19/08/2023
*हरियाणवी देहाती तीज त्यौहार*
*कोथली सामण की आया करती....अब सब कुछ बदल गया है...प्यार के त्यौहार बाजारवाद में बदल गए*
*हरियाली तीज...कोथली सामण की...खत्म होती परम्परा*
*बूड्ढी बैट्ठी घर के बाहरणअ, एक छोरी पतासे बाट्टण आई*
*करले दादी मुह नैं मिट्ठा मेरी मां की कोथली आई*
*बूड्ढी बोल्ली के खाउं बेट्टा, घर की बणी या चीज कोन्या*
*सारे त्योहार बाजारु होगे ईब पहले आली तीज कोन्या*
*कोथली तो वा होवै थी जो म्हारे टैम पै आया करती*
*सारी चीज बणा कै ,घरनै मेरी मां भिजवाया करती*
*पांच सात सेर कोथली मअ, गुड़ की बणी सुहाली हो थी*
*गैल्या खांड के खुरमें हों थे ,मट्ठी भी घर आली हो थी*
*सेर दो सेर जोवे हों थे, जो बैठ दोफारे तोड्या करती*
*पांच सात होती तीळ कोथली मअ,जो बेटी खातर जोड़्या करती...*
*एक बढिया तीअल सासू की, सूट ननद का आया करता*
*मां बांध्या करती कोथली मेरा भाई ले कै आया करता*
*हम ननद भाभी झूल्या करती ,झूल घाल कअ साम्मण की*
*घोट्या आली उड़ै चुंदड़ी, लहर उठै थी दाम्मण की...*
*डोलै डोलै आवै था भाई देख कै भाज्जी जाया करती*
*बोझ होवै था कोथली मअ, छोटी ननदी लिवाया करती*
*बैठ साळ मैं सासू मेरी, कोथली नैं खोल्या करती*
*बोझ कितना सै कोथली मअ,आंख्या ए आंख्या मअ तोल्या करती...*
*फेर पीहर की बणी वे सुहाली सारी गाल मैं बाट्या करती*
*सारी राज्जी होकै खावै थी ,कोए भी ना नाट्या करती*
*कोथली तो ईब भी आवै सै गैल्या घेवर और मिठाई*
*पर मां के हाथ की कोथली सी मिठास बेबे कितै ना पाई....*
*इतना कहते ही ..बुढिया के आंखों में पानी आ गया... पुराने टाइम आल्या टाइम पता नही फेर कद आवैगा...*