Charanatva patrika

Charanatva patrika चारणत्व पत्रिका

13/06/2024

*राज्य लेखा सेवा के अधिकारी आदरणीय कुलदीप सा देवल, ठिकाना - बासनी दधवाङियान* को आपकी उत्कृष्ट कार्यशैली और लगन को देखते हुए धरोहर संरक्षण प्रोन्नति प्राधिकरण राजस्थान के जसजोग अध्यक्ष आदरणीय लखावत साब का निजी सचिव नियुक्त किए जाने पर अनंत शुभकामनाएं एवं बधाई।


28/05/2024
राजकोट गेमजोन हादसे में असमय काल कवलित हुए स्व. जिग्नेश भाई गढवी को ईश्वर मोक्ष प्रदान करे। परिजनों को इस गंभीर आघात को ...
28/05/2024

राजकोट गेमजोन हादसे में असमय काल कवलित हुए स्व. जिग्नेश भाई गढवी को ईश्वर मोक्ष प्रदान करे। परिजनों को इस गंभीर आघात को सहन करते की शक्ति दे।
ॐ शांति ॐ शांति ॐ शांति

28/05/2024

"પોલીસ પ્રજાનો મિત્ર" સૂત્રને સાર્થક કરતા કોન્સ્ટેબલ રઘુવીરદાન ગઢવી: છ માસની મૃતક પુત્રીનું કર્યું ચક્ષુદાન

28/05/2024

આઈ માં ના શબ્દો "સૌ ચારણો ભણે, ભણી ગણી ને ખૂબ આગળ વધે"

શ્રી સોનલ માં એજ્યુકેશન એન્ડ ચેરીટેબલ ટ્રસ્ટ - જામ ખંભાળીયા

સમાજનાં તેજસ્વી તારલાઓનું સન્માન સમારંભ

દેવભૂમિ દ્વારકા જિલ્લાના ગઢવી ચારણ સમાજના વિદ્યાર્થીઓ કે જેમને ધોરણ 10 અને 12 માં 70 PR અથવા તેનાથી વધુ હોય તેવા તમામ વિદ્યાર્થીઓને સન્માનિત કરી અને પ્રોત્સાહિત કરવા જઈ રહ્યા છીએ ત્યારે

-: નોંધ:-
(રજીસ્ટ્રેશન માટે 7818845678 / 9722076076) રજીસ્ટ્રેશનની અતિમ તારીખ:- 30-05-2024

ઈન્દુબેન ધીરુભાઈ મેમોરિયલ ટ્રસ્ટ

ધોરણ 10 અને 12 માં 80 PR થી વધારે ગુણ મેળવેલ વિદ્યાર્થીઓએ પોતાના ડોક્યુમેન્ટ વ્રજ હોસ્પિટલ ખાતે જમા કરાવેલ છે તે વિદ્યાર્થીઓને સ્કોલરશીપના ચેક સાથે આપી વિદ્યાર્થીઓના ઉત્સાહમાં અનેક ગણો વધારો કરવામાં આવશે. આ સાથે...

-: 'સમ્રાટ' સામત ગઢવી દ્વારા કારકિર્દી માર્ગદર્શન :-

ધોરણ 10 પછી શું? ધોરણ 12 પછી શું? કોલેજ પછી શું ? સરકારી નોકરીની તૈયારી કેવી રીતે કરવી ? આવા પ્રશ્નોની સચોટ માહિતી અને માર્ગદર્શન માટે સરસ કારકિર્દી માર્ગદર્શન કાર્યક્રમ રાખવામાં આવેલ છે

ધોરણ 8,9,10,11,12 અને કોલેજમાં અભ્યાસ કરતા તમામ વિદ્યાર્થીઓ અને તેમના માતાપિતાએ સમાજના આ શૈક્ષણિક કાર્યક્રમમાં જરૂર હાજરી આપવી જેથી યોગ્ય શિક્ષણ દ્વારા પોતાના બાળક અને સમાજનું ઉજ્જ્વળ ભવિષ્ય બનાવી શકાય

-: કાર્યક્રમ:-
તારીખ:- 01-06-2024, શનિવાર...
સમય:- સાંજે 4 થી 7 વાગ્યા સુધી
સ્થળ:- શ્રીસોનલ માતાજી મંદિર, ચારણ કુમાર છાત્રાલય - જામ ખંભાળીયા

✍️चारण शक्ति - 099130 83073

Congratulations
25/05/2024

Congratulations

24/05/2024
अमर बलिदानी कुंवर प्रताप सिंह बारहठ जयंती एवं बलिदान दिवस पर कोटि कोटि नमन! शत् शत् वंदन! भारत के शीर्ष क्रांतिकारियों म...
24/05/2024

अमर बलिदानी कुंवर प्रताप सिंह बारहठ जयंती एवं बलिदान दिवस पर कोटि कोटि नमन! शत् शत् वंदन!

भारत के शीर्ष क्रांतिकारियों में महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले बारहठ परिवार की तस्वीर को शाहपुरा कलेक्टरी गैलरी में स्थापित किया। हमारे संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारी एवं अमर शहीद कुंवर प्रताप सिंह बारहठ सेवा संस्थान शाहपुरा के सचिव
आदरणीय श्री कैलाश सिंह जी जाडावत के एक दशक से अधिक समय के अनथक प्रयासों से देश में कई जगहों पर वर्ष दर वर्ष हमारे महानायकों पर कार्य हुआ, इनके स्मारक स्थल बने कहीं जगहों मार्गों का नामकरण हुआ।
इसी क्रम में नव गठित जिला शाहपुरा में जिला कलेक्टर श्री राजेन्द्र सिंह शेखावत की भावना अनुरूप भीलवाड़ा शाहपुरा के समस्त क्रांतिकारी परिजनों के सानिध्य में उनके सम्मान के साथ बुद्ध पूर्णिमा (कुंवर प्रताप सिंह बारहठ पुण्यतिथि) पर सरकारी कार्यालय गैलरी कलेक्टरी में यह तस्वीर स्थापित हुई।
अखिल भारतीय चारण गढवी महासभा युवा की तरफ से इस अवसर पर कुंवर प्रताप सिंह जी बारहठ को श्रद्धासुमन अर्पित किए गए।

महेंद्र सिंह चारणत्त्व पत्रिका उदयपुर

20/05/2024
18/05/2024

*विप्लव के महान कवि- मनुज देपावत*
*18 मई 1952*
*पुण्यतिथि पर पुण्य स्मरण*

धोरां आळा देस जाग रै, ऊंठा आळा देस जाग।
छाती पर पैणां पड्या नाग रै, धोंरा आळा देस जाग।।

जैसी कालजई रचना करने वाले विप्लव के महान कवि मनुज देपावत का जन्म कार्तिक चतुर्दशी विक्रम संवत १९८४ ( इ.स. 1927) को बीकानेर जिले के देशनोक ग्राम में हुआ। इनका असली नाम मालदान देपावत था मगर ये मनुज देपावत के नाम से ही जाने जाते थे। मनुज एक प्रतिभा संपन्न छात्र होने के साथ काव्य रचना में पारंगत थे, जिससे प्रभावित होकर प्रसिद्ध नाट्य कलाकार पृथ्वीराज कपूर ने उनकी कविता के लिए बधाई दी। मेधावी मनुज देपावत के नाम से राजस्थानी भाषा के निबंधों में श्रेष्ठ रचनाओं के लिए अकादमी द्वारा पुरस्कार प्रदान किया जाता है।मात्र 25 बरस के जीवन काल में मनुज देपावत ने क्रांतिकारी गीतों का एसा सृजन किया कि वे क्रांति के अग्रदूत बन गए। उन्होंने सामंती व्यवस्था को अपनी कलम से चुनौती दी उन्होंने दोनों की जनता को जगाने का आव्हान किया।
आईए, एेसे महान कवि की पुण्यतिथि पर उन्हें नमन करें।

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#मनुज_देपावत #पुण्यतिथि #गढ़वी #चारण

17/05/2024

*चारण कुण ?*
*चारण री उत्पति कठे सु हुई ?*
*उणरो काम कई हो ?*
*उणरी ओळख कई है ?*

सगळा सवला रा जवाब देवती पोथी *"चारण परंपरा"* लेखक - अर्जुन देव जी चारण

JNVU जोधपुर के राजस्थानी भाषा विभाग के प्रमुख रहे डॉ अर्जुन देव जी चारण की नवीन पुस्तक *चारण परम्परा* चारण से संबंधित अनेकों प्रश्नों का उत्तर देने के साथ पाठकों की कई जिज्ञासाओं को शांत करती है। वर्तमान समय में यह पुस्तक निश्चित रूप से नई पीढ़ी के साथ हर वर्ग के पाठकों के लिए अत्यंत ज्ञानवर्धक साबित होगी। हम सभी को यह पुस्तक मंगवाकर पढ़नी चाहिए। उल्लेखनीय है कि वरिष्ठ साहित्यकार डॉ अर्जुन देव चारण की कई पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है आप राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के अध्यक्ष रह चुके हैं व वर्तमान में केंद्रीय साहित्य अकादमी के राजस्थानी भाषा परामर्श मंडल के संयोजक हैं।

✍️चारण शक्ति - 099130 83073

Ashish Deo Charan

17/05/2024

एक अनोखा गौरवमय महोत्सव

हमें आप सभी को यह बताते हुए अत्यंत हर्ष हो रहा है कि *चारणी (चारण) साहित्य के प्रखर विद्वान श्री यशवंतभाई लांबा (जांबूडा) और (UMA) यूनिवर्सल महेडू एलायन्स के अध्यक्ष श्री हरेश्वरसिंहजी मेहडू (देगाम) की अवधारना पर आधारित समस्त मेहडू परिवार आयोजित "चालकना महोत्सव", चारण महाशक्ति चालकनेची प्रागट्य भूमि चालकना*
तहसील:- सेड़वा, जिल्ला:- बाडमेर (राजस्थान) के पावन सानिध्य में दिनाक - 15/11/2024 के पवित्र दिवस चारण समाज के मेहडू और उससे जुड़ी तेरह गोत्र शाखाओं के सम्पूर्ण भारत में से एकत्रित की हुई वंशावली (पीढ़ीनामा) का पूजन और तेरह गोत्र के पीढी दर पीढी का ध्यान रखनेवाले रावलदेव (रावजी - बारोटजी) और चारण की 625 शाखाओं के पीढ़िगत प्रणाली को संजोए हुए रावलदेव और खेलने वाले रावलदेव के सम्मान में भव्य और दिव्य महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। जिसमे सम्पूर्ण भारतवर्ष के चारण समाज के गर्विष्ठ महानुभावों, शैक्षिक, सांस्कृतिक, राजकीय, सामाजिक, युद्ध में विरगती प्राप्त, इन विध विध क्षेत्रों में अपना गौरवपूर्ण प्रदान किया है, उन सभी महानुभावों को सम्मान सह आमंत्रित करके, गौरवपूर्ण रूप से सम्मानित करने का उपक्रम रखा गया है।

*इस "चालकना महोत्सव" में भारत या विश्व में कहीं भी चारण या गेर-चारण (चारणेतर) समाज के लोगों के द्वारा चारणी साहित्य में अपना योगदान दिया हो (जैसे की ऐम. ए. का डेझर्टेशन, ऐम. फिल., पिएच. डी., संशोधन प्रोजेक्ट किया हो या प्रगति पर हो) उन विद्वानो को "चालकना महोत्सव" में सम्मानित करने का उपक्रम रखा गया है ।*

आप सभी से नम्र निवेदन है कि यदि उपर निर्दिष्ट भारत अथवा विश्व में कहीं भी चारण या चारणेत्तर द्वारा चारणी साहित्य पर कोई खोज कार्य किया गया हो या प्रगति पर हो तो कृपिया यहां निर्दिष्ट संपूर्ण जानकारी व्हाट्सएप के माध्यम से भेजे।

(1) शोध कर्ता का पूरा नाम:-
(2) शोध कर्ता की थिसिस का विषय:-
(3) शोध कर्ता के मार्गदर्शक का पूरा नाम और मोबाइल नंबर:-
(4) विश्व विद्यालय का नाम जिसमें शोध कार्य किया गया हो या प्रगति पर हो:-
(5) शोध कार्य शुरू होने का और सम्पूर्ण होने का माह और वर्ष:-
(6) शोधकर्ता का पूरा पता और मोबाइल नंबर:-
(7) शोधकर्ता का पासपोर्ट साइज फोटो:-

उपरोक्त जानकारी "चालकना महोत्सव" के "चारणी साहित्य संशोधन समिति" के कन्वीनर डॉ. तीर्थंकरदान रतुदानजी रोहडिया को निम्न मोबाइल व्हाट्सएप नंबर पर यथाशीघ्र भेजने का आप सभी को नम्र अनुरोध है।

*आप सभी से विशेष अनुरोध है कि आप इस संदेश को आपके परिचय वाले सभी व्हाट्सएप गृप में भेजकर हमारे सहयोगी बने।*

*डॉ. तीर्थंकरदान रतुदानजी रोहडिया*
मोबाइल:- 8160627568
व्हाट्सएप:- 9428274055

✍️चारण शक्ति - 099130 83073

09/05/2024

जनकवि ऊमरदान जी लालस की जयंती पर शत् शत् नमन।

समाज की कुरीतियों व बुराईयों पर बेबाक रूप से आम जन को उद्वेलित करती काव्य रचना व लेखनी से कवि ऊमरदान ने आम जनमानस को उद्वेलित किया। आपकी रचनाएं सीधे बुराई की जड़ पर चोट करती है, आम जन कि बात को सरल रूप से व्यक्त करने पर आपको जनकवि कहा गया ।

राजस्थान के लोकप्रिय कविवरजी ऊमरदानजी का जन्म वि.स. 1908, वैशाख शुक्ल 2, शनिवार के दिन जोधपुर जिले की फलौदी तहसील के गाँव ढाढरवाळा में हुआ था। ये लाळस शाखा के चारण थे। इनके पिता का नाम बख्शीराम और पितामह का नाम मेघराज था। ऊमरदान के बड़े भाई का नाम नवलदान था और दो छोटे भाई थे – शोभादान और आईदान। इस समय तीन भाइयों के वंशज विद्यमान हैं, किन्तु ऊमरदानजी का वंश विनष्ट हो चुका है।

ऊमरदान के बचपन में ही उनके माता-पिता का स्वर्गवास हो गया था और बड़े भाई का स्नेह भी उन्हें नहीं मिला। उन्होंने स्वयं एक कवित्त में इस तथ्य को स्वीकार किया है, कि-

*बाल वय में ही पितु मात परलोक बसे,*
*भ्राता नवलेस भये हुवो खेल हासी को।*

गाँव में जमीन-जायदाद के झगड़ों से खिन्न होकर उन्होंने समीपवर्ती गाँव भेळू में रामस्नेही संत जीयारामजी की “झूंपड़ी” में रहना आरम्भ कर दिया था। वहाँ से रामस्नेही संतों के कंठीबंध शिष्य होकर जोधपुर आ गये और मोतीचौक स्थित रामद्वारा (खेड़ापा की शाखा) में रहने लगे। उन्होंने जोधपुर स्थित दरबार स्कूल में चौथी कक्षा तक ही शिक्षा प्राप्त की थी। इसके पश्चात् उन्होंने चारण-कुलोत्पन्न मनीषी कवि स्वामी गणेशपुरीजी (वि.सं. 1883 से 1966) के पास डिंगल और पिंगल की काव्य - शिक्षा ग्रहण की। तत्कालीन ‘दरबार स्कूल’ के शिक्षक पं. नर्बदाप्रसाद भार्गव (रेवाड़ी निवासी) से उन्होंने तरुण अवस्था में साधारण अंग्रेजी सीखी थी। जोधपुर के प. देवराजजी के पिताश्री से उन्होंने ज्योतिष और संस्कृत का सामान्य ज्ञान प्राप्त किया था। तरुणाई की अवस्था में उन्होंने एक ओर स्वामी दयानन्द सरस्वती के आर्यसमाज के वैदिक सिद्धान्तों के साथ पाखण्ड - खंडन के अकाट्‌य तर्क सुने, तो दूसरी ओर अनिच्छापूर्वक साधु बने कई लोगों को निकट से देखने का अवसर मिला, जो चादर की ओट के आदर पाने के साथ ही व्यभिचार-रत थे। ऊमरदानजी की प्रतिभा, कवित्व-शक्ति और वाक्पटुता से प्रभावित होकर कई लोगों ने उन्हें सामाजिक जीवन के साथ जुड़ने का आग्रह किया और वे स्वयं भी अंतर्द्वन्द्व की स्थिति से मुक्त होना चाहते थे; अत: उन्होंने 28 वर्ष की युवावस्था में साधुवेश को तिलांजलि दे दी। यह घटना वि.सं.1936, फाल्गुन मास की है। इसके बाद वे गृहस्थ बन गये और जोधपुर राज्य के घोड़ों के रसाले में नौकर हो गये थे।

यहाँ पर यह उल्लेख करना समीचीन होगा कि जोधपुर के इतिहासकार श्री जगदीशसिंह गहलोत ने सन् 1930 (वि.सं. 1987) में ‘ऊमरकाव्य’ की तृतीय आवृत्ति की भूमिका (पृ. 20) में यह स्पष्ट लिखा है कि ”संवत् 1936 में कुछ ज्ञान हुआ, तब वे साधुओं का संग छोड्‌कर गृहस्थी बने और उनके गुण-अवगुण भी जनता को बताने लगे।”

श्री सीतारामजी लालस द्वारा सम्पादित ‘राजस्थानी सबद कोस’ की भूमिका में इस तथ्य को भ्रामक रूप में उल्लिखित किया गया है, जो सम्भवत: कोश-कार्यालय के वेतनभोगी कर्मचारियों की जानी-अनजानी भूल से हुआ होगा। उसमें लिखा है-

”संवत् 1936 में जोधपुर में मोतीचौक रामद्वारा के साधु के शिष्य हो गये।
इस सम्बन्ध में निम्नलिखित दोहा प्रसिद्ध है-

*ऊमर सत उगणीस में, बरस छतीसै बीच।*
*फागण अथवा फरवरी, निरख्या सतगुरु नीच।।*

इस दोहे में सतगुरु के साथ नीच शब्द का प्रयोग महत्वपूर्ण है। ऐसा प्रतीत होता है कि यह दोहा ऊमरदानजी द्वारा बाद में लिखा गया होगा। ‘ऊमरकाव्य’ में भी यह दोहा ‘संत असंत सार’ के साथ ही लिखा हुआ है। संवत् 1940 में जब ऋषि दयानन्द मारवाड़ में आये तब उनसे प्रभावित होकर श्री ऊमरदान ने साधु सम्प्रदाय छोड़ दिया और गार्हस्थ्य जीवन प्रारम्भ कर दिया।” (राजस्थानी सबद कोस : प्रथम खण्ड : भूमिका : पृ. 181)

उपर्युक्त मत प्रामाणिक नहीं है, क्योंकि संवत् 1939 में तो ऊमरदानजी के प्रथम पुत्र अग्रदान का जन्म हो चुका था, जो 18 वर्ष की आयु में संवत् 1957 में चल बसा था। वास्तव में ऋषि दयानन्द सरस्वती के सम्पर्क में आने से चार वर्ष पूर्व ही संवत् 1936 में साधुवेश त्याग कर ऊमरदानजी गृहस्थ बन गये थे। जोधपुर के महाराजा जसवंतसिंहजी (द्वितीय) ने संवत् 1940 में दयानन्द सरस्वती को उदयपुर से जोधपुर लाने के लिए निमन्त्रण-पत्र सहित ऊमरदानजी को ही भेजा था।

*Continue - click here⤵️*
*कवी उमरदानजी लाळस का जीवन – परिचय - चारण शक्ति*
https://charanshakti.org/aalekh/oomardan-lalas/

✍️चारण शक्ति - 099130 83073

05/05/2024

भारत के तत्कालीन महामहिम राष्ट्रपति श्री वराहगिरी वेंकट गिरी जी के हाथों से पुत्र का मरणोपरांत वीर चक्र प्राप्त करती शहीद 2/Lt कुं देवपाल सिंह जी की माताजी श्रीमती प्रकाश कंवर।

*वीर देवपालसिंह देवल - चारण शक्ति*
https://charanshakti.org/charan-veer-saheed/devpalsingh-dewal/

पिछले दिनों बालोतरा में चारण बंधु के साथ बालोतरा में मारपीट हुई थी और आज फिर से जानलेवा हमला हुआ है। जो गंभीर रूप से घाय...
01/05/2024

पिछले दिनों बालोतरा में चारण बंधु के साथ बालोतरा में मारपीट हुई थी और आज फिर से जानलेवा हमला हुआ है। जो गंभीर रूप से घायल हो कर एम डी एम में भर्ती है। प्रताड़ित बंधु को न्याय दिलाने के लिए एवं इस प्रकरण में अपराधियों पर कठोर कार्रवाई करने के लिए राज्य मंत्री ओंकार सिंह लखावत साहब ने DG साहब से बात करके निस्पक्ष जांच कर कठोर कार्रवाई करने के लिए कहा है। समाज के सक्रिय बंधुओं व बहुत से लोगों के साथ शिव विधायक रवींद्र सिंह जी भाटी भी अस्पताल में हैं। जोधपुर और नजदीक के स्वजातीय सज्जन ज्यादा से ज्यादा संख्या में एम डी एम पहूंचकर उचित सहयोग करें।
🙏🏻

#बालोतरा_प्रकरण

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