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16/01/2024

*प्रधानमंत्री ने प्रत्येक भारतीय के समृद्ध भविष्य की प्रतिबद्धता दोहराई, क्योंकि नीति पत्र के अनुसार पिछले 9 वर्षों में 24.82 करोड़ लोग अनेक प्रकार की गरीबी से बाहर निकले हैं*

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज सर्वांगीण विकास की दिशा में काम जारी रखने और प्रत्येक भारतीय के लिए समृद्ध भविष्य सुनिश्चित करने की सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई।

वह आज नीति आयोग द्वारा बहुआयामी गरीबी पर जारी एक चर्चा पत्र पर टिप्पणी कर रहे थे। पत्र में कहा गया है, 2005-06 के बाद से, भारत में #एमपीआई में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है, जो 2013-14 में 29.17 प्रतिशत से बढ़कर 2022-23 में 11.28 प्रतिशत हो गई है, जो कि 17.89 प्रतिशत की कमी है। परिणामस्वरूप पिछले 9 वर्षों में 24.82 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर निकल पाए।

पीएम मोदी ने एक्स पर पोस्ट किया:

"बहुत उत्साहजनक, समावेशी विकास को आगे बढ़ाने और हमारी अर्थव्यवस्था में परिवर्तनकारी बदलावों पर ध्यान केंद्रित करने के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। हम सर्वांगीण विकास की दिशा में काम करना जारी रखेंगे और हर भारतीय के लिए समृद्ध भविष्य सुनिश्चित करेंगे।"

प्रधानमंत्री ने ग्लोबल पार्टनरशिप ऑन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (जीपीएआई) शिखर सम्मेलन का उद्घाटन किया"भारत एआई के जिम्मेदार...
12/12/2023

प्रधानमंत्री ने ग्लोबल पार्टनरशिप ऑन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (जीपीएआई) शिखर सम्मेलन का उद्घाटन किया
"भारत एआई के जिम्मेदार और नैतिक उपयोग के लिए प्रतिबद्ध है"

"इसमें कोई संदेह नहीं है कि एआई परिवर्तनकारी है लेकिन इसे अधिक से अधिक पारदर्शी बनाना हम पर निर्भर है"

"एआई पर भरोसा तभी बढ़ेगा जब संबंधित नैतिक, आर्थिक और सामाजिक पहलुओं पर ध्यान दिया जाएगा"
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नई दिल्ली के भारत मंडपम में ग्लोबल पार्टनरशिप ऑन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (जीपीएआई) शिखर सम्मेलन का उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री ने ग्लोबल एआई एक्सपो का भी अवलोकन किया। जीपीएआई 29 सदस्य देशों के साथ एक बहु-हितधारक पहल है, जिसका लक्ष्य एआई से संबंधित प्राथमिकताओं पर अत्याधुनिक अनुसंधान और व्यावहारिक गतिविधियों का समर्थन करके एआई पर सिद्धांत और व्यवहार के बीच अंतर को पाटना है। भारत 2024 में जीपीएआई का लीड चेयर है।

प्रधानमंत्री ने सभा को संबोधित करते हुए, भारत द्वारा अगले वर्ष जीपीएआई शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता करने पर प्रसन्नता व्यक्त की, जब पूरी दुनिया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बारे में बहस कर रही है। उभरते हुए सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पहलुओं पर ध्यान देते हुए, प्रधानमंत्री ने प्रत्येक राष्ट्र पर निहित जिम्मेदारी पर प्रकाश डाला और एआई के विभिन्न उद्योग के दिग्गजों के साथ बातचीत और जीपीएआई शिखर सम्मेलन के संबंध में चर्चा को याद किया। उन्होंने कहा कि एआई का हर देश पर प्रभाव पड़ा है, चाहे वह छोटा हो या बड़ा। साथ ही, उन्होंने सावधानी के साथ आगे बढ़ने का सुझाव दिया। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने जोर देकर कहा कि जीपीएआई शिखर सम्मेलन में चर्चा मानवता की मूलभूत जड़ों को दिशा देगी और सुरक्षित करेगी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारत एआई प्रतिभा और एआई से संबंधित विचारों के क्षेत्र में अग्रणी है। उन्होंने कहा, भारत में एआई के प्रति उत्साह दिखाई दे रहा है, क्योंकि भारतीय युवा एआई तकनीक का परीक्षण कर रहे हैं और उसे आगे बढ़ा रहे हैं। शिखर सम्मेलन में एआई प्रदर्शनी में दिखाई जा रहे प्रदर्शों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि ये युवा प्रौद्योगिकी के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन लाने की कोशिश कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने हाल ही में लॉन्च किए गए एआई कृषि चैटबॉट के बारे में जानकारी दी जो किसानों को खेती के विभिन्न पहलुओं में मदद करेगा। प्रधानमंत्री ने स्वास्थ्य सेवा और सतत विकास लक्ष्यों के क्षेत्र में एआई के उपयोग पर भी प्रकाश डाला।

इस बात पर जोर देते हुए कि सरकार ने सभी के लिए एआई की भावना के साथ अपनी नीतियों और कार्यक्रमों का मसौदा तैयार किया है, प्रधानमंत्री ने कहा, "भारत का विकास मंत्र 'सबका साथ सबका विकास' है।" उन्होंने कहा कि सरकार सामाजिक विकास और समावेशी विकास के लिए एआई की क्षमताओं का अधिकतम लाभ उठाने का प्रयास करती है, साथ ही इसके जिम्मेदार और नैतिक उपयोग के लिए भी प्रतिबद्ध है। प्रधानमंत्री ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर एक राष्ट्रीय कार्यक्रम शुरू करने और जल्द ही लॉन्च होने वाले एआई मिशन के बारे में जानकारी दी, जिसका उद्देश्य एआई की कंप्यूटिंग शक्तियों को स्थापित करना है। प्रधानमंत्री ने कहा, यह भारत में स्टार्टअप और इनोवेटर को बेहतर सेवाएं प्रदान करेगा तथा कृषि, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा के क्षेत्रों में एआई के इस्तेमाल को भी बढ़ावा देगा। उन्होंने शैक्षिक प्रशिक्षण संस्थानों के माध्यम से एआई से संबंधित कौशल को टियर 2 और 3 शहरों में ले जाने के बारे में भी चर्चा की। एआई पहल को बढ़ावा देने वाले भारत के राष्ट्रीय एआई पोर्टल के बारे में बोलते हुए, प्रधानमंत्री ने एआईआरएडब्ल्यूएटी पहल के बारे में बताया कि कॉमन प्लेटफॉर्म जल्द ही हर अनुसंधान प्रयोगशाला, उद्योग और स्टार्टअप के लिए खुला होगा।

एआई के महत्व पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि एआई नए भविष्य को गढ़ने का सबसे बड़ा आधार बन रहा है। चूंकि एआई लोगों को जोड़ सकता है, यह न केवल आर्थिक विकास सुनिश्चित करता है बल्कि समानता और सामाजिक न्याय भी सुनिश्चित करता है। उन्होंने एआई को और अधिक समावेशी बनाने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा, “एआई की विकास यात्रा जितनी अधिक समावेशी होगी, परिणाम भी उतने ही अधिक समावेशी होंगे।” उन्होंने कहा कि पिछली शताब्दी में प्रौद्योगिकी तक असमान पहुंच के कारण समाज में असमानता और अधिक बढ़ गई। प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे बचने के लिए, प्रौद्योगिकी को समावेशन गुणक बनाने के लिए लोकतांत्रिक मूल्यों की उपेक्षा नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने कहा, “एआई विकास की दिशा पूरी तरह से मानवीय और लोकतांत्रिक मूल्यों पर निर्भर करेगी। यह हम पर निर्भर है कि हम कार्यकुशलता के साथ-साथ भावनाओं, प्रभावशीलता के साथ-साथ नैतिकता को भी जगह दें।”

प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि किसी भी प्रणाली को टिकाऊ बनाने के लिए उसे परिवर्तनकारी, पारदर्शी और विश्वसनीय बनाना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, "इसमें कोई संदेह नहीं है कि एआई परिवर्तनकारी है लेकिन इसे अधिक से अधिक पारदर्शी बनाना हम पर निर्भर है।" उन्होंने कहा कि इस्तेमाल किए जा रहे डेटा को पारदर्शी और पूर्वाग्रह से मुक्त रखना एक अच्छी शुरुआत होगी। श्री मोदी ने यह भी कहा कि सभी देशों को यह आश्वस्त करना जरूरी है कि एआई की विकास यात्रा में कोई भी पीछे नहीं रहेगा। एआई पर भरोसा तभी बढ़ेगा जब संबंधित नैतिक, आर्थिक और सामाजिक पहलुओं पर ध्यान दिया जाएगा। उन्होंने कहा, ऐसा करने का एक तरीका अप-स्किलिंग और री-स्किलिंग को एआई ग्रोथ कर्व का हिस्सा बनाना है। वैश्विक दक्षिण में डेटा सुरक्षा और आश्वासन भी कई चिंताओं को दूर करेंगे।

प्रधानमंत्री ने एआई के नकारात्मक पहलुओं की ओर ध्यान खींचते हुए कहा कि भले ही इसमें 21वीं सदी में विकास का सबसे मजबूत उपकरण बनने की क्षमता है, लेकिन यह इसके विनाश में भी अपनी भूमिका निभा सकता है। डीपफेक, साइबर सुरक्षा, डेटा चोरी और आतंकवादी संगठनों द्वारा एआई उपकरणों पर हाथ डालने की चुनौतियों की ओर इशारा करते हुए, प्रधानमंत्री श्री मोदी ने जवाबी उपायों की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने भारत की जी20 अध्यक्षता के दौरान जिम्मेदार मानव-केंद्रित एआई शासन के लिए एक रूपरेखा बनाने के भारत के प्रस्ताव पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जी-20 नई दिल्ली घोषणा ने 'एआई सिद्धांतों' के प्रति सभी सदस्य देशों की प्रतिबद्धता की पुष्टि की है। उन्होंने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर समझौतों और प्रोटोकॉल की तरह एक साथ काम करने व एआई के नैतिक उपयोग के लिए एक रूपरेखा तैयार करने पर जोर दिया, जिसमें उच्च जोखिम वाले या सीमांत एआई उपकरणों का परीक्षण और विकास शामिल है। प्रधानमंत्री ने दृढ़ विश्वास, प्रतिबद्धता, समन्वय और सहयोग की आवश्यकता पर जोर देते हुए पूरी दुनिया से इस दिशा में एक क्षण भी बर्बाद न करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “हमें वैश्विक ढांचे को एक निश्चित समय-सीमा के भीतर पूरा करना होगा। मानवता की रक्षा के लिए ऐसा करना बहुत जरूरी है।”

एआई को एक विश्वव्यापी अभियान बताते हुए प्रधानमंत्री ने सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने एआई उपकरणों के परीक्षण और प्रशिक्षण के लिए डेटा सेट, किसी भी उत्पाद को बाजार में जारी करने से पहले परीक्षण की अवधि जैसे कुछ प्रश्न सुझाए, जिन्हें एआई की विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए हल करने की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी पूछा कि क्या किसी सूचना या उत्पाद को एआई-जनरेटेड के रूप में चिह्नित करने के लिए एक सॉफ्टवेयर वॉटरमार्क पेश किया जा सकता है।

सरकार में हितधारकों को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने उनसे साक्ष्य-आधारित निर्णय लेने के लिए विभिन्न योजनाओं के डेटा का पता लगाने और यह देखने के लिए कहा कि क्या डेटा का उपयोग एआई उपकरणों को प्रशिक्षित करने के लिए किया जा सकता है। उन्होंने पूछा कि क्या कोई ऑडिट तंत्र हो सकता है जो एआई उपकरणों को उनकी क्षमताओं के अनुसार लाल, पीले या हरे रंग में वर्गीकृत कर सके। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा, “क्या हम एक संस्थागत तंत्र स्थापित कर सकते हैं जो पर्याप्त रोजगार सुनिश्चित करता है? क्या हम मानकीकृत वैश्विक एआई शिक्षा पाठ्यक्रम ला सकते हैं? क्या हम लोगों को एआई-संचालित भविष्य के लिए तैयार करने के क्रम में मानक निर्धारित कर सकते हैं?”

भारत में सैकड़ों भाषाओं और हजारों बोलियों का जिक्र करते हुए, प्रधानमंत्री ने डिजिटल समावेशन को बढ़ाने के लिए स्थानीय भाषाओं में डिजिटल सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए एआई का उपयोग करने का सुझाव दिया। उन्होंने उन भाषाओं को पुनर्जीवित करने जो अब बोली नहीं जाती हैं, संस्कृत भाषा के समृद्ध ज्ञान आधार और साहित्य को आगे ले जाने और वैदिक गणित के लुप्त संस्करणों को फिर से जोड़ने के लिए एआई का उपयोग करने का भी सुझाव दिया।

संबोधन का समापन करते हुए, प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि जीपीएआई शिखर सम्मेलन विचारों के आदान-प्रदान का एक उत्कृष्ट अवसर और प्रत्येक प्रतिनिधि के लिए सीखने का एक महत्वपूर्ण अनुभव साबित होगा। प्रधानमंत्री ने अंत में कहा, “अगले दो दिनों में, आप एआई के विभिन्न पहलुओं पर गौर करेंगे। मुझे उम्मीद है कि इसके लागू होने के फलस्वरुप, निश्चित रूप से एक जिम्मेदार और टिकाऊ भविष्य के निर्माण का मार्ग प्रशस्त होगा।”

इस अवसर पर केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स, सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव, केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स, सूचना और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री श्री राजीव चन्द्रशेखर, जीपीएआई के निवर्तमान अध्यक्ष और जापान सरकार के नीति समन्वय, आंतरिक और संचार मंत्रालय के उप-मंत्री श्री हिरोशी योशिदा और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव श्री एस कृष्णन एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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07/10/2023

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04/12/2022
29/11/2022

जय राजपुताना

27/11/2022
03/11/2022
23/09/2022

#राजा_महेंद्र_प्रताप_सिंह की विश्व में अनोखी विशेषताये*
1- खुद जाट धर्म से ,गुरु मौला जट्ट,पत्नी जट्ट सिक्ख
2- संसार के पहले राजा जिसने अपनी सारी संपत्ति तकनीकी शिक्षा के प्रेम महाविद्यालय को दान में दी ।
3- वर्तमान सृष्टि का लगभग 32 वर्षो का सबसे लंबा अज्ञात वास्
4- संसार का पहला व्यक्ति जिसकी बेटी ने इसीलिये विवाह नहीं किया क्योंकि उसका प्रण था कि जब तक मेरे पिताजी वापिस नहीं आएंगे तब तक में शादी नहीं करुँगी ।
जब पिता वापस स्वदेश आये तो इनकी पुत्री भक्ति देवी की आयु शादी से निकल चुकी थी जो आजीवन अविवाहित रही ।
5- भारतवर्ष की गुलामी की अवधि 1235 वर्ष से ज्यादा के इतिहास में राजा साहब पहले व्यक्ति थे जिन्होंने 1 दिसम्बर 1915 को अफगानिस्तान में अस्थाई हिन्द सरकार बनाई यह भारत के पहले राष्ट्रपति बने और बरकतुल्लाह खां को प्रधानमंत्री बनाया ।
6- सन 1929 में अफगानिस्तान में आजाद हिंद सेना की स्थापना की जिसे रास बिहारी बोस व् सुभाष चंद्र बोस ने पुनर्जीवित किया ।
7- संसार संघ (यू.एन.ओ.) की स्थापना सितंबर 1929 में करने वाले पहले व्यक्ति
8 - जापान के सहयोग तो कबूल किया लेकिन नेतृत्व लेने से साफ मना करने वाले महामानव राजा साहब ही है ।
10- विश्व सेना का विचार देने वाले विश्व के पहले व्यक्ति
11- जापान सरकार ने इन्हें मार्को पोलो की उपाधि से सम्मानित किया ।
12- भारतवर्ष का पहला राजा व् व्यक्ति जिसने चीन की संसद में भाषण दिया ।
13- भारतवर्ष का पहला राजनेता जिन्हें तीन बार धोखे से विष दिया गया और अपनी दृढ इच्छा से तीनों बार बच गए ।
14- 1932 में स्वीडन की सरकार ने नोबल पुरस्कार के लिए चुना ।
किंतु ब्रिटिश सरकार,कांग्रेस की चुप्पी व् उनकी नागरिकता पर जवाब न दिये जाने के कारण नोबल पुरस्कार निरस्त हो गया

 #हाइफा_दिवस_राजपूतो_की_शौर्यगाथा :-मित्रो आज 23 सितंबर है, और ये कोई आम दिन नही है, आज ही के दिन करीब 102 साल पहले भारत...
23/09/2022

#हाइफा_दिवस_राजपूतो_की_शौर्यगाथा :-

मित्रो आज 23 सितंबर है, और ये कोई आम दिन नही है, आज ही के दिन करीब 102 साल पहले भारत के रणबाकुरों ने इजरायल को आजादी दिलाई थी.

दोस्तो आज हम आपको ऐसे युद्ध के बारे में बताएंगे, जिससे हर भारतवासी का सीना गर्व से चौड़ा हो जाएगा, ये युद्ध कोई आम युद्ध नही था, इस युद्ध के बाद दुनिया भर में इस युद्ध मे किये गए शौर्य की चर्चा आज तक होती है.

वो अलग बात है, की भारत मे ये इतिहास गायब है, पर इस युद्ध के चर्चे आपको इजरायल और बिर्टिश इतिहास की किताबो में आज भी मिल जाएंगे.

बिर्टिश इतिहासकारों व रक्षा विशेषज्ञों ने यंहा तक कहा है, की ऐसा युद्ध ना तो आज तक हुआ, और ना कभी होगा .

सबसे बड़ी बात ये युद्ध भारत मे नही बल्कि सात समुंदर पार हुआ था, लेकिन उस युद्ध मे महागाथा, भारतीय रणबाकुरों ने लिखी थी.

इस युद्ध की सबसे अदभुद बात ये थी, की जंहा हाइफा पर पहले से कब्जा जमाये हुए, ऑटोमन्स सेना के पास मशीनगन- तोपो जैसे हथियार थे और भारत के रणबाकुरों के पास सिर्फ उनके बफादार घोड़े और तलवारे थी.

मतलब तलवारों और घोड़ो का मुकाबला सीधा मशीनगन और टोपोन से था, वो भी एक अंजान जगह.

बात प्रथम विश्वयुद्ध की है जब, 7 समुन्द्र पार आज का इजरायल देश पर ऑटोमन्स सेना का कब्जा था, ऑटोमन्स सेना में जर्मनी - हंगरी-ऑस्ट्रिया जैसे देश सम्मलित थे. और इस सेना ने पिछले 400 साल से इजरायल के मुख्य शहर हाइफा जो समुन्द्र के किनारे बसा है उस पर अधिकार किया हुआ था,

इसको छुड़ाने के किये बिर्टिश सेना ने बहुत प्रयाश किये, पर हर बार शिकस्त ही मिली.

इसके बाद ब्रिटिश अधिकारियों ने भारत की घुड़सवार सेना से मदद ली, उन्होंने जोधपुर महाराज सर प्रताप सिंह से इस युद्ध के लिये देश की सबसे ताक़तभर घुड़सवार सेना, जोधपुर लांसर को भेजने की बात कही.

आगे युद्ध मे जो हुआ उसको आप इन कम व सरल शव्दों में समझिये.

सबसे बड़ी बात ये जंग प्रथम विश्वयुद्ध में राजपूत रणबाकुरों व ऑटोमन्स सेना के बीच लड़ी गयी थी.

इसी युद्ध की बजह से इजरायल आज भी अहसान मानता है,जोधपुर लांसर के राजपूत रणबाकुरों का. जिससे आज भारत और इजरायल के रिश्ते इतने मजबूत हैं.

ये विश्व की पहली और आखिरी जंग थी, जिसमे तलवार भालो से सज्जित घुड़सवार सेना का मुकाबला, ऑटोमन्स सेना की मशीनगन और तोपो से था.

एक वाक्या का जिक्र आज भी आता है, जब बिर्टिश अधिकारी ने मेजर दलपतसिंह शेखवात से कहा, की आप तलवारों से आटोमन्स सेना का मुकाबला नही कर सकते है, इसलिए आपको युद्ध नही लड़ना चाहिए, तो दलपत सिंह ने कहा था, हम राजपूताने के रणबाकुरे हैं, एक बार युद्ध के मैदान में आने के बाद बापस नही जा सकते, अब जो होगा वो युद्ध करके ही होगा.

भारतीय सेना का नेतृत्व मेजर ठाकुर दलपत सिंह शेखावत कर रहे थे.

दुनिया मे राजपूतो से बेहतर और बहादुराना कैवेलरी चार्ज कोई नही कर सकता और राजपूतो में भी मारवाड़ के राजपूत से बहादुर कैवेलरी चार्जर नही हुए। ये संयोग ही है कि दुनिया के आखिरी सफल और बहादुर कैवेलरी चार्ज भी इसी मारवाड़ के सबसे एलीट जोधपुर लांसर्स के नाम है। मैसूर लांसर सहयोगात्मक रोल में थी।

सिर्फ 1 घण्टे में मारवाड़ी राजपूत शेरो ने 400 साल से गुलाम हाइफा शहर को दुश्मनों से आजाद करा लिया था.

इस युद्ध मे 900 भारतीय सैनिक व 60 घोड़े वीरगती को प्राप्त हुए थे.

इन्ही की याद में दिल्ली में हाइफा चौक का निर्माण किया गया है.

भारतीय सेना ने करीब 1350 ऑटोमन्स सैनिक व 36 अधिकारी बंधक बनाए थे.

आज भी इस युद्ध की याद में इजरायल में हाइफा डे मनाया जाता, है जिसमे भारत से भी शहीदों के परिवार जन या जोधपुर राज्य के वर्तमान महाराज गज सिंह जी श्रद्धांजलि देने जाते हैं.

व्रिटिश इतिहासकारों का कहना है कि ऐसी शौर्यपूर्ण जंग ना तो पहले कभी लड़ी गयी, और ना ही लड़ी जाएगी. राजपूतो के इस शौर्य ने वहादुरी का एक नया आयाम लिखा था.

आज हम भी इतिहास के सबसे बड़े सूरमाओं को इस हाइफा दिबस पर नमन करते हैं...

जय हिंद ।।

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