Kahani Chronicles

Kahani Chronicles Welcome to Kahani Chronicles! Step into a world where stories come alive.

18/06/2023

एक बार एक नन्हा बच्चा दोपहर में नंगे पैर फूल बेच रहा था। लोग मोलभाव कर उससे फूल ख़रीद रहे थे। तभी अचानक एक सज्जन की नज़र उ...
18/06/2023

एक बार एक नन्हा बच्चा दोपहर में नंगे पैर फूल बेच रहा था। लोग मोलभाव कर उससे फूल ख़रीद रहे थे।

तभी अचानक एक सज्जन की नज़र उसके पैरों पर पड़ी।उसने पाया कि उस बच्चे के पैरों में जूते या चप्पल नहीं हैं। उसे बहुत दुःख हुआ। वह भागकर गया, नज़दीक की ही एक दुकान से एक जूता लेकर आया और कहा-लो बेटा... जूते पहन लो , तुम्हारे पांव जल रहे होंगे ।

लड़के ने फटाफट जूते पहने, बड़ा खुश हुआ और उस आदमी का हाथ पकड़ कर कहने लगा- दादा, आप भगवान हो न...सच सच बताना ??

वह आदमी घबराकर बोला - नहीं... नहीं... बेटा , मैं भगवान नहीं।

फिर लड़का बोला- तब जरूर आप भगवान के दोस्त होंगे, क्योंकि मै कई दिनों से लगातार भगवान जी से विनती कर रहा था कि भगवान जी, धूप में मेरे पैर बहुत जलते हैं। मेरे लिए एक जूते की व्यवस्था कर दो औऱ आख़िर उन्होंने मेरी फ़रियाद सुन ली ।

उस आदमी ने बड़े प्यार से नन्हें बच्चे के सिर पर अपना हाथ फेरा औऱ उससे बोला....बेटा ,शायद तुम सही कह रहे हो, संभवतः भगवान ने ही मुझें यहाँ भेजा होगा ।

वह आदमी अपनी आंखों में पानी लिये मुस्कराता हुआ वहाँ से चला गया, पर अब वो जान गया था कि भगवान का दोस्त बनना ज्यादा मुश्किल नहीं है।

कुदरत ने दो रास्ते बनाए हैं....देकर जाओ या फिर छोड़कर जाओ......साथ लेकर के जाने की कोई व्यवस्था नहीं।

भारत की दो वीरांगना बेटियां बेला और कल्याणी | पृथ्वीराज चौहान की बेटी का बदला | bela aur kalyani ki kahanihttps://youtu....
18/06/2023

भारत की दो वीरांगना बेटियां बेला और कल्याणी | पृथ्वीराज चौहान की बेटी का बदला | bela aur kalyani ki kahani
https://youtu.be/jUAOPgsJPzY



भारत की दो वीरांगना बेटियां बेला और कल्याणी | पृथ्वीराज चौहान की बेटी का बदला | bela aur kalyani ki kahaniAbout us:Welcome to Kahani Chronicles, your go-to c...

सिर्फ एक पेड़ से कितना फ़र्क़ आ सकता है वो बताने के लिए ये 2 तस्वीरें काफी हैं। दिन भर में जो पैसे फिजुल मे उड़ा देते है...
18/06/2023

सिर्फ एक पेड़ से कितना फ़र्क़ आ सकता है वो बताने के लिए ये 2 तस्वीरें काफी हैं। दिन भर में जो पैसे फिजुल मे उड़ा देते हैं उसे 1 दिन बचा कर अपने आस पास की खुली जगह पर कम से कम 2 पौधे ज़रूर लगायें
आंकडे और भी अच्छे होते अगर यहां पेडो की कतार होती।। 🙏🙏

18/06/2023
*🫀बांटने का सुख🫀*पूरे चार महीने बाद वो शहर से कमाकर गाँव लौटा था। अम्मा उसे देखते ही चहकी..."आ गया मेरा लाल! कितना दुबला...
17/06/2023

*🫀बांटने का सुख🫀*

पूरे चार महीने बाद वो शहर से कमाकर गाँव लौटा था। अम्मा उसे देखते ही चहकी...

"आ गया मेरा लाल! कितना दुबला हो गया है रे! खाली पैसे बचाने के चक्कर में ढंग से खाता-पीता भी नहीं क्या!"

"बारह घंटे की ड्यूटी है अम्मा, बैठकर थोड़े खाना है! ये लो, तुम्हारी मनपसंद मिठाई!"--कहकर उसने मिठाई का डिब्बा माँ को थमा दी!

"कितने की है?"

"साढ़े तीन सौ की!"

"इस पैसे का फल नहीं खा सकता था! अब तो अंगूर का सीजन भी आ गया है!"--अम्मा ने उलाहना दिया।

पूरा दिन गाँव-घर से मिलने में बीत गया था! रात हुई, एकांत में उसने बैग खोलकर एक पैकेट निकाला और पत्नी की ओर बढ़ा दिया--

"क्या है ये?"

"चॉकलेट का डिब्बा, खास तुम्हारे लिए!"

"केवल मेरे लिए ही क्यों!"

"अरे समझा करो। सबके लिए तो मिठाई लायी ही है!"

"कितने का है?"

"आठ सौ का!"

"हांय!!"

"विदेशी ब्रांड है!"

"तो क्या हुआ!"

"तुम नहीं समझोगी! खाना, तब बताना!"

"पर घर में और लोग भी हैं। अम्मा, बाबूजी, तीन तीन भौजाइयां, भतीजे। सब खा लेते तो क्या हर्ज था!"

"अरे पगली, बस चार पीस ही है इसमें, सबके लिए कहाँ से लाता!"

"तो तोड़कर खा लेते!"

"और तुम!"

"बहुत मानते हैं मुझे?"

"ये भी कोई कहने की चीज है!"

"आह! कितनी भाग्यशाली हूँ मैं जो तुम मुझे मिले!"

उसकी आँखें चमक उठी--"मेरे जैसा पति बहुत भाग्य से मिलता है!"

"सच है! लेकिन पता है, ये सौभाग्य मुझे किसने दिया है?"

"किसने?"

"तुम्हारी अम्मा और बाबूजी ने! उन्होंने ही तुम्हारे जैसा हट्टा-कट्टा, सुंदर और प्यार करने वाला पति मुझे दिया है! सोचो, तुम्हारे जन्म पर खुशी मनाने के लिए मैं नहीं थी, एक अबोध शिशु से जवान बनने तक, पढ़ाने-लिखाने और नौकरी लायक बनाने तक मैं नहीं थी। मैं तुम्हारे जीवन में आऊं, इस लायक भी उन्होंने ही तुम्हें बनाया!"

"तुम आखिर कहना क्या चाहती हो?"

"यही कि ये पैकेट अब सुबह ही खुलेगा! एक माँ है, जो साढ़े तीन सौ की मिठाई पर भी इसलिए गुस्सा होती है कि उसके बेटे ने उन पैसों को अपने ऊपर खर्च नहीं किया! और वो बेटा आठ सौ का चॉकलेट चुपके से अपनी बीवी को दे, ये ठीक लग रहा है तुम्हें!"

वो चुप हो गया! पत्नी ने बोलना जारी रखा...

"अम्मा-बाबूजी और लोग गाँव में रहते हैं! तुम ही एकमात्र शहरी हो। बहुत सारी चीजें ऐसी होंगी, जो उन्हें इस जनम में नसीब तो क्या, उनका नाम भी सुनने को नहीं मिलेगा! भगवान ने तुम्हें ये सौभाग्य दिया है कि तुम उन्हें ऐसी अनसुनी-अनदेखी खुशियां दो! वैसे कल को हमारे भी बेटे होंगे! अगर यही सब वे करेंगे तो.......!"

अचानक उसे झटका लगा। चॉकलेट का डिब्बा वापस बैग में रख वो बिस्तर पर करवट बदल सुबकने लगा!

"क्या हुआ? बुरा लगा सुनकर!"

"..............!"

"मर्दों को रोना शोभा नहीं देता! खुद की खुशियों को पहचानना सीखो! जीवन का असल सुख परिजनों को खुश देखने में है! समझे पिया!
CP

अमेरिका के एक गणितज्ञ थे,उनकी बीवी ने तलाक़ देते हुए कहा था कि ये आदमी बुरे नहीं है लेकिन सुबह शाम दिन रात अपनी ही दुनिया...
17/06/2023

अमेरिका के एक गणितज्ञ थे,उनकी बीवी ने तलाक़ देते हुए कहा था कि ये आदमी बुरे नहीं है लेकिन सुबह शाम दिन रात अपनी ही दुनिया में खोये रहते हैं,डिनर टेबल हो या बेडरूम,हर जगह अपना दिमाग़ जाने किस कैल्क्युलेशन में लगाये रहते हैं,तमाम अच्छाईयों के बीच इसी एक कमी के कारण उन्हें तलाक देना पड़ा।
ये किस्सा पढ़ते हुए मुझे सबसे पहले जौन साहब की याद आयी,असल में आर्टिस्ट लोग थोड़े अब्सेंट माइंडेड होते हैं,उनकी सेंसिबिलिटी की रेंज औरों से अलग होती है,ये कहानी अमेरिका के उस गणितज्ञ की ही नहीं बल्कि जौन की तरह दुनिया के हज़ारों लाखों जीनियस माइंडेड लोगों की है जो अपनी दुनिया का इस दुनिया से तालमेल बैठाने में नाकाम रहें,इसी वजह से जौन साहब के यहाँ इस नाकामी का दर्द भरपूर मात्रा में मिलता है,उनका एक शेर है -

'तू कभी सोचना भी मत तूने गंवा दिया मुझे,
मुझको मेरे ख़्याल की मौज बहा के ले गयी'

जौन साहब भी जीने के इस परंपरागत ढंग में फिट नहीं हो पाए और फिट होने वालों पर ख़ूब तंज कसते रहें,वो कहते हैं -

'जो मियां जाते हैं दफ़्तर वक़्त पर
उनसे जुदा है अपनी दुश्वारियाँ'

यानी वक़्त पर दफ़्तर जाने वालों की ज़िंदगी से अलग उलझने हैं जौन साहब की, उनके लिए नौकरी, घर गृहस्थी, इंश्योरेंस, ये सब कोई मसअला नहीं है,वो तो आस्तित्व का रहस्य समझने निकले हैं,उन्हें तो ख़ुदावंद की इमदाद करना है,
पर मुद्दा ये है कि आप को घूम फिर कर रहना इसी दुनिया में है, इन्हीं लोगों के बीच,चाहे जी लगे या न लगे, जौन के साथ भी यही हुआ, वो दौड़ते भागते लोगों और मशीनी इंसानों के बीच फँसा हुआ महसूस करते थे,दुनिया की इस भीड़ में अपने विचारों के साथ अकेले खड़े थे,इसी घुटन के एक्सट्रीम पर जाकर उन्होंने लिखा होगा -

'ऐ वहशतों! मुझे उसी वादी में ले चलो
ये कौन लोग हैं,ये कहाँ आ गया हूँ मैं'

जौन कभी खुश नहीं रहे, किसी को पा कर भी नहीं, किसी को खोकर भी नहीं, किसी के साथ भी नहीं, किसी के पास भी नहीं, जाने किस तलाश में भटकते रहे, जो नहीं मिला उसका मातम मनाते रहे, जो मिल गया उससे ऊबते रहे,बिखरते रहे,पछताते रहे,याद करते रहे,भूलते रहे,फरेब देते रहे,फरेब खाते रहे,किसी के करीब आने से घबराते रहे, किसी से दूर जाकर कराहते रहे।
असल में होता ये है कि जो लोग जितना ज़्यादा भावुक होते हैं वो पश्चाताप का दंश भी उतना ही ज़्यादा झेलते हैं, जौन भी इसी फ़ितरत के थे.

वो कहकर भी गए हैं कि -

ख़ूब है इश्क़ का ये पहलू भी
मैं भी बर्बाद हो गया तू भी

Address

Varanasi

Website

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Kahani Chronicles posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Videos

Share


Other Varanasi media companies

Show All