18/11/2024
श्री भैरव जी का जन्मोत्सव 23 नवंबर शनिवार को
प्राचीन शिव मंदिर बिश्नाह से महामंडलेश्वर अनूप गिरि महाराज ने बताया कि इस वर्ष श्री भैरव जी का जन्मोत्सव है 23 नवंबर शनिवार को मनाया जाएगा। मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भैरव जी का जन्म हुआ था। इसे काल भैरव अष्टमी, कालाष्टमी, तथा भैरव जयंती भी कहा जाता है। इस दिन भगवान शिव के प्रतीकात्मक एवं चमत्कारी स्वरूप महाकाल भैरव की पूजा, जप व संकीर्तन करने का विशेष माहात्म्य कहा गया है। इस दिन उपवास करके रात्रि में जागरण करने से पाप क्षीण होते हैं और व्रती कल्याण प्राप्त करता है। भैरव जी के जन्मोत्सव के दिन व्रत रखकर भैरव जी का पूजन करें इनकी सवारी कुत्ते का भी पूजन करें। रात्रि जागरण कर शिव पार्वती की कथा सुनें।भैरव जी का मुख्य हथियार दंड है इसलिए इन्हें दंडपति भी कहते हैं। भगवान शिव के दो रूप हैं भैरव तथा विश्वनाथ। भैरव जी का दिन रविवार और मंगलवार माना जाता है। इस दिन इनका पूजन करने से भूत प्रेत बाधायें समाप्त हो जाती हैं।
भैरव जी की पूजा विधि:- प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनकर भैरव जी के मंदिर जायें। भैरव जी को स्नान कराकर काले वस्त्र धारण करायें। माला पहनायें फूल अर्पित करें, तिलक लगाएं, फल प्रसाद चढ़ायें। भैरव जी के प्रसाद के बारे में ज्यादा सोचना नहीं चाहिए। भैरव जी को सब पसंद है समोसे, जलेबी, पकौड़े, चॉकलेट, सभी तरह की मिठाई, नमकीन आदि। शराब इन्हें विशेष रूप से पसंद है। भैरव जी के जन्मोत्सव के दिन गरीब, असहाय लोगों की मदद अवश्य करें उन्हें भोजन, दक्षिणा, गर्म वस्त्र, कम्बल आदि भेंट करें। इस दिन कुत्ते को न मारें, कुत्ते को भोजन दें।
काशी के कोतवाल:- काशी भगवान शिव की प्रिय नगरी है। भगवान शिव ने भैरव को काशी का कोतवाल नियुक्त किया है। यहां भैरव मंदिर में भैरव कंठी मिलती है जिसको धारण करने से व्यक्ति पूर्णतः सुरक्षित रहता है उसे शत्रु बाधा, ऊपरी समस्याएं नहीं होती हैं। शत्रुओं पर विजय मिलती है। अदालत में जीत होती है, सरकारी काम समय पर होते हैं।
महाकाल भैरव:- राजा महाकाल की नगरी उज्जैन में भैरव जी का जाग्रत स्वरूप है। यहां भैरव जी शराब पीते हैं। प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु अपने हाथों से भैरव जी को शराब पिलाते हैं। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार यहां जो भी भक्त भैरव जी को शराब पिलाता है, भैरव जी उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
पशुपतिनाथ मंदिर (नेपाल):- पशुपतिनाथ मंदिर नेपाल में भैरव जी का उन्मुक्त स्वरूप है। यहां पूजन करने से निःसंतान व्यक्ति को भी संतान की प्राप्ति होती है।
विशेष:- असम में ब्रह्मपुत्र नद में टापू के अंदर उमानंद भैरव जी का मन्दिर है जो कि कामाख्या माता के भैरव हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि भारत में सभी प्रसिद्ध तीर्थों में भैरव जी के मन्दिर हैं। सभी मंदिरों की अपनी विशेषतायें हैं अपनी कथायें हैं अपनी मान्यताएं हैं। जिनकी विधिवत पूजा उपासना करने से मनचाहा वरदान मिलता है।