Beauty Of Uttrakhand

Beauty Of Uttrakhand all pahadi pls support

14/03/2023

Beauty of uttrakhand

13/01/2023

Joshimath vikas ke name pe beth Chad gaya kay ham uttrakhandi log vikas ke name pe Bali ke bhet Chad rahe hai

Pahadi bhai log support kare
13/01/2023

Pahadi bhai log support kare

11/01/2023

महाभारत के युद्ध से पूर्व और युद्ध समाप्त होने के बाद भी पांडवों ने गढ़वाल में लंबा समय
व्यतीत किया। यहीं लाखामंडल में दुर्योधन ने पांडवों को उनकी माता कुंती समेत जिंदा
जलाने के लिए लाक्षागृह का निर्माण कराया था। महाभारत के युद्ध के बाद कुल हत्या, गोत्र
के
हत्या व ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए भगवान नारायण ने पांडवों को शिव की
शरण में केदारभूमि जाने की सलाह दी थी। यही कारण है कि आज भी उत्तराखंड में
सर्दियों में पाण्डव नृत्य का आयोजन होता है। जो लगभग 1 माह से अधिक चलता है। और
आखिर पाण्डव नृत्य के आयोजन के आखिरी में वो घड़ी आ जाती है जब पांडव अपने
बाणों को गाँववालों को सौंपकर स्वर्गारोहिणी की यात्रा पर निकल पड़ते हैं यही क्षण वह
भावुक क्षण होते हैं जब प्रत्येक गांव वालों की आंखों में आंसू होते हैं, धन्य है उत्तराखंड के
लोग और यहां की संस्कृति और लोककला, और लोकगीतकलकार।

09/01/2023

Dekha laparwahi ka natija

05/12/2022

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02/12/2022

bachapan ki kuch yaad aaya

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