#new #comingsoon #lakadbagha
***इस महीने की प्रतियोगिता***
क्या आप इस पोस्ट में जोड़े गये वीडियो के आधार पर साहित्य विमर्श द्वारा प्रकाशित अगली किताब का नाम गेस कर सकते हैं? 15 जून रात्रि 8 बजे तक प्राप्त सभी सही जवाबों को नई किताब की लेखक द्वारा हस्ताक्षरित प्रति पुरस्कार स्वरूप प्रदान की जाएगी. अपने उत्तर में साहित्य विमर्श प्रकाशन को टैग अवश्य करें.
नोट: साहित्य विमर्श के सदस्य इस प्रतियोगिता में भाग लेने के अधिकारी नहीं हैं..
संतोष पाठक, एक ऐसे लेखक हैं, जिन्होंने बहुत कम समय में अपराध साहित्य लेखन के क्षेत्र में अपनी गहरी छाप छोड़ी है।
लेखन के प्रति पूर्णतया प्रतिबद्ध संतोष पाठक की लेखनी बुलेट ट्रेन की स्पीड कोभी मात करती प्रतीत होती है।
साहित्य विमर्श प्रकाशन और संतोष पाठक का रिश्ता काफी पुराना है... और हमें गर्व है कि हम उनकी लेखनी के एक मील के पत्थर का साथी बनने वाले हैं।
साथियो, हमें बताते हुए खुशी हो रही है कि संतोष पाठक के पचासवें उपन्यास मृगतृष्णा के साथ-साथ महाभारत त्रयी के अन्य दो उपन्यासों चक्रव्यूह और कुरुक्षेत्र के पेपर बैक संस्करण का प्रकाशन एक संग्रहणीय बॉक्स सेट के रूप में साहित्य विमर्श करने जा रहा है।
आशा है इस आयोजन को आपके द्वारा वही प्यार मिलेगा जो कि अब तक उनके उपन्यासों को मिलता रहा है।
उपन्यासों के रिलीज डेट की घोषणा हम जल्द ही करेंगे। पेज पर नजर बनाए रखिये
संतोष पाठक, एक ऐसे लेखक हैं, जिन्होंने बहुत कम समय में अपराध साहित्य लेखन के क्षेत्र में अपनी गहरी छाप छोड़ी है।
लेखन के प्रति पूर्णतया प्रतिबद्ध संतोष पाठक की लेखनी बुलेट ट्रेन की स्पीड कोभी मात करती प्रतीत होती है।
साहित्य विमर्श प्रकाशन और संतोष पाठक का रिश्ता काफी पुराना है... और हमें गर्व है कि हम उनकी लेखनी के एक मील के पत्थर का साथी बनने वाले हैं।
साथियो, हमें बताते हुए खुशी हो रही है कि संतोष पाठक के पचासवें उपन्यास मृगतृष्णा के साथ-साथ महाभारत त्रयी के अन्य दो उपन्यासों चक्रव्यूह और कुरुक्षेत्र के पेपर बैक संस्करण का प्रकाशन एक संग्रहणीय बॉक्स सेट के रूप में साहित्य विमर्श करने जा रहा है।
आशा है इस आयोजन को आपके द्वारा वही प्यार मिलेगा जो कि अब तक उनके उपन्यासों को मिलता रहा है।
उपन्यासों के रिलीज डेट की घोषणा हम जल्द ही करेंगे। पेज पर नजर बनाए रखिये
मैं अखिल ब्रह्मांड हूँ…शून्य भी मैं ही हूँ।
मैं ही चल अचल सृष्टि में व्याप्त…मैं ही कण-कण में विराजमान हूँ।
मैं ही जीवन का सार…मैं ही मृत्यु का तांडव हूँ।
मैं ही धरती से फूटा अंकुर…मैं ही महाप्रलयंकारी झंझावात हूँ।
मैं ही मुरली की मधुर तान…मैं ही ज्वालामुखी की अग्नि हूँ।
मैं ही मंच, मैं ही कलाकार, मैं ही नियंता हूँ।
मैं ही पवन, मैं ही अनल हूँ, मैं ही जल, मैं धरती हूँ, मैं ही आकाश हूँ।
मैं ही विष्णु हूँ…मैं ही कृष्ण हूँ।
परंतु आज…आज न तो मैं कृष्ण हूँ, न माधव, न मुरलीधर, न द्वारकाधीश और न ही अर्जुन का सारथी।
आज तो मैं मात्र अपनी माँ देवकी का आठवाँ पुत्र…कान्हा हूँ।
उस माँ का पुत्र जिसे मेरे जन्म से कई वर्ष पूर्व ही मेरी मृत्यु की चेतावनी दे दी गयी थी।
वह माँ जिसने अपने सात पुत्रों की मृत्यु के उपरांत भी मुझे जन्म दिया। आप सोचते होंगे कि मैंने सात पुत्र क्यों कहा! वह इसलि
खजानपुर में ऐसा कौन था जो हज़ारा पिटारा को नहीं जानता था। क्या आप उन्हें जानते हैं?
क्या कहा नहीं?
चलिए कोई नहीं, हम मिलवाते हैं आपको। देखिए ये विडिओ और जानिए कौन हैं हज़ारा सिंह और पिटारा सिंह और क्यों खजान पुर में उनके चर्चे हैं।
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