हिन्दू धर्म किसी व्यक्ति विशेष द्वारा स्थापित किया गया नहीं है । यह पुराने समय से चले आ रहे अलग-अलग मतों और आस्थाओं से मिलकर बना है । समय के साथ-साथ इस धर्म में ऐसे नए विश्वास और मत जुड़ते गए, जो समय की कसौटी पर खरे थे। इसलिए ही हिन्दू धर्म को एक विकासशील धर्म कहा जाता है। हिन्दू धर्म के मूल तत्वों में सत्य, अहिंसा, दया, क्षमा और दान मुख्य हैं और इन सबका विशेष महत्त्व है। इसलिए अपने मन , वचन और कर
्म से हिंसा से दूर रहने वाले मनुष्य को हिन्दू कहा गया है । हिन्दू धर्म का इतिहास वेदकाल से भी पहले का माना गया है । और वेदों की रचना 4500 ई पू से शुरू हुई । हिन्दू इतिहास ग्रंथ महाभारत और पुराणों में मनु ( जिसे धरती का पहला मानव कहा गया है ) का उल्लेख किया गया है । पुराणों के अनुसार हिन्दू धर्म सृष्टि के साथ ही पैदा हुआ । पुराना और विशाल होने के चलते इसे ‘सनातन धर्म’ के नाम से भी जाना जाता है।
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हिन्दुत्व का लक्ष्य पुरुषार्थ है । और मध्य मार्ग को सर्वोत्तम माना गया है ।
पुरुषार्थ या मनुष्य होने का तात्पर्य क्या है ? हिन्दुत्व कहता है । कि धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष ही पुरुषार्थ है । धर्म का तात्पर्य सदाचरण से है, अर्थ का तात्पर्य धनोपार्जन और जान-माल की रक्षा के लिए राज-व्यवस्था से है । काम का तात्पर्य विवाह , सन्तानोपत्ति एवं अर्जित धन का उपभोग कर इच्छाओं की पूर्ति से है । मोक्ष का तात्पर्य अर्थ और कम के कारण भौतिक पदार्थों एवं इन्द्रिय विषयों में उत्पन्न आसक्ति से मुक्ति पाने तथा आत्म-दर्शन से है । हिन्दू की दृष्टि में मध्य मार्ग ही सर्वोत्तम है । गृहस्थ जीवन ही परम आदर्श है । संन्यासी का अर्थ है सांसारिक कार्यों को एवं सम्पत्ति की देखभाल एक न्यासी ( ट्रस्टी ) के रूप मेँ होता है ।
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स्त्री आदरणीय है ।
संसार में हिन्दू धर्म ही ऐसा है जो ईश्वर या परमात्मा को स्त्रीवाचक शब्दों जैसे सरस्वती माता, दुर्गा माता, कालीमैया, लक्ष्मी माता से भी संबोधित करता है । वही हमारा पिता है, वही हमारी माता है । ( त्वमेव माता च पिता त्वमेव ) । हम कहते हैं राधे-कृष्ण, सीता-राम अर्थात् स्त्रीवाचक शब्द का प्रयोग पहले । भारत भूमि भारत माता है । पशुओं में भी गाय गो माता है । किन्तु बैल पिता नहीं है । हिन्दुओं में ‘ओम् जय जगदीश हरे’ या ‘ॐ नम: शिवाय’ का जितना उद्घोष होता है । उतना ही ‘जय माता की’ का भी । स्त्रीत्व को अत्यधिक आदर प्रदान करना हिन्दू जीवन पद्धति के महत्त्वपूर्ण मूल्यों में से एक है । कहा गया है :- यत्र नार्यस्तु होता है ।
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हिन्दुओं में कोई पैगम्बर नहीं है ।
ईसामसीह ईसाई धर्म के प्रवर्तक हैं । हजरत मुहम्मद इस्लाम के पैगम्बर माने जाते हैं । किन्तु हिन्दुत्व का न तो कोई प्रवर्तक है । और न ही पैगम्बर । हिन्दुत्व एक उद्विकासी व्यवस्था है जिसमें विभिन्न मतों के सह-अस्तित्व पर बल दिया गया है । किसी को किसी एक पुस्तक में लिखी बातों पर ही विश्वास कर लेने के लिए विवश नहीं किया गया है । हिन्दू धर्म में फतवा जारी करने की कोई व्यवस्था नहीं है । यह उदारता और सहनशीलता पर धारित धर्म है ।
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हिन्दुओं के पर्व और त्योहार खुशियों से जुड़े हैं ।
हिन्दुओं के पर्व एवं त्योहार पर बिना पूर्ण जानकारी किये भी मुबारकबाद दिया जा सकता है क्योंकि हिन्दू मातम का त्योहारनहीं मनाते । राम और कृष्ण के जन्मोत्सव को धूमधाम से मनाया जाता है किन्तु उनके देहावसान के दिन लोगों को याद तक नहीं हैं। हिन्दुओं के तीन प्रमुख पर्व हैं :- (अ) विजय दशमी (ब) दीपावली(स) होली या होलिका या होलाका कुछ अन्य महत्त्वपूर्ण त्योहार: महाशिवरात्रि, मकर संक्रान्ति / पोंगल आदि ।
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हिन्दुओं के प्राचीनतम धर्मग्रन्थ ऋग्वेद के अध्ययन सेप्राय: यह निष्कर्ष निकाला जाता है । कि उसमें इन्द्र, मित्र, वरुण आदि विभिन्न देवताओं की स्तुति की गयी है । किन्तु बहुदेववाद की अवधारणा का खण्डन करते हुए ऋग्वेद स्वयं ही कहता है- इन्द्रं मित्रं वरुण मग्नि माहुरथो दिव्य: स सुपर्णो गरुत्मान् । एकं सद् विप्रा बहुधा वदन्त्यग्नि यमं मातरिश्वानमाहु: । (१-१६४-४६) जिसे लोग इन्द्र, मित्र,वरुण आदि कहते हैं, वह सत्ता केवल एक ही है; ऋषि लोग उसे भिन्न-भिन्न नामों से पुकारते हैं । वास्तविक पुराण तो विभिन्न पन्थों के निर्माण में कहीं खो गया है । किन्तु वास्तविक पुराणके कुछ श्लोक ईश्वर के एकत्व को स्पष्ट करते हैँ ।
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हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए,
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए।
आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी,
शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए।
हर सड़क पर, हर गली में, हर नगर, हर गाँव में,
हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए।
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,
सारी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए।
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही,
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए।
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ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः
सर्वे शन्तु निरामयाः ।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु
मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत् ।
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥
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जय हिन्द , जय भारत !!
जय जबान , जय किसान !!