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"नाराज़गी के बाद वाला प्यार" सौरभ शुक्ला का पहला काव्य संग्रह है। सौरभ ने BHU से ही स्नातक और परास्नातक की पढ़ाई की और महा...
22/09/2024

"नाराज़गी के बाद वाला प्यार" सौरभ शुक्ला का पहला काव्य संग्रह है। सौरभ ने BHU से ही स्नातक और परास्नातक की पढ़ाई की और महामना की इसी बगिया BHU में बैठकर अपनी कविताएं लिखी। इनकी कविताओं में आपको कैंपस की फिज़ाओ की झलक भी जरूर देखने को मिलेगा।

सौरभ को बधाई 🎉
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काशी हिंदू विश्वविद्यालय के छात्र बिहार विधानसभा चुनावों पर सामाजिक-राजनीतिक अध्ययन कर रहे हैं। हम आपकी राय चाहते हैं! आ...
12/09/2024

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के छात्र बिहार विधानसभा चुनावों पर सामाजिक-राजनीतिक अध्ययन कर रहे हैं। हम आपकी राय चाहते हैं! आपके अनुसार बिहार विधानसभा चुनावों में कौन से मुद्दे सबसे महत्वपूर्ण हैं? बिहार के प्रमुख राजनीतिक नेता कौन हैं और उनकी भूमिका क्या है? बिहार की मुख्य समस्याएं क्या हैं और उनका समाधान कैसे किया जा सकता है? आगामी सरकार से क्या अपेक्षाएं हैं और क्या परिवर्तन देखने की उम्मीद है?

आपकी राय हमारे लिए महत्वपूर्ण है! अपने विचार गूगल फॉर्म के माध्यम से साझा करें गूगल फॉर्म कॉमेंट बॉक्स में है,और इस अध्ययन में सहयोग करें!

"मैं काशी हिंदू विश्वविद्यालय का छात्र हूं और बिहार विधानसभा के आगामी चुनावों को लेकर सामाजिक-राजनीतिक अध्ययन कर ....

काशी हिंदू विश्वविद्यालय में शुरू हुआ वृक्षारोपण अभियानआज 9 जुलाई 2024: काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में आज से 2024-25...
09/07/2024

काशी हिंदू विश्वविद्यालय में शुरू हुआ वृक्षारोपण अभियान

आज 9 जुलाई 2024: काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में आज से 2024-25 शैक्षणिक वर्ष के लिए एक महत्वाकांक्षी वृक्षारोपण अभियान की शुरुआत हुई। इस अभियान का उद्घाटन BHU के कुलसचिव माननीय श्री अरुण कुमार द्वारा किया गया।

प्रमुख बिंदु:
1. अभियान की शुरुआत ब्रोचा छात्रावास में आम और महुआ के पौधे लगाकर की गई।
2. कार्यक्रम में प्रोफेसर इंचार्ज उद्यान विशेषज्ञ इकाई श्री सरफराज अहमद, वरिष्ठ अधिकारी उद्यान श्री अश्वनी कुमार देशवाल ,मयंक प्रताप जी, निरीक्षक और माली कर्मचारी उपस्थित थे।
3. पहले दिन कुल 404 पौधे लगाए गए, जिनमें शामिल हैं:
- 20 आम के पौधे
- 16 महुआ के पौधे
- 158 डबल पौधे
- 210 चांदनी सिंगल पौधे

भविष्य की योजना:
- यह अभियान 14 अगस्त 2024 तक चलेगा।
- इस दौरान विश्वविद्यालय परिसर में लगभग 21,000 पौधे लगाने का लक्ष्य है।

अभियान का उद्देश्य:
इस पहल का मुख्य उद्देश्य BHU परिसर की हरियाली को बढ़ाना और पर्यावरण संरक्षण में योगदान देना है।

कुलसचिव श्री अरुण कुमार ने कहा, "यह अभियान न केवल हमारे परिसर को हरा-भरा बनाएगा, बल्कि छात्रों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता भी बढ़ाएगा।"

विश्वविद्यालय प्रशासन ने सभी छात्रों और कर्मचारियों से इस अभियान में सक्रिय रूप से भाग लेने का आग्रह किया है। यह पहल BHU को एक स्वच्छ, हरा-भरा और पर्यावरण अनुकूल परिसर बनाने में मदद करेगी।
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BHU कुलपति की मनमानी और कार्यकारिणी परिषद गठन न करने और 94 शिक्षकों को नोटिस देने के खिलाफ NSUI के सदस्यों ने विभिन्न सा...
27/06/2024

BHU कुलपति की मनमानी और कार्यकारिणी परिषद गठन न करने और 94 शिक्षकों को नोटिस देने के खिलाफ NSUI के सदस्यों ने विभिन्न सांसदों से मुलाकात कर राष्ट्रपति महोदया को पत्रक लिखने और संसद के सत्र के दौरान विश्वविद्यालय से जुड़े महत्वपूर्ण विषय को उठाने का किया अनुरोध।

लंका गेट पर छात्र प्रतिरोध सभा, शिक्षा मंत्री के इस्तीफे और NTA को बैन करने की उठी मांग---------------------------------...
20/06/2024

लंका गेट पर छात्र प्रतिरोध सभा, शिक्षा मंत्री के इस्तीफे और NTA को बैन करने की उठी मांग
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यूजीसी नेट की परीक्षा में पेपर लीक होने के कारण बीएचयू लंका गेट पर छात्रों ने प्रदर्शन किया और केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के इस्तीफे की मांग की। छात्रों ने NTA को एक भ्रष्ट और अयोग्य संस्था बताते हुए उसे बैन करने की भी मांग की। छात्रों ने इस दौरान शिक्षा मंत्री इस्तीफा दो, NTA को बैन करो जैसे नारे लगाए।

इसी 18 जून को आयोजित NTA - NET की परीक्षा देशभर में आयोजित हुई थी, अगले ही दिन इस परीक्षा को पेपर लीक होने के कारण रद्द करना पड़ा। पिछले दिनों NEET के पेपर लीक को लेकर भी सरकार की कार्यक्षमता पर प्रश्नचिन्ह लगा हुआ है। छात्रों ने इस पूरे प्रकरण पर प्रधानमंत्री की चुप्पी पर भी सवाल उठाए।

छात्रों ने बताया कि NTA द्वारा आयोजित सभी परीक्षाओं में धांधली और अव्यवस्था खुले तौर पर दिखती आई है, लेकिन इस भ्रष्ट सरकार ने हमेशा ही छात्रों की आवाज को दबाने का काम किया, आज भी शिक्षा मंत्री सब कुछ खुले तौर पर साबित होने के बाद भी NEET पेपर लीक को मानने को तैयार नहीं हैं।

छात्रों ने आरोप लगाया कि सरकार की विफलता के कारण लाखों छात्रों का भविष्य दांव पर लगा हुआ है, इस पेपर लीक सरकार की कार्यप्रणाली बहुत ही निराशाजनक है, सरकार भ्रष्ट लोगों और अपराधियों को बचाने में लगी हुई है।

इस दौरान शंभू कन्नौजिया, विपिन आनंद ,अनुज, सुमन आनंद, जय प्रकाश, नैतिक तिवारी, मुरारी यादव, पम्मी,नीरज रेहान, वंदना उपाध्याय, मुरारी, शांतनु, जंग बहादुर, अक्षय, अमित, ऋषभ, डब्लू यादव, प्रदीप, सोनाली, राजेश, आइना, शुभम, विकास आनंद,राहुल, विवेक, श्रेयांश, जय मौर्या समेत सैकड़ों छात्र मौजूद रहें

कार्डियोलॉजिस्ट प्रो ओमशंकर के अनशन को ऑल इंडिया प्रोफेशनल कांग्रेस और एनएसयूआइ ने दिया समर्थन--------------------------...
13/05/2024

कार्डियोलॉजिस्ट प्रो ओमशंकर के अनशन को ऑल इंडिया प्रोफेशनल कांग्रेस और एनएसयूआइ ने दिया समर्थन
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बीएचयू कार्डियोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो ओमशंकर पिछले 3 दिनों से आमरण अनशन पर बैठे हुए हैं, उनका आरोप है कि उन्हें 47 बेड दिया गया है। एमएस ने 41 बेड को डिजिटल लॉक कर दिया है। सुंदरलाल अस्पताल के एमएस पर भी उन्होंने भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं।

उनके इस अनशन को समर्थन देने आज एआइपीसी और एनएसयूआई का एक प्रतिनिधिमंडल उसने मिला और इस लड़ाई में उनके साथ खड़े रहने की प्रतिबद्धता जताई, प्रतिनिधिमंडल ने बीएचयू में लगातार पेड़ों की कटाई, अस्पताल में बेड की कमी और विश्वविद्यालय को सीमेंट का एक जंगल बनाए जाने पर अपनी चिंता व्यक्त की।

इस दौरान डॉ. अवधेश सिंह, प्रो एनके दूबे, डॉ. पंकज सिंह, डॉ. धनंजय सुग्गु, जितेंद्र पाण्डेय, विवेक उपाध्याय, वीरेंद्र बरनवाल, डॉ इंदु पाण्डेय, राणा रोहित, अभिनव मणि त्रिपाठी,राजीव नयन, विपिन आनंद, दीपक, प्रियदर्शन मीणा, आकाश , आदि मौजूद रहें।

प्रोफेसर ओम शंकर आमरण अनशन परहृदय रोग विभाग के डॉक्टर ओम शंकर चिकित्सीय अवव्यस्था और जायज़ माँगे न मानने पर विभाग में ज़...
11/05/2024

प्रोफेसर ओम शंकर आमरण अनशन पर

हृदय रोग विभाग के डॉक्टर ओम शंकर चिकित्सीय अवव्यस्था और जायज़ माँगे न मानने पर विभाग में ज़मीन पर बैठ कर मरीज़ देख रहे हैं।

एनएसयूआई ने संगोष्ठी के माध्यम से बाबासाहेब को किया याद ____________________________________________एनएसयूआई बीएचयू इकाई...
14/04/2024

एनएसयूआई ने संगोष्ठी के माध्यम से बाबासाहेब को किया याद
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एनएसयूआई बीएचयू इकाई ने बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर जी की जयंती के अवसर पर "बाबा साहब के सपने के भारत का परिदृश्य" विषयक संगोष्ठी के माध्यम से बीएचयू के छित्तूपुर गेट पर आयोजित सभा में उनको याद किया और उनके विचारों पर परिचर्चा की।

इसके बाद एनएसयूआई बीएचयू इकाई द्वारा संविधान मार्च निकाला गया एवं भारतीय संविधान की प्रस्तावना पढ़ी गयी।

कार्यक्रम का आरंभ बाबा साहब डॉ अंबेडकर के चित्र पर पुष्प अर्पित कर के किया गया। संगोष्ठी के दौरान इकाई अध्यक्ष राजीव नयन ने डॉ अंबेडकर के संविधान निर्माण और न्यायिक पक्ष के विषय में अपनी बात रखी। इकाई उपाध्यक्ष जंगबहादुर पाल ने समाज के वंचित वर्गों की वर्तमान स्थिति औऱ विश्वविद्यालय की असुविधा पर बात रखी।

इकाई महासचिव मुरारी यादव ने महिला सशक्तिकरण और हिंदू कोड बिल में महिलाओं के अधिकारों के विषय में बाबासाहेब के प्रयासों को रेखांकित किया।
प्रियदर्शन मीणा ने गांधी और अंबेडकर के विचारों के विषय में अपनी अपनी बात रखी।

कार्यक्रम के बाद दर्जनों छात्रों ने एनएसयूआई की सदस्यता ग्रहण की। कार्यक्रम का संचालन अर्पित तिवारी ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन शंभु कनोजिया ने दिया।

इस दौरान इंद्रजीत, अंकुश, आशीष, शिवम कुमार, आंनद, अमन वैभव, अनूप जैसवाल, कुलदीप, कृष्णा, गोलू कुमार, अंकित कुमार, राज श्रीवास्तव, अभिषेक कुमार, साकेत, राहुल कुमार, सत्यम यादव, मुरारी यादव, आकाश कुमार, गुलशन राज, गुरु शरण साहू, दीपांशु यादव, शिवम वर्मा ज़ अनुज सिंह, प्रियदर्शन, मुकेश, अर्पिता मौर्य, कुंदन यादव, अविचल आदि मौजूद रहे।

बीएचयू के परीक्षा नियंत्रक कार्यालय के बाहर बीते शनिवार से छात्र धरनारत हैं, छात्रों का कहना है कि बीएचयू ने नए सत्र में...
18/03/2024

बीएचयू के परीक्षा नियंत्रक कार्यालय के बाहर बीते शनिवार से छात्र धरनारत हैं, छात्रों का कहना है कि बीएचयू ने नए सत्र में शोध परीक्षा की सूचना जारी कर दी है जबकि पिछले सत्र के प्रवेश अभी लंबित हैं।

पेपर लीक के विरोध में एनएसयूआई बीएचयू ने चलाया हस्ताक्षर अभियान_____________________________________________हाल ही में R...
20/02/2024

पेपर लीक के विरोध में एनएसयूआई बीएचयू ने चलाया हस्ताक्षर अभियान
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हाल ही में RO-ARO, UP पुलिस जैसी बड़ी भर्तियों के पेपर लीक से संबंधित मुद्दे पर एनएसयूआई बीएचयू लंका गेट पर पर्चा बाँटते हुए विरोध दर्ज कराया। केवल यही दो परीक्षाएं नहीं इसके पहले भी इंस्पेक्टर भर्ती, UPPCL, UPTET, PET जैसी तमाम परीक्षाओं में पेपर लीक के मामले सामने आए हैं।

इकाई अध्यक्ष राजीव नयन ने कहा प्रतिवर्ष 2 करोड़ नौकरियां का वादा कर सत्ता में आई मोदी सरकार के 10 साल हो चुके हैं परंतु मोदी सरकार ने युवाओं को केवल जुमला दिया है। आज सरकारी कंपनियां बेची जा रही है,नौकरियाँ खत्म की जा रही है, ठेका प्रथा की शुरुआत की जा रही है, अग्निवीर योजना में भी ठेके के जरिए सेना भर्ती किया जाने लगा है, और अब जो भी सरकारी नौकरियां की भर्ती निकल रही है उसके भी पेपर लीक हो जा रहे हैं। जिसमें उत्तर प्रदेश पहले नंबर पर है।
इकाई सचिव कुंदन यादव ने कहा मोदी सरकार युवाओं के संघर्ष से बेखबर है और आए दिन युवकों पर लाठियां और आंसू गैस शुरुआती चलवाती रहती है। लगातार हो रही पेपर लीक की घटनाएं छात्रों में अवसाद और मानसिक बीमारियों को बढ़ावा दे रही है, इस कारण छात्र आत्महत्या भी कर लेते हैं। एनएसयूआई सरकारी परीक्षाओं में धांधली और पेपर लिखकर विरोध करती है राहुल गांधी जी द्वारा भारत जोड़ो न्याय यात्रा में लगातार इस मामले को उठाया जा रहा है। बड़ी संख्या में छात्र छात्राओं ने हस्ताक्षर अभियान में भाग लिया।

एनएसयूआई निम्न मांगे करती है:

1.सरकार तत्कालीन परीक्षाओं को रद्द करें और जल्द से जल्द सीमित समय के भीतर परीक्षा दोबारा करवाए।

2. इस मामले की सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश द्वारा उच्च स्तरीय जांच हो.

3. युवाओं को हुई क्षति के लिए आर्थिक मुआवजा मिले।

4. सभी रिक्त पदों को तत्काल भरा जाए।
इस दौरान धर्मेंद्र पाल, सत्यम पांडे, ऋषि वैभव, श्वेता सोनकर, रितेश कुमार, गुलशन कुमार, शुभम कुमार, सुधांशु यादव,अर्पित तिवारी, सोनू कुमार, अर्पिता कुमारी ,विशाल गौरव, राहुल पटले, अनुज सिंह, आशीष रावत, समेत दर्जनों एनएसयूआई के सदस्य एवं छात्र उपस्थित थे।

डालमिया हॉस्टल के सामने तेज रफ्तार स्कॉर्पियो ने साइकिल सवार दशाश्वमेध निवासी कृष्ण चंद्र , उम्र 48 वर्ष को मारी टक्कर। ...
17/02/2024

डालमिया हॉस्टल के सामने तेज रफ्तार स्कॉर्पियो ने साइकिल सवार दशाश्वमेध निवासी कृष्ण चंद्र , उम्र 48 वर्ष को मारी टक्कर। ट्रॉमा सेंटर में कराया गया भर्ती।हालत नाजुक...😑
स्कॉर्पियो ऑनर का नाम सुदामा चौबे?

मेरी प्रिय मणिकर्णिका.......वसंत आ गया, हवाओं में आम्र मंजरी की महक घुलने लगी । आज वसंत पंचमी है। विद्या की आराधना का पव...
14/02/2024

मेरी प्रिय मणिकर्णिका.......

वसंत आ गया, हवाओं में आम्र मंजरी की महक घुलने लगी । आज वसंत पंचमी है। विद्या की आराधना का पवित्र दिन । आज जगत प्रेम के क्रिया व्यापार में भी उलझा है । इसी बनारस के रविदास पार्क में सैकड़ों प्रेमी युगल एक दूसरे में खोए होंगे । ऐसे में मैं अकेला, शांत भाव से बनारस के महा श्मशान मणिकर्णिका की सीढ़ियों पर बैठा हूं। जीवन की सबसे बड़ी पाठशाला के सामने मौन । यहां बैठे बैठे बुद्ध याद आते हैं । ‘ गोपा राहुल सोता छोड़ ,चले बुद्ध जग से मुख मोड़ ’। जगत को मिथ्या कहने वाले आदिगुरु शंकराचार्य याद आते हैं। प्राणों से ज्यादा प्रेम करने वाली पत्नी पिंगला से धोखा खाए शतकत्रीय (नीतिशतक, श्रृंगारशतक, वैराग्यशतक) के महान रचनाकार राजा भर्तृहरि याद आते हैं। सामने जलती सैंकड़ों चिताओं को देख कर उपन्यास सम्राट प्रेमचंद का कथन याद आता है ’मृत्यु का आयु से क्या संबंध। जवान गुजर जाते हैं, वृद्ध रह जाते हैं । मौत में वैर को भूला देने की अद्भुत क्षमता है। ’

मणिकर्णिका दुनिया का सबसे बड़ा चुंबकीय क्षेत्र है । चाहे जिस ओर भी बढ़ाओ कदम, जिस दिशा में दौड़ो जीवन भर, अंततः तुम्हें अपनी ओर खींच ही लेगी मणिकर्णिका । इसके गुरुत्वाकर्षण से बचना असंभव है। माता शिशुओं को पूरे दिन खेलता छोड़ देती है पर एक आंख से नज़र बनाए रखती है। शाम ढले हाथ पकड़ शिशु को घर ले आती है , लगता है उसी तरह मणिकर्णिका ने हम सबको जगत के आंगन में खेलने कूदने को छोड़ रखा है। जैसे ही जीवन की संध्या बेला आएगी , मणिकर्णिका हमें अपनी गोद में समेट लेगी । उसकी गोदी में जाते ही सारे उछल कूद बंद। मणिकर्णिका नित्य है, शरीर अनित्य । श्मशान शाश्वत है, शरीर क्षणभंगुर । क्षण सोचता है उसे कभी शाश्वत में नहीं समाना पर क्षण शाश्वत में विलीन होने को अभिशप्त है।

आज तक किसी समाजशास्त्री ने मुझे इसका हिसाब नहीं बताया कि बनारस में प्रतिदिन नाना रंगों वाली बनारसी साड़ियां ज्यादा बिकती हैं या सफेद कफन ज्यादा खरीदे जाते हैं। बनारस की गलियों में बनने वाली जिन साड़ियों को पहनकर रूप गर्विता सुंदरिया अपने पतियों को रिझाती हैं , उसी के समानांतर कोई सफेद कफन पहनकर चुपचाप चला जाता है। राग और विराग का अद्भुत मेल है यहां। बनारस की गलियों में घूम घूम कर देखा है मैंने कि कैसे बुनकर एक एक रेशे को बुनता है, एक एक रेशे को रंगता है । साड़ी में सोने के धागे पिरोता है । दुनिया का सबसे बेहतरीन बुनकर भी परंतु कफन में स्वर्ण तंतु नहीं पिरो सकता। साड़ी सतरंगी, कफन बेरंगा । जब तक जीवन है रास रंग है, उल्लास है । जीवन खत्म ,सारे रंग खत्म । जीवन मूल रुप से दुःख का ही दूसरा नाम है ।


मेरी इस कोमल प्रेमिका मणिकर्णिका ने क्या नहीं देखा । तुतलाते बच्चे की चिता देखी । मेहंदी लगे हाथों को मंगलसूत्र उतारते देखा । पिता के कंधे पर पुत्र का शव देखा । बड़े भाई को छोटे भाई का अन्तिम संस्कार करते देखा । मणिकर्णिका का ह्रदय अगर बोल सकता तो क्या बोलता । मनुष्य जीवन भर अग्नि से घिरा रहता है । कभी ईर्ष्या की अग्नि, कभी पद की अग्नि, कभी प्रतिशोध की अग्नि, कभी कामवासना की अग्नि। यहां हर आदमी दूसरे आदमी से जलता रहता है । मणिकार्णिका की चिर शाश्वत अग्नि इन सारी छोटी छोटी अग्नियों को स्वयं में सोख लेती है। श्मशान की अग्नि कहती है जीते जी तुम मुक्त नही हो सकते । मेरी अग्नि में ही तुम्हारी सारी अग्नि विलीन होगी। जलती चिता सबको दिखती है जलता ह्रदय किसी को नहीं दिखता । दुनिया की सबसे शीतल अग्नि नेत्रों से करुणा बनकर बहती है।

मेरी प्रिय मणिकर्णिके, तुम कितना काम करती हो । सूर्य भी बारह घंटे बाद थक तक अंधेरे की चादर ओढ़े सो जाता है। पखेरू भी शाम ढले घोंसलों को लौट आते हैं। एक मेरी प्रिय मणिकर्णिका ही है जिसने कभी विश्राम न जाना । सृष्टि के आरंभ से आज तक इसकी अग्नि ने एक पल दम नही लिया । मैं तुम्हारा दुःख समझता हूं प्रिय। जबकि मैं कागज पर उतार रहा हूं मणिकार्णिका , मेरे भीतर स्वयं उतर रही है मणिकर्णिका । पास पास बैठने से प्रेमियों में मोह हो ही जाता है।

मणिकार्णिका में समस्त ऋतुओं का निषेध है । वसंत यहां की देहरी पर आकर ठिठक जाता है। यहां चिता की लपटें शीत लहरों को धकेल कर फेंक देती हैं । मेरी प्रेमिका थोडी जिद्दी है। किसी की नहीं सुनती। अपने मन का करती है। यहां बरसात में इतनी चिताएं जलती हैं कि लू शरमा जाए। यह शीतलहर से मुक्त क्षेत्र है । चिता की अग्नि लू के थपेड़ों को टक्कर देती है। मणिकार्णिका किसी ऋतु के रंग में नहीं रंगती, सबको इसके रंग में ही रंगना होता है।

मणिकर्णिका में प्रवेश को सदियों से घात लगाए बैठा है अंधकार। मणिकर्णिका में अंधकार का प्रवेश निषेध है । यहां अनादि काल से प्रज्वलित है अग्नि । जेठ मणिकार्णिका की स्थाई ऋतु है। यहां वसंत का निषेध है। रुदन मणिकर्णिका का स्थाई श्रृंगार । काल मणिकार्णिका का स्थाई नागरिक । विश्वनाथ मणिकर्णिका के स्थाई देवता । वैराग्य मणिकार्णिका का स्थाई दर्शन। चिताएं बदलती रहती हैं पर कभी नहीं बदलती मणिकार्णिका। मेरी प्रेमिका से बढ़कर एकनिष्ठ कोई अन्य नहीं। सम्राटों की समृद्धि ,तपस्वियों के त्याग, योद्धाओं की वीरता, युवतियों की सुंदरता सबको एक दिन निगल लेती है मणिकार्णिका । मणिकार्णिका सबसे बड़ी न्यायाधीश है ।
मणिकार्णिका सारी संभावनाओं को खुद में समाहित कर लेती है । मणिकर्णिका के बाद कोई संभावना नहीं बचती।

जितनी जिद्दी है मेरी मणिकर्णिका उतनी ही कोमल भी। जीवन भर दुत्कारा जाने वाला व्यक्ति भी मणिकार्णिका में विमान पर चढ़ कर आता है। बांस की टिखटी का विमान । सफेद और साफ कफन, गले में फूलों का हार। सुगंधित अगरबती की महक। मृत देह की कोई ईच्छा अधूरी नही रखी जाती। मृत देह कहती है जीवन भर मैं सबके पीछे दौड़ती रही आज मैं सबसे आगे हूं। तुम सब सर झुकाए मेरे पीछे । जिसे जीते जी दुत्कारा जाता है ,मणिकार्णिका में उसकी भी जय बोली जाती है। जिसे घर में भी इज्जत नसीब नहीं हुई उसकी चिता देख अजनबी भी हाथ जोड़ लेते हैं। मृत्यु जीवन की सारी अतृप्तियों का प्रतिशोध ले लेती है । जीवन कितना त्रासद है, मौत कितनी प्रीतिकर है।

कहते हैं चौरासी लाख योनियों में भटकने के बाद मानव शरीर मिलता है । क्या पता कौन कब हाथी बना हो, कभी तितली। कभी खरगोश, कभी मोर । सोचता हूं इतना तड़पने के बाद जीव को मानव तन मिला , उसमें भी अधूरापन । उसमें भी अतृप्ति। ईश्वर कम से कम इसमें तो जीव की सारी साध पूरी कर देते । काश हर मनुष्य तृप्ति के साथ मरता। हे ईश्वर, तुम्हारी यह व्यवस्था अपूर्ण है ।

देख रहा हूं मणिकार्णिका की सीढ़ियों पर सैकड़ों शव प्रतीक्षा में रखे हैं। आठों याम, चारों पहर, प्रतिपल अग्नि निगल रही है जीवन को । सामने दर्जनों शव जल रहें हैं। इन शवों के ठीक पीछे लकड़ियों का अंबार खड़ा है। दस बीस लोग केवल लकड़ियों का गट्ठर इधर से उधर कर रहें हैं। अग्नि देने वाले डोम राजा के कर्मचारी लकड़ियों के ऊंचे मीनार से लकड़ी निकाल निकाल कर दे रहें हैं । सोचता हूं हर व्यक्ति के जन्म लेने से पहले उसके हिस्से का वृक्ष जन्म ले चुका होता है । मेरे हिस्से का वृक्ष अभी कहां होगा । कितना बडा हुआ होगा। कई बार व्यक्ति के साथ ही उसे जलाने वाला वृक्ष बड़ा होता है और उससे पहले मणिकर्णिका पहुंच कर उसका इंतजार करता है। प्रकृति का चक्र कितना अद्भुत है। जिसे जीवन दिया उसके हिस्से की लकड़ी भी देती है। प्रकृति चुपचाप हमारे अंतिम यात्रा के हिस्से की लकड़ी का इंतजाम करती रहती है । जिस लकड़ी में हम जलेंगे उसे देखने का संयोग भी नहीं मिलता हमें। ओह, जीवन कितना अधूरा है।

बचपन याद आ रहा है । कक्षा चार में पढ़ता था जब बाबा गुजरे थे। गांव से लगकर बहने वाली पुनपुन नदी में नहा कर सबने उनका अंतिम संस्कार किया था । पुराना दृश्य कौंध रहा है। गीले बदन और हाफ पैंट पहने खुद को बाबा की चिता के सामने खड़ा महसूस कर रहा हूं । मणिकार्णिका में बैठे बैठे देख रहा हूं कि जीवन भर योजना बनाने वाले मस्तिष्क को डोम राजा लाठी मारकर चकनाचूर कर रहा है । अंततः सारी योजनाएं धरी की धरी रह जाती हैं। जिस मुंह पर जीते जी मक्खी तक नहीं बैठ पाती उसी मुख में अग्नि रखी जा रही है । जीवन भर तना रहने वाला शीश चिता पर लुढ़का हुआ आ रहा है । श्मशान में जाते ही सबको ज्ञान की अनुभूति होती है । विद्वानों ने इसे श्मशान वैराग्य कहा है । श्मशान में जाते ही क्रोध, कामवासना सब तुच्छ जान पड़ते हैं । शमशान से बाहर आते ही माया फिर हमारा गर्दन दबोच लेती है । कबीर ने कितना सत्य लिखा ’माया महा ठगनी हम जानी’ । श्मशान से निकलते ही हम फिर उसी चक्करघिन्नी में पीसने लगते हैं। जिसकी प्रज्ञा श्मशान में ही ठहर गई वह बुद्ध हो जाता है ।

मुझे यहां बैठे बैठे करीब दो घंटे हो गए। चलने से पहले फिर आदिगुरु शंकराचार्य याद आते हैं –

धनानि भूमौ पशवश्च गोष्ठे भार्या गृहद्वारे जनः श्मशाने।
देहश्चितायां परलोकमार्गे कर्मानुगो गच्छति जीव एकः॥

सारा धन भूमि पर ही रह जाता है । पशुधन बाड़े में रह जाता है। पत्नी घर की देहरी तक आएगी । सम्बन्धी श्मशान तक आएंगे। इस शरीर को एक दिन चिता पर जलकर भस्म हो जाना है । जीवात्मा के साथ परलोक के मार्ग पर सिर्फ उसके कर्म ही जाते हैं । अपने कर्मो के साथ एक दिन तुम्हारी गोद में आऊंगा प्रिय मणिकर्णिके। इंतजार करना मेरा।

अब वापस घर की ओर लौट रहा हूं। बिहार के लिए ट्रेन पकड़ूंगा। बनारस आया और संकट मोचन नहीं गया, आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ । आज पहली बार मणिकर्णिका से ही लौट रहा हूं। प्रेम समर्पण मांगता है । पूर्ण समर्पण । आज का दिन सिर्फ और सिर्फ तुम्हारे लिए प्रिय। आज तुम्हारे लिए अपने आराध्य का दर्शन स्थगित करता हूं। आज तुम ही मेरी पूजा का भार वहन करो ।

लौटने के पहले मणिकर्णिका जैसे कानों में कहती है तुम यहां आए, मेरे संग बैठे, मुझे निहारा, मुझे अच्छा लगा। जाओ अब जगत में कुछ पल खेल लो । एक दिन तुम्हारे होठों पर अन्तिम चुंबन मेरा ही होगा । मैं ही तुम्हारा अन्तिम आलिंगन करूंगी । अन्तिम रति मेरे संग ही होगी । मैं ही तुम्हारी सबसे बड़ी प्रेमिका हूं। मुझसे लिपटने के बाद कोई और तुम्हारी देह से लिपट न सकेगा ।

प्रेम दिवस मुबारक हो मेरी प्रिय मणिकर्णिके। मेरी मणिकर्णिका श्मशानों की राज राजेश्वरी है। तुम सबको संभालती हो, मैं भला तुम्हें क्या संभाल पाऊंगा। अपना ख्याल रखना ।

– लेखक डॉ चित्तरंजन कुमार, असिस्टेंट प्रोफेसर, हिंदी विभाग ,
इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय , काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र रहे हैं। ............................................................

BHU में डॉक्टर के साथ अप्राकृतिक दुष्कर्म का मामला
05/02/2024

BHU में डॉक्टर के साथ अप्राकृतिक दुष्कर्म का मामला

BHU में VT दुकानदारों से छात्रों ने की चंदा वसूली और मारपीट, विरोध में दुकाने बंद
04/02/2024

BHU में VT दुकानदारों से छात्रों ने की चंदा वसूली और मारपीट, विरोध में दुकाने बंद

INDIA Student Organisations have launched 20 Point Students Manifesto in the wake up of 2024 Lok Sabha Elections Demands...
20/01/2024

INDIA Student Organisations have launched 20 Point Students Manifesto in the wake up of 2024 Lok Sabha Elections

Demands : Ensure Women Safety, Scrap Hostel Curfew Timings, Institute GSCASH, Implement OBC Reservation, Form EOC for Disabled Students, 24*7 Library, Equal Fellowship and Withdraw NEP

20/01/2024

Joint Press conference

BHU students Manifesto release before 2024 Loksabha elections

BHU Students organised a public discussion remembering Rohith Vemula. Discussion ranged from Institutional Killing of Ro...
17/01/2024

BHU Students organised a public discussion remembering Rohith Vemula. Discussion ranged from Institutional Killing of Rohith to Education and Caste question.

This public discussion was called by BHU Students Cultural Organisation,

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Banaras Hindu University
Varanasi
221005

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