29/11/2020
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कर्जनी -रत्ती -गुंजा को जाने
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सुमन सिंह indiabol
जंगल झाड़ी बग़ानो में लत्तर से निकले ये फलियाँ मामूली नही बल्कि बहुत कुछ है । आइए आपको बताते है नज़दीक से समझाते है ।
ये हैं 'रत्ती के दाने' जिनसे कभी सोना-जवाहर मापा जाता था और यहीं से निकला था मुहावरा, 'रत्ती भर'
भारतीय घरों में जहां हिंदी बोली जाती है, वहां इस लाइन का बड़ा इस्तेमाल होता है... 'रत्ती भर'. आपने कई लोगों के मुंह से यह सुना होगा भी होगा या ख़ुद भी बोला होगा. जैसे किसी पर गुस्सा करते हुए हम कह देते हैं, 'रत्ती सी भी शर्म नहीं आई'. लेकिन, शायद ही हमने इस शब्द, 'रत्ती' के मायने ढूंढने की कोशिश की होगी.
कई लोगों ने अपने आप रत्ती का अर्थ 'ज़रा' या 'थोड़ा' निकाल लिया होगा. लेकिन, असल में 'रत्ती' इससे बिलकुल अलग होती है.
सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि फली की आयु कितनी भी क्यों ना हो उसके अंदर उपस्थित बीजों का वजन हमेशा एक समान रहता है. एक मिलीग्राम का भी फर्क नहीं होता. ठोस मान्यता है कि इंसान द्वारा बनाई गई मशीन है एक बार ग़लती कर सकती हैं परंतु प्रकृति द्वारा निर्धारित किए गए गुंजा नामक पौधे के बीज 'रत्ती' का वज़न कभी परिवर्तित नहीं हो सकता. वज़न मापने की मॉडर्न मशीन के अनुसार, 1 रत्ती लगभग 0.121497 ग्राम की होती है.
कहा यह भी जाता है कि रत्ती के पत्ते चबाने से मुंह के बुरे से बुरे छाले भी ठीक हो जाते हैं. इसकी जड़ भी सेहत के लिए अच्छी होती है. कई लोग रत्ती/ गुंजा की माला भा पहनते हैं. कहा जाता है कि यह Positivity के लिए अच्छी होती है.
कुछ दिनों पहले जब मुझे यह दाने दिखे, तो मैंने इनके बारे में जांच-पड़ताल करने की सोची. सामने आया कि पुराने समय में माप का कोई तय पैमाना न होने की वजह से 'रत्ती' का इस्तेमाल सोने या बाकी ज़ेवरात का भार मापने के लिए होता था. और वहीं से 7 रत्ती सोना या मोती माप के चलन की शुरुआत हुई. ऐसा सिर्फ़ भारत में नहीं, बल्कि पूरे एशिया महाद्वीप में हो रहा था. और अभी तक रत्ती के वज़न मापन को किसी भी आधुनिक यंत्र से बढ़िया, ज़्यादा विश्वसनीय माना जाता है. इस बात की पुष्टि आपके जानने वाला कोई सुनार-जौहरी भी कर देगा.
रत्ती के पौधे को 'गूंजा' कहा जाता है. इसी के अंदर मटर जैसी फली में रत्ती के दाने होते हैं.
सोना मापने के लिए होता था रत्ती का इस्तेमाल
जितनी हैरानी आपको यह तस्वीर देख कर हो रही है, उतनी ही मुझे भी हुई थी, जब मैंने इसे पौधे पर लगे देखा था. रत्ती दरअसल एक पौधा है और रत्ती के दाने लाल-काले रंग के रंग के होते हैं. छूने में किसी बीड या मोती की तरह हार्ड होते हैं और पूरी तरह पकने के बाद पेड़ से झड़ जाते हैं. यह ज़्यादातर पहाड़ी और ऊंचे इलाके पर ही पाए जाते हैं.
लाल रंग के गुंजा पर काला दाग होता है, इसकी बेल होती है, इसके पत्ते बारीक़ और लम्बे होते है। लाल गुंजा माला पर विशेष रूप से मां लक्ष्मी की कृपा बरसती है। लाल गुंजा समृद्धि और शांति का प्रतीक है।
लाल गुंजा में औषधीय गुण होते है, कहते हैं कि लाल गुंजा के मोती स्वयं ही अपने स्वामी को चुनते हैं। यह मोती कभी भी किसी बेईमान व्यक्ति के साथ नहीं रहते।
लाल गुंजा माला के लाभ
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लाल गुंजा माला को अपने पास रखने से व्यक्ति को किसी भी तरह की शारीरिक हानि नहीं होती है। साहस तथा पराक्रम में वृद्धि होती है।
लाल गुंजा माला के शुभ प्रभाव से भाग्य में वृद्धि होती है। घर में सुख-शांति का आगमन होता है।
लाल गुंजा माला को धारण करने और इसका प्रयोग करने से धन की प्राप्ति होती है और धन आगमन के मार्ग प्रशस्त होते हैं।
व्यापार में वृद्धि के लिए भी लाल गुंजा माला प्रभावकारी है। नौकरी व्यवसाय में आनेवाली रूकावटे भी इस गुंजा के प्रभाव से ख़त्म होती है।
कर्ज से मुक्ति पाने के लिए इस माला को अवश्य धारण करना चाहिए ।
कैसे करें प्रयोग
लाल गुंजा माला को स्थापित करने से पहले इस माला को अपने हाथ में लेकर ध्यान करें। उन चीज़ों के बारे में सोचें जो आप इस माला में संचारित या इससे प्राप्त करना चाहते हैं। तत्पश्चात माता लक्ष्मी का स्मरण करते हुए इस माला को धारण करे।
अपने गले में जरुर पहनें ये चमत्कारी माला, रंग बदलकर आने वाली मुसीबतों का देती है संकेत
गुंजा का प्रयोग तांत्रिकों के उपयोग में आता है। तांत्रिक अघोड़ कहते हैं की गुंजा का उपयोग दीपावली, ग्रहण काल, होली, पूर्णिमा, अमावस्या पर करना सबसे ज्यादा प्रभावकारी होता है। गुंजा में बहुत ही ज्यादा आकर्षक शक्तियां होती है। जिससे की वयक्ति को अपनी ओर आकर्षित किया जा सकता है। कभी सोने की तौल में उपयोग की जाने वाली गुंजा यानी गुंचू के बीजों में बहुत ही गजब की वशीकरण शक्ति होती है। इसके उपयोग से दुश्मनों को वश में किया जा सकता है। गुंजा का प्रयोग प्राचीन काल से तांत्रिक क्रियाओं में किया जा रहा है।
दोनों गुंजा, वीर्यवर्द्धक (धातु को बढ़ाने वाला), बलवर्द्धक (ताकत बढ़ाने वाला), ज्वर, वात, पित्त, मुख शोष, श्वास, तृषा, आंखों के रोग, खुजली, पेट के कीड़े, कुष्ट (कोढ़) रोग को नष्ट करने वाली तथा बालों के लिए लाभकारी होती है। ये अन्यंत मधूर, पुष्टिकारक, भारी, कड़वी, वातनाशक बलदायक तथा रुधिर विकारनाशक होता है। इसके बीज वातनाशक और अति बाजीकरण होते हैं। गुन्जा से वासिकर्न भि कर सक्ते ही यदि आपको नजरदोष की दिक्कत है और आपको बार-बार नजर लग जाती है तो आप गुंजा का ब्रेसलेट पहल लें, इससे नज़र नहीं लगती है।
2. शायद आप ये बात नहीं जानते होंगे की गुंजा आप पर आने वाली मुसीबतों का संकेत देता है। जब भी व्यक्ति पर कोई मुसीबत आने वाली होती है तो इसका रंग अपने आप ही बदलने लगता है। काली गुंजा की माला पहनकर रखने से जैसे ही मुसीबत आने वाली होती है, उसका रंग बदलने लगता है। इससे व्यक्ति को आने वाली समस्याओं का पहले से ही पता लग जाता है।
3. तांत्रिक क्रियाओं में काम आने वाले गुंजा को पहनकर आप अपने दुश्मन को शांत व वश में कर सकते है। किसी को वश में करने के लिए गंजा का प्रयोग कैसे किया जाता है आइए जानते हैं...
4. अगर कोई स्त्री और पुरुष अपने पति या पत्नी को अपने कहने अनुसार काम करवाना चाहते हैं तो आप गुंजा का उपयोग कर सकते हैं। जी हां, इसके लिए आपको पति का नाम अन्यथा पत्नी का नाम लेकर मिट्टी के एक दीपक में शहद डालकर उसमें गुंजा के पांच दाने डालकर रख दें।
5. अभिमंत्रित किए हुए गुंजा के दानों को रूमाल में बांधकर उस व्यक्ति के कपड़ों में रख दें जिसे आप वश में करना चाहते हैं। व्यक्ति पर वशीकरण का प्रभाव होने लगेगा।
6. लाल और काले गुंजा की माला को पहनकर उस व्यक्ति के पास जाएं और अपने गले से माला उतारकर जिसे आप अपने वश में करना चाहते हैं उसके गले में पहना दें। माला पहनने के कुछ समय बाद ही व्यक्ति आपके वश में हो जाएगा। इन उपायों को करने से पहले आप किसी जानकार से सलाह जरुर लें, इसके साथ ही ये बात ध्यान रखें की किसी बुरी नियती से इसका प्रयोग ना करें।
गुंजा या रत्ती (Coral Bead) लता जाति की एक वनस्पति है। शिम्बी के पक जाने पर लता शुष्क हो जाती है। गुंजा के फूल सेम की तरह होते हैं। शिम्बी का आकार बहुत छोटा होता है, परन्तु प्रत्येक में 4-5 गुंजा बीज निकलते हैं अर्थात सफेद में सफेद तथा रक्त में लाल बीज निकलते हैं। अशुद्ध फल का सेवन करने से विसूचिका की भांति ही उल्टी और दस्त हो जाते हैं। इसकी जड़े भ्रमवश मुलहठी के स्थान में भी प्रयुक्त होती है।
गुंजा गुंजा दो प्रकार की होती है।
विभिन्न भाषाओं में नाम
अंग्रेजी- Bead
हिन्दी- #गुंजा, चौंटली, घुंघुची, रत्ती
संस्कृत - #सफेद केउच्चटा, कृष्णला, रक्तकाकचिंची
बंगाली - #श्वेत कुच, लाल कुच
मराठी - #गुंज
गुजराती - #धोलीचणोरी, राती, चणोरी
तेलगू - #गुलुविदे
फारसी - #चश्मेखरुस