदास जी ने कहा आप और प्रभु श्री राम तो एक ही प्रसाद ग्रहण करने के उपरांत अवतरित हुए हैं... इसलिए आप भी रघुवर ही हैं।

तुलसीदास ने याद दिलाया कि ब्रह्म लोक में सुवर्चला नाम की एक अप्सरा रहती थी जो एक बार ब्रह्मा जी पर मोहित हो गई थी... जिससे क्रुद्ध होकर ब्रह्माजी ने उसे गिद्धि होने का श्राप दिया था! वह रोने लगी तो ब्रह्मा जी को दया आ गई, उन्होंने कहा, राजा दशरथ के पुत्र यज्ञ में हवि के रूप में जो प्रसाद तीनों रानियों में वितरित होगा तू कैकेई का भाग लेकर उड़ जाएगी... माँ अंजना भगवान शिव से हाथ फैला कर पुत्र कामना कर रही थी, उन्ही हाथों में वह प्रसाद गिरा दिया था जिससे आप अवतरित हुए! प्रभु श्री राम ने तो स्वयं आपको अपना भाई कहा है।

"तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई"तुलसीदास ने एक और तर्क दिया कि जब आप माँ जानकी की खोज में अशोक वाटिका गए थे तो माँ जानकी ने आपको अपना पुत्र बनाया था।

अजर अमर गुननिधि सुत होहू।
करहुं बहुत रघुनायक छोहू॥

जब माँ जानकी की खोज करके वापस आए थे तो प्रभु श्री राम ने स्वयं आपको अपना पुत्र बना लिया था। सुनु सुत तोहि उरिन मैं नाहीं।
देखेउं करि विचार मन माहीं॥

इसलिए आप भी रघुवर हुए तुलसीदास का यह तर्क सुनकर हनुमानजी अंतर्ध्यान हो गए।

संसार में बहुधा यह बात कही और सुनी जाती है कि व्यक्ति को ज्यादा सीधा और सरल नहीं होना चाहिए सीधे और सरल व्यक्ति का हर कोई फायदा उठाता है। यह भी लोकोक्ति है कि टेढ़े वृक्ष को कोई हाथ भी नहीं लगाता सीधा वृक्ष ही काटा जाता है।

दरअसल टेढ़े लोगों से दुनिया दूर भागती हैं वहीँ सीधों को परेशान किया जाता है।... तो क्या फिर सहजता और सरलता का त्याग कर टेढ़ा हुआ जाए... नहीं कदापि नहीं; पर यह बात जरूर समझ लेना दुनिया में जितना भी सृजन हुआ है वह टेढ़े लोगों से नहीं सीधों से ही हुआ है!

कोई सीधा पेड़ कटता है तो लकड़ी भी भवन निर्माण या भवन श्रृंगार में ही काम आती है। मंदिर में भी जिस शिला में से प्रभु का रूप प्रगट होता है वह टेढ़ी नहीं कोई सीधी शिला ही होती है।

जिस बाँसुरीकी मधुर स्वर को सुनकर हमें आंनद मिलता है वो भी किसी सीधे बाँस के पेड़ से ही बनती है। सीधे लोग ही गोविंद के प्रिय होते हैं!

जय श्री सीताराम जी

एक ऐसे कथावाचक जिनके पास पत्नी के अस्थि विसर्जन तक के लिए पैसे नहीं थे ...तब मंगलसूत्र बेचने की बात की थी।यह जानकर सुखद ...
05/04/2023

एक ऐसे कथावाचक जिनके पास पत्नी के अस्थि विसर्जन तक के लिए पैसे नहीं थे ...तब मंगलसूत्र बेचने की बात की थी।

यह जानकर सुखद आश्चर्य होता है कि पूज्यनीय रामचंद्र डोंगरे जी महाराज जैसे भागवताचार्य भी हुए हैं जो कथा के लिए एक रुपया भी नहीं लेते थे 🙏 मात्र तुलसी पत्र लेते थे।जहाँ भी वे भागवत कथा कहते थे, उसमें जो भी दान दक्षिणा चढ़ावा आता था, उसे उसी शहर या गाँव में गरीबों के कल्याणार्थ दान कर देते थे। कोई ट्रस्ट बनाया नहीं और किसी को शिष्य भी बनाया नहीं।

अपना भोजन स्वयं बना कर ठाकुरजी को भोग लगाकर प्रसाद ग्रहण करते थे।डोंगरे जी महाराज कलयुग के दानवीर कर्ण थे।

उनके अंतिम प्रवचन में चौपाटी में एक करोड़ रुपए जमा हुए थे, जो गोरखपुर के कैंसर अस्पताल के लिए दान किए गए थे।-स्वंय कुछ नहीं लिया|

डोंगरे जी महाराज की शादी हुई थी। प्रथम-रात के समय उन्होंने अपनी धर्मपत्नी से कहा था-'देवी मैं चाहता हूं कि आप मेरे साथ 108 भागवत कथा का पारायण करें, उसके बाद यदि आपकी इच्छा होगी तो हम ग्रहस्थ आश्रम में प्रवेश करेंगे'।

इसके बाद जहाँ -जहाँ डोंगरे जी महाराज भागवत कथा करने जाते, उनकी पत्नी भी साथ जाती।108 भागवत पूर्ण होने में करीब सात वर्ष बीत गए।तब डोंगरे जी महाराज पत्नी से बोले-' अब अगर आपकी आज्ञा हो तो हम ग्रहस्थ आश्रम में प्रवेश कर संतान उत्पन्न करें'।
इस पर उनकी पत्नी ने कहा,'आपके श्रीमुख से 108 भागवत श्रवण करने के बाद मैंने गोपाल को ही अपना पुत्र मान लिया है,इसलिए अब हमें संतान उत्पन्न करने की कोई आवश्यकता नहीं है'।धन्य हैं ऐसे पति-पत्नी, धन्य है उनकी भक्ति और उनका कृष्ण प्रेम।

डोंगरे जी महाराज की पत्नी आबू में रहती थीं और डोंगरे जी महाराज देश दुनिया में भागवत रस बरसाते थे।
पत्नी की मृत्यु के पांच दिन पश्चात उन्हें इसका पता चला।वे अस्थि विसर्जन करने गए, उनके साथ मुंबई के बहुत बड़े सेठ थे- रतिभाई पटेल जी |
उन्होंने बाद में बताया कि डोंगरे जी महाराज ने उनसे कहा था ‘कि रति भाई मेरे पास तो कुछ है नहीं और अस्थि विसर्जन में कुछ तो लगेगा। क्या करें’ ?फिर महाराज आगे बोले थे, ‘ऐसा करो, पत्नी का मंगलसूत्र और कर्णफूल- पड़ा होगा उसे बेचकर जो मिलेगा उसे अस्थि विसर्जन क्रिया में लगा देते हैं’।

सेठ रतिभाईपटेल ने रोते हुए बताया था....
जिन महाराजश्री के इशारे पर लोग कुछ भी करने को तैयार रहते थे, वह महापुरुष कह रहा था किपत्नी के अस्थि विसर्जन के लिए पैसे नहीं हैं।

हम उसी समय मर क्यों न गए l
फूट फूट कर रोने के अलावा मेरे मुँह से एक शब्द नहीं निकल रहा था।

* ऐसे महान विरक्त महात्मा संत के चरणों में कोटि-कोटि नमन भी कम है ।।

24/03/2023

Nothing ❌ is impossible as Impossible itself says I M Possible.

Awesome 👍 Video clip.

Agree?

23/03/2023

Enjoy the divinity

22/03/2023

जब एक व्यक्ति ने दान किये हुए घड़ी के बारे में बार बार पूछा तब देखिए क्या हुआ?

22/03/2023

नौ दुर्गा के आगमन से सजता है नववर्ष,
बसंत ऋतु से खिलता है नववर्ष,
कोयल गाती हैं नववर्ष का मल्हार,
संगीतमय हो जाता है प्रकृति का आकार,
चैत्र नवरात्र से होता है नव‌ आरंभ,
यही है हिन्दू वर्ष का शुभारम्भ।

*आपको और आपके परिवार को हिन्दू नवसंवत्सर (विक्रमी संवत 2080) और चैत्र नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाइयां*💐💐

*माता रानी का आशीर्वाद हम सभी पर बना रहे*👏👏

जय माता दी🚩🚩
जय श्री राम🚩🚩

21/03/2023

जमीन से 3 मंजिल नीचे काशी खण्ड के मणिकर्णिकेश्वर महादेव का दुर्लभ दर्शन..

21/03/2023

I want to give a huge shout-out to my top Stars senders. Thank you for all the support!

Manish Singh Minhas

18/03/2023

बिल्कुल अलग अंदाज में 'हनुमान चालीसा' का पाठ !! बकाया 👏🏻👏🏻 भगवान को याद करने का कोई समय नहीं होता, जब आप इसे याद करते हैं, तो यह सही समय होता है। कुछ युवा इस वायरल वीडियो में गिटार और तालियों की धुन पर हनुमान चालीसा का पाठ कर रहे हैं। जो सुनने में बहुत ही सरल और मनभावन है। या यूँ कह सकते हैं कि हमारा देश थोड़ा बदल रहा है !! 😊😊 बोलो जय श्री राम🙏🙏

पिता और भाई के दिवंगत होने के बाद भी नेठराना हनुमानगढ़ राजस्थान की विधवा बेटी मीरा अपनी बेटी के विवाह के भात का निमंत्रण...
16/03/2023

पिता और भाई के दिवंगत होने के बाद भी नेठराना हनुमानगढ़ राजस्थान की विधवा बेटी मीरा अपनी बेटी के विवाह के भात का निमंत्रण देने गांव आई, दिवंगत भाई की कुटिया को तिलक किया और चली गई ।
नरसी के भात की तरह 10 लाख का भात दे आए गांव वाले । नमन है ग्रामवासियों को ।
#मेरे_गांव_की_बेटी

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Birhana Road
Kanpur
208001

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