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सोमनाथ मंदिर भारत के गुजरात राज्य में स्थित एक प्राचीन और पवित्र हिंदू मंदिर है, जिसे भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में...
05/01/2025

सोमनाथ मंदिर भारत के गुजरात राज्य में स्थित एक प्राचीन और पवित्र हिंदू मंदिर है, जिसे भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में पहला माना जाता है। इसकी स्थापना का उल्लेख पौराणिक कथाओं में चंद्रदेव द्वारा शिव की उपासना से जुड़ा है। इसे कई बार विदेशी आक्रमणकारियों, जैसे महमूद गजनवी ने लूटा और नष्ट किया। फिर भी, हर बार इसे पुनर्निर्मित किया गया, जो हिंदू संस्कृति और आस्था की शक्ति का प्रतीक है। वर्तमान मंदिर का निर्माण 1951 में सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रेरणा से हुआ। अरब सागर के किनारे स्थित यह मंदिर वास्तुकला और आध्यात्मिकता का अद्भुत संगम है।

04/01/2025

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03/01/2025

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01/01/2025

नव वर्ष की बहुत-बहुत बधाई
हर हर महादेव

शिव परिवार में भगवान शिव, माता पार्वती, उनके पुत्र गणेश और कार्तिकेय शामिल हैं। भगवान शिव को जगत के संहारक और माता पार्व...
16/12/2024

शिव परिवार में भगवान शिव, माता पार्वती, उनके पुत्र गणेश और कार्तिकेय शामिल हैं। भगवान शिव को जगत के संहारक और माता पार्वती को शक्ति का स्वरूप माना जाता है। गणेश, जिन्हें विघ्नहर्ता कहते हैं, का जन्म माता पार्वती के शरीर की मिट्टी से हुआ था। कार्तिकेय को युद्ध और वीरता का देवता माना जाता है। शिव परिवार आदर्श परिवार का प्रतीक है, जो प्रेम, समर्पण और एकता को दर्शाता है। उनके अलग-अलग व्यक्तित्वों के बावजूद, उनका परिवार सृष्टि की शक्ति और संतुलन का प्रतीक है। उनकी कहानियाँ हमें रिश्तों और जीवन के महत्व का पाठ सिखाती हैं।

15/12/2024

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आदियोगी, जिन्हें शिव के रूप में जाना जाता है, योग के प्रथम गुरु माने जाते हैं। उनकी कहानी प्राचीन काल से जुड़ी है, जब वे...
12/12/2024

आदियोगी, जिन्हें शिव के रूप में जाना जाता है, योग के प्रथम गुरु माने जाते हैं। उनकी कहानी प्राचीन काल से जुड़ी है, जब वे हिमालय में ध्यानमग्न होकर बैठे थे। उनके भीतर की अद्भुत ऊर्जा और शांति ने लोगों को आकर्षित किया। सप्तर्षियों ने उनसे ज्ञान प्राप्त करने की प्रार्थना की, तब शिव ने योग के सात पहलुओं को समझाया। उन्होंने योग को आत्मज्ञान और संतुलन का मार्ग बताया। आदियोगी ने मानवता को सिखाया कि अपने भीतर की संभावनाओं को जागृत कर जीवन को ऊंचाई पर कैसे ले जाया जा सकता है। वे योग और आध्यात्मिकता के स्रोत के रूप में पूजनीय हैं।

शिव और नंदी की कहानी में नंदी, भगवान शिव के परम भक्त और उनके वाहन हैं। एक पौराणिक कथा के अनुसार, नंदी ऋषि शिलाद के पुत्र...
09/12/2024

शिव और नंदी की कहानी में नंदी, भगवान शिव के परम भक्त और उनके वाहन हैं। एक पौराणिक कथा के अनुसार, नंदी ऋषि शिलाद के पुत्र थे, जिन्हें भगवान शिव से अमरता का वरदान मिला। नंदी ने कठोर तपस्या कर शिव को प्रसन्न किया और उनके गणों के प्रमुख बने। शिव ने उन्हें अपना वाहन और द्वारपाल नियुक्त किया। नंदी हमेशा शिव की पूजा में लीन रहते हैं और शिवभक्तों के संदेशवाहक भी हैं। यह कहानी शिव और नंदी के बीच अटूट भक्ति और विश्वास को दर्शाती है, जो गुरु और शिष्य के आदर्श संबंध का प्रतीक है।

शिव की लीला अनंत और अद्भुत है। वे सृष्टि के संहारक और रक्षक हैं, जिनकी हर क्रिया गूढ़ रहस्यों से भरी होती है। शिव ने काम...
08/12/2024

शिव की लीला अनंत और अद्भुत है। वे सृष्टि के संहारक और रक्षक हैं, जिनकी हर क्रिया गूढ़ रहस्यों से भरी होती है। शिव ने कामदेव को भस्म कर तपस्या की महिमा स्थापित की और विषपान कर सृष्टि को बचाया। गंगा को अपनी जटाओं में समेटकर उन्होंने पृथ्वी पर जीवन का आधार दिया। शिव का तांडव नृत्य सृष्टि के निर्माण और विनाश का प्रतीक है। भस्म-लेपित, सर्पों से विभूषित शिव अपने भक्तों पर असीम करुणा बरसाते हैं। कैलाश पर्वत पर ध्यानस्थ शिव संसार को योग और ध्यान का मार्ग दिखाते हैं। उनकी लीलाएँ जीवन का गहन सत्य और शांति का संदेश देती हैं।

शिव और नंदी की कहानी में नंदी, भगवान शिव के परम भक्त और उनके वाहन हैं। एक पौराणिक कथा के अनुसार, नंदी ऋषि शिलाद के पुत्र...
07/12/2024

शिव और नंदी की कहानी में नंदी, भगवान शिव के परम भक्त और उनके वाहन हैं। एक पौराणिक कथा के अनुसार, नंदी ऋषि शिलाद के पुत्र थे, जिन्हें भगवान शिव से अमरता का वरदान मिला। नंदी ने कठोर तपस्या कर शिव को प्रसन्न किया और उनके गणों के प्रमुख बने। शिव ने उन्हें अपना वाहन और द्वारपाल नियुक्त किया। नंदी हमेशा शिव की पूजा में लीन रहते हैं और शिवभक्तों के संदेशवाहक भी हैं। यह कहानी शिव और नंदी के बीच अटूट भक्ति और विश्वास को दर्शाती है, जो गुरु और शिष्य के आदर्श संबंध का प्रतीक है।

कथा के अनुसार, रावण ने अपनी शक्ति के घमंड में आकर कैलाश पर्वत को उठाने का प्रयास किया। महादेव ने उसे सबक सिखाने के लिए अ...
04/12/2024

कथा के अनुसार, रावण ने अपनी शक्ति के घमंड में आकर कैलाश पर्वत को उठाने का प्रयास किया। महादेव ने उसे सबक सिखाने के लिए अपने अंगूठे से पर्वत को दबा दिया, जिससे रावण पर्वत के नीचे फंस गया और तड़पने लगा। रावण ने अपने अहंकार का त्याग कर महादेव की स्तुति करते हुए शिव तांडव स्तोत्र की रचना की। महादेव ने उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर उसे मुक्त किया और समझाया कि अहंकार विनाश का कारण बनता है। इस प्रकार रावण ने महादेव से विनम्रता का पाठ सीखा।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान हलाहल नामक विष निकला, जो संसार को नष्ट कर सकता था। देवता और असुर घबराए और ...
03/12/2024

पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान हलाहल नामक विष निकला, जो संसार को नष्ट कर सकता था। देवता और असुर घबराए और भगवान शिव से सहायता मांगी। शिव ने संसार की रक्षा के लिए वह विष पी लिया। उन्होंने इसे अपने कंठ में ही रोक लिया, जिससे उनका कंठ नीला हो गया, और वे नीलकंठ कहलाए। विष के प्रभाव को संतुलित करने के लिए देवी पार्वती ने उनके गले पर हाथ रखा। यह शिव के त्याग और करुणा का प्रतीक है, जिसने पूरे संसार को विनाश से बचा लिया।

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01/12/2024
शिव पुराण हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जो भगवान शिव की महिमा और उनके विविध रूपों का वर्णन करता है। इसमें 12 संह...
01/12/2024

शिव पुराण हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जो भगवान शिव की महिमा और उनके विविध रूपों का वर्णन करता है। इसमें 12 संहिताएं और 24,000 श्लोक हैं। एक रोचक तथ्य यह है कि शिव पुराण में भगवान शिव को "आदि योगी" कहा गया है, जिन्होंने योग और ध्यान की शिक्षा दी। इस ग्रंथ में उनकी परिवारिक कथा, जैसे पार्वती विवाह, कार्तिकेय और गणेश की उत्पत्ति, और सृष्टि की रचना के रहस्य का वर्णन मिलता है। यह ग्रंथ भक्तों को ध्यान, भक्ति और शांति का संदेश देता है, और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग दिखाता है।

29/11/2024

यह प्रसंग शिव पुराण और अन्य पौराणिक कथाओं में मिलता है, जिसमें भगवान शिव और माता पार्वती के बीच एक कथा का वर्णन है। इसमे...
28/11/2024

यह प्रसंग शिव पुराण और अन्य पौराणिक कथाओं में मिलता है, जिसमें भगवान शिव और माता पार्वती के बीच एक कथा का वर्णन है। इसमें शिव माता पार्वती को ज्ञान की एक रहस्यमयी कथा सुनाते हैं, और यह कथा तोते (शुक) द्वारा सुन ली जाती है। इसका सार इस प्रकार है:

जब भगवान शिव माता पार्वती को मोक्ष, सृष्टि और ब्रह्मांड के रहस्यों की कथा सुनाते थे, उस समय पार्वती माता बीच में ही सो गईं। हालांकि, शिव इस बात से अनजान थे और कथा सुनाते रहे। वहीं पास में एक तोता बैठा था, जिसने पूरी कथा को सुन लिया।

कथा के अंत में, जब शिव ने पार्वती से पूछा कि वह कथा समझ पाईं या नहीं, तो उन्हें पता चला कि वह सो गई थीं। शिव को यह भी पता चला कि उनकी कथा को एक तोते ने सुन लिया। शिव ने उस तोते को पकड़ने का प्रयास किया, लेकिन वह तोता भाग गया और महर्षि व्यास के आश्रम में जाकर उनकी पत्नी (वट वृक्ष में निवास करने वाली) के गर्भ में प्रवेश कर गया।

उसी तोते ने बाद में महर्षि वेद व्यास के शिष्य के रूप में "शुकदेव" का जन्म लिया। शुकदेव जी वही ऋषि हैं जिन्होंने आगे चलकर राजा परीक्षित को श्रीमद्भागवत महापुराण सुनाया, जो आज भी भक्ति और ज्ञान का अद्भुत ग्रंथ है।

यह कथा सुनने और ज्ञान प्राप्त करने की महत्ता को दर्शाती है, और यह भी कि सच्चे जिज्ञासु के लिए ज्ञान किसी भी रूप में प्राप्त किया जा सकता है।

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