17/03/2023
1883 में दाग़ दहलवी जब पटना आए तो गर्मी बहुत थी। तंग आ कर ये शेर उन्होंने लिखा:
क्या क़यामत थी शहर की गर्मी
काश गंगा में डूबती गर्मी
फिर बारिश के इंतेज़ार में ये शेर लिखा:
कोई छींटा पड़े तो दाग़ कलकत्ता चले जाएं
अज़ीमाबाद में हम मुंतज़िर सावन के बैठे हैं।
1883 में दाग़ दहलवी जब पटना आए तो गर्मी बहुत थी। तंग आ कर ये शेर उन्होंने लिखा:क्या क़यामत थी शहर की गर्मीकाश गंगा में ड...