Abhay Upadhyay

  • Home
  • Abhay Upadhyay

Abhay Upadhyay जानकारी पूरी, जीत पक्की

बहुत दिनों के बाद तकरीबन सभी एग्जिट पोल मुझको सही नजर आ रहे हैं। मेरा आकलन भी यही है कि हरियाणा में कांग्रेस कम से कम 60...
05/10/2024

बहुत दिनों के बाद तकरीबन सभी एग्जिट पोल मुझको सही नजर आ रहे हैं। मेरा आकलन भी यही है कि हरियाणा में कांग्रेस कम से कम 60 सीटें लेकर आएगी। हिमाचल प्रदेश चुनाव की तर्ज पर ही यहां की जनता अपना संदेश पहले ही दे चुकी थी। ग्राउंड से जितने भी कार्यक्रम हमने किए उन सभी में लोगों का मंतव्य दिख रहा था। जो सीधे सीधे बोल रहे थे वो बीजेपी को हटाने की बात कर रहे थे। लेकिन जो लोग बच के बोल रहे थे उनका इशारा भी साफ था।
जम्मू कश्मीर में एनसी कांग्रेस की सरकार बनेगी इसमें मुझको कोई संदेह नहीं । क्योंकि कश्मीर क्षेत्र के लोगों ने इस बार मतों के विभाजन से परहेज किया है। इसका खामियाजा पीडीपी को भुगतना पड़ेगा। एनसी ने बहुत चतुराई से ये संदेश दिया कि पीडीपी ही बीजेपी को जम्मू कश्मीर की सरकार में लेकर आई। कानून व्यवस्था सुधर गई है, लोग बिना आतंकियों की बंदूक के डर से वोट कर रहे हैं लेकिन फिर भी उनको लगता है कि धारा 370 हटाकर उनका कवच छीन लिया गया है। इसलिए वो बीजेपी को सरकार बनाने से रोकना चाहते हैं। कांग्रेस एनसी गठबंधन को 50 सीटें मिलने का मेरा अनुमान है। अगर इंजीनियर रशीद की पार्टी 8-10 सीटें हासिल करने का कारनाम कर देती है तो तस्वीर थोड़ी बदल जाएगी और सरकार बनने का खेल दिलचस्प हो जाएगा

इसका क्या लॉजिक है? अब क्या कांवड़िये मस्जिद को देख लेंगे तो यात्रा भ्रष्ट हो जाएगी ?
26/07/2024

इसका क्या लॉजिक है? अब क्या कांवड़िये मस्जिद को देख लेंगे तो यात्रा भ्रष्ट हो जाएगी ?

जून के महीने में अखबारों, टीवी और डिजीटल मीडिया की हेडलाइंस थीं- मॉनसून का इंतजार कब होगा खत्म, कब मिलेगी गर्मी से राहत ...
25/07/2024

जून के महीने में अखबारों, टीवी और डिजीटल मीडिया की हेडलाइंस थीं- मॉनसून का इंतजार कब होगा खत्म, कब मिलेगी गर्मी से राहत और जुलाई आते आते
MONSOON MAYHEM, MONSOON FURY,मॉनसून ने मार डाला, जल प्रहार इत्यादि। मॉनसून का इंतजार तो ठीक है लेकिन एक दो बारिश होते होते
ही इसको आसमानी आफत क्यों कहा जाने लगा, इस पर विचार करने की जरूरत है। क्योंकि मॉनसून से ही खेती होती है, नदियों में जल आता है, जमीन के अंदर जलस्तर बढ़ता है या कहें पानी का जो टैंक हम रोज खाली करते हैं उसके लिए साल भर का पानी आता है। लेकिन मॉनसून ने मार डाला- यानी मॉनसून हत्यारा घोषित। हम ऐसी हेडलाइंस लिखते हैं जब आम लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। और ये परेशानियां कैसी हैं। शहरों में जल जमाव, जनजीवन का अस्तव्यस्त हो जाना। या बिहार जैसे राज्य में दो महीने में बारह पुल का बह जाना। शहरों में जलजमाव नगरपालिका, नगरपरिषद की नाकामी की वजह से होता है। और पुल का बह जाना भ्रष्टाचार की बाढ़ की वजह से। लेकिन मीडिया की खबरें सरकारों, स्थानीय निकायों को किसी भी तरह की जिम्मेदारी से मुक्त कर मॉनसून को ही कटघरे में खड़ा कर देती हैं।

गर्मी रिकॉर्ड ब्रेक कर रही है और उससे भी ज्यादा अहम कि नित नए रिकॉर्ड बना रही है। पहले अल नीनो पर इसकी जिम्मेदारी डाली ज...
18/06/2024

गर्मी रिकॉर्ड ब्रेक कर रही है और उससे भी ज्यादा अहम कि नित नए रिकॉर्ड बना रही है। पहले अल नीनो पर इसकी जिम्मेदारी डाली जा सकती थी। अभी भी अल नीनो थोड़ा जिम्मेदार है लेकिन किताबों में नजर आनेवाली ग्लोबल वार्मिंग एक ऐसी हकीकत है जो हमारे ही कर्मों का फल है। अखबार अब दिन की गर्मी की बात नहीं कर रहे हैं। रात की गर्मी पर खबरें हैं। रात का तापमान जब 33-34 पर लगातार टिका रहे तो ये रातें जागने की नहीं वक्त जाग जाने का है। शहर तो आग का गोला बन चुके हैं। देहरादून, मसूरी और शिमला जैसे शहर अंधाधुंध शहरीकरण और पेड़ों की कटाई की सजा भुगत रहे हैं और दिल्ली जैसे शहर मिट्टी खाए जा रहे हैं और शहर का पेट कंक्रीट से भर रहे हैं ...तो जो किया उसे भुगतना तो पड़ेगा

हमने पिछले कुछ दशकों में प्रकृति के साथ जो किया है उसका प्रतिफल मिलने लगा है। इंडिया टुडे की वेबसाइट की एक रिपोर्ट के मु...
14/06/2024

हमने पिछले कुछ दशकों में प्रकृति के साथ जो किया है उसका प्रतिफल मिलने लगा है। इंडिया टुडे की वेबसाइट की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस हीट वेव के मुख्य कारण हैं- अंधाधुंध शहरी करण, वनों की कटोई, ग्लोबल वॉर्मिंग। पहाड़ भी पसीने पसीने हैं। पिछले 35 दिनों में कम से कम 15 दिन हीट वेव के रहे हैं और सोलह हजार लोगों को हीट स्ट्रोक का सामना करना पड़ा है। ये संख्या भी वास्तविक संख्या से काफी कम है। आगे और मजा आने वाला है ... #गर्मी

किसी ने फेक अकाउंट बना लिया है...पैसे मांग रहा है ...कृपया रिपोर्ट कर दें।
14/06/2024

किसी ने फेक अकाउंट बना लिया है...पैसे मांग रहा है ...कृपया रिपोर्ट कर दें।

 केरल से आनेवाले मसाले से बना सांभर अलग ही ताजगी देता है। वैसा ही कुछ निश्चित तौर पर वहां की फिल्मों के लिए भी कहा जा सक...
28/04/2024


केरल से आनेवाले मसाले से बना सांभर अलग ही ताजगी देता है। वैसा ही कुछ निश्चित तौर पर वहां की फिल्मों के लिए भी कहा जा सकता है।
चाहोगे, तो मिल जाएगा ( seek, you shall find ) (अनवेशिप्पिन कंडेथम) फिल्म की थीम है। इसी थीम पर फिल्म की कहानी बढ़ती है और युवा और ऊर्जावान सब इंस्पेक्टर आनंद नारायन दो अलग अलग मर्डर मिस्ट्री को सॉल्व करता है। लेकिन दोनों में से किसी का भी श्रेय उसको नहीं मिलता है। ये श्रेय उसको क्यों नहीं मिलता है या मिल पाता है ये देखना काफी इंटरेस्टिंग है। फिल्म एक है और कहानियां दो हैं। दोनों में कई ट्विस्ट हैं जिसका अंदाजा आप पूरी तरह से नहीं लगा सकते हैं। या अंदाजा लगा भी लेते हैं तो आप कहानी का अनुमान नहीं लगा पाएंगे। फिल्म की गति कई जगहों पर धीमी लगती है लेकिन ये फिल्म पुलिस इन्वेस्टिगेशन के साथ चलती है। जिससे फिल्म की गति कम तो लगती है लेकिन इसकी इंटेसिटी आपको रोके रखती है। मूल रुप से फिल्म मलयालम में है लेकिन हिंदी समेत कई और दूसरी भाषाओं में उपलब्ध है।
#
The Sambhar made from spices coming from Kerala gives a unique freshness. Similarly, it can be said for films from there as well. If you seek, you shall find the theme of the film " ". The story of the film revolves around this theme as young and energetic inspector Anand Narayan solves two different murder mysteries. However, he doesn't receive credit for either. It's quite interesting to see why he doesn't get credit or if he does. The film is one, but there are two stories. Both have many twists that you cannot fully anticipate. Even if you do anticipate, you won't be able to predict the story. The pace of the film is slow at many places, but it goes hand in hand with police investigation, which may slow down the pace, but its intensity keeps you engaged. Primarily in Malayalam, the film is available in many other languages including Hindi.

उपन्यास की तरह चलने वाली फिल्मों की कहानियां प्लॉट तैयार करने में थोड़ा वक्त लेती हैं। कुछ तो इतना वक्त लेती हैं कि लगता...
22/04/2024

उपन्यास की तरह चलने वाली फिल्मों की कहानियां प्लॉट तैयार करने में थोड़ा वक्त लेती हैं। कुछ तो इतना वक्त लेती हैं कि लगता है यार कहीं फिल्म देखना शुरू कर फंस तो नहीं गए। लेकिन उसके बाद जब एक बार आप पात्रों और उनके परिवेश से परिचित हो जाते हैं तो आप भी उस कहानी का हिस्सा हो जाते हैं। इस बार मेरे संडे सिनेमा की फिल्म रही । फिल्म है। है तो ये मूलत: मलयाम भाषा की फिल्म। लेकिन हिंदी में भी उपलब्ध है। फिल्म हैदराबाद पहुंचे एक युवक की ऐसी प्रेम कहानी है जिस प्रेम की शुरुआत फिल्म के क्लाइमेक्स में होती है और उसी के साथ फिल्म खत्म हो जाती है। पूरी फिल्म एक लड़की को प्रभावित करने की कोशिशों को दिखाती है। इसमें कॉमेडी है और छोटे परिवार से आने वाले, साधारण कॉलेज से इंजीनियिरिंग करने वाले, इंग्लिश नहीं समझने वाले लड़कों की महत्वाकांक्षाओं और बेबसी का चित्रण करती है। देखिए अच्छा लगेगा।

The stories of films that unfold like novels take some time to prepare their plots. Some take so long that you feel like you've already started watching a movie and might get stuck halfway. But once you become familiar with the characters and their surroundings, you become a part of that story too. This time, my Sunday cinema film was . It's a comedy film. Originally, it's in the Malayalam language, but it's also available in Hindi, Telugu. The film tells the love story of a young man who reaches Hyderabad, a story where love begins at the climax of the film and ends with it. The whole film showcases efforts to impress a girl. It has comedy and portrays the aspirations and helplessness of boys coming from small families, studying engineering in ordinary colleges, and not understanding English. Watch it, you'll enjoy it.

फिल्म का पहला सीन- दसवीं बारहवीं के छात्र छात्रा पिकनिक पर है। एक दूसरे को पसंद करने वाला एक युवा जोड़ाअपने दोस्तों के स...
18/04/2024

फिल्म का पहला सीन- दसवीं बारहवीं के छात्र छात्रा पिकनिक पर है। एक दूसरे को पसंद करने वाला एक युवा जोड़ा
अपने दोस्तों के साथ थोड़ी दूर चला जाता है। दोनों एक दूसरे की नजदीकी में कुछ रुमानी बातें शुरू करते हैं। तभी लड़के
के चेहरे पर भय का भाव आता है और कैमरे की गति और एडिटिंग से ऐसा लगता है जैसे किसी ने उनपर हमला किया है।
लेकिन आप इसका कयास ही लगाते हैं और यहीं से सस्पेंस की शुरूआत होती है। पुलिस का सायरन बजता है और आप समझ जाते हैं
कि एक डेड बॉडी मिली है। यहीं से आप सोचना शुरू करते हैं कि लड़के लड़की में से किसकी मौत हुई है, किसने मारा होगा इत्यादि।
फिर स्टोरी पहुंचती है एक थाने में एक इंस्पेक्टर के पास। जो अपने बच्चे की मौत के बाद टूट चुका है। पुलिस उसके कातिल को नहीं ढूंढ
पाई है और वो अपनी तरफ से कोशिशों में लगा हुआ है। तो क्या पहले सीन में जिस युवक को दिखाया गया है वही उसका बेटा है। कुछ
और भी कत्लों की अनसुलझी गुत्थियां हैं। ये सारा कुछ आपको फिल्म के अंत तक लपेटे रखता है।
फिल्म का नाम है ये फिल्म मलयाली भाषा में बनी है लेकिन उपलब्ध है।
सस्पेंस थ्रिलर पसंद है तो ये फिल्म देख लीजिए। इस संडे एक और फिल्म पर बात होगी


The first scene of the movie depicts a picnic of 10th and 12th-grade students. A young couple, who have feelings for each other, wanders a little away from their friends. They start some romantic conversation when suddenly fear appears on the boy's face, and with the camera's pace and editing, it seems like someone has attacked them. However, you only speculate, and that's where the suspense begins. The police siren blares, and you understand that a dead body has been found. From here, you start to wonder whose death occurred between the boy and the girl, who might have killed them, and so on. The story then reaches a police station where an inspector is shattered after his child's death. The police haven't found the killer yet, and he is putting in his efforts. So, is the young man shown in the first scene his son? There are many unresolved mysteries of murders. All of this keeps you wrapped up until the end of the film.

The film is named . It is made in the Malayalam language but is available on . If you like suspense thrillers, then watch this film. We'll discuss another movie next Sunday.

फिल्में या तो वैसे पसंद आती हैं मुझे जो या तो एकदम फंतासी की दुनिया में ले जाए जहां हीरो सौ सौ लोगों को एक ढिशुम में उड़...
26/02/2024

फिल्में या तो वैसे पसंद आती हैं मुझे जो या तो एकदम फंतासी की दुनिया में ले जाए जहां हीरो सौ सौ लोगों को एक ढिशुम में उड़ा दे या फिर वैसी जो हमारे घर की डेहरी पर घटित जान पड़ती हों। हमारे घर के पास हमारे मोहल्ले में। इसीलिए मुझे 'जानकी जाने' काफी पसंद आई। जो दूसरी कैटेगरी में आती है।
'जानकी जाने' एक ऐसी फिल्म जिसमें हीरो न तो हीरो जैसा और न हेरोइन हेरोइन जैसी, और विलेन का कॉन्सेप्ट ही नहीं है इस फिल्म में। फिर भी फिल्म शुरू की तो खत्म होने तक देखता रहा। मलयालम में बनी फिल्म हिंदी डबिंग के साथ पर मौजूद है। हाल फिलहाल मैेने कई फिल्में देखी हैं जिसमें कहानी का प्लाट बिल्कुल हमारे घर और मोहल्ले से ली गई हैं। कुछ दिनों पहले में मैंने फिल्म देखने का अनुभव साझा किया था। जानकी जाने हल्की फुल्की कॉमेडी के साथ एक बहुत ही गंभीर विषय उठाती है। की। बचपन की किसी छोटी सी घटना की वजह से जानकी को अंधेरे से डर लगने लगता है। बिजली अचानक चली जाए तो घबराकर अगल बगल जो भी खड़ा हो उसे पकड़ लेती है। अकेले वॉशरूम नहीं जा सकती है। ऑफिस भी किसी सहेली के संग जाती है। घबराहट, डर, व्यग्रता और चिंता के साए में छोटे से कस्बे में उसकी जिंदगी कट रही है। ऐसे में उसे पड़ोस में ही रहने वाले उन्नी मुकुंदन की तरफ से शादी का प्रस्ताव मिलता है तो खुश हो जाती है। उन्नी भी अपने आप में एक इंटरेस्टिंग कैरेक्टर है। जानकी की परेशानी के बारे में उसको पता है और वो हर कदम पर उसके साथ रहता है। अचानक छोटी सी घटना होती है और दोनों के जीवन में तूफान आ जाता है। उनके सीधी रेखा में चलने वाली जिंदगी में अचानक कई मोड़ आते हैं। स्थानीय राजनीति के दांव पेंच में उनकी जिंदगी फंस जाती है। हालात ऐसे होते हैं कि दोनों अपना शहर छोड़कर समंदर किनारे एक छोटे से घर में जाकर रहने लगते हैं। वहां कुछ ऐसे लोगों से मुलाकात होती है जिससे जानकी को लगता है कि बाहर के खतरों से निपटने के लिए शुरुआत अंदर से ही करनी होगी। वो अपने भीतर के डर से लड़ती है और मुकाबला करती है और जीत जाती है। और जिस दिन वो अपने भीतर के डर पर विजय पाती है उसी दिन उन्नी के साथ अपने शहर लौटती है और जिन लोगों से नजर मिलते ही वो डर जाती थी वो उसके आत्मविश्वास को देखकर सरेंडर कर देते हैं। फुर्सत निकालकर आप ये फिल्म देख सकते हैं।
Disney+ Hotstar

फेसबुक पर अचानक फिल्म 96 की ये तस्वीर दिख गई। तमिल में बनी इस फिल्म में हर हाथ में सेलफोन के दौर से ठीक पहले की प्रेम कह...
25/01/2024

फेसबुक पर अचानक फिल्म 96 की ये तस्वीर दिख गई। तमिल में बनी इस फिल्म में हर हाथ में सेलफोन के दौर से ठीक पहले की प्रेम कहानी दिखाई गई है। व्हाटस पर हार्ट इमोजी भेजने वाली जेनरेशन को शायद इस फिल्म में दिखाई गई भावनाओं की तीव्रता न महसूस हो लेकिन उस दौर के स्कूल और कॉलेज को समझने वाले निश्चित तौर पर कई दशक पुरानी अपनी स्कूल और कॉलेज लाइफ को जी आएंगे। अपने क्रश के रिक्शे के पीछे साइकल चलाते हुए जाना और बस सिर्फ अपनी नजरों से उसे उसके घर में प्रवेश कराकर चुपचाप लौट आना उस दौर की आशिकी का अहम अध्याय हुआ करता था।
फिल्म की कहानी उसी दौर की है जब जानकी (जानू- त्रिशा) और राम (रामचंद्र्न- विजय सेतुपथि) एक ही स्कूल में पढ़ा करते हैं। दोनों में किशोर वय के अनुकूल प्रेम है और उसकी अभिव्यक्ति सिर्फ इतनी है कि दोनों को पता है दोनों एक दूसरे को प्यार करते हैं। लेकिन इससे पहले कि दोनों अपनी बात कह पाते दोनों की जुदाई हो जाती है। और फिर उनकी मुलाकात होती है स्कूल छोड़ने के 22 साल बाद 2018 मे (फिल्म 2018 में ही रिलीज हुई थी) स्कूल के रियूनियन में। जानू हर उस मोड़ की कहानी बयां करती है जहां उसे राम का इंतजार था लेकिन उसकी शिकायत होती है कि वो क्यों नहीं आया। राम बताता है कि वो उसकी हर राह का गवाह रहा बस सामने जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाया यहां तक कि जानू की शादी के दिन भी वो भीड़ का हिस्सा बनकर किसी कोने से उसे शादी के हर फेरे पर खुद से दूर जाते हुए देखता रहा। इसके बाद जानकी का अफसोस आपको हिलाकर रख देगा। यहां से हर फ्रेम उस दर्द के भार से धीरे धीरे आगे बढ़ता है। शायद फिल्म के डायरेक्टर की मंशा है कि आप दर्द को देखें समझें और जिएं। फिल्म का क्लाइमेक्स आपको उस दर्द को लेकर जाने के लिए मजबूर कर देता है। फिल्म के पात्र राम और जानकी मिलते हैं लेकिन मिल नहीं पाते हैं। जैसे कि राम और सीता। फिल्म के डायरेक्टर सी प्रेम कुमार की ये पहली फिल्म है और उन्होंने कल्ट मूवी बना डाली है। फिल्म के बारे में बहुत कुछ लिखा जा सकता है। आप फिल्म देखिए और अपना रिएक्शन दीजिए।

03/03/2023

ट्विटर पर आज राहुल गांधी ट्रेंड कर रहे हैं। वजह है कैम्ब्रिज में उनका एक घंटे का भाषण। इसमें उन्होंने अमेरिका, चीन की बात की और लोकतंत्र की बात की। उन्होंने बताया कि भारत में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लोकतंत्र पर हमले हो रहे हैं। इसी पर जुड़िए लाइव बातचीत के लिए शाम पांच बजे फेसबुक लाइव में ...

Address


Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Abhay Upadhyay posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Contact The Business

Send a message to Abhay Upadhyay:

Videos

Shortcuts

  • Address
  • Alerts
  • Contact The Business
  • Videos
  • Claim ownership or report listing
  • Want your business to be the top-listed Media Company?

Share