सम्पादकीय
नव क्रमांक शुभ–शुभ शुभे रहए
अपन मैथिली बालसंसारमे सेहो बाल–बच्चाके हर्ष–आनन्दकेलेल अद्भूत अनुपम आ अनमोल बालगीतसब सहज नैसर्गिक रुपमे, पारम्पारिक सामाजिक–सांस्कृतिक विरासतक रुपमे, घनेरो उपलव्ध अछि । बाल जीवनमे बालगीतक नैसर्गिक आनन्दक मनभावन मनोरंजक भण्डार अछि, ततबे नहि, अपन समाजक सभ वर्गक बाल–बालिकाके लेल प्रसस्त बाल लोकसाहित्य, बालसाहित्य, बालखेल आ प्रत्येक बालखेलक ओ
कर अपन बालखेलगीत सब अछि । बाल आनन्द–मनोरंजनक लेल बालगीतक संगहि खिस्सा–पेहानीक रसगर भण्डारक सेहो भरमार अछि । धूआधजा पत्रिका मैथिली भाषा–साहित्य कला–संस्कृति प्रति दरेगी सरोकारी भूमिकामे त’ रहबे कएल अछि, बालसमाज ओ बालसाहित्य प्रति सेहो संवेगीत मुदा रचनात्मक रुपस’ संचारित रहल अछि ।
मैथिली बालगीत–बाललोकगीत ओ बालगीतक रुप प्रचलित अछि । बालगीत जे असलमे आधुनिक बालगीत अछि ओकरो दू स्वरुप अछि– (क) शिशुगीत (ख) बालगीत । अहिमे पहिने शिशुगीत–निनियां, घुघुआ, पलङागीत, तान तरेगन, अट्टापट्टा आदिक संगहि आढांई तीन वर्षस’ उपरके बच्चाके लेल विभिन्न खेलगीत ‘राइम्स’ आदि उपलब्ध अछि ओ सव एहि क्रममे ऐहिमे छपल अछि ।
विश्व बाल समाज— विश्वास, जनकपुरधाम सेहो बालसंसारके क्षेत्रमे क्रियात्मक रचनात्मक भूमिकामे सृजनशील भावे, रागे सक्रिय रहल अछि । बालपनक नैसर्गिक संरक्षण–संवद्र्घनक संगहि बालखेल ओ खेल–आनन्द, शिक्षा–दिक्षा, ज्ञान–मनोरंजन, आदर्श चरित्र–निमांण ओ व्यक्तित्व विकासक आधारभूत पृष्ठभूमि तैयार कर’मे प्राणपनस’, अपन लक्ष्य ओ योजना सहित, निमनस’ आवेगीत रहन,े धूआधजा संग सहकार्य कए, एकर नव क्रमांकक प्रथम अंक बालगीत अंक ओ दोसर अंक खिस्सा–पेहानी अंकक रुपमे, बालसंसार ओ बालसाहित्यके ध्यानमे राखि, प्रकाशित कए रहल अछि ।
ध्यातव्य अछि जे विगत ६ वर्षस’ नियमित अनियमित साप्ताहिक रुपमे प्रकाशित होइत आबि धूआधजा मैथिली मासिकके रुपमे, नव क्रमांकक प्रथम अंकस’ प्रकाशित भ’ अपनेक हाथमे अछि आ अपने लोकनिसन सुहृदय सहयोगी, शुभेच्छु पाठक, सृजनशील रचनाकार
लोकनिक भावात्मक आत्मिक सहयोग पूर्ववत् भेटिते रहतैक, से पूर्ण आशा ओ दृढ़ विश्वास अछि ।