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*सारनाथ से लुम्बिनी की धम्म चारिका**(पदयात्रा) दि. 29 नवम्बर से 17 दिसम्बर 2023) तक*👉👉👉👇👇👇⬇️⬇️⬇️👉Follow _  ✅            ...
08/11/2023

*सारनाथ से लुम्बिनी की धम्म चारिका*
*(पदयात्रा) दि. 29 नवम्बर से 17 दिसम्बर 2023) तक*

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Bhikkhu Chandima Bhikkhu Assaji Master of Mind Bhante Gayn Rakhita Everyone

*भिक्खुसंघ के साथ भिक्खु चन्दिमा थेरो की सारनाथ से लुम्बिनी की धम्म चारिका (पदयात्रा) दि. 29 नवम्बर से 17 दिसम्बर 2023) ...
18/09/2023

*भिक्खुसंघ के साथ भिक्खु चन्दिमा थेरो की सारनाथ से लुम्बिनी की धम्म चारिका (पदयात्रा) दि. 29 नवम्बर से 17 दिसम्बर 2023) तक*

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सावन मास की पूर्णिमा पर वर्षावास का अधिष्ठान एवं संपूर्ण रात्रि महा परित्राण पाठ।Dhamma learning center, sarnathEveryone...
02/08/2023

सावन मास की पूर्णिमा पर वर्षावास का अधिष्ठान एवं संपूर्ण रात्रि महा परित्राण पाठ।
Dhamma learning center, sarnath

Everyone Bhikkhu Chandima Bhikkhu Assaji Ven. Assaji

परम पूज्य गुरूजी (भदन्त ज्ञानेश्वर महास्थविर) अध्यक्ष:- कुशीनगर भिक्खुसंघ का धम्म लर्निंग सेंटर सारनाथ में स्वागत एवं अभ...
06/07/2023

परम पूज्य गुरूजी (भदन्त ज्ञानेश्वर महास्थविर)
अध्यक्ष:- कुशीनगर भिक्खुसंघ का धम्म लर्निंग सेंटर सारनाथ में स्वागत एवं अभिनन्दन। ☸️🙏🙏🙏☸️

Bhikkhu Chandima Bhikkhu Assaji Ven. Assaji

आषाढी पूर्णिमा/गुरु पूर्णिमा पर, धम्मेक स्तूप एवं मूलगंघकुटी विहार सारनाथ में,लोक गुरु तथागत बुद्ध की पावन स्मृति में दी...
05/07/2023

आषाढी पूर्णिमा/गुरु पूर्णिमा पर,
धम्मेक स्तूप एवं मूलगंघकुटी विहार सारनाथ में,
लोक गुरु तथागत बुद्ध की पावन स्मृति में दीपदानोत्स।

Bhikkhu Chandima Bhikkhu Assaji Ven. Assaji

विश्वगुरू तथागत बुद्ध के प्रथम उपदेश स्थली सारनाथ में आषाढी पूर्णिमा/ गुरू पूर्णिमा पर आयोजन ।By:- Dhamma Learning Cente...
04/07/2023

विश्वगुरू तथागत बुद्ध के प्रथम उपदेश स्थली सारनाथ में आषाढी पूर्णिमा/ गुरू पूर्णिमा पर आयोजन ।

By:- Dhamma Learning Center Saranath

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अशोक मिशन स्कूल शिवपुर से सदगुरु कबीर जन्मस्थली लहरतारा वाराणसी तक धम्म चारिका किया।By:- Dhamma learning center sarnathB...
26/06/2023

अशोक मिशन स्कूल शिवपुर से सदगुरु कबीर जन्मस्थली लहरतारा वाराणसी तक धम्म चारिका किया।

By:- Dhamma learning center sarnath
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*शिविर का तिसरा दिवस*। धम्मा लर्निंग सेंटर सारनाथ से तथागत विहार पब्लिक स्कूल चांदमारी वाराणसी तक धम्म चारिका किया।Bhikk...
25/06/2023

*शिविर का तिसरा दिवस*।

धम्मा लर्निंग सेंटर सारनाथ से तथागत विहार पब्लिक स्कूल चांदमारी वाराणसी तक धम्म चारिका किया।

Bhikkhu Chandima Bhikkhu Assaji Bhante Gayn Rakhita Ven. Assaji

तथागत बुद्ध की प्रथम उपदेश स्थल पर ,धम्मेक स्तूप के समक्ष श्रामणेर दीक्षा l.By:- Dhamma learning center sarnath Varanasi...
23/06/2023

तथागत बुद्ध की प्रथम उपदेश स्थल पर ,
धम्मेक स्तूप के समक्ष श्रामणेर दीक्षा l.

By:- Dhamma learning center sarnath Varanasi

learning center sarnath Bhikkhu Chandima Bhikkhu Assaji Bhante Gayn Rakhita Ven. Assaji

*प्रवज्जा संस्कार का दूसरा दिन*। तथागत बुद्ध की प्रथम उपदेश स्थल पर ,धम्मेक स्तूप के समक्ष श्रामणेर दीक्षा एवं चैत्य बंद...
23/06/2023

*प्रवज्जा संस्कार का दूसरा दिन*।

तथागत बुद्ध की प्रथम उपदेश स्थल पर ,
धम्मेक स्तूप के समक्ष श्रामणेर दीक्षा एवं चैत्य बंदना।

Bhikkhu Chandima Bhikkhu Assaji Bhante Gayn Rakhita Ven. Assaji

प्रवज्जा संस्कार 2023.धम्मा लर्निंग सेंटर सारनाथ द्वारा आयोजित प्रवज्जा संस्कार में परम पूज्य भदन्त प्रज्ञाशील महाथेरो ए...
23/06/2023

प्रवज्जा संस्कार 2023.

धम्मा लर्निंग सेंटर सारनाथ द्वारा आयोजित प्रवज्जा संस्कार में परम पूज्य भदन्त प्रज्ञाशील महाथेरो एवं परम पूज्य भदन्त श्रद्धामित्र जी द्वारा धम्म देशना।

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*मुण्डन समारोह*। आषाढी पूर्णिमा 2023 के पावन महापर्व पर धम्मा लर्निंग सेंटर, सारनाथ द्वारा आयोजित प्रव्रज्या संस्कार का ...
22/06/2023

*मुण्डन समारोह*।

आषाढी पूर्णिमा 2023 के पावन महापर्व पर धम्मा लर्निंग सेंटर, सारनाथ द्वारा आयोजित प्रव्रज्या संस्कार का प्रथम दिवस।
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*वियतनाम की यात्रा*वियतनाम के बा वांग बुद्ध विहार में 21 मई 2023 को  धम्मसभागार का अनावरण किया गया। सभागार दो मंजिल है। ...
23/05/2023

*वियतनाम की यात्रा*

वियतनाम के बा वांग बुद्ध विहार में 21 मई 2023 को धम्मसभागार का अनावरण किया गया।

सभागार दो मंजिल है।

इसे गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल किया गया है।

यह पहाड़ पर सबसे बड़ा सभागार है।

*भिक्खु चन्दिमा थेरो*
Bhikkhu Chandima Ven. Assaji Bhikkhu Assaji Bhante Gayn Rakhita

 #महाराजा_अशोक_की_बराबर_गुफाएं। बिहार राज्य के जहानाबाद जिले में गया से 24 किलोमीटर की दूरी पर बराबर की गुफाएं हैं । ग्र...
18/05/2023

#महाराजा_अशोक_की_बराबर_गुफाएं।

बिहार राज्य के जहानाबाद जिले में गया से 24 किलोमीटर की दूरी पर बराबर की गुफाएं हैं ।

ग्रेनाइट की चट्टानों को काटकर बनायी गयी मानव निर्मित चार बराबर गुफाएं हैं।

एक गुफा उच्च - स्तरीय पोलिश युक्त है जो शिशे की भातिं चमकदार।

इनमें से अधिकांश गुफाओं का संबंध मौर्य काल (322-185 ईसा पूर्व) से है।

गुफाओं के प्रवेशद्वार पर धम्म लिपि (ब्रहमी) में महाराजा अशोक के शिलालेख अंकित है।

महाराजा अशोक अपनी धार्मिक सहिष्णुता की नीति के तहत इन गुफाओं को आजीविकों को दान में दिया था ।

बाद में आजीवक संप्रदाय के अधिकांश सन्यासी बौद्ध भिक्खु बन गयें इसलिए ये गुफाएं भिक्खुओ के ध्यान साधना का केंद्र बन गयी।

यदि आप बौद्ध धर्म, इतिहास और पर्यटन में रूचि रखते हैं तो बराबर की गुफाओं को देखने जाना चाहिए बराबर की गुफाएं आपको रूकने के लिए बाध्य कर देगी।

जहानाबाद के पुलिस अधीक्षक महोदय (श्रद्धेय दीपक रंजन ) जी के सहायता एवं प्रेरणा से मुझे भी इन गुफाएं को देखने का सुअवसर मिला।

पुलिस अधीक्षक महोदय के प्रति आभार एवं गौरवशाली इतिहास के लिए महाराजा अशोक के प्रति हार्दिक कृतज्ञता ज्ञापित करता हूँ।
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1-  #वैशाली_में_तथागत_बुद्ध_का_अंतिम_वर्षावास ।।। वैशाली में अंबपाली से आम्रवन विहार को दान में स्वीकार कर भगवान बुद्ध म...
15/05/2023

1- #वैशाली_में_तथागत_बुद्ध_का_अंतिम_वर्षावास ।।।

वैशाली में अंबपाली से आम्रवन विहार को दान में स्वीकार कर भगवान बुद्ध महाभिक्षु संघ के साथ वेणुग्राम गए।

वहाँ उन्होंने वर्षावास किया, वर्षावास में तथागत को गंभीर बीमारी हो गई,‌ इस बीमारी के फलस्वरूप अनुभूत पीड़ा को तथागत ने ‘स्मृति-संप्रजन्य' के साथ बिना दुःख का अनुभव करते सहन किया।

तथागत उसी बीमारी को मनोबल से हटाकर प्राण-शक्ति को दृढ़तापूर्वक धारण कर विहार करने लगे तब तथागत की बीमारी शांत हो गई।

तब आनंद ने कहा, भगवान्! आपकी बीमारी से मैं बहुत दुःखी था, मेरा शरीर शुण्य हो गया था, धर्म की बातों को भूल रहा था,
कुछ आश्वासन मात्र रह गया था, मैंने सोचा जब तक भिक्षु संघ को कुछ कह न लेंगे, तब तक तथागत परिनिर्वाण प्राप्त नहीं करेंगे।

भगवान् ने कहा, आनंद! जगत् के वास्तविक स्वभाव को पहचानो, शोक न करो, यह जगत् प्रतीत्य-समुत्पन्न होने के कारण अनित्य है, जो कुछ उत्पन्न होता है, वह नष्ट होने वाला है, किसी के लिए नित्यता (अनाशवान् होना) प्राप्त करना संभव नहीं है।

यदि पृथ्वी के प्राणी नित्य (स्थाई) होते, तो जीवन परिवर्तनशील न होता और तब मुक्ति (निर्वाण ) की न तो संभावना थी और न ही आवश्यकता, जीवन का जैसा आरंभ होता, वैसा ही उसका अंत होता।

ागत_धर्म_की_प्रतिमूर्ति_है।

मैने संपूर्ण धर्म-मार्ग तुम्हें तथा भिक्षु संघ को बतला दिया है,
कुछ छिपाया नहीं है,
धर्मों में तथागत को कोई आचार्य-मुष्टि (रहस्य) नहीं है,
चाहे मैं रहूँ या निर्वाण प्राप्त करूँ, एक ही बात है।

जिस शास्ता के मन में यह विचार हो कि मैं भिक्षु संघ चला रहा हूँ या भिक्षु-संघ मेरे सहारे चल रहा है, वैसा शास्ता भिक्षु-संघ से ऐसे समय में उपदेश देने की सोचे।

तथागत को ऐसा नहीं है, मैं वृद्ध एवं वय प्राप्त हूँ, मैं 80 वर्ष का हूँ, तथागत का शरीर बाँध-बुधकर चल रहा है, तथागत भिक्षु संघ को क्या कहेंगे?

तुम लोग (भिक्षु संघ ) अपने आप पर निर्भर होओ, अपना शरण-स्थल स्वयं बनो, किसी दूसरे के भरोसे मत रहो, धर्म पर ही निर्भर रहो, धर्म को ही अपना शरण-स्थल बनाओ, किसी अन्य की शरण में विश्वास न करो, धर्म ही तुम लोगों का शास्ता होहो, तथागत धर्म की मूर्ति (धर्म-काय) हैं, यह मर्त्य शरीर तुम्हारे किसी काम का नहीं है।

मैने श्रद्धापूर्वक धर्म का द्वीप जलाया है, जिसका प्रकाश हमेशा रहेगा, इसे अपना प्रदीप समझकर तुम्हे इसमें दृढ़ उत्साह के साथ लगना चाहिए, निद्वंद होकर अपना लक्ष्य पहचानो तथा प्राप्त करो, तुम अपने मन को दूसरी बातों का शिकार न होने दो, प्रज्ञा धर्म का दीप है, इसके द्वारा विद्धान पुरुष अज्ञान को दूर करता है, अत्त दीपो भव (आत्मदीप, आत्मशरण,अनन्यशरण, धर्मदीप, धर्मशरण होकर विहरो)।

भिक्षु स्वयं अपने आप अपना दीपक कैसे बने?
स्वयं अपनी शरण कैसे ग्रहण करे?
धर्म को ही अपना दीपक कैसे समझे?
धर्म की ही शरण कैसे ग्रहण करे?

आनंद! जो कोई भिक्षु कायानुपश्यना का अभ्यास करता है, वेदनानुपश्यना का अभ्यास करता है,
चित्तानुपश्यना का अभ्यास करता है तथा धर्मानुपश्यना का अभ्यास करता है,
वही भिक्षु कायानुपश्ययी, वेदनानुपश्ययी, चित्तानुपश्ययी तथा धर्मानुपश्ययी होता है।

जो भिक्षु इन चारों स्मृति-उपस्थानों का अभ्यास करेंगे,
वे ही अपने दीपक आप बनेंगे,
वे ही अपनी शरण आप ग्रहण करने वाले होंगे,
वे ही धर्म को अपना दीपक बनाने वाले होंगे तथा वे ही धर्म की शरण ग्रहण करने वाले होंगे।

जो भिक्षु इस तरह साधना करते हुए आत्मदीप, आत्मशरण, धर्मदीप तथा धर्मशरण बनेंगे, वे शिक्षाकामी भिक्षु ही मेरे बाद संघ में अग्र होंगे।

ागत_द्वारा_महापरिनिर्वाण_का_निर्णय।

एक दिन तथागत वैशाली के चापाल-चैत्य में विहार के लिए गए, एक ओर बैठे तथागत ने माघी पूर्णिमा के दिन आनंद से कहा,

आनंद! जिसने चारों ऋद्धिपाद (ऋद्धियाँ सिद्धियाँ) की साधना भलीभाँति पूर्ण कर ली हों, यदि वह चाहे तो कल्प भर या कल के कुछ भाग तक यहाँ जीवित रहकर ठहर सकता है।
आनंद! तथागत (मैने) इन ऋद्धिपा की साधना भलीभाँति पूर्ण कर ली है।

अतः तथागत जितना चाहें - कल्पपर्यंत या कल्प के कुछ भाग तक जीवित रहते हुए ठहर सकते हैं।

ऐसा संकेत करने पर भी आनंद न समझ सके,
क्योंकि मार ने उनके मन को बदल दिया था,
उन्होंने तथागत से प्रार्थना नहीं की,
तथागत ने दूसरी व तीसरी बार कहा कि जिसने चार ऋद्धियाँ सिद्ध कर हों,
यदि वह चाहे तो कल्प भर या कल्प के बचे भाग तक ठहर सकता है,
परंतु आनंद तथागत से कल्प भर ठहरने हेतु प्रार्थना न कर सके।

ापरिनिर्वाण_स्थगित_करने_हेतु_निवेदन।

तथागत के होशपूर्वक जीवन-शक्ति छोड़ देने पर आनंद ने कहा,
भन्ते बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय, लोकानुकंपाय देव व मनुष्यों के हित के लिए, कल्प भर ठहरे।
आनंद! तथागत से प्रार्थना मत करो, अब तथागत से प्रार्थना करने का समय नहीं रहा।

तब दूसरी तथा तीसरी बार आनंद ने तथागत से प्रार्थना की,
परंतु तथागत तीनों ही बार आनंद की प्रार्थना को अस्वीकार कर दिया और कहा कि तथागत बोधि पर विश्वास करते हुए तथागत को तीन बार क्यों दबाते हो?

तब आनंद ने कहा, भंते! मैने आपके मुख से ग्रहण किया है कि जिसने चार ऋद्धियाँ प्राप्त की हैं, वह चाहे तो कल्प भर या कल्प के बचे काल तक परिनिर्वाण को स्थगित कर ठहर सकता है।
आनंद ! यह तुम्हारा ही अपराध है, मैने तुमसे पापी मार के प्रार्थना करने से पूर्व कहा था, परंतु तथागत के ऐसा उदार भाव दिखाने या प्रकट करने पर भी तुम नहीं समझ सके।

तुमने उस समय प्रार्थना नहीं की कि तथागत कल्प भर ठहरें।
यदि तुमने तीन बार याचना की होती, तो तथागत दो बार तुम्हारी प्रार्थना को अस्वीकार करते परंतु तीसरी बार तुम्हारी प्रार्थना स्वीकार कर लेते, इसलिए यह तुम्हारा ही अपराध है।

यही बात मैने राजगृह के गृध्रकूट-पर्वत पर,
गौतम-न्यग्रोध विहार में,
राजगृह के चोरतपा पर,
सप्तपर्णी गुफा में,
कालशिला पर,
सीतवन पर्वत पर,
तपोदाराम में,
वेणुवन के कलंदक-निवाप में,
जीवक- आम्रवन में,
मद्रकुक्षी-मृगदाव में,
वैशाली के उदयन-चैत्य में, गौतमक-चैत्य में,
सप्ताभ्र- चैत्य में,
बहुपुत्रक-चैत्य में तथा सारन्दद-चैत्य में भी तुमसे कही थी,
परंतु तुमने ही परिनिर्वाण स्थगित करने तथा कल्प भर ठहरने के लिए प्रार्थना नहीं की, यह तुम्हारा ही अपराध है।

आनंद! मैने पहले ही कह दिया था कि सभी प्रियों से वियोग निश्चित है।
जो उत्पन्न है, वह नाशवान् है।
वह नष्ट न हो, यह संभव नहीं है।

तथागत ने जीवन-संस्कार छोड़ दिया है,
आज से तीन मास बाद तथागत का परिनिर्वाण होगा,
जीवन के लिए तथागत वमन (उल्टी) किए गए को नहीं निगलेंगे, अब यह संभव नहीं है।

ागत_बुद्ध_का_वैशाली_से_प्रस्थान।

जब तथागत निर्वाण के लिए चले, तब वैशाली शांत हो गई, आश्चर्य में डूब गई, उस समय चारों ओर शोक ही शोक था, वैशाली के नागरिक रोते ही रहे।

तब सिंह सेनापति अत्यंत दृढ़ होने पर भी शोकाकुल हुआ,
उसने सोचा कि तथागत के निर्वाण प्राप्त कर लेने पर धर्म नष्ट हो जाएगा तथा लोक में कोई दूसरा नहीं है,
जो रोग व मृत्यु के वशीभूत तथा शील के अभाव से ग्रस्त प्राणियों का महादुःख-चक्र तोड़ सके।

उस समय सिंह सेनापति ने दान दिया, अभिमान त्याग दिया, धर्म का ध्यान किया और शांति प्राप्त की।

तब तथागत ने नागावलोकन
(हाथी की तरह सारे शरीर को घुमाकर दृष्टिपात)
से वैशाली नगर की ओर देखते हुए आनंद से ये वचन कहे, "

आनंद। तयागत का यह अंतिम वैशाली-दर्शन होगा।

मैं, अपने जीवन के शेष भाग में वैशाली को नहीं देख पाऊँगा,
मैं निर्वाण की ओर जा रहा हूँ।

कुछ विद्वानों का मत है कि वैशाली से प्रस्थान करने से पूर्व भगवान् ने अपना भिक्षा पात्र वैशाली की जनता को स्मृतिस्वरूप भेंट किया था, परंतु पालि सूत्रों में इसका उल्लेख नहीं मिलता है।

िक्खुसंघ_को_उपदेश।

तब तथागत आनंद के साथ महावन कूटागारशाला में गए और भिक्षुओं को कहा,
भिक्षुओ! मैने जो धर्म उपदेश दिया है, तुम अच्छी तरह से सीखकर उसका सेवन करना तथा बढ़ानाबढ़ाना,
जिससे यह जीवन बहुजन हितार्थ, बहुजन सुखार्थ तथा लोकानुकंपार्थ प्राणियों के हित-सुख के लिए हो।

जैसे कि 37 बोधिपक्षिय धर्म,
चार स्मृति-प्रस्थान,
चार सम्यक्–प्रधान,
चार ऋद्धिपाद,
पाँच इंद्रिय,
पाँच बल,
सात संबोध्यंग तथा
आर्य अष्टांगिक मार्ग का मैने उपदेश दिया है।

भिक्षुओ! सभी संस्कार (कृत वस्तुयें) व्यय-धर्मा (नष्ट होने के स्वभाव वाली) हैं।
प्रमादरहित (आलस्य छोड़कर) होकर अपने चित्त की रक्षा करो।

जो इस धर्म में प्रमादरहित हो उद्योग करेगा, वह आवागमन को छोड़ दुःख का अंत करेगा।
पायेंगे

आज से तीन मास बाद तथागत परिनिर्वाण पायेंगे।

तथागत के परिनिर्वाण की बात सुनकर भिक्षु शोकाकुल हो गए, वे बड़ी संख्या में तथागत को श्रद्धा एवं सम्मान प्रदर्शित करने तथा उनके अंतिम दर्शन हेतु जाने लगे।

केवल भिक्षु धम्माराम ही तथागत के दर्शनार्थ नहीं गये।
इस बात से अवगत होने पर तथागत ने उन्हें बुलाकर इसका कारण पूछा।

उस भिक्षु ने उत्तर दिया-
भंते! मैं जानता हूँ कि तथागत आज से तीन माह बाद परिनिर्वाण प्राप्त करेंगे,
मैने सोचा कि तथागत के परिनिर्वाण के पूर्व ही अर्हत्-पद प्राप्त कर लेना ही तथागत के प्रति सच्चा सम्मान एवं श्रद्धा है।

मैं अर्हत्-पद की प्राप्ति की दिशा में अभ्यासरत था,
भिक्षु धम्माराम की बात सुनकर तथागत हर्षित हुए और अन्य भिक्षुओं को कहा,
भिक्षुओं! जो मेरे प्रति श्रद्धायुक्त है, उसे इस भिक्षु का सम्मान करना चाहिए,
धर्माचरण ही मेरे प्रति सच्ची श्रद्धा एवं सम्मान है।

(गौतम बुद्ध जीवन और धर्म दर्शन,भाग 1 से )

इतना कह भगवान वैशाली से भोगनगर के लिए प्रस्थान कर गये।

वैशाली के इसी पवित्र भूमि का भिक्खुसंघ सहित दर्शन किया। Bhikkhu Chandima Bhikkhu Assaji Bhante Gayn Rakhita

 #केसरिया_स्तुप (चैत्य) । केसरिया स्तुप को  विश्व का सबसे बड़ा स्‍तूप (चैत्य) कहाँ जाता हैं, इस स्तुप का निर्माण तथागत ब...
14/05/2023

#केसरिया_स्तुप (चैत्य) ।

केसरिया स्तुप को विश्व का सबसे बड़ा स्‍तूप (चैत्य) कहाँ जाता हैं,

इस स्तुप का निर्माण तथागत बुद्ध के भिक्षा पात्र पर किया गया है,

तथागत बुद्ध जब महापरिनिर्वाण प्राप्त करने कुशीनगर जा रहे थे तो वह एक रात्रि के लिए केसरिया में ठहरें थे,

वैशाली से कुशीनगर जाते समय केसरिया में तथागत ने अपना भिक्षा पात्र लिच्छवियों को उपहार में दिया था,

जिस स्‍थान पर पर वह ठहरें थे उसी स्थान पर सम्राट अशोक ने स्मृति के रूप में स्‍तूप का निर्माण करवाया था,

वर्तमान में यह स्‍तूप 1400 फीट के क्षेत्र में फैला हुआ है और इसकी ऊंचाई 51 फीट है,

सर अलेक्‍जेंडर कनिंघम के अनुसार मूल स्‍तूप 70 फीट ऊंचा था,

स्तूप करीब 30 एकड़ में फैला हुआ है,

केसरिया स्तुप चकिया से 22,
किलोमीटर, वैशाली से 55, मुजफ्फरपुर से 75 और राजधानी पटना से 110 किलोमीटर दूरी पर है,

स्तुप के दर्शनार्थ देश-विदेश के धम्म यात्री बड़ी संख्या में पहुचते है,

दिनांक 10 मई 2023 को मेरा भी पुण्य उदय हुआ,

पुज्य भिक्खुसंघ सहित मुझे भी स्तुप (चैत्य) के वंदन का अवसर प्राप्त हुआ। Bhikkhu Chandima 🙏🙏🙏

☸️ Namo Buddhay ☸️Dhamma learning center sarnathधम्म लर्निंग सेंटर सारनाथ वाराणसी
08/05/2023

☸️ Namo Buddhay ☸️

Dhamma learning center sarnath

धम्म लर्निंग सेंटर सारनाथ वाराणसी

03/05/2023

बुद्ध पूर्णिमा के महापर्व पर सारनाथ आने वाले समस्त यात्रियों को धम्मा लर्निंग सेंटर एवं सहयोगी उपासक/उपासिकाओ द्वारा भोजन दान।
5 – मई – 2023 को
समय:- सुबह 9:00 बजे से रात्रि 10:00 बजे तक।
स्थान:- कार्यालय, महाबोधि सोसाइटी आफ इण्डिया, सारनाथ वाराणसी l

Address

Dhamma Learning Center
Varanasi

Telephone

+919335004752

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