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Negative SEO is a real thing. Many marketers are trying to manipulate the system by sending spam backlinks to their comp...
28/07/2017

Negative SEO is a real thing. Many marketers are trying to manipulate the system by sending spam backlinks to their competitor’s website. To handle such spam links coming to your site, you have multiple options. The two most popular (which both go hand in hand) are: Generating a disavow file for bad links and submitting it to Google. Building more high-quality links to your website. [ 1,458 more word ]

http://ajjmaster.in/2017/07/24/how-to-generate-a-disavow-file-using-ahrefs-seo-suite/

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Use the proper keyword and you will get more search engine traffic… Optimize your website/blog keywords and you will ran...
27/07/2017

Use the proper keyword and you will get more search engine traffic… Optimize your website/blog keywords and you will rank faster… How many times have you gotten such pieces of advice when you were starting to learn about SEO? Probably a lot. That’s because keywords are the first things you should learn about when you start to optimize your blog for SEO. [ 1,656 more word ]

http://ajjmaster.in/2017/07/19/the-importance-of-keywords-in-seo-a-beginners-guide/

Use the proper keyword and you will get more search engine traffic… Optimize your website/blog keywords and you will rank faster… How many time

Today’s market is crowded with dozens of SEO tools for every taste and budget. Experienced marketers and big companies u...
27/07/2017

Today’s market is crowded with dozens of SEO tools for every taste and budget. Experienced marketers and big companies usually prefer paid all-in-one platforms. They are quick and handy. They include a variety of tools to keep and manage all projects in one place. They offer a 24/7 worry-free support system and a detailed help center documentation. Unfortunately, you need to pay for these services, and a lot of times, these plans cost hundreds of dollars. [ 1,093 more word ]

http://ajjmaster.in/2017/07/20/11-free-features-of-paid-seo-tools-every-marketer-should-know-about/

Today’s market is crowded with dozens of SEO tools for every taste and budget. Experienced marketers and big companies usually prefer paid all-in-o

Welcome to the newest installment of our educational Next Level series! In our last episode, Brian Childs shared a few h...
18/07/2017

Welcome to the newest installment of our educational Next Level series! In our last episode, Brian Childs shared a few handy shortcuts for targeting multiple keywords with one page. Today, he’s back to share how to use Google Analytics to measure the SEO impact of your content. Read on and level up! Understanding how to write web content for SEO is important. [ 1,291 more word ]

http://ajjmaster.in/2017/07/18/seo-for-copywriters-tips-on-measuring-seo-impact-next-level/

Welcome to the newest installment of our educational Next Level series! In our last episode, Brian Childs shared a few handy shortcuts for targeting

A workable strategy to increase readership for your research Citation count. If you are a published researcher, you know...
14/07/2017

A workable strategy to increase readership for your research Citation count. If you are a published researcher, you know the importance of this number. Number of times an academic paper is cited has become a major measure of it’s research impact. Research consumption has moved online. Many researchers today have an online workflow from discovery to publishing. Easy discoverability online has become a necessary to increase citation count for your research. [ 903 more words ]

http://ajjmaster.in/2017/07/14/how-to-increase-citation-count-of-your-research-paper/

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13/07/2017

Hi All User, Here’s a super limited promo that’s super awesome at the same time! Host your Hosting 55% host to super offer. Offer Details: Registration page Choose suitable pack for hosting Apply Promo Code: HOSTOKPLSAF17 You applied after get 55% off to price range Offer: 55% off on Shared, Reseller, Cloud & VPS hosting End Date: 15th July 2017… [ 65 more words ]

http://ajjmaster.in/2017/07/13/55-off-on-hosting-super-limited-promo/

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भले ही आप एक नया रिश्ता शुरू कर रही हैं या फिर पहले से ही किसी रिश्ते में हैं और अपने प्रेमी को बहुत प्यार करती हैं, उस ...
10/07/2017

भले ही आप एक नया रिश्ता शुरू कर रही हैं या फिर पहले से ही किसी रिश्ते में हैं और अपने प्रेमी को बहुत प्यार करती हैं, उस पर भरोसा करती हैं तो उसी भरोसे, प्यार और विश्वास की अपेक्षा आप उस से भी अवश्य करती होंगी. जब दो लोग एकदूसरे को पूरी ईमानदारी से चाहें तो जिंदगी बहुत खुशनुमा हो जाती है, लेकिन अगर दोनों में से एक भी स्वार्थपूर्ति और धोखा देने की राह पर चल निकलता है तो दूसरे साथी को समझने में देर नहीं करनी चाहिए. अगर आप को भी पिछले कुछ दिनों से अपने साथी पर शक हो रहा है तो इन इशारों को समझें और सही निर्णय लें : इग्नोर करना कालेज में नजर पड़ने पर भी जब वह आप को इग्नोर करे और खाली पीरियड में आप के साथ टाइम स्पैंड करने के बजाय अपने दोस्तों के साथ हंसीमजाक में व्यस्त रहने लगे. आप के बारबार पास आने पर चिपकू कहे, तो समझ लीजिए अब बात आप की सैल्फ रिस्पैक्ट पर आ गई है. अब आप उस के पीछे भागना छोड़ दें और साथी के इग्नोरैंस को समझने की कोशिश करें तथा उस से थोड़ी दूरी बना लें, तब खुद ब खुद यह पता चल जाएगा कि आप का रिश्ता कितना मजबूत है. डेट पर इंतजार करवाना डेट फिक्स होने पर जो पहले आप का घंटों इंतजार करता था, आज आप के एक मिनट भी लेट होने पर झल्लाना शुरू कर दे. सिर्फ यही नहीं बल्कि जब पूरी सिचुएशन ही बदलने लगे और वह आप का नहीं बल्कि आप उस का इंतजार करने लगें तो समझ जाएं कि मामला गड़बड़ है. झूठ बोलना सच्चा प्यार विश्वास की नींव पर टिका होता है और वहां झूठ का कोई स्थान नहीं होता, लेकिन अगर आप का प्रेमी आप से छोटीछोटी बातों में झूठ बोलता है, तो समझ लीजिए कि वह आप के और अपने रिश्ते के बारे में भी झूठ बोल रहा है. इस बारे में उस से खुल कर बात करें ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके. फोन करना कम कर देना जहां पहले प्रेमी आप को दिन में कई बार कौल करता था और मना करने पर भी उसे आप की चिंता या आप से बात करने का मन होता था, वह अब कौल ही नहीं करता या बहुत कम करता है और बिजी होने का बहाना बनाता है. अगर आप कौल करती हैं तो घंटों उस का फोन बिजी रहता है, तो समझ लीजिए कि दाल में कुछ काला है. डिमांड पूरी न करना अब यह डिमांड फिजिकली भी हो सकती है और जनरल किसी बात को ले कर भी जैसे कि मूवी दिखाना, कोई नई ड्रैस दिलाना, किसी रैस्टोरैंट में खाना खिलाना आदि. पहले मुंह से बात निकलते ही बौयफ्रैंड उसे पूरा करने की कोशिश करता था, लेकिन अब चिढ़ कर वह साफ इनकार कर देता है. पैसे की तरफ भागना अगर प्रेमी पैसे को प्यार से ज्यादा अहमियत देने लगे और बातबात पर पैसे की बात करे, यहां तक कि अमीर युवतियों पर लाइन मारने लगे तो समझ लीजिए कि आप का नाता ज्यादा दिन टिकने वाला नहीं है. मिलने से कतराना पहले आप से रोज मिलने की जिद करने वाला पार्टनर जब खुद से मिलने की बात करने से भी कतराने लगे और आप के कहने पर भी मिलने की इच्छा न जताए तो यह समझें कि उसे अब आप में इंट्रस्ट नहीं है. किसी और युवती के साथ घूमना अगर आप ने अपने बौयफ्रैंड को कई बार किसी और युवती के साथ घूमते देखा है, तो उसे हलके में न लें. भले ही वह लाख दलीलें दे कि वह सिर्फ उस की अच्छी दोस्त है और उस से किसी काम से मिला था, लेकिन आप उस पर पूरी तरह से विश्वास न करें, बल्कि उस पर नजर रखें. अगर शक सही निकले तो समय रहते बौयफ्रैंड के धोखे और उस की हरकतों से आप को सचेत होना होगा. फोन हिस्टरी डिलीट होना अगर प्रेमी के कौल रिकौर्ड, मैसेज रिकौर्ड आदि बिलकुल क्लीन रहते हैं और वह आप को अपना फोन देने से भी हिचकिचाने लगा है, तो समझ लें कुछ गड़बड़ जरूर है. खर्च करने से बचें पहले आप पर हजारों रुपए लुटा देने वाला प्रेमी अब हर बार छुट्टे न होने के बहाने बना कर बिल आप से भरवाए, आप पर खर्च करना भी बंद कर दे. तो समझ लें कि वह आप को अपनी लाइफ का इतना अहम हिस्सा नहीं समझता. तारीफ करना बंद कर दे क्या वह पहले हमेशा आप की तारीफ किया करता था और अब अचानक उस ने आप की तारीफ करना बंद कर दिया, बल्कि अब उसे आप के हर काम में नुक्स नजर आने लगा है? वह आप की किसी भी बात की तारीफ न करता हो, तो समझ लीजिए कि उस ने ये बातें किसी और के लिए बचा कर रख ली हैं. शादी के बारे में बात करने से बचे जब भी आप प्रेमी से अपनी और उस की शादी के बारे में बात करें तो उस का टालमटोल करना और नाराज होना यह दर्शाता है कि वह आप को सीरियसली नहीं ले रहा है. धोखे की आशंका हो तो… जैसे ही आप को पता चले कि आप का प्रेमी आप को धोखा दे रहा है या फिर चीटिंग कर रहा है तो उसे छोड़ने में ज्यादा वक्त न लगाएं. वह आप को छोड़े इस से पहले ही आप उसे छोड़ दें ताकि आप की सैल्फ रिस्पैक्ट बनी रहे. – ऐसा करने से पहले अपने लव लैटर्स, कार्ड्स और जरूरी सामान उस से वापस ले लें. – प्रेमी का साथ छूटने पर डिप्रैशन में जाने के बजाय इस बात की खुशी मनाएं कि चलो, अच्छा है ऐसे गलत युवक से आप का पीछा जल्दी ही छूट गया. – अब अपना मन पढ़ाई में लगाएं और उसे भूलने की कोशिश करें. इस से अच्छे युवक आप को मिल जाएंगे. The post समझें इशारे ताकि न मिले धोखा appeared first on AJJSmart – Knowledge Information Networks. Source: AJJSmart

http://ajjmaster.in/2017/07/09/%e0%a4%b8%e0%a4%ae%e0%a4%9d%e0%a5%87%e0%a4%82-%e0%a4%87%e0%a4%b6%e0%a4%be%e0%a4%b0%e0%a5%87-%e0%a4%a4%e0%a4%be%e0%a4%95%e0%a4%bf-%e0%a4%a8-%e0%a4%ae%e0%a4%bf%e0%a4%b2%e0%a5%87-%e0%a4%a7%e0%a5%8b/

भले ही आप एक नया रिश्ता शुरू कर रही हैं या फिर पहले से ही क

क्या आपको} भी कभी हुआ है,ऐसा प्यार प्यार का मतलब एक दिन आदमी को उसकी पत्नी ने, जिसके बहोत लम्बे बाल थे उसने उसके लिए एक ...
10/07/2017

क्या आपको} भी कभी हुआ है,ऐसा प्यार प्यार का मतलब एक दिन आदमी को उसकी पत्नी ने, जिसके बहोत लम्बे बाल थे उसने उसके लिए एक कंघा खरीदने के लिए कहा ताकि वो अपने बालो की अच्छे से देखभाल कर सके। उस आदमी ने अपनी बीवी से माफ़ी मांगी और कंघी लेने से मना कर दिया उसने समझाया की उसके पास अभी उसकी टूटी हुई घडी का पट्टा बिठाने के भी पैसे नहीं है लेकिन फिर भी उसकी पत्नी जिद पर अडी रही। गुस्से में वह इंसान काम पर जाने के लिए निकाल गया और जाते-जाते अचानक रास्ते में उसकी नजर एक घडी की दुकान पर पड़ी उसने सोचा की वह उस दूकान पर अपनी घडी बेच देगा और उसकी पत्नी के लिए कंघा लेकर जायेंगा शाम में वो अपने हातो में कंघी लेकर अपने घर आया पत्नी को कंघी देने ही लगा। लेकिन अचानक अपने पत्नी को देखकर वह आश्चर्यचकित हो गया क्यूकी उसने अपनी पत्नी को शोर्टहेयर (कम बालो) में देख लिया था। उसने अपने बालो को बेचकर अपने पति की घडी के लिए नया पट्टा ख़रीदा था एक दुसरे के प्रति गहरा प्यार देखते हुए अचानक दोनों के आखो से आसू निकलने लगे ये आसू उनकी ख्वाइश पूरी होने के वजह से नहीं बल्कि उनके एक-दूजे के लिए प्यार को देखकर थे सीख प्यार करना मतलब कुछ नहीं है प्यार करने लायक बनना थोडा बहोत अच्छा है लेकिन प्यार करने और साथ में करने लायक बनना ये सब कुछ है प्यार को कभी किसी का दिया हुआ अनुदान समझकर स्वीकार ना करे बल्कि जिस से भी हम प्यार करते है उस से बिना किसी शर्त के बिना किसी लालच के बिना किसी द्वेषभावना के हमेशा दिल से प्यार करते रहना चाहिये क्यूकी जब हम किसी को दिल से प्यार करते है तब हम सामने वाले के दिल में हमेशा के लिए बस जाते है की जब दो लोगो के बिच प्यार होता है तब वह किसी दौलत का भूका नहीं होता वह भूका होता है तो सिर्फ स्नेहभाव का जिस से भी हम प्यार करते है उनसे हमेशा हमें प्यार से पेश आना चाहिये एक दुसरे के लिए समय निकलते रहना चाहिये तभी हम हमारे रिश्ते को सफलता से आगे बढ़ा पाएंगे प्यार से बोला गया आपका एक शब्द दो दिलो के बिच हो रहे बड़े से बड़े मनमुटाव को भी खत्म कर सकता है प्रेमभाव से रहना कभी कभी हमारे लिए भी फायदेमंद साबित होता है क्यू की कई बार जो काम हजारो रुपये नहीं कर पाते वही प्यार से बोले गये हमारे दो शब्द काम आते है। The post प्यार किसे कहते है,आइये जाने इस कहानी के माध्यम से। appeared first on AJJSmart – Knowledge Information Networks. Source: AJJSmart

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 क्या आपको} भी कभी हुआ है,ऐसा प्यार प्यार का मतलब एक दिन आ

31 दिसंबर की रात को प्रेम पैलेस लौज का बीयर बार लोगों से खचाखच भरा हुआ था. गीत ‘कांटा लगा….’ के रीमिक्स पर बारबाला डांसर...
10/07/2017

31 दिसंबर की रात को प्रेम पैलेस लौज का बीयर बार लोगों से खचाखच भरा हुआ था. गीत ‘कांटा लगा….’ के रीमिक्स पर बारबाला डांसर भाग्यवती ने जैसे ही लहरा कर डांस शुरू किया, तो वहां बैठे लोगों की वाहवाही व तालियों की गड़गड़ाहट से सारा हाल गूंज उठा. लोग अपनीअपनी कुरसी पर बैठे अलगअलग ब्रांड की महंगी से महंगी शराब पीने का लुत्फ उठा रहे थे और लहरातीबलखाती हसीनाओं का आंखों से मजा ले रहे थे. पूरा बीयरबार रंगबिरंगी हलकी रोशनी में डूबा हुआ था. रामनाथ पुलिसिया अंदाज में उस बार में दबंगता से दाखिल हुए. उन्होंने एक निगाह खुफिया तौर पर पूरे बार व वहां बैठे लोगों पर दौड़ाई. उन्हें सूचना मिली थी कि वहां आतंकवादियों को आना है, लेकिन उन्हें कोई नजर नहीं आया. रामनाथ सीआईडी इंस्पैक्टर थे. किसी ने उन्हें पहचाना नहीं था, क्योंकि वे सादा कपड़ों में थे. जब कोई संदिग्ध नजर नहीं आया, तो रामनाथ बेफिक्र हो कर एक ओर कोने में रखी खाली कुरसी पर बैठ गए और बैरे को एक ठंडी बीयर लाने का और्डर दिया. वे भी औरों की तरह बार डांसर भाग्यवती को घूर कर देखने लगे. बार डांसर भाग्यवती खूबसूरत तो यकीनन थी, तभी तो सभी उस की देह पर लट्टू थे. एक मंत्री, जो बार में आला जगह पर बैठे थे, टकटकी लगाए भाग्यवती के बदन के साथ ऐश करना चाहते थे. वह भी चंद नोटों के बदले आसानी से मुहैया थी. मंत्री महोदय भाग्यवती की जवानी और लचकती कमर पर पागल हुए जा रहे थे, मगर वहां एक सच्चा मर्द ऐसा भी था, जिसे भाग्यवती की यह बेहूदगी पसंद नहीं थी. रामनाथ का न जाने क्यों जी चाह रहा था कि वह उसे 2 तमाचे जड़ कर कह दे कि बंद करो यह गंदा नाच. पर वे ऐसा नहीं कर सकते थे. आखिर किस हक से उसे डांटते? वे तो अपने केस के सिलसिले में यहां आए थे. शायद यह सवाल उन के दिमाग में दौड़ गया और वे गंभीरता से सोचने लगे कि जिस लड़की के सैक्सी डांस व अदाओं पर पूरा बार झूम रहा है, उस की अदाएं उन्हें क्यों इतनी बुरी लग रही थीं? तभी बैरा रामनाथ के और्डर के मुताबिक चीजें ले आया. उन्होंने बीयर का एक घूंट लिया और फिर भाग्यवती को ताकने लगे. भाग्यवती का मासूम चेहरा रामनाथ के दिलोदिमाग में उतरता जा रहा था. उन्होंने कयास लगाया कि हो न हो, यह लड़की मुसीबत की मारी है. बार डांसर रेखा रामनाथ को बहुत देर से देख रही थी. कूल्हे मटका कर उस ने रामनाथ की ओर इशारा करते हुए भाग्यवती से कहा, ‘‘देख, तेरा नया मजनू आ गया. वह जाम पी रहा है. तुझ पर उस की निगाहें काफी देर से टिकी हैं. कहीं ले न उड़े… दाम अच्छे लेना, नया बकरा है.’’ ‘‘पता है…’’ मुसकरा कर भाग्यवती ने कहा. भाग्यवती थिरकथिरक कर रामनाथ की ओर कनखियों से देखे जा रही थी कि तभी रामनाथ के सामने वाले आदमी ने कुछ नोटों को हाथ में निकाल कर भाग्यवती की ओर इशारा किया. भाग्यवती इठलातेइतराते हुए उस कालेकलूटे मोटे आदमी के करीब जा कर खड़ी हो गई और मुसकरा कर नोट लेने लगी. इस दौरान रामनाथ ने कई बार भाग्यवती को देखा. दोनों की निगाहें टकराईं, फिर रामनाथ ने भाग्यवती की बेशर्मी को देख कर सिर झुका लिया. वह मोटा भद्दी शक्लसूरत वाला आदमी सफेदपोश नेता था. वह नई जवां लड़कियों का शौकीन था. उस के आसपास ही उस का पीए, 2-4 चमचे जीहुजूरी में वहां हाजिर थे. मंत्री धीरेधीरे भाग्यवती को नोट थमाता रहा. जब वह अपने हाथ का आखिरी नोट उसे पकड़ाने लगा, तो शराब के नशे में उस का हाथ भी पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया. उस की छातियों पर हाथ फेरा, गालों को चूमा और बोला, ‘‘तुझे मेरे प्राइवेट बंगले पर आना है. बाहर सरकारी गाड़ी खड़ी है. उस में बैठ कर आ जाना. मेरे आदमी सारा इंतजाम कर देंगे. मगर हां, एक बात का ध्यान रखना कि इस बात का पता किसी को न लगे.’’ भाग्यवती मंत्री को हां बोल कर वहां से हट गई. यह देख कर रामनाथ के तनबदन में आग लग गई और वे अपने घर आ गए. उन की आंखों में भाग्यवती का मासूम चेहरा छा गया और वे तरहतरह के खयालों में डूब गए. दूसरे दिन डांस शुरू होने के पहले कमरे में बैठी रेखा भाग्यवती से बोली, ‘‘तेरा मजनू तो एकदम भिखारी निकला. उस की जेब से एक रुपया भी नहीं निकला.’’ भाग्यवती ने हंसते हुए कहा, ‘‘मैं तो बस उसी का चेहरा देख रही थी. जब वह मंत्री मुझे नोट दे रहा था, तब वह एकदम सिटपिटा सा गया था.’’ बार डांसर रेखा बोली, ‘‘शायद तू ने एक चीज नहीं देखी. जब तू उस मंत्री की गोद में बैठी थी और वह तेरी छातियों की नापतोल कर रहा था, तब उस के चेहरे का रंग ही बदल गया था. देखना, आज फिर वह आएगा. हमें तो सिर्फ पैसा चाहिए, अपने खूबसूरत बदन को नुचवाने का.’’ तभी डांस का समय हो गया. वे दोनों बीयर बार में आ कर गीत ‘अंगूर का दाना हूं….’ पर थिरकने लगी थीं. रामनाथ अभी तक बार में नहीं आए थे. भाग्यवती की निगाहें बेताबी से उन्हें ढूंढ़ रही थीं. नए ग्राहक जो थे, उन से मोटी रकम लेनी थी. कुछ देर बाद जब रामनाथ आए, तो उन्हें देख कर भाग्यवती को अजीब सी खुशी का अहसास हुआ, पर जब वे खापी कर चलते बने, तो वह सोच में पड़ गई कि यह तो बड़ा अजीब आदमी है… आज भी एक रुपया नहीं लुटाया उस पर. भाग्यवती का दिमाग रामनाथ के बारे में सोचतेसोचते दुखने लगा. वह उन्हें जाननेसमझने के लिए बेचैन हो उठी. जब वे तीसरेचौथे दिन नहीं आए, तो परेशान हो गई. एक दिन अचानक ही एक पैट्रोल पंप के पास वाली गली के कोने पर खड़ी भाग्यवती पर रामनाथ की नजर पड़ी. कार में बैठा एक आदमी भाग्यवती से कह रहा था, ‘‘चल. जल्दी चल. मंत्रीजी के पास भोपाल. ये ले 10 हजार रुपए. कार में जल्दी से बैठ जा.’’ भाग्यवती ने पूछा, ‘‘मुझे वहां कितने दिन तक रहना पड़ेगा?’’ ‘‘कम से कम 4-5 दिन.’’ ‘‘मुझे उस के पास मत भेज. वह मेरे साथ जानवरों जैसा सुलूक करता है,’’ गिड़गिड़ाते हुए भाग्यवती बोली. इस पर वह आदमी एकदम भड़क कर कहने लगा, ‘‘तो क्या हुआ, पैसा भी तो अच्छा देता है,’’ और वह डांट कर वहां से चलता बना. इस भरोसे पर कि मंत्री को खुश करने वह भोपाल जरूर जाएगी. यह सारा तमाशा रामनाथ चुपचाप खड़े देख रहे थे. वे जल्दी से भाग्यवती के पीछे लपक कर गए और बोले ‘‘सुनो, रुकना तो…’’ भाग्यवती ने पीछे मुड़ कर देखा और रामनाथ को पहचानते हुए बोली, ‘‘अरे आप… आप तो बार में आए ही नहीं…’’ ‘‘वह आदमी कौन था?’’ रामनाथ ने भाग्यवती के सवाल को अनसुना करते हुए सवाल किया. ‘‘क्या बताऊं साहब, मंत्री का खास आदमी था. बार मालिक का हुक्म था कि मैं भोपाल में मंत्रीजी के प्राइवेट बंगले पर जाऊं,’’ भाग्यवती ने रामनाथ से कहा. ‘‘तुम छोड़ क्यों नहीं देती हो ऐसे धंधे को?’’ रामनाथ ने सवाल किया. ‘‘छोड़ने को मैं छोड़ देती साहब… उन को मेरे जैसी और लड़कियां मिल जाएंगी, पर मुझे सहारा कौन देगा? मुझ जैसी बदनाम औरत के बदन से खेलने वाले तो बहुत हैं साहब, पर अपनाने वाला कोई नहीं,’’ कह कर वह रामनाथ के चेहरे की तरफ देखने लगी. रामनाथ पलभर को न जाने क्या सोचते रहे. समाज में उन के काम से कैसा संदेश जाएगा. एक कालगर्ल ही मिली उन को? लेकिन पुलिस महकमा तो तारीफ करेगा. समाज के लोग एक मिसाल मानेंगे. भाग्यवती थी तो एक मजबूर गरीब लड़की. उस को सामाजिक इज्जत देना एक महान काम है. रामनाथ ने भाग्यवती से गंभीरता से पूछा, ‘‘तुम्हें सहारा चाहिए? चलो, मेरे साथ. मैं तुम्हें सहारा दूंगा.’’ भाग्यवती हां में सिर हिला कर रामनाथ के साथ ऐसे चल पड़ी, जैसे वह इस बात के लिए पहले से ही तैयार थी. वह रामनाथ के साथ उन की मोटरसाइकिल की पिछली सीट पर चुपचाप जा कर बैठ गई. रामनाथ के घर वालों ने भाग्यवती का स्वागत किया. खुशीखुशी गृह प्रवेश कराया. उस का अलग कमरा दिखाया. इसी बीच भाग्यवती पर मानो वज्रपात हुआ. टेबल पर रखी रामनाथ की एक तसवीर देख कर वह घबरा गई, ‘‘साहब, आप पुलिस वाले हैं? मैं ने तो सोचा भी नहीं था.’’ ‘‘हां, मैं सीबीआई इंस्पैक्टर रामनाथ हूं,’’ उन्होंने गंभीरता से जवाब दिया, ‘‘क्यों, क्या हुआ? पुलिस वाले इनसान नहीं होते हैं क्या?’’ ‘‘जी, कुछ नहीं, ऐसा तो नहीं है,’’ वह बोल कर चुप हो गई और सोचने लगी कि पता नहीं अब क्या होगा? ‘‘भाग्यवती, तुम कुछ सोचो मत. आज से यह घर तुम्हारा है और तुम मेरी पत्नी हो.’’ ‘‘क्या,’’ हैरान हो कर अपने खयालों से जागते हुए भाग्यवती हैरत से बोली. ‘‘हां भाग्यवती, क्या तुम्हें मैं पसंद नहीं हूं?’’ उसे हैरान देख कर रामनाथ ने पूछा. ‘‘नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है. आप मुझे बहुत पसंद हैं. मैं सोच रही थी कि हमारी शादी… न कोई रस्मोरिवाज…’’ भाग्यवती बोली. ‘‘देखो भाग्यवती, मैं नहीं मानता ऐसे ढकोसलों को. जब लोग शादी के बाद अपनी बीवी को छोड़ सकते हैं, जला सकते हैं, मार सकते हैं, उस से गिरा हुआ काम करा सकते हैं, तो फिर ऐसे रिवाजों का क्या फायदा? ‘‘मैं ने तुम्हें तुम्हारी सारी बुराइयों को दरकिनार करते हुए सच्चे मन से अपनी पत्नी माना है. तुम चाहो तो मुझे अपना पति मान कर मेरे साथ इज्जत की जिंदगी गुजार सकती हो,’’ रामनाथ ने जज्बाती होते हुए कहा. यह सुन कर भाग्यवती खुशी से हैरान रह गई. उस ने सपने में भी नहीं सोचा था कि इस जिंदगी में उसे सामाजिक इज्जत मिलेगी. अगले दिन जब रामनाथ के आला पुलिस अफसरों ने आ कर भाग्यवती को शादी की बधाइयां दीं व भेंट दीं, तो उस की खुशियों का ठिकाना नहीं रहा. भाग्यवती को उस नरक जैसी जिंदगी से बाहर निकाल कर रामनाथ ने उसे दूसरी जिंदगी दी थी. प्यार के इस खूबसूरत अहसास से वे दोनों बहुत खुश थे. 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31 दिसंबर की रात को प्रेम पैलेस लौज का बीयर बार लोगों से खच

आज लाइफ भी फास्ट फूड जैसी बनती जा रही है. इंतजार, मेहनत और सब्र जैसे कहीं गायब होते चले जा रहे हैं. प्रेम भी फास्ट फूड ज...
10/07/2017

आज लाइफ भी फास्ट फूड जैसी बनती जा रही है. इंतजार, मेहनत और सब्र जैसे कहीं गायब होते चले जा रहे हैं. प्रेम भी फास्ट फूड जैसा होता जा रहा है. कहीं किसी किताब में रखा बरसों पुराना सूखा गुलाब, किसी उपन्यास के पन्ने पर सूख चुके आंसुओं के निशान कहीं उस पल को, उस लमहे को न तो पुराना होने देते हैं न ही भूलने देते हैं. कितने खुशनुमा पल होते होंगे वे जब अलसाई दोपहर में किसी की यादों में खोए समय को जीना, किसी घने वृक्ष की छाया में लेटेलेटे बादलों की मदहोशी में अपने को मदहोश कर लेना कितना अच्छा लगता है. नजदीक से ही चिडि़या का फुर्र से उड़ जाना कितना प्यारा एहसास होता है. फिल्म ‘परदेश’ की नायिका नायक शाहरुख खान से कहती है कि मुझे ऐसा प्यार चाहिए जैसा तुम करते हो. शाहरुख कहता है कि मुझे भी ऐसा ही प्यार चाहिए जिस में शरारत हो, भोलापन हो, मस्ती हो, लेकिन उस में लालच और बनावट न हो. दिखावा, महंगे कपड़े, लिपेपुते चेहरे वाली युवतियां जो कपड़ों की तरह प्रेमी बदलती हैं, जिन के लिए प्रेम एक अराधना हो, एक तड़प हो, एक प्यास हो, एक मीठी कसक हो, एक नाजुक सा समर्पण हो. लेकिन कब तक इंतजार करूं, कहां हो तुम जिस की तलाश है मुझे. मेरे वे सब सपने अधूरे हैं. मैं उन सब सपनों में रंग भरना चाहता हूं. यात्रा तो मैं ने फिरोजपुर जनता ऐक्सप्रैस से शुरू की थी, बोरीवली और बांद्रा तक, पर फिर तो लोकल ट्रेन से ही मेरा सफर पूरा हुआ. चर्चगेट से बांद्रा और बोरीवली आतेजाते सफर का आनंद तो न जाने कहां उड़न छू हो गया, बस एक रूटीन सा बनता चला गया. ये सब मेरे जौब लगने के बाद हुआ, उस के पहले ऐसा नहीं था. बांद्रा में मेरा घर है. जब शुरुआती दिन थे तो बड़ा मजा आता था, कभी लोकल ट्रेन में जगह मिल जाती थी तो कभी खड़े हो कर ही सफर पूरा करना पड़ता था. लोकल ट्रेन में युवतियों को घूरने का अपना ही आनंद होता है. कभीकभी ऐसे वाकेए होते थे, लगता था अफेयर हो रहा है, पर फिर टांयटांय फिस्स. युवती कहीं और बुक है, उस की कहीं और सैटिंग है, इसलिए समझ में नहीं आता कि यह पता कैसे चले कि युवती का कोई लवर नहीं है. बौयफ्रैंड और गर्लफ्रैंड वाली परिपाटी मेरी तो समझ में नहीं आती. इस में लव कहां से टपक पड़ा? ऐसा ही एक वाकेआ है. एक युवती मुझे हमेशा टकराती थी. मुझे भी हर दिन जब वह नहीं दिखती थी तो उस का इंतजार रहता था. ऐसा कई बार हुआ कि वह नहीं मिली तो मैं दूसरे दिन उस का इंतजार करता रहा. जब वह मिलती तो एकटक हम दोनों एकदूसरे को देखते रहते. मेरे व्हाट्सऐप पर भी सैकड़ों फ्रैंड थे. बीचबीच में उस युवती से ध्यान हटा कर मैं व्हाट्सऐप पर आए मैसेज पढ़ने में बिजी हो जाता, फिर मैसेज पढ़ने के बाद उस युवती की तरफ ध्यान देता, तो पाता कि वह भी अपने मोबाइल पर बिजी है. मोबाइल पर उस की उंगलियां बड़ी तेजी से चल रही हैं. यही तो रोना है, वाट लगा दी फेसबुक और व्हाट्सऐप ने. समझ नहीं आता किस के व्हाट्सऐप पर कितने फ्रैंड्स हैं. कितनी देर और कबकब चैटिंग हो रही है. मेरे एक फ्रैंड ने बताया कि उस के 2 हजार फ्रैंड्स हैं. मैं ने बड़े आश्चर्य से उसे देखा और पूछा, ‘‘2 हजार?’’ ‘‘हां, 2 हजार, फ्रैंड्स,‘‘ उस ने बड़े गर्व से बताया.’’ मैं ने उस से पूछा, ‘‘2 हजार में से मुलाकात कितनों से होती है?’’ ‘‘मुलाकात, कैसी मुलाकात? लाइक करो, शेयर करो, कमैंट्स करो, हो गई मुलाकात. यदि कोई पसंद नहीं है तो उसे डिलीट कर दो या फिर ब्लौक कर दो,’’ कह कर वह जोरजोर से हंसने लगा. मुझे आज अपने उस दोस्त की याद आई और मैं सोचने लगा कि यह युवती भी या तो मैसेज कर रही है या फिर मैसेज पढ़ कर डिलीट मार रही होगी. मैं भी तो ऐसा ही करता हूं न. आज के युग में, आज के समय के साथ चल रहा हूं, फिर यह दिमागी टैंशन क्यों? क्या चाहता हूं मैं, समझ नहीं आता? यह दोस्ती यानी फ्रैंडशिप भी क्या चीज हो गई है लाइक करते रहो, कमैंट्स करते रहो, शेयर करो, कभीकभार कोई पट जाए तो फ्रैंडशिप, मिलने के लिए गोते लगाते रहो. कहीं मुलाकात हो गई तो ठीक है नहीं तो डिलीट मारते रहो. इंटरनैट की फ्रैंडशिप फ्रैंडशिप नहीं बल्कि भाजीतरकारी खरीदनेबेचने जैसी हो गई है. हां, तो मैं बता रहा था कि कभी तो वह युवती बिजी मिलती और कभी मैं बिजी हो जाता. हम दोनों उड़ती नजर एकदूसरे पर डालते और दोनों चर्चगेट पर उतर कर अपनीअपनी राह पकड़ लेते. ये सब तब होता जब लोकल ट्रेन में जगह मिल जाती अन्यथा खड़ेखड़े ही सफर करना पड़ता. एक दिन मैं हमेशा की तरह लोकल टे्रन में चढ़ा ही था कि मेरी नजरें कहीं कोई टिकने की जगह तलाश रही थीं. दूर तक नजर डाली, लेकिन कहीं कोई चांस नहीं दिखा. नजर जैसे ही नजदीक वाली सीट पर पड़ी वही युवती सीट पर विराजमान थी. मैं ने उसे रिक्वैस्ट भरी नजरों से देखा. एक मधुर मुसकराहट से उस की तरफ देखा. उस ने उस रिक्वैस्ट का सम्मान करते हुए मुझे आंखों से इशारा किया और थोड़ी सी जगह बना दी. अंधा क्या चाहे दो आंखें. मैं तुरंत जा कर उस के साथ बैठ गया. लोकल ट्रेन ने अपनी स्पीड पकड़ी. मैं ने उस युवती से बातों का सिलसिला जारी रखने की कोशिश में अपना मोबाइल निकाला और बिजी दिखाने की कोशिश करने लगा, लेकिन मुझे लग रहा था कि जैसे शरीर में कान उग आए हों. आखिर मैं ने ही बात शुरू की. ‘‘आप चर्चगेट तक जाएंगी?’’ मैं ने थोड़ा फ्रैंडली होने की कोशिश की. ‘‘हां, चर्चगेट तक. लगभग रोज ही देखते हैं आप,’’ युवती मुसकराते हुए बोली. ‘‘आप?’’ युवती ने सवाल किया. ‘‘चर्चगेट, जौब है वहां,’’ मैं ने अपने हाथ की खूबसूरत घड़ी देखते हुए कहा. इतनी देर में उस के मोबाइल पर लगातार कई मैसेज आ गए और मेरी बातें बीच में ही छोड़ कर वह फोन पर मैसेज देखने में बिजी हो गई. मैं ने भी अपना मोबाइल निकाला और व्हाट्सऐप में बिजी हो गया. इतनी देर में चर्चगेट आ गया. हम दोनों वहीं उतर गए. उतरतेउतरते मैं ने उस से पूछा, ‘‘आप का नाम?’’ ‘‘नीरा,’’ जवाब मिला. फिर वह भीड़ में कहीं गुम हो गई. मेरे नाम में उसे इंट्रैस्ट नहीं था शायद. कुछ दिन बाद फिर वह मुझे मिली. मैं ने उस से पूछा, ‘‘नीराजी आप, इतने दिन बाद?’’ ‘‘नहीं, मैं रैगुलर आ रही हूं,’’ फिर वह पर्स से छोटा सा आईना निकाल कर अपनी लिपस्टिक ठीक करने लगी. ‘‘अरे, मैं ने आप का नाम तो पूछा ही नहीं.’’ ‘‘जितेंद्र.’’ ‘‘ओह… उस ने अपने होंठों को गोल घुमाया. अगर मैं आप को जीतू कहूं तो,’’ नीरा ने मस्ती भरे स्वर में कहा. ‘‘और मैं आप को नीरू…’’ मैं कहां पीछे हटने वाला था. ‘‘ओके जीतू.’’ ‘‘ओके नीरू.’’ फिर क्या था. हमारी मुलाकात लोकल ट्रेन में रोज होने लगी. हम दोनों अकसर अब शाम को जौब से लौटने के बाद चर्चगेट पर एकदूसरे का इंतजार करने लगे. वहां से साथसाथ ही वापसी के लिए लोकल ट्रेन में बैठते. वह बोरीवली उतरती और मैं दादर. मुझे एहसास होने लगा था कि मैं उसे चाहने लगा हूं, लेकिन वह भी मुझे चाहती है या नहीं यह कैसे पता चले? इसी कशमकश में रोज उस के साथ बंधता चला जा रहा था. कभीकभी चर्चगेट पर हम दोनों किसी रेस्तरां में जा कर स्नैक्स, कौफी व आइसक्रीम जम कर ऐंजौय करते. मुझे वह अब अच्छी लगने लगी थी. उस का व्यवहार देख कर मुझे लगता कि वह भी मुझे चाहती है. उस का जीतूजीतू कह कर बोलने का अंदाज मुझे भाने लगा था, लेकिन कभीकभी बीच में बातों के दौरान जब वह व्हाट्सऐप पर बिजी हो जाती, तब मैं खुद को ठगा सा महसूस करता. लगता था कि जैसे जबरदस्ती आ गया हूं, लेकिन मैं कर भी क्या सकता था. अकसर लोकल ट्रेन में मुझे एक युवती इधरउधर घूमती दिखती थी. उस के बिखरे बाल, कुछकुछ फटेपुराने कपड़े. हम लोग अकसर हर फ्राइडे को नाश्तापार्टी करते थे तो वह युवती भी हमारे आसपास मंडराने लगती थी. हम उसे भी नाश्ता करवा देते थे, तो वह बहुत खुश हो जाती थी. उस के कपड़े व हावभाव देख कर उस के पागल होने का भ्रम होता था, इसलिए मैं ने उस का नाम ही बावली रख दिया था. उस की बड़ीबड़ी काली आंखें जो अकसर खोईखोई रहती थीं. मासूमियत से भरा सांवला चेहरा, चेहरे पर बालसुलभ चंचलता, उम्र होगी यही कोई 24-25 वर्ष. पकौडि़यों की सुगंध हो या समोसे की, बावली समोसे और पकौडि़यां ले कर खुश हो कर चली जाती. बावली का ध्यान एक फेरी वाला रखता था, जो अकसर लोकल ट्रेन में बावली के पीछेपीछे घूमता रहता था. उस फेरी वाले को देखते ही बावली खुश हो जाती थी. खुशी के मारे उस के अंगअंग में बिजली सी दौड़ने लगती थी. खुशी के जो भाव उस की आंखों में देखने को मिलते थे. उन में एक जनून सा दिखता था. एक प्रेम करने वाले की आंखों में ही ऐसा जनून होता है, क्या बावली फेरी वाले से प्रेम करती है? वह जनून, वह नशा, मुझे कब मिलेगा? प्रेम के इस बावलेपन का न जाने कब से मैं इंतजार कर रहा हूं. क्या पता नीरू मुझे इस बावलेपन के साथ चाहने लगे? यह सोच कर मैं ने सामने बैठी नीरू को देखा पर वह व्हाट्सऐप पर बिजी थी. मैं ने अपनी नजरें फेर लीं. चर्चगेट आने का अनाउंसमैंट हो चुका था. मैं अपना बैग लिए गेट पर आ गया था. मैं ने देखा कि नीरू भी ठीक मेरे साथ ही आ कर खड़ी हो गई थी. चर्चगेट आते ही हम दोनों उतर पड़े. ‘‘ओके जीतू, अभी अपनेअपने औफिस चलते हैं शाम को यहीं मिलेंगे.’’ ‘‘ओके नीरू,’’ मैं ने कहा. ‘‘बायबाय,’’ कहती हुई नीरू अपनी मंजिल की तरफ चली गई और मैं अपनी मंजिल की तरफ. चलतेचलते मैं सोच रहा था कि अच्छा सा मौका देख कर नीरू को अपने प्यार का इजहार कर ही दूंगा, लेकिन कब? कल शाम को. औफिस के बाद मेरिन ड्राइव का प्रोग्राम बनाता हूं. औफिस पहुंच कर टेबल पर फैली डाक को समेटा, फिर कंप्यूटर खोल कर ईमेल चैक करने लगा, लेकिन मन था कि नीरू की तरफ ही दौड़ कर पहुंच रहा था. काम में मन नहीं लग रहा था, रहरह कर मन उचट रहा था. जैसेतैसे शाम हुई, मैं ने नीरू को मैसेज किया, ‘‘कल शाम को डिनर हम साथ करेंगे और मेरिन ड्राइव भी चलेंगे.’’ ‘‘ओके जीतू,’’ नीरू की स्वीकृति आ गई. वापसी में नीरू नहीं दिखाई दी. मैं ने उस का इंतजार भी किया, जहां वह अकसर मिलती थी, लेकिन जब वह दिखी नहीं तो मैं लोकल ट्रेन में बैठ गया और सोचने लगा कि हो सकता है वह निकल गई हो या देर से आए. कुछ सोच कर मैं ने मैसेज किया कि तुम कहां पर हो? ‘‘ओह… सौरी जीतू मैं तो घर आ गई.‘‘ नीरू का कुछ देर बाद जवाब आ गया. ‘‘क्या तुम औफिस से जल्दी निकल गई थी?’’ मैं ने मैसेज किया. ‘‘ हां. मेरा एक फं्रैड आ गया था, उस के साथ मैं मौल गई थी और फिर घर आ गई. डौंटवरी हम कल मेरिन ड्राइव पर मिलेंगे. बायबाय,’’ नीरू का मैसेज आ गया. ‘‘ओके नीरू,’’ मैं ने मैसेज पढ़ कर जवाब दे दिया. फिर वही रूटीन, दूसरे दिन मैं लोकल ट्रेन में खड़ा हो गया, बैठने तक की कहीं जगह नहीं मिली. इसलिए व्हाट्सऐप वगैरा भी देख नहीं पाया. सिर्फखयालों में वही लोकल ट्रेन में घूमने वाली बावली आ रही थी, उस की आंखों में छाया प्यार का जनून क्या कभी मुझे नसीब होगा. जब कहीं सचाई होती है तो शरीर के पोरपोर से टपकने लगती है. आंखों में उस प्रेम का नशा हमेशा बना रहता है, व्यक्ति भीड़ में भी खुद को अकेला महसूस करता है. वह खोयाखोया रहता है. आज कहीं बावली दिखी भी नहीं, लेकिन नीरू में रहरह कर मुझे वह बावली दिखने लगती. खयालों के इसी भंवर में उलझताउलझता मैं औफिस पहुंच गया. फाइलों के हर पेज पर मुझे नीरू और बावली की शक्ल दिखती. कभीकभी दोनों चेहरे एक होने लगते तो कभी अलगअलग. कंप्यूटर पर भी मुझे नीरू और बावली की ही शक्लें दिखतीं. जैसेजैसे शाम नजदीक आ रही थी मेरे दिल की धड़कनों का ग्राफ बढ़ता जा रहा था. जैसे ही ड्यूटी का समय खत्म होने को आया, मैं ने मैसेज छोड़ दिया, ‘‘नीरू, कहां हो तुम?’’ ‘‘मैं चर्चगेट पर हूं,’’ नीरू का मैसेज आया. फिर क्या था मैं ने जल्दीजल्दी अपने बालों को ठीक किया और चर्चगेट की तरफ चल दिया. ठीक 10 मिनट बाद मैं नीरू के सामने था. हम दोनों ने एकदूसरे को देखा और टैक्सीस्टैंड की तरफ बढ़ गए. कुछ समय बाद हमारी टैक्सी मैरिन ड्राइव की तरफ जा रही थी. मैं हसरत भरी नजरों से नीरू की तरफ देखने लगा. नीरू ने आज पिंकग्रीन कलर का सूट पहना था. ग्रीन लैगिंग्स, पिंक शौर्ट स्लीवलैस कुरती और ग्रीन दुपट्टा गले में मफलर की तरह लपेट रखा था. कुरती में शरीर के अंदर की झलक साफसाफ दिख रही थी. मैं ने नजरें फेर लीं. मुझे आधुनिक ड्रैस पसंद है, लेकिन भोंड़ापन मैं सहन नहीं कर पाता. जब अफेयर है तो भोंड़ापन चलेगा. मैरिन ड्राइव पर भीड़ उस दिन बाकी दिनों की अपेक्षा कुछ ज्यादा ही थी, लेकिन मुंबईवासियों के लिए यह आम बात है. हम ने अपनी जगह निश्चित की. हमारे सामने विशाल समुद्र अपनी ताकत पर गुमान करता हुआ हिलौरे भर रहा था. हम दोनों उस शोर में अपनी दोस्ती को प्रेम का रूप देने वाले थे. समझ में नहीं आ रहा था कि मैं बात कहां से शुरू करूं. इतने में नीरू के मोबाइल पर मैसेज की लाइन लग गई और वह व्हाट्सऐप में बिजी हो गई. मैं ने भी अपना मोबाइल निकाला और फेसबुक देखने लगा, पर दिल नहीं लगा. आखिर मैं ने झल्ला कर फोन बंद कर दिया. सोच लिया कि एक बार तो बात कर ली जाए. मैं ने देखा नीरू अभी भी व्हाट्सऐप पर ही उलझी हुई है. मैं ने कहा, ‘‘नीरू छोड़ो भी मोबाइल, हम यहां बात करने आए हैं कि मोबाइल व्हाट्सऐप देखने.’’ ‘‘ओके जीतू, सिर्फ 2 मैसेज और बचे हैं. बस, फिर में फ्री हूं.’’ मैं ने मन को समझाया कि 5-10 मिनट और सही. आखिर 10 मिनट बाद नीरू फ्री हुई, ‘‘बोलो न, तुम कुछ बोलना चाहते थे,’’ नीरू ने मोबाइल पर्स में रखा और मुझ से बोली. ‘‘नीरू, देखो, मैं साफसाफ बात करना चाहता हूं, घुमाफिरा कर बात करना मुझे नहीं आता.’’ ‘‘बोलो न यार, कह कर नीरू ने मेरा हाथ अपने हाथ में ले लिया.’’ मुझ में थोड़ी हिम्मत आई. मैं ने उस के हाथ को महसूस किया, नौर्मल था, लेकिन मुझे मेरा हाथ बेहद गरम महसूस हो रहा था. दिल में हलकी सी घबराहट भी महसूस कर रहा था. ‘‘देखो, नीरू, हम अच्छे दोस्त हैं, क्या हम लाइफ पार्टनर नहीं बन सकते? एकदूसरे को हम समझते भी हैं. हमारे विचार और पसंद भी काफी मिलतेजुलते हैं, तुम क्या सोचती हो?’’ मैं ने कहा. वह बड़े ध्यान से मेरा चेहरा देखने लगी. फिर खिलखिला कर जोर से हंस दी. मेरा कलेजा मुंह को आने लगा. मैं खुद को हताश सा महसूस करने लगा. ‘‘क्यों, क्या मैं ने कोई गलत बात कही?’’ मैं ने पूछा. ‘‘नहीं भोलूराम, नहीं. तुम ऐसा कैसे सोच सकते हो?’’ नीरू ने कहा. ‘‘क्या मतलब?’’ मैं ने आश्चर्य से देखा. ‘‘अरे यार, फेसबुक, व्हाट्सऐप पर मेरे लगभग हजार फ्रैंड्स हैं, कई फ्रैंड्स से अकसर मिलती रहती हूं, उस दिन जोे औफिस से जल्दी गई थी वह मेरा फेसबुक फ्रैंड था, जिस के साथ मुझे शौपिंग भी करनी थी और उसी की गाड़ी में चली गई थी. इस में प्रेम वाली बात कहां से आ गई? तुम भी इन्हीं में से एक फ्रैंड हो,’’ नीरू ने बिंदास हो कर कहा. मेरे पांवों के नीचे की जमीन ने खिसकना शुरू कर दिया था. मैं गूंगा बन गया था. ‘‘और, जीतू, तुम्हारे कितने फ्रैंड्स हैं व्हाट्सऐप पर,’’ नीरू ने मेरा कंधा पकड़ कर झकझोरा. मुझे कुछ सुनाई नहीं दे रहा था. ‘‘यही कोई 15-20 युवकयुवतियां कुल मिला कर,’’ मैं ने बड़ी मुश्किल से कहा. ‘‘15-20,’’ नीरू ने जो हंसना शुरू किया तो उस की हंसी रुकने का नाम नहीं ले रही थी. ‘‘क्या फायदा इतनी फ्रैंडलिस्ट से. क्या सभी से दोस्ती हो जाती है,’’ मैं ने फिर समझाने की कोशिश की. ‘‘काहे की दोस्ती, कुछ लोगों से मिलतेजुलते रहो, बाकी को मैसेज भेजते रहो,’’ नीरू ने कहा. ‘‘चलें, आप की बात खत्म हो गई हो तो,’’ नीरू ने कहा और पूछा ‘‘डिनर कहां लेंगे?’’ ‘‘डिनर, हां याद आया मुझे, डैडी के साथ एक फंक्शन में जाना है, डिनर मैं वहीं करूंगा,’’ मैं ने झूठ बोला. ‘‘क्या बकवास करते हो?’’ नीरू गुस्से से भड़क गई, ‘‘फालतू में टाइम खराब किया.’’ जब मैं घर पहुंचा तो मेरे शरीर में जान तो बची नहीं थी. यह दूसरी युवती थी, जिस ने मेरे दिल को इस कदर तोड़ा था. मुझे संभलने में महीनों लग गए, पर मैं ने व्हाट्सऐप और फेसबुक पर दायरा सीमित कर लिया. कसम खा ली व्हाट्सऐप और फेसबुक पर दोस्ती नहीं करूंगा. The post कहानी : फेसबुकिया प्यार appeared first on AJJSmart – Knowledge Information Networks. Source: AJJSmart

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