Zona de Juegos Retro-Actuales

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18/12/2024

बेटियों के हवाले वंदे भारत एक्सप्रेस – बेटियां किसी से कम नहीं हैं। अगर आप सच्चे दिल वाले हैं, तो इस बहन को अपना प्यार जरूर दें। ❤️🙏

झारखंड की रहने वाली ऋतिका ने अपनी कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प से यह साबित कर दिया है कि बेटियां किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं। ऋतिका एक साधारण परिवार से आती हैं, जहां चार भाई-बहन हैं। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा रांची से पूरी की और इसके बाद BIT MESRA, रांची से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया।

वर्ष 2019 में उन्होंने भारतीय रेलवे के धनबाद डिवीजन में असिस्टेंट लोको पायलट के रूप में अपनी नौकरी की शुरुआत की। उनकी पहली पोस्टिंग चंद्रपुर, बोकारो में हुई थी। 2021 में उनका ट्रांसफर टाटानगर हो गया और कड़ी मेहनत व समर्पण के चलते 2024 में उन्हें सीनियर असिस्टेंट लोको पायलट के पद पर प्रोन्नत कर दिया गया। 🚂✨

ऋतिका की यह सफलता हर उस लड़की के लिए प्रेरणास्रोत है जो अपने सपनों को सच करने की हिम्मत रखती है। आइए, हम सब मिलकर इस बहादुर बेटी को सलाम करें। जय हिंद! 🇮🇳🌟

15/12/2024

फिर मायके आ गई! तुम्हें कोई शर्म नहीं आती? जब देखो मुंह उठाकर चली आती हो। ससुराल में मन नहीं लगता क्या?" सुरेखा भाभी के तीखे ताने नीरजा के दिल को छलनी कर गए। मगर वह चुप रही, जैसे हमेशा से इन बातों को सहने की आदत हो।

नीरजा की शादी को बस दो साल ही हुए थे। सुकेश, उसका पति, ज्यादा पढ़ा-लिखा नहीं था और एक छोटी सी दुकान चलाता था। नीरजा के सपने हमेशा ऊंचे थे, मगर किस्मत ने उसकी राहें बदल दी थीं। पिता के गुज़रने के बाद, मां भी अपने बेटों पर निर्भर थीं। ऐसे में नीरजा की शादी जल्दी कर दी गई, क्योंकि सुकेश का परिवार कम दहेज में तैयार हो गया था।

नीरजा शादी नहीं करना चाहती थी। वह अपने सपनों को पूरा करना चाहती थी, मगर सुरेखा भाभी के दबाव और मां की चिंता के आगे झुक गई। शादी के बाद ससुराल पहुंचकर नीरजा को समझ आया कि यहां पढ़ाई-लिखाई से किसी को कोई मतलब नहीं था। सास सुमित्रा जी ने तंज कसते हुए कहा, "लड़की को पढ़ाकर क्या करना है? उसे तो चूल्हा-चौका ही संभालना है।"

नीरजा ने हालात का सामना करने का फैसला किया। उसने सास को समझाया और अपनी डिग्री लेकर नौकरी की कोशिश शुरू की। सुरेखा भाभी के तानों के बावजूद, नीरजा ने मायके जाकर अपने कागज़ात लिए और मेहनत से इंटरव्यू दिए। आखिरकार, उसे एक स्कूल में अध्यापिका की नौकरी मिल गई।

धीरे-धीरे नीरजा ने ससुराल का माहौल बदल दिया। उसने सुमित्रा जी को बेटियों की शिक्षा का महत्व समझाया और अपनी ननदों को भी पढ़ाई के लिए प्रेरित किया। नीरजा की मेहनत रंग लाई। घर की आर्थिक स्थिति सुधरी, और वह सीनियर टीचर से स्कूल की प्रिंसिपल बन गई।

आज नीरजा का ससुराल गर्व से उसकी तारीफ करता है। सुमित्रा जी कहती हैं, "नीरजा सिर्फ बहू नहीं, हमारे घर की रोशनी है।"

यह कहानी बताती है कि जब एक औरत आत्मनिर्भर बनती है, तो वह न केवल अपना, बल्कि पूरे परिवार का भविष्य संवार देती है। आत्मनिर्भरता ही हर स्त्री की सच्ची पहचान है।
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राम राम

14/12/2024

बबली स्कूल से लौटी ही थी कि उसकी मम्मी कंचन ने गुस्से में आवाज लगाई, "बबली, सीधे ऊपर आओ।" बबली ने ताई जी के पास जाने की जिद की, लेकिन कंचन ने सख्ती से मना कर दिया। बबली डरते हुए ऊपर चली गई। ऊपर पहुंचते ही उसने गुस्से से कहा, "मम्मी, हमेशा मुझे क्यों रोकती हो? ताई जी मेरे लिए चीजें रखती हैं, अब स्वीटी ले लेगी सब।"

कंचन ने डांटते हुए कहा, "आज के बाद ताई जी के पास गई तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।" तभी स्वीटी स्कूल से आई, और कंचन ने उसे भी ऊपर बुला लिया। दोनों बहनें मम्मी के इस सख्त रवैये से नाराज थीं। स्वीटी ने पूछा, "मम्मी, ताई जी से क्या हुआ है?" कंचन ने टालते हुए कहा, "तुम बच्चे हो, इन बातों में मत पड़ो। बस इतना समझ लो कि हम यहां से जा रहे हैं। तुम्हारे पापा किराए का घर देख रहे हैं।"

शाम तक घर में सन्नाटा छाया रहा। जो परिवार कभी साथ बैठकर हंसी-ठिठोली करता था, अब दो हिस्सों में बंट चुका था। अगले दिन सुबह कंचन और सौरभ ने बच्चों को लेकर घर छोड़ दिया। जाते वक्त बबली और स्वीटी ने ताई जी से मिलने की कोशिश की, लेकिन कोई बाहर नहीं आया। दोनों बहनें रोते हुए गाड़ी में बैठ गईं।

कुछ ही दिनों में कंचन और सौरभ ने नए घर में जिंदगी शुरू कर दी। बेटियों को धीरे-धीरे ताउजी और ताईजी के खिलाफ बातें सिखाई गईं। चार साल बीत गए। दोनों परिवारों के बीच कोई बातचीत नहीं हुई।

एक रात अचानक सौरभ को दिल का दौरा पड़ा। घबराई हुई स्वीटी ने ताउजी कन्हैयालाल को फोन कर दिया। कन्हैयालाल जी ने बिना एक पल गवाएं अपनी पत्नी शांति और बेटे रोहन के साथ सौरभ के घर का रुख किया। सही समय पर इलाज मिलने से सौरभ की जान बच गई। हॉस्पिटल में, जब सब ठीक हुआ, तो स्वीटी ने रोते हुए कहा, "ताउजी, मुझे लगा आप बात नहीं करेंगे, लेकिन आपने मेरे पापा को बचा लिया।"

कन्हैयालाल ने प्यार से कहा, "बेटी, तेरा पापा बाद में है, पहले मेरा भाई है।" कंचन ने माफी मांगते हुए कहा, "दीदी, आज आप लोग न होते तो हम सब बिखर जाते। हमें माफ कर दीजिए।" सौरभ ने भी अपनी गलती मानी और कहा, "भैया, मैं शर्मिंदा हूँ। हमें कभी अलग नहीं होना चाहिए था।"

कन्हैयालाल जी बोले, "गलतफहमी हर रिश्ते में होती है, लेकिन इसे खत्म करना हमारे हाथ में है। मैंने अपनी पुरानी दुकान तुम्हारी बेटियों के नाम कर दी है। यह मेरी तरफ से उनका हक है।"

शांति जी ने सौरभ को डांटते हुए कहा, "अब कुछ उल्टा-पलटा मत सोच। तू हमारा छोटा बेटा है। हमने रोहन की दुकान इसलिए अलग करवाई ताकि यह दुकान तुम्हें दे सकें और हम तीर्थ यात्रा पर जा सकें। लेकिन तुमने गलत समझ लिया।"

दोनों परिवार की आंखों में आंसू थे, लेकिन अब वे फिर से एक हो चुके थे। यह घटना सिखाती है कि रिश्तों में गलतफहमियां आती हैं, लेकिन सच्चा प्यार और अपनापन हर गलती को माफ कर देता है। 🌸

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राम राम

08/12/2024

पत्नी को अगर उसकी जरूरत जितना सम्भोग का सुख ना मिले तो रिश्ते में दरार आने में देर नहीं लगती
नंदिनी, जो पहले से शादीशुदा थी, अक्सर अमन के पास अपनी बातों को साझा करने आया करती थी। शुरुआत में उनकी बातचीत सामान्य थी—बस दोस्तों की तरह। अमन उसे ध्यान से सुनता और सलाह देता। लेकिन धीरे-धीरे नंदिनी के व्यवहार में बदलाव आने लगा। वह अपनी शादीशुदा जिंदगी की परेशानियों के बारे में खुलकर बात करने लगी।

एक दिन नंदिनी ने कहा, "अमन, मुझे ऐसा लगता है कि मेरी शादीशुदा जिंदगी अब पहले जैसी नहीं रही। मैं अपने पति के साथ वो जुड़ाव महसूस नहीं करती जो पहले किया करती थी।"

अमन को उसकी बातों से थोड़ा अजीब तो लगा, लेकिन उसने इसे दोस्ती की नजर से देखा। वह उसे समझाने की कोशिश करता और उसकी भावनाओं का सम्मान करता। मगर समय के साथ, नंदिनी के व्यवहार में बदलाव साफ दिखने लगा। अब वह अमन के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताने की कोशिश करती। उसकी बातों और नजरों में एक अनकहा आकर्षण झलकने लगा।

एक शाम, जब दोनों अकेले थे, नंदिनी ने अमन से कहा, "तुम्हारे साथ वक्त बिताकर मुझे बहुत सुकून मिलता है। ऐसा लगता है कि मैं वही जुड़ाव तुम्हारे साथ महसूस करती हूँ जो अपने पति के साथ नहीं कर पाती।"

अमन ने उसकी आँखों में उस चाहत को महसूस किया, जो अब तक छुपी हुई थी। वह खुद को इस स्थिति में फंसा हुआ महसूस करने लगा। उसके दिल और दिमाग में एक गहरी कशमकश शुरू हो गई।

अमन ने नंदिनी से कहा, "नंदिनी, मैं तुम्हारी भावनाओं की कद्र करता हूँ, लेकिन हमें अपने रिश्ते की सीमाओं को समझना होगा। तुम्हारी शादीशुदा जिंदगी का सम्मान करना बहुत जरूरी है। मैं नहीं चाहता कि मेरे कारण तुम्हारे परिवार पर कोई असर पड़े। हमें यह सोचने की जरूरत है कि हमारे किसी भी कदम का क्या परिणाम हो सकता है।"

नंदिनी ने अमन की बात ध्यान से सुनी। उसकी आँखों में निराशा थी, लेकिन उसने महसूस किया कि अमन सही कह रहा था। वह समझ गई कि इस रास्ते पर चलना न केवल उसके परिवार को नुकसान पहुँचाएगा, बल्कि अमन के साथ उसकी दोस्ती भी खत्म कर देगा।

उस दिन के बाद नंदिनी ने अमन से धीरे-धीरे दूरियां बनाना शुरू कर दीं। उसने अपने जीवन की सच्चाई को स्वीकारा और अपने रिश्ते को सही दिशा में ले जाने का प्रयास किया।

यह अनुभव अमन के लिए भी सीख बन गया। उसने जाना कि भावनाओं पर काबू पाना कितना जरूरी है। चाहे कोई कितना भी करीबी क्यों न हो, सही और गलत का फर्क समझना अनिवार्य है।

यह कहानी हमें सिखाती है कि रिश्तों में नैतिकता और सीमाओं का सम्मान करना जरूरी है। किसी भी गलत कदम से न केवल एक परिवार की खुशियां खत्म हो सकती हैं, बल्कि हमारी अपनी आत्मिक शांति भी प्रभावित होती है। सही फैसले लेना और अपनी भावनाओं को सही दिशा देना ही सच्ची समझदारी है।

07/12/2024

स्त्री अगर पति से संतुष्ठि भरा संभोग प्राप्ति कर ले तो वो उसके लिए काफी होती है और हर विपरीत परिस्थिति से उभरने के लिए,
पति-पत्नी का रिश्ता एक ऐसा बंधन है, जो न केवल साथ रहने पर आधारित है, बल्कि इसमें आपसी समझ, गहरा विश्वास और हर परिस्थिति में एक-दूसरे का सहारा बनने की भावना होती है। यह रिश्ता बाकी सभी रिश्तों से अलग और खास होता है, क्योंकि इसमें शारीरिक और भावनात्मक जुड़ाव का अनोखा मेल होता है। हालांकि, समय के साथ रिश्तों में बदलाव आना स्वाभाविक है और कभी-कभी यही बदलाव दूरी का कारण भी बन सकते हैं। 🌸

शादी के शुरुआती दिनों में हर महिला अपने पति के साथ प्यार और अपनापन चाहती है। लेकिन जब समय के साथ जिम्मेदारियां बढ़ती हैं और रोजमर्रा की जिंदगी की व्यस्तता बढ़ती है, तो यह उत्साह धीमा पड़ने लगता है। मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। पांच साल की शादी के बाद, मैं शारीरिक संबंधों में रुचि खोने लगी और यह मेरे और मेरे पति के बीच दूरी का कारण बन गया। पति इसे समझ नहीं सके, और हमारा रिश्ता धीरे-धीरे तनावपूर्ण होता चला गया। 😔

डॉक्टर से सलाह लेने पर मुझे ऐसा महसूस हुआ कि अक्सर एक स्त्री की भावनाओं और इच्छाओं को नजरअंदाज किया जाता है। डॉक्टर ने कहा, "अगर आप अपने पति से प्यार करती हैं, तो उनकी जरूरतों को समझें।" यह सुनकर मुझे लगा कि क्या स्त्री की इच्छाओं और भावनाओं का कोई महत्व नहीं है? 🌧️

लेकिन जब मैंने अपने पति की देखभाल और उनके समर्पण को करीब से देखा, तो मेरे विचार बदल गए। मेरी बीमारी के दौरान उन्होंने मेरी हर जरूरत का ख्याल रखा। उन्होंने खाना बनाया, मेरा साथ दिया और यह सुनिश्चित किया कि मुझे किसी भी चीज़ की कमी न हो। उनके इस प्यार और समर्पण ने मुझे एहसास कराया कि रिश्ते में दोनों की जरूरतें बराबर होती हैं। मैंने महसूस किया कि जैसा मैं अपने लिए चाहती हूं, वैसा ही उन्हें भी मेरे साथ से चाहिए। 👫

अब, जब भी मेरे पति अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हैं, तो मैं इसे प्यार और समझदारी के साथ स्वीकार करती हूं। धीरे-धीरे, हमारे बीच का तनाव खत्म हो गया और हमारा रिश्ता और भी मजबूत हो गया। 😊

आज के समय में यह बेहद जरूरी है कि पति-पत्नी एक-दूसरे की जरूरतों और भावनाओं को समझें। शारीरिक संबंध केवल एक शारीरिक जरूरत नहीं है, बल्कि यह रिश्ते को गहराई से जोड़ने और भावनात्मक जुड़ाव को बढ़ाने का माध्यम है। संवाद और समझदारी के जरिए ही रिश्ते को मजबूत और खुशहाल बनाया जा सकता है। 💬

अगर यह कहानी आपके जीवन से जुड़ी हुई लगती है, तो अपने अनुभव हमारे साथ साझा करें। आपका अनुभव भी किसी और के लिए प्रेरणा बन सकता है। 💖

05/12/2024

प्रेम और सेक्स
जब तक पुरुष के लिंग में तनाव है ,तब तक वो प्रेम नही दे सकता ।
अगर किसी स्त्री के पास पुरुष जाता भी है और ये कहता है कि मैं तेरे करीब इस कारण हु की मैं प्यार करता हूँ ,तो ये धोखा है ।गलत है ।

सेक्स, मानव शरीर की एक बुनियादी ज़रूरत है और इसे गलत नहीं समझा जाना चाहिए। लेकिन इसे प्यार के रूप में देखने की भूल, या दोनों के बीच की सीमा को समझे बिना इसे परिभाषित करना एक गंभीर गलती हो सकती है। सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि हम प्यार में हैं या यह केवल वासना है। ईमानदारी इस संदर्भ में सबसे महत्वपूर्ण है। यदि आप शारीरिक संबंध चाहते हैं, तो इसे साथी के सामने साफ शब्दों में व्यक्त करें।

स्त्री का शरीर एक फूल की तरह कोमल होता है, जिसे रौंदकर, चोट पहुँचाकर या नुकसान पहुँचाकर प्यार नहीं किया जा सकता। स्त्री का शरीर, विशेष रूप से उसकी योनि की नसें, बेहद संवेदनशील और नाजुक होती हैं। यदि सेक्स का सही तरीका न अपनाया जाए, तो इससे महिलाओं को शारीरिक और मानसिक स्तर पर गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। आजकल डॉक्टर के पास जाने वाली महिलाओं की बढ़ती संख्या का एक बड़ा कारण उनके संबंधों में हिंसा और संवेदनहीनता है। वासना के वेग में पुरुष अक्सर अपना होश खो बैठते हैं, और महिलाएं इस स्थिति में 'ना' कहने की हिम्मत नहीं जुटा पातीं। परिणामस्वरूप, महिलाओं को बच्चेदानी से संबंधित बीमारियां, महावारी में अत्यधिक दर्द और अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

पुरुष, जो स्वभाव से अधिक सक्रिय होते हैं, उन्हें यह समझना चाहिए कि पलभर की वासना के लिए किसी स्त्री के शरीर को हानि पहुँचाना सही नहीं है। यदि सेक्स को सही तरीके और धैर्य के साथ किया जाए, तो यह दोनों के लिए सुखद और संतोषजनक हो सकता है। फोरप्ले और आफ्टरप्ले का महत्व समझना जरूरी है। फोरप्ले का उद्देश्य स्त्री के शरीर को सहज बनाना है, जबकि आफ्टरप्ले यह संदेश देता है कि आपने उसकी ऊर्जा का सम्मान किया।

जो पुरुष केवल पेनिट्रेशन को सेक्स समझते हैं, वे अनजाने में अपने साथी का बलपूर्वक शोषण कर रहे होते हैं। सेक्स केवल शारीरिक नहीं, बल्कि मानसिक और भावनात्मक जुड़ाव का एक माध्यम है। महिलाओं की एक बड़ी संख्या ऑर्गेज़्म से अनजान है, जिसका मुख्य कारण सेक्स की गहराई और उसके सही अर्थ को न समझना है।

सेक्स को आनंदमय और गहरा बनाने के लिए पुरुषों को अपने अहंकार से ऊपर उठकर अपनी साथी के प्रति श्रद्धा और सम्मान का भाव रखना चाहिए। स्त्री का शरीर धीरे-धीरे खुलता है, और इसके लिए स्थिरता और धैर्य की आवश्यकता होती है। सेक्स या जीवन के किसी भी अन्य पहलू में गहराई पाने के लिए ध्यान बेहद जरूरी है। ध्यान से हमें होश, ठहराव, स्थिरता, धीरज, प्रेम और श्रद्धा का बोध होता है। यह केवल किताबें पढ़ने या ज्ञान सुनने से संभव नहीं। ध्यान के माध्यम से ही जीवन में सच्ची समझ और गहराई आती है।

आखिरकार, सेक्स केवल एक क्रिया नहीं है, बल्कि दो आत्माओं के मिलन का एक माध्यम है। इसे सही रूप में समझना और इसके प्रति सही दृष्टिकोण अपनाना बेहद जरूरी है।
**"हम हैं राही प्यार के, सुहाना है यह सफर।"**

02/12/2024
01/12/2024
30/11/2024
29/11/2024
25/11/2024

एक अमीर लड़के को एक गरीब किसान की बेटी से प्यार हो गया। लड़की सुंदर और समझदार थी, लेकिन जब लड़के ने उससे शादी की बात की, तो लड़की ने इनकार कर दिया। उसका कहना था कि वह गरीब है और उनका मेल नहीं हो सकता। लड़के ने हार नहीं मानी। उसने लड़की के माता-पिता से बात की और उसे समझाया। आखिरकार, लड़की मान गई और दोनों की शादी हो गई।

शादी के बाद उनका जीवन प्यार और खुशी से भरा था। लेकिन कुछ समय बाद लड़की को चर्मरोग हो गया, जिससे उसकी सुंदरता धीरे-धीरे खत्म होने लगी। लड़की को डर सताने लगा कि उसका पति कहीं उसे छोड़ न दे। वह हरसंभव इलाज करवा रही थी, लेकिन बीमारी बढ़ती गई।

एक दिन लड़का किसी काम से बाहर गया और दुर्घटना में उसकी आंखों की रोशनी चली गई। इसके बाद भी दोनों का जीवन पहले की तरह प्यार से चलता रहा। पति की अंधता ने लड़की के मन का डर खत्म कर दिया।

कुछ सालों बाद लड़की की बीमारी ने उसे कमजोर कर दिया और उसकी मृत्यु हो गई। पत्नी की मौत के बाद लड़का बेहद दुखी था। पड़ोसी ने सांत्वना देते हुए कहा कि अब वह बिना पत्नी के कैसे रहेगा।

लड़के ने गहरी सांस लेते हुए कहा, "मैं कभी अंधा था ही नहीं। मैंने सिर्फ उसकी बीमारी और बदसूरती का एहसास उसे न हो, इसलिए अंधेपन का नाटक किया। मैं चाहता था कि वह खुद को हमेशा मेरी नजरों में खूबसूरत महसूस करे।"

यह सुनकर पड़ोसी की आंखें भर आईं और लड़का वहां से चला गया।
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राम राम

22/11/2024

शाहरुख खान के पिता का जन्मदिन होता तो सब बधाई देते मगर अफ़सोस सनातनी अल्लू अर्जुन के हिन्दू पिता को भी बधाई देदो दोस्तों 🙏🙏❤️❤️

16/11/2024
11/11/2024
09/11/2024
09/11/2024

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