Shanti Mission

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*आईओएस लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से नवाज़े गए पूर्व केंद्रीय मंत्री के रहमान खान।* *सम्मान समारोह में हरीश रावत, नजीब जंग...
29/12/2022

*आईओएस लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से नवाज़े गए पूर्व केंद्रीय मंत्री के रहमान खान।*
*सम्मान समारोह में हरीश रावत, नजीब जंग, डॉ. सैयद फ़ारूक सहित अनेक हस्तियों ने भाग लिया और के रहमान खान के कार्यों की प्रशंसा की।*
नई दिल्ली (हिरा मीडिया/ मीडिया पंच)
अल्पसंख्यक मामलों के पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा के पूर्व उपसभापति के रहमान खान को उनकी शैक्षणिक, सामाजिक और अन्य सेवाओं के लिए आज प्रसिद्ध थिंक टैंक इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जेक्टिव स्टडीज द्वारा 10वें आईओएस लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया। कांस्टिटयूशन क्लब में आयोजित प्रोग्राम में उन्हें मोमेंटो, शाल व एक लाख रुपये का चेक प्रदान किया गया। समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने के रहमान खान को बधाई देते हुए कहा कि संसद में सरकार और मेरे साथ काम करने वालों को पुरस्कार दिया जाना मेरे लिए गर्व की बात है। मान्य के रहमान किसी एक व्यक्ति का नाम नहीं है बल्कि वह एक संस्था हैं। हर जगह उनका जीवन एक प्रकाश स्तंभ है। रहमान सर हर काम बेहतरीन तरीके से करते हैं। उप सभापति के रूप में कार्य किया। राज्यसभा चलाना बहुत मुश्किल काम है। आपकी शैली बहुत ध्यान देने योग्य थी, मुस्कान के साथ निर्णय लेना और बहुत ही विनम्र मुस्कान के साथ कठिन बातें कहना। संसदीय कौशल एक दिन में प्राप्त नहीं होते बल्कि धीरे-धीरे विकसित होते हैं। सरकारी योजनाओं का लाभ अल्पसंख्यकों तक पहुंचाना उनका बेहतरीन काम रहा है। रहमान साहब उन लोगों में से एक हैं जो दूसरों के विचारों को समझते हैं और उसके अनुसार कार्य करते हैं। आप इस बात पर ध्यान देते हैं कि दूसरों की कमियों को कैसे दूर किया जाए। इतिहास बदल रहा है। इतिहास की शुरुआत उनसे होती है कभी जिन लोगों की कोई जाति और समुदाय नहीं होता।
पूर्व केंद्रीय मंत्री के रहमान खान ने आईओएस और डॉ. मंजूर आलम का विशेष आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह मेरे लिए गर्व का क्षण है कि आईओएस जैसी प्रतिष्ठित संस्था पुरस्कार से सम्मानित कर रही है।हमने मिलकर देश की कई समस्याओं का समाधान किया है। आईओएस एक रिसर्च सेंटर है और उसका नाम ही बताता है कि एजेंडा और उद्देश्य क्या है। इससे आज की पीढ़ी को भी मदद मिल रही है और आने वाली पीढ़ी को भी काफी फ़ायदा होगा। हमारे पास एक संग्रह है जो पूरी दुनिया का मार्गदर्शन करेगा। यहां हम भावनाओं पर अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं लेकिन शोध पर नहीं। इसलिए यहां डॉ मंजूर आलम साहब को इसलिए महत्व दिया जाता है क्योंकि उन्होंने रिसर्च पर ध्यान दिया। अगर मुझे कोई काम करना होता है तो मैं डॉक्टर के पास बैठकर बात करता हूं। कई मुद्दों पर हम लोगों ने बैठकर नीति बनाई और निष्कर्ष पर पहुंचने की कोशिश की है। उन्होंने आगे कहा कि मेरा जन्म आज़ादी से पहले एक गांव में हुआ था। मुझे हंसी आती है जब सुनता हूं कि सत्तर साल में कुछ नहीं हुआ। उन्हें नहीं पता कि आज़ादी से पहले क्या स्थिति थी। उन्होंने कहा कि अल्लाह पर भरोसा रखकर काम करने वालों को हमेशा सफलता मिलती है और यह मेरा अनुभव है। शिक्षा व्यक्ति के जीवन को बदल देती है। वे आगे बढ़ते हैं। मैं लगभग पचपन वर्षों से शिक्षा से जुड़ा हुआ हूं, मैंने कई संस्थान स्थापित किए हैं। देश की चिंता बहुत ज़रूरी है हमारे मुल्क में बातें बहुत होती हैं, कांफ्रेंस होती हैं, लेकिन काम कुछ नहीं होता। हमने कुछ करने की कोशिश की, हमने मेडिकल कॉलेज की स्थापना की, हमने इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना की, हमने यह सब संघर्ष के बाद किया, जैसे अन्य राष्ट्र विकसित हो रहे हैं, हम भी आगे बढ़ सकते हैं, सरकार को दोष देना समस्या का समाधान नहीं है। शिक्षा पर बहुत ध्यान देने की ज़रूरत है। मुझे राजनीति में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया, मैंने स्वीकार किया और राजनीति में प्रवेश किया और पूरी ईमानदारी से काम किया। अगर आपमें क्षमता है तो हर आदमी आपका साथ देगा , सकारात्मक तरीके से आगे बढ़ना ज़रूरी है। कुछ लोग इस देश को तोड़ना चाहते हैं, यह देश तभी धर्मनिरपेक्ष रहेगा जब सभी धर्म व सभ्यताओं का सम्मान किया जाएगा। विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर फुरकान क़मर ने कहा कि आज हमारे देश में जो हो रहा है वह उल्लेखनीय है। आईओएस जिस प्रकार का कार्य कर रहा है उसके लिए वह बधाई का पात्र है। विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य के लिए पुरस्कार देना गर्व की बात है। जिन लोगों को पहले सम्मानित किया गया है, वे अब बहुत महत्वपूर्ण हैं। डॉ. मंजूर आलम ने कहा कि के रहमान खान की शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में उल्लेखनीय सेवाएं हैं, इसलिए पुरस्कार समिति ने उनका नाम चुना। महासचिव जेडएम खान ने आईओएस का परिचय दिया।पुरस्कार कार्यक्रम में दिल्ली के पूर्व एलजी नजीब जंग, डॉ. अरशद खान, प्रो. अफ़ज़ल वानी सहित अन्य महत्वपूर्ण हस्तियों ने भाग लिया। प्रो. हसीना हाशिया ने धन्यवाद दिया। कार्यक्रम की शुरुआत कुरान पाक की तिलावत से हुई और प्रो. इशाक ने सफ़ल संचालन किया।

देश में सदभाव और एकता के लिए जमीयत उलमा ए हिंद की सद्भावना संसद की मेरी भेजी ख़बर को अखबारों और न्यूज़ वैबसाइट पर प्रमुख...
29/08/2022

देश में सदभाव और एकता के लिए जमीयत उलमा ए हिंद की सद्भावना संसद की मेरी भेजी ख़बर को अखबारों और न्यूज़ वैबसाइट पर प्रमुखता से स्थान देने पर मीडिया संस्थानों का आभार। अनवार अहमद नूर (लेखक एवं पत्रकार -उपसंपादक)

https://qaumiaghaz.com/news/%e0%a4%9c%e0%a4%ae%e0%a5%80%e0%a4%af%e0%a4
28/08/2022

https://qaumiaghaz.com/news/%e0%a4%9c%e0%a4%ae%e0%a5%80%e0%a4%af%e0%a4

भारत के विभिन्न शहरों में मठों और मंदिरों से जुड़े हुए पांच सौ हिंदू धर्मगुरुओं ने भाग लिया और अपने संबोधन में घृणा ....

27/07/2022

आज भी सोनिया गांधी से ईडी की पूछताछ और कांग्रेसियों का विरोध जारी। नेता अशोक गहलोत ने कहा कि देश में ईडी का आतंक है।...

*घृणा का जवाब घृणा नहीं बल्कि प्रेम और भाईचारा है :     मौलाना महमूद मदनी (अध्यक्ष जमीयत उलमा ए हिंद)*धर्म गुरुओं की भाग...
06/07/2022

*घृणा का जवाब घृणा नहीं बल्कि प्रेम और भाईचारा है : मौलाना महमूद मदनी (अध्यक्ष जमीयत उलमा ए हिंद)
*धर्म गुरुओं की भागीदारी से लिया गया देश की साझा संस्कृति की रक्षा का दृढ़ संकल्प*
*जमीयत उलमा ए हिंद का सद्भावना सम्मेलन सम्पन्न।*
नई दिल्ली, (अनवार अहमद नूर )
जमीयत उलमा-ए-हिंद के मुख्यालय के मदनी हॉल में ‘सद्भावना सम्मेलन‘ का आयोजन किया गया। सम्मेलन की अध्यक्षता जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने की। सम्मेलन में विशेष तौर पर भारतीय सर्वधर्म संसद के राष्ट्रीय संयोजक सुशील जी महाराज, अहिंसा विश्व भारती के अध्यक्ष आचार्य लोकेश मुनि महाराज, रविदास समाज के प्रसिद्ध धर्मगुरु स्वामी वीर सिंह हितकारी महाराज, बौद्ध धर्मगुरु आचार्य यशी फुंत्सोक, पादरी मोरेश पारकर इत्यादि ने भाग लिया। इस अवसर पर सभी ने संयुक्त रूप से देश की वर्तमान स्थिति पर चिंता व्यक्त की और कहा कि आज की स्थिति में भारत की साझा संस्कृति की रक्षा करना सभी की ज़िम्मेदारी है। आज देश में नफ़रत फैलाने वाले शक्तियां सक्रिय हैं और शांतिप्रिय लोगों को उपेक्षित किया जा रहा है। इसलिए एकजुट होकर यह दिखाना है कि जीत हमेशा शांति की हुई है।
इस अवसर पर अपने विशेष संबोधन में सर्वधर्म संसद के राष्ट्रीय संयोजक गोस्वामी सुशीलजी महाराज ने कहा कि आज लड़ाई हमारी साझा संस्कृति को बचाने की है। आजकल टीवी पर जो बहस हो रही है, उस पर सख़्त नाराज़गी व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि मीडिया ने समाज में ज़हर घोल दिया है जिससे देश में सांप्रदायिकता का माहौल खतरनाक स्तर तक पैदा हो गया है।
जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि यही भारत की आत्मा है जिसके कारण हम सब यहां एकत्रित हुए हैं। आज जो परिस्थितियां हैं, उसका नुक़सान किसी एक समुदाय को नहीं बल्कि देश को होगा। एक तरफ हमारा सपना है कि भारत विश्व गुरु बने, दूसरी तरफ एक ऐसी शक्ति है जो भारत की विरासत और उसकी पहचान को लगातार खराब कर रही है। उन्होंने कहा कि हमारे देश में अक्षम लोगों के बयानों को मुख्य हेडलाइन बनाया जाता है लेकिन जो दोस्ती और न्याय की बात करते हैं, उनको किनारे किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि नफ़रत का जवाब नफ़रत से नहीं बल्कि प्यार से दिया जा सकता है। हालिया जो घटनाएं हुईं, उसमें घृणा का जवाब घृणा से देने का प्रयास किया गया जो काफी निराशाजनक है। न इस्लाम और न ही मानवता में इसका को ई स्थान है। मुझे बहुत खुशी हो रही है कि भारत की आत्मा और सभी धर्मों के गुरु यहां ऐसे कठिन समय में एकत्र हुए हैं। हम उनके आभारी हैं। हमें इस संदेश को आगे ले जाना है ।
आचार्य लोकेश मुनि ने कहा कि धर्म जोड़ना सिखाता है, तोड़ना नहीं। रविदास समाज के प्रसिद्ध धर्मगुरु स्वामी वीर सिंह हितकारी महाराज ने कहा कि मनुष्य की मनुष्य से शत्रुता न हो, क्योंकि मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना।
बौद्ध धर्मगुरु आचार्य यशी फुंत्सोक ने कहा कि सभी धर्मगुरु मिलकर धार्मिक घृणा को समाप्त कर सकते हैं। मानवता के सम्मान का दायरा व्यापक होना चाहिए। भारत में ही अधिकांश धर्म अस्तित्व में आए हैं, इसलिए हम सब एक हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि हमारी पहचान अलग-अलग है लेकिन यहां अनंत किसी को प्राप्त नहीं है। परलोक में केवल भलाई ही काम आएगी।
सरदार यूनाईटेड सिख के मनप्रीत सिंह जी ने कहा कि मीडिया को यह अधिकार नहीं है कि किसी भी व्यक्ति को बुलाकर धर्मगुरु के रूप में प्रस्तुत करे। उन्होंने गुरु नानक जी का वर्णन करते हुए कहा कि हम किसी धर्म के विरुद्ध नहीं बल्कि धर्म के नाम पर अत्याचार करने वालों के विरुद्ध हैं। सबसे महत्वपूर्ण धर्म है, आपसी प्यार है। आज हम सब जुड़े हैं, इससे अच्छा दिन कोई नहीं हो सकता।
पादरी मौरिस पारकर ने कहा कि जो धर्म के कारण सताए गए हैं, वे बधाई के पात्र हैं, क्योंकि उनको खुदा, बादशाहत का इनाम देगा।
एसएमटीयू के प्रो वाइस चांसलर डॉ. आर विजय सर्वस्थी ने कहा कि हमारे परिचय के लिए इतना ही काफी है कि मैं एक इंसान हूं। आज इस मंच पर एकता का दृष्य है। प्रेम ही सबसे बड़ी चीज है। इसलिए प्यार बांटना चाहिए। अहिंसा पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि सोच बदलो, देश बदलेगा।
कार्यक्रम के आरंभ में जमीयत उलमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी ने कहा कि हम सभी अपनी मातृभूमि, इस धरती और देश के लिए हर तरीके से खुद को मिटाने के लिए तैयार हैं और यही वह शक्ति है जो भारत को जोड़ती है। उन्होंने कहा कि सदियों से भारत की मिट्टी में साम्प्रदायिक एकता बसी हुई है। अनेकता में एकता छिपी हुई है। हमारे संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद का 100 साल का इतिहास है। इसकी शांति, एकता और सद्भावना की विचारधारा की बात करें तो यह राष्ट्रीय एकता और शांति एवं भाईचारे की समर्थक रही है। इसलिए स्वतंत्रता संग्राम में गांधीजी का साथ दिया और उनके कदम से कदम मिलाते हुए असाधारण कारनामें किए।
इन वक्ताओं के अलावा जमीयत उलमा-ए-हिंद के सचिव मौलाना नियाज अहमद फारूकी, डॉ. सिंधिया , स्वामी विवेक मुनि, रमेश कुमार पासी, रिजवान मंसूरी, अल्पसंख्यक आयोग दिल्ली के चेयरमैन जाकिर खां, केके शर्मा, मुकेश जैन, रमेश शर्मा, रजनीश त्यागी राज, डॉ. संदीप , डॉ. सुरेश, नरेंद्र शर्मा, इशरत मामा, दबू अरोड़ा, मौलाना दाऊद अमीनी, प्रतीम सिंह जी, डॉ. भाटी , नरेंद्र तनेजा, अरुण गोस्वामी, डॉ. अख्तर, नरगिस खान, इब्राहीम खां, सुशील खन्ना इत्यादि ने भी कार्यक्रम में भाग लिया और अपने विचार भी रखे। कार्यक्रम का संचालन जमीयत सद्भावना मंच के संयोजक मौलाना जावेद सिद्दीकी क़ासमी ने किया।

सहारनपुर के मदरसा मज़ाहिर उलूम की आज़ादी, शिक्षा और समाज बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका। मुफ़्ती फारूक़ और अब्दुर रशीद के स...
22/02/2022

सहारनपुर के मदरसा मज़ाहिर उलूम की आज़ादी, शिक्षा और समाज बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका।
मुफ़्ती फारूक़ और अब्दुर रशीद के साथ मदरसा दौरे के बाद एक रिपोर्ट।
(अनवार अहमद नूर)
उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में स्थित मदरसा मज़ाहिर उलूम (वक्फ) में जाने का अवसर मिला, मेरे साथ मुफ़्ती फारूक़ और अब्दुर रशीद (उर्दू पत्रकार) भी रहे। अक्सर माना जाता है कि मदरसे राष्ट्र और कौम का बड़ा सरमाया हैं। तो यकीनन यह सही है कि मदरसे राष्ट्र निर्माता और समाज निर्माता और शिक्षा संस्थान होने के साथ साथ आदर्श नागरिक तैयार करने के केन्द्र हैं। हमने देखा कि जितनी विशाल इमारत और वर्ग क्षेत्र में यह मदरसा है शायद ही कोई दूसरा और हो। मुफ़्ती फारूक़ पूरी तरह से हमारा मार्गदर्शन कर रहे थे। हमारी यहां के प्रसिद्ध व्यक्तित्व, नेक इंसान तथा उम्र दराज़ होने के बाद भी विधार्थीयों को शिक्षा बांट रहे मौलाना ज़हूर साहब से मुलाकात हुई। मदरसों की तालीम के संबंध से उनसे बातचीत हुई। उनके सादा विचार यकीनन दिल को प्रभावित करने वाले थे। उन्होंने बताया कि यह सच है कि मदरसों की भूमिका देश और समाज को बनाने की है। सहारनपुर ही नहीं बल्कि यह पूरा इलाका देश की आज़ादी के आंदोलन में आगे आगे रहा है। मदरसों और उलमा हज़रात ने बड़ी कुर्बानियां दीं हैं। जिसके बाद हमें आज़ादी मिली। मौलाना ज़हूर के साथ ही हम लोग निकटवर्ती ग्राम रेहड़ी ताजपुरा के एक बड़े मदरसे भी गए। और हमने इन्हीं के साथ वहां नाश्ता करने के बाद खाना भी खाया। रास्ते में एक बार फिर मैंने मौलाना ज़हूर साहब से बातचीत की। तो उन्होंने बड़े संक्षिप्त और सधे हुए जवाब दिए। भाजपा सरकार की मदरसों के प्रति नीति से जुड़े सवाल को उन्होंने यह कहते हुए टाल दिया कि फिलहाल तो कुछ नहीं हो रहा है सब ठीक है चाहे इसकी वजह यूपी के मौजूदा विधानसभा चुनाव ही क्यों न हों।
मदरसा मज़ाहिर उलूम जिसकी यहां कई बड़ी बड़ी इमारतें हैं। एक विशाल पुस्तकालय है। जिसमें बड़ी संख्या में किताबें मौजूद हैं। बाहर बरामदे में मदरसे और उसके इतिहास से जुड़ी अनेक जानकारी वाली बातें लिखीं हैं। यहीं पता चला कि बड़े पैमाने पर स्वतंत्रता आन्दोलन में जामिया के संस्थापक सदस्यों और अध्यापकों तथा स्टाफ ने भाग लिया। जिनमें हज़रत मौलाना सआदत अली सहारनपुरी,
हज़रत मौलाना मोहम्मद मज़हर नानौतवी,
मौलाना खलील उर रहमान सहारनपुरी,
ख्वाजा सैयद अहमद हसन सहारनपुरी,
मौलाना सैयद मोहम्मद इसहाक सहारनपुरी
मौलाना अहमद अली मुरादाबादी
मौलाना सिकंदर अली मोहददिस हज़ारवी
मौलाना हबीब अहमद सहारनपुरी
मौलाना इस्माईल मुजफ़्फ़रनगरी
हाजी सूफी महमूद हसन आदि के नाम प्रमुख हैं।
मदरसा को देखते हुए हमने अनेक ऐतिहासिक और महत्व वाले स्थान देखे और उनकी ऐतिहासिक प्रष्ठ भूमि को जाना। हमने उस मुबारक और ऐतिहासिक हुजरे को भी देखा
जिसमें 1857 के महान स्वतंत्रता सेनानी हज़रत मौलाना मोहम्मद मज़हर नानौतवी रहा करते थे जो मज़ाहिर उलूम सहारनपुर के संस्थापकों में से हैं।हज़रत मौलाना खलील अहमद सहारनपुरी (रहo) और इस्लामी विद्वान हज़रत मौलाना मौहम्मद क़ासिम नानौतवी जैसे अपने समय के प्रसिद्ध उलमा आपके विधार्थीयों में हैं। आपके बाद यह हुजरा हज़रत मोहददिस सहारनपुरी (रहo) का निवास स्थल रहा। इसी के पास दूसरा वह हुजरा भी है जहाँ से तब्लीग़ और दावत (प्रचार प्रसार) का काम शुरू हुआ और पूरी दुनिया में फैल गया। यह हुजरा तब्लीग़ी जमात के संस्थापक मौलाना मोहम्मद इलियास कांधलवी(रह.) का है। यह वह ऐतिहासिक हुजरें हैं जहां अपने समय के बड़े बड़े औलिया और उलमा हज़रात आते रहे हैं।
सहारनपुर के इस विशाल और महत्वपूर्ण दीनी शिक्षा संस्थान को देख कर और जान कर लगा कि यही मदरसे हैं जिन्होंने देश की आज़ादी की लड़ाई में अग्रणी भूमिका निभाई और आज भी शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा योगदान दे रहे हैं। और देश - समाज तथा आदर्श नागरिक बनाने में लगे हैं हालांकि कुछ तत्वों की गंदी नज़र इन पर लगी हुई है।

काज़ी शरियत की डिग्री हासिल करने पर मुफ़्ती शाकिर नदवी को दिली मुबारकबाद।स्योहारा (बिजनौर-उoप्रo)(शांति मिशन न्यूज़)। यह...
17/02/2022

काज़ी शरियत की डिग्री हासिल करने पर मुफ़्ती शाकिर नदवी को दिली मुबारकबाद।
स्योहारा (बिजनौर-उoप्रo)(शांति मिशन न्यूज़)।
यहां ग्राम मंडोरी के रहने वाले हज़रत मौलाना मुफ़्ती मोहम्मद शाकिर नदवी ने इमारत शरिया फुलवारी शरीफ पटना से काज़ी शरियत की डिग्री हासिल की है। इस मौके पर उनका भव्य स्वागत किया गया और दिली मुबारकबाद दी गई। उनके वालिद जनाब चौधरी ताहिर खां साहब ने उनको दुआओं से नवाज़ा। मुफ़्ती साहब से मिलने और उनको मुबारकबाद पेश करने का सिलसिला जारी है। क़ारी मोहम्मद नाज़िर, मौलाना रिजवान क़ासमी, मुफ्ती मोहम्मद खालिद नदवी, हाफ़िज मुजाहिद हुसैन, कारी सरवर अहमद, हाफ़िज ज़ाकिर, मोहम्मद जुबेर, मास्टर साजिद हुसैन,हाजी मोहम्मद असलम, मोहम्मद अकरम तथा अन्य बहुत लोगों ने उनको मुबारकबाद पेश की है और कहा है कि उन्होंने गांव ज़िला और प्रदेश का नाम रोशन किया है।

सोच समझ कर वोट की चोट करें मतदाता :फ़हीम अहमद सिद्दीकी(शिक्षक MQ इंटर कॉलेज स्योहारा) (ज़िला उपाध्यक्ष उत्तर प्रदेश माध्...
01/02/2022

सोच समझ कर वोट की चोट करें मतदाता :
फ़हीम अहमद सिद्दीकी(शिक्षक MQ इंटर कॉलेज स्योहारा)
(ज़िला उपाध्यक्ष उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ शर्मा गुट)
स्योहारा (बिजनौर) उत्तर प्रदेश
(प्रस्तुति हिरा मीडिया सेंटर - अनवार अहमद नूर)
"धामपुर ( ज़िला - बिजनौर) विधानसभा चुनाव में बड़ा असमंजस और कड़ा संघर्ष हो गया है। कुछ उम्मीदवार अपना रंग ढंग और पार्टी तक बदल कर किसी भी तरह से चुनाव जीतना चाहते हैं। ऐसे में मतदाताओं को समझदारी से काम लेना है और यही समय है जब हम सब वोट की चोट कर सकते हैं और अपने लोकतंत्र को बचा सकते हैं। "यह कहना है फ़हीम अहमद सिद्दीकी,( ज़िला उपाध्यक्ष उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ शर्मा गुट)का। हिरा मीडिया सेंटर स्योहारा पर दिए अपने एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि हमें उसको वोट करना है जो हमारी समस्याओं को समझे और उनके समाधान का वादा करे। वर्तमान भाजपा सरकार को आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने कहा कि इस सरकार ने शिक्षकों का ही नहीं बल्कि अनेक क्षेत्रों में विनाश किया है और ढिंढोरा विकास का पीटा है। इसलिए मतदाता अपने वोट से चोट करते हुए देश, समाज और संविधान को बचाएं।
फ़हीम अहमद सिद्दीकी से हुई बातचीत की विडियो आपके लिए यहां प्रस्तुत है।

जम्मू में शरणार्थी रोहिंग्या के बीच जमीअत उलमा ए हिंद ने गर्म कपड़े और सहायता सामग्री बांटी, पीड़ित और असहाय रोहिंग्याओं...
25/01/2022

जम्मू में शरणार्थी रोहिंग्या के बीच जमीअत उलमा ए हिंद ने गर्म कपड़े और सहायता सामग्री बांटी,

पीड़ित और असहाय रोहिंग्याओं की हर तरह से सहायता करना, हमारा धार्मिक और राष्ट्रीय कर्तव्य बनता है :मौलाना महमूद मदनी

मानवता और धार्मिक आधार पर इन असहाय और पीड़ितों की मदद की जाती है : मौलाना महमूद मदनी

नई दिल्ली( शांति मिशन न्यूज़ /अनवार अहमद नूर )

जमीयत उलमा ए हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी के निर्देशों पर जम्मू व कश्मीर के विभिन्न क्षेत्रों में, शिविरों में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थी के बीच कंबल, जैकेट, स्कूल बैग्स आदि बांटे गए। इस संबंध में मौलाना हकीमउद्दीन क़ासमी राष्ट्रीय महासचिव जमीअत उलमा ए हिंद के नेतृत्व में एक केंद्रीय प्रतिनिधिमंडल ने इन प्रभावितों के हालात की जानकारी के लिए जम्मू में स्थित उनके शिविरों का दौरा किया और उनके साथ मानवीय हमदर्दी को प्रकट किया। जम्मू की असहनीय ठंड में, मैदान में, शिविर ( टेंट) लगाकर रह रहे इन असहाय और पीड़ितों के बीच 500 कंबल, 350 जैकेट और 150 बच्चों के बीच स्कूली बैग्स और विधवाओं के लिए अलग से चीजें वितरित की गईं। इन के बीच चल रहे दीनी संस्थान, किराए के शिविरों में चलते हैं। जमीअत उलमा ए हिंद के प्रतिनिधि मंडल ने उलमा के साथ अलग से बैठक की और मदरसों की जीर्ण क्षीण हालत को देखते हुए उनके किराए भी अदा किए। जमीयत उलमा ए हिंद के प्रतिनिधि मंडल के अनुमान के अनुसार यहां सत्रह सौ परिवार बसते हैं।
जमीयत उलमा ए हिंद के राष्ट्रीय महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन क़ासमी ने मासूम बच्चों से बातचीत भी की और जिम्मेदारों से पूरी जानकारी प्राप्त की। वहां की 27 कमेटियों से विशेष बैठकें कीं। इस अवसर पर अपने बयान में उन्होंने कहा के रोहिंग्या अत्यधिक पीड़ित लोग हैं। उनकी एक बड़ी संख्या हमारे देश में रहती है। वह जब तक इस देश में हैं उनकी हर तरह से सहायता हमारा धार्मिक और राष्ट्रीय कर्तव्य बनता है। हम इंसान हैं और यह इंसान का मूलभूत स्वभाव है कि वह बेघरों को सहारा दे उन्होंने कहा कि जमीयत उलमा ए हिंद के अध्यक्ष जनाब हज़रत मौलाना महमूद असद मदनी साहब ने जमीयत के लोगों और दूसरों से अपील की है कि वह बिना किसी धार्मिक भेदभाव के प्रभावित लोगों और पीड़ितों की मदद को अपनी गतिविधियों का भाग बनाएं।जमीअत उलमा ए हिंद के प्रतिनिधि मंडल में उनके अलावा मौलाना गय्यूर अहमद क़ासमी ऑर्गेनाइज़र जमीअत उलमा ए हिंद, मौलाना अखलाक क़ासमी दिल्ली, कश्मीर से मौलाना हमीदुल्लाह मीर बांदीपुरा, मौलाना मुफ़्ती इनायतुल्लाह इमाम व खतीब जामा मस्जिद जम्मू, मौलाना तारिक अध्यक्ष (संस्था) मस्जिदों के समस्त इमाम, मुफ़्ती सईदुल्लाह, मुफ़्ती एजाजुल हक़, हाफ़िज मसीउल्लाह, मास्टर अब्दुल कादिर किश्तवार शामिल थे।

04/01/2022

शनिवार और रविवार को दिल्ली में रहेगा पूरी तरह कर्फ्यू।
नई दिल्ली (शांति मिशन न्यूज़)
कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए राजधानी दिल्ली में वीकेंड कर्फ्यू लागू कर दिया गया है जिसके तहत शनिवार और रविवार को पूरी दिल्ली में कर्फ्यू लागू रहेगा। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने मंगलवार को कहा कि दिल्ली में कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं लेकिन केजरीवाल सरकार किसी भी हालात से लड़ने के लिए पूरी तरह तैयार है। इसी के मद्देनजर दिल्ली सरकार ने आज कुछ अहम फैसले लिए हैं| उन्होंने बताया कि दिल्ली में रात्रि कर्फ्यू के साथ अब हर शनिवार और रविवार को भी दिन में कर्फ्यू लागू होगा| सभी आवश्यक सेवाओं को छोड़कर सभी सरकारी दफ्तर बंद होंगे और सरकारी कर्मचारी वर्क फ्रॉम होम करेंगे| प्राइवेट सेक्टर केवल अपने 50 फीसदी कर्मचारियों को दफ्तर बुला सकेंगे|मैट्रो और बस स्टैंड पर लागू रहेगी गाइडलाइंस।

घृणास्पद भाषणों के विरुद्ध जमीअत उलमा ए हिंद की ओर से सुप्रीम कोर्ट में मांग -"हेट क्राइम के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई और ...
31/12/2021

घृणास्पद भाषणों के विरुद्ध जमीअत उलमा ए हिंद की ओर से सुप्रीम कोर्ट में मांग -
"हेट क्राइम के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई और जांच पड़ताल कोर्ट की निगरानी में कराई जाए।"
*सरकार की आपराधिक मूकदर्शिता से आज देश में कष्टदाई दुखदायी परिस्थितियां पैदा हुईं : मौलाना महमूद मदनी (अध्यक्ष जमीयत उलमा ए हिंद)
" देश के सम्मान, अखंडता और मुस्लिम अल्पसंख्यकों के जीवन और सम्पत्ति की सुरक्षा के लिए कड़े संयुक्त संघर्ष की आवश्यकता" : मौलाना महमूद मदनी

नई दिल्ली (शांति मिशन न्यूज़ /अनवार अहमद नूर )
धर्म संसद और दूसरे माध्यमों से देश में घृणा फैलाने वालों और भीड़ बनाकर हमला करने वालों के विरुद्ध सरकार और प्रशासन की आपराधिक ख़ामोशी (मूकदर्शिता) के दृष्टिगत जमीयत उलमा ए हिंद ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से संपर्क साधा और इस संबंध में जमीयत उलमा ए हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने दिए अपने प्रार्थना पत्र में सुप्रीम कोर्ट से तीन प्रमुख मांगे की हैं।
प्रार्थना पत्र में तहसीन पूनावाला केस 2018 से संबंधित सुप्रीम कोर्ट के आदेश का संदर्भ देते हुए यह प्रार्थना की गई है कि माननीय उच्च अदालत सरकार से हेट स्पीच (घृणास्पद भाषणों ) के संबंध में अब तक की गई कार्रवाइयों पर रिपोर्ट मांगे, विशेषरूप से पैग़ंबरे इस्लाम मोहम्मद सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम के मान सम्मान को निशाना बनाने वालों के विरुद्ध क्या कार्यवाही की गई-?
(2) देश में हेट क्राइम की शिकायतों को संकलित करने के लिए एक स्वतंत्र कमेटी गठित की जाए।
(3) हेट क्राइम के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई और जांच पड़ताल कोर्ट की निगरानी में कराई जाए।
प्रार्थना पत्र में सरकार और प्रशासन के भेदभाव और इर्ष्या पूर्ण व्यवहार और मुसलमानों के मान सम्मान को ठेस पहुंचाने को उजागर किया गया है। पैग़ंबरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के विरुद्ध अपमानजनक टिप्पणियों के विभिन्न संदर्भ दिए गए हैं। इसके अतिरिक्त 2018 से अब तक उन लोगों की सूची दाखिल की गई है जो मुसलमानों के ख़िलाफ़, हिंसा और क़त्ल की अपील कर रहे हैं। यह अत्यधिक दुखदाई है कि इनमें से किसी के विरुद्ध फौजदारी कानून के तहत कार्यवाही नहीं की गई। इस संबंध में विशेष रुप से डासना देवी मंदिर के पुजारी यति नरसिंहानंद सरस्वती और अगस्त 2021 में जंतर मंतर पर उत्तेजक- भड़काऊ नारे, गुरुग्राम में जुमे की नमाज के विरुद्ध अभियान, त्रिपुरा में पैग़ंबरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम के ख़िलाफ अपमानजनक प्रदर्शन, सूरजपाल अमू और संतोष थमियाह के भाषणों को उदाहरण स्वरूप पेश किया गया।
प्रार्थना पत्र में राज्य सरकारों के पक्षपात पूर्ण व्यवहार पर भी ध्यान आकर्षित किया गया है इसका उदाहरण यह दिया गया है कि वर्तमान में यति नरसिंहानंद के घृणास्पद भाषणों के विरोध में प्रदर्शन करने वाले सौ लोगों को यूपी पुलिस ने गिरफ्तार किया है, मगर यतिनरसिंहानंद के ख़िलाफ कार्यवाही नहीं की गई। उत्तराखंड में धर्म संसद में मुसलमानों के नरसंहार की अपील की गई मगर इस पर आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। यह अत्यधिक दुख की बात है कि पुलिस प्रशासन अल्पसंख्यकों के विरुद्ध नफ़रत (घृणा) फैलाने वालों से मित्रता करती है और अपने संवैधानिक पदों का उल्लंघन करते हुए असंवैधानिक शक्तियों के सामने घुटने टेक रही है।
उपरोक्त तथ्यों से यह स्पष्ट हो जाता है कि कट्टरवादिता तथा भड़काऊ और अपमानजनक भाषणों के माध्यम से एक धर्म विशेष वर्ग पर हमला किया जाना, एक परिणाम में हिंसा की घटनाएं भी हुई हैं और यहां तक कि कई लोगों की जानें भी गईं और उनके मान सम्मान को रुसवा किया गया। इसलिए यह समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है कि इन सब का आंकलन किया जाए और न्यायालय के हस्तक्षेप के माध्यम से परिस्थितियों का समाधान किया जाए।
जमीयत उलमा ए हिंद की ओर से वकील एडवोकेट एमआर शमशाद और एडवोकेट नियाज़ अहमद फारूकी सचिव जमीयत उलमा ए हिंद ने तहसीन पूनावाला बनाम यूनियन ऑफ इंडिया मुकदमें में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का संदर्भ दिया है जहां सुप्रीम कोर्ट ने समूह के अपराध और लिंचिंग से निपटने के लिए बड़े पैमाने पर निर्देश जारी किए थे। प्रार्थना पत्र में ललिता कुमारी केस के निर्णय का भी संदर्भ दिया गया है जिसमें कहा गया था कि जब कोई अपराध प्रकट हो तो पुलिस का कर्तव्य है कि वह एफआईआर दर्ज करे।
अध्यक्ष जमीयत उलमा ए हिंद मौलाना महमूद असद मदनी ने अपनी दिए गए प्रार्थना पत्र के संबंध में कहा कि सरकार की आपराधिक मूक दर्शिता से आज देश में ऐसी कष्टकारी स्थितियां पैदा हो गई हैं। इस देश के सम्मान, अखंडता और मुस्लिम अल्पसंख्यकों के जान व माल की सुरक्षा के लिए एकजुट संघर्ष की आवश्यकता है उन्होंने लोगों से अपील की कि वह धैर्य और संयम के साथ स्थितियों का मुकाबला करें।

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नफरत और हिंसा से चाहिये आज़ादी

‘’नफरत छोड़ो भारत जोड़ो’’ के तहत मोहब्बत का सन्देश

नई दिल्ली [शांति मिशन न्यूज़ / अनवार अहमद नूर ]

’नफरत छोड़ो भारत जोड़ो’’ के मुख्य नारे के साथ आज नई दिल्ली में एक आयोजन के साथ चार मुख्य लोग धार्मिक उन्माद ,पीट पीट कर हत्या कर देने यानि मोब लीचिंग के ख़िलाफ़ अपनी विभिन्न मांगों को लेकर तीन दिन की भूख हड़ताल पर बैठे और लोगों से करो या मरो का आव्हान किया इनका कहना है कि हमें नफरत और हिंसा से आज़ादी चाहिए जन्तर मन्तर पर आयोजित प्रोग्राम में फैसल खान,प्रोफेसर संदीप पांडे,कविता श्रीवास्तव,व्रन्दा गरोवर सहित अनेक वक्ताओं ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि नफ़रत इस देश को तार तार कर रही है मोहसिन ,अखलाक़,जुनैद अलीमुद्दीन ,आसिफ़ा ,रकबर खान सहित दर्जनों निर्दोष लोगों के जीवन को हत्यारों ने समाप्त कर दिया उनके परिवार बर्बाद हो गये और उस पर हत्यारे गुंडों को सज़ा देने के बजाय कुछ नेताओं दुआरा फूल मालाये पहनाई जा रही हैं और घिनौने बुरे कार्य को हिन्दुओं का फर्ज़ बताकर उनके कसीदे पढ़े जा रहे हैं जो इस देश के लिए बहुत घातक है . फैसल खान ने कहा कि धर्म के नाम पर नफ़रत और हिंसा फैलाई जा रही है जबकि इस्लाम और सभी धर्म मोहब्बत सिखातें हैं धर्म वह है जिससे पूरी मानवता को फायदा पहुंचे उन्होंने कहा कि मोहब्बत जीतेगी –जीतेगी,नफ़रत हारेगी –हारेगी. प्रोफेसर संदीप पांडे ने कहा कि यह कैसी हिन्दुवादिता है कि जिसमें गंगा को बचाने और साफ़ कराने के लिए भी उपवास रखे जा रहे हैं और जानें दी जा रही हैं उनका कहना है की हम लोगों को जगाने के लिए ही यह तीन दिन की भूख हड़ताल कर रहे हैं कविता श्रीवास्तव ने गाय के सम्बन्ध से कहा कि पुष्कर जैसे बड़े बड़े पशु मेले लगते रहे है मगर अब गाय के नाम पर पशुता प्रकट की जा रही है मेवात में तो हालत यह हो गयी है कि गाय को हिलाना भी जुर्म हो गया है उमेर खान को मार डाला गया जो सिर्फ गाय को ले जा रहे थे इसके अलावा 35 निर्दोष लोगों की मौतें हो चुकी हैं

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