17/06/2023
अमेरिका के एक गणितज्ञ थे,उनकी बीवी ने तलाक़ देते हुए कहा था कि ये आदमी बुरे नहीं है लेकिन सुबह शाम दिन रात अपनी ही दुनिया में खोये रहते हैं,डिनर टेबल हो या बेडरूम,हर जगह अपना दिमाग़ जाने किस कैल्क्युलेशन में लगाये रहते हैं,तमाम अच्छाईयों के बीच इसी एक कमी के कारण उन्हें तलाक देना पड़ा।
ये किस्सा पढ़ते हुए मुझे सबसे पहले जौन साहब की याद आयी,असल में आर्टिस्ट लोग थोड़े अब्सेंट माइंडेड होते हैं,उनकी सेंसिबिलिटी की रेंज औरों से अलग होती है,ये कहानी अमेरिका के उस गणितज्ञ की ही नहीं बल्कि जौन की तरह दुनिया के हज़ारों लाखों जीनियस माइंडेड लोगों की है जो अपनी दुनिया का इस दुनिया से तालमेल बैठाने में नाकाम रहें,इसी वजह से जौन साहब के यहाँ इस नाकामी का दर्द भरपूर मात्रा में मिलता है,उनका एक शेर है -
'तू कभी सोचना भी मत तूने गंवा दिया मुझे,
मुझको मेरे ख़्याल की मौज बहा के ले गयी'
जौन साहब भी जीने के इस परंपरागत ढंग में फिट नहीं हो पाए और फिट होने वालों पर ख़ूब तंज कसते रहें,वो कहते हैं -
'जो मियां जाते हैं दफ़्तर वक़्त पर
उनसे जुदा है अपनी दुश्वारियाँ'
यानी वक़्त पर दफ़्तर जाने वालों की ज़िंदगी से अलग उलझने हैं जौन साहब की, उनके लिए नौकरी, घर गृहस्थी, इंश्योरेंस, ये सब कोई मसअला नहीं है,वो तो आस्तित्व का रहस्य समझने निकले हैं,उन्हें तो ख़ुदावंद की इमदाद करना है,
पर मुद्दा ये है कि आप को घूम फिर कर रहना इसी दुनिया में है, इन्हीं लोगों के बीच,चाहे जी लगे या न लगे, जौन के साथ भी यही हुआ, वो दौड़ते भागते लोगों और मशीनी इंसानों के बीच फँसा हुआ महसूस करते थे,दुनिया की इस भीड़ में अपने विचारों के साथ अकेले खड़े थे,इसी घुटन के एक्सट्रीम पर जाकर उन्होंने लिखा होगा -
'ऐ वहशतों! मुझे उसी वादी में ले चलो
ये कौन लोग हैं,ये कहाँ आ गया हूँ मैं'
जौन कभी खुश नहीं रहे, किसी को पा कर भी नहीं, किसी को खोकर भी नहीं, किसी के साथ भी नहीं, किसी के पास भी नहीं, जाने किस तलाश में भटकते रहे, जो नहीं मिला उसका मातम मनाते रहे, जो मिल गया उससे ऊबते रहे,बिखरते रहे,पछताते रहे,याद करते रहे,भूलते रहे,फरेब देते रहे,फरेब खाते रहे,किसी के करीब आने से घबराते रहे, किसी से दूर जाकर कराहते रहे।
असल में होता ये है कि जो लोग जितना ज़्यादा भावुक होते हैं वो पश्चाताप का दंश भी उतना ही ज़्यादा झेलते हैं, जौन भी इसी फ़ितरत के थे.
वो कहकर भी गए हैं कि -
ख़ूब है इश्क़ का ये पहलू भी
मैं भी बर्बाद हो गया तू भी