3 बहनो की लालची भाभी _ Kahaniya in Hindi _ Stories _ Hindi Stories
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चौरासी मंदिर भरमौर||मरनें के बाद जहाँ आत्मा को जाना ही पड़ता हैं||भरमौर चौरासी||रावण का अधुरा सपना||
चौरासी मंदिर भरमौर {Chaurasi Temple Bharmour}
भगवान शिव की कथा- लोककथाओं के अनुसार, एक समय था जब भरमौर को ब्रह्मपुरा के नाम से जाना जाता था और देवी ब्राह्मणी देवी का निवास स्थान के तौर पर जाना जाता था। किंवदंती के अनुसार, एक बार देवी किसी काम के चलते यहां से चली गई तभी भगवान शिव, आदियोगी ने अन्य 84 योगियों की टुकड़ी के साथ मणिमहेश कैलाश की ओर जा रहे थे। अपनी यात्रा के दौरान उनकी नजर इस स्थान पर पड़ी तो उन लोगों ने थोड़ा आराम करने का फैसला किया।
जब देवी वापस आईं, तो उन्होंने अपनी इच्छा के विरूद्ध अपने निवास स्थान पर इन संतों को देखकर काफी उग्र हो गई और गुस्से में सभी योगियों और सिद्धों को यह स्थान छोड़ने के लिए कहा। हालांकि भगवान शिव ने उनसे एक रात के लिए रहने के लिए देवी से अनुरोध किया और आश्वासन दिया कि वे सभी अगली सुबह चले जाएंगे। लेकिन किसी अज्ञात कारण से, भगवान शिव अगले दिन कैलाश क
राधा अष्टमी कैलाश 2022||त्रिलोचन महादेव रहस्य||Radha Ashtmi Kailash Manimahesh
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राधा अष्टमी कैलाश मणिमहेश 2022
भरमौर के एक छोर पर बसे इस गांव में समय के साथ काफी बदलाव आया है लेकिन गांव में बने लकड़ी तथा स्लेटयुक्त मकान आज भी अपनी प्राचीनता को उजागर करते हैं।
इस गांव को शिवजी के चेलों का गांव क्यों कहा जाता है, इसी के जवाब के लिए जब गांव का दौरा कर वहां के लोगों के साथ बातचीत की तो पता चला कि भरमौर अर्थात ब्रह्मपुर की स्थापना के दौरान ही संचुई गांव में कुछ लोगों का कुटुम्ब रहता था। एक दिन भगवान भोलेनाथ ने एक गद्दी का रूप धारण कर गांव में एक घर में आटा और नमक मांगा।
कहा जाता है कि भोलेनाथ जिस घर में आटा और नमक मांगने गए वास्तव में उस घर में नमक और आटा नहीं था। घर के अंदर से निकली एक बूढ़ी औरत ने गद्दी के भेष में आए भोले शंकर से कहा कि बाबा हमारे पास आटा और नमक नहीं है और आप किसी दूसरे घर से आटा-नमक मांग लो। यह सुनकर भोलेनाथ ने कह