24/08/2024
ये तेरा घर है, यही मेरा भी घर है।
इस घर में कुछ दिन पहले आज़ादी का जश्न मनाया जा रहा था, इसी घर में जश्न-ऐ-आज़ादी का तराना गया जा रहा था।
ये आलीशान घर अब मिट्टी में मिल गया। ये तस्वीर को देखकर नफ़रती लोग ख़ुशियाँ बना रहे है, गाड़ियों की ये हालात देख वो गाने गा रहे हैं।
ये सज़ा भी मंज़ूर है हमे, हमे इस मुल्क से मुहब्बत है, टूटते लोकतंत्र से अब भी उम्मीद है, ख़त्म होते संविधान पर अब भी भरोसा है।
ये तस्वीर याद रहेगी, ये दर्द ताज़ा रहेगा, नयी सुबह की उम्मीद है।
बुलडोज़र राज, मध्यप्रदेश