14/04/2024
देखा है ज़िंदगी को कुछ इतना क़रीब से
चेहरे तमाम लगने लगे हैं अजीब से
कहने को दिल की बात जिन्हें ढूँढ़ते थे हम
महफ़िल में आ गए हैं वो अपने नसीब से
नीलाम हो रहा था किसी का प्यार
क़ीमत नहीं चुकाई गई इक ग़रीब से
तेरी वफ़ा की लाश पे ला मैं ही डाल दूँ
रेशम का ये कफ़न जो मिला है रकीब से ...
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