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हर रोग की रामबाण दवा अरंडी का तेल जानिए इसके फायदे...गांव में अरंडी के पौधे आज भी हर कहीं उगे हुए देखे जा सकते है... गां...
27/02/2024

हर रोग की रामबाण दवा अरंडी का तेल जानिए इसके फायदे...

गांव में अरंडी के पौधे आज भी हर कहीं उगे हुए देखे जा सकते है... गांव के लोग अरंडी को बहुत अच्छे से जानते है, जब भी कभी मोच आ जाती हैं अरंडी के पत्ते सबसे पहले याद आते है... वैसे अब स्थिति बदली हैं, जरा सा कुछ होने पर भी डॉक्टर,मेडिकल पर टूट पड़ते है...हमनें अपनी स्थिति भले ही बदल ली हैं लेकिन पौधे ने अपना गुण धर्म नही खोया है...

आज शहरी जगत में हर कहीं Castor-oil की चर्चा आपको सुनने को मिल जाएगी,उसके गुणों का बखान भी मिला जाएगा,,पर उसका सीधा इस्तेमाल कोई नही करता,ओर अधिकतर लोग पौधे को भी नही पहचानते.....अरंडी के तेल में पाए जाने वाले गुणों की वजह से यह स्वास्थ्य और सुंदरता दोनों में फायदा करता है।

जानते है अरंडी के तेल के फायदे
1. काले धब्बे साफ़ करे -
अरण्डी का आयल और नारियल के तेल की कुछ बुँदे ले और इसे चेहरे के काले धब्बो पर लगाए इससे काले धब्बे मिट जाएंगे।

2.गठिया रोग में -
गठिया रोगी व्यक्ति की अरंडी के तेल से मालिश करने पर उसे दर्द में आराम होता हैं। यह मांसपेशियों के दर्द को कम करता है।

3.कब्ज में फायदा -
कब्ज के लिए कैस्टर ऑयल का उपयोग कैसे करें तो इसके लिए आधा चम्मच तेल एक कप गर्म दूध में मिलाकर पियें।

4. बालों के लिए -
इस तेल को बालों की सुंदरता और बालों की समस्या के लिए प्रयोग किया जाता है। बालों में अरंडी का तेल लगाने से बाल चमकदार, लम्बे, घने होते है। इससे बालों का रूखापन और डैंड्रफ भी खत्म हो जाती है।

5.पेट की चर्बी कम करे -
हरे अरंड की २० - ५० ग्राम जड़ ले इसे धोकर कूट ले। अब २०० मिली पानी में पका ले। ५० मिली रह जाने पर इसका सेवन करे इससे पेट कम होगा।

6. पाइल्स से छुटकारा -
20 से 30 मिली अरंड के पत्ते का काढ़ा बनाकर 25 मिली एलोवेरा के रस में मिलाकर सुबह शाम पीने से पाइल्स में लाभ होगा।

7. किडनी की सूजन कम करने में सहायक -
किडनी की सूजन को कम करने में अरंड की मींगी को पिसे। इसे गर्म करके पेट के आधे भाग में लेप करे सूजन में आराम होगा।

8.आँखों में -
अरंडी के तेल की कुछ बुँदे ले और आँखों के आसपास हल्की मालिश करे इससे आँखों की सूजन में आराम होगा।

9. झुर्रिया मिटाये -
यह मॉइश्चराइजर की तरह काम करता है जो समय से पहले आने वाले बुढ़ापे को रोकता है और झुर्रियों को खत्म करता है।

10. साइटिका के दर्द को कम करे -
यह साइटिका के दर्द को कम करने में मदद करता है।

11. मासिक विकार में राहत -
पीरियड्स में होने वाले दर्द से छुटकारा पाने के लिए अरंड के पत्ते गर्म करके पेट पर बाँधने से लाभ होता है।

12.मस्से के लिए -
एलोवेरा रस में अरंडी का तेल मिलाकर लगाने से मस्सों की जलन में राहत मिलती है।

13.शरीर की मालिश -
बॉडी मसाज के लिए इस तेल का उपयोग कर सकते है इससे बॉडी पर चमक आती है।

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थायोराइड का आयुर्वेदिक इलाज :-थायोराइड अन्तः स्रावी ग्रन्थियों (एंडोक्राइन ग्लैंड) में से एक है गले में मौजूद तितली जैसे...
19/02/2024

थायोराइड का आयुर्वेदिक इलाज :-

थायोराइड अन्तः स्रावी ग्रन्थियों (एंडोक्राइन ग्लैंड) में से एक है गले में मौजूद तितली जैसे आकार वाली यह ग्लैंड थायरॉक्सिन हॉर्मोन बनाती है जो हमारी बॉडी की ऊर्जा खर्च करने की क्षमता और कई क्रियाओं पर असर डालता है।

थायराइड आपके शरीर में सबसे महत्वपूर्ण, फिर भी खराब तरीके से प्रबंधित अंगों में से एक है। जब इसमें खराबी आती है, तो यह वजन बढ़ने और ऊर्जा हानि जैसी कई गंभीर समस्याएं पैदा कर सकता है। खराब चल रहे थायराइड को समृद्ध और उच्च गुणवत्ता वाले आहार से बढ़ावा देने की आवश्यकता है।

✦ थाइरोइड के घरेलू उपाय :-

1. काली मिर्च से वजन और हाइपोथायरॉयड दोनो ठीक करें।

पिपेराईन एक खास रसायन है जो काली मिर्च में खूब पाया जाता है और ये कमाल का फ़ैट बर्नर है अक्सर महिलाओं में थायरॉक्सिन लेवल कम होने से तेजी से वजन बढ़ता है, पेपेराईन इस समस्या से छुटकारा दिला सकता है ।

जिन्हें हाईपोथायरॉइड की समस्या है सिर्फ 21 काली मिर्च कुचलकर 15 दिनों तक रोज सुबह एक बार में एक साथ खा लें, सकारात्मक परिणाम आना निश्चित है।

2. 25 ग्राम शुद्ध दालचीनी लें, यह जितनी तीखी हो उतना अच्छा रहेगा। इसे पीस कर चूर्ण बना एक चुटकी चूर्ण को प्याज के रस में मिला सेवन करें।

यह प्रयोग बासी मुंह 21 दिन करें। 21 दिन सेवन से थाइरोइड सामान्य हो जाएगा फिर कभी नहीं बढ़ेगा। 03 महीने बाद में प्रयोग दोहराइए अचूक लाभ होगा।

3. एक गिलास पानी में 2 चम्मच साबुत धनिये को रात के समय में भिगोकर रख दें तथा सुबह के समय में इसे मसलकर उबाल लें। जब पानी चौथाई भाग रह जाये तो इसे छानकर खाली पेट पी लें। प्रतिदिन गुनगुने पानी में नमक डालकर गरारे करें। इस प्रयोग को प्रतिदिन करने से थायरॉइड में लाभ होता है ।

4. गेहूं और ज्वार का इस्तेमाल : थायराइड ग्रंथी को बढ़ने से रोकने के लिए आप गेहूं के ज्वार का सेवन कर सकते हो। गेहूं का ज्वार आयुर्वेद में थायराइड की समस्या को दूर करने का बेहतर और सरल प्राकृतिक उपाय है। इसके अलावा यह साइनस, उच्च रक्तचाप और खून की कमी जैसी समस्याओं को रोकने में भी प्रभावी रूप से काम करता है।

✦ हाईपर थाईरोडीजम का ईलाज :-

1. हाईपर थाईरोडीजम मे अगर ग्रीन टी का प्रयोग दिन मे 4 बार 2-2 कप लीया जाऐ 4-6 महिने मे तो थाईरोड से मुक्ति मिल सकती है।

2. रोज रात को 2 कप लौकी का रस मे 2 चम्मच अदरक का रस डालकर रोज रात को सोने से घन्टे पहले ले।

3. धनिया 1 चम्मच + सौंफ 1 चम्मच + जीरा 1 चम्मच लेकर सुबह 3 ग्लास पानी मे उबाले। जब 1 ग्लास पानी बचे तब छानकर सुबह पीले 30 मिनिट तक कुछ भी ना खाऐ।

✦ आयुर्वेदिक औषधियां :-
त्रिकुट चुर्ण + त्रिफला चुर्ण + वायबिडंग + अजवायन + चित्रकमूल + ताम्र भस्म + लोह भस्म + रस सिन्दुर आदि ख़ास अनुपात में डालकर तैंयार की जाती हैं। वैद्य के परामर्श से बना सकते है।

✦ थायराइड में खाने योग्य खाद्य पदार्थ :-
थायराइड आपके शरीर में सबसे महत्वपूर्ण, फिर भी खराब तरीके से प्रबंधित अंगों में से एक है। जब इसमें खराबी आती है, तो यह वजन बढ़ने और ऊर्जा हानि जैसी कई गंभीर समस्याएं पैदा कर सकता है। खराब चल रहे थायराइड को समृद्ध और उच्च गुणवत्ता वाले आहार से बढ़ावा देने की आवश्यकता है। थायराइड आहार के लिए सबसे महत्वपूर्ण पोषक तत्वों में से एक आयोडीन है।

01. ब्राजील नट्स सबसे आश्चर्यजनक थायराइड खाद्य पदार्थों में से एक, ब्राजील नट्स सेलेनियम नामक पोषक तत्व से भरपूर होते हैं। यह आपके थायराइड के लिए एक संतुलनकारी वस्तु के रूप में काम करता है। इसकी मदद से आपका थायराइड सुचारु रूप से और कुशलता से चलता है।

खराब थायराइड ऑपरेशन के लक्षणों को कम करने में मदद के लिए हर दिन एक ब्राजील अखरोट खाना पर्याप्त होना चाहिए। क्यों ? एक ब्राज़ील नट में आपके सेलेनियम की पूरी दैनिक खुराक होती है। हालाँकि, इन नट्स को अधिक खाने से खराब थायरॉयड को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने और इसे पर्याप्त स्तर पर संचालित रखने में मदद मिल सकती है। इसीलिए इन्हें और अन्य प्रकार के ट्री नट्स को अपनी पेंट्री में स्वस्थ नाश्ते के रूप में शामिल करना बहुत अच्छा विचार है।

02. फल (विशेषकर सेब) आपने शायद पुराना चुटकुला सुना होगा कि “प्रतिदिन एक सेब डॉक्टर को दूर रखता है।” हालांकि यह मूर्खतापूर्ण लग सकता है, लेकिन जब थायरॉइड रोग की बात आती है तो यह वाक्यांश सटीक है। विटामिन से भरपूर होने के कारण फल थायराइड रोग के लिए बहुत फायदेमंद होता है। यह शरीर में मौजूद भारी धातुओं को भी अवशोषित करता है जो आपके थायराइड के संचालन को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकते हैं।

सेब, विशेष रूप से, आपके थायराइड के लिए सबसे स्वास्थ्यवर्धक खाद्य पदार्थों में से एक पाया गया है। इसलिए, हर दिन कम से कम 3-4 सर्विंग फल खाना आपके थायरॉयड को सुचारू और कुशलता से संचालित करने का एक महत्वपूर्ण तरीका है। अधिक मात्रा में फल खाने के सबसे आसान और सबसे प्रभावी तरीकों में से एक बनाने के लिए फलों का सलाद आज़माएँ।

03. डेयरी यदि आप लैक्टोज असहिष्णु नहीं हैं तो आपके थायरॉयड के लिए डेयरी भोजन एक अच्छा विचार है। यह प्रोटीन और कई अन्य विटामिन और खनिजों से भरपूर है जो आपके थायराइड को सक्रिय करने और इसे उच्च स्तर पर चालू रखने में मदद करता है। जैसा कि कहा गया है, आपके पेट में गड़बड़ी या अन्य समस्याओं से बचने के लिए डेयरी उत्पादों के सेवन की सावधानीपूर्वक निगरानी करना भी महत्वपूर्ण है जो थायराइड को और भी अधिक बढ़ा सकते हैं।

डेयरी के स्वस्थ स्रोतों में पनीर, विभिन्न प्रकार के दूध और दही शामिल हैं। जैसा कि हम नीचे दही के बारे में अधिक गहराई से चर्चा करेंगे, हम अभी इस पर ध्यान नहीं देंगे कि इसे अपने आहार में कैसे शामिल किया जाए। हालाँकि, एक कप दूध और विभिन्न व्यंजनों के ऊपर पनीर का छिड़काव आपके थायरॉयड को अधिक कुशलता से चलाने और आपके चयापचय को प्रभावी ढंग से बढ़ाने में मदद कर सकता है।

04. समुद्री शैवाल हालाँकि यह मटमैला लग सकता है और तैरते समय आपके पैरों पर अजीब लग सकता है, समुद्री शैवाल वास्तव में आपके थायराइड स्वास्थ्य के लिए एक उपयोगी वस्तु है। क्यों ? इसमें विश्व में आयोडीन की मात्रा सबसे अधिक है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह जीवन भर खारे पानी में डूबा रहता है। नतीजतन, हर हफ्ते समुद्री शैवाल के कुछ चम्मच भी आपके चयापचय और थायरॉयड स्वास्थ्य को जल्दी और कुशलता से बढ़ावा देने के लिए पर्याप्त से अधिक होना चाहिए।

यदि आप अकेले समुद्री शैवाल खाकर पेट नहीं भर सकते हैं, तो इसे ताज़ा सुशी रोल के साथ आज़माएँ। यह आहार परिवर्तन न केवल आपके थायराइड स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करेगा बल्कि वजन कम करने की आपकी क्षमता को भी बढ़ाएगा। समुद्री शैवाल में विभिन्न प्रकार की चीजें प्रचुर मात्रा में पाई जाती हैं जो पाचन को बढ़ाती हैं और शरीर में वसा के अवशोषण को खत्म करती हैं। परिणामस्वरूप, वसा आपकी आंतों से बिना किसी हानि के बाहर निकल जाएगी।

05. उच्च फाइबर वाले खाद्य पदार्थ

उच्च फाइबर वाले खाद्य पदार्थ मजबूत पाचन, बेहतर हृदय स्वास्थ्य, संतुलित शर्करा स्तर और वजन कम करने में मदद करते हैं। हालाँकि, वे थायराइड रोग के विभिन्न रूपों से लड़ने के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। जब फाइबर आपके चयापचय को बढ़ाता है, तो यह आपके शरीर में पचने वाले विटामिन और पोषक तत्वों के स्तर को भी बढ़ाता है।

परिणामस्वरूप, आपके थायरॉइड को संचालन के लिए आवश्यक आवश्यक वस्तुएं अधिक मात्रा में प्राप्त होंगी। कुछ सबसे लोकप्रिय उच्च फाइबर खाद्य पदार्थों में शामिल हैं:

विभाजित मटर

मसूर की दाल

काले सेम

आटिचोक

ब्रोकोली

ब्रसल स्प्राउट

रास्पबेरी

ब्लैकबेरी

Avocados

ब्रैन फ्लैक्स

पूरे गेहूं का पास्ता

जई का दलिया

स्वस्थ फाइबर स्रोतों की विविध श्रृंखला से आपके लिए स्रोत ढूंढना काफी आसान हो जाएगा। यदि आपको वह नहीं मिल रहा है जिसे आप खाना पसंद करते हैं, तो अपने सेवन को जल्दी और आसानी से स्वस्थ स्तर पर लाने के लिए फाइबर सप्लीमेंट में निवेश करें।

06. नारियल का तेल जहां तक खाना पकाने के तेलों की बात है, नारियल तेल सबसे स्वास्थ्यप्रद तेलों में से एक है जिसे आप अपने आहार में शामिल कर सकते हैं। इसमें न केवल उच्च स्तर के रोगाणुरोधी और एंटीऑक्सीडेंट तत्व शामिल हैं, बल्कि इसमें बड़ी मात्रा में कैप्रिलिक एसिड, लॉरिक एसिड और कैप्रिक एसिड भी हैं। ये सभी चीजें प्राकृतिक और सुरक्षित तरीके से आपके थायराइड के स्वास्थ्य को बढ़ाकर आपके चयापचय के संचालन को बेहतर बनाने में मदद करती हैं।

हालाँकि, नारियल का तेल आपकी प्रतिरक्षा में सुधार करने और आपके रक्त शर्करा के स्तर को स्थिर करने में भी मदद करता है। तो अगली बार जब आपको कुछ खाद्य पदार्थ पकाने या तलने की आवश्यकता हो, तो अपने चिकनाई तत्व के रूप में नारियल तेल का उपयोग करें। समान लाभ प्राप्त करने के लिए आप कच्चा या पका हुआ नारियल भी खा सकते हैं। हालाँकि, यह उतना केंद्रित नहीं होगा, इसलिए अपना आहार बदलते समय इसे ध्यान में रखें।

07. दही अंतिम, लेकिन महत्वपूर्ण बात, दही है। यह भोजन आपके थायराइड के लिए अच्छा है क्योंकि इसमें विटामिन डी का उच्च स्तर होता है। यह विटामिन थायराइड के उचित संचालन में मदद करता है और लोगों को अत्यधिक वजन बढ़ने से बचाता है। इसके अलावा, दही प्रोबायोटिक्स से भी समृद्ध है जो बेहतर पाचन को बढ़ावा देता है। इस तरह आपका थायराइड अधिक कुशलता से काम करेगा।

इसकी प्रभावशीलता को अधिकतम करने के लिए आपको कितना दही खाना चाहिए ? प्रतिदिन एक छोटा कंटेनर पर्याप्त से अधिक होना चाहिए। इसे खाने से न केवल आपके थायराइड स्वास्थ्य की रक्षा करने में मदद मिलेगी बल्कि आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को भी बढ़ावा मिलेगा। परिणामस्वरूप, आपको कम सक्रिय थायरॉइड के कारण होने वाली सूजन और दर्द से पीड़ित होने की संभावना कम होती है।

कौन सी धातु के बर्तन में भोजन करने से क्या क्या लाभ और हानि होती है?सोना :-सोना एक गर्म धातु है। सोने से बने पात्र में भ...
08/02/2024

कौन सी धातु के बर्तन में भोजन करने से क्या क्या लाभ और हानि होती है?

सोना :-
सोना एक गर्म धातु है। सोने से बने पात्र में भोजन बनाने और करने से शरीर के आन्तरिक और बाहरी दोनों हिस्से कठोर, बलवान, ताकतवर और मजबूत बनते है और साथ साथ सोना आँखों की रौशनी बढ़ता है।

चाँदी :-
चाँदी एक ठंडी धातु है, जो शरीर को आंतरिक ठंडक पहुंचाती है। शरीर को शांत रखती है इसके पात्र में भोजन बनाने और करने से दिमाग तेज होता है, आँखों स्वस्थ रहती है, आँखों की रौशनी बढती है और इसके अलावा पित्तदोष, कफ और वायुदोष को नियंत्रित रहता है।

कांसा :-
काँसे के बर्तन में खाना खाने से बुद्धि तेज होती है, रक्त में शुद्धता आती है, रक्तपित शांत रहता है और भूख बढ़ाती है। लेकिन काँसे के बर्तन में खट्टी चीजे नहीं परोसनी चाहिए खट्टी चीजे इस धातु से क्रिया करके विषैली हो जाती है जो नुकसान देती है। कांसे के बर्तन में खाना बनाने से केवल ३ प्रतिशत ही पोषक तत्व नष्ट होते हैं।

तांबा :-
तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से व्यक्ति रोग मुक्त बनता है, रक्त शुद्ध होता है, स्मरण-शक्ति अच्छी होती है, लीवर संबंधी समस्या दूर होती है, तांबे का पानी शरीर के विषैले तत्वों को खत्म कर देता है इसलिए इस पात्र में रखा पानी स्वास्थ्य के लिए उत्तम होता है. तांबे के बर्तन में दूध नहीं पीना चाहिए इससे शरीर को नुकसान होता है।

पीतल :-
पीतल के बर्तन में भोजन पकाने और करने से कृमि रोग, कफ और वायुदोष की बीमारी नहीं होती। पीतल के बर्तन में खाना बनाने से केवल ७ प्रतिशत पोषक तत्व नष्ट होते हैं।

लोहा :-
लोहे के बर्तन में बने भोजन खाने से शरीर की शक्ति बढती है, लोह्तत्व शरीर में जरूरी पोषक तत्वों को बढ़ता है। लोहा कई रोग को खत्म करता है, पांडू रोग मिटाता है, शरीर में सूजन और पीलापन नहीं आने देता, कामला रोग को खत्म करता है, और पीलिया रोग को दूर रखता है. लेकिन लोहे के बर्तन में खाना नहीं खाना चाहिए क्योंकि इसमें खाना खाने से बुद्धि कम होती है और दिमाग का नाश होता है। लोहे के पात्र में दूध पीना अच्छा होता है।

स्टील :-
स्टील के बर्तन नुक्सान दायक नहीं होते क्योंकि ये ना ही गर्म से क्रिया करते है और ना ही अम्ल से. इसलिए नुक्सान नहीं होता है. इसमें खाना बनाने और खाने से शरीर को कोई फायदा नहीं पहुँचता तो नुक्सान भी नहीं पहुँचता।

एलुमिनियम :-
एल्युमिनिय बोक्साईट का बना होता है। इसमें बने खाने से शरीर को सिर्फ नुक्सान होता है। यह आयरन और कैल्शियम को सोखता है इसलिए इससे बने पात्र का उपयोग नहीं करना चाहिए। इससे हड्डियां कमजोर होती है. मानसिक बीमारियाँ होती है, लीवर और नर्वस सिस्टम को क्षति पहुंचती है। उसके साथ साथ किडनी फेल होना, टी बी, अस्थमा, दमा, बात रोग, शुगर जैसी गंभीर बीमारियाँ होती है। एलुमिनियम के प्रेशर कूकर से खाना बनाने से 87 प्रतिशत पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं।

मिट्टी :-
मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाने से ऐसे पोषक तत्व मिलते हैं, जो हर बीमारी को शरीर से दूर रखते थे। इस बात को अब आधुनिक विज्ञान भी साबित कर चुका है कि मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाने से शरीर के कई तरह के रोग ठीक होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, अगर भोजन को पौष्टिक और स्वादिष्ट बनाना है तो उसे धीरे-धीरे ही पकना चाहिए। भले ही मिट्टी के बर्तनों में खाना बनने में वक़्त थोड़ा ज्यादा लगता है, लेकिन इससे सेहत को पूरा लाभ मिलता है। दूध और दूध से बने उत्पादों के लिए सबसे उपयुक्त हैमिट्टी के बर्तन। मिट्टी के बर्तन में खाना बनाने से पूरे १०० प्रतिशत पोषक तत्व मिलते हैं। और यदि मिट्टी के बर्तन में खाना खाया जाए तो उसका अलग से स्वाद भी आता है।

छाती में जमा बलगम कैसे बाहर निकालें? हल्दी और गुड़...... एक डली गुड़ को हल्दी में मिलाकर सुबह शाम इसका सेवन करने से बलगम...
06/02/2024

छाती में जमा बलगम कैसे बाहर निकालें?

हल्दी और गुड़......

एक डली गुड़ को हल्दी में मिलाकर सुबह शाम इसका सेवन करने से बलगम फट जाएगा और सांस लेने में सहूलियत होगी। खांसी में राहत मिलेगी......

गर्म पानी....

लगातार गर्म पानी का ही सेवन करते रहने से कफ गल जाता है और इससे संक्रमण भी दूर होता है.....
जब भी पिएं गर्म या गुनगुना पानी ही पिएं।

ड्राई फ्रूट्स और शहद

एक चम्मच ड्रायफ्रूट्स और शहद में थोड़ी सी अदरक, कालीमिर्च और नींबू मिलाकर उसका दिन में 2 बार और रात में एक बार सेवन करेंगे तो खांसी में राहत मिलेगी.......

भाप लेना

सिर पर तौलिया रखकर गर्म पानी की कटोरी से भाप लेने से भी कफ गल जाता है और तब बलगम बाहर आ जाता है।

नमक के गर्म पानी के गरारे....

गर्म पानी में नमक मिलाकर उसके गरारे करने से गले की सूजन और सूखी खांसी में राहत मिलती है।

हल्दी वाला दूध......

रात को सोते समय रोज हल्दी मिला दूध का सेवन करें.....
इसमें चाहे तो थोड़ा सा केसर और गुड मिला लें लेकिन ध्यान रखें कि शक्कर न महिलाएं......

तुलसी या मोरिंगा ग्रीन टी......

तुलसी और मोरिंगा(सहजन) इम्यूनिटी बढ़ाती है.......
इसके सेवन से खांसी में आराम मिलता है

सभी सुखी और निरोगी रहे...... 🙏🙏

हार्ट अटैक  से ना घबराये ये सहज सुलभ उपाय जो हार्ट ब्लॉकेज को भी रिमूव कर देता है ✦ पीपल  का पत्ता  ब्लॉकेज  को भी रिमूव...
05/02/2024

हार्ट अटैक से ना घबराये ये सहज सुलभ उपाय जो हार्ट ब्लॉकेज को भी रिमूव कर देता है

✦ पीपल का पत्ता ब्लॉकेज को भी रिमूव कर देता है :-

• पीपल के 15 पत्ते लें जो कोमल गुलाबी कोंपलें न हों, बल्कि पत्ते हरे, कोमल व भली प्रकार विकसित हों। प्रत्येक का ऊपर व नीचे का कुछ भाग कैंची से काटकर अलग कर दें।

• पत्ते का बीच का भाग पानी से साफ कर लें। इन्हें एक गिलास पानी में धीमी आँच पर पकने दें। जब पानी उबलकर एक तिहाई रह जाए तब ठंडा होने पर साफ कपड़े से छान लें और उसे ठंडे स्थान पर रख दें, दवा तैयार।

• इस काढ़े की तीन खुराकें बनाकर प्रत्येक तीन घंटे बाद प्रातः लें। हार्ट अटैक के बाद कुछ समय हो जाने के पश्चात लगातार पंद्रह दिन तक इसे लेने से हृदय पुनः स्वस्थ हो जाता है और फिर दिल का दौरा पड़ने की संभावना नहीं रहती।

✦ ह्रदय के रोगी इस नुस्खे का एक बार प्रयोग अवश्य करें :-

• पीपल के पत्ते में दिल को बल और शांति देने की अद्भुत क्षमता है।

• इस पीपल के काढ़े की तीन खुराकें सवेरे 8 बजे, 11 बजे व 2 बजे ली जा सकती हैं।

• खुराक लेने से पहले पेट एक दम खाली नहीं होना चाहिए, बल्कि सुपाच्य व हल्का नाश्ता करने के बाद ही लें।

• प्रयोगकाल में तली चीजें, चावल आदि न लें। मांस, मछली, अंडे, शराब, धूम्रपान का प्रयोग बंद कर दें। नमक, चिकनाई का प्रयोग बंद कर दें।

• अनार, पपीता, आंवला, बथुआ, लहसुन, मैथी दाना, सेब का मुरब्बा, मौसंबी, रात में भिगोए काले चने, किशमिश, गुग्गुल, दही, छाछ आदि ले।

मंदिर की पैड़ी पर कुछ देर क्यों बैठा जाता है?बड़े बुजुर्ग कहते हैं कि जब भी किसी मंदिर में दर्शन के लिए जाएं तो दर्शन कर...
01/02/2024

मंदिर की पैड़ी पर कुछ देर क्यों बैठा जाता है?

बड़े बुजुर्ग कहते हैं कि जब भी किसी मंदिर में दर्शन के लिए जाएं तो दर्शन करने के बाद बाहर आकर मंदिर की पेडी या ऑटले पर थोड़ी देर बैठते हैं । क्या आप जानते हैं इस परंपरा का क्या कारण है?

आजकल तो लोग मंदिर की पैड़ी पर बैठकर अपने घर की व्यापार की राजनीति की चर्चा करते हैं परंतु यह प्राचीन परंपरा एक विशेष उद्देश्य के लिए बनाई गई । वास्तव में मंदिर की पैड़ी पर बैठ कर के हमें एक श्लोक बोलना चाहिए। यह श्लोक आजकल के लोग भूल गए हैं।
आप इस लोक को सुनें और आने वाली पीढ़ी को भी इसे बताएं।

यह श्लोक इस प्रकार है -

अनायासेन मरणम् ,बिना देन्येन जीवनम्।
देहान्त तव सानिध्यम्, देहि मे परमेश्वरम् ।।

इस श्लोक का अर्थ है-
🔱 अनायासेन मरणम्...... अर्थात बिना तकलीफ के हमारी मृत्यु हो और हम कभी भी बीमार होकर बिस्तर पर पड़े पड़े ,कष्ट उठाकर मृत्यु को प्राप्त ना हो चलते फिरते ही हमारे प्राण निकल जाएं ।

🔱 बिना देन्येन जीवनम्......... अर्थात परवशता का जीवन ना हो मतलब हमें कभी किसी के सहारे ना पड़े रहना पड़े। जैसे कि लकवा हो जाने पर व्यक्ति दूसरे पर आश्रित हो जाता है वैसे परवश या बेबस ना हो । ठाकुर जी की कृपा से बिना भीख के ही जीवन बसर हो सके ।

🔱 देहांते तव सानिध्यम ........अर्थात जब भी मृत्यु हो तब भगवान के सम्मुख हो। जैसे भीष्म पितामह की मृत्यु के समय स्वयं ठाकुर जी उनके सम्मुख जाकर खड़े हो गए। उनके दर्शन करते हुए प्राण निकले ।

🔱 देहि में परमेशवरम्..... हे परमेश्वर ऐसा वरदान हमें देना ।

यह प्रार्थना करें गाड़ी ,लाडी ,लड़का ,लड़की, पति, पत्नी ,घर धन यह नहीं मांगना है यह तो भगवान आप की पात्रता के हिसाब से खुद आपको देते हैं । इसीलिए दर्शन करने के बाद बैठकर यह प्रार्थना अवश्य करनी चाहिए ।
यह प्रार्थना है, याचना नहीं है । याचना सांसारिक पदार्थों के लिए होती है जैसे कि घर, व्यापार, नौकरी ,पुत्र ,पुत्री ,सांसारिक सुख, धन या अन्य बातों के लिए जो मांग की जाती है वह याचना है वह भीख है।

हम प्रार्थना करते हैं प्रार्थना का विशेष अर्थ होता है अर्थात विशिष्ट, श्रेष्ठ । अर्थना अर्थात निवेदन। ठाकुर जी से प्रार्थना करें और प्रार्थना क्या करना है ,यह श्लोक बोलना है।

इसे सेव कर सुरक्षित कर लें, ऐसी पोस्ट कम ही आती है..अपामार्ग या चिरचिटा का पौधा पेट की लटकती चर्बी, सड़े हुए दाँत, गठिया...
29/01/2024

इसे सेव कर सुरक्षित कर लें, ऐसी पोस्ट कम ही आती है..

अपामार्ग या चिरचिटा का पौधा पेट की लटकती चर्बी, सड़े हुए दाँत, गठिया, आस्थमा, बवासीर, मोटापा, गंजापन, किडनी आदि 20 रोगों के लिए किसी वरदान से कम नही...

आज हम आपको ऐसे पौधे के बारे में बताएँगे जिसका तना, पत्ती, बीज, फूल, और जड़ पौधे का हर हिस्सा औषधि है, इस पौधे को अपामार्ग या चिरचिटा (Chaff Tree), लटजीरा कहते है। अपामार्ग या चिरचिटा (Chaff Tree) का पौधा भारत के सभी सूखे क्षेत्रों में उत्पन्न होता है यह गांवों में अधिक मिलता है खेतों के आसपास घास के साथ आमतौर पाया जाता है इसे बोलचाल की भाषा में आंधीझाड़ा या चिरचिटा (Chaff Tree) भी कहते हैं-अपामार्ग की ऊंचाई लगभग 60 से 120 सेमी होती है आमतौर पर लाल और सफेद दो प्रकार के अपामार्ग देखने को मिलते हैं-सफेद अपामार्ग के डंठल व पत्ते हरे रंग के, भूरे और सफेद रंग के दाग युक्त होते हैं इसके अलावा फल चपटे होते हैं जबकि लाल अपामार्ग (RedChaff Tree) का डंठल लाल रंग का और पत्तों पर लाल-लाल रंग के दाग होते हैं।

चिरचिटा या अपामार्ग (Chaff Tree) के अद्भुत फ़ायदे -:
1. गठिया रोग :-

अपामार्ग (चिचड़ा) के पत्ते को पीसकर, गर्म करके गठिया में बांधने से दर्द व सूजन दूर होती है।

2. पित्त की पथरी :-

पित्त की पथरी में चिरचिटा की जड़ आधा से 10 ग्राम कालीमिर्च के साथ या जड़ का काढ़ा कालीमिर्च के साथ 15 ग्राम से 50 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम खाने से पूरा लाभ होता है। काढ़ा अगर गर्म-गर्म ही खायें तो लाभ होगा।

3. यकृत का बढ़ना :-

अपामार्ग का क्षार मठ्ठे के साथ एक चुटकी की मात्रा से बच्चे को देने से बच्चे की यकृत रोग के मिट जाते हैं।

4. लकवा :-

एक ग्राम कालीमिर्च के साथ चिरचिटा की जड़ को दूध में पीसकर नाक में टपकाने से लकवा या पक्षाघात ठीक हो जाता है।


6. मोटापा :-

अधिक भोजन करने के कारण जिनका वजन बढ़ रहा हो, उन्हें भूख कम करने के लिए अपामार्ग के बीजों को चावलों के समान भात या खीर बनाकर नियमित सेवन करना चाहिए। इसके प्रयोग से शरीर की चर्बी धीरे-धीरे घटने भी लगेगी।

7. सिर में दर्द :-

अपामार्ग की जड़ को पानी में घिसकर बनाए लेप को मस्तक पर लगाने से सिर दर्द दूर होता है।

10 दुर्लभ वास्तु: दिशा ज्ञान :-1. जो पूर्व दिशा में सिर करके सोता है, वह बुद्धिमान बनता है और स्वस्थ रहता है |2. जो दक्ष...
28/01/2024

10 दुर्लभ वास्तु: दिशा ज्ञान :-

1. जो पूर्व दिशा में सिर करके सोता है, वह बुद्धिमान बनता है और स्वस्थ रहता है |

2. जो दक्षिण दिशा में सिर करके सोता है, वह तन मन से स्वस्थ व दीघार्यु होता है

3. जो पश्चिम दिशा में सिर करके सोता है वह चिंताओं में पडता है |

4. जों उत्तर दिशा में सिर करके सोता, वह लाभ और सुख को खोता है

5. जो पर्व दिशा में मुँह करके खाना खाता, वह लम्बा जीवन जीता है.

6. जो दक्षिण दिशा में मुख करके खाना खाता है, वह बीमार होता है व मान-सम्मान पर भी बुरा प्रभाव पड़ता

7. शौच और लघुशंका जाओ, तो सदा उत्तर या दक्षिण दिशा में मुख हो

8. सदा पूर्व दिशा में मुँह करके नहाओ व मंजन पश्चिम ओर मुख करके करें.

9. पूजा जाप सदा पूर्व या उत्तर मुख करके करें व सफ़ेद वस्त्र उत्तर मुख होकर पहनें ।

10. पढ़ाई सदा पूर्व या उत्तर मुख करके करें।

ज़रा दिमाग पर डालिए ज़ोर और कॉमेंट सेक्शन में बताएं इस देश का नाम...  🤓👍
26/01/2024

ज़रा दिमाग पर डालिए ज़ोर और कॉमेंट सेक्शन में बताएं इस देश का नाम... 🤓👍

बगल में छोरा शहर में ढिंढोरा...🤔दुनिया भर की ताकत का भंडार आपके बगल में है, और एक आप हैं कि दुनिया भर में तलाश कर रहे है...
24/01/2024

बगल में छोरा शहर में ढिंढोरा...🤔
दुनिया भर की ताकत का भंडार आपके बगल में है, और एक आप हैं कि दुनिया भर में तलाश कर रहे हैं...

ये कमाल का पौधा आपके आसपास, बगल में लगा हुआ है लेकिन लोग ड्राई फ्रूट, दवाओं और छायादार वृक्षो के पीछे भाग रहे हैं। ये अकेला वृक्ष कॉम्बो पैक है साहब जो अपने आपमे एक इकोसिस्टम है।
बाकी की माथा पच्ची भी होगी, तब तक आप अपना अनुभव शेयर करें, जरा गैसिंग लगाइये कि मैं क्या कहने वाला हूँ। वैसे उमर के विषय मे हमारे क्षेत्र में एक कहावत है...

आंखि देख के माखी न निगलि जाए!
सहगी ऊमर फोड़ खे न खाय!!
इस देशी कहावत के अनुसार अगर ऊमर/गूलर को फोड़ कर खाया जाये तो हवा लगते ही इसमे कीड़े पड़ जाते हैं। इसीलिये इसे बिना फोड़े ही खाया जाता है। लेकिन सच तो यह है, कि इसमें छोटे छोटे कीड़े (wasp) मौजूद रहते ही हैं। वनस्पति विज्ञान की भाषा मे गूलर का फल हायपेन्थोडीयम कहलाता है, जिसमे फूल/ पुष्पक्रम के आधारीय भाग मिलकर एक बड़े कटोरे या बॉल जैसी संरचना बना लेते हैं। और इस गोलाकार फल जैसी संरचना के भीतर कई नर और मादा पुष्प/ जननांग रहते है, जिनमें परागण और संयुग्मन के बाद बीज बन जाते हैं।
फल के परिपक्व होने के पहले उस पर विशेष प्रकार की मक्खी सहित कई कीट प्रवेश कर जाते हैं। कई बार वे अपना जीवन चक्र भी यहीं पूर्ण करते हैं। जैसे ही फल टूटकर जमीन से टकराता है, यह फट जाता है, और कीड़े मुक्त हो जाते हैं। ऐसा न भी हो तो कीट एक छिद्र करके बाहर निकल जाते हैं।

चलिये इन सबसे हटकर अब चर्चा करते हैं, इसके औषधीय महत्व की, हमारे गाँव के बुजुर्गों के अनुसार इसके फलो को खाने से गजब की ताकत मिलती है, और बुढापा थम से जाता है। मतलब अंजीर की तरह ही इसे भी प्रयोग किया जाता है।
मेरी दादी कहती थी कि ऊमर के पेड़ के नीचे से बिना इसे खाये नही गुजर सकते हैं। इसकी छाल को जलाकर राख को कंजी के तेल के साथ पाइल्स के उपचार में प्रयोग करते हैं। दूध का प्रयोग चर्म रोगों में रामवाण माना जाता है। दाद होने पर उस स्थान पर इसका ताजा दूध लगाने से आराम मिलता है। कच्चे फल मधुमेह को समाप्त करने की ताकत रखते हैं। पेट खराब हो जाने पर इसके 4 पके फल खा लेना इलाज की गारंटी माना जाता है।
वहीं एक ओर इसके पेड़ को घर पर या गाँव मे लगाना वर्जित है, शायद भूतों से इसे जोड़ते हैं, लेकिन वास्तव में यह दैत्य गुरु शुक्राचार्य का प्रतिनिधि है। वास्तु के अनुसार दूध और कांटे वाले पौधे घर पर लगाना उचित नही होता।
बुद्धिजीवियो का मानना है कि वास्तव में इसे पक्षियों और जनवरो के पोषण के लिये छोड़ने के लिए ऐसी मान्यताएँ बना दी गई होंगी, जिससे लोग इसके फलों और पेड़ का अत्यधिक दोहन न कर सकें। पक्षीयों के लिए तो यह वरदान है। और पक्षी ही इसे फैलाते भी हैं। व्यवहारिक रूप से यह पक्षियों का पसंदीदा है तो पक्षियों की स्वतंत्रता के उद्देश्य से भी इसे घर से दूर लगाना सही प्रतीत होता है।

यह शूक्र ग्रह का प्रतिनिधि पौधा है तो इस नाते अनेको तांत्रिक शक्तिओ का स्वामी भी है। कहते है, इसकी नित्य पूजन करने से सम्मोहन की शक्ति प्राप्त की जा सकती है। प्रेम और युवा शक्ति तो जैसे इस पेड़ के इर्द गिर्द ही घूमती रहती है। नव ग्रह वाटिका के पेड़ों में यह भी एक है। वृषभ राशि वालो का तो यह मित्र पौधा है। किंतु दुख की बात है, इन पेड़ों की संख्या दिन पर दिन कम होती जा रही है।
इसकी कोमल फलियों को सब्जियों के लिए भी प्रयोग किया जाता है, जो चिकित्सा का एक अनुप्रयोग है।
ऐसा कहा जाता है, कि दुनिया मे किसी ने गूलर का फूल नही देखा है, इसका कारण और जबाब मैं पहले ही बता चुका हूं।
यह जानकारी आपको कैसी लगी, बताइयेगा जरूर...
धन्यवाद 🙏

#गूलर/ #ऊमर/ #जंगली_अंजीर/ #औदुंबर

22/01/2024
अयोध्या में राम मंदिर के गर्भगृह के अंदर स्थापित की जाने वाली रामलला की मूर्ति की पहली झलक, जो बोलेगा " जय श्री राम " उस...
20/01/2024

अयोध्या में राम मंदिर के गर्भगृह के अंदर स्थापित की जाने वाली रामलला की मूर्ति की पहली झलक, जो बोलेगा " जय श्री राम " उसके बनेंगे बिगड़े काम 🔥❣️


17/01/2024

तालेश्वर- विन्ध्यवासिनी घाटी में नहीं पहॅुचा अक्षत कलश, यहॉ के निवासी रह गये आशीर्वाद से बंचित,

अयोध्या में 22 जनवरी 2024 को हम सबके आराध्य भगवान श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है, जिसके लिए सर्म्पूण देश के निवासियों को व्हाटस अप के माध्यम से न्यौता भेजा गया है। पूरे देश में कलश यात्रा निकाली गयी और घर घर अक्षत सप्रेंम भेजे गये। यह बहुत ही सुखद अहसास था। भगवान राम 500 साल बाद अपने जन्म स्थार पर विराजमान होने जा रहे हैं, यह सनातन धर्म के लिए स्वर्णिम पल होने जा रहा है।

उत्तराखण्ड के हर जगह कलश यात्रा निकाली गयी और हर गॉव को इसको जोड़ने का प्रयास किया गया। यह आम जनता को सीधे राम लला को जोड़ने का एक अचूक प्रयास किया गया। जनता ने आराध्य भगवान श्री राम से सीधे जुड़े और उनका भक्ति एवं श्रद्धा भाव से दिल से स्वागत भी किया। उत्तराखण्ड के यमकेश्वर ब्लॉक में भी भारतीय जनता पार्टी द्वारा हर गॉव और क्षेत्र के मंदिरों में कलश यात्रा निकाली गयी, और मंदिरों मे कलश रखा गया। इस प्रयास की प्रंशसा की जानी समीचीन है,क्योंकि यह जनता को सीधे आराध्य राम से जोड़ने का सार्थक प्रयास कहा जा सकता है, भगवान राम तो घट घट के वासी हैं।

यमकेश्वर के ताल और त्याड़ो घाटी ने हमेशा से राजनीतिक पार्टियों के नजर अंदाज का दंश झेला है, वह चाहे विकास का हो या फिर राजनीतिक दलों का चुनाव के समय प्रचार का रहा हो, जनप्रतिनिधियों का क्षेत्र भ्रमण करने पर दूरियॉ बनाये रखना। इस बार भी ताल-त्योड़ो घाटी के दोनों ओर डांडामण्डल और नौंगाव न्यायपंचायत में कलश यात्रा पहॅुची, किंतु यह घाटी उस कलश यात्रा में सरीक होने से बंचित कर दी गयी। ताल-त्याड़ो घाटी में मॉ विन्ध्यवासनी का प्राचीन सि़़द्धपीठ मंदिर है, वहीं इस घाटी में तालेश्वर महादेव मंदिर, गुजराड़ी का प्राचीन ढमकेश्वर महादेव मंदिर, मॉ शारदा सिद्धपीठ हैं। पूरे भारत मेंं भगवान राम के जन्म के दिन राम नवमी को मॉ विन्ध्यवासनी के प्रांगण में बहुत बड़ा मेला लगता है, दूर दूर से इस मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं, और इस मंदिर के दर्शन कर अपने आपको सौभाग्यशाली मानते हैं, लेकिन इस मंदिर में कलश यात्रा नहीं पहॅुच पायी, जहॉ की भगवान राम के जन्म पर हर साल जन्मोत्सव बड़े धूम धाम से मनाया जाता है।

बड़े राजनीतिक दलों के लिए ताल-त्याड़ों घाटी हमेशा गौण से गौण रही है, उनके लिए इस घाटी का और यहॉ के लोगों के प्रति कोई संवेदना नहीं है, क्योंकि यहॉ विकास के अभाव में जनता ने पलायन कर दिया है, जो लोग हैं, वह मजबूरी वश रह रहे हैं, जो अभाव व मजबूरी में रहते हैं, उनके पास कोइ जाना भी नहीं चाहता, क्योंकि यह लोग लोकतंत्र में मतदान करे या ना करे, इससे मतदान पर रत्ती भर भी फर्क नहीं पड़ने वाला ऐसा जनप्रतिनिधि सोचते हैं, इसलिए तो यहॉ आने से कतराते हैं। कलश यात्रा तिमली अकरा तक पहॅुची लेकिन बुकण्डी ग्राम सभा को बंचित कर दिया गया। वहीं डांडामण्डल क्षेत्र में भी कलश यात्रा पहुॅची किंतु ताल-त्याड़ो घाटी में कलश यात्रा नहीं पहॅुच पाई। यहॉ के निवासियों को लगता है कि भगवान राम के लिए शायद हम उनके आराध्य नहीं हैं, या फिर हम भारत के नहीं बल्कि श्रीलंका के निवासी है। हमसे बेहतर तो नेपाल के निवासी हैं, जो कि अयोध्या आने के आमंत्रित किये गये हैं।

ताल-त्याड़ो घाटी के निवासियों को हमेशा नकारा ही गया है, क्योंकि हमारे पास मुठ्ठी भर वोट की ताकत भी नहीं है। बरसात में तो हमको प्रकृति भी अलग थलग कर देती है, और बाकि मौसम मे यहॉ के जनप्रतिनिधि और राजनीतिक दलों के गणमान्य लोग। इनके लिए हमारे प्रति कोई सवेंदना नहीं है। अगर होती तो अक्षत कलश का आशीर्वाद लेने का सौभाग्य हमसे नहीं छीनते। गॉव गॉव में तो जाना संभव नहीं था किंतु हम सबकी ईष्ट देवी मॉ विन्ध्यवासनी और तालेश्वर महादेव के मंदिर में भी पहुॅच जाता तो हम इसे अपना सौभाग्य और आशीर्वाद समझकर प्रफुल्लित हो जाते। हालांकि हमारे क्षेत्र में कण कण में राम बसें हैं, उनका ही आशीर्वाद है कि हमारे लोग वहॉ विषम परिस्थितियों में भी निवास कर रहे हैं। भगवान राम सब पर अपना आशीष बनाये रखें और हम सबको सद्बुद्धि प्रदान करें और सम्पूर्ण ताल-त्याड़ो घाटी की रक्षा करें।
जय श्री राम, सनातन धर्म की जय हो।

बगल में छोरा शहर में ढिंढोरा...🤔दुनिया भर की ताकत का भंडार आपके बगल में है, और एक आप हैं कि दुनिया भर में तलाश कर रहे है...
16/01/2024

बगल में छोरा शहर में ढिंढोरा...🤔
दुनिया भर की ताकत का भंडार आपके बगल में है, और एक आप हैं कि दुनिया भर में तलाश कर रहे हैं...

ये कमाल का पौधा आपके आसपास, बगल में लगा हुआ है लेकिन लोग ड्राई फ्रूट, दवाओं और छायादार वृक्षो के पीछे भाग रहे हैं। ये अकेला वृक्ष कॉम्बो पैक है साहब जो अपने आपमे एक इकोसिस्टम है।
बाकी की माथा पच्ची भी होगी, तब तक आप अपना अनुभव शेयर करें, जरा गैसिंग लगाइये कि मैं क्या कहने वाला हूँ। वैसे उमर के विषय मे हमारे क्षेत्र में एक कहावत है...

आंखि देख के माखी न निगलि जाए!
सहगी ऊमर फोड़ खे न खाय!!
इस देशी कहावत के अनुसार अगर ऊमर/गूलर को फोड़ कर खाया जाये तो हवा लगते ही इसमे कीड़े पड़ जाते हैं। इसीलिये इसे बिना फोड़े ही खाया जाता है। लेकिन सच तो यह है, कि इसमें छोटे छोटे कीड़े (wasp) मौजूद रहते ही हैं। वनस्पति विज्ञान की भाषा मे गूलर का फल हायपेन्थोडीयम कहलाता है, जिसमे फूल/ पुष्पक्रम के आधारीय भाग मिलकर एक बड़े कटोरे या बॉल जैसी संरचना बना लेते हैं। और इस गोलाकार फल जैसी संरचना के भीतर कई नर और मादा पुष्प/ जननांग रहते है, जिनमें परागण और संयुग्मन के बाद बीज बन जाते हैं।
फल के परिपक्व होने के पहले उस पर विशेष प्रकार की मक्खी सहित कई कीट प्रवेश कर जाते हैं। कई बार वे अपना जीवन चक्र भी यहीं पूर्ण करते हैं। जैसे ही फल टूटकर जमीन से टकराता है, यह फट जाता है, और कीड़े मुक्त हो जाते हैं। ऐसा न भी हो तो कीट एक छिद्र करके बाहर निकल जाते हैं।

चलिये इन सबसे हटकर अब चर्चा करते हैं, इसके औषधीय महत्व की, हमारे गाँव के बुजुर्गों के अनुसार इसके फलो को खाने से गजब की ताकत मिलती है, और बुढापा थम से जाता है। मतलब अंजीर की तरह ही इसे भी प्रयोग किया जाता है।
मेरी दादी कहती थी कि ऊमर के पेड़ के नीचे से बिना इसे खाये नही गुजर सकते हैं। इसकी छाल को जलाकर राख को कंजी के तेल के साथ पाइल्स के उपचार में प्रयोग करते हैं। दूध का प्रयोग चर्म रोगों में रामवाण माना जाता है। दाद होने पर उस स्थान पर इसका ताजा दूध लगाने से आराम मिलता है। कच्चे फल मधुमेह को समाप्त करने की ताकत रखते हैं। पेट खराब हो जाने पर इसके 4 पके फल खा लेना इलाज की गारंटी माना जाता है।
वहीं एक ओर इसके पेड़ को घर पर या गाँव मे लगाना वर्जित है, शायद भूतों से इसे जोड़ते हैं, लेकिन वास्तव में यह दैत्य गुरु शुक्राचार्य का प्रतिनिधि है। वास्तु के अनुसार दूध और कांटे वाले पौधे घर पर लगाना उचित नही होता।
बुद्धिजीवियो का मानना है कि वास्तव में इसे पक्षियों और जनवरो के पोषण के लिये छोड़ने के लिए ऐसी मान्यताएँ बना दी गई होंगी, जिससे लोग इसके फलों और पेड़ का अत्यधिक दोहन न कर सकें। पक्षीयों के लिए तो यह वरदान है। और पक्षी ही इसे फैलाते भी हैं। व्यवहारिक रूप से यह पक्षियों का पसंदीदा है तो पक्षियों की स्वतंत्रता के उद्देश्य से भी इसे घर से दूर लगाना सही प्रतीत होता है।

यह शूक्र ग्रह का प्रतिनिधि पौधा है तो इस नाते अनेको तांत्रिक शक्तिओ का स्वामी भी है। कहते है, इसकी नित्य पूजन करने से सम्मोहन की शक्ति प्राप्त की जा सकती है। प्रेम और युवा शक्ति तो जैसे इस पेड़ के इर्द गिर्द ही घूमती रहती है। नव ग्रह वाटिका के पेड़ों में यह भी एक है। वृषभ राशि वालो का तो यह मित्र पौधा है। किंतु दुख की बात है, इन पेड़ों की संख्या दिन पर दिन कम होती जा रही है।
इसकी कोमल फलियों को सब्जियों के लिए भी प्रयोग किया जाता है, जो चिकित्सा का एक अनुप्रयोग है।
ऐसा कहा जाता है, कि दुनिया मे किसी ने गूलर का फूल नही देखा है, इसका कारण और जबाब मैं पहले ही बता चुका हूं।
यह जानकारी आपको कैसी लगी, बताइयेगा जरूर...
धन्यवाद 🙏

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