17/01/2025
प्रकृति का शाश्वत नियम है रात के बाद दिन और दिन के बाद रात आने का । जब जब मानव अपने धर्म-कर्म मर्यादाओं से गिर जाता है तब तब कोई ना कोई प्रकाश की किरण ऊपर से नीचे उतरती है जो दिखा जाती है जीवन का यथार्थ मार्ग ।कोई ना कोई पैगंबर, महापुरुष अवतार या मसीहा अवलंबन दे जाता है समाज को और बदल जाती है समय चक्र की धारा।आज हम फिर से उसी जगह पर खड़े हैं। परिवर्तन की इस महा बेला में जब सृष्टि रचयिता निराकार परमपिता परमात्मा शिव स्वयं अवतरित होकर एक साधारण तन का आधार लेकर बदल रहे हैं सृष्टि की काया।अति की इति समीप है। धर्मग्लानि का समय और परमात्मा के अवतरण का काल यही है ।भगवान के यादगार महा वाक्य हैं - मैं साधारण तन में अवतरित होता हूं।दादा लेखराज का तन ही वह साधारण तन है जिसमे परमात्मा का अवतरण 1936 में हुआ जब उनकी आयु 60 वर्ष थी। आपको अलौकिक नाम मिला -प्रजापिता ब्रह्मा। गायन है प्रजापिता ब्रह्मा ही आदि देव है, बड़ी मां है, प्रथम ब्राह्मण और प्रथम पुरुष है, नई सृष्टि की पहली कलम है।
ऐसे महान पुरुष की 65वीं पुण्यतिथि विश्व शांति दिवस के रूप में मनाने जा रहा है प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय, शाखा टोहाना जिसके अंतर्गत तीन दिन से सुबह 4:30 से 6:30 तक योग तपस्या का कार्यक्रम चल रहा है और दिनांक 18 जनवरी को भी सुबह 5 से 8 भोग का कार्यक्रम रहेगा ।तत्पश्चात 9:00 से लेकर 12:00 तक और सायं फिर से 5 से लेकर 8:00 बजे तक निरंतर योग तपस्या चलती रहेगी जिसमें आप सभी शहर वासी सादर आमंत्रित हैं ।महिलाओं को समाज में उचित मान दिए जाने, उन्हें उचित अधिकार मिलने और उनकी जागृति के लिए संगठन बनाने की ओर प्रजापिता ब्रह्मा बाबा ने जो कदम लिए वह अपनी प्रकार से अनूठे थे, वैसे कदम उससे पहले किसी ने नहीं उठाए थे।बाबा ही सबसे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने अपना सर्वस्व कन्याओं माता का एक ट्रस्ट बनाकर उनको समर्पित कर दिया ऐसी महान हस्ती को उनकी पुण्यतिथि पर शत-शत नमन।