Bheru Bhati

Bheru Bhati Supporters of Mission Bahujan Movement
Madhya Pradesh. Jai Bhim Namo Buddhay

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राजनीति मे हिस्सा ना लेने का सबसे बड़ा दंड ये है कि, अयोग्य व्यक्ति आप पर शासन करने लगता है।जय भीम नमो बुद्धाय
12/03/2022

राजनीति मे हिस्सा ना लेने का सबसे बड़ा दंड ये है कि, अयोग्य व्यक्ति आप पर शासन करने लगता है।
जय भीम नमो बुद्धाय

बाबा साहेब डॉ अंबेडकर का मिशन क्या है ???समझने के लिएपूरा पढ़ें...  #बाबा_साहब_का_मिशन~(1) बाबा साहब डॉक्टर अंबेडकर का प...
11/03/2022

बाबा साहेब डॉ अंबेडकर का मिशन क्या है ???
समझने के लिए
पूरा पढ़ें...

#बाबा_साहब_का_मिशन~
(1) बाबा साहब डॉक्टर अंबेडकर का पहला नारा- "जाति विहीन और वर्ग विहीन समाज की स्थापना के बिना स्वराज जी का कोई औचित्य नहीं है"।
चूंकि हिंदू समाज में जातिवाद ब्राह्मणवाद के नाम पर विषमता है और आर्थिक स्तर पर समाज दो वर्गों में बंटा हुआ है एक और निपट गरीबी तो दूसरी ओर अथाह संपत्तिवान है अगर ये दोनों तरह की विषमता बनी रहेगी तो पिछड़े और अछूतों को स्वराज्य का कोई लाभ नहीं मिलेगा।
(2)बाबा साहब के द्वारा 25 दिसंबर 1927 को नासिक में महाड़ के चावदार तालाब के आंदोलन के उपलक्ष्य में आम सभा में एक घोषणा की गई थी कि भारत में सामाजिक क्रांति की अति आवश्यकता है जिसका मार्ग फ्रांस की 1779 की क्रांति की तरह समता, स्वतंत्रता और बंधुता होगी जिस पर मिशन चलेगा।

(3) दिनांक 12 एवं 13 फरवरी 1938 मनमाड जिला नासिक रेलवे के अछूत कामगारों के आंदोलन के अध्यक्षीय भाषण में बाबा साहब डॉक्टर अंबेडकर ने कहा था कि देश के दुश्मनों से तो लड़ना ही पड़ेगा- 1.ब्राह्मणवाद 2. पूंजीवाद।

ब्राह्मणवाद सामाजिक और आर्थिक विषमता है जो समता को नकारती है और लोकतंत्र में उसका कोई विश्वास नहीं होता।
पूंजीवाद का आधार ही शोषण और उत्पीड़न होता है जिसका साम्राज्य ही गरीबी और अमीरी के दर्शन पर चलता है समाजवादी इसका विकल्प है ।
(4) 4सितंबर 1943 अखिल भारतीय मजदूर संघ के समापन भाषण में बाबा साहेब डॉक्टर अंबेडकर ने कहा था कि संसदीय लोकतंत्र कोई आदर्श व्यवस्था नहीं है, क्योंकि लोकतंत्र की आकांक्षा, स्वतंत्रता, संपत्ति और खुशहाली से बहुजन वर्ग वंचित रहता है इसमें परंपरागत शासक वर्ग ही सत्ता पर काबिज रहता है वह शोषित नहीं रहना चाहता ।
जब तक शोषित वर्ग सत्ता पर काबिज़ नहीं होगा उसकी मुक्ति नहीं होगी ।
इसके लिए उसे कार्ल मार्क्स का कम्युनिस्ट घोषणापत्र पढ़ना चाहिए।

#बीबीसी_का_इंटरव्यू

12 मार्च 1956 को लंदन में बीबीसी ने एक सेमिनार का आयोजन किया था जिसमें बोलते हुए बाबा साहेब डॉक्टर अंबेडकर ने कहा था कि बुद्ध धम्म में भिक्खु संघ कम्युनिज्म का पूर्ण रूप से उत्तर है
अर्थात जो संघ के नियम है वह कम्युनिज्म की सारी शर्तों को पूरा करते हैं, संघ में व्यक्तिगत संपत्ति का निषेध है ईश्वर आत्मा दोनों स्वीकार नहीं है,
करुणा मैत्री और शांति संघ के मुख्य अंग हैं।
बाबा साहेब डॉक्टर अंबेडकर ने कहा कि बुद्ध को सही तरीके से समझा नहीं गया और ना ही इसे समझने के लिए मान्यवर कांशी राम ने कोई अभियान चलाया संविधान सभा के सदस्यों का चुनाव भारतीय समाज के उच्च वर्गों द्वारा किया गया था जिनका प्रतिशत 11.5 था, यह राजा, महाराजा, उद्योगपति, जमीदार तालुकदार, जागीरदार होते थे इसलिए यह संविधान भी इसी वर्ग चरित्र का है इसमें आम जनता, सीमांत किसान, मजदूर गरीब प्रतिनिधित्व नहीं था ।
इसलिए संविधान के मुख्य भाग में इसके लिए अनुच्छेद नहीं है आरक्षण के अलावा आम जनता को इसकी जानकारी नहीं है।
(6) संविधान निर्मात्री सभा में 296 चुने हुए सदस्य थे जिनके द्वारा संविधान का निर्माण हुआ आम जनता को इसकी जानकारी नहीं है।
(7) 17 दिसंबर 1946 को बाबा साहेब डॉ अंबेडकर ने जवाहरलाल नेहरू के उद्देश्य प्रस्ताव पर (जो बाद में प्रस्तावना बनी )
क्या कहा ???
उन्होंने कहा कि उद्देश्य प्रस्ताव पूर्ण रूप से निराशाजनक है बाबा साहेब को इस संविधान सभा के भाषण की अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति के लोगों को जानकारी नहीं है ।
8.सभा की संविधान सभा की चार मुख्य कमेटियां थी जो संविधान की धड़कन कहीं जा सकती हैं उनके अध्यक्ष पंडित जवाहरलाल नेहरू और सरदार पटेल ही थे डॉक्टर अंबेडकर का उनमें कोई योगदान नहीं था यह जनता को मालूम नहीं है ।
(9)भारतीय संविधान की रूपरेखा क्या होगी जनता के लिए मसौदा क्या-क्या होगा कैसा होगा इस पर सर बी एन राव से मसौदा पहले ही तैयार करा लिया गया था । जिसमें 243 धाराएं थी और 13 अनुसूचियां थी ।
यह भाभी संविधान का कच्चा मूलाधार था इसी मुख्य मसौदे को ड्राफ्ट कमेटी के अध्यक्ष बाबा साहेब डॉक्टर बी आर अंबेडकर को अक्टूबर 1947 के अंतिम सप्ताह में सौंपा गया था, इस पर काम करने के लिए।
आम जनता को मालूम नहीं कराया गया।

(10)उपरोक्त मसौदे के द्वारा जवाहरलाल नेहरू और सरदार पटेल इन दो ही संविधान सभा के सदस्यों ने संविधान के मूलभूत सिद्धांत लिए थे ऐसा संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद ने कहा था ।

(11) इन दो संविधान सभा के सदस्यों ने ऐसा संविधान गढ़ा जो केवल और केवल परंपरागत शासक और शोषक वर्ग के हित में है वंचित,गरीब, पिछड़ा और दलित वर्ग इस रहस्य से आज भी अनजान है कि वह संविधान की मुख्य धारा में नहीं है और उनके लिए यह संविधान नाम मात्र के लिए ही है।

(12)यह वैज्ञानिक सत्य है और इतिहास भी गवाह है कि पूंजी का स्वामित्व (व्यक्तिगत अधिकार? पैदा हुआ, फिर धर्म पैदा हुआ ये दोनों मिलकर शक्ति बने यह शक्ति जिसके पास रही वही शासक बना, इस शासक वर्ग ने संपत्ति और धर्म की सुरक्षा की ,
इसीलिए यह वर्ग शासक बना रहा, चाहे कभी राजतंत्र, सामंतवाद के नाम तो कभी लोकतंत्र के नाम पर परंपरागत शोषित वर्ग शोषित ही रहा ।
चाहे बोलो तंत्र ही क्यों न हो???
इसलिए भारत में 10% वर्ग ही आजादी के 70 साल के बाद भी 90 %लोगों पर शासन करता आ रहा है ।
सारी संपत्ति इन्हीं 10% लोगों के पास है इसलिए
संविधान में जातिवाद को नष्ट करने का कोई प्रावधान नहीं रखा गया ।
और न ही इसको नष्ट करने के लिए कोई अभियान चलाया गया ताकि जनता से जातिवाद में उलझी रहे और 10% शासक वर्ग सुरक्षित रहे ।
जनता को इसके लिए शिक्षित नहीं कराया गया जो बाबा साहब डॉक्टर अंबेडकर का मुख्य मिशन था ।

(13) 10% वर्ग को सुरक्षित रखने के लिए उनकी परंपरागत शोषण से अर्जित संपत्ति को संवैधानिक मूल अधिकार दे दिया गया और परंपरागत धर्म को पूर्ण आजादी के साथ मूल अधिकारों में रख दिया ।
इस प्रकार शक्ति और सत्ता पर निरंतर 10% लोगों का ही कब्जा चला आ रहा है। चाहे शासन और सत्ता का नाम कुछ भी हो शोषित जनता को इस की चेतना नहीं है।
(14) इसलिए बाबासाहेब डॉक्टर अंबेडकर मूल अधिकारों के विरोधी थे और खासकर अनुच्छेद 19 और 31 के। जबकि बाबासाहेब डॉक्टर अंबेडकर ने संविधान सभा में 25 नवंबर 1949 को अपना विरोध जताया था।
25 नवंबर 1949 को संविधान सभा में बाबासाहेब डॉक्टर अंबेडकर ने यह भी कहा था कि 26 जनवरी 1950 से (जब यह संविधान लागू होगा) हम विरोधाभासी जीवन जीना स्वीकार करेंगे ।
अभी संविधान में केवल राजनीतिक लोकतंत्र है अर्थात वोट के लिए हर व्यक्ति समान एक इकाई है, परंतु सामाजिक और आर्थिक स्तर पर लोकतंत्र नहीं होगा अर्थात विषमता का जीवन जीना स्वीकार करेंगे ।(जातिवाद भी बना रहेगा ) जातिवाद ही छुआछूत का आधार है वह भी बनी रहेगी गरीब गरीब रहेगा और अमीर अमीर बना रहेगा यही देखने को मिल रहा है आज भी।
बाबा साहब ने यह भी कहा कि संविधान के रास्ते से अतिशीघ्र इस विषमता को दूर कर लिया जाए अन्यथा जो वंचित रह जाएंगे वह लोकतंत्र को बर्बाद कर देंगे क्या किसी ने अब तक इस विषमता को दूर करने का कोई अभियान चलाया क्या जनता को बाबा साहेब के कथन की सही जानकारी दी गई या गुमराह किया गया है।
(15) बाबा साहब डॉक्टर अंबेडकर संविधान सभा में केवल मसौदा समिति ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष थे संविधान सभा के सदस्य जो अनुच्छेद पास करते थे बाबा साहब उनको लिखते थे यही था बाबा साहब का योगदान संविधान के निर्माण में ।
(16) चूंकि संविधान में सामाजिक और आर्थिक विषमता अतीत की परंपराओं के अनुसार जीवित रखी गई है इसलिए बाबा साहेब डॉक्टर अंबेडकर बहुत नाराज थे यही कारण था कि 2 सितंबर 1953 को राज्यसभा में आंध्र प्रदेश बिल की बहस के समय बाबासाहेब ने जो कहा था कि "यह संविधान मैंने नहीं बनाया जो संविधान सभा ने कहा वह मैंने लिखा अपने दिल के खिलाफ मैंने परंपराओं को स्वीकार किया अगर अवसर मिले तो इसे जलाने वाला पहला व्यक्ति में होऊंगा यह मुझे नहीं चाहिए यह किसी के काम का नहीं है "
क्या बाबा साहब के इस कथन से जनता को अवगत कराया गया या गुमराह किया गया और क्यों ???
(17) बाबा साहब डॉक्टर अंबेडकर का ऐसा मानना था कि संविधान सभा के लिए उनका चुना जाना संभव नहीं हो सकेगा इसलिए शेड्यूल कास्ट फेडरेशन की तरफ से संविधान सभा के अध्यक्ष को एक ज्ञापन भेजा था 15 मार्च 1947 को। यह ज्ञापन संविधान के मसौदे के रूप में था यह ज्ञापन रूपी मसौदे की मुख्य विशेषता थी इसका समाजवादी आर्थिक कार्यक्रम इसके अंतर्गत वित्तीय संसाधनों के राष्ट्रीयकरण की नीति थी जैसे बीमा बैंक उद्योग और कृषि भूमि इसका यह प्रभाव होता ना कोई गरीब होता ना कोई अमीर होता, ना कोई शोषित होता ना कोई शोषक, ना कोई भूमिहीन होता ना कोई भूमाफिया ।इससे दलित भी सामाजिक और आर्थिक और राजनीतिक स्तर पर सभी के समान होता सही मायने में सामाजिक न्याय होता परंतु दलितों को इसकी जानकारी ही नहीं थी क्योंकि इसके लिए कोई अभियान ही नहीं चलाया गया कि बाबासाहेब डॉक्टर अंबेडकर का यह मेमोरेंडम संविधान सभा ने स्वीकार नहीं किया ।

(18) 18 मार्च 1956 को बाबासाहेब डॉक्टर अंबेडकर द्वारा और अंतिम बार आगरा आए थे रामलीला मैदान की आमसभा में उनका भाषण हुआ था उनका यह भाषण ही निराशाओं से घिरा हुआ था क्योंकि न तो दलितों को आजादी के नाम पर व्यक्तिगत आजादी मिली और ना ही लोकतंत्र के नाम पर सामाजिक समानता प्राप्त हुई, और ना ही परंपरावादी जातिवाद से छुटकारा मिला और ना ही आर्थिक समानता के लिए संविधान में कोई प्रावधान है राज्य के नीति निदेशक सिद्धांत पूंजीवादी संसाधनों के अंतर्गत समाजवादी चेहरा दिखाने का एक उपक्रम किया गया यह नीति निदेशक सिद्धांत न्यायिक शक्तियों से वंचित है अर्थात संविधान की चौथे भाग में होते हुए भी संविधान की शक्तियों से मुक्त है और न्यायपालिका के द्वारा चुनौती से भी मुक्त है, बाबा साहेब डॉक्टर अंबेडकर राज्य के नीति निदेशक तत्व को संविधान के तीसरे भाग में लाना चाह रहे थे जो नहीं हो सका अंबेडकरवादी इस जानकारी से वंचित है।

इसलिए बाबासाहेब डॉक्टर आंबेडकर ने आगरा में कुछ संदेश दिए थे भविष्य के कार्यक्रम के लिए~

1,सामाजिक आर्थिक और शैक्षणिक विषमता को नष्ट करने के लिए लगातार संघर्ष करते रहे चाहे आपको अपना खून भी बहाना पड़े यह शब्दावली स्पष्ट करती है कि वह संविधान से कितने निराश थे।

2, न कभी अपनी झोपड़ी को नष्ट करें और ना सिद्धांतों को चाहे कोई कितना ही लालच क्यों न दे।

3,गरीबों पर अत्याचार इसलिए होते हैं कि उनके पास खेती के लिए भूमि नहीं है उनके पास भूमि अवश्य होनी चाहिए इसके लिए मैं प्रयास करूंगा।

4,छात्रों को पढ़ने के बाद समाज में जनचेतना फैलानी चाहिए।

5, बहुत मुश्किल से मैं इस कारवां को यहां तक लाया हूं अगर आप इसे आगे ना ले जा सको तो पीछे न जाने देना।

6,सरकारी कर्मचारियों को अपने वेतन का 20 वां हिस्सा समाज के लिए खर्च करना चाहिए।
7, मुझे अभी तक कोई ऐसा नौजवान नहीं मिला जो मेरे कारवां को आगे ले जाता आगरा में ही उन्होंने आवाहन किया था कि कोई नौजवान आगे आए और इस कार्य को आगे ले जाए ताकि वह शांति से दुनिया से जा सके।

(19) 14 अक्टूबर 1956 को बाबासाहेब ने 500000 लोगों के साथ बुद्ध धर्म ग्रहण किया था मान्यवर कांशी राम ने ना कभी बौद्ध धर्म ग्रहण किया ना कोई सतत कार्यक्रम चलाया।
(20)मान्यवर कांशी राम ने 6 दिसंबर 1973 को 15 अगस्त 1976 को बामसेफ नाम का संगठन दिल्ली में स्थापित किया जिसके अंतर्गत अनुसूचित जाति जनजाति पिछड़ा वर्ग एवं धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय के नौकरी पेशा लोगों को शामिल किया गया बामसेफ का आधार भी उपरोक्त समुदाय जातियों के लोगों को जोड़ना था उनका यह प्रयास बामसेफ के नाम से जातिवाद को प्रचारित करना रहा जबकि बाबासाहेब डॉक्टर आंबेडकर का लक्ष्य था जाति विहीन और वर्ग विहीन समाज की स्थापना करना।

पार्टी की स्थापना को जिसका डॉक्टर अंबेडकर की विचारधारा से कोई लेना-देना नहीं केवल उनके नाम को आगे रखा गया जबकि आरटीआई के नाम से एक राजनीतिक पार्टी जो बाबासाहेब के नाम से जानी जाती है पहले से ही स्थापित थी इसी पार्टी में मान्यवर कांशीराम शामिल क्यों नहीं हुए ??
जबकि यह पार्टी बाबा साहेब के मिशन का अंग थी।
बीएसपी ने असली ब्राह्मणवादी विचारधारा को प्रदर्शित करने के लिए एक बड़ा बम फोड़ा वह बम था समाजवादी पार्टी से नाता तोड़कर पिछड़ों और दलितों के बीच में एक बड़ी दरार पैदा कर दी बीजेपी के समर्थन में उत्तर प्रदेश में सरकार बनाना उनका कार्य बाबा साहेब डॉक्टर आंबेडकर के मिशन को आगे ले जाने वाला था या उन्हें चुनौती देने वाला ???
उसके बाद उत्तर प्रदेश में अलग-अलग जातियों के सम्मेलन कराएं उनकी शुरुआत ब्राह्मण सम्मेलन से हुई यह कौन सा रास्ता था बाबा साहब के मिशन को पूरा करने का ???
बाबा साहेब डॉक्टर अंबेडकर ने कहा था कि ब्राह्मणवाद और पूंजीवाद देश के दो दुश्मन है जिन से लड़ना ही पड़ेगा परंतु मान्यवर कांशीराम ने इन दोनों दुश्मनों को बीएसपी का दोस्त बनाकर पुरानी परंपराओं को मजबूत किया।
यह कौन सा रास्ता है बाबा साहब के मिशन को पूरा करने का???
बाबा साहेब डॉक्टर अंबेडकर सामूहिक खेती में विश्वास करते थे क्योंकि इससे उत्पादकता में बढ़ोतरी होती है परंतु बाबा साहेब के इस मिशन का कोई प्रचार-प्रसार नहीं किया गया बाबा साहेब मूर्तियों और मूर्ति पूजा के बड़े विरोधी थे परंतु बीएसपी ने मूर्तियां लगवाने का अभियान शुरू किया आप लोग स्वयं निर्णय करें कि बाबा तेरा मिशन अधूरा काशीराम करेंगे पूरा।
क्या कांसीराम का ???
सत्ता के लिए अंबेडकर के नाम पर केवल नारा ही था या इसके साथ-साथ बाबा साहेब की क्रांतिकारी विचारधारा को दफनाने के लिए उनके द्वारा राज्य समाजवाद के समाजवादी लोकतंत्र की स्थापना के सपने को चकनाचूर करना ???

बुद्धिजीवी लोग निष्पक्ष होकर इन तथ्यों की जांच करें चिंतन करें और हमें अपनी प्रतिक्रिया से अवगत कराएं

लेखक~
डॉ राजाराम साहेब

प्रस्तुति~
दिनेश सिंघ एलएल.एम
9977300997
नई दिल्ली

11/03/2022

जय भीम नमो बुद्धाय

10/03/2022
10/03/2022

Jai Bhim

आदी रोटी कम खाओ मगर अपने बच्चों को पढ़ाओ।जय भीम नमो बुद्धाय
10/03/2022

आदी रोटी कम खाओ मगर अपने बच्चों को पढ़ाओ।
जय भीम नमो बुद्धाय

जय भीम शब्द सुनकर दुश्मनों की छाती में जलन होने लगता है, जलनखोर इंसान नहीं हैवान है।जय भीम
08/03/2022

जय भीम शब्द सुनकर दुश्मनों की छाती में जलन होने लगता है, जलनखोर इंसान नहीं हैवान है।
जय भीम

Happy International Women's Day
08/03/2022

Happy International Women's Day

गंगाजल तो छोड़ो, हमें तो नदी, झील, तालाब, कुआं और अन्य सभी जल स्तोत्र से पानी तक नहीं पिने दिया।हम जो आज पानी पीते है वह...
07/03/2022

गंगाजल तो छोड़ो, हमें तो नदी, झील, तालाब, कुआं और अन्य सभी जल स्तोत्र से पानी तक नहीं पिने दिया।
हम जो आज पानी पीते है वह भी हमारे महापुरुष बाबासाहेब डॉ भीमराव आंबेडकर जी के संघर्ष की बदौलत।
बाबासाहेब के लिए तो एक लाइक, कमेंट और शेयर तो बनता है।
जय भीम

हम दुनिया में आए हैं ये हमारे मां-बाप की देन है,मगर आज हम जो असल जिंदगी जी रहे है ना वह सिर्फ और सिर्फ हमारे महापुरुषों ...
07/03/2022

हम दुनिया में आए हैं ये हमारे मां-बाप की देन है,
मगर आज हम जो असल जिंदगी जी रहे है ना वह सिर्फ और सिर्फ हमारे महापुरुषों की देन है।
जय भीम नमो बुद्धाय

मेरे फेसबुक पेज में आम्बेडकरवादी कहां-कहां से है?कृप्या करके टिप्पणी अवश्य कीजिए। #जयभीम
07/03/2022

मेरे फेसबुक पेज में आम्बेडकरवादी कहां-कहां से है?
कृप्या करके टिप्पणी अवश्य कीजिए।
#जयभीम

मेरे मसिहाजो मेरे दर्द रोया करता था!अपने आंसुओ में दिल भिगोयाकरता था!!जिसने गवाई अपनी औलादें!!वो मेरे सपनो को दिल में सं...
06/03/2022

मेरे मसिहा
जो मेरे दर्द रोया करता था!
अपने आंसुओ में दिल भिगोया
करता था!!
जिसने गवाई अपनी औलादें!!
वो मेरे सपनो को दिल में संजोया
करता था!!
जय भीम से बडा़ कोई सम्मान नहीं है!!
जो भीम का नहीं वो इंसान नहीं है!!
यू तो पूजते है लोग पत्थरों को मगर,
मेरे बाबासाहेब से बड़ा कोई
भगवान नहीं है!!
#जयभीम #नमोबुद्धाय
Bheru Boddha

------"बाबा साहब डॉ0 भीमराव आंबेडकर का दलित मूवमेंट"-----भारत लौटने के बाद अम्बेडकर जी ने सर्वप्रथम दलितों को सार्वजनिक ...
06/03/2022

------"बाबा साहब डॉ0 भीमराव आंबेडकर का दलित मूवमेंट"-----

भारत लौटने के बाद अम्बेडकर जी ने सर्वप्रथम दलितों को सार्वजनिक जलासय से पानी पीने के अधिकार के लिए आंदोलन किया...ये आंदोलन दुनियाँ का प्रथम ऐसा आंदोलन था जो पानी पीने के अधिकार के लिए था...

और छुआछूत व जातिवाद, जो कि किसी बीमारी से कम नहीं थी..ये देश को कई हिस्सों में तोड़ रही थी..जिस बीमारी को देश से निकालना बहुत जरुरी हो गया था, इसके खिलाफ डॉ0 अम्बेडकर जी ने मोर्चा छेड़ दिया..

डॉ0 अम्बेडकर जी ने कहा नीची जाति व जनजाति एवं दलितों के लिए देश में अलग से एक चुनाव प्रणाली होनी चाहिए...उन्हें भी पूरा हक मिलना चाहिए कि वे देश के चुनाव में हिस्सा ले सके....

अम्बेडकर जी ने इनके आरक्षण की भी बात सामने रखी...अम्बेडकर जी देश के कई हिस्सों में गए, वहां लोगों को समझाया कि जो पुरानी कुप्रथा प्रचलित है वो सामाजिक बुराई है उसे जड़ से उखाड़ कर फेंक देना चाहिए....

उन्होंने एक न्यूज़ पेपर ‘मूक्नायका’ (लीडर ऑफ़ साइलेंट) शुरू किया... एक बार एक रैली में उनके भाषण को सुनने के बाद कोल्हापुर के शासक शाहूकर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. इस बात का पुरे देश में बहुत हल्ला रहा, इस बात ने देश की राजनीती को एक नयी दिशा दे दी थी...

हिंदी की किसी फ़िल्म में ये सवाल नहीं पूछा गया कि - “महान लोगों के नाम पर सिर्फ़ गांधी और नेहरू क्यों दिखाए जाते हैं? आं...
06/03/2022

हिंदी की किसी फ़िल्म में ये सवाल नहीं पूछा गया कि - “महान लोगों के नाम पर सिर्फ़ गांधी और नेहरू क्यों दिखाए जाते हैं? आंबेडकर क्यों नहीं दिखाए जाते?”

पेरियार की धरती पर ही कुछ ज़रूरी सवाल पूछे जाते हैं और जवाब खोजे जाते हैं। शुक्रिया Suriya Sivakumar

किसी समाज या संगठन का पतन क्यों होता है? 1. जिस समाज के लोगों ने भ्रष्ट, अनैतिक (चरित्रहीन), बेईमान, दुश्मन को अपने बुद्...
06/03/2022

किसी समाज या संगठन का पतन क्यों होता है?

1. जिस समाज के लोगों ने भ्रष्ट, अनैतिक (चरित्रहीन), बेईमान, दुश्मन को अपने बुद्धि,
स्वतंत्रता और आत्म सम्मान बेचनेवाले, दुश्मन को सहयोग करनेवाले साधारण बुद्धि के नेता का नेतृत्व स्वीकार किया हो

2. जिस समाज के लोग, समाज को गुमराह करनेवाले ,धोखा देनेवाले और समाज को गुलाम बनानेवाले नेता कि झूठी, बुरी, अवैध, दिशाहीन नेतृत्व, नेता कि बाते मानते है.

3. जिस समाज के शिक्षित और बुद्धिमान लोग अपने तन (हार्ड काम ,mehnat), मन (इंटेलीजेंस buddhi) और धन ( पैसा) द्वारा अमानुषिकता (निर्दयता ,सामाजिक असमानता, अस्पृश्यता) और सामाजिक बुराई (अनैतिकता, जाति) को नष्ट करने की कोशिश नहीं करते है उस समाज का पतन होता है.

4. जिस समाज के बुद्धिमान लोग बेईमान, स्वार्थी (ख़ुदगर्ज़), अनैतिक, (चरित्रहीन) हो, उस समाज का पतन होता है.

5. जिस समाज के व्यावसायिक लोग अपने पेशे को चलाने के लिए दुश्मन को अपने बुद्धि, स्वतंत्रता और आत्म सम्मान बेचते है, अन्य हमारे आजादी के लिए लड़ रहे राष्ट्रीय संगठन के बारे में गलत कहते है. और डॉ बाबासाहेब. अम्बेडकरजी के उद्देश्य, विचार और विचारधारा से बेईमानी करते है, उस समाज का पतन होता है.

8. जिस समाज के बुद्धिमान लोग डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर के प्रति कृतघ्न हो,
(डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर सामाजिक राष्ट्रीय आंदोलन से लाभान्वित जिस समाज के बुद्धिमान लोग अर्थात आरक्षण लाभार्थी लोग उन लोगों को बुद्धि पैसा प्राप्त हूवा वे लोग अपने तन, मन धन द्वारा सही अम्बेडकरवादी संगठन और आंदोलन का समर्थन करने का काम नहीं करते और डॉ बाबासाहेब. अम्बेडकरजी के उद्देश्य, विचार और विचारधारा से बेईमानी करते है, वे लोग डॉ बाबासाहेब. अम्बेडकर के प्रति कृतघ्न है)

9. जिस समाज के लोग अपने मत (वोट) मतलब स्वतंत्रता और आत्म सम्मान दुश्मन के उम्मीदवार को बेचते हो ( डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर ने बताया कि अपने मत को बेचना मतलब अपने स्वतंत्रता और आत्म सम्मान को बेचना है.)


10. जिस समाज के लोग बुद्ध, फुले, शाहू, और आंबेडकर जी का उद्देश्य स्वतंत्रता, समानता, नैतिकता, भाईचारा और न्याय को प्रस्थापित करने की कोशिश नहीं करते है.

उस समाज का पतन होता है.

बौद्धिक बेईमानी सभी प्रकार की बेईमानी में सबसे खतरनाक और सबसे बड़ी बेईमानी है.

विचार परिवर्तन ही हर परिवर्तन का मूल है.

बात 1927 की है जब बाबा साहाब अम्बेडकर जी कोलंबिया युनिवर्सिटी में अपनी पीएचडी की पढ़ाई कर रहे थेयूनिवर्सिटी की एक दीवार ...
06/03/2022

बात 1927 की है जब बाबा साहाब अम्बेडकर जी कोलंबिया युनिवर्सिटी में अपनी पीएचडी की पढ़ाई कर रहे थे

यूनिवर्सिटी की एक दीवार पर दो लाईन लिखी हुयी थी....

"आम आदमी पैदा होता है और मर जाता है । महापुरुष पैदा होते है जो कभी नहीं मरते है ।।"

बाबा साहब अम्बेडकर जी ने नीचे की लाईन को काली स्याही से मिटा दिया...

इस बात पर पुरी युनिवर्सिटी में हंगामा मच गया बाबा साहाब से कारण पुछा गया और एक दिन समय दिया गया कि उन्होने ये लाईन क्यों मिटाई है और नोटिस दिया गया की अगर कारण नहीं बताया तो उनको युनिवर्सिटी छोडकर जाना होगा...

अगले दिन दोपहर का समय था पुरा हौल बाबा साहब डॉ 0 अम्बेडकर को सुनने को बैचेन था की देखते है आज डॉ 0 अम्बेडकर क्या जवाब देंगे

बाबा साहाब ने जैसे ही होल में प्रवेश किया सभी की निगाहें उन पर टिकी हुयी थी

"बाबा साहब ने मुस्कुराते हुये जवाब दिया की आम आदमी पैदा होता है और मर जाता है ये लाईन सही है"

पर महापुरुष पैदा होते है और कभी नहीं मरते है ये लाईन गलत है....

बाबा साहाब ने कहा....

किसी भी महापुरुष की मौत उस दिन हो जाती है अगर उनके विचारों को नष्ट कर दिया जाये...."

बाबा साहाब का जवाब सुनकर पुरा हौल तालियों से गुंज उठा....

और उस दिन से उस युनिवर्सिटी में नीचे की लाईन बाबा साहाब के विचारों के अनुसार लिखी गयी ...

""आम आदमी पैदा होता है और मर जाता है
महापुरुष पैदा होते है अगर उनके विचारों को नष्ट कर दिया जाये तो वो भी मर जाते है ।"

* 24अक्तूबर 1951
डॉ बाबासाहेब आंबेडकर ने " बुद्ध और उनका धम्म " इस महान ग्रंथ का लेखन कार्य आरंभ किया*
जय भीम जय संविधान

मुझे आम्बेडकरवादी होने पर गर्व है।जय भीम
06/03/2022

मुझे आम्बेडकरवादी होने पर गर्व है।
जय भीम

सभी आम्बेडकरवादी, बौद्ध, बहुजन मूलनिवासियों से निवेदन है कि हमारे अपने फेसबुक पेज को लाइक, फोलो और शैयर कीजिए। यदि आप लो...
05/03/2022

सभी आम्बेडकरवादी, बौद्ध, बहुजन मूलनिवासियों से निवेदन है कि हमारे अपने फेसबुक पेज को लाइक, फोलो और शैयर कीजिए। यदि आप लोगों का सपोर्ट मिलेगा तो हम बहुत सुन्दर मिशनरी वीडियोज़ इस पेज पर बनाना शुरू करेंगे।

👇👇👇 #जयभीम🙏🙏🙏

Bheru Bhati

आज झूक कर किताबें पढ़ लो, कल दुनिया आपको किताबों में पढ़ेगी।~ भेरू भाटीजय भीम सभी साथियों को
05/03/2022

आज झूक कर किताबें पढ़ लो, कल दुनिया आपको किताबों में पढ़ेगी।
~ भेरू भाटी
जय भीम सभी साथियों को

जीवन चारि दिवस का मेला रे।बांभन झूठा, वेद भी झूठा, झूठा ब्रह्म अकेला रे।।मंदिर भीतर मूर्ति बैठी पुजती बाहर चला रे। लड्डू...
05/03/2022

जीवन चारि दिवस का मेला रे।
बांभन झूठा, वेद भी झूठा, झूठा ब्रह्म अकेला रे।।
मंदिर भीतर मूर्ति बैठी पुजती बाहर चला रे।
लड्डू भोग चढ़ावती जनता, मूर्ति के ढिंग किला रे।
जनता लुटती बांभन सारे, प्रभुजी देति न थेला रे।।
- संत शिरोमणि गुरु रविदास जी महाराज

ब्राह्मणवादी या मनुवादी लोगों को डॉक्टर अंबेडकर द्वारा रचित मौजूदा संविधान पसंद नहीं है, क्योंकि मौजूदा संविधान की वजह स...
04/03/2022

ब्राह्मणवादी या मनुवादी लोगों को डॉक्टर अंबेडकर द्वारा रचित मौजूदा संविधान पसंद नहीं है, क्योंकि मौजूदा संविधान की वजह से सदियों से हक वंचित एससी एसटी ओबीसी के लोगों को हर क्षेत्र में अधिकार मिले है, इसलिए वे लोग संविधान बदलने पर उतारू है l लेकिन जिस ब्राह्मणवादी व्यवस्था धर्म या संस्कृति के कारण एससी एसटी ओबीसी को सदियों से हक वंचित करके रखा गया, तो इन लोगों की समझ में यह बात क्यों नहीं आती , कि ये भी उस संस्कृति को उस धर्म को उस व्यवस्था को बदलें, क्यों आज भी उसी व्यवस्था को ढो रहे हैं?

धीरे धीरे दम तोड़ रहा है.....  #मिशन
04/03/2022

धीरे धीरे दम तोड़ रहा है.....
#मिशन

04/03/2022

तुम करो तैयारी संविधान बदलने की, हम करते हैं भीमा कोरेगांव! फर्क इतना रहेगा उस वक्त 500 थे अबकी बार 5 करोड़ होंगे। क्या आप तैयार हैं?

04/03/2022

तलवार की धार हूंँ, दुश्मनों का काल हूंँ।
भारत की मिट्टी पर जन्मा हूंँ,
"बाबासाहेब" का लाल हूंँ।

03/03/2022

जिन्हें अपनी जाति पर घमण्ड करना है वो कट्टर हिन्दू बनकर ही रहें...
हम तो
#जातिविहीन और #वर्गविहीन समाज चाहते हैं।

क्या महिलाएं आज भी गुलाम हैं?👧🧑‍🦰👩🏻‍🎓👩‍🏭🧑🏻‍✈️💃💃कितनी बड़ी विडंबना है कि महिलाएं अपनी गुलामी की जंजीरों को ही अपना आभूषण स...
02/03/2022

क्या महिलाएं आज भी गुलाम हैं?
👧🧑‍🦰👩🏻‍🎓👩‍🏭🧑🏻‍✈️💃💃
कितनी बड़ी विडंबना है कि महिलाएं अपनी गुलामी की जंजीरों को ही अपना आभूषण समझती हैं। ब्राह्मण लड़कियों का आज भी यज्ञोपवीत संस्कार नहीं होता है। ब्राह्मण लड़कियों को आज भी किसी स्त्री यानी दुर्गा, लक्ष्मी , सरस्वती , गायत्री, 9 देवियों या दशम महाविद्या कही जाने वाली देवियां हो किसी का पुजारी नहीं बनाया जाता हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी सबरीमाला मंदिर में महिलाओं का प्रवेश आज भी प्रतिबंधित हैं । ब्राह्मण लड़कियों को शंकराचार्य नहीं बनाया जा सकता हैं। यह आजादी के 72 साल के बाद का सच है । आज भी क्षत्रिय वर्ण की महिला सेना में कर्नल नहीं हो सकती हैं। एयर फोर्स ,नेवी या गृह मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली कोई भी सेना किसी मे भी उच्च पदों पर आसीन नहीं हो सकती हैं। अगर एकमात्र रानी लक्ष्मी बाई की नाजीर पेश की जाती हैं तो फिर इसको असली जामा क्यों नहीं पहनाया जाता हैं ? जब संविधान ने निर्माता सिंबल ऑफ नॉलेज डॉ भीमराव आंबेडकर ने उनको बराबरी का अधिकार दिया है तो फिर उनको उच्च पदों पर जाने पर कौन लोग रोक रहे हैं ? आज भी धर्म महिला को वस्तु ही समझता है लेकिन महिलाएं इस तथ्य को नहीं समझती हैं। अगर यह सच नहीं है तो महिलाओं को विवाह के वक़्त क्यों दान किया जाता हैं ? न तो महिला कोई जानवर हैं , न कोई जमीन हैं न कोई अन्य वस्तु। ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य की महिलाओं को भी वेद पढ़ने का अधिकार नहीं था। मंदिर जाने का अधिकार नहीं था। महिलाओं को शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार नहीं था । महिलाओं को पिता और पति की संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं था। महिलाएं सर्व शक्तिमान कहे जाने वाले ईश्वर के घर में आज भी देवदासी बनाई जाती हैं । जहाँ उनका धर्म के नाम पर बलात्कार किया जाता हैं। महिलाओं को पति की चिंता में जिंदा जला दिया जाता था। अगर धरती को 21 बार क्षत्रिय विहीन करने वाले देवाधिदेव महादेव के अवतार कहे जाने वाले परशुराम थे , स्वर्ग से गंगा को लाने वाले महाबलशाली और तपस्वी भगीरथ थे , महाप्रतापी महाराणा प्रताप थे , अदम्य साहस ,शौर्य और पराक्रम से युक्त शूरवीर क्षत्रिय वर्ण के राजा थे तो फिर महिलाओं को क्यों जलाया जाता था ? एक तरफ क्षत्रिय राजाओं की वीरता भरी यश गाथाओं का यशोगान हैं तो दूसरी तरफ डर, ख़ौफ के कारण क्षत्रिय महिलाओं को पति की चिता के साथ जिंदा जलाने की रोंगटे खड़े कर देनी वाली कायरतापूर्ण मिसालें । आखिर क्या कारण था कि क्षत्रिय राजा अपनी ही समाज की महिलाओं को अपने पति के साथ जिंदा जलने देते थे। आखिर उनको बचाने की बजाय उन्होंने गांधारी की भूमिका क्यों अपनाई ? क्या तब के क्षत्रिय राजा करणी सेना से भी ज्यादा बदतर अवस्था में थे । लंबी चौड़ी डींगे हाँकने वाले खुद को सर्वश्रेष्ठ और महाज्ञानी होने का मुगालता पालने वाले मासूम बच्चियों की शादी की उम्र तय नहीं कर सके थे । अधेड़ उम्र के पुरुष मासूम बच्चियों के साथ विवाह रचाते थे ।कितनी अजीब बात है कि ज्ञान की देवी सरस्वती थी लेकिन महिलाओं को वेद पढ़ने और मंदिर जाने का अधिकार नहीं था। धन की देवी लक्ष्मी लेकिन महिलाओं को पिता और पति का धन रखने का अधिकार नहीं था। महिला जुए में दांव पर लगाई जाती हैं , अग्नि परीक्षा देने के बाद भी धरती में समा जाती हैं। नगरवधू के नाम पर उसकी अस्मिता लूटी जाती हैं। शब्दावली भी ऐसी वर का छोटा भाई भी दूसरा वर यानी देवर जिसका अपनी भाई की स्त्री पर पूर्ण अधिकार है। पति जिसका अर्थ है स्त्री का पद बढ़ाने वाला , पत्नी यानी पुरूष का पतन करने वाली।
महिलाओं को धर्म और उसके ईश्वर ने क्या क्या दिया यह सोचे ? संविधान ने महिलाओं को क्या क्या अधिकार दिये और संविधान के कारण महिलाओं को क्या क्या मिला ।यह जानना महिलाओं के लिए बेहद जरूरी है वार्ना महिलाएं गुलामी की बेड़ियों को ही अपना आभूषण समझती रहेगी।
एडवोकेट राजेश चौधरी
एमकॉम, एम ए ( मानव अधिकार ) , एलएलबी
बरेली यूपी
मो 09719993399✍️
नोट - शिक्षा का अर्थ दुनिया को समझना नहीं बल्कि दुनिया को बदलना भी हैं।
महाराष्ट्र से प्रकाशित पत्रिका रजक चेतना में वर्ष 2021 में छपा लेख
सर्वाधिकार सुरक्षित

बहुजन जिस दिन बाबासाहेब की विचारधारा पर चलने लग जाएगा उसी दिन से मनुवाद का अंत जाएगा।जय भीमपेज को लाइक और फोलो करिये।👇👇👇...
02/03/2022

बहुजन जिस दिन बाबासाहेब की विचारधारा पर चलने लग जाएगा उसी दिन से मनुवाद का अंत जाएगा।
जय भीम
पेज को लाइक और फोलो करिये।
👇👇👇
Bheru Bhati

जो धर्म जन्म से एक को श्रेष्ठ और दूसरे को नीच बनाए रखें,वह धर्म नही है, वह गुलाम बनाए रखने का षड्यंत्र है।बाबा साहेबजय भ...
02/03/2022

जो धर्म जन्म से एक को श्रेष्ठ और दूसरे को नीच बनाए रखें,
वह धर्म नही है, वह गुलाम बनाए रखने का षड्यंत्र है।
बाबा साहेब

जय भीम

01/03/2022

नहीं चाहिए मरने के बाद स्वर्ग
हमें तो जीते जी
बहुजन 🇮🇳राष्ट्र चाहिए
🙏जय 🇮🇳भीम 🙏

इस संसार में सबको अपने ज्ञान का अहंकार है,परंतु किसी को अपने अहंकार का ज्ञान नहीं!   #नमो_बुद्धाय                       ...
01/03/2022

इस संसार में सबको अपने ज्ञान का अहंकार है,
परंतु किसी को अपने अहंकार का ज्ञान नहीं!

#नमो_बुद्धाय 🙏🏻🌷🙏🏻🌷🙏🏻 #🙏 🙏
#मैं ऐसे #धर्म को #मानता हूँ जो
#स्वतंत्रता, #समानता, और #भाई_चारा #सीखाये..
🌼– डॉ॰ #भीमराव #अम्बेडकर🌼 💙___ 🙏

केवल खाने के लिए ही जिंदा हो तो आज ही मर जाओ!Dr. B.R. Ambedkar मान-सम्मान-स्वाभिमान के लिए संघर्ष केवल इंसान ही करता है ...
28/02/2022

केवल खाने के लिए ही जिंदा हो तो आज ही मर जाओ!
Dr. B.R. Ambedkar
मान-सम्मान-स्वाभिमान के लिए संघर्ष केवल इंसान ही करता है जानवर नहीं!
ीम_जय_भारत_जय_संविधान

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