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Utthan a foundation by IITians , NITians, Doctors and CAs of AZAMGARH district working hard for the development of our district AZAMGARH

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with only one aim in mind to develop our Azamgarh

no matter how hard we need to work upon that
we have one dream to produce maximum no of engineers doctors cas and sportsmen too..

 #चार_तरह_के_लोग :एक जो सबसे कम होते हैं ग़लत के ख़िलाफ़, सही के लिये आर-पार लड़ते हैं। दूसरे इनसे अधिक लोग इनका साथ देत...
26/12/2022

#चार_तरह_के_लोग :
एक जो सबसे कम होते हैं ग़लत के ख़िलाफ़, सही के लिये आर-पार लड़ते हैं।
दूसरे इनसे अधिक लोग इनका साथ देते हैं।
तीसरे इनसे भी अधिक लोग सब समझते हैं, परन्तु कुछ नहीं कर पाते।
चौथे सबसे अधिक होते तो हैं। पर वे अपने ही सुख-दु:ख, घर-परिवार, रोज़ी-रोटी, दोस्ती-रिश्तेदारी में सिमट कर जीना पसन्द करते हैं।
प्रिय मित्र, आप कैसे हैं ?
ढेर सारा प्यार

प्रिय मित्र, आज बहुत दिनों बाद मेरी बेटी Pratiksha Pandey ने अपनी सुर-साधना में सूफी संगीत का नया पक्ष जोड़ कर एक मधुर प्...
24/12/2022

प्रिय मित्र, आज बहुत दिनों बाद मेरी बेटी Pratiksha Pandey ने अपनी सुर-साधना में सूफी संगीत का नया पक्ष जोड़ कर एक मधुर प्रस्तुति दी है. आपसे उसके व्यक्तित्व के उत्कर्ष के लिये आशीर्वाद की कामना कर रहा हूँ.
सविनय

A Sufi song originally from the album 'Kailasa -- Chanandan Mein.' The lyrics were written by Kailash Kher when his father passed away.cover song singer Prat...

27/10/2022
THERE ARE FIVE CHALLENGES HERE FOR A FIGHTER. CAN YOU ACCEPT THEM ?
15/09/2022

THERE ARE FIVE CHALLENGES HERE FOR A FIGHTER. CAN YOU ACCEPT THEM ?

आर्थिक मदद की गुहार : प्रिय मित्र, आज़मगढ़ का निःशुल्क ज्ञान-यज्ञ भीषण आर्थिक संकट झेल रहा है. इसे और मदद की सख़्त ज़रूरत है...
15/09/2022

आर्थिक मदद की गुहार : प्रिय मित्र, आज़मगढ़ का निःशुल्क ज्ञान-यज्ञ भीषण आर्थिक संकट झेल रहा है. इसे और मदद की सख़्त ज़रूरत है. आपकी अपनी मदद नितान्त महत्वपूर्ण है. यदि हमें कुछ और मित्रों की मदद नहीं मिली, तो संस्था के सामने अस्तित्व का संकट है. सविनय.

11/09/2022

धुँधला दिखाई देने के लिये कल रात मुझे सात दिनों तक किसी भी काम से बचने की सलाह देते दी गयी.

08/07/2022

#लड़ाई_पेड़_और_दीमक_की_ज़िन्दगी_आपकी.
प्यारे बच्चो, आज ही मैंने आपको बताया कि दीमक पेड़ को भीतर से खा जाते हैं और बहुत ताक़तवर पेड़ भी अचानक हवाओं के थपेड़ों का मुकाबला नहीं कर पाता और गिर जाता है. जब दीमक पेड़ को खाने की शुरुआत करते हैं तो कोई भी नहीं जान पाता. मगर जब पेड़ गिरता है तो सभी को पता चल जाता है और सभी का अकल्पनीय नुकसान हो जाता है. आपका केन्द्र उसी पेड़ की तरह है और आप ही उस पेड़ की शाखाएँ और पत्तियाँ हैं. आप ही उसकी भव्य और ऐतिहासिक विराटता हैं. अगर आपकी सतत प्रगति और विकास को लापरवाही के दीमक इस समय चाट रहे हैं तो एकमात्र मेरा ही कर्तव्य है कि आपकी आलोचना करूँ और आपको सजग करूँ. आपको और आगे बढ़ने के लिये उत्साहित करूँ. मैं आपके साथ ऐसी बुरी और विपरीत परिस्थिति में थोड़ी सी कड़ाई करने को मजबूर हो जाता हूँ. अगर आप को मेरी इस कड़ाई से तक़लीफ़ होती है और बुरा लगता है तो मैं मन से आप सभी से सार्वजनिक तौर पर क्षमा माँग रहा हूँ. मगर मैं आपके साथ किसी भी हालत में ग़द्दारी नहीं कर सकता. ढेर सारा प्यार.
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=397180542249209&id=100077499612919

 ाष्ट्र_या_राज्यों_का_संघ__गिरिजेश प्रिय मित्र, IAS margdarshak Ashish Sir के 'राष्ट्र' बनाम 'राज्यों का संघ' : एक विमर्...
30/05/2022

ाष्ट्र_या_राज्यों_का_संघ__गिरिजेश
प्रिय मित्र, IAS margdarshak Ashish Sir के 'राष्ट्र' बनाम 'राज्यों का संघ' : एक विमर्श "Nation Vs. Union of States" : a debate विषयक वेबिनार से मेरे वक्त्वय का यह अंश लिया गया है. उसका लिंक : https://www.youtube.com/watch?v=uMzeT67lbMk&t=5535s

इस विस्तृत विषय पर संक्षेप में यह प्रस्तुति युवा साथियों को वक्तृता-कला की संक्षिप्त विधा सिखाने के उद्देश्य से यहाँ प्रस्तुत है.

विषय गूढ़ है. फिर भी यह प्रयोग प्रभावी हो सका.
इसका लिंक है : https://youtu.be/pkD0TzApHRM

वेबिनार में उपस्थित सभी सहाभागियों के प्रति आभार और आशीष सर के लिये और भी ऐसे सफल आयोजन करने की कामना.
ढेर सारा प्यार - आपका गिरिजेश 28.5.22

प्रिय मित्र, IAS margdarshak Ashish Sir के 'राष्ट्र' बनाम 'राज्यों का संघ': एक विमर्श, "Nation Vs. Union of States" : a debate विषयक वेबिनार से मेरे वक्त्वय ...

 #महत्वपूर्ण_सूचना_12वीं_के_बाद_कैरियर_का_चुनाव_प्रश्न_आपके_उत्तर_हमारे   - Ashish Kumar (आशीष सर)प्रिय मित्र, शनिवार 21...
19/05/2022

#महत्वपूर्ण_सूचना_12वीं_के_बाद_कैरियर_का_चुनाव_प्रश्न_आपके_उत्तर_हमारे - Ashish Kumar (आशीष सर)
प्रिय मित्र, शनिवार 21.5.22 को अपराह्न 4 बजे से 5 बजे तक गूगल meet पर एक परिचर्चा होनी है.

इसमें भाग लेने से इण्टर के सभी छात्रों, शिक्षकों तथा अभिभावकों को उच्च-शिक्षा के विषयों का चयन करने का फैसला लेने में मदद मिलेगी.

आशीष सर व्यक्तित्व विकास केन्द्र की टीम के विद्वान मार्गदर्शक सदस्य हैं. वह सिविल के कम्प्टीशन की तैयारी करवाते हैं. उनका यू ट्यूब पर IAS margdarshak Ashish sir नामक चैनल है. जिस पर अनेक व्याख्यान उपलब्ध हैं.

अनुरोध है कि इस परिचर्चा में आप भी भाग लीजिए और अन्य मित्रों को भी भाग लेने का सुझाव दीजिए.
ढेर सारा प्यार - आपका गिरिजेश

 #टीम_और_परिवार प्रिय मित्र, मैं परिवार में व्यक्ति के अलगाव के बारे में सोच कर दुःखी हूँ. मेरी एक बेटी बीमार हो गयी है....
18/05/2022

#टीम_और_परिवार
प्रिय मित्र, मैं परिवार में व्यक्ति के अलगाव के बारे में सोच कर दुःखी हूँ.

मेरी एक बेटी बीमार हो गयी है. उसका इलाज मेरी विदुषी बेटी डॉक्टर Rajni Manish Tripathi निःशुल्क कर रही हैं. इस मदद के लिये मैं उनके प्रति हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त कर रहा हूँ.

मेरी इस बेटी को अपने गाँव से मेरे पास तक आने में एक घण्टे की साइकिलिंग करनी पड़ती है. आज अभी मैंने उससे फोन पर बात की.

उसके परिवार में उसका बड़ा भाई है. बाइक चलाता है. बेटी को बीमारी की कमज़ोरी के कारण कुछ दिनों तक घर से Personality Cultivation Center व्यक्तित्व विकास केन्द्र तक सुबह बाइक से छोड़ने और शाम को घर ले जाने की व्यवस्था करना चाहता था.

इसके बारे में अपने अनुरोध का सन्देश मैंने बेटी द्वारा भाई को भेजा था. अभी उससे भाई द्वारा साथ देने से इन्कार करने की जानकारी मिली. हार्दिक दुःख हुआ कि क्या भाइयों के लिये आज रक्षा-बन्धन केवल एक औपचारिक अनुष्ठान बन कर रह गया है.

आप भी सभी लोगों की तरह ही अपना परिवार बसाते हैं. आप अपने सुख और अपने परिवार की ख़ुशी के मक़सद से अपने जीवन का रास्ता निर्धारित करते हैं.

आप जीवन की संध्या में अपने परिवार के लिये एक मकान बनवाते हैं. आप अपने बुढ़ापे में सहारे की उम्मीद पाल कर बच्चे पैदा करते हैं. दिन-रात एक करके कड़ी मेहनत से आप अपनी रोज़ी जुटाते हैं. आप अपने बच्चों को अपनी कूबत भर हर मुमकिन सुरक्षा और शिक्षा देते हैं.

परन्तु अब ज़माना बदल गया है. हमारे पुरखों को अपने संयुक्त परिवार में आख़िरी साँस तक सुरक्षित और सम्मानित जीवन जीने की सुविधा उपलब्ध थी.

मगर अब हमारे समाज की व्यवस्था परम्परागत भावनाओं की जगह पैसे पर आधारित है. जिसके पास पैसे हैं, धरती की सारी सुविधाएँ उसे उपलब्ध हैं. परन्तु जिसके पास पैसे नहीं हैं, उसका जीवन अभावों के कारण नरक बना हुआ है.

इसी वज़ह से आपके परिवार के भी अधिकतर रिश्ते सहज मानवीय सम्वेदना के बजाय खुले या छिपे स्वार्थ पर ही टिके हुए हैं.

इसी वज़ह से आपके परिवार के सदस्यों में कोई भी कभी भी मुसीबत में आपका साथ देने से इन्कार कर दे सकता है. वह स्वार्थवश आपको नितान्त असहाय और अकेला छोड़ कर अपने निन्यानबे के चक्कर में लगना पसन्द करता है.

हो सकता है कि आप मुझे पूरी तरह ग़लत मानें. हमेशा की तरह इस मुद्दे पर भी आपकी असहमति का सम्मान है.

इसके विपरीत हम एक मजबूत टीम बनाना चाहते हैं. क्योंकि हर टीम आख़िरी हद तक अपने हर सदस्य का अपनी क़ूबत भर साथ देती ही है.

हालाँकि मैंने अपने गुरु जी की टीम को खण्ड-खण्ड होते झेला है और ख़ुद भी बार-बार टीम के विखण्डन की पीड़ा को जिया है.

फिर भी हमारा लक्ष्य बेहतर इन्सान गढ़ना है. हमारा सपना वर्तमान असन्तुलित अमानवीय समाज-व्यवस्था के विद्रूप की विसंगतियों से मुक्त मानवीय भावनाओं को सम्मान देने वाले एक सुन्दर और सन्तुलित समाज का सृजन है.

हम आपके बच्चों को पैसे का नितान्त स्वार्थी ग़ुलाम नहीं बनने देना चाहते हैं. हम उन सभी के मन-मस्तिष्क में कोमल मानवीय भावनाओं और तर्क-सम्मत वैज्ञानिक विचारों की अपने पुरखों की समृद्ध विरासत भरना चाहते हैं. वस्तुतः हम उनको "असली इन्सान" बनाना चाहते हैं.

कृपया इस पुनीत लक्ष्य को रूपायित करने के प्रयास में हमारा साथ दें. निश्चय ही इससे हमारी तरह ही आपको भी हार्दिक सन्तोष मिलेगा.

ढेर सारा प्यार - आपका गिरिजेश 18.5.22.

 ्लीज़मेरे प्यारे बच्चो, साथियो, दोस्तो, कृपया Personality Cultivation Center व्यक्तित्व विकास केन्द्र को चलाते रहने के ल...
12/05/2022

्लीज़
मेरे प्यारे बच्चो, साथियो, दोस्तो, कृपया Personality Cultivation Center व्यक्तित्व विकास केन्द्र को चलाते रहने के लिये हमारा साथ दीजिए.

मात्र न्यूनतम किन्तु नियमित मदद.

आप सबकी मदद से ही यह नॉन एनजीओ प्रयोग इतने वर्षों तक चल सका.

परन्तु विडम्बना है कि वह भी आपके पर्याप्त समर्थ होने पर भी हमें लगातार मिल नहीं पा रही.

यह जानते हुए भी कि लाख चाहने के बावज़ूद भी हम इसे दुबारा खड़ा नहीं कर सकेंगे.

हम तो निःशुल्क शिक्षा के आज़मगढ़ के इस केन्द्र को आर्थिक संकट के चलते केवल बन्द करने को बाध्य होंगे.

परन्तु इसके टूट जाने पर आप भी आजीवन केवल पछताते रहने को क्या अभिशप्त नहीं होंगे ?

मेरा विनम्र अनुरोध है कि कृपया इस केन्द्र को बचाने के लिये ख़ुद भी पहल लीजिए और अपने मित्रों से भी चर्चा कीजिए.

मुझे भी नहीं पता कि आपकी थोड़ी-सी मदद से न जाने किस बच्चे का कल बदल जाये.

इन्कलाब ज़िन्दाबाद ! जोंकराज मुर्दाबाद !! 12.5.22.

10/05/2022

#बुलडोजर_और_नाजायज़_कब्ज़े
देश भर में अमीरों के बीच अट्टालिकाओं के सामने नक्शे से अधिक सार्वजनिक भू-क्षेत्र हड़पना और अनुमति से अधिक मन्ज़िलें खड़ी करना आम चलन है.
मुसलमानों को निशाना बनाने वाली सत्ताओं द्वारा इन पर बुलडोजर क्यों नहीं चलाया जाना चाहिए ?

 #अनुशासन_का_फ़ैसला : प्रिय मित्र, Personality Cultivation Center व्यक्तित्व विकास केन्द्र में आज कक्षा 9 के राज गुप्त को...
19/04/2022

#अनुशासन_का_फ़ैसला :
प्रिय मित्र, Personality Cultivation Center व्यक्तित्व विकास केन्द्र में आज कक्षा 9 के राज गुप्त को 8 बजे के बजाय 11.20 पर आने पर वापस लौटा दिया गया.

उनके साथ दो और छात्रों सौरभ और करन को एक जैसा कमज़ोर और लापरवाह होने के साथ ही लगातार पढ़ाई की तरफ़ झुकाव बढ़ाने के बजाय फोन पर फ़ायर फ़ॉक्स खेलते रहने के नुकसान के बारे में महीनों तक भरपूर समझाया गया. उन्हें कई बार फोन कर-कर के बुलाया भी गया.

चूँकि करन को 11.30 बजे से 3 बजे तक स्कूल जाना पड़ता है और तीनों के घर आसपास ही हैं. इसीलिये इन्हें एक समूह में डालकर सिखाने की योजना बनायी गयी.

सौरभ स्कूल से सीधे आये थे. वह भी खाना खाकर अभी तक नहीं लौटे.

सुबह 9 बजे केवल करन आये और राज के घर उनको बुलाने भी गये. तब वह नहा रहे थे. तीनों ही पढ़ाई के नाम पर न्यूनतम काम कर रहे हैं.

अभी-अभी Pratiksha Pandey दीदी सबको स्पष्ट बता कर गयी थीं कि जो नहीं पढ़ेगा, उसका आना बन्द कर दिया जायेगा. फिर भी किसी पर कोई असर नहीं पड़ा.

तीन दिन पहले तीन लोग 6 बजे के बजाय 5 बजे ही बिना बताये फ़रार हो गये थे. उसमें भी राज शामिल थे. जबकि किसी को भी किसी काम से कभी भी जाना होता है, तो उसे जाने दिया जाता है.

अब अगर राज या कोई भी दूसरा विद्यार्थी ज़िम्मेदारी से अपना काम करेगा, तभी उसे सिखाया जायेगा.

हम निकम्मे लोगों की भीड़ नहीं चाहते. मेहनत से पढ़ने वाले लोगों की सेवा करना ही हमारा मक़सद है.

इसी पवित्र मक़सद के लिये हम आप सभी से बार-बार मदद की याचना करते हैं.

ढेर सारा प्यार मगर सख़्त अनुशासन. - आपका गिरिजेश 19.4.22 (अध्ययन-रत राज गुप्त)

 #मैं_क्षमा_माँँगता_हूँ.प्रिय मित्र, मुझे जन्मदिन पर आप सभी ने भरपूर स्नेह, सम्मान और शुभकामनाएँ दीं.मैं अपने प्रति आपके...
17/04/2022

#मैं_क्षमा_माँँगता_हूँ.
प्रिय मित्र, मुझे जन्मदिन पर आप सभी ने भरपूर स्नेह, सम्मान और शुभकामनाएँ दीं.
मैं अपने प्रति आपके कोमल भावनात्मक लगाव के लिये अन्तर्मन से कृतज्ञ हूँ.
बदले में मैंने आप सभी से Personality Cultivation Center व्यक्तित्व विकास केन्द्र के कक्षा नौ से बारह तक की निःशुल्क शिक्षा-सेवा और उच्चशिक्षा ग्रहण कर रहे कुछ विद्यार्थियों की मदद के लिये सविनय मदद माँगी.
इस अवसर पर कुल चार लोगों से ₹12,500/- की मदद प्राप्त हुई. मैं उन्हें हार्दिक धन्यवाद दे रहा हूँ. यह राशि आईआईटी में ऐडमिशन के लिये ख़र्च की जायेगी.
कुछ मित्रों ने आश्वासन दिया. कुछ ने लाइक किया. कुछ चुप रहे.
मेरा निवेदन है कि यदि आप इस ज्ञान-यज्ञ में अपनी आहुति देने की हालत या मानसिकता में नहीं हैं, तो कृपया दुःखी मत हों, मेरे प्यारे दोस्त !
जीवन में आपने कभी किसी की मदद की और धोखा खाया. आप सचेत हुए. आपके हिस्से का सच हृदयविदारक है. कटु है. परन्तु सच है.
आपके पाले में गेंद आयी, आपने ईमान से खेला. सामने वाले की चालाकी के लिये आप ज़िम्मेदार नहीं हो सकते.
मैंने तो ख़ुद को डीक्लास किया. परिवार नहीं बसाया. नौकरी-रोज़गार नहीं किया. सम्पत्ति नहीं बटोरी.
मैंने केवल शोषित-पीड़ित मानवता की विनम्रता से सेवा की. इसके लिये जीवन भर केवल सबसे भीख माँगी. हाँ, कभी अपना ईमान नहीं बेचा. जब ज़रूरत पड़ी, तो सेवा के लिये तरह-तरह की मज़दूरी भी की.
अब मेरा शरीर साथ नहीं दे पा रहा. अब मैं मज़दूरी करने लायक भी नहीं बचा. मुट्ठीभर लोगों की मदद से ही कुछ बच्चों की सेवा करता जा रहा हूँ.
इस हालत में भी कुछ लोग मेरा लगातार साथ दे रहे हैं. कुछ लोग कभी-कभार मदद करते रहते हैं. कुछ लोगों ने अपनी मदद बढ़ाई है. कुछ लोगों ने अपनी मदद घटाई है. कुछ लोग दुआएँ दे रहे हैं. कुछ लोग चुप हैं. कुछ लोग स्पष्ट इनकार करते रहे हैं. कुछ लोग पीछे भी हटते रहे हैं. कुछ लोग पीछे हटने के बाद दुबारा मदद शुरू किये हैं.
मैं ऐसे सभी लोगों का ऋणी हूँ. मैं ऐसे सभी लोगों के प्रति हार्दिक धन्यवाद व्यक्त कर रहा हूँ.
मैं आपको बार-बार परेशान करने के लिये विनम्रता से क्षमा-याचना कर रहा हूँ.
परन्तु हम जानते हैं कि प्रतीकात्मक स्तर पर भी सृजनात्मक जन-दिशा का परिवर्तनकामी मॉडल बिना जन-सहयोग और जन-समर्थन के यथास्थिति की हिमशिला की जड़ता को तोड़ने के लिये नहीं खड़ा किया जा सकता है.
इतिहास साक्षी है कि बार-बार जगह-जगह हमारी धरती पर अगणित लोगों ने अपने-अपने दौर में लोगों के सहयोग से ही इतिहास बनाया है.
सभी को मालूम है कि वर्तमान धन-तन्त्र सड़ चुका है. यह पूरी तरह जनविरोधी हो चुका है. अब यह किसी भी तरह मानवता की सेवा करने में अक्षम है. यह केवल शोषण और उत्पीड़न ही कर सकता है.
आज सम्पूर्ण मानव-जाति एक बार फिर नये सिरे से वर्तमान पूँजीवादी साम्राज्यवादी समाज-व्यवस्था के विकल्प की तलाश में है.
हम इस परिवर्तनकामी धारा के छोटे-से हिस्से मात्र हैं. हमें अपनी सीमाओं के बारे में तनिक भी भ्रम नहीं है.
फिर भी हमें मुसल्सल यकीन है कि इतिहास ने बार-बार करवट ली है और असमर्थ लग रहे अगणित लोगों के उमड़ने वाले जन-ज्वार में पुरानी सड़ी-गली दुनिया डूबती रही है और नया ज़माना आता रहा है.
हम एक बार फिर इतिहास बनाने के लिये बज़िद हैं. हमारा रास्ता मुश्किलों भरा है. मगर आने वाला कल हर बार की तरह ही इस बार भी हमारा ही होगा.
"हमें पता है कि मुश्किल है रास्ता अपना,
हमारी ज़िद को तोड़ना भी तो आसान नहीं."
इसलिये एक बार फिर सविनय अनुरोध कर रहा हूँ कि कृपया हमारी न्यूनतम नियमित मदद कीजिए. आपकी छोटी-सी मदद से किसी ज़रूरतमन्द मेधावी बच्चे का कल बदल सकता है.
पहले इस केन्द्र में आने वाले सभी बच्चों से कुछ भी नहीं लिया जाता था. परन्तु अब जब लॉकडाउन-2 के बाद ग़रीबी की जगह कंगाली आ गयी है, तो उनसे भी उनकी स्थिति और इच्छा के अनुरूप अधिकतम 500/- या उससे कम मदद का अनुरोध किया जा रहा है.
अधिकतर बच्चे अभी भी कुछ भी नहीं देने की स्थिति में हैं. पिछले तीन महीने से 4-4 और 3 हज़ार रुपये कुछ बच्चों ने दिया. पहले दो महीनों में वह पैसा शिक्षकों के बीच उनके 5000/- के मानदेय के साथ बाँट दिया गया.
इस बार शिक्षक साथियों ने आपस में यह फैसला किया कि जो भी मदद बच्चे देते हैं, उसे उच्च-शिक्षा के साथियों को दे दिया जायेगा.
कल ही एक बच्चे को बहुत सुन्दर लिखने पर लिखने में लगा समय लिखने के लिये सलाह देने पर उसने बताया कि उसके पास घड़ी नहीं है और अपनी घड़ी देने की पेशकश पर बताया कि उसकी मँड़ई में घड़ी टाँगने की जगह भी नहीं है. ऐसे बच्चे अपने लिये किताबें और मोबाइल कैसे जुटा सकते हैं ?
ढेर सारा प्यार - आपका गिरिजेश 17.4.22.

01/04/2022

*जैसी करनी - वैसी भरनी*
सरकारो, ख़ूब टैक्स बढ़ाओ.
दूकानदारो, ख़ूब महँगाई बढ़ाओ.
मीडिया वालो, ख़ूब झूठ बोलो.

अमीरो, ख़ूब अपमानित करो.
चमचो, ख़ूब चापलूसी करो.

डॉक्टरो-वकीलो-विशेषज्ञो, ख़ूब वसूली करो.

अधिकारियो, ख़ूब घूस लो.
कर्मचारियो, ख़ूब काम टालो.
मास्टरो, बिल्कुल मत पढ़ाओ.
मैनेजरो, गार्जियंस को हर तरह से हलाल करो.

मगर मेहरबानी करके सबको बेवकूफ़ मत समझो.
वे सब समझ रहे हैं.

उनके कोप से डरो.
जब वे खड़े हों जायेंगे, तब अपनी हालत के बारे में भी एक बार सोच लो!
ख़ुदा ख़ैर करे !

FOR Hiba Masood CLASS - VI Taj Public School who grasped calligraphy skill in only four days because of her vision, zeal...
01/04/2022

FOR Hiba Masood
CLASS - VI
Taj Public School
who grasped calligraphy skill in only four days because of her vision, zeal and hard work.
WITH A LOT OF HOPE
- GIRIJESH 1.4.22.

“FOR Hiba Masood CLASS - VI Taj Public School who grasped calligraphy skill in only four days because of her vision, zeal and hard work. WITH A LOT OF HOPE - GIRIJESH 1.4.22.”

 ा_और_सफलता_प्रिय मित्र, असफलता और सफलता के लिये सबसे अधिक और सबसे पहले हम ख़ुद ज़िम्मेदार होते हैं. क्योंकि किसी भी महत्त...
04/03/2022

ा_और_सफलता_
प्रिय मित्र, असफलता और सफलता के लिये सबसे अधिक और सबसे पहले हम ख़ुद ज़िम्मेदार होते हैं. क्योंकि किसी भी महत्त्वपूर्ण काम की कल्पना बहुत ही आसान होती है.

उसे शुरू करना हमेशा आसान होता है. क्योंकि बहुत-से लोगों से साथ देने की उम्मीद रहती है.

एक बार काम शुरू कर देने के बाद धीरे-धीरे करके सभी तरह के भ्रम टूटने लगते हैं. कोरी कल्पना की जगह कड़वी सच्चाई सामने आने लगती है.

अब अपनी क्षमताओं और लोगों के वायदों की सीमाओं के बारे में समझ साफ होने लगती है.

काम करने के दौरान आपकी केवल कुछ क्षमताओं का ही उपयोग किया जा पाता है. शेष की लोगों को ज़रूरत ही नहीं महसूस होती.

कुछ लोग ही साथ दे पाते हैं. दूसरे लोगों की प्राथमिकता बदल चुकी होती है. वे अपने ही शब्दों का सम्मान करते हुए नहीं दिखाई देते.

अधिकतर लोग पीछे हट जाते हैं. कुछ लोग अपने काम पूरे होने तक ही साथ रहते हैं. काम निकल जाता है तो वे भी पीछे हट जाते हैं.

पीछे हटने वाले लोगों में से कुछ ठोकर लगने पर पलटकर वापस लौट आया करते हैं और अधिकतर भीड़ में गुम हो जाने को अभिशप्त होते हैं. वे ग्लानि, अपराधबोध और भय के कारण मिलने से भी कतराते हैं.

साथ देने वाले लोगों में से भी अधिकतर लोग चुप्पी साधे रहते हैं. उनके बारे में अनुमान लगाना मुश्किल होता है. कुछ लोग औक़ात से अधिक बढ़कर वायदे करते हैं. उनके वायदे कभी पूरे नहीं हो पाते. कई लोग सान्त्वना देने में कुशल होते हैं तो बहुत-से शाब्दिक प्रशंसा करने में महारत रखते हैं.

ऐसे लोगों के कारण ही लक्ष्य तक पहुँचना मुश्किल होता जाता है. वे न तो ख़ुद काम करते हैं और न ही करने देते हैं. वे हाथी के दिखावटी दाँत साबित होते हैं.

केवल मुट्ठीभर लोगों की ही काम को हर चुनौती का मुक़ाबला करते हुए और आगे बढ़ाने में दिली दिलचस्पी होती है और वे ही असली कार्यकर्ता होते हैं. वे ही असली साथी होते हैं. वे ही असली शुभचिन्तक होते हैं.

ऐसे ही लोगों के बल पर तमाम अवरोधों को पार करके लक्ष्य तक पहुँचना मुमकिन हो पाता है. ऐसे लोगों के कृतित्व पर गर्व की अनुभूति होती है और उनके साथ काम करने में जीवन की सार्थकता का एहसास होता है.

ऐसे लोगों के बल पर ही टीम को लोकप्रियता, विस्तार, सफलता और कीर्ति हासिल करने का अवसर मिलता है. ये ही असली कर्मवीर होते हैं. इन्हें किसी भी क़ीमत पर अपने रास्ते से डिगाया नहीं जा सकता है.

ढेर सारा प्यार.
आपका गिरिजेश 4.3.22

 ोकेट_प्रतीक्षा_पाण्डेय_की_व्यक्तित्व_विकास_केन्द्र_की_टीम_से_वार्ता_प्रिय मित्र, मेरी विदुषी बेटी Pratiksha Pandey ने अ...
17/02/2022

ोकेट_प्रतीक्षा_पाण्डेय_की_व्यक्तित्व_विकास_केन्द्र_की_टीम_से_वार्ता_
प्रिय मित्र, मेरी विदुषी बेटी Pratiksha Pandey ने अपने LL.M. तक के अध्ययन में हमेशा ही प्रथम श्रेणी प्राप्त की है.
उन्होंने निःशुल्क शिक्षा के लिये समर्पित व्यक्तित्व विकास केन्द्र की टीम के साथियों और विद्यार्थियों के साथ विभिन्न मुद्दों पर महत्वपूर्ण और प्रेरक बातचीत की.
यह वार्ता और भी छात्रों-युवाओं के लिये उपयोगी है.
ढेर सारा प्यार और ढेर सारी उम्मीदें - आपका गिरिजेश (15.2.22)
इसका लिंक है : https://www.youtube.com/watch?v=qaMgbMaW0mc&t=185s

प्रिय मित्र, मेरी विदुषी बेटी प्रतीक्षा ने अपने एल एल. एम. तक के अध्ययन में हमेशा ही प्रथम श्रेणी प्राप्त की है. उन्ह....

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