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16/12/2024

ससुर ने बहु के साथ बंद कमरे में नं"गा कर मनवाता को किया शर्म_सार😱

15/12/2024

छिनारपन से सीवान का लड़का हुआ हिट मनी मेराज भी फेल इसके आगे😱 #

भगवान श्रीराम और भगवान शंकर की अद्भुत कथाएक दिन, भगवान श्रीराम ने अपने पितरों का श्राद्ध करने के लिए ब्राह्मण-भोजन का आय...
14/12/2024

भगवान श्रीराम और भगवान शंकर की अद्भुत कथा

एक दिन, भगवान श्रीराम ने अपने पितरों का श्राद्ध करने के लिए ब्राह्मण-भोजन का आयोजन किया। इस आयोजन में दूर-दूर से ब्राह्मणों की टोलियां आईं। भगवान शंकर ने भी एक वृद्ध ब्राह्मण का रूप धरकर इस आयोजन में शामिल हुए।

भगवान श्रीराम ने स्वयं उस वृद्ध ब्राह्मण के चरणों को धोया और आसन पर बिठाकर भोजन-सामग्री परोसना शुरु कर दिया। भगवान शंकर ने एक ही ग्रास में सारा भोजन खत्म कर दिया, लेकिन उनकी पत्तल पर कोई सामान बचता ही नहीं था।

माता अन्नपूर्णा ने जब अपने हाथ में भोजन पात्र लिया तो उसमें भोजन अक्षय हो गया। मां अन्नपूर्णा ने स्वयं भगवान विश्वनाथ को भोजन कराना शुरु किया। भगवान विश्वनाथ खाते-खाते थक गए, लेकिन वह समाप्त ही नहीं होता था।

भगवान शंकर ने श्रीरामजी से कहा—"मुझे जरा उठाओ।" हनुमानजी अपने स्वामी का कार्य करने के लिए आगे बढ़े, लेकिन वे उन्हें उठा नहीं सके। श्रीरामजी ने लक्ष्मणजी से शंकरजी को उठाने के लिए कहा। लक्ष्मणजी ने शंकरजी को उठाकर एक पलंग पर लिटा दिया।

अब भगवान शंकर ने कहा—"मेरा मुख और हाथ धो दो।" माता सीता ने जैसे ही मुख धोने के लिए जल दिया, शंकरजी ने मुख में पानी भरकर माता सीता पर कुल्ला कर दिया। माता सीता क्रुद्ध होने के बजाय हाथ जोड़कर शंकरजी से बोली—"आपके उच्छिष्ट जल के मेरे ऊपर गिरने से मेरा शरीर पवित्र हो गया, मैं आपकी बहुत आभारी हूँ।"

अब भगवान शंकर ने श्रीराम को चरण दबाने की आज्ञा दी। श्रीराम और लक्ष्मण दोनों शंकरजी के चरण दबाने लगे और माता सीता पंखा झलने लगीं। प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने कहा—"मैंने तुम्हारी मर्यादा की परीक्षा ली जिसमें तुम सफल रहे। तुम्हारी जो इच्छा हो मुझसे मांग लो।"

श्रीराम ने कहा—"यद्यपि आपके पास जो चीजें हैं वे हमारे किसी काम की नहीं हैं, इसलिए आप अपने चरणों की भक्ति दें और मेरी सभा में कथा सुनाया करें।" तब से शंकरजी राम सभा के कथावाचक बन गए और पूर्व कल्पों की कथाएं सुनाया करते थे।



14/12/2024

देहाती भौजी का दर्द भरी दास्ताँ दुःख दर्द गरीबी लाया YouTube पर😱

संध्या    भगदड़ मामले में अभिनेता अल्लू अर्जुन गिरफ्तार
13/12/2024

संध्या भगदड़ मामले में अभिनेता अल्लू अर्जुन गिरफ्तार

जलेबी हिंदी शब्द नहीं, बल्कि यह एक अरबी शब्द है। इसका जिक्र मध्य कालानी पुस्तक "किताब-अल-तबीक" में मिलता है जलेबी का असल...
13/12/2024

जलेबी हिंदी शब्द नहीं, बल्कि यह एक अरबी शब्द है। इसका जिक्र मध्य कालानी पुस्तक "किताब-अल-तबीक" में मिलता है जलेबी का असली नाम "जलिबिया" है। भारतीय मूल में इसे लोग जल वल्लिका कहते थे। जल वल्लिका नाम इसके रस से परिपूर्ण और चाशनी में सराबोर होने की वजह से मिला था। हालांकि, बाद में इसका नाम जलेबी हो गया।

जलेबी की उत्पत्ति फारस (ईरान) से हुई है। इसे फारसी भाषा में जलिबिया कहा जाता है। मध्य पूर्व के दूसरे देशों में इस मिठाई को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। इतिहासकार मानते हैं कि फारसी व्यापारियों, कारीगरों और मध्य पूर्वी आक्रमणकारियों के माध्यम से जलेबी भारत पहुंची। यीस्ट से बनने वाली चीजों का अरब देशों से संबंध है और वहां से यह स्वादिष्ट मिठाई यूरोप, जर्मनी और उत्तरी अमेरिका तक फैल गई। भारत में मध्यकाल में जलेबी पहुंची।

13/12/2024

लड़के ने आनंद मोहन की आवाज़ में गाँव में सबको हसाकर किया लोट पोट🤣🤣

Pushpa 2 Worldwide collectionSacnilk.com के आंकड़ों के अनुसार, फिल्म छठे दिन दुनिया भर में ₹950 करोड़ के करीब है। यह फिल...
11/12/2024

Pushpa 2 Worldwide collection

Sacnilk.com के आंकड़ों के अनुसार, फिल्म छठे दिन दुनिया भर में ₹950 करोड़ के करीब है। यह फिल्म अब ₹1,000 करोड़ क्लब के करीब पहुंच रही है - कई बड़ी फ़िल्मों का रिकॉर्ड तोड़कर सबसे आगे.

11/12/2024

दुनिया की हर कोने मे भेजेगा अब Global Training Center😱

इस वायरल तस्वीर में लड़के की वेषभूषा देख कोई भी बता सकता है कि यह अहले दर्जे का छपरी, लुखा और टपोरी है।लड़की की सबसे बड़...
10/12/2024

इस वायरल तस्वीर में लड़के की वेषभूषा देख कोई भी बता सकता है कि यह अहले दर्जे का छपरी, लुखा और टपोरी है।

लड़की की सबसे बड़ी गलती है उसने ऐसे लूखे पर भरोसा किया। अपनी भूख मिटाने के लिए इस छपरी को चुना जो बिलकुल भरोसे लायक नहीं है।

यह उत्तरप्रदेश के एक गांव की सच्ची कहानी है। ये लोग कोई सेलिब्रेटी तो हैं नहीं लिहाजा यह कहानी किसी किताब, अखबार या न्यूज़ चैनल में आपको देखने को नहीं मिलेगा। लेकिन कहानी सच है जो गांव के लोगों के बीच आज भी एक सबक के तौर पर मौजूद है।

उस गांव और आस-पास के लोग अपनी बेटियों को इस कहानी का उदाहरण देते हैं ताकी कोई और बेटी ऐसी हरकत ना करे, नहीं तो प्रियंका (काल्पनिक नाम) जैसा हाल होगा जाएगा।

अब आपने यहां तक पढ़ लिया है तो आपके मन में सवाल होगा कौन है प्रियंका, क्या हुआ उसके साथ ?

तो कहानी यह है कि गड़ेरिया जाति की एक लड़की प्रियंका को स्कूल के अंतिम वर्ष में पासी जाति के लड़के राहुल (काल्पनिक नाम) से प्यार हो गया।

दोनों ने संबंध बनाए। एक नहीं कई बार बनाए। लेकिन प्रियंका के साथ बिताए गए पलों को राहुल अपने सभी दोस्तों को बताता था। हालांकि इस बात से प्रियंका अनजान थी।

राहुल ने प्रियांका के साथ बिताए गए अंतरंग पलों को मोबाइल में कैद कर लिया। वह अपने छपरी दोस्तों को अब प्रियंका के साथ बिताए गए अंतरंगता वाले वीडियो को दिखाने लगा।

देखो देखो... प्रियांका के साथ मैने कैसे किया। प्रियंका के अंगो को दिखा अपने छपरी दोस्तों में कमेंट करने लगा।

हालांकि प्रियंका को इसकी खबर जैसे लगी। उसने राहुल से सभी संबंध तो तोड़ लिए, लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी।

कुछ वर्ष बाद प्रियंका की शादी हो गयी। लेकिन बात यहीं खत्म नही हुई, असली कहानी तो अभी बाकी थी। गांव का अधेड़ उम्र का प्रधान जो पासी समुदाय से था उसने राहुल से वीडियो हासिल कर लिया था। जिसे दिखाकर उसने प्रियंका की माँ से कहा,
"प्रियंका को एक रात के लिए मेरे पास लाओ नहीं तो यह वीडियो उसके ससुराल वालो को दिखा दूंगा।"

कोई भी मां ऐसा कैसे कर सकती थी लिहाजा माँ ने इंकार कर दिया।

जिसपर हवस की आग में जलने वाले प्रधान ने वीडियो प्रियंका के ससुराल वालों को दिखा दिया। फिर क्या होता यह सब बताने की जरूरत नहीं है।

बस कुछ मजे के लिए प्रियंका ने अपनी जिंदगी बर्बाद कर ली। लेकिन यह खतरा सिर्फ कुआंरी लड़कियों को नहीं। यह खतरा समाज के हर तबके की महिलाओं को भी है।

अगर पति भी वीडियो बना रहा है तो महिलाओं को मना करना चाहिए, कुदा ना खास्ता कभी संबंध बिगड़े तो क्या पता पति भी ब्लैकमेल कर सकता है। या कभी मोबाईल से वीडियो लीक हो जाए। तो क्या होगा!

इस सच्ची घटना से सीख लेना चाहिए और लड़कियों को ऐसे छपरी लड़कों से सावधान रहना चाहिए। और कभी कुछ गलत करने का मन करे तो एक बार अपने मां बाप का खयाल जरूर कर लेना!

10/12/2024

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09/12/2024

देहाती भौजी का पति के साथ_ वो वाला वीडियो हुआ वायरल😱

क्या आपने कभी सोचा है कि एक ही घड़ी मुहूर्त में जन्म लेने पर भी सबके कर्म और भाग्य अलग-अलग क्यों होते है? इस प्रश्न का उ...
09/12/2024

क्या आपने कभी सोचा है कि एक ही घड़ी मुहूर्त में जन्म लेने पर भी सबके कर्म और भाग्य अलग-अलग क्यों होते है? इस प्रश्न का उत्तर आज के इस पोस्ट में हम आपको एक रोचक कहानी के माध्यम से बताएंगे.

एक बार एक राजा ने विद्वानों और ज्योतिषियों की सभा बुलाई.. जहां राजा ने उन लोगों के समक्ष एक प्रश्न रखा, राजा ने कहा “मेरी जन्म पत्रिका के अनुसार मेरा राजा बनने का योग था मैं राजा बना, किन्तु उसी घड़ी मुहूर्त में अनेक लोगों ने जन्म लिया होगा, जो राजा नहीं बन सके क्यों? इसका क्या कारण है?”

राजा के प्रश्न पर सभा में मौजूद सभी लोग स्तब्ध हो गए.. किसी के पास कोई जबाब नहीं था.. सवाल जायाज भी था... आखिर एक ही घड़ी मुहूर्त में जन्म लेने पर भी सबके भाग्य अलग अलग कैसे हो जाते हैं। सभी निरुत्तर थे... लेकिन तभी सभा में एक वृद्ध खड़े हुए और बोले “महाराज की जय हो.. महाराज आपके प्रश्नों का उत्तर यहां कोई नहीं दे सकता है, आपके प्रश्न का उत्तर यहां से कुछ दूर घने जंगल में एक महात्मा रहते हैं वह ही दे सकते हैं”...

राजा को उत्तर जानने की जिज्ञासा बढ़ने लगी और राजा ने निर्णय लिया कि वह जंगल में जाकर उस महात्मा से मिलेंगे... जब राजा उस महात्मा के पास पहुंचे तो उन्होंने देखा कि महात्मा आग के ढ़ेर के पास बैठ कर अंगार ताप रहे हैं... राजा ने महात्मा से प्रश्न पूछा, जिसपर महात्मा क्रोधित हो गए और बोले- “तेरे प्रश्न का उत्तर देने के लिए मेरे पास समय नहीं है मैं भूख से पीड़ित हूँ। तेरे प्रश्न का उत्तर यहां से कुछ दूर पहाड़ियों के बीच एक महात्मा हैं वे दे सकते हैं।”

राजा ने मन बना लिया था अपने प्रश्नों का उत्तर जान के ही दम लेंगे... राजा आगे अंधकार और पहाड़ी मार्ग पार कर बड़ी कठिनाइयों से दूसरे महात्मा के पास पहुंचें... जहां राजा ने देखा एक व्यक्ति अपना ही माँस चिमटे से नोच-नोच कर खा रहा था... इस दृश्य को देखकर राजा हक्का बक्का रह गया, दृश्य ही कुछ ऐसा था, खैर इससे पहले कि वह कुछ समझ पाते उस व्यक्ति ने राजा से कहा तु जिससे मिलने आया है वह मैं ही हूं... लेकिन इस वक्त मैं भूख से बेचैन हूँ... मैं तेरे प्रश्नों का उत्तर नहीं दे सकता...राजन तुम आगे पहाड़ियों के उस पार चले जाओ जहां एक आदिवासियों के गाँव में एक बालक जन्म लेने वाला है, लेकिन वह कुछ ही देर तक जिन्दा रहेगा, सूर्योदय से पहले वहाँ पहुँचो तुम्हारे प्रश्नों का उत्तर वह बालक ही दे सकता है....

यह सुनकर राजा सोचने लगा बड़ी अजब पहेली बन गया है मेरा प्रश्न, लेकिन समय कम था तो राजा ने उस लड़के पास जाकर देखना चाहा क्या होता है... रास्ता कठिन था... समय कम, राजा आगे बढ़ा और किसी तरह सुबह होने से पहले तक उस गाँव में पहुंचा, गाँव में पता किया और उस दंपति के घर पहुंचकर सारी बात बताई और बच्चे से मिलने की इच्छा जाहिर की... दम्पति ने राजा को ना कहना उचीत नहीं समझा और जैसे ही बच्चे का जन्म हुआ हुआ, उस दम्पत्ति ने बालक को राजा के सम्मुख उपस्थित किया...

राजा को देखते ही बालक ने हँसते हुए कहा राजन! मेरे पास भी समय नहीं है, किन्तु तुम्हारे प्रश्नों का उत्तर सुनो लो... और बालक ने कहा... तुम, मैं और दोनों महात्मा सात जन्म पहले चारों भाई व राजकुमार थे। एक बार शिकार खेलते-खेलते हम जंगल में भटक गए। तीन दिन तक भूखे प्यासे भटकते रहे। अचानक हम चारों भाइयों को आटे की एक पोटली मिली जैसे-तैसे हमने चार बाटी सेकीं और अपनी-अपनी बाटी लेकर खाने बैठे ही थे कि भूख प्यास से तड़पते हुए एक महात्मा आ गये। पहले वाले महात्मा जो तब हमारे भइया थे उन्होंने कहा – यह अंगार है लो खालो.. जिसे सुन निराश मन से उन्होंने दुसरे भाई से खाने को मांगा जिसपर उन्होंने भी यह कहते हुए मना कर दिया कि जाओं कुत्ता बिल्ली मार कर खाओ मैं नहीं दूंगा... फिर उन्होंने मेरी तरफ देखा जिसपर मैंने मना कर दिया..
राजा ने पुछा फिर क्या हुआ तब बालक बोला “अंतिम आशा लिये वो महात्मा, हे राजन! आपके पास भी आये, दया की याचना की, सुनते ही आपने उनकी दशा पर दया करते हुये ख़ुशी से अपनी बाटी में से आधी बाटी आदर सहित उन महात्मा को दे दी। बाटी पाकर महात्मा बड़े खुश हुए और जाते हुए बोले “तुम्हारा भविष्य तुम्हारे कर्म और व्यवहार से फलेगा।”

बालक ने कहा “इस प्रकार हे राजन! उस घटना के आधार पर हम अपना भोग, भोग रहे हैं। धरती पर एक समय में अनेकों फूल खिलते हैं किन्तु सबके फल रूप, गुण,आकार-प्रकार, स्वाद में भिन्न होते हैं।” इतना कहकर वह बालक मर गया।

राजा अपने महल में पहुंचा और माना कि शास्त्र भी तीन प्रकार के हैं-ज्योतिष शास्त्र, कर्तव्य शास्त्र और व्यवहार शास्त्र। एक ही मुहूर्त में अनेकों जातक जन्मते हैं किन्तु सब अपना किया-दिया-लिया ही पाते हैं। जैसा भोग भोगना होगा वैसे ही योग बनेंगे। जैसा योग होगा वैसा ही भोग भोगना पड़ेगा यही है जीवन।

इस पोस्ट से आपको भी प्रश्नों का उत्तर मिला हो तो एक लाईक और शेयर जरूर कर दीजिएगा आपको भी पुण्य की प्रप्ति होगी... बहुत बहुत धन्यावाद

861 साल पुरानी ऐतिहासिक फ्रांस की राजधानी पेरिस का विश्‍व प्रसिद्ध  𝐍𝐨𝐭𝐫𝐞-𝐃𝐚𝐦𝐞 गिरजाघर को लगभग 5 वर्ष के बाद फिर से खोला...
08/12/2024

861 साल पुरानी ऐतिहासिक फ्रांस की राजधानी पेरिस का विश्‍व प्रसिद्ध 𝐍𝐨𝐭𝐫𝐞-𝐃𝐚𝐦𝐞 गिरजाघर को लगभग 5 वर्ष के बाद फिर से खोला गया! 15 अप्रैल 2019 को इसमें भयानक आग लग जाने से 𝐍𝐨𝐭𝐫𝐞-𝐃𝐚𝐦𝐞 पूरी तरह जल गया था।
जिसे फिर से पूरी तरह खड़ा करने में पांच साल लग गया।

इस मौके पर अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की भी साथ दिखे। #𝐍𝐨𝐭𝐫𝐞-𝐃𝐚𝐦𝐞

08/12/2024

तकलीफ ताकत की आजमाइश हैं सपोर्ट के बिना गाँव के लड़के अधूरे है😱

07/12/2024

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