15/09/2022
प्राचीन काल से ही हर समुदाय में खान पान रहन सहन और दैनिक क्रियाकलापों को संयमित और अनुशासित रखने पर जोर दिया जाता रहा है, आधुनिक युग में हमारी जीवन शैली में नाटकीय ढंग से परिवर्तन हुआ है एवं इसने हर समुदाय, हर वर्ग को प्रभावित किया है। मशीनों पर निर्भरता ने शारीरिक श्रम एवं तेजी से होते विकास ने मानसिक शांति को छीन लिया है, इस परिवर्तन में अनेक स्वास्थ्य संबंधी नकारात्मक प्रभाव शरीर पर पड़े हैं जो कि बीमारियों के रूप में प्रकट होते हैं जैसे मधुमेह, हृदय रोग आदि।
इस विकासशील युग में शारीरिक, मानसिक समस्याएं भी तेजी से फल-फूल रही है, मधुमेह रोगियों की संख्या में उत्तरोत्तर वृद्धि इसका सूचक है। टाइप 2 मधुमेह के लिए सबसे बड़ा कारण आराम तलब जीवन शैली है। अनेक शोधों के अनुसार जीवन तलब (sedentary) शैली का सीधा संबंध बढ़ते हुए मधुमेह रोगियों की संख्या से है, उन्ही शोधों में यह भी पाया गया है कि ग्रामीणों की अपेक्षा शहरी लोगों में मधुमेह रोगियों की संख्या दोगुनी है। गांवों में किसान एवं मजदूर रहते हैं जिनकी जीवन शैली में शारीरिक श्रम का निश्चित समावेश होता है। पहले आराम तलब जीवन शैली के लिए कोई पैमाना नहीं था हाल ही में प्रकाशित एक शोध में पाया गया कि किसी व्यक्ति का 24 घंटे में कितना समय कुर्सी पर बैठे या बिस्तर पर लेटे व्यतीत होता है इसका सीधा संबंध डायबिटीज होने से है। ग्रामीणों के कार्य में शारीरिक श्रम की आवश्यकता होती है परंतु शहरी लोगों में अधिकांश कार्य कुर्सी पर बैठने वाले होते हैं जिसमें श्रम की आवश्यकता नहीं होती है, अतः इस स्थिति में से व्यायाम के लिए समय निकालना आवश्यक है। यह कैसा विकास है? जो शारीरिक स्वास्थ्य के सापेक्ष है हमें इसे बदलना होगा एवं स्वास्थ्य के सापेक्ष लाना होगा, यह असंभव नहीं है अपनी कार्यशैली में श्रम के अवसर ढूंढे एवं उपयोग करें।
डॉ सुशील जिंदल
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