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09/04/2024

Holi day-1

14/03/2024

Zero Se Hero

30/01/2024

Little master 😝😄

20/01/2024

Happy new year 🎉🎊🎇

“2024 में अपने दिल की आवाज़ सुनो, ख्वाबों की उड़ान भरो, ज़िंदगी को हँसी का तोहफा दो, खुद को चुनो और हर पल जीओ!”🥳🥳🎂🎂🎂🥳🥳🥳🥰...
01/01/2024

“2024 में अपने दिल की आवाज़ सुनो, ख्वाबों की उड़ान भरो, ज़िंदगी को हँसी का तोहफा दो, खुद को चुनो और हर पल जीओ!”
🥳🥳🎂🎂🎂🥳🥳🥳🥰🧜‍♂️

चांदनी लहरें, खुशियों के झोंके, नया साल आया है बांहें खोलके, हकीकत में बदलें हर ख्वाब, मुबारक हो आपको 2024 का आगाज!
Happy New Year 2024 🥳🎉

07/12/2023

Deepawali Vlog🥳🙏

20/11/2023

Khaatu shyam mandir

28/08/2023

Statue of Unity in India

01/08/2023

Dubaki in Narmada River Gujarat

12/07/2023

Mussoorie Lake in mussoorie

20/06/2023

My daily routine

15/06/2023

Photos 2022-23

05/06/2023

India Gate night vlog

03/06/2023

My Friend Gopal Marriage

30/05/2023

Jantar Mantar Delhi | जंतर मंतर दिल्ली

16/05/2023

Masoori 2nd short trip

31/03/2023

होली पर गांव में चौथा दिन

29/03/2023

गांव में होली पर तीसरा दिन

17/03/2023

गांव में होली पर पहला दिन

13/03/2023

पंच इंद्रीय उद्यान या गार्डन ऑफ़ फ़ाइव सेन्सेज़ नामक उद्यान दिल्ली के दक्षिणी क्षेत्र में सैदुलाजाब गांव के पास स्थित है। यह महरौली और साकेत के बीच में पड़ता है। यह उद्यान दिल्ली पर्यटन एवं परिवहन विकास निगम द्वारा विकसित किया गया है। दिल्ली के एक प्राचीन पुरातात्विक धरोहर परिसर के पास गाँव के पास २० एकड में बनाया गए इस उद्यान में २०० से भी अधिक प्रकार के मोहक एवं सुगंधित पौधों के बीच २५ से ज्यादा मृत्तिका एवं शैल शिल्प बने हैं। रूप, रंग, गंध, ध्वनि एवं स्वाद की तृप्ति के लिए बना इस उद्यान का शांत, नीरव एवं मनमोहक परिसर प्रेमी युगल के बीच खासा लोकप्रिय है।

दिल्ली पर्यटन एवं परिवहन विकास निगम द्वारा फरवरी २००३ में इस उद्यान की स्थापना दिल्ली की पहली स्थापित राजधानी महरौली के पास किया गया। राजपूत राजा पृथ्वीराज चौहान द्वारा बनवाए गए किला राय पिथौरा के अवशेषों के निकट लगभग २० एकड भूमि पर इस उद्यान को भव्य तरीके से बसाया गया है। महरौली-बदरपुर रोड पर स्थित साकेत मेट्रो स्टेशन से उद्यान की दूरी १ किलोमीटर दक्षिण है। मन को मोहित करनेवाले इस खास उद्यान को जनता के सैर-सपाटे के अलावे सामूहिक कार्यक्रम एवं गतिविधियों के लिए बसाया गया है। उद्यान पहुँचने के लिए सबसे सुगम साधन जहाँगीरपुरी- कश्मीरी गेट- हूडा सिटी सेन्टर मेट्रो लाईन की ट्रेनें है। निकटतम स्टेशन साकेत है। बदरपुर-मेहरौली-गुरगाँव रूट पर चलनेवाली अगणित सवारियों से भी यहाँ आसानी से पहुँचा जा सकता है। मेट्रो स्टेशन के बगल से दक्षिण जाने वाली सडक पर किला राय पिथौरा की मोटी दिवार के साथ लगभग १ किलोमीटर चलकर यहाँ पहुँच सकते हैं।

उद्यान खुलने का समय ९ बजे से है। अप्रैल से सितम्बर माह के बीच यह शाम ७ बजे तक एवं अक्टुबर से मार्च में शाम ६ बजे तक खुला रहता है। व्यस्क तथा बच्चे एवं बुढों के लिए प्रवेश शुल्क क्रमश: २० रुपए एवं १० रूपए हैं। विकलांगों के लिए प्रवेश नि:शुल्क है। दृश्य फिल्मांकन एवं फोटोग्राफी के लिए भी कोई शुल्क देय नहीं है। गाडियों की पार्किंग के लिए यहाँ समुचित व्यवस्था है। लेकिन, सालाना आयोजित होने वाले दो-दिवसीय पुष्प-मेले एवं बागवानी-प्रदर्शनी के दौरान गाडियों की पार्किंग में खासी मशक्कत करनी पडती है।

जैसा कि इस उद्यान का नाम रखा गया है- यह शरीर की पाँचों ज्ञानेन्द्रियों (आँख, कान, नाक, त्वचा एवं जीभ) की तृष्णा को समर्पित है। उद्यान का मोहक-दृश्य, फूलों के सुगंध, बेहतरीन कलाकृतियों का स्पर्श, पत्तियों की सरसराहट एवं घंटियों की ध्वनि और उत्तम व्यंजनों का आस्वादन हर व्यक्ति के नेत्र, नसिका (नाक), त्वचा, श्रवन-रंध्र (कान) एवं जीभ को किसी हद तक तृप्त करने में सक्षम है। प्रवेश के बाद उद्यान का पहला हिस्सा पत्थर एवं टेराकोट्टा से बनी कलाकृतियों से बना है। राजस्थानी फाड् शिल्पकलाएँ, मृदभांड एवं टेराकोट्टा की बनी कलाकृतियों का आप स्पर्श कर सकते हैं। इसी हिस्से में कलाकारों का एक खंड भी है। आगे, उद्यान को दो भागों में बनाया गया है। मुगल-गार्डेन की तर्ज पर बना खास-बाग की विशेषता छोटे नहर, तलाब एवं घुमावदार रास्तों एवं सीढियों के किनारे लगाए गए मोहक एवं सुगंधित पौधे हैं। ये सुंदर पुष्प आँख एवँ नाक को अपने वश में करने में सक्षम हैं। उद्यान के दूसरे हिस्से में नील-बाग है जहाँ छोटे-छोटे तलाबों में खिलता कमल, कुमुदिनी, लताएँ एवं खास किस्म की झाडियाँ है। उद्यान के बीचोंबीच एक छोटे से तलाब के पास बना स्टील का बना फव्वारा-वूक्ष भी खास है। इसमें लगी घंटियाँ एवं झाडियों के बीच चिडियों की चहचहाट कर्ण प्रिय लगते हैं। खास पौधों के खंड में मुश्किल से नजर आने वाले कुछेक वृक्ष जैसे- कल्प वृक्ष, अर्जुन, रूद्राक्ष, कदम्ब, कर्पूर, सागवान, खास किस्म के कैक्टस एवं बांस एवं दुर्लभ जडी-बुटियाँ यहाँ देखी जा सकती है। उद्यान के उत्तरी छोड़ पर एक रेस्तरां तथा कुछेक फूड-स्टाल है जहाँ अच्छे भोजन का स्वाद लिया जा सकता है। उद्यान का एक खंड सौर ऊर्जा के लिए समर्पित है।
उद्यान में कुछेक फूड्-स्टाल एवं एक रेस्तरां तथा जन-सुविधाएँ उपलब्ध है। गार्डेन के एक भाग में थियेटर भी बना है जहाँ नृत्य-गायन का कार्यक्रम आयोजित होता रहता है। वनस्पति प्रेमियों के लिए उद्यान एक स्वर्ग है लेकिन यह प्रेमी युगल के लिए अपने प्रेमानुभूति के लिए भी प्रसिद्ध है। सपरिवार घूमने आने वाले प्रकृति-प्रेमियों को प्रेमी युगल के कुछ दृश्य शायद नागवार लग सकता है। हाँ, पुष्प-प्रदर्शनी या शरबत-मेले के दौरान ऐसे दृश्य शायद यह न हो।

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