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यह दुनिया के अंत में स्थित तिजोरी है जहाँ ग्रह पर मौजूद सभी बीज रखे जाते हैं। यह नॉर्वे के स्वालबार्ड द्वीपसमूह में स्थि...
31/12/2024

यह दुनिया के अंत में स्थित तिजोरी है जहाँ ग्रह पर मौजूद सभी बीज रखे जाते हैं। यह नॉर्वे के स्वालबार्ड द्वीपसमूह में स्थित है, जो उत्तरी ध्रुव से लगभग 1,300 किलोमीटर दूर है। 2008 में खोला गया यह भूमिगत गोदाम दुनिया भर के फसल पौधों के 4.5 मिलियन बीजों को संरक्षित करने के लिए बनाया गया है, जो प्राकृतिक आपदाओं, संघर्ष और जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली आनुवंशिक जैव विविधता के नुकसान के खिलाफ बीमा के रूप में कार्य करता है। इसलिए, यदि दुनिया कभी नष्ट हो जाती है और आप अकेले जीवित बचे हैं, तो आपको पता है कि कहाँ जाना है।

31/12/2024

सर्दियों का मौसम है और साल खत्म होने को है तो सब मिल बैठते हैं इकठ्ठे और इकठ्ठे वैसे भी ज़्यादा खाया जाता है । सर्दियों में तो वैसे भी बहुत सी गरिष्ठ चीजें बनाई भी जाती हैं और खाने का भी मन करता है परन्तु कहते हैं ना कि अति हर चीज की बुरी होती है तो इसलिए अगर अधिक खाया जाये तो परेशान मत होएं, उसका भी उपाय है 👇

कोई भी खाना अधिक न खाएं ।अपने भूख से थोड़ा कम ही खाएं।
ज्यादा खाना खाने से एसिडिटी और गैस की समस्या हो जाती है।
सुबह के समय `दूध के साथ नाश्ता कर लें , दोपहर को 12:00 से 2:00 बजे के बीच खाना खाएं , फिर रात के समय 07:00 बजे तक खाना खा लेना चाहिए ।

(ध्यान रहे खाने के साथ कुछ मूली , गाजर या शलगम ज़रूर खाएं )

कभी कभी कुछ चीजें बहुत मनपसंद होने के कारण हम बहुत ज्यादा खा लेते हैं, अगर आपने ज्यादा खा ली हैं तो कैसे पचायें--

1- #केले की अधिकता में दो छोटी इलायची खा लीजिये।
2- #आम पचाने के लिए आधा चम्म्च सोंठ का चूर्ण और गुड फाक ले।
3- #जामुन ज्यादा खा लिया तो 3-4 चुटकी नमक खा ले।
4- #सेब ज्यादा हो जाए तो दालचीनी का चूर्ण एक ग्राम खा ले।
5- #खरबूज के लिए आधा कप चीनी का शरबत
6- #तरबूज के लिए सिर्फ एक लौंग
7- #अमरूद के लिए सौंफ
8- #नींबू के लिए नमक
9- #बेर के लिए सिरका
10- #गन्ना ज्यादा चूस लिया हो तो 4-5 बेर खा लीजिये
11- #चावल ज्यादा खा लिया है तो आधा चम्म्च #अजवाइन पानी से निगल लीजिये
12- #बैगन के लिए सरसो का तेल एक चम्म्च
13- #मूली ज्यादा खा ली हो तो एक चम्म्च काला तिल चबा लीजिये
14- #बेसन ज्यादा खाया हो तो मूली के पत्ते चबाएं
15- खाना ज्यादा खा लिया है तो थोड़ी दही खाइये
16- #मटर ज्यादा खाई हो तो अदरक चबाएं
17- #इमली या उड़द की दाल या मूंगफली या शकरकंद या जिमीकंद ज्यादा खा लीजिये तो फिर गुड खाइये।
18- #मुंग या चने की दाल ज्यादा खाये हों तो एक चम्म्च सिरका पी लीजिये
19- #मकई ज्यादा खा गये हो तो मट्ठा पीजिये
20- #घी या खीर ज्यादा खा गये हों तो काली मिर्च चबाएं
21- #खुमानी ज्यादा हो जाए तो ठंडा पानी पीयें
22- #पूरी कचौड़ी ज्यादा हो जाए तो गर्म पानी पीजिए

अगर सम्भव हो तो भोजन के साथ एक/आधे नींबू का रस एक कप गुनगुने पानी में मिला कर पीजिये या भोजन में निचोड़ लीजिये , खाया पिया सब पच भी जाएगा और 80% बीमारियों से भी बचे रहेंगे ।
एक बार में ज़्यादा खाने से बचें और ज़्यादा खाने से भी बचें । एकदम ज़्यादा खाने से दिल पर भी दबाव पड़ता है और खाने के तुरंत बाद नहाएं मत और आधा घंटा आराम करें । टहलने की आदत है तो भोजन के आधे घंटे बाद ही सैर करें ।

विशेष:- सौ बात की एक बात ,भूख से थोड़ा कम खाएं फ़िर भी कुछ दिक्कत हो तो थोड़ा नमक अजवायन चबा लें और एक कप गुनगुना पानी पी लें 🙏🏻

यह लेख मित्र हरेंद्र जी से लिया और मैंने भी इसमें अपने विचार लिखे हैं ।

इस बारे में अपने विचार कॉमेंट करके ज़रूर बताइएगा
पोस्ट अच्छी लगे तो लाइक करके शेयर कर लीजिए
Gauri Sharma

#भोजन #स्वास्थ्य

रात में पत्नी से लिपट के सो जाओ, और रात भर आलिंगन करो, सुबह उठो तो पत्नी खुशशादी हर किसी के जीवन में एक नया अध्याय होता ...
31/12/2024

रात में पत्नी से लिपट के सो जाओ, और रात भर आलिंगन करो, सुबह उठो तो पत्नी खुश
शादी हर किसी के जीवन में एक नया अध्याय होता है। मेरे लिए भी यह एक नई शुरुआत थी। मेरी शादी दिव्या से हुई, और मैं दिल से बहुत खुश था। अच्छी नौकरी, घर में बूढ़े माता-पिता, और एक समझदार पत्नी—मैंने सोचा था कि अब मेरी जिंदगी पूरी हो गई है।

शादी के बाद दिव्या से मेरा रिश्ता बहुत अच्छा था। वह मेरी जरूरतों को समझती थी, परिवार का ख्याल रखती थी, और हमारे बीच का रोमांटिक रिश्ता भी बेहद खूबसूरत था। हर दिन मेरे लिए एक नई खुशी लेकर आता। दिव्या का व्यवहार ऐसा था कि मैं खुद को बहुत भाग्यशाली समझता था।

लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, छोटी-छोटी बातों को लेकर घर में तनाव बढ़ने लगा। एक दिन दिव्या ने सूट पहनने की इच्छा जाहिर की। मैंने तुरंत हामी भर दी और उसे सूट खरीदने ले गया। लेकिन अगले दिन जब उसने सूट पहना, तो मेरी मां नाराज हो गईं। उन्होंने कहा, "शादी के छह महीने तक बहू को सिर्फ साड़ी पहननी चाहिए।"

दिव्या ने माफी मांग ली, लेकिन मां की बातों ने उसे थोड़ा आहत किया। मैं भी उस दिन समझ गया कि घर में मेरी भूमिका कितनी सीमित है। धीरे-धीरे यह छोटी-छोटी बातें बढ़ने लगीं। मां को दिव्या का हर काम पसंद नहीं आता था, और दिव्या को मां के तरीके। दोनों के बीच तनाव बढ़ता गया, और मैं बीच में पिसने लगा।

मैंने मां को समझाने की कोशिश की कि नई बहू को समय देना चाहिए, और दिव्या को समझाया कि मां की उम्र हो चुकी है, उन्हें बदलने की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। लेकिन दोनों अपनी-अपनी जगह सही थीं और किसी का समझौता करना मुश्किल था।

धीरे-धीरे घर में झगड़े बढ़ने लगे। मैं ऑफिस से लौटता तो एक तरफ मां दिव्या की शिकायत करतीं, और दूसरी तरफ दिव्या मां की। मुझे घर में आने का मन नहीं करता। एक दिन, मेरे पिताजी ने मुझे समझाया कि यह समस्या नई नहीं है। हर शादीशुदा पुरुष को ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ता है। उन्होंने मुझे एक सुझाव दिया—"घर छोड़कर कुछ दिन बाहर रहो।"

मैंने पिताजी की बात मान ली। एक दिन, घर में झगड़ा हुआ, और मैं बिना कुछ कहे ऑफिस से सीधे अपने दोस्त के घर चला गया। मां और दिव्या का फोन आया, लेकिन मैंने सिर्फ इतना कहा कि मैं अब घर नहीं लौटूंगा।

एक हफ्ते तक मैं घर से बाहर रहा। इस दौरान मां और दिव्या दोनों ने महसूस किया कि मेरी गैरमौजूदगी ने उन्हें कितना प्रभावित किया। दोनों ने मुझे मनाने की कोशिश की, और उनका झगड़ा धीरे-धीरे कम होने लगा।

जब मैं एक हफ्ते बाद घर लौटा, तो घर का माहौल पहले से बहुत शांत था। मां और दिव्या ने आपस में समझौता कर लिया था। अब वे एक-दूसरे की भावनाओं का ख्याल रखती हैं। आज हमारी शादी को पांच साल हो गए हैं, और हमारा एक बेटा भी है। घर में अब कभी लड़ाई-झगड़े की नौबत नहीं आती।

इस पूरी कहानी का सबसे बड़ा सबक यह है कि परिवार को खुश रखना सिर्फ एक व्यक्ति की जिम्मेदारी नहीं होती। यह सबकी जिम्मेदारी होती है। भारत में शादी केवल दो लोगों का नहीं, बल्कि दो परिवारों का मिलन होता है। और परिवार को खुश रखने के लिए कभी-कभी असामान्य कदम उठाने पड़ते हैं।

आपको मेरी यह कहानी कैसी लगी? अपने विचार जरूर बताएं।

प्रकृति की गोद में बसा, तामिया मध्‍यप्रदेश का छिपा हुआ रत्न है। ये जगह उन लोगों के लिए स्‍वर्ग है, जो नेचर और एडवेंचर से...
22/12/2024

प्रकृति की गोद में बसा, तामिया मध्‍यप्रदेश का छिपा हुआ रत्न है। ये जगह उन लोगों के लिए स्‍वर्ग है, जो नेचर और एडवेंचर से प्‍यार करते हैं। 1,100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित, यह अनोखा हिल स्टेशन शहरी जीवन की हलचल से दूर आपको शांति और सुकून देता है। यहां चट्टानों के किनारों पर ब्रिटिश काल के कुछ घर बने हुए हैं। यहां आकर आप सतपुड़ा रेंज के घने जंगलों के बीच ट्रेकिंग का मजा ले सकते हैं। यहां का तामिया वॉटरफॉल देखने लायक है। इस झरने को 100 मीटर की ऊंचाई से गिरता देख मन बेहद खुश हो जाता है। अगर आप मध्यप्रदेश में छुट्टियां मनाने की सोच रहे हैं, तो तामिया जाकर आप प्रकृति से जुड़ सकते है

तामिया जाने के लिए

रेलवे स्टेशन-
तामिया का निकटतम रेलवे स्टेशन परसिया (45 किलोमीटर), छिंदवाड़ा (67 किलोमीटर) और भोपाल (220 किलोमीटर) है

हवाई मार्ग से : देश के बड़े शहरों से तामिया आने के लिए सबसे निकटतम हवाई अड्डा भी नागपुर का ही है जो तामिया से185 किमी की दूरी पर मौजूद है,

नजदीकी बस स्टेशन छिंदवाड़ा (67 किलोमीटर) है जबकि भोपाल हवाई अड्डा से तामिया की दूरी लगभग 220 किलोमीटर है.

तामिया घूमने का सबसे अच्छा समय

तामिया एक शांत जगह है जहाँ साल भर जाया जा सकता है। घाटी में फैली हरियाली के साथ, यह आपको एक हिल स्टेशन का एहसास कराता है। लेकिन अपनी यात्रा का अधिकतम लाभ उठाने के लिए, मानसून के मौसम यानी जून से सितंबर के बीच तामिया में छुट्टी मनाने की योजना बनाएँ।

(1) अल्बर्ट आइंस्टीन की पत्नी अक्सर उन्हें सलाह देती थीं कि वह काम पर जाते समय अधिक प्रोफेशनल तरीके से कपड़े पहनें। आइंस...
22/12/2024

(1) अल्बर्ट आइंस्टीन की पत्नी अक्सर उन्हें सलाह देती थीं कि वह काम पर जाते समय अधिक प्रोफेशनल तरीके से कपड़े पहनें। आइंस्टीन हमेशा कहते, "क्यों पहनूं? वहाँ सब मुझे जानते हैं।" लेकिन जब उन्हें पहली बार एक बड़े सम्मेलन में जाना था, तो उनकी पत्नी ने उनसे थोड़ा सज-धजकर जाने का अनुरोध किया। इस पर आइंस्टीन बोले, "क्यों पहनूं? वहाँ तो मुझे कोई नहीं जानता!"

(2) आइंस्टीन से अक्सर सापेक्षता के सिद्धांत को समझाने के लिए कहा जाता था। एक बार उन्होंने समझाया, "अपना हाथ एक गर्म चूल्हे पर एक मिनट के लिए रखो, तो वह एक घंटे जैसा महसूस होगा। एक खूबसूरत लड़की के साथ एक घंटे बैठो, तो वह एक मिनट जैसा लगेगा। यही है सापेक्षता!"

(3) जब अल्बर्ट आइंस्टीन प्रिंसटन विश्वविद्यालय में काम कर रहे थे, तो एक दिन घर जाते समय उन्हें अपना घर का पता भूल गया। टैक्सी ड्राइवर ने उन्हें पहचाना नहीं। आइंस्टीन ने ड्राइवर से पूछा कि क्या वह आइंस्टीन का घर जानता है। ड्राइवर ने कहा, "आइंस्टीन का पता कौन नहीं जानता? प्रिंसटन में हर कोई जानता है। क्या आप उनसे मिलना चाहते हैं?" आइंस्टीन ने उत्तर दिया, "मैं ही आइंस्टीन हूं। मैं अपना घर का पता भूल गया हूँ, क्या आप मुझे वहाँ पहुँचा सकते हैं?" ड्राइवर ने उन्हें उनके घर पहुँचा दिया और उनसे किराया भी नहीं लिया।

(4) एक बार आइंस्टीन प्रिंसटन से ट्रेन में यात्रा कर रहे थे। जब टिकट चेक करने वाला कंडक्टर उनके पास आया, तो आइंस्टीन ने अपनी जैकेट की जेब में हाथ डाला, लेकिन टिकट नहीं मिला। फिर उन्होंने अपनी पैंट की जेबें देखीं, लेकिन वहाँ भी नहीं था। इसके बाद उन्होंने अपने ब्रीफकेस में देखा, लेकिन टिकट नहीं मिला। फिर उन्होंने अपनी सीट के पास देखा, लेकिन फिर भी टिकट नहीं मिला।

कंडक्टर ने कहा, "डॉ. आइंस्टीन, हम जानते हैं कि आप कौन हैं। मुझे यकीन है कि आपने टिकट खरीदा है। चिंता मत कीजिए।" आइंस्टीन ने प्रशंसा में सिर हिला दिया। कंडक्टर आगे बढ़ गया। जब उसने दूसरी तरफ देखा, तो उसने देखा कि महान वैज्ञानिक नीचे झुककर सीट के नीचे टिकट खोज रहे थे।

कंडक्टर तुरंत लौट आया और कहा, "डॉ. आइंस्टीन, चिंता मत कीजिए। मैं जानता हूँ कि आप कौन हैं। आपको टिकट की आवश्यकता नहीं है। मुझे यकीन है कि आपने टिकट खरीदा है।" आइंस्टीन ने जवाब दिया, "युवा आदमी, मैं भी जानता हूँ कि मैं कौन हूँ। पर मैं ये नहीं जानता कि मैं कहाँ जा रहा हूँ।"

(5) जब आइंस्टीन की मुलाकात चार्ली चैपलिन से हुई:

आइंस्टीन ने कहा,
"आपकी कला में जो मुझे सबसे अधिक प्रभावित करता है, वह उसकी सार्वभौमिकता है। आप एक शब्द नहीं कहते, फिर भी दुनिया आपको समझती है।"

इस पर चार्ली चैपलिन ने उत्तर दिया,
"यह सच है, लेकिन आपकी प्रसिद्धि तो इससे भी बड़ी है। दुनिया आपकी प्रशंसा करती है, जबकि कोई आपको समझता नहीं।"
संकलन : केवी सर

 #सती हर लड़की 'निकिता सिंघानिया' नहीं होती। इस छली, विश्वासघाती संसार में सृजना जैसी लड़कियां भी होती हैं जो प्रेम, विश्व...
22/12/2024

#सती

हर लड़की 'निकिता सिंघानिया' नहीं होती।

इस छली, विश्वासघाती संसार में सृजना जैसी लड़कियां भी होती हैं जो प्रेम, विश्वास और बलिदान की परिभाषाएं गढ़ती हैं।

'सृजना' सावित्री की तरह अपने पति को कैंसर रुपी यम के हाथों से वापस तो नहीं ला पाईं लेकिन चीटिंग, लालच और अविश्वास के वर्तमान अन्धकार में उन्होंने प्रेम का ऐसा दीपक जरूर प्रज्वलित किया है जिसके प्रकाश में लड़के और लड़कियां शायद प्रेम का अर्थ सीख सकें।

हम हिंदू पुनर्जन्मवादी होते हैं और इस नाते मेरा विश्वास है कि भले ही विवेक असमय चले गये लेकिन अंतिम क्षणों तक वह सृजना का निःस्वार्थ प्रेमभाव लेकर गये हैं वह जन्म-जन्मान्तरों की यात्रा में उनका पाथेय बनेगा।

दुःख भरा प्रश्न है तो इस बात का कि सृजना जैसे प्रेम भरे हृदयों को ही ऐसे विछोह क्यों सहने होते हैं?

खाना पचेगा या सड़ेगा-             खाना खाने के बाद पेट में खाना पचेगा या खाना सड़ेगा, यह जानना बहुत जरूरी होता है। हमने ...
22/12/2024

खाना पचेगा या सड़ेगा-
खाना खाने के बाद पेट में खाना पचेगा या खाना सड़ेगा, यह जानना बहुत जरूरी होता है। हमने रोटी खाई, हमने दाल खाई, हमने सब्जी खाई, हमने दही खाया लस्सी पी, दूध, दही छाछ, लस्सी फल आदि यह सब कुछ भोजन के रूप में हमने ग्रहण किया। यह सब कुछ हमें उर्जा देते हैं और पेट उस उर्जा को आगे ट्रांसफर करता है।
पेट में एक छोटा सा स्थान होता है, जिसको हम हिन्दी में "आमाशय" कहते हैं। इसका संस्कृत नाम है "जठर"। यह एक थैली की तरह होता है। यह जठर हमारे शरीर में सबसे महत्वपूर्ण है, क्योंकि सारा खाना सबसे पहले इसी में आता है। यह बहुत छोटा सा स्थान है। हम जो कुछ भी खाते हैं, वह सब इस आमाशय में आ जाता है। आमाशय में जो अग्नि प्रदीप्त होती है उसे जठराग्नि कहते हैं।
यह जठराग्नि आमाशय में प्रदीप्त होने वाली आग है। जैसे ही हम खाना खाना खाते हैं, जठराग्नि प्रदीप्त हो जाती है। यह ऑटोमेटिक है,जैसे ही हमने रोटी का पहला टुकड़ा मुँह में डाला, कि इधर जठराग्नि प्रदीप्त हो गई। यह अग्नि तब तक जलती है जब तक खाना पचता है। अब हमने खाना खाते ही गटागट पानी पी लिया और खूब ठंडा पानी पी लिया।अब जो आग (जठराग्नि) जल रही थी, वह बुझ गयी। आग अगर बुझ गयी, तो पचने की जो क्रिया है वह रुक जाती है।
अब हमें हमेशा याद रखना चाहिए कि खाना पेट में जाने पर पेट में दो ही क्रियाएं होती हैं, एक क्रिया है जिसको हम कहते हैं पचना, और दूसरी है, सड़ना।
आयुर्वेद के हिसाब से आग जलेगी तो खाना पचेगा, खाना पचेगा तो उससे रस बनेगा। रस से मांस, मज्जा, रक्त, वीर्य, हड्डियां, मल, मूत्र और अस्थि बनेगा और सबसे अंत में मेद बनेगा। यह तभी होगा जब खाना पचेगा। खाना सड़ने पर सबसे पहला जहर जो बनता है वह है यूरिक एसिड। यूरिक एसिड बढ़ने से ही घुटने, कंधे, कमर में दर्द होता है। जब खाना सड़ता है, तो यूरिक एसिड जैसा ही एक दूसरा विष बनता है जिसको हम कहते हैं एलडीएल ( खराब कोलस्ट्रॉल )। खराब कोलस्ट्रॉल के बढ़ने से ही ब्लड प्रेशर ( बीपी ) बढ़ता है। ये सभी बीमारियां तब आती हैं जब खाना पचता नहीं है, बल्कि सड़ता है।
खाना पचने पर किसी भी प्रकार का कोई भी जहर नहीं बनता है। खाना पचने पर जो बनता है वह है मांस, मज्जा, रक्त, वीर्य, हड्डियां, मल, मूत्र, अस्थि और खाना नहीं पचने पर बनता है यूरिक एसिड, कोलेस्ट्रोल, एलडीएल, वीएलडीएल और यही हमारे शरीर को रोगों का घर बनाते हैं। पेट में बनने वाला यही जहर जब ज्यादा बढ़कर खून में आता है, तो खून दिल की नाड़ियों में से निकल नहीं पाता और रोज थोड़ा थोड़ा कचरा जो खून में आया है, इकट्ठा होता रहता है और एक दिन नाड़ी को ब्लॉक कर देता है। इसी से हार्ट अटैक होता है।
अतः हमें ध्यान इस बात पर देना चाहिए कि जो हम खा रहे हैं, वह ठीक से पचना चाहिए, इसके लिए पेट में ठीक से आग (जठराग्नि) प्रदीप्त होनी ही चाहिए, क्योंकि बिना आग के खाना पचता नहीं है और खाना पकता भी नहीं है। महत्व की बात खाने को खाना नहीं खाने को पचाना है। हमने क्या खाया, कितना खाया यह महत्त्वपूर्ण नहीं है। खाना अच्छे से पचे इसके लिए वाग्भट्ट जी ने सूत्र दिया है-
"भोजनान्ते विषं वारी" (खाना खाने के तुरंत बाद पानी पीना जहर पीने के बराबर है )। इसलिए खाने के तुरंत बाद पानी कभी नहीं पीना चाहिए। जब हम खाना खाते हैं तो जठराग्नि द्वारा सब एक दूसरे में मिक्स होता है और फिर खाना पेस्ट में बदलता है। पेस्ट में बदलने की क्रिया होने तक एक घंटा ४८ मिनट का समय लगता है। उसके बाद जठराग्नि कम हो जाती है। बुझती तो नहीं, लेकिन बहुत धीमी हो जाती है। पेस्ट बनने के बाद शरीर में रस बनने की प्रक्रिया शुरू होती है, तब हमारे शरीर को पानी की जरूरत होती है।
प्रस्तुति- जितेन्द्र रघुवंशी

🇮🇳 आपको यह तो पता होगा की भारत 100 मिलियन वर्षो पहले एक द्वीप हुआ करता था? ❤️ तक़रीबन 50-60 मिलियन साल पहले, भारत का  एशि...
18/12/2024

🇮🇳 आपको यह तो पता होगा की भारत 100 मिलियन वर्षो पहले एक द्वीप हुआ करता था?
❤️ तक़रीबन 50-60 मिलियन साल पहले, भारत का एशियाई महाद्वीप से टकराव हुवा और इस तरह दुनिया की छत यानि हिमालय का जन्म हुआ। गज़ब तथ्य, है ना? भारत अपनी समृद्ध विरासत और संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है। भारत की प्रतिभा यहाँ नहीं रुकती है। वास्तव में, भारत की समृद्धि इसके इतिहास, कला, प्राचीन तकनीकों, विज्ञान और बहुत कुछ के संदर्भ में अथाह है। भारत अनगिनत चीजों का आविष्कारक रहा है। आज हम आपको ऐसे ही 30 रोचक तथ्य बताएँगे भारत के विषय में।

1. दिमाग का खेल शतरंज भारत ने दुनिया को एक उपहार के रूप में दिया है। गुप्त साम्राज्य के दौरान लगभग 1500 साल पहले इसका आविष्कार किया गया था। इसे प्राम्भ में चतुरंग के नाम से जाना जाता है।

2. पुरे विश्व को स्वस्थ और तंदुरुस्त बनाने वाले योग का जन्म ईसा पूर्व 5 वीं शताब्दी के लगभग प्राचीन भारत में हुवा था। आज समस्त संसार के लोग योग के द्वारा अपने शरीर को स्वस्थ बना रहे है, क्यों है ना Interesting Facts About India .

3. समस्त विश्व में सबसे ज्यादा वर्षा वाली जगह भारत के मेघालय में स्थित “मॉनसिनराम” नामक गांव है। यह स्थान चेरापूंजी से 15 कि.मी. दूर है, इस गांव में हर साल औसतन 11,872 mm बारिश होती है, जिसकी वजह से यह धरती का सबसे नम स्थान भी है।

4. भारत एक विशाल राष्ट्र है, यहाँ सैकड़ो भाषाएं और बोलियाँ बोली जाती है, भारत में सबसे ज्यादा हिंदी भाषा का प्रयोग किया जाता है, किन्तु हिंदी के बाद सबसे ज्यादा अंग्रेजी का प्रयोग किया जाता है। भारत विश्व का 24वां देश हैं जहां सबसे ज्यादा अंग्रेजी बोली जाती है।

5. दुनिया के प्राचीन शहरों में से एक ‘काशी’ पवित्र गंगा नदी के तट पर स्थित है, बनारस या वाराणसी का पवित्र शहर सनातन काल से ही बसा हुवा है, इतिहासकारों की माने तो तक़रीबन 3-4 हजार वर्ष पहले यह शहर बसा था। किन्तु हिंदू पौराणिक कथाओं और ग्रंथो के अनुसार यह प्राचीन शहर भगवान शिव ने लगभग 5000 वर्ष पहले इस पवित्र शहर की नींव रखी थी।

6. सर्वधर्म एकता और मानवता का सन्देश देते हुवे भारत में स्वर्ण मंदिर में नस्ल, धर्म और वर्ग को किनारे करके प्रतिदिन 50 हजार से ज्यादा आगंतुकों को शाकाहारी भोजन कराता है। क्यों है ना गर्व करने वाली बात।

7. भारत में प्राचीन काल से ही में जल संचयन को महत्व दिया जाता था, और यहाँ जल संचयन की एक विकसित प्रणाली थी । इसके उदाहरण के रूप में आपको ‘कल्लनई बांध’ मिलता है, यह बांध दुनिया में चौथा सबसे पुराना बांध है। जो अभी भी सुचारु रूप से सही सलामत और कार्य कर रहा है। मौर्य सम्राटों के द्वारा 320 ई.पू. ‘सुदर्शन’ नामक एक कृत्रिम झील का निर्माण भी करवाया गया था। “चित्तौगढ़ किले” में करीब 50 हजार लोगो के लिए एक वर्ष तक पानी उपलब्ध रहे इतने तालाब और बावड़ियाँ बनी है।

8. प्राचीन खगोलशास्त्री और गणितज्ञ आर्यभट्ट ने सौर मंडल एवं चन्द्रमा की गणना को 499 ई में ही समझा दिया था । उनकी पुस्तक आर्यभटीय में विस्तार से सभी का उल्लेख है, और अन्य खगोलीय पिंडों की गति को दर्शाया गया है, जिनको आज हम पढ़ते है।

9. वर्तमान में तो शिक्षा के कई जरिये और संस्थाए बन गई है, लेकिन भारत में करीब 700 ईसा पूर्व ही विश्व का पहला विश्वविद्यालय ‘तक्षिला‘ बन गया था, जहाँ पढ़ने के लिए हजारों छात्रों विश्व भर से आते थे, और भारतीय संस्कृति की शिक्षा प्राप्त कर विश्व के कोने-कोने में फैलाते थे।

10. विश्व में सबसे बड़ा धार्मिक मेला “कुम्भ” भी भारत में ही भरता है, वर्ष 2011 में कुंभ मैले में 75 मिलियन से ज्यादा तीर्थयात्रियों जमा हुवे थे । कहते है की यह संख्या इतनी अधिक थी की अंतरिक्ष से भी कुम्भ की भीड़ दिखाई दे रही थी।

11. भारत दुनिया का पहला देश है, जिसके ‘चीनी’ उत्पादन और उसके शुद्विकरण की तकनीक का विकास किया था। बाद में हमसे विश्व के कई दूसरे देशों ने यहाँ आकर इस तकनीक को सीखा है।

12. “Magnetic Hill’ लद्दाक की एक पहाड़ी है, जहाँ पर गुरुत्वाकर्षण के विपरीत चीजें होती है। इस जगह पर आप सड़क पर अपनी गाड़ी रोकिये और उसको न्यूट्रल कर दे, आप देखंगे की आपकी गाड़ी ऊंचाई की तरफ जाने लगेगी सिवाय ढलान में जाने के, क्यों है ना आश्चर्य Facts About India .

13. विश्व का सबसे ऊँचा पूल ‘बेलीपुल’ भारत के हिमाचल पर्वत में द्रास और सुरु नदियों के बीच लद्दाख घाटी में बना हुवा है। इसका निर्माण अगस्‍त 1982 में भारतीय सेना द्वारा किया गया था।

14. विशाल देश भारत में डाकघरों का बहुत बड़ा जाल मौजूद है, भारत में करीब 1,55,015 डाकघर बने हुवे है। इनमे सबसे अलग डाकघर श्रीनगर की डल झील में बना डाकखाना है। यह एक बड़ी नाव में तैरता हुवा डाकखाना है इसकी शुरुआत साल 2011 में की गई थी, क्यों है ना आश्चर्जनक facts about india .

15. प्राचीनकाल से ही भारत में महिला सशक्तिकरण को विशेष महत्त्व दिया जाता था, यहाँ महिलाएं खुलकर उन सभी मुद्दों पर बात कर सकती थी, जिन्हे आज हम सार्वजानिक रूप में बात करने से कतराते है। भारत में महिलाओं को अपना जीवन साथी चुनने “स्वयंवर” का अधिकार प्राप्त था।

16. भारत के आश्चर्यो में देखें तो यहाँ साप-सीढ़ी का खेल, सतरंज यानि चतुरंग, बटन का अविष्कार, शैंपू की खोज,संख्या पाई की गणना, हीरा उत्पादन, शून्य की खोज, बीजगणित की गणना, त्रिकोणमिति के साथ-साथ चंद्रमा पर पानी की मौजूदगी को दर्शाना। क्यों आपको गर्व नहीं है की आप भारतीय हो।

17. प्राचीन भारत की सिंधु घाटी सभ्यता विश्व की तीन सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक थी, यह सभ्यता 1300 ई.सा पूर्व तक अस्तित्व में थी। यहाँ के लोगों का बौद्धिक विकास बहुत अधिक था। इस सभ्यता के लोगों का जीवन स्तर उच्य कोटि का था। उन्होंने कपास से रुई निकाली, जस्ता खनिज निकाला, स्टेपवेल (बावडिया) का निर्माण किया, सीवरेज और ड्रेनेज सिस्टम का उच्य स्तर पर निर्माण करवाना क्यों है न गज़ब।

18. आज क्रिकेट का दीवाना कौन नहीं है, हिमाचल प्रदेश की एक जगह “चायल” यह ऐसा स्थान है, यहाँ पर 2,444 मीटर के ऐल्टिट्यूड पर यह पूरी दुनिया का सबसे ऊंचा क्रिकेट ग्राउंड बना है। जहां एक मिलिट्री स्कूल भी है। इसे साल 1893 में बनाया गया था

19. आज हम जगह-जगह मार्बल और ग्रेनाइट के महल देखते है, बड़े-बड़े किलों में इनकी कारीगरी देखते है, जो देखने में अतिसुन्दर प्रतीत होते है, लेकिन विश्व में पहला ग्रेनाइट का मंदिर ब्रिहदेश्वरा मंदिर तमिल नाडू में 11वी शताब्दी में बना था। इसके निर्माण में 5 वर्ष लगे थे।

20. वर्तमान में डाक्टरों ने चिकित्सा पद्दति में बहुत महारथ प्राप्त कर ली है, किन्तु भारत मे 2600 वर्ष ई. पू. ही शल्य चिकित्सा का अविष्कार हो चूका था, इसका प्रमाण प्राचीन ग्रंथो में मिलता है, की हमारे चिकित्सक मोतियाबिंद, हड्डी जोड़ने और पथरी निकलने जैसी जटिल शल्य चिकित्सा करते थे, क्यों है ना गजब।

21. देशभक्ति और देश सेवा की भावना हर भारतीय के मन में कूट-कूट कर भरी है, लेकिन उत्तरप्रदेश के जौनपुर जिले में एक छोटा सा गाँव है माधोपट्टी उस गाँव के लोगों ने इस भावना को अपना सबकुछ माना है, क्योंकि यकीन मानिये इस छोटे से गाँव में 50 से अधिक IAS-IPS और अन्य सिविल सेवा में अधिकारी है, क्यों है ना गजब तथ्य।

22. वर्तमान में हर कोई पैसो के पीछे दीवाना है, लेकिन क्या आपको है की जब भारत आजाद हुवा और हमारे देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्रप्रसाद की नियुक्ति हुई थीं, तब उन्होंने अपनी तनख्वाह का आधा भाग ही लिया था, उन्होंने कहाँ की उनको इतने ही पैसो की आवश्यकता है। उनके 12 वर्ष के लम्बे कार्यकाल के अंत में उन्होंने अपनी आय का केवल 25% लिया था। उस समय राष्ट्रपति का वेतन 10,000 रूपए होता था।

23. आज हम बड़े-बड़े जहाज देखते है, इनका आकार इतना बड़ा भी होता है की पूरा एक गाँव समा जाये, किन्तु विश्व में पहली बार नौकायन की कला का अविष्कार भारत में लगभग 6000 हजार वर्ष पूर्व महान सिंधु घाटी सभ्यता में हुवा था, क्यों है ना गजब।

24. भारत सनातन काल से ही समृद्ध देश रहा है, पूरी दुनिया के कुल सोने का 11 प्रतिशत सोना तो भारत की महिलाओं के पास ही है, और 1986 तक आधिकारिक तौर पर केवल भारत में ही हीरा निकलता था।

25. आज हम चन्द्रमा और मंगल गृह तक की यात्रा कर चुके है, लेकिन भारत की इसरो ने अपना पहला रॉकेट 1963 में त्रिवेंद्रम की एक जगह थुम्बा में एक चर्च से अपना पहला रॉकेट लाँच किया है, रॉकेट को साईकिल पर इस लांचिग पेड पर लाया गया था। आज हम इस को विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के नाम से जानते है, क्यों है ना गजब।

26. इंटरनेट की इस दुनिया में कंप्यूटर और सॉफ्टवेयर का बोलबाला है, इसी प्रतिस्पर्धा में आज भारत भी किसी अन्य देश से पीछे नहीं है, आज भारत करीब 90 से अधिक देशों में अपने यहाँ बने सॉफ्टवेयर निर्यात करता है।

27. भारत हमेशा से ही कृषि प्रधान और पशु-पालन में अग्रणी देश रहा है, पुरे विश्व में सबसे अधिक दुग्ध उत्पादन भारत में ही होता है, यहाँ करीब 150 मिलियन टन दुग्ध उत्पादन होता है, जो की एक विश्व रिकार्ड है, जो 2015 में बना था।

28. राजस्थान के बीकानेर जिले में एक स्थान है देशनोक यहाँ ही स्थित “श्री करणी माता” के मंदिर में आपको सैकड़ो चूहे देखने को मिल जायेंगे, इनकी संख्या इतनी ज्यादा है की आप मंदिर में पैर उठा के नहीं चल सकते हे, इसलिए इस प्रसिद्ध मंदिर को चूहों का मंदिर भी कहाँ जाता है क्यों है ना आश्चर्जनक।

29. भारत का विज्ञान प्राचीन काल से अच्छा रहा है, उसके कुछ उदहारण आपको ऊपर पढ़ने को मिल जायेंगे लेकिन इसका जीता जागता उदहारण है, जयपुर में बना जंतर-मंतर यह दुनिया की सबसे बड़ी पत्थर से बनी वैधशाला है, इसका निर्माण सवाई जयसिंह जी ने 1727 ई. में करवाया था। यह वैधशाला सटीक मौसम और ग्रहों की स्थिति को दर्शाती है।

30. उत्तर भारत में बहुत से किले और गढ़ बने हुवे है, यह सभी किले भारत की उत्तरी सीमा की लुटेरों से रक्षा करते थे। इन्ही किलों में से एक है राजस्थान के जैसलमेर में बना हुवा “सोनार किला” इस किले का आकार बहुत बड़ा है, सबसे बड़ी बात यह किला आज भी पूर्ण रूप से बसावट को लिए हुवे है, समस्त जैसलमेर शहर की 25% आबादी आज भी इस किले में रहती है क्यों है ना आश्चर्यचकित ।
#मेरा_भारत_महान

लड़की के शहर में जब जवानी उफान मारती है, तो उसके अनादर तीव्र संभोग की इच्छा जागृत होती है, और हर वो लड़का या मर्द जो इसक...
17/12/2024

लड़की के शहर में जब जवानी उफान मारती है, तो उसके अनादर तीव्र संभोग की इच्छा जागृत होती है, और हर वो लड़का या मर्द जो इसकी इस ज़रूरत को पूरा कर सकता है, लड़की उसकी तरह आकर्षित होती है,
मेरे साथ भी ऐसा ही था
मेरा जीवन हमेशा से आसान नहीं रहा। बचपन में ही माता-पिता का साया सिर से उठ गया था। अनाथालय में पली-बढ़ी, मैंने बहुत जल्दी समझ लिया कि अपने सपनों को पूरा करने के लिए मुझे खुद पर निर्भर रहना होगा। पढ़ाई पूरी करने के बाद मैंने मुंबई के एक बड़े ऑफिस में नौकरी शुरू की। वहीं मेरी मुलाकात मानव से हुई।

शुरुआत में हम सिर्फ सहकर्मी थे। उसकी हंसी-मजाक और मदद करने की आदत मुझे पसंद आने लगी। धीरे-धीरे हमारी दोस्ती गहरी होती गई। मानव के साथ वक्त बिताना, उसकी बातों में खो जाना मेरी आदत बन चुकी थी। मुझे पता भी नहीं चला कि कब ये दोस्ती प्यार में बदल गई।

हमने जल्द ही शादी का फैसला कर लिया। मेरे पास कोई परिवार नहीं था, लेकिन मानव का परिवार मेरे लिए नया संसार था। मानव का बड़ा भाई सोहम और उनकी पत्नी आरती घर की जिम्मेदारी बखूबी संभालते थे। उनकी छोटी बहन राखी, जो शादीशुदा थी, भी समय-समय पर घर आती रहती थी। मानव के माता-पिता का कई साल पहले देहांत हो चुका था, लेकिन सोहम और आरती ने पूरे घर को संभाल रखा था।

हमारी शादी बड़े धूमधाम से हुई। भैया-भाभी ने हर चीज की तैयारी इतनी अच्छे से की कि मुझे अपने माता-पिता की कमी बिल्कुल महसूस नहीं हुई। शादी के बाद, जब मैंने इस घर में कदम रखा, तो मुझे लगा कि मैं किसी सपनों की दुनिया में आ गई हूँ।

आरती भाभी मेरे लिए सिर्फ जिठानी नहीं, बड़ी बहन जैसी थीं। उन्होंने मुझे हर चीज सिखाई, हर पल मेरे साथ खड़ी रहीं। सोहम भैया एक आदर्श बड़े भाई थे, जो हर समय हमारे बीच समझदारी और प्यार बनाए रखते थे।

मानव कभी-कभी नादानी भरी बातें कर देता, जिससे सोहम भैया को ठेस पहुंचती, लेकिन मैं हमेशा स्थिति संभाल लेती। मैंने देखा कि इस परिवार में सब एक-दूसरे के लिए कितना प्यार और सम्मान रखते हैं।

कुछ महीनों बाद, आरती भाभी गर्भवती हुईं। मैंने उनका पूरा ध्यान रखा। समय पर खाना देना, आराम करने की सलाह देना, और उनके छोटे-छोटे काम करना मेरी दिनचर्या बन गई। जब उन्होंने एक प्यारे से बेटे को जन्म दिया, तो पूरे घर में खुशियों की लहर दौड़ गई। हमने उसका नाम 'आदि' रखा।

आदि के साथ मेरा रिश्ता बेहद खास था। मैं उसे खिलाती, नहलाती और हर पल उसके साथ रहती। वह मुझसे इतना घुल-मिल गया कि मुझे अपनी गोद में बिठाए बिना चैन ही नहीं आता था।
एक दिन मुझे पता चला कि मैं भी मां बनने वाली हूँ। मानव खुशी से फूला नहीं समा रहा था। लेकिन मेरे मन में एक खलिश थी। मैं सोच रही थी कि जब मेरी डिलीवरी का समय आएगा, तो मेरे लिए मायके से कौन आएगा? कौन मेरे लिए वह प्यार और देखभाल लाएगा, जो हर मां के लिए मायके से आता है?

डिलीवरी के बाद, जब मेरी बेटी का जन्म हुआ, तो सब बहुत खुश थे। लेकिन मेरे दिल में मायके की कमी का दर्द छिपा था। मैं सोचती थी कि कौन मेरे लिए गोंद के लड्डू और वह सारी चीजें लाएगा, जो एक नई मां के लिए जरूरी होती हैं।

उस दिन आरती भाभी ने मेरी उदासी देखी। उन्होंने पूछा, 'क्या हुआ रिचा? तुम बेटी होने से दुखी हो क्या?' मैंने मुस्कुराते हुए कहा, 'नहीं भाभी, मुझे तो बेटी की ही चाह थी। लेकिन आज इस मौके पर मायके की कमी महसूस हो रही है। मेरा तो कोई मायका ही नहीं है।'

तभी दरवाजे से आवाज आई, 'यह तुमने कैसे कह दिया?' हम दोनों ने पलटकर देखा, तो आरती की मम्मी ढेर सारे सामान और उपहारों के साथ खड़ी थीं। उन्होंने वही सब मेरे और मेरी बेटी के लिए भी लाया था, जो उन्होंने आरती के लिए किया था।

मेरी आंखों से आंसू छलक पड़े। उन्होंने मुझे गले लगाकर कहा, 'मेरे लिए जैसे आरती है, वैसे ही तुम। खबरदार, अगर अब कभी कहा कि तुम्हारा कोई मायका नहीं है। यह घर सदा के लिए तुम्हारा मायका है।'

उस पल मैंने जाना कि परिवार खून के रिश्तों से नहीं, बल्कि प्यार और अपनापन से बनता है। मैं खुद को दुनिया की सबसे भाग्यशाली लड़की मानने लगी। अब मेरी बेटी के साथ-साथ मुझे भी वह मायका मिल चुका था, जिसकी मुझे हमेशा से कमी थी।"

यह कहानी सिर्फ मेरी नहीं, बल्कि उन सभी के लिए है, जो अपने जीवन में सच्चे रिश्ते और प्यार की तलाश में हैं।
आभार

मेरा नाम शालिनी है मैं विधवा हूँ 1 साल पहले मेरे पति का रोड एक्सीडेंट में निधन हो गया था मेरा एक 3 महीने का बच्चा है मेर...
17/12/2024

मेरा नाम शालिनी है मैं विधवा हूँ 1 साल पहले मेरे पति का रोड एक्सीडेंट में निधन हो गया था मेरा एक 3 महीने का बच्चा है मेरा घर बहुत बड़ा है इसलिए किराएदार रख कर मैं अपना खर्च चलाती हूँ । एक दिन एक किरायेदार कमरे की खोज करता हुआ मेरे घर आया उसने मुझसे पूछा कि क्या आपके मकान में कोई कमरा किराए के लिए खाली है , वो युवा जवान था बहुत ही सुंदर और गठीला बदन वाला था उसे देख मैं कुछ पल को देखती रही , फिर उसने दोबारा मुझसे पूछा कि क्या कोई कमरा खाली है तो मैंने उससे उसके बारे में पूछा उसने बताया कि वो स्कूल टीचर है और पास के स्कूल में पढ़ाता है
मैंने उसे कमरा दिखाया और सभी नियम भी बताए वो सभी नियमो के लिए राजी हो गया , उसने अगले ही दिन रूम शिफ्ट कर लिया और एडवांस के तौर पर मुझे 2 हजार रुपये भी दिए , अब वो रोज अपने स्कूल जाता और समय से लौट आता एक दिन रात में मेरे बच्चे को तेज बुखार आ गया और कोई दवाई भी नही रखी थी अब मैं बहुत परेशान हो रही थी क्योंकि रात के 2 बज रहे थे मैंने बहुत संकोच करते हुए उस टीचर से हेल्प मांगी और उसे बताया कि मेरा बच्चा बीमार है उसने मुझसे कहा कि आप जल्दी आइए मैं बाइक निकाल रहा हूं मैं जल्दी से बच्चे को लेकर आई और बाइक पर बैठ कर डॉक्टर के यहां गयी डॉक्टर ने दवाई दी और बताया कि परेशान होने वाली कोई बात नही है बुखार ही है । हमने दवाई ली और टीचर के साथ बैठ कर चल दी , मैं एक हाथ से बच्चे को गोद मे लिया था और दूसरे हाथ से उसको पकड़े हुए थी मैं अपने आपको उसके पास खिंच रही और वो यह महसूस भी कर रहा था जब उसे लगा कि मैं उसे जान कर स्पर्श कर रही हूँ तो उसने बात चीत चालू की और मेरे बारे में जानना चाहा मैंने भी उसे सब बता दिया , फिर उसने कहा आप अकेली है कोई साथी खोज लीजिए आपजी अभी उम्र ही क्या है , मैंने कहा हां आप सच बोल रहे है मैं भी बिना पति के अधूरी हूँ लेकिन क्या करूँ मेरे आंखों में आंसू थे और मैं उसके कंधे से लिपट कर रोने लगी उसने कहा कि आप परेशान न हो मैं हूँ न आप को जो भी जरूरत हो आप मुझसे बोलना मैं आपकी पूरी हेल्प करूँगा , इन बातों के बीच हम घर पहुंच चुके थे मैं बच्चे को कमरे में ले गयी और दवाई दे कर सुला दिया , लेकिन मेरे अंदर की आग पानी से बुझने के लिए हिलोरे ले रही थी मैंने 2 कप चाय बनाई और एक कप में विगोरा डाल दिया और चाय टीचर के कमरे में लेकर पहुंची और टीचर से कहा कि वो चाय पी ले उन्होंने कहा इसकी क्या जरूरत थी मैंने कहा कि अपने मेरी इतनी हेल्प की है तो मेरा भी कुछ फर्ज बनता है ये बात कहते हुए मैन उनकी आंखों में प्यार खोजना शुरू किया टीचर नीचे निगाहे करके बात करने लगा , उसने कहा कि आइए आप बेड पर बैठ जाइए मैं बैठ गयी टीचर ने चाय की चुस्की लेते हुए पूछा कि क्या चाय अदरख की है तो मैंने पूछा क्या हुआ आपको अच्छी नही लगी क्या तो उन्होंने कहाँ नही ऐसा नही है बहुत ही अच्छी चाय है , हम ने बहुत सी बातें की अब दवाई असर करने लगी थी मैंने सोचा कि यह समय ठीक है अपनी पहल करने के लिए मैंने अपना हाथ उनके हाथ पर रखते हुए कहा कि अपने हमारी हेल्प की है यह अहसास मैं कैसे उतारूंगी उसने रोमांटिक होते हुए कहा कि ऐसा न बोलो मेरा भी कुछ हक है आपकी हेल्प करने का ,फिर मैं आंखों में आँसू लेते हुए उससे लिपट गयी वो मुझे सहलांते हुए बोला आप परेशान न हो मैं आपके साथ हूँ, मैंने बिना डरे उसे कि!श कर दिया दवाई के असर से उसने भी खुद को संभाल न पा रहा था और उसने भी मुझे किस किया उसकी मजबूत बाहे मुझे जकड़ ली जो मुझे बहुत सुकून दे रही थी उसने लगभग 30 मिनट तक फायर किया और मुझे खुश किया , अब वो मेरे साथ रह रहा है लोगो की नजर में वो किराए दार है लेकिन असल मे वही मकान मालिक है ।।

( कहानी का अगला भाग जानने के लिए कमेन्ट करे और फॉलो करे )

सच्चे मन से 🔱🚩" हर हर महादेव '' लिखने वाले की सारी इछा पूरी होगी !

Ram Ram

#01

जब मैं 35 साल की थी, तब मेरी शादी हुई। मेरे पति करण मुझसे दो साल बड़े थे। हमने अपने करियर पर फोकस करते हुए अपनी-अपनी जिं...
16/12/2024

जब मैं 35 साल की थी, तब मेरी शादी हुई। मेरे पति करण मुझसे दो साल बड़े थे। हमने अपने करियर पर फोकस करते हुए अपनी-अपनी जिंदगी के कई साल बिता दिए थे। मेरी नौकरी अच्छी चल रही थी, लेकिन समाज और परिवार के दबाव ने मुझे शादी के लिए राजी कर लिया। मेरी मां अक्सर कहतीं, 'शादी कर लो, नहीं तो उम्र निकल जाएगी।'

शादी के वक्त करण की आय कम थी, और यह बात मुझे परेशान करती थी। मैं सोचती थी, क्या मैं एक ऐसे इंसान के साथ खुश रह सकती हूं, जो आर्थिक रूप से मजबूत न हो? फिर भी, मैं करण से प्यार करती थी और उसके साथ जिंदगी बिताना चाहती थी, इसलिए शादी का फैसला किया।

शादी के बाद जल्द ही हमारे रिश्ते में खटास आ गई। करण की कम आय मुझे असुरक्षित महसूस कराती थी। शादी के पहले ही दिन करण ने मुझसे कहा था, 'रिया, मेरी आय कम है, लेकिन मैं तुम्हें खुश रखने की पूरी कोशिश करूंगा। हमारे पास सब कुछ नहीं होगा, पर हमारी जिंदगी अच्छे से चल सकेगी।' हालांकि, मेरे मन में कई सवाल थे।

महीने के अंत में, जब करण का वेतन आया, तो उसने उसमें से 5,000 रुपये बचाकर 20,000 रुपये मुझे दे दिए और कहा, 'ये तुम्हारे पास रखो। जरूरत होगी तो तुमसे मांग लूंगा।' मैं हैरान थी। क्या यह सच में मेरी जिम्मेदारी है? मैंने पैसे रख लिए, लेकिन घर चलाना आसान नहीं था।

जब मैंने करण से इस बारे में बात की, तो उसने कहा, 'मैं दूसरी नौकरी के लिए कोशिश कर रहा हूं।' लेकिन जब चीजें नहीं बदलीं, तो मुझे गुस्सा आने लगा। छह महीने बाद, मैं अपने मायके लौट आई और तय किया कि अब करण के साथ नहीं रहूंगी।

करण ने मुझे वापस बुलाने की बहुत कोशिश की, लेकिन मैंने साफ कह दिया, 'जब तक तुम अच्छी कमाई नहीं करने लगोगे, मैं वापस नहीं आऊंगी।' करण ने आखिरकार तलाक की बात कर दी।

तलाक की प्रक्रिया के दौरान जज ने मुझसे कहा, 'पैसे जरूरी हैं, लेकिन रिश्तों में प्यार और समझदारी ज्यादा मायने रखते हैं।' मैं उनकी बातों को नजरअंदाज कर चुकी थी। तलाक के बाद मैंने नौकरी शुरू की और महसूस किया कि 15,000 रुपये की तनख्वाह कमाने के लिए कितनी मेहनत करनी पड़ती है। तब समझ आया कि घर बैठे मिलने वाले 20,000 रुपये की क्या कीमत थी।

उधर करण की तनख्वाह बढ़कर 86,000 रुपये हो चुकी थी। मुझे एहसास हुआ कि रिश्ते सिर्फ पैसों से नहीं, बल्कि प्यार, समझ और विश्वास से चलते हैं।

आज मैं समझती हूं कि रिश्तों में सबसे ज्यादा जरूरी चीज है – एक-दूसरे का साथ और आपसी सम्मान। पैसे से जिंदगी आसान हो सकती है, लेकिन रिश्तों को मजबूती प्यार और सहयोग से ही मिलती है। मैंने अपनी गलतियों से सीखा है कि रिश्ते निभाने के लिए दिल और समझदारी का होना सबसे जरूरी है।"

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