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यदि हमारे पूर्वजो को हवाई जहाज बनाना नहीं आता, तो हमारे पास "विमान" शब्द भी नहीं होता। यदि हमारे पूर्वजों को Electricity...
08/02/2023

यदि हमारे पूर्वजो को हवाई जहाज बनाना नहीं आता, तो हमारे पास "विमान" शब्द भी नहीं होता।

यदि हमारे पूर्वजों को Electricity की जानकारी नहीं थी, तो हमारे पास "विद्युत" शब्द भी नहीं होता।

यदि "Telephone" जैसी तकनीक प्राचीन भारत में नहीं थी तो, "दूरसंचार" शब्द हमारे पास क्यो है।

Atom और electron की जानकारी नहीं थी तो अणु और परमाणू शब्द कहा से आए।

Surgery का ज्ञान नहीं था तो, "शल्य चिकितसा" शब्द कहा ये आया।

विमान, विद्युत, दूरसंचार , ये शब्द स्पष्ट प्रमाण है, कि ये तकनीक भी हमारे पास थी।

फिसिक्स के सारे शब्द आपको हिन्दी में मिल जाएगे।

बिना परिभाषा के कोई शब्द अस्तित्व में रह नहीं सकता।

सौरमंडल में नौ ग्रह है व सभी सूर्य की परिक्रमा लगा रहे है, व बह्ममांड अनंत है, ये हमारे पूर्वजो को बहुत पहले से पता था। रामचरित्र मानस में काक भुशुंडि - गरुड संवाद पढिए, बह्ममांड का ऐसा वर्णन है, जो आज के विज्ञान को भी नहीं पता।

अंग्रेज जब 17-18 सदी में भारत आये तभी उन्होने विज्ञान सीखा, 17 सदी के पहले का आपको कोई साइंटिस्ट नहीं मिलेगा,

17 -18 सदी के पहले कोई अविश्कार यूरोप में नहीं हुआ, भारत आकर सीखकर, और चुराकर अंग्रेजो ने अविश्कार करे।

भारत से सिर्फ पैसे की ही लूट नहीं हुई, ज्ञान की भी लूट हुई है।

वेद ही विज्ञान है और हमारे ऋषि ही वैज्ञानिक हैं ।

जब आप 23 साल में सोना मोना बाबू कर रहे हैं। उस उम्र में  एक क्रांतिकारी देश के युवाओं में इंकलाब भर रहा था। उसकी सोच को ...
14/01/2023

जब आप 23 साल में सोना मोना बाबू कर रहे हैं। उस उम्र में एक क्रांतिकारी देश के युवाओं में इंकलाब भर रहा था। उसकी सोच को समझने के लिए 70 साल के गांधी को नहीं 23 साल के भगत सिंह जी को पढ़िए। गांधी जी को जवाब देने के लिए क्रांतिकारी भगवती चरण वोहरा जी और भगत सिंह द्वारा जेल में लिखा गया उनका प्रसिद्ध लेख 'बम दर्शन' पढ़िए। यकीन मानिए आप बहुत कुछ सोचने पर मजबूर हो जाएंगे।

23 दिसम्बर, 1929 को क्रांतिकारियों ने ब्रिटिश साम्राज्यवाद के स्तम्भ वायसराय की गाड़ी को बम से उड़ाने का प्रयास किया, जो असफल रहा। गांधी जी ने इस घटना पर एक कटुतापूर्ण लेख ‘बम की पूजा’ लिखा, जिसमें उन्होंने अंग्रेज वायसराय को देश का शुभचिंतक और भगत सिंह और चंद्रशेखर आजाद जैसे नवयुवक क्रांतिकारियों को आजादी के रास्ते में रोड़ा अटकाने वाले कहा। इसी के जवाब में हिन्दुस्थान प्रजातन्त्र समाजवादी सभा की ओर से भगवती चरण वोहरा ने “बम का दर्शन” लेख लिखा, जिसका शीर्षक “हिन्दुस्थान प्रजातन्त्र समाजवादी सभा का घोषणापत्र” रखा। भगत सिंह ने जेल में इसे अन्तिम रूप दिया। 26 जनवरी, 1930 को इसे देश भर में बांटा गया। यह पूरा लेख यहां पोस्ट नहीं कर सकता लेकिन आपको गूगल पर सर्च करने पर आसानी से मिल जाएगा और आपको इसे जरूर पढ़ना चाहिए

#भगतसिंह

14/01/2023

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12/01/2023

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