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SK Dass Page Spiritual Knowledge On The Basis Of Holy Scriptures Given by Leader Saint Rampal Ji Mahara

04/09/2024
पंचदेव पूजा का असली द्वादश अक्षर मंत्र कौन सा है। जानिए सनातनी पूजा के पतन की कहानी संत रामपाल जी महाराज की जुबानी भाग -...
31/08/2024

पंचदेव पूजा का असली द्वादश अक्षर मंत्र कौन सा है।

जानिए सनातनी पूजा के पतन की कहानी संत रामपाल जी महाराज की जुबानी भाग - 3 Factful Debates YouTube Channel पर

✰वह कौनसा मंत्र है जिसके जाप मात्र से हमारे सभी पाप कर्म नष्ट हो जाते हैं?✰

अवश्य पढ़ें पवित्र सद्ग्रंथों पर आधारित संत रामपाल जी महाराज द्वारा लिखित पुस्तक *ज्ञान गंगा*।

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#रामचरितमानस_का_अनसुना_सच

रक्षाबंधन पर जानिए कौन है असली रक्षक?शास्त्रों की रोशनी में रक्षा बंधन: एक धागे से ज्यादा जरूरी है सच्चा रक्षक
17/08/2024

रक्षाबंधन पर जानिए कौन है असली रक्षक?
शास्त्रों की रोशनी में रक्षा बंधन: एक धागे से ज्यादा जरूरी है सच्चा रक्षक

 #राधास्वामी_निगुरा_पंथबाबा जयमल सिंह को स्वामी शिव दयाल जी से नाम उपदेश देने का कोई अधिकार नहीं था।1878 में शिव दयाल जी...
08/08/2024

#राधास्वामी_निगुरा_पंथ
बाबा जयमल सिंह को स्वामी शिव दयाल जी से नाम उपदेश देने का कोई अधिकार नहीं था।

1878 में शिव दयाल जी की मृत्यु हो गई। उस समय जयमल सिंह सेना में नौकरी कर रहे थे। शिव दयाल जी के देहावसान के 11 वर्ष बाद सन् 1889 में सेना से सेवानिवृत्त होकर पेंशन प्राप्त करने के बाद जयमल सिंह ब्यास आ गये और नाम उपदेश देने लगे। इससे सिद्ध होता है कि स्वामी शिव दयाल जी ने उन्हें नाम देने का अधिकार नहीं दिया था। अगर उन्हें शिव दयाल जी ने आदेश दिया होता तो वे सीधे 1878 में नाम देना शुरू कर देते।

RadhaSoami Exposed

जादूगर अपनी कलाकारी से हरतांगेज कारनामे दिखाकर ये विचार करने पर मजबूर कर देता है कि ये संभव नहीं हो सकता, तो सोचिये जिस ...
28/07/2024

जादूगर अपनी कलाकारी से हरतांगेज कारनामे दिखाकर ये विचार करने पर मजबूर कर देता है कि ये संभव नहीं हो सकता, तो सोचिये जिस भगवान ने पुरी सृष्टि को बनाया है उसे समझने के लिए कितने विवेक की जरुरत है। #सृष्टि_रचना_की_जानकारी विस्तार से जाने की God Kabir Creator Of Universe. 🙌🏻🌎

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https://youtu.be/_7CqSU5w0ys?si=3E97muH2zX-5cu8j

कबीर बड़ा या कृष्ण | Releasing on 20th July 2024 at 12:00 PM only on "Factful Debates" Youtube Channel
18/07/2024

कबीर बड़ा या कृष्ण | Releasing on 20th July 2024 at 12:00 PM only on "Factful Debates" Youtube Channel

17/06/2024

Eating meat is a heinous sin, be it Hindu or Muslim.
Prophet Muhammed never ate meat. Once the prophet Muhammed killed a cow and made that cow alive by word power, but didn't eat meat.

Nowadays, to remember that day Muslims started to slaughter animals, which is not the order of Allah.

 #कबीरसाहेब_की_प्रमाणित_लीलामाघ महीने की शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी वि. सं. 1575 को कबीर साहेब के मगहर से सशरीर सतलोक गमन के...
16/06/2024

#कबीरसाहेब_की_प्रमाणित_लीला
माघ महीने की शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी वि. सं. 1575 को कबीर साहेब के मगहर से सशरीर सतलोक गमन के समय जो सुगंधित फूल पाए गए थे उनमें से कुछ फूल लाकर काशी में जहाँ कबीर परमेश्वर एक चबूतरे ( चौरा ) पर बैठकर सत्संग किया करते थे वहाँ काशी चौरा नाम से यादगार बनाई गयी।
अब वहाँ पर बहुत बड़ा आश्रम बना हुआ है।
महगर में दोनों यादगारों के बीच एक साझा द्वार है, आपस में कोई भेदभाव नहीं है।


12/06/2024

क्या आप जानते हे #संसार_के_रचियता_कौन_हैं ??

 #कैसे_बना_जगन्नाथजी_का_मंदिरReal Jagannath God Kabir came in the form of a worker to King Indradaman who was failing to...
05/06/2024

#कैसे_बना_जगन्नाथजी_का_मंदिर
Real Jagannath God Kabir came in the form of a worker to King Indradaman who was failing to construct the Jagannath Temple due to the anger of the Sea God.



 #किस_किस_को_मिले_भगवानत्रेता युग में हनुमान जी को मिले कबीर परमात्मा सीता जी द्वारा अपमानित होने पर जब हनुमान जी ने अयो...
02/06/2024

#किस_किस_को_मिले_भगवान
त्रेता युग में हनुमान जी को मिले कबीर परमात्मा

सीता जी द्वारा अपमानित होने पर जब हनुमान जी ने अयोध्या त्याग दिया, तब दुखी हनुमान जी को मुनिंदर रूप में आए परमात्मा कबीर जी ने मोक्ष की राह दिखाई और असली राम की जानकारी दी।

22 June God Kabir Prakat Diwas

#किस_किस_को_मिले_भगवान
Diwas

ईसा मसीह की मृत्यु के तीसरे दिन स्वयं पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब ही आये थे भक्ति की लाज रखने के लिए। अन्यथा काल ब्रह्म भग...
28/05/2024

ईसा मसीह की मृत्यु के तीसरे दिन स्वयं पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब ही आये थे भक्ति की लाज रखने के लिए। अन्यथा काल ब्रह्म भगवान से विश्वास ही उठा देता लोगों का।

Almighty God Kabir 🤲🏻 live in Satlok

चारों वेद प्रभुदत्त हैं तथा श्रीमद्भगवत गीता चारों वेदों का संक्षिप्त रूप यानि सारांश है। इसलिए गीता भी प्रभु द्वारा दिय...
26/05/2024

चारों वेद प्रभुदत्त हैं तथा श्रीमद्भगवत गीता चारों वेदों का संक्षिप्त रूप यानि सारांश है। इसलिए गीता भी प्रभु द्वारा दिया ज्ञान है।

फिर भी हिन्दू भाईयों को धोखे में रखकर शास्त्रों के विपरित भक्ति कराई जा रही है।

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#आदि_सनातनधर्म_होगाप्रतिष्ठित

 #मुक्तिबोध_पेज_64 -जो पूर्ण परमात्मा है। वह ऐसा अगाध राम है यानि सबसे आगे वाला (अगाध) सर्वोपरी है। अविनाशी तथा गहर गम्भ...
25/05/2024

#मुक्तिबोध_पेज_64

-जो पूर्ण परमात्मा है। वह ऐसा अगाध राम है यानि सबसे आगे वाला (अगाध) सर्वोपरी है। अविनाशी तथा गहर गम्भीर (समुद्र की तरह शक्ति से भरा गहरा) है। वह हद जीवों (जो काल की सीमा वाले हैं। उसी काल ब्रह्म पर आश्रित हैं, उन जीवों) से दूर है। उनको उसका .....

 #मुक्तिबोध_पेज_63 तीनों देवों ने अपनी गुण शक्ति को एक क्षण (Second) के लिए रोका। शुकदेव गर्भ से बाहर आया। तीनों देव चले...
24/05/2024

#मुक्तिबोध_पेज_63

तीनों देवों ने अपनी गुण शक्ति को एक क्षण (Second) के लिए रोका। शुकदेव गर्भ से बाहर आया। तीनों देव चले गए। उस समय में 93 (तिरानवें) अन्य बच्चों का जन्म हुआ। उन सबको तथा शुकदेव को अपने उद्देश्य का ज्ञान रहा। वे सब महान भक्त-संत, सिद्ध बने। उनमें से 9 (नौ) तो नाथ प्रसिद्ध हुए तथा 84 (चौरासी.. . .

 #हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart69 के आगे पढिए.....) 📖📖📖 #हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart70"पवित्र वेदो...
24/05/2024

#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart69 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart70

"पवित्र वेदों से जानते हैं परम अक्षर ब्रह्म कौन है?"

यहाँ पर वेदों के मंत्रों की कुछ फोटोकॉपी लगाई हैं जिनका अनुवाद आर्य समाज के आचार्यों, शास्त्रियों ने किया है। कुछ ठीक, कुछ गलत है। परंतु सत्य फिर भी स्पष्ट है।

वेद मंत्रों में कहा है कि सृष्टि का उत्पत्तिकर्ता "परम अक्षर ब्रह्म" यानि "सत्यपुरुष" आकाश में बने सनातन परम धाम यानि सत्यलोक में निवास करता है। एक सिंहासन पर विराजमान है। उसके सिर के ऊपर मुकट तथा छत्र लगे हैं। परमेश्वर देखने में राजा के समान है। परमेश्वर वहाँ से चलकर नीचे के लोक में पृथ्वी आदि पर चलकर (गति करके) आता है। अच्छी आत्माओं को मिलता है। उनको यथार्थ अध्यात्म ज्ञान बताता है। अपने मुख से वाणी बोल-बोलकर भक्ति करने की प्रेरणा करता है। साधना के सत्य नामों का आविष्कार करता है। प्रत्येक युग में एक बार ऐसी लीला करते हुए शिशु रूप धारण करके कमल के फूल पर निवास करता है। वहाँ से बाल परमेश्वर को निःसंतान दम्पति उठा ले जाते हैं। बाल भगवान की परवरीश कंवारी गायं द्वारा होती है। बड़ा होकर तत्त्वज्ञान का प्रचार करता है। अपने मुख से वाणी उच्चारण करता है। दोहों, चौपाईयों, शब्दों के माध्यम से अपनी जानकारी की वाणी उच्चारण करता है जिसको (कविर्गिर्भीः) कबीर वाणी कहा जाता है तथा इसी कारण से प्रसिद्ध कवि की भी पदवी प्राप्त करता है यानि उसको कवि कहा जाता है। ध्यान देने योग्य बात है कि जिस पर वेदों में कहे लक्षण खरे उतरते हैं। वही सृष्टि का उत्पत्ति कर्ता तथा सबका धारण-पोषण कर्ता है। अन्य नहीं हो सकता। ये लक्षण केवल कबीर जुलाहे (काशी वाले) पर खरे उतरते हैं। इसलिए परम अक्षर ब्रह्म कबीर जी हैं। इन वेद मंत्रों के बाद चारों युगों में परमेश्वर कबीर जी का लीला करने आने का संक्षिप्त वर्णन है। इनको पढ़कर जान जाओगे कि वेदों में कबीर परमेश्वर जी का वर्णन है।

कबीर परमेश्वर जी ने भी कहा है:-

बेद मेरा भेद है, मैं ना बेदन के मांही। जौन बेद से मैं मिलूं, बेद जानते नांही ।।

अर्थात् कबीर जी ने स्पष्ट किया है कि चारों वेद मेरी महिमा बताते हैं। परंतु इन वेदों में मेरी प्राप्ति की भक्ति विधि नहीं क्योंकि काल ब्रह्म ने वह यथार्थ भक्ति के मंत्र निकाल दिए थे। मेरी प्राप्ति का ज्ञान जिस सूक्ष्म वेद में है, उसका ज्ञान वेदों में अंकित नहीं है।

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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
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Lekhraj Ji, the founder of Brahma Kumari Paints, was a human who became a ghost after death. Why do the followers of his...
23/05/2024

Lekhraj Ji, the founder of Brahma Kumari Paints, was a human who became a ghost after death. Why do the followers of his path believe in his baseless talks when the Supreme God says that: -
वेद कातेब झूठे नहीं भाई, झूठे है जो समझे नाहि।

Kabir Is God


#ब्रह्माकुमारी_पथभ्रष्टसमुदाय

 #मुक्तिबोध_पेज_62शरीर या अण्डे में प्रवेश होता है तो उसे अपना मान लेता है। मृत्यु के उपरांत शमशान घाट पर अंतिम संस्कार ...
23/05/2024

#मुक्तिबोध_पेज_62

शरीर या अण्डे में प्रवेश होता है तो उसे अपना मान लेता है। मृत्यु के उपरांत शमशान घाट पर अंतिम संस्कार के पश्चात् बची हुई हड्डियों के टुकड़ों को उठाकर किसी अथाह दरिया में बहा देते हैं जिसको अस्थियाँ उठाना या फूल उठाना कहते हैं। उसका कारण यह कि जो जीव उस मानव शरीर (स्त्री या पुरूष) में रहा है, उसका उस शरीर में अधिक मोह हो जाता है। जैसे मानव को कोई असाध्य रोग हो जाता है तो अपने शरीर की रक्षार्थ सर्व धन लगा देता है। शरीर इतना प्रिय. ....

 #हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart68 के आगे पढिए.....) 📖📖📖 #हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart69"वृंदावन में...
23/05/2024

#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart68 के आगे पढिए.....)
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#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart69

"वृंदावन में गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा से लाभ"

प्रश्न 48 (हिन्दू पक्ष): मैं गिरिराज (गोवर्धन) पर्वत की परिक्रमा करने जाता हूँ। हजारों की संख्या में श्रद्धालु परिक्रमा करने जाते हैं। हम को लाभ भी होते हैं। क्या यह भी व्यर्थ साधना है?

उत्तर :- पहले तो यह स्पष्ट करता हूँ कि गिरिराज (गोवर्धन) पर्वत की कथा क्या है। ब्रजवासी यानि श्री कृष्ण जी के कुल के व्यक्ति देवी-देवताओं की पूजा किया करते थे। श्री कृष्ण ने उनसे कहा कि हम देवी-देवताओं की पूजा नहीं करेंगे, न देवताओं के राजा इन्द्र की पूजा करेंगे।

हम परमात्मा की पूजा करेंगे। देवताओं के राजा इन्द्र की भी पूजा बंद कर दी। इन्द्र ने प्रतिशोध लेने के लिए मूसलाधार बारिश करनी शुरू कर दी ब्रज नगरी को डुबोने के उद्देश्य से। श्री कृष्ण जी ने गोवर्धन पर्वत को एक हाथ की ऊंगली पर रख लिया तथा उसको पूरे ब्रज नगरी के ऊपर फैला दिया। सब ब्रजवासियों से कहा कि अपने पशुओं सहित पर्वत के नीचे आ जाओ। वर्षा का सारा पानी गिरिराज पर्वत ने सोख लिया। इन्द्र की हार हुई। देवी-देवताओं की पूजा बंद कर दी। उस गोवर्धन पर्वत को पुनः यथास्थान पर रख दिया।

विचार करो: हिन्दू समाज गोवर्धन (गिरिराज) की परिक्रमा करते हैं और पूजा देवी-देवताओं की करते हैं। इससे तो भगवान विष्णु उर्फ श्री कृष्ण जी सख्त नाराज होता है।

यह परिक्रमा व गोवर्धन पूजा करके तो आप भगवान श्री कृष्ण जी को चिढ़ाने (खिजाने) यानि अपमान करने जाते हो। शास्त्रोक्त साधना न होने के कारण लाभ तो मिलता नहीं, परिक्रमा के समय (चक्र लगाते समय) पैरों के नीचे असँख्यों कीडे-मकोडे जीव-जन्त मरते हैं। वह पाप अवश्य लगता है याान उनका पाप आपक भाग्य म लिखा जाता है।

प्रश्न 49 :- श्री विष्णु जी स्वयं श्री कृष्ण जी व श्री राम रूप में जन्में थे। ये समर्थ परमात्मा हैं। जैसे श्री कृष्ण जी ने गिरिराज (गोवर्धन) पर्वत को हाथ पर धारण करके ब्रज नगरी को इन्द्र के प्रकोप से बचाया।

श्री रामचन्द्र रूप में समुद्र के ऊपर पुल बनाया। सेना को लंका में लेकर गए। राक्षस रावण को मारा, तेतीस करोड़ देवताओं की बंद छुड़वाई जो रावण ने कैद कर रखे थे। क्या श्री विष्णु जी पूर्ण ब्रह्म परमात्मा नहीं है?

उत्तर :- इसका उत्तर सूक्ष्मवेद में इस प्रकार दिया है कि :- कबीर, समुद्र पाट लंका गयो, सीता का भरतार।

अगस्त ऋषि ने सातों पीये, इनमें कौन करतार ? ।।1 ।। कबीर, काटे बंधन विपत्ति में, कठिन किया संग्राम। चिन्हों रे नर प्राणियाँ, गरूड़ बड़ो के राम? ।।2।। कबीर, गोवर्धन श्री कृष्ण ने धार्यो, द्रौणगिरि हनुमंत। शेषनाग सब सृष्टि उठायो, इनमें कौन भगवंत ? । ।3।।

अर्थात् वाणी नं. 1 कबीर जी ने कहा है कि समुद्र के ऊपर पुल बनाने से श्री रामचन्द्र जी जो सीता के पति को आप करतार यानि सृष्टिकर्ता मानते हैं, तो अगस्त ऋषि ने सातों समुद्रों को एक घूंट में पी लिया था। इनमें किसको कर्ता माना जाए?

वाणी नं. 2: आप कहते हो कि श्री राम ने रावण को मारकर 33 करोड़ देवताओं का बंधन छुड़वा दिया। जिस समय नागफास शस्त्र से श्री रामचन्द्र समेत सारी सेना रावण ने बांध दी थी। तब श्री रामचन्द्र जी व सेना की बंद गरूड़ ने छुड़वाई। सर्पों को काटा। इनमें अब बता! गरूड़ समर्थ है या श्री

राम।

आठवां अध्याय

241 वाणी नं. 3 श्री कृष्ण जी को आप इसीलिए परमात्मा (ईश) मानते हो कि उन्होंने गोवर्धन पर्वत उठा लिया था। हनुमान जी ने द्रोणागिरी पर्वत को उठाया था तथा आप लोकवेद के आधार से कहते हो कि शेषनाग सारी सृष्टि को उठाए हुए है। इनमें कौन परमात्मा है? इन प्रमाणों से श्री विष्णु जी को परमात्मा नहीं माना जा सकता। शास्त्रों व आँखों देखने वाले संतों से पता चलता है कि पूर्ण परमात्मा कौन है।

प्रश्न 50 :- जो नाम हिन्दू जाप करते हैं, क्या वे मोक्षदायक व लाभदायक

नहीं हैं?

उत्तर :- हिन्दू समाज में जो नाम जाप किए जाते हैं, वे मनमाना आचरण हैं। जैसे हरे कृष्ण, हरे राम, ओम् नमः शिवाय, ओम् भगवते वासुदेवाय नमः, राधे श्याम, सीता राम, राधे-राधे श्याम मिलादे, जय माता दी, बम्ब-बम्ब महादेव, ओम् आदि। ओम् नाम को छोड़कर शेष नाम मनमाना आचरण है जो शास्त्रों में नहीं है। इसलिए इनके जाप से साधक को कोई लाभ नहीं होता।

गीता अध्याय 16 श्लोक 23-24 में स्पष्ट है। श्री रामचन्द्र जी का जन्म त्रेतायुग के अंत में हुआ, तब तक सत्ययुग 17 लाख 28 हजार वर्ष तथा त्रेतायुग 12 लाख 96 हजार वर्ष का समय भी लगभग व्यतीत हो चुका था। लगभग 30 लाख वर्ष चतुर्युग के पूरे हो चुके थे। उस दौरान हरे राम, हरे कृष्ण, सीता राम, राधे श्याम का जन्म भी नहीं हुआ था। उस समय के व्यक्ति इनका जाप नहीं करते थे। वे ओम् नाम मनमाना आचरण तप करते थे।
एक लाख वर्ष तक सनातनी साधना की जाती थी। उसके पश्चात् मनमाना आचरण का दौर चला जो आज तक जारी है।

मोक्ष होगा तत्त्वदर्शी संत द्वारा बताए सूक्ष्मवेद में वर्णित भक्ति विधि से। हिन्दू समाज पुराणों को आगे अड़ाता है कि पुराणों में यह साधना करना

लिखा है।

विचार करो :- पुराण तो मनमाना आचरण करने वालों का अपना अनुभव है जो वेदों गीता तथा सूक्ष्मवेद से मेल नहीं करता। इसलिए ये साधना व्यर्थ है। तत्त्वदर्शी संत बताएगा कि परमात्मा कौन है? सत्य साधना कौन-सी है, गलत कौन सी है? गीता अध्याय 4 श्लोक 34 में स्पष्ट है कि गीता ज्ञान भी पूर्ण नहीं है, परंतु गलत भी नहीं। इसलिए तत्त्वदर्शी संत से जानने को कहा है। तत्त्वदर्शी संत बताएगा। अब वह ज्ञान पढ़ते हैं :-

242

हिन्दू साहेबान ! नहीं समझे गीता, वेद, पुराण

"नौवां अध्याय"

"हिन्दू साहेबान ! नहीं समझे निर्मल वेद ज्ञान"

अब वेदों से प्रमाणित करता हूँ कि पूर्ण परमात्मा कौन है? :-

चारों वेद (ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद तथा अथर्ववेद) हिन्दू धर्म की रीढ़ माने जाते हैं। इन्हीं का सारांश श्रीमद्भगवत गीता है। चारों वेद परमात्मा की जानकारी रखते हैं। उसके लक्षण बताते हैं। परमात्मा कौन है? कैसा है? निराकार है या साकार है? कैसी लीला करता है? निवास स्थान कहाँ है? जिस किसी की लीलाएँ वेदों के अनुसार हैं, वह परमात्मा है। वेदों का ज्ञान कबीर जी पर खरा उतरता है :-

हिन्दू धर्म के व्यक्ति चारों वेदों (ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद तथा अथर्ववेद) के ज्ञान को सत्य मानते हैं। वेदों में परमेश्वर की महिमा बताई है। परमेश्वर की पहचान भी बताई है। बताया है कि सृष्टि की उत्पत्ति करने वाला परमेश्वर साकार यानि नराकार है जो इस प्रकार है :-

परमात्मा आसमान में बने लोक (सतलोक ऋतधाम) में निवास करता है। वहाँ से सशरीर चलकर पृथ्वी आदि लोक-लोकान्तरों में आता है। सतलोक में परमेश्वर के शरीर का तेज असंख्यों सूर्यों के तेज (प्रकाश) से भी अधिक है। यदि उसी तेजोमय शरीर में यहाँ आए तो सबकी आँखें बंद हो जाएँ। कोई भी नहीं देख सकेगा। इसलिए परमेश्वर अपने शरीर को सरल करके यानि हल्के तेज का करके पृथ्वी आदि लोकों में आता है। अच्छी आत्माओं को मिलता है। उनको यथार्थ अध्यात्म ज्ञान बताता है। सत्य भक्ति के नामों का आविष्कार करता है। अपने मुख से वाणी बोलकर मानव को भक्ति की प्रेरणा करता है। अपने मुख कमल से सम्पूर्ण अध्यात्म ज्ञान कवित्व से ये सब लीला कबीर जी ने की थी। वेद भी प्रमाणित करते हैं कि कबीर जी परमेश्वर हैं।

"पवित्र वेदों से जानते हैं परम अक्षर ब्रह्म कौन है?"

यहाँ पर वेदों के मंत्रों की कुछ फोटोकॉपी लगाई हैं जिनका अनुवाद आर्य समाज के आचार्यों, शास्त्रियों ने किया है। कुछ ठीक, कुछ गलत है। परंतु सत्य फिर भी स्पष्ट है।

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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
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Stop Consuming Alcohol & IntoxicantsA Person Who Consumes Alcohol And Does Not Perform Auspicious Deeds, His Future Beco...
23/05/2024

Stop Consuming Alcohol & Intoxicants
A Person Who Consumes Alcohol And Does Not Perform Auspicious Deeds, His Future Becomes A Hell.

Sant Rampal Ji Maharaj

गीताजी अध्याय 4 श्लोक 5 में गीता ज्ञान देने वाला भगवान स्वयं को जन्म मरण के अंतर्गत बता रहा है, फिर जन्म मरण से परे अविन...
21/05/2024

गीताजी अध्याय 4 श्लोक 5 में गीता ज्ञान देने वाला भगवान स्वयं को जन्म मरण के अंतर्गत बता रहा है, फिर जन्म मरण से परे अविनाशी व पूजनीय पूर्ण परमात्मा कौन है?

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#गीता_प्रभुदत्त_ज्ञान_है


 #मुक्तिबोध_पेज_61 सुखदेव जी की उत्पत्ति की कथा
21/05/2024

#मुक्तिबोध_पेज_61
सुखदेव जी की उत्पत्ति की कथा

 #हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart67 के आगे पढिए.....) 📖📖📖 #हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart68"सर्व श्रेष्...
20/05/2024

#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart67 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart68
"सर्व श्रेष्ठ तीर्थ"
प्रश्न 47:- सर्वश्रेष्ठ तीर्थ कौन-सा है जिससे सर्व तीर्थों से अधिक लाभ मिलता है?
उत्तर :- सर्व श्रेष्ठ चित्तशुद्धि तीर्थ है।
चित्तशुद्धि तीर्थ अर्थात् तत्त्वदर्शी सन्त का सत्संग सर्व तीर्थों से श्रेष्ठ :- श्री देवी पुराण छठा स्कन्द अध्याय 10 पृष्ठ 417 पर लिखा है व्यास जी ने राजा जनमेजय से कहा राजन्! यह निश्चय है कि तीर्थ देह सम्बन्धी मैल को साफ कर देते हैं, किन्तु मन के मैल को धोने की शक्ति तीर्थों में नहीं है। चित्तशुद्धि तीर्थ गंगा आदि तीर्थों से भी अधिक पवित्र माना जाता है। यदि भाग्यवश चित्तशुद्धि तीर्थ सुलभ हो जाए तो अर्थात् तत्वदर्शी संतों का सत्संग रूपी तीर्थ प्राप्त हो जाए तो मानसिक मैल के धुल जाने में कोई संदेह नहीं। परन्तु राजन् ! इस चित्तशुद्धि तीर्थ को प्राप्त करने के लिए ज्ञानी पुरुषों अर्थात् तत्त्वदर्शी सन्तों के सत्संग की विशेष आवश्यकता है। वेद, शास्त्र, व्रत, तप, यज्ञ और दान से चित्तशुद्धि होना बहुत कठिन है। वशिष्ठ जी ब्रह्मा जी के पुत्र थे। उन्होंने वेद और विद्या का सम्यक प्रकार से अध्ययन किया था। गंगा के तट पर निवास करते थे। तथापि द्वेष के कारण उनका विश्वामित्र के साथ वैमनस्य हो गया और दोनों ने परस्पर श्राप दे दिए तथा उनमें भयंकर युद्ध होने लगा। इससे सिद्ध हुआ कि संतों के सत्संग से चित्तशुद्धि कर लेना अति आवश्यक है अन्यथा वेद ज्ञान, तप, व्रत, तीर्थ, दान तथा धर्म के जितने साधन है वे सबके सब कोई विशेष प्रयोजन सिद्ध नहीं कर सकते (श्री देवी पुराण से लेख समाप्त)
* विशेष विचार :- उपरोक्त श्री देवी पुराण के लेख से स्पष्ट है कि तत्त्वदर्शी
सन्तों के सत्संग से श्रेष्ठ कोई भी तीर्थ नहीं है तथा तत्त्वदृष्टा सन्त के बताए मार्ग से साधना करने से कल्याण सम्भव है। तीर्थ, व्रत, तप, दान आदि व्यर्थ प्रयत्न है। तत्त्वदर्शी सन्त के अभाव के कारण केवल चारों वेदों में वर्णित भक्ति विधि से पूर्ण मोक्ष लाभ नहीं है।
परमेश्वर कबीर जी ने कहा है :-
सतगुरु बिन वेद पढ़ें जो प्राणी, समझे ना सार रहे अज्ञानी ।।
सतगुरु बिन काहू न पाया ज्ञाना, ज्यों थोथा भुष छिट्टै मूढ किसाना ।। अड़सठ तीर्थ भ्रम-भ्रम आवै सर्व फल सतगुरू चरणा पावै।।
कबीर तीर्थ करि-करि जग मुआ, उड़ै पानी नहाय।
सतनाम जपा नहीं, काल घसीटें जाय ।।
सूक्ष्मवेद (तत्त्वज्ञान) में कहा है कि :-
अड़सठ तीर्थ भ्रम-भ्रम आवै। सो फल सतगुरू चरणों पावै ।।
गंगा, यमुना, बद्री समेते। जगन्नाथ धाम है जेते ।।
भ्रमें फल प्राप्त होय न जेतो। गुरू सेवा में फल पावै तेतो ।। कोटिक तीर्थ सब कर आवै। गुरू चरणां फल तुरंत ही पावै ।।
सतगुरू मिलै तो अगम बतावै। जम की आंच ताहि नहीं आवै।।
भक्ति मुक्ति को पंथ बतावै। बुरा होन को पंथ छुड़ावै ।। सतगुरू भक्ति मुक्ति के दानी। सतगुरू बिना ना छूटै खानी ।।
सतगुरू गुरू सुर तरू सुर धेनु समाना। पावै चरणन मुक्ति प्रवाना ।।
सरलार्थ :- पूर्ण परमात्मा द्वारा दिए तत्त्वज्ञान यानि सूक्ष्मवेद में कहा है कि तीर्थों और धामों पर जाने से कोई पुण्य लाभ नहीं। असली तीर्थ सतगुरू (तत्त्वदर्शी संत) का सत्संग सुनने जाना है। जहाँ तत्त्वदर्शी संत का सत्संग होता है, वह सर्व श्रेष्ठ तीर्थ तथा धाम है।
इसी कथन का साक्षी संक्षिप्त श्रीमद्देवीभागवत महापुराण भी है। उसमें छठे स्कंद के अध्याय 10 में लिखा है कि सर्व श्रेष्ठ तीर्थ तो चित शुद्ध तीर्थ है। जहाँ तत्वदर्शी संत का सत्संग चल रहा है। उसके अध्यात्म ज्ञान से चित की शुद्धि होती है। शास्त्रोक्त अध्यात्म ज्ञान तथा शास्त्रोक्त भक्ति विधि का ज्ञान होता है जिससे जीव का कल्याण होता है। अन्य तीर्थ मात्र भ्रम हैं।
इसी पुराण में लिखा है कि सतगुरू रूप तीर्थ मिलना अति दुर्लभ है।
सूक्ष्मवेद में बताया है कि सतगुरू तो कल्पवृक्ष तथा कामधेनू के समान है। जैसे पुराणों में कहा है कि स्वर्ग में कल्पवृक्ष तथा कामधेनु हैं। उनसे जो भी माँगो, सब सुविधाएँ प्रदान कर देते हैं।
इसी प्रकार सतगुरू जी सत्य साधना बताकर सर्व लाभ साधक को प्रदान करवा देते हैं तथा अपने आशीर्वाद से भी अनेकों लाभ देते हैं। भक्ति करवाकर मुक्ति की राह आसान कर देते हैं। इसलिए कहा है :- कि एकै साधै सब सधै, सब साधैं सब जाय।
माली सींचे मूल को, फलै फूलै अघाय ।।
शब्दार्थ :- एक सतगुरू रूप तीर्थ पर जाने से सब लाभ मिल जाता है। सब तीर्थों-धामों व अन्य अंध श्रद्धा भक्ति से सब लाभ समाप्त हो जाते हैं। जैसे आम के पौधे की एक जड़ की सिंचाई करने से पौधा विकसित होकर पेड़ बनकर बहुत फल देता है।
यदि पौधे को उल्टा करके जमीन में गढ़ढ़े में शाखाओं की ओर से रोपकर शाखाओं की सिंचाई करेंगे तो पौधा नष्ट हो जाता है। कोई लाभ नहीं मिलता। इसलिए एक सतगुरू रूप तीर्थ पर जाने से सर्व लाभ मिल जाता है।
जैसा कि संक्षिप्त श्रीमद्देवीभागवत महापुराण में लिखा है कि सतगुरू रूप तीर्थ मिलना अति दुर्लभ है, परंतु आप जी को सतगुरू रूप तीर्थ अति शुलभ है। यह दास (लेखक रामपाल दास) विश्व में एकमात्र सतगुरू तीर्थ यानि तत्वज्ञानी है। आओ और सत्य भक्ति प्राप्त करके जीवन सफल बनाओ।
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तत्वदर्शी संत से सत्यनाम और सारनाम प्राप्त करके जोकि सच्चे नाम मंत्र की ओर संकेत करते हैं और मर्यादा में रहकर सतभक्ति कर...
19/05/2024

तत्वदर्शी संत से सत्यनाम और सारनाम प्राप्त करके जोकि सच्चे नाम मंत्र की ओर संकेत करते हैं और मर्यादा में रहकर सतभक्ति करने से पूर्ण मोक्ष प्राप्त होगा।

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